भारत की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का खास योगदान रहा है. विश्व में भारत दूध उत्पादन के मामले में पहले नंबर पर है. हरियाणा प्रदेश की सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था में पशुधन का स्थान प्रमुख रहा है. हरियाणा में 60 से 65 फीसदी लोग खेती के साथसाथ पशुपालन का व्यवसाय भी करते हैं. सरकार की अनेक योजनाएं किसानों और पशुपालकों के लिए आती रहती हैं, जिन में उम्दा किस्म के पशु तैयार करना, डेरी लगाना, सुअरपालन, भेड़बकरीपालन जैसी योजनाएं शामिल हैं.
यहां पशुपालन से संबंधित कुछ खास जानकारी पशुपालन एवं डेरी विभाग, हरियाणा के द्वारा दी गई हैं, जिन पर अमल कर के प्रदेश के पशुपालक अपने पशुओं से अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं.
सघन मुर्रा विकास योजना : विश्व प्रसिद्ध मुर्रा नस्ल की भैंस को
बढ़ावा देने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा यह योजना चलाई जा रही है. इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों को उत्तम मुर्रा भैंस पालने के लिए बढ़ावा देना और भैंस की नस्ल में अधिक विकास करना है. इस में पशुपालन विभाग की एक टीम द्वारा इस दिशा में काम किया जाता है. चुनी गई मुर्रा नस्ल की भैंसों का बीमा भी कराया जाता है, जिस के तहत कुल बीमा राशि का 50 फीसदी प्रीमियम विभाग द्वारा दिया जाता है. पशुपालक को केवल 50 फीसदी ही प्रीमियम देना होता है. भैंस की बीमा राशि का आकलन उस की दूध देने की कूवत पर निर्भर करता है. जो भैंस 1 दिन में 25 किलोग्राम से ज्यादा दूध देती है उस के लिए 30000 रुपए, 22 से 25 किलोग्राम दूध रोजाना देने वाली भैंसों के लिए 20000 रुपए और 18 से 22 किलोग्राम रोजाना दूध देने वाली भैंसों के लिए 15000 रुपए का बीमा किया जाता है.
मुर्रा कटरों की खरीद : पशुपालन विभाग की इस योजना में खास दुधारू भैंसों से पैदा हुए कटरों को 12 से 15 महीने की उम्र में विभाग द्वारा खरीदा जाता है. उन को विभाग द्वारा खास देखभाल कर उत्तम झोटा बना दिया जाता है और कुदरती प्राकृतिक प्रजनन सुविधा देने के लिए ग्राम पंचायतों को कम दामों पर मुहैया कराया जाता है.
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इस के अलावा इस योजना के तहत गायों और भैंसों की प्रजातियों का संरक्षण और विकास किया जाता है. कृत्रिम गर्भाधान भी किया जाता है, क्योंकि पशुओं में तेजी से नस्ल सुधारने के लिए कृत्रिम गर्भाधान ही एक सफल विधि है. विभाग द्वारा कृत्रिम गर्भाधान की सुविधाएं पशुपालकों के घर तक भी पहुंचाई जा रही हैं, ताकि पशुओं को लाने और ले जाने में कोई परेशानी न हो. कृत्रिम गर्भाधान काफी कम कीमत पर पशुपालक के घर जा कर किया जाता है. देशी गायों के लिए (गौसंवर्द्धन) योजना : इस योजना का खास मकसद गायों की देशी नस्लों को बचाना और उन का विकास करना है. देशी नस्ल की गायों के मालिकों को प्रोत्साहित करने के मकसद से नकद राशि दिए जाने का प्रावधान है. इस योजना के तहत हरियाणा और साहीवाल नस्ल की गायों के मालिकों को दूध उत्पादन की कूवत के मुताबिक प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
हरियाणा नस्ल गाय के लिए : इस नस्ल की 8 से 10 लीटर रोजाना दूध देने वाली गाय को 10000 रुपए, 10 से 12 लीटर दूध देने वाली गाय को 15000 रुपए और 12 लीटर से अधिक दूध देने वाली गाय को 20000 रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. साहिवाल गाय के लिए : इस नस्ल की 10 से 12 लीटर रोजाना दूध देने वाली गाय को 10000 रुपए, 12 से 15 लीटर प्रतिदिन दूध देने वाली गाय को 15000 रुपए और 15 लीटर से ज्यादा दूध देने वाली गाय के लिए 20000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
डेरी लगाना : बेरोजगार लोगों को ध्यान में रख कर विभाग द्वारा यह योजना चलाई जा रही है. नौजवानों के परिवारों की आमदनी बढ़ाना, उन की आर्थिक स्थिति सुधारना और दूध की बढ़ती मांग को पूरा करना इस योजना का मकसद है.
इस योजना के तहत बेरोजगार युवक की उम्र 18 से 55 साल के बीच होनी चाहिए और उस के पास किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान द्वारा डेरी प्रशिक्षण का प्रमाणपत्र होना चाहिए. विभाग द्वारा चुने गए डेरी लगाने वालो को मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है और बैंक द्वारा लोन मुहैया कराने में भी सहायता दी जाती है. विभाग द्वारा सभी दुधारू पशुओं का बीमा कराया जाता है, जिस का 50 फीसदी प्रीमियम लाभ दिया जाता है. बीअनुसूचित जाति के लाभार्थियों को बीमा राशि में 100 फीसदी की छूट मिलती है. योजना के तहत 3, 5, 10 दुधारू पशु से डेरी शुरू करने पर 25 फीसदी राशि सरकार द्वारा अनुदान में दी जाती है.
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हरियाणा राज्य में गौपालन को बढ़ावा देने के लिए साल 2015-16 से 3 और 5 देसी नस्ल की गायों की डेरी लगाने वाले पशुपालकों को 50 फीसदी अनुदान दिए जाने का प्रावधान है.
सुअरपालन : हरियाणा सरकार की इस योजना के तहत अनुसूचित जाति के परिवार को सुअरपालन इकाई लगाने के लिए विभाग द्वारा 50 फीसदी अनुदान राशि दी जाती है, और बाकी 50 फीसदी राशि बैंक द्वारा लोन के रूप में दिलवाई जाती है. देखें बाक्स
भेड़पालन बकरीपालन : साल 2016-17 के दौरान भेड़पालन को अधिक लाभकारी बनाने के लिए इस योभीजना के तहत विभाग द्वारा 50 फीसदी अनुदान राशि दी जाती है और बाकी 50 फीसदी राशि बैंक द्वारा लोन के रूप में दिलवाई जाती है. देखें बाक्स
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बीमारियों से बचाव
पशुओं को घातक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण भी बहुत खास काम है, जो विभाग द्वारा किया जाता है. इस के तहत गलघोंटू, मुंहपका व खुरपका रोग जैसे अनेक रोगों का टीकाकरण मुफ्त किया जाता है.इस के अलावा विभाग द्वारा समयसमय पर अनेक पशुपालन शिविरों का आयोजन किया जाता है, जिन में दूध देने में कमी, देर से पशु का जवान होना, लंबे समय तक गर्भधारण न करना आदि समस्याओं को हल किया जाता है.