कोरोना वायरस कहर के बीच आजकल बाजार में डिजाइनर मास्क की धूम है. और हों भी क्यों नहीं क्योंकि मास्क अब जरूरत ही नहीं फैशन में शुमार हो चुका है. अब तो सोनेचांदी और हीरे जङित मास्क भी दिखने लगे हैं. इतना ही नहीं, राजनीतिक पार्टियों के लोगो लगे मास्क तक बाजार में उतर आए हैं.
ऐसे में अब बच्चों के लिए भी कार्टून कैरेक्टर वाले मास्क ने बाजार में ऐंट्री ले ली है, जिस में डोरेमोन, शिनचैन से ले कर पोकेमोन जैसे मास्क शामिल हैं.
महामारी से बचाव के लिए सरकार ने मास्क पहनना सब से जरूरी बताया है, क्योंकि कोरोना से अभी हमारी लड़ाई लंबी चलने वाली है. अभी जब भारत में कोरोना वायरस मरीजों का आंकड़ा 11 लाख पार हो गया है, तो हर किसी को मास्क पहनना बहुत जरूरी है. और अब तो हवा में भी कोरोना वायरस फैलने का दावा किया जा रहा है.
ऐक्सपर्ट का कहना है कि कोरोना वायरस हवा में 1 से डेढ़ घंटे तक जीवित रह सकता है. इसलिए मास्क जरूर पहनें ताकि आप खुद को संक्रमित होने से बचा सकें.
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ऐक्सपर्ट का कहना है कि लौकडाउन पूरी तरह से खुल जाने के बाद सोशल डिस्टैंसिंग का पालन करना लोगों के लिए असंभव हो जाएगा. ऐसे में मास्क पहन कर ही आप खुद को सुरक्षित रख सकते हैं.
तमाम शोध भी यही कहते हैं कि मास्क पहनने से लगभग 90% तक कोरोना संक्रमण से बचाव होता है.
हालांकि, मास्क पहनने की बात अकसर बड़ों के लिए की जाती है, लेकिन कई बार लोगों के जेहन में यह सवाल भी आता है कि क्या छोटे बच्चे को भी मास्क पहनना जरूरी है?
घातक हो सकता है
आप को यह जान कर हैरानी होगी कि बच्चों के लिए मास्क पहनना घातक साबित हो सकता है और यह बात एक स्टडी से सामने आई है.
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अमेरिका और जापान में हुई स्टडी में सामने आया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को मास्क पहनना उस की सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है. स्टडी में दावा किया गया है कि इतने छोड़े बच्चों में सांस लेने की जगह इतनी संकरी होती है कि मास्क पहनने से उन के दिल पर दबाव पड़ सकता है. बच्चों को सांस से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं. इसलिए इस का यही उपाय है कि बच्चों को जितना हो सके घर में रखा जाए. बाहर निकालना बहुत जरूरी हो तो भी बच्चे को भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रखें. बाहरी लोगों के संपर्क से बच्चों को दूर रखें.
डाक्टरों ने भी चेतावनी देते हुए कहा है कि लंबे समय तक बच्चों को मास्क पहनाना अमूमन अच्छा नहीं होता. लेकिन कोरोना से बचाव के लिए मास्क पहनाना जरूरी है, इसलिए बच्चों के लिए किसी भी तरह के फैंसी या मैडिकेटैड मास्क से अलग साधारण मास्क ही बेहतर होते हैं.
बेहतर मास्क
बच्चे शारीरिक रूप से ज्यादा ऐक्टिव होते हैं ऐसे में सिंथैटिक या मैडिकेटैड मास्क से उन्हें दिक्कत हो सकती है जबकि साधारण और सूती कपङे से बने कपड़े का मास्क पहनाना ही बेहतर है.
ऐसे बच्चे जिन्हें सांस संबंधी शिकायत हो तो उन्हें मास्क पहनाना खतरनाक हो सकता है, खासकर बच्चा जब 2 वर्ष से कम उम्र का हो. इस से बच्चे का दम घुट सकता है और वह बेहोश हो सकता है.
छोटे बच्चे बिना किसी सहायता के मास्क हटाने में असमर्थ होते हैं. गरमी के दिनों में मास्क पहनाने से उन की त्वचा पर रैशेज हो सकते हैं.
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यूएस सैंटर फौर डीजीज कंट्रोल और अमेरिकन ऐकैडमी औफ पीडियाट्रिक्स ने छोटे बच्चों को मास्क न पहनाने की चेतावनी दी है.
ध्यान रखें
अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए इन सुझावों पर ध्यान दें :
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• पेरैंट्स अगर बाहर से आ रहे हैं तो वे अपने बच्चे को छूने से पहले हाथों को साबुन से अच्छी तरह धो लें.
• 2 साल से बड़े बच्चों को हाथ धोना सिखाएं. उन्हें बारबार अपना चेहरा छूने से मना करें.
•बच्चे को दूध पिलाते समय या गोद में लेते समय मास्क जरूर पहनें.
• हमेशा सूती कपड़े से बने मास्क के प्रयोग को प्राथमिकता दें.
• पुराने सूट, दुपट्टे, साड़ी से काट कर भी घर में स्वास्थ्यवर्धक मास्क बनाया जा सकता है.
• बच्चों के लिए मास्क बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उन का मास्क सूती कपड़े का हो और वह पतला हो, ताकि उन्हें सांस लेने में कोई परेशानी न हो.
• पेरैंट्स को कोशिश यही करनी चाहिए कि वे 3 साल से कम उम्र के बच्चों को बाहर ले कर न जाएं.