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‘ओरल हेल्थ’ से करे कोरोना से बचाव

कोरोना एक गंभीर रोग है. जो सांस के जरीये शरीर को सबसे अधिक प्रभावित करता है. इसके लक्षण फ्लू जैसे होते है. इसका वायरस नाक, मुंह और आंख के जरीये शरीर में प्रवेश करता है. ऐसे में यह जरूरत है इस बात की होती है कि कोरोना से बचाव में हाथ के साथ ही साथ मुंह और दांतों की सफाई भी सही तरह से की जाये.

इस संबंध में दांत रोगों की विषेशज्ञ डाक्टर दीप्ति भल्ला से बात हुई. डाक्टर दीप्ति भल्ला लखनऊ में टूथ एंड इंप्लांटक्लीनिक चलाती है. वह कहती है कोरोना संक्रमण के दौर में अपनी ओरल हेल्थ का ध्यान रखे. ओरल हेल्थ में टूथ ब्रश, जीभ, दांतों की सफाई के साथ ही साथ अपने खानपान का भी ध्यान रखना होगा.

दीप्ति भल्ला

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टूथ ब्रश केयर:

टूथ ब्रश का प्रयोग करने के बाद उस पर थूक, खून और कीटाणु या जीवाणु लगे रह सकते है. कोरोना वायरस ठोस सतहों पर तीन दिनों तक रह सकता है. ऐसे में यह कोरोना संक्रमण का एक कारण हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि ब्रश को रोज सही तरह से साफ किया जाये. इसके लिये ब्रश करने के बाद ब्रश को गरम पानी से कुछ देर तक यही तरह से साफ करे. 5 से 10 मिनट तक ब्रश को गरम पानी में डूबा कर रखे. ब्रश करने से पहले भी ब्रश को सही तरह से धो कर प्रयोग करे. मुलायम ब्रश का प्रयोग करे. दांतों को रगड़े नहीं हल्के हाथों से साफ करे और मसूढ़ों की मालिश करे. किसी और का टूथ ब्रश कभी भी प्रयोग ना करे. ब्रश को सीधा खड़ा करके रखे जिससे इसमें हवा लगती रहे और यह सूखा रहे. समय समय पर टूथ ब्रश बदलते रहे. कोरोना संक्रमण के दौर में टूथ ब्रश की केयर बेहद जरूरी हो जाती है.

जीभ की सफाई:

मुंह की सफाई में जीभ की सफाई का बेहद महत्व होता है. इसके लिये आजकल टूथ ब्रश के ही पिछले हिस्से में दानेदार बना होता है. उससे जीभ को हल्के से रगड कर साफ करे. जीभ को साफ करने के लिये टंग क्लीनर भी आता है. यह प्लास्टिक, तांबे और स्टील की बनी बाजार में आती है. गंदी जीभ में वैक्टेरिया पैदा होते है जो दांतों में सड़न और कैविटी पैदा करती है. गंदी जीभ पर एक सफेद परत सी दिखाई देती है. जब जीभ साफ होती है तो जीभ गुलाबी और स्वस्थ्य दिखती है. साफ जीभ मुंह की दुर्गध को भी कम करती है. जीभ साफ होने से खाने का सही स्वाद मिलता है. यह स्वाद लेने की प्रक्रिया को बढाने का काम करती है. जीभ के साफ रहने से लार ज्यादा बनती है जो खाने को पचाने के काम आती है.

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पानी है नैचुरल माउथवॉश: 

पानी नैचुरल माउथ वाश है. सही मात्रा में पानी पीने से दांत और मुंह की सफाई होने के साथ ही साथ चाय कौफी और खाने पीने की चीजों के दाग नहीं पडते है. एंटीसेप्टिक माउथ वाश से मुंह की सफाई काफी असरदार होती है. इससे गरारे करे. यह करोना से बचाव में असरदार होता है. खाने पीने की चीजों का भी मुंह की साफ सफाई में असर होता है. खाने में सब्जी और फल का प्रयोग करे. इससे कई तरह के एंजाइम बनते है. जो दांतो को नैचुरल तरह से साफ करता है. विटामिन सी का प्रयोग भी दांतों और मुंह की हेल्थ के लिये ठीक रहता है.

ORAL HEALTH

दांतो की सफाई के लिये डेंटल फ्लॉस का प्रयोग करे. यह दांतों के बीच में सफाई करती है. इससे मसूढ़ों और दांतों में सड़न और सूजन पैदा नहीं होती है. फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का प्रयोग करे. शराब और तंबाकू के सेवन से बचे. बिना डाक्टर की सलाह के किसी तरह की दवा का प्रयोग ना करे.

कोरोनावायरस से हुई सीरियल “भाखरवाड़ी” के एक कर्मचारी की मौत, 8 लोग संक्रमित

कोरोनावायरस महामारी लगातार बढ़ती चली जा रही है. तो वहीं मुंबई में तमाम टीवी सीरियलों की शूटिंग भी शुरू हो चुकी है. आए दिन से किसी न किसी क्रू मेंबर या कलाकार के कोरोनावायरस संक्रमित होने की खबरें भी लगातार आती जा रही हैं.  इस लिस्ट में नया नाम सोनी सब के शो भाखरवाड़ी का है.

जेडी मजीठिया निर्मित और सब टीवी पर प्रसारित हो रहे हास्य सीरियल “भाखरवाड़ी” के सेट पर टेलर का काम करने वाले अब्दुल नामक कर्मचारी की कोरोना से मौत हो गई तथा एक इंसान गंभीर रूप से कोरोनावायरस से संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती है. जबकि 8 लोग कोरोना संक्रमित बताए गए हैं. निर्माता ने 3 दिन तक शूटिंग बंद रखने के बाद  पुनः शूटिंग शुरु कर दी.

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इस सीरियल के निर्माता जे डी मजीठिया ने इस घटना को बहुत दुखद करार देते हुए कहा कहा कि कर्मचारी के परिवार को पूरी मदद की जाएगी. हमने उसका बीमा भी करवाया था. कोशिश कर रहा हूं उसके परिवार को जल्द से जल्द मुआवजा दिला सकूं.

जे डी आगे जानकारी देते हुए कहते हैं कि अपने क्रू को संक्रमण से बचने के लिए उन्होंने सेट पर ही सभी का रहने का इंतज़ाम किया था.सभी का रोज़ तापमान और ऑक्सिजन चेक किया जाता था. जिसमें उसकी रिपोर्ट नार्मल थी. शूटिंग शुरू होने से लेकर 13 जुलाई तक वह सेट पर ही था.13 जुलाई को उसने कहा कि उसे अच्छा महसूस नहीं हो रहा है.वह घर जाना चाहता है. प्रोडक्शन टीम ने उसे जाने दे दिया. 19 तारीख तक हमारी टीम उसके संपर्क में थी.

जेडी मजीठिया के अनुसार अब्दुल पुनः शूटिंग पर आकर काम करने की बात कह रहा था. लेकिन अचानक 21 जुलाई को खबर मिली कि उसकी मौत हो गई है, जिससे जेडी मजीठिया को गहरा आघात लगा.

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अभी भी इस सीरियल से जुड़े 8 लोग कोरोना संक्रमित बताए जा रहे हैं कहा जा रहा है कि एक गंभीर रूप से पीड़ित होने की वजह से अस्पताल में है.

बता दें कि फिल्म और टीवी निर्माताओं के संगठन से जुड़े जे डी मजीठिया ने सीरियलों की शूटिंग शुरू करवाने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत की थी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कई बार मुलाकात की थी. हमें अच्छी तरह से याद है कि जेडी मजीठिया के इन प्रयासों की लोगों ने सराहना की थी. मगर कलाकारों की संस्था “सिंटा” को कलाकारों के स्वास्थ्य की चिंता सता रही थी.

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Friendship Day Special: ब्रेकअप से न पड़ने दें दोस्ती पर असर

अकसर देखा जाता है कि ब्रेकअप के बाद कपल एकदूसरे को भूलने के लिए क्या क्या नहीं करते, कभी एकदूसरे को सोशल साइट्स पर ब्लौक करते हैं तो कभी अनब्लौक. वैसी जगहों पर जाना छोड़ देते हैं जहां उन के पार्टनर आते हैं. कुछ तो कौमन फ्रैंड्स से भी दूरी बना लेते हैं ताकि उन्हें ब्रेकअप का कारण न बताना पड़े. कई बार ब्रेकअप से बाहर निकलने के लिए छोटीछोटी चीजें करने लगते हैं, जबरन सोशल साइट्स पर खुश दिखाने की कोशिश करने लगते हैं.

पर क्या कभी आप ने ब्रेकअप के बाद अपने एक्स से दोस्ती करने के बारे में सोचा है? यकीनन नहीं सोचा होगा लेकिन ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना आप के लिए फायदेमंद होता है. यह आप को मानसिक रूप से सबल बनाता है जिस से आप खुश रहते हैं और डिप्रेशन के गम से बाहर निकलते हैं.

क्यों पसंद नहीं करते दोस्ती करना

आमतौर पर लोग ब्रेकअप के बाद दोस्ती रखना इसलिए पसंद नहीं करते क्योंकि इस से उन्हें अपने साथी और उस की यादों से निकलने में काफी तकलीफ होती है. संपर्क में रहने से वे उन दिनों की यादों से नहीं निकल पाएंगे. पर ब्रेकअप के बाद आपस में दोस्ती का रिश्ता रख कर आप एकदूसरे की मदद कर सकते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है बल्कि इस से यह स्पष्ट होता है कि आप के दिल में एकदूसरे के प्रति कोई खराब भावनाएं नहीं हैं.

इसी का उदाहरण हैं बौलीवुड अदाकारा दीपिका पादुकोण. दीपिका ने अपने एक्स बौयफ्रैंड रणवीर कपूर से ब्रेकअप के बाद भी बहुत ही प्यारा और दोस्ताना रिश्ता रखा है. दीपिका की कई बातें हैं जो ब्रेकअप के बाद मूव औन करना और अपने एक्स के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना सिखाती है. पर्सनल बातों को किनारे रखते हुए प्रोफैशनली दीपिका ने रणवीर कपूर के साथ फिल्म साइन की और दर्शकों ने इस फिल्म को काफी पसंद किया. इस बात से पता चलता है कि हमें प्यार और काम में कैसे बैलेंस बना कर रखना चाहिए.

अगर आप और आप का एक्स एक ही जगह पढ़ते या काम करते हैं तो अपने काम को कभी भी रिश्ते की खातिर इग्नोर न करें और न ही ब्रेकअप को अपने ऊपर हावी होने दें.

ब्रेकअप के बाद हमें समझ नहीं आता कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं. गुस्से में हम ऐसी कई चीजें कर देते हैं जिन का एहसास हमें काफी समय बाद होता है.

क्या न करें

सोशल प्लेटफौर्म को छोड़ें नहीं

अक्सर ऐसा होता है कि ब्रेकअप के बाद हम सोशल प्लेटफौर्म को भी छोड़ देते हैं, अकाउंट डिएक्टीवेट कर देते हैं या फिर पार्टनर को ब्लौक कर देते हैं. ऐसा न करें बल्कि आप ऐसा कर के लोगों को और बोलने का मौका देती हैं. इसलिए सोशल साइट्स पर बने रहें. लेकिन एक बात का ध्यान रखें. आप वहां अपने इमोशन को ज्यादा पोस्ट न करें.

इंसल्ट करने की गलती न करें

ब्रेकअप की वजह से हम इतने तनाव में आ जाते हैं कि हम क्या करते हैं हमें खुद को भी नहीं पता होता इसलिए इंसल्ट करने की गलती न करें अगर आप ऐसा करती हैं तो नुकसान आप का ही है.

इमोशनल ब्लैकमेल न करें

लड़कियां ब्रेकअप के बाद काफी इमोशनल ब्लैकमेल करती हैं, बारबार फोन कर के रोती हैं. इस तरह की हरकत न करें. आप के ऐसा करने से पार्टनर को लगने लगता है कि अगर वह आप के टच में रहेगा तो उसे हमेशा आप का यह ड्रामा झेलना पड़ेगा.

ब्रेकअप के बाद न दिखाएं पौजेसिवनैस

कुछ लड़कियां जब तक रिलेशन में होती हैं तब तक वे रिलेशन को वैल्यू नहीं देती लेकिन जैसे ही ब्रेकअप होता है वे पौजेसिव बनने लगती हैं, अजीबअजीब हरकतें करने लगती हैं और दोस्ती बरकरार रखने का मौका खो देती हैं.

शहर व जौब छोड़ने की गलती न करें

ब्रेकअप के बाद एकदम अकेलाअकेला लगता है, किसी काम में मन नहीं लगता. कुछ तो जौब छोड़ देते हैं, शहर बदल लेते हैं ताकि सबकुछ भूल जाएं. लेकिन ऐसा कुछ करना सौल्यूशन नहीं है, ऐसा कर के आप किसी दूसरे का नहीं बल्कि खुद का भविष्य खराब करते हैं.

अवौइड करने की भूल न करें

ब्रेकअप के बाद आप पार्टनर को एकदम अवौइड न करें. ऐसा न करें कि जहां आप का पार्टनर जा रहा हो, आप वहां सिर्फ इसलिए जाने से मना कर दें कि वहां आप का एक्स बौयफ्रैंड भी आ रहा है. अवौइड कर के आप लोगों को मौका देती हैं कि लोग आप के बारे में बातें करें.

क्या करें

मिले तो करें नौर्मल बिहेव

ब्रेकअप के बाद जब पार्टनर से मिलें तो नौर्मल बिहेव करें, ऐसा न हो कि आप उसे हर बात पर पुरानी बातें याद दिलाते रहें, कहते रहें कि पहले सबकुछ कितना अच्छा था, हम कितनी मस्ती करते थे और आज देखो हमारे पास बात करने के लिए कुछ भी नहीं है. ऐसा भी न करें कि ब्रेकअप के बाद मिलें तो ओवर एक्साइटेड बिहेव करें, ये दिखाने के लिए कि आप बहुत खुश हैं, पहले से ज्यादा हैप्पी हैं. बल्कि ऐसे रहें जैसे आप अपने बाकी फ्रैंड्स के साथ रहती हैं.

मन से निकालें बौयफ्रैंड वाली फीलिंग

अपने बीच दोस्ती बनाए रखने के लिए सब से जरूरी है कि आप अपने मन से बौयफ्रैंड वाली फीलिंग निकाल दें क्योंकि आप जब तक इस चीज से बाहर नहीं निकलेंगी तब तक आप अपने बीच दोस्ती बरकरार नहीं रख पाएंगी.

चिल यार के फंडे को अपनाएं

ब्रेकअप के बाद खुद को स्ट्रौंग रखने के लिए चिल यार के फंडे को अपनाएं. आप सोच रही होंगी कि चिल यार का फंडा क्या है? चिल यार का फंडा है जैसे अपना मेकओवर करवाएं, फ्रैंड्स के साथ पार्टीज करें, वे सारी चीजें करें जो आप रिलेशनशिप की वजह से नहीं कर पाती थीं.

अपनी तरफ से दें फ्रैंडशिप प्रपोजल

भले ही सामने वाला आप से फ्रैंडशिप रखने में रुचि न दिखाए लेकिन आप फिर भी खुद से फ्रैंडशिप का प्रपोजल दें. आप के इस पौजेटिव व्यवहार को देख कर सामने वाला भी आप से दोस्ती बरकरार रखेगा.

एक सीमा तय करें

ब्रेकअप के बाद की दोस्ती में एक दायरा तय करें क्योंकि पहले की बात कुछ और थी. अब चीजें बदल चुकी हैं. अब आप दोनों दोस्त हैं. ऐसा न हो कि आप के बीच का रिश्ता तो खत्म हो गया है लेकिन इस के बाद भी आप के बीच कभी शारीरिक संबंध बन जाए. इसलिए एक दायरा तय करें. अगर आप ने तय किया है कि दोस्ती का रिश्ता बरकरार रखेंगे तो इस रिश्ते की गरिमा को बना कर रखें.

सुशांत के पिता की FIR के बाद अग्रिम जमानत के लिए अदालत जाएंगी रिया चक्रवर्ती

सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या करने के मामले में बड़ी तेजी से मोड़ आ रहे है . उनके पिता ने पटना के राजीव नगर थाने में रिया चक्रवर्ती और उनके पूरे परिवार के खिलाफ तमाम आरोपों के साथ एफ आई आर दर्ज करा दी है. पटना पुलिस के चार अफसर इसकी जांच करने के लिए मुंबई पहुंच चुके हैं. फिलहाल रिया चक्रवर्ती ने स्वयं को सुरक्षित करने की तमाम कोशिशें शुरू कर दी हैं.

सूत्रों के अनुसार मंगवाल की देर रात तक रिया चक्रवर्ती के घर पर वकीलों की एक टीम इस सारे मसले पर विचार विमर्श करती रही. रिया चक्रवर्ती के नजदीकी सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि रिया चक्रवर्ती आज अग्रिम जमानत के लिए अदालत में अपनी अर्जी दाखिल कर सकती हैं. सूत्रों का दावा है कि वकीलों ने रिया को सलाह दी है कि वह अग्रिम जमानत ले ले.

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उधर पटना पुलिस ने मुंबई में डीसीपी क्राइम मुंबई से संपर्क किया है. और वह आज रिया चक्रवर्ती, उनके माता पिता व भाई से पूछताछ करने के साथ-साथ सुशांत सिंह राजपूत और रिया चक्रवर्ती के बैंक खातों की नए सिरे से जांच भी करना चाहती है. सुशांत सिंह राजपूत के पिता ने आरोप लगाया है कि रिया चक्रवर्ती ने धोखे से सुशांत के बैंक से 15 करोड़ रुपए गायब कर दिए. इतना ही नहीं सुशांत के पिता का आरोप है कि रिया चक्रवर्ती ने सुशांत के घर से लाखों रुपए की नगदी, काफी जेवर ,लैपटॉप वगैरह भी अपने साथ लेकर गई है.

हमें याद रखना होगा कि रिया चक्रवर्ती कभी सुशांत सिंह राजपूत के साथ उनके घर में रहा करती थी. सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से रिया चक्रवर्ती लगातार सोशल मीडिया पर इमोशनल पोस्ट करती आई है और बीच में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखने के अलावा ट्वीट कर इस मामले की सीबीआई जांच करने की भी मांग की कर चुकी हैं.

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कंगना ने दी रिया को सलाह

रिया चक्रवर्ती के खिलाफ पटना में एफ आई आर दर्ज होते ही कंगना रानौत ने रिया चक्रवर्ती को सलाह दी कि अब उन्हें सब कुछ सच-सच बता देना चाहिए, रिया को कुछ भी नहीं छुपाना चाहिए.

अब घर बैठे खरीदें कार, Hyundai ने शुरू की ‘Click to Buy’ सर्विस

कार कंपनी हुंडई हमेशा अपने ग्राहकों की सुविधा का ख्याल रखती है, इसलिए समय-समय पर एक से बढ़कर एक नई सर्विस शुरू करती रहती है. तभी तो लोगों के बीच हुंडई एक भरोसेमंद कार निर्माता कंपनी है. इस कोरोना काल में ग्राहकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हुंडई ने ‘क्लिक टू बाय’ ऑप्शन की शुरुआत की है. जिससे ग्राहक घर बैठे ही अपनी मन पसंद कार खरीद सकेंगे.

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बता दें कि, हुंडई ग्रैंड i10 Nios तीन इंटीरियर डिजाइन कलर्स और छह अलग-अलग पावरट्रेन ऑप्शन्स में मौजूद है. तो अब कहीं और क्यों जाना, यकीनन आपकी परफेक्ट कार यहां मिल जाएगी. जो आपकी जरूरत के अनुसार एकदम फिट बैठती हो.

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यही नहीं जब आपको मनपसंदीदा कार मिल जाए तो उसे आप ‘Click to Buy’ सर्विस से ऑनलाइन ही खरीद सकते हैं. तो फिर देर किस बात की, हुंडई के ऑनलाइन पोर्टल पर जाइए और अपनी फेवरेट रंग की कार चुनिए. क्योंकि जब बात गाड़ी खरीदने की आती है तो हुंडई #MakesYouFeelAlive का एहसास करवाती है.

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मशरूम : कम लागत अधिक मुनाफा

रैडिशन और हयात जैसे होटल समूहों में अच्छी तनख्वाह पर नौकरी करने के बाद स्नेहांशु कुमार ने जब नौकरी छोङ कर मशरूम की खेती शुरू की तो लोग उन के इस निर्णय पर न सिर्फ हंसते थे, बल्कि उन का मजाक भी उङाते थे.

मातापिता को भी एकबारगी लगा कि बेटे पर इतने पैसे खर्च कर होटल मैनेजमैंट की पढ़ाई के लिए अच्छे कालेज में दाखिला दिलाया, सुविधाओं में पढ़ाया पर यह कैसी सनक सवार हो गई उसे कि वह नौकरी छोङ कर खेती करने लग गया?

लोगों को यह भी आश्चर्य हुआ जब खेती के लिए स्नेहांशु ने अपने घर में ही एक कमरे को चुना. स्नेहांशु बताते हैं,”अभिभावक की चिंता जायज थी मगर मैं जानता था कि मुझे आगे क्या करना है.”

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बिहार का मुजफ्फरपुर यों लिची उगाने के लिए खासा मशहूर है. पास ही वैशाली और हाजीपुर जिले में चीनिया केले की खेती भी खूब की जाती है पर इन दिनों एक तो लौकडाउन और दूसरा सरकारी उदासीनता की वजह से ये दोनों ही खेती किसानों को खास मुनाफा नहीं दे पाईं. समाचारों में आएदिन किसानों की बेबसी को देख कर स्नेहांशु का दिल भर आता था.

वे कहते हैं,”हमारे यहां खेती काफी हद तक मौनसून पर निर्भर करती है, यह मुझे पता था इसलिए मैं ने मशरूम की खेती करनी चाही. यह कम समय में अधिक मुनाफा देने वाली खेती है.

“कई लोग तो अभी भी मशरूम के बारे में अधिक नहीं जानते. वे इस की रैसिपी या तो किसी रेस्तरां में खाते हैं या फिर किसी समारोह में.

“जब मैं ने मशरूम की खेती की शुरूआत की तो कालोनी में कई लोगों को इस की जानकारी ही नहीं थी. मैं ने उन्हें मशरूम की खासियतों से अवगत कराया. उन्हें पहले खाने को दिए. धीरेधीरे लोग मेरे पास आने लगे. उन्हें मशरूम की सब्जी बेहद पसंद आई.”

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स्नेहांशु ने पहली बार अपने घर के एक छोटे से कमरे में मशरूम की फसल उगाई. फिर धीरेधीरे 5 कमरों में खेती करने लगे. अब वे स्थानीय बाजारों के साथसाथ मशरूम को बाहर भी भेजने लगे हैं.

फायदेमंद खेती

घर के कमरे में विशेष किस्म का ‘औयस्‍टर’ मशरूम की खेती करने के लिए वे 1 टैंक में लगभग 200 लीटर पानी भर देते हैं. फिर उस में लगभग 20 किलोग्राम भूसा भिगो कर घोल देते हैं. उस के बाद 10 ग्राम वैबस्टीन पाउडर और 250 एमएल फार्मेटिन भी टैंक में डाल देते हैं.

यह सब टैंक के पानी में मिलाने के बाद वह पूरे 24 घंटे उसे फर्श पर सुखाते हैं. सूखने के बाद इस में 1400 ग्राम (लगभग डेढ़ किलोग्राम)  बीज मिला कर अलगअलग लगभग 10 पैकेट तैयार कर लेते हैं और उन सभी पैकेटों को अपने कमरे में ही रख देते हैं. यह फसल 30 से 45 दिनों में मशरूम के रूप में तैयार हो जाती है.

स्नेहांशु बताते हैं कि वह पिछले साल यानी 2019 से इस काम में लगे हैं, लेकिन अपेक्षा से अधिक आय ने उन्हें अब इसे बड़े स्तर पर आजमाने के लिए प्रोत्साहित किया है.

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45 दिनों में तैयार होती है फसल

वह बताते हैं कि औइस्‍टर मशरूम की फसल तैयार करने के लिए उन्होंने कमरे का तापमान का खास खयाल रखा और तापमान 10 से 25 डिग्री सैल्सियस के बीच रखा. उन की पहली फसल 45 दिनों में तैयार हो गई.

आज उन के पास लोग अब खुद चल कर आने लगे हैं. वे बताते हैं कि उन्हें अपनी औइस्‍टर मशरूम प्रति पैकेट पर 250 तक का मुनाफा हो जा रहा है, वहीं लागत मात्र 30-35 तक ही आ रही है.

यों आमतौर पर मशरूम की 3 मुख्य  प्रजातियां हैं, जो भारतीय वातावरण में उपयुक्त हैं-

  1. बटन मशरूम
  2. ओइस्टर मशरूम (सीप मशरूम)
  3. पैडीस्ट्रा मशरूम (धान पुआल मशरूम)

स्नेहांशु बताते हैं कि भारत में बटन मशरूम उगाने का उपयुक्त समय अक्तूबर से मार्च महीने का रहता है. इस दौरान के तापमान में बटन मशरूम की खेती बिना किसी परेशानी के की जा सकती है.

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वहीं धान पुआल मशरूम के लिए मई से सितंबर तक का महीना अधिक उपयुक्त रहता है. इस समय तापमान भी आमतौर पर 25 से 38 डिग्री के आसपास रहता है और चूंकि यह खेती घर के अंदर भी की जा सकती है इसलिए अगर बाहर तापमान 40-42 डिग्री भी हो तो अंदर का तापमान इस से नीचे ही रहता है.

ऐसे बनाएं खाद

मशरूम की खेती के लिए सब से पहले खाद बना लें. खाद कितना बनाएं यह खेती पर निर्भर करता है. अगर 1 कमरे में खेती करने की योजना बना रहे हैं तो इस के लिए 1500 लिटर पानी की आवश्यकता होगी. आप इस के लिए एक टंकी रख लें, जिस में पानी जमा यानी स्टोर रहे. फिर इस में डेढ़ किलोग्राम फौर्मलिन व 150 ग्राम बेवस्टीम मिला कर लगभग 50 किलोग्राम भूसा मिला कर भिगो दें.

इसे भूसा का शुद्धिकरण कहते हैं. यह जितना शुद्ध होगा खेती उतनी ही अच्छी होगी.

बीज की बोआई

अब बीज बोआई करने की तैयारी कर लें. पहले भिगो कर रखे गए भूसे को हवा में सूखा लें फिर उसे बैग (बोरे या कट्टे) में भर लें. बैग की साइज 16×18 उपयुक्त है.

बैग में भूसा डाल कर बीज डाल दें फिर ऊपर से भूसा डाल दें. यह प्रक्रिया आप को लगभग 3-4 बार करनी होगी.

बैग में पानी न रहे इस के लिए उस के कोनों में 1-2 छेद कर दें, जिस से पानी बाहर निकल आए.

अब इन बैग्स को ऐसी जगह रखें जहां बाहरी हवा का प्रवेश न हो.

लगभग 15 दिनों के लिए कमरे की खिड़कियां व दरवाजे बंद कर दें.

15 दिनों के बाद हवा की जरूरत होगी.

इस के लिए कमरे की खिड़कियां व दरवाजे खोल दें व पंखा चला दें. आप को इस दिन तक मशरूम के सफेद रंग दिखने शुरू हो जाएंगे.

उचित रखरखाव

मशरूम के बैग्स का उचित रखरखाव जरूरी है. इन की जितनी देखभाल करेंगे, फसल उतनी ही अच्छी होगी.

40-45 दिनों के बाद मशरूम की फसल तैयार हो जाती है और आप इन्हें बैग्स से निकाल कर एक जगह इकट्ठा कर सकते हैं.

मशरूम को आकर्षक थैलियों में पैक कर सकते हैं. मांग के हिसाब से पैकिंग करें. आप इन्हें 100 ग्राम, 200 ग्राम, 250 ग्राम, आधा किलोग्राम और 1 किलोग्राम के आकर्षक थैलियों में पैक कर बाजार में सप्लाई कर सकते हैं.

मशरूम के 5 प्रमुख फायदे

मशरूम न सिर्फ खाने में स्वादिष्ठ होता है, शरीर के लिए फायदेमंद भी है. अधिकतर लोग मशरूम की सब्जी खाते हैं, लेकिन इस से मिठाईयां भी बनती हैं जो स्वाद और सेहत दोनों के लिए बेजोड़ रहता है.

  • इस में मौजूद फाइबर्स, पोटैशियम विटामिन सी से ब्लड प्रैशर नियंत्रित रहता है.
  • मशरूम में भरपूर मात्रा में कैल्सियम, विटामिन डी और फास्फोरस रहता है. इस से शरीर की हड्डियां मजबूत रहती हैं.
  • कैंसर जैसे असाध्य रोगों से लङने में सहायक है.
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है यानी यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है.
  • शरीर को अंदरूनी ताकत देता है और सैक्स पावर को बढ़ाता है.

सीमारेखा- भाग 3: मानसी के पड़ोसी को क्या दिक्कत थी?

‘‘वाह, यह खूब रही, तुम से दुर्व्यवहार कर के भी अम्लान प्रतिदिन कार्यालय आता है, सब से सामान्य व्यवहार करता है. क्या पता तुम से अपने घनिष्ठ संबंधों की चर्चा वह अपने साथियों से भी करता हो. फिर तुम क्यों मुंह छिपाए घर में पड़ी हो? कल से कार्यालय और घर में सामान्य कामकाज प्रारंभ करो. सुदीप से छिपाने जैसा भी इस में कुछ नहीं है, बल्कि उसे तो गर्व ही होगा कि थोड़े से साहस से काम ले कर तुम एक दुर्घटना से बच गईं,’’ विभा ने मानसी को समझाया. कुछ जलपान कर के व मानसी को समझाबुझा कर विभा चली गई. जातेजाते यह भी कह गई कि उस के होते हुए उसे घबराने या चिंता करने की आवश्यकता नहीं है. रातभर उधेड़बुन में खोए रहने के बाद मानसी ने निर्णय ले ही लिया कि निर्दोष होते हुए भी भला वह अपराधबोध को क्यों ढोए? उस ने तो अम्लान को केवल भाई समझा था. यदि वह एक भाई की गरिमा को नहीं समझ सका तो इस में उसी का दोष है. कार्यालय पहुंच कर एक क्षण को तो उसे ऐसा लगा, मानो सभी की निगाहें उसी पर टिकी हैं. पर शीघ्र ही सबकुछ सामान्य हो गया.

शाम को कार्यालय से छुट्टी होने के बाद वह बस स्टौप पर खड़ी थी कि अम्लान का स्कूटर आ कर रुका, ‘‘आइए मनु दीदी, मैं आप को छोड़ दूं,’’ वह बोला तो मानसी का मन हुआ उस का मुंह नोच ले

‘‘यह संबोधन तुम्हारे मुंह से शोभा नहीं देता. मैं तुम्हारी सूरत भी नहीं देखना चाहती,’’ मानसी तीखे स्वर में बोली.

‘‘ओह, तो आप अभी तक नाराज हैं? हमारी मित्रता क्या ऐसी छोटीमोटी बातों से समाप्त हो जाएगी?’’ अम्लान धृष्टता से बोला.

‘‘छोटीमोटी बात कहते हो तुम उस घटना को?’’ उत्तर में अम्लान पर मानसी ने ऐसी आग्नेय दृष्टि डाली कि वह एक क्षण के लिए भी वहां न रुक सका. मानसी घर पहुंची तो द्वार खोलते ही सामने सुदीप का पत्र दिखाई दिया. उस ने शीघ्रता से लिफाफा खोला. पत्र में सुदीप के मोती जैसे अक्षर चमक रहे थे.

‘‘प्रिय मानसी,

तुम्हारा पत्र पढ़ कर आज मेरा सिर गर्व से ऊंचा हो गया है. मेरी अनुपस्थिति में संभवतया तुम्हें एक त्रासदी से गुजरना पड़ा. पर इस के लिए अकेली तुम ही उत्तरदायी नहीं हो. मैं भी तुम्हारा अपराधी हूं. मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं.

‘‘तुम ने 6 महीनों का लंबा समय कितनी कठिनाई से गुजारा होगा, मैं समझ सकता हूं. अब तो केवल 6 मास शेष हैं. मैं तो चाहता हूं कि उड़ कर तुम्हारे पास पहुंच जाऊं या तुम्हें यहां बुला लूं, पर ऐसा संभव नहीं है. तुम चाहो तो छुट्टी ले कर मायके जा सकती हो. मेरे मातापिता तो हैं नहीं, वरना मैं तुम्हें वहीं जाने की सलाह देता. तुम अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र हो. मैं हर परिस्थति में तुम्हारे साथ हूं.

