व्हाट्सऐप पर कुछ दोस्तों ने एक गु्रप बनाया और उस के बाद उस पर संदेशों का आदानप्रदान शुरू हुआ. ऐसे में एक दिन जब रमेश ने एक शायरी पोस्ट की तो रश्मि को लगा कि रमेश उस की व्यक्तिगत जिंदगी पर कमैंट कर रहा है. इस के बाद रश्मि ने उस ग्रुप में कई गुस्से वाले मैसेज भेजे और अपने गुस्से का इजहार किया जबकि रमेश ने हर बार सफाई दी कि उस ने बस एक शायरी पोस्ट की और किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का उस का इरादा नहीं था. न ही उसे रश्मि की व्यक्तिगत जिंदगी की ही जानकारी थी. रश्मि ने रमेश की एक भी बात नहीं मानी और उस ग्रुप से अलग हो गई.

विवेक के बड़ी कंपनी में मैनेजर बनने की यह 5वीं सालगिरह थी. वह खुश था कि इन 5 वर्षों में उस ने लगन और मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है और तरक्की कर रहा है. कंपनी ने उसे 5 साल में कहां से कहां पहुंचा दिया और कंपनी ने भी इन सालों में कितनी तरक्की की है. उस दिन पता नहीं विवेक को क्या सूझा कि उस ने अपने फेसबुक अकाउंट पर कंपनी में 5 साल पूरे होने और इतनी तरक्की पाने की जानकारी तो दी ही, साथ ही उस ने उन दिनों को याद किया जब उस ने इस नई कंपनी को जौइन किया था.

अपने पोस्ट में उस ने उन सारी बातों को शेयर किया कि कैसे उस के कालेज के उस के सहपाठियों और सीनियर्स ने उस की इस नौकरी पर कमैंट पास किए थे. इस का परिणाम यह हुआ कि उस के पोस्ट शेयर करते ही कमैंट और लाइक करने वालों की बौछार हो गई, वहीं जिन लोगों का नाम पोस्ट में लिखा था, उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कमैंट देने शुरू कर दिए. इतना ही नहीं, उस की सहयोगी रही राधा ने तो पुलिस केस करने की धमकी भी दे डाली कि विवेक हमारा मजाक उड़ा रहा है और उस में अपने पद का घमंड आ गया है. अंजाम यह हुआ कि विवेक ने न सिर्फ फेसबुक से उस पोस्ट को हटाया बल्कि अपने कुछ दोस्तों को ब्लौक भी कर दिया. इस तनाव ने विवेक का मूड खराब कर दिया, जिस से उस का पार्टी का सारा मजा भी फीका पड़ गया.

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