तेजतर्रार पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी माफियाओं के कारनामे अखबार में उजागर करते रहते थे. जिस की वजह से वह भूमाफिया दिव्या अवस्थी की आंखों में खटकने लगे. निजात पाने के लिए दिव्या ने अपने गुर्गों के साथ मिल कर ऐसा कदम उठाया कि…
उन्नाव शहर और कस्बा शुक्लागंज में यह खबर आग की तरह फैली कि सहजनी मोड़ पर चर्चित पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की बदमाशों ने हत्या कर दी है. चूंकि शुभममणि त्रिपाठी कानपुर शहर से प्रकाशित हिंदी दैनिक अखबार ‘कम्पू मेल’ के उन्नाव जिला प्रतिनिधि तथा भाजपा नेता राकेश दीक्षित के दामाद थे.
उन की हत्या से क्षेत्र में सनसनी फैल गई और लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े. देखतेदेखते सहजनी मोड़ पर लोगों की भीड़ जुट गई. प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया के लोग भी वहां आ पहुंचे. यह सनसनी खेज घटना 19 जून, 2020 की थी. चूंकि अपराधियों ने दिनदहाड़े युवा पत्रकार की हत्या कर कानून व्यवस्था को खुली चुनौती दी थी, इसलिए उन्नाव पुलिस में हड़कंप मच गया था. अत: हत्या की खबर पाते ही उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र, गंगाघाट कोतवाल सतीश कुमार गौतम, एसपी रोहन पी. कनय, एएसपी विनोद कुमार पांडेय तथा सीओ यादवेंद्र यादव घटनास्थल पर आ गए थे.
ये भी पढ़ें- Crime Story: आंकडो़ं का रत्न था रतन खत्री
पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया था. हत्या को ले कर जनता में रोष था. इसलिए सुरक्षा के नजरिए से अतिरिक्त फोर्स को भी बुलवा लिया गया था.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. शुभममणि के सीने में 3 गोलियां दागी गई थीं. जिस से उन की मौके पर ही मौत हो गई थी. मृतक की उम्र 25-26 वर्ष के आसपास थी. वह जींस व शर्ट पहने थे. जामा तलाशी में उन के पास से एक पर्स बरामद हुआ जिस में एक प्रैस आईडी कार्ड, आधार कार्ड, कुछ कागजात और कुछ रुपए थे. उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र ने पर्स को सुरक्षित कर लिया. फोरैंसिक टीम ने भी जांच की और मौके से साक्ष्य जुटाए. टीम को मौके से 3 खाली कारतूस मिले.
घटनास्थल पर मृतक का भाई ऋषभमणि त्रिपाठी और अन्य घरवाले भी मौजूद थे, जो फफकफफक कर रो रहे थे. एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने उन्हें धैर्य बंधाया तथा घटना के संबंध में पूछताछ की.
ऋषभमणि त्रिपाठी ने बताया कि उन के भाई शुभममणि दोपहर बाद मोटर साइकिल से अपने दोस्त मुख्तार अहमद के साथ एक मुकदमे की पैरवी के लिए उन्नाव कोर्ट गए थे. शाम 4 बजे जब वह उन्नाव से घर वापस लौट रहे थे, तभी सहजनी मोड़ पर बदमाशों ने उन्हें घेर लिया और गोलियों से छलनी कर दिया. मुख्तार को उन्होंने धमका कर भगा दिया. मुख्तार ने ही घटना की जानकारी उसे दी थी. तब वह घटनास्थल पर आया था.
ये भी पढ़ें- Crime Story : प्यार के माथे पर सिंदूर का टीका
मौका ए वारदात पर मुख्तार अहमद मौजूद था. वह बेहद डरासहमा था. चूंकि वह घटना का प्रत्यक्षदर्शी गवाह था, इसलिए पुलिस अधिकारियों ने उस से गहन पूछताछ की. मुख्तार ने बताया कि शुभममणि ने उसे दोपहर को फोन किया था और उन्नाव कोर्ट साथ चलने को कहा था. उस के बाद दोनों मोटरसाइकिल से उन्नाव कोर्ट पहुंचे.
शाम 3 बजे मुकदमे की सुनवाई खत्म हुई. तारीख मिलने के बाद हम दोनों मोटरसाइकिल से उन्नाव से शुक्लागंज के लिए रवाना हुए.