‘‘तुम्हारा, सुदीप.’’

पत्र पढ़ कर मानसी देर तक रोती रही. उसे ऐसा महसूस हुआ, मानो मन का बोझ आंखों की राह बह जाना चाहता हो और पत्र के माध्यम से सुदीप स्वयं उसे सांत्वना देने चला आया हो. सुदीप का विचार मन में आते ही उस ने आंसू पोंछ डाले और मन को दृढ़ किया. उसे ऐसा लगा, जैसे शरीर में नए उत्साह का संचार हो रहा हो. वह सोचने लगी, उस का सुदीप उस के साथ है तो वह किसी भी परिस्थिति का साहस से सामना कर सकती है. क्यों डरे वह किसी से? क्यों जाए कहीं. इसी घर में सुदीप के इसी प्यार के साथ वह 6 महीने भी काट लेगी.

 

सीमारेखा- भाग 2: मानसी के पड़ोसी को क्या दिक्कत थी?

पर अम्लान की बात अलग ही थी. सहजता से उस ने मानसी को ‘दीदी’ संबोधन दिया तो वह पुलक उठी. वह परिवार में सब से छोटी थी, दीदी कहने वाला कोई नहीं था. यही नहीं, अम्लान ने शीघ्र ही सुदीप से भी घनिष्ठता स्थापित कर ली. ऐसे में स्वाभाविक ही था कि जब मानसी दीदी थी तो सुदीप जीजा बन गया. धीरेधीरे अम्लान घर का ही सदस्य बन गया. वह घंटों सुदीप व मानसी से बातें करता रहता. अम्लान अकसर डिनर भी उन्हीं के साथ ले लेता. मानसी को उस के आत्मीय व्यवहार में कहीं भी कोई खोट कभी नजर न आई थी. वह  दिन आज भी मानसी की स्मृति में ज्यों का त्यों ताजा था, जब सुदीप इतराता व पुलकित होता घर लौटा था.

‘क्या हुआ, बहुत प्रसन्न नजर आ रहे हो?’ मानसी अपनी उत्सुकता दबा न सकी थी.

‘सुनोगी तो फड़क उठोगी. लगभग सौ लोगों में से विदेश में प्रशिक्षण के लिए मुझे चुना गया है,’ सुदीप अपनी ही प्रसन्नता में इस प्रकार डूबा था कि मानसी के चेहरे के बदलते रंग की ओर उस का ध्यान ही न गया.

‘कितनी अवधि के लिए जाना होगा?’ मानसी ने डूबते स्वर में प्रश्न किया. ‘1 वर्ष के लिए, क्या बात है, तुम्हें प्रसन्नता नहीं हुई?’ सुदीप ने मानो मानसी के मनोभावों को पढ़ लिया.

‘मैं इतने लंबे समय तक अकेली नहीं रह पाऊंगी,’ मानसी ने अपने मनोभाव प्रकट किए थे.

‘क्या गंवारोें जैसी बातें कर रही हो, अब तुम छोटे से कसबे से आई अबोध मानसी नहीं हो, अब तो तुम आत्मविश्वास से भरपूर आधुनिका हो, जो स्वयं अपने पैरों पर खड़ी है.’

‘नहीं, मैं अकेली 1 वर्ष तक यहां नहीं रह सकूंगी,’ मानसी ने घोषणा कर दी तो सुदीप सोच में पड़ गया. उस के व मानसी के परिवार में कोई भी तो ऐसा नहीं था, जो आ कर 1 वर्ष के लिए उस के साथ रह सकता. पर अम्लान ने अपने अकाट्य तर्कों से न केवल सुदीप को आश्वस्त किया बल्कि मानसी को भी अपनी भावी योजना बदलने को प्रेरित किया, ‘मनु दीदी, तुम्हें डर किस बात का है? कितना अच्छा पड़ोस है. सुरक्षा की कोई समस्या ही नहीं. आवास योजना के अधिकारी काफी चुस्तदुरुस्त हैं और मैं हूं न तुम्हारी सहायता के लिए?’ अम्लान के स्वर ने उसे पूर्णतया आश्वस्त कर दिया था. सुदीप के जाने के बाद अम्लान ने उस की प्रतिदिन की जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर ले लिया. सच तो यह था कि अम्लान ने एक दिन के लिए भी सुदीप की अनुपस्थिति या अकेलापन उसे महसूस न होने दिया. पर आज जो हुआ, उस के लिए मानसी तनिक भी तैयार नहीं थी, मानो किसी ने अचानक उसे उठा कर तेल की खौलती कड़ाही में फेंक दिया हो. न जाने कितनी देर तक उस के आंसू अनवरत बहते रहे, मानो मन का सारा गुबार आंखों की राह ही बह जाना चाहता हो. जब आंसू स्वत: ही सूख गए तो बहुत साहस कर के वह उठी. सैंडविच और पकौड़े खाने की मेज पर यों ही पड़े थे, पर उस की तो भूख ही उड़ चुकी थी. किसी तरह पानी के कुछ घूंट गले से उतार कर वह बिस्तर पर जा पड़ी पर नींद उस की आंखों से कोसों दूर थी.

मानसी को बचपन में मां द्वारा दी गई हिदायतें याद आ रही थीं. मां ने उसे व उस की बहन को सदा यही समझाया था कि किसी पर भी आंख मूंद कर विश्वास मत करो. इस संसार में ज्यादातर लोग अवसर का अनुचित लाभ उठाने से नहीं चूकते. मां अकसर बातबात में कहती थीं कि यदि स्त्री के मन में खोट न हो तो किसी पुरुष का साहस नहीं कि उस पर बुरी नजर डाल सके. मानसी के मन में बारबार एक ही बात आ रही थी कि क्या अम्लान के ऐसे व्यवहार के लिए वह स्वयं ही उत्तरदायी है? वह जितना भी सोचती उतनी ही उस की अपने प्रति घृणा बढ़ती जाती. अम्लान भी तो उस पर लांछन लगा कर अपमानित कर गया था. यह सच था कि अम्लान अकसर ही उस के सौंदर्य की प्रशंसा किया करता था और वह सुन कर पुलक उठती थी. पर उस का अर्थ सदा उस ने यही समझा था कि सौंदर्य होता ही प्रशंसा के लिए है. सच तो यह है कि बचपन से ही उसे अपनी सुदंरता की प्रशंसा सुनने की आदत पड़ी हुई थी. सो, उसे अम्लान की प्रशंसा में कुछ भी खोट नजर न आई थी.

पर अब उसे लगा, शायद अम्लान बारबार उस के सौंदर्य की प्रशंसा कर के स्त्री की सब से बड़ी कमजोरी का लाभ उठाना चाहता था. सुदीप ने भी तो उस के सौंदर्य पर रीझ कर ही उसे अपनाया था. पर विवाह के बाद कभी उस की प्रशंसा के पुल न बांधे. शायद उस ने कभी उसे अनावश्यक रूप से प्रसन्न करने की आवश्यकता न समझी थी. वैसे भी सुदीप अंतर्मुखी प्रवृत्ति का व्यक्ति था. व्यर्थ का दिखावा करना उस की आदत में शुमार न था. क्या इसीलिए अनजाने ही अम्लान से उस की घनिष्ठता बढ़ती चली गई थी? मानसी को आश्चर्य हो रहा था कि सुदीप ने कभी इस घनिष्ठता पर आपत्ति नहीं की थी. करता भी क्यों? वह बेचारा कहां जान पाया होगा कि अम्लान का ‘दीदी’ संबोधन केवल दिखावा है. पर वह स्वयं इस छलावे से छली गई थी, यह तो उस से भी अधिक आश्चर्य की बात थी.

रातभर इन्हीं सब विचारोें के तूफान में डूबतेउतराते कब वह सो गई, उसे पता ही न चला. सुबह कामवाली बाई व दूध वाले ने द्वार की घंटी बजाई तो उसे लगा कि दिन काफी चढ़ आया है. किसी तरह पैर घसीटते हुए उस ने दरवाजा खोला.

‘‘क्या हुआ मेमसाहब, अभी तक सो रही हैं? तबीयत खराब है क्या?’’

‘‘हां, सिर दर्द से फटा जा रहा है. आज दफ्तर से छुट्टी ले लूंगी. जाने का मन नहीं है,’’ मानसी धीरे से बोली.

‘‘सिर दबा दूं क्या?’’ राधा ने पूछा.

‘‘नहीं, तुम दूध गरम कर के मेरे लिए कुछ नाश्ता बना दो. कल रात को भी कुछ नहीं खाया था. शायद इसीलिए तबीयत खराब हो गई,’’ उस ने राधा को हिदायत दी. मानसी जब तक तरोताजा हो कर लौटी, राधा ने नाश्ता मेज पर सजा दिया था. राधा दोपहर में आ कर भी हालचाल पूछ गई थी. यों शारीरिक रूप से मानसी स्वस्थ ही थी, पर मानसिक रूप से अम्लान के व्यवहार ने उसे पंगु बना कर रख दिया था. तीसरे दिन भी मानसी की वही दशा थी. दिन ढलने तक वह बिस्तर पर ही पड़ी थी. अचानक द्वार की घंटी बजी. दरवाजा खोला तो सामने उस की सहयोगी विभा खड़ी थी.

‘‘विभा दीदी,’’ उसे देखते ही मानसी उस से लिपट कर फूटफूट कर रो पड़ी.

‘‘क्या हुआ, मानसी? खैरियत तो है? मैं ने सोचा तुम 3 दिनों से कार्यालय नहीं आईं, इसलिए मिलने चली आई,’’ विभा आश्चर्यचकित सी बोली. जरा सी सहानुभूति पाते ही मानसी के अंदर जमा लावा बह चला. आंसुओं के बीच सिसकते हुए उस ने अम्लान और उस के बीच घटी पूरी घटना कह सुनाई.

‘‘बड़ी मूर्ख है, तू भी, इतनी सी बात के लिए आंसू बहा रही है. जिस तरह तुम्हारी व अम्लान की घनिष्ठता बढ़ रही थी, ऐसा कुछ होना कोई आश्चर्य की बात तो नहीं थी,’’ विभा ने अपनी राय दी.

‘‘क्या कह रही हैं, विभा दीदी?’’ मानसी चौंकी थी.

‘‘चाहे तुम्हें बुरा भी लगे, पर मैं सच ही कहूंगी. जब सारे कार्यालय में तुम्हारे व अम्लान के घनिष्ठ संबंधों की चर्चा हो रही थी, तब तुम उस से अनजान कैसे बनी रहीं?’’

‘‘आप ने पहले मुझ से कभी भी कुछ नहीं कहा?’’ मानसी आश्चर्यचकित थी.

‘‘ऐसे अवसरों पर कहनेसुनने का कोई विशेष प्रभाव नहीं होता. हर व्यक्ति अपने व्यक्तिगत अनुभवों से ही सबक लेता है. मुझे लगा कि यदि मैं कुछ कहने का प्रयत्न करूं भी तो शायद तुम उस का गलत अर्थ निकालो. फिर मैं ने सोचा कि सुदीप के आने पर खुद ही अम्लान से तुम्हारी घनिष्ठता कम हो जाएगी.’’

‘‘क्या कहूं, मुझे तो स्वयं पर ही शर्म आ रही है. मैं सुदीप को क्या मुंह दिखाऊंगी,’’ मानसी ने इतने धीमे स्वर में अपने विचार प्रकट किए, मानो स्वयं से ही बात कर रही हो.

‘‘अम्लान की भूल के लिए स्वयं को दोषी ठहराने की कोई आवश्यकता नहीं है. मैं तो तुम्हें केवल यह समझाने का यत्न कर रही हूं कि हम महिलाओं को पुरुषों से मित्रता की सीमारेखा अवश्य रखनी चाहिए, अवसर मिलने पर अपने संबंधी तक अवसर का लाभ उठाने से नहीं चूकते.’’

‘‘आप ठीक कह रही हैं, दीदी. मेरा अनुभव मुझे भविष्य में अवश्य ही सतर्क रहने की प्रेरणा देगा, पर अभी मैं क्या करूं? सुदीप भी यहां नहीं हैं?’’

साइलेंट स्प्रेडर है कोरोना

कोरोना के लक्षणों के बारे में अभी तक डॉक्टर और रिसर्चर्स किसी निश्चित नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं. ये कैसे और किस-किस तरीके से फ़ैल रहा है, इसको लेकर भी हर दिन नयी बातें सामने आ रही हैं. हाल ही में हुए ताज़ा सर्वे रिपोर्ट्स बताती हैं कि बहुतेरे लोगों को तो कोरोना हो कर ख़त्म भी हो गया और उनको पता ही नहीं चला. रेंडम कोरोना टेस्ट में मालूम चला कि वे कोरोना से ग्रस्त होकर ठीक भी हो चुके हैं क्योंकि टेस्ट सैंपल की जांच में पता चला कि उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडीज़ मौजूद हैं. जबकि कोरोना होने का कोई लक्षण उनमें कभी नहीं उभरा.

पहले ये कहा जा रहा था कि कोरोना का मुख्य लक्षण है तेज़ बुखार. इसको जांचने के लिए बहुत बड़ी तादात में ऐसे थर्मामीटर से बाज़ार भर गया जो इंसान के माथे पर दूर से लगाने पर बुखार दर्ज करते हैं. ये थर्मामीटर लाखों की तादात में खरीदे गए. दुनियाभर की कंपनियों, दफ्तरों, मॉल, छोटी-बड़ी दुकानों, मेट्रो, रेलवे और बस स्टेशन, हवाईअड्डों, मेडिकल सेंटरों, अस्पतालों आदि में इन्ही थर्मामीटर से हर आने-जाने वाले व्यक्ति की जांच हो रही थी और अब भी हो रही है कि कहीं उसको कोरोना का लक्षण दिखाने वाला बुखार तो नहीं है.

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मगर हैरत की बात है कि अब पता चला है कि बुखार होना कोरोना का मुख्य लक्षण है ही नहीं. बहुतेरे लोगों को तो कोरोना होने के बावजूद बुखार होता ही नहीं है. भारत में बहुत कम मरीजों में ही बुखार कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों के रूप में सामने आया है. दिल्ली स्थित एम्स के अध्ययन से यह बात सामने आयी है कि सिर्फ 14 फीसदी मरीजों को ही संक्रमण के दौरान बुखार था. देश में महामारी के शुरूआती दौर में एम्स में भर्ती रहे मरीजों पर यह अध्ययन किया गया, जिसका विवरण इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ है. यह संस्थान आईसीएमआर से संबद्ध है.

शोधकर्ताओं ने 144 मरीजों के अध्ययन के आधार पर कहा है कि दुनिया के बाकी देशों के विपरीत भारत में संक्रमित मरीजों में बुखार प्रमुख लक्षण नहीं था. वायरस के शुरूआती लक्षणों और उपचार के दौरान के लक्षणों में मरीजों ने सांस से जुड़ी परेशानियां ज्यादा महसूस कीं. शोधकर्ताओं ने पाया कि मात्र 17 प्रतिशत मरीजों को ही बुखार आया था. शोध के निष्कर्षों पर दिल्ली एम्स के निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया का कहना है कि वायरस के लक्षणों के बारे में हमें समय के साथ कुछ नया पता लग रहा है. यह संक्रमण हमारे आंकलन से कहीं ज्यादा तीव्रता और व्यवस्थित ढंग से फैल रहा था.

यानी भारत में बिना लक्षण ज़ाहिर किये कोरोना बहुत खामोशी से अपने कदम बढ़ा रहा था, बिलकुल एक साइलेंट स्प्रेडर की तरह. जबकि चीन में जब ये फैलना शुरू हुआ था तो इसका मुख्य लक्षण बुखार ही था. मरीज़ तेज़ बुखार में छटपटाता था और इसके साथ ही उसको तीव्र खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती थी. भारत के विपरीत चीन में 44 प्रतिशत संक्रमित मरीजों में जांच के दौरान बुखार पाया गया जबकि अस्पताल में उपचार के दौरान 88 प्रतिशत मरीजों को बुखार रहता था. दूसरे देशों में भी कोरोना पीड़ित मरीजों में बुखार एक प्रमुख लक्षण रहा है.

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एम्स, दिल्ली में 23 मार्च से 15 अप्रैल तक भर्ती रहे 144 मरीजों पर किया गया अध्यन बताता है कि यहाँ भर्ती  144 मरीज में से मात्र 17 प्रतिशत मरीजों को ही बुखार था. जिन लोगों पर शोध हुआ वे उत्तर भारत के अलग-अलग शहरों से थे. इन मरीज़ों में 134 पुरुष थे जिसमें दस विदेशी नागरिक भी शामिल थे. इन मरीजों की औसत उम्र 40 साल थी. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन मरीजों को संक्रमण ऐसे राज्यों की यात्रा के दौरान हुआ, जो वायरस प्रभावित थे. कई मरीजों को भीड़भाड़ वाले इलाकों, एयरपोर्ट व अन्य सार्वजनिक स्थानों में किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आकर संक्रमण हुआ. इन मरीजों में एक हेल्थ वर्कर और एक प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल था जो काम के दौरान संक्रमित हो गए. इन 144 मरीज़ों का अध्यन कर रहे इस शोधदल में एम्स के निदेशक डॉ. रंजीत गुलेरिया समेत 29 विशेषज्ञ शामिल थे.

शोधकर्ताओं ने पाया कि सिम्प्टोमैटिक यानी रोगसूचक मरीजों में श्वसन संबंधी समस्याएं, गले में खराश और खांसी जैसे कोरोना के लक्षण देखे गए. इन मरीजों में 44 प्रतिशत मरीज एसिम्प्टोमैटिक थे जिनमें अस्पताल में भर्ती होने से उपचार होने तक कभी बुखार नहीं देखा गया. इस आधार पर शोधकर्ताओं का आकलन है कि उस वक्त भी कोरोना वायरस ‘साइलेंट स्प्रेडर’ की तरह बिना लक्षण के लोगों को संक्रमित कर रहा था.

शोधकर्ताओं ने 144 मरीजों के लक्षणों के आधार पर बताया कि उस वक्त ज्यादातर कम उम्र वाले मरीज थे. अधिकांश मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण नहीं दिख रहे थे. लक्षण दिखने वाले मरीजों में खांसी सबसे सामान्य लक्षण था जबकि बुखार बहुत ही कम लोगों में था. कई मरीजों की आरटीपीसीआर जांच के निगेटिव आने में लंबा वक्त लगा. साथ ही उपचार के दौरान इन मरीजों को आईसीयू की जरूरत बहुत कम पड़ी.

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इस अध्यन के आधार पर अब शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष निकाला है कि चूंकि बहुत कम पॉजिटिव मरीजों को बुखार था इस हिसाब से आगे भी मरीजों की जांच व उपचार के दौरान मरीजों के दूसरे शारीरिक लक्षणों पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

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गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अच्छी बात ये है कि इस जानलेवा बीमारी से ठीक होने वालों की तादाद भी बढ़ी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में अभी कुल 13,85,522 कोरोना के केस हैं. अबतक कुल 32,063 लोगों की कोरोना से जान जा चुकी है. कुल केसों में से 8,85,577 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं वहीं 4,67,882 केस फिलहाल ऐक्टिव हैं. मगर देश में बहुत बड़ी संख्या उन लोगों की है जिन्हे कोरोना है मगर कोई लक्षण ना दिखने के कारण उनको अपनी बीमारी का पता ही नहीं है.

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