जैसे ही हम लोग सहजनी मोड़ पर आए, तभी मोटरसाइकिल पर सवार 3 लोगों ने ओवर टेक कर के शुभम को रोक लिया. वे तीनों मुंह को अंगोछे से ढके थे और शायद उन्नाव से ही पीछा कर रहे थे.
बाइक से उतरते ही उन तीनों ने फायरिंग शुरू कर दी और शुभममणि के सीने को छलनी कर दिया. उन्होंने कुल 6 फायर किए थे. बाद में उन्होंने उसे धमकाया और भाग जाने को कहा. धमकी से मैं डर गया और भाग खड़ा हुआ. भाग कर मैं शुक्लागंज आया और ऋषभ भैया को जानकारी दी. मुंह ढका होने के कारण मैं उन को पहचान नहीं पाया.
ये भी पढ़ें- Crime Story : घातक प्रेमी
पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने मृतक पत्रकार के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी से हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि शुभममणि की हत्या भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी ने सुपारी दे कर अपने खास व्यक्ति मोनू खान से कराई है. एक साल पहले भी दिव्या अवस्थी ने उस की दुकान पर तोड़फोड़ की थी और जानलेवा हमला किया था. जिस की रिपोर्ट उस ने गंगाघाट थाने में कराई थी.
मेरे भाई शुभममणि दिव्या अवस्थी के काले कारनामों को अखबार के माध्यम से उजागर करते रहते थे.
साथ ही सोशल मीडिया पर पोस्ट डालते थे. इस से दिव्या अवस्थी तिलमिला गई थी. इसी रंजिश और तिलमिलाहट में उस ने सुपारी किलर को सुपारी दिलवा कर भाई को मरवा दिया.
घटनास्थल का निरीक्षण और पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतक शुभममणि त्रिपाठी का शव पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव जिला अस्पताल भिजवा दिया.
फिर उन्होंने गंगाघाट थाना प्रभारी सतीश कुमार गौतम को आदेश दिया कि वह थाने में मृतक के घरवालों की तहरीर पर यथाशीघ्र मुकदमा दर्ज कर नामजदों की गिरफ्तारी करें. नामजद व्यक्ति कितना भी पहुंच वाला क्यों न हो उस के खिलाफ कार्रवाई करें.
ये भी पढ़ें- Crime Story : एक तरफा प्यार में
आदेश पाते ही थानाप्रभारी सतीश कुमार गौतम ने मृतक के भाई ऋषभमणि त्रिपाठी की तहरीर पर भादंवि की धारा 147/148/149/302/34 के तहत दिव्या अवस्थी, उस के पति कन्हैया अवस्थी, देवर राघवेंद्र अवस्थी, मोनू खान, शहनवाज बिहारी, अफसर अहमद, अब्दुल वारी, कौशल उर्फ अपराधी बाबा, कपिल कटारिया तथा अतुल दुबे के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. साथ ही अभियुक्तों को पकड़ने के लिए दबिश देनी शुरू कर दी.
इधर पत्रकार शुभममणि हत्याकांड की गूंज लखनऊ तक पहुंच गई. आईजी (लखनऊ जोन) लक्ष्मी सिंह तथा एडीजी एस.एन. सावंत ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा मृतक के घरवालों से जानकारी हासिल की. उन्होंने घरवालों को भरोसा दिया कि अभियुक्त जल्द ही पकड़े जाएंगे.
इस के बाद एस.एन. सावंत ने पुलिस लाइन सभागार में मीटिंग की. मीटिंग में जिलाधिकारी रवींद्र कुमार, एसपी रोहन पी. कनय, एएसपी विनोद कुमार पांडेय, सीओ (सिटी) यादवेंद्र यादव तथा उन्नाव कोतवाल दिनेश चंद्र मिश्र ने भाग लिया.
इस मीटिंग में आईजी सावंत ने बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चिंता जताई, साथ ही पुलिस कप्तान रोहन पी. कनय को आदेश दिया कि वह पत्रकार हत्याकांड का जल्द से जल्द खुलासा करें ताकि जनता में पुलिस की छवि धूमिल न हो. उन्होंने जिले के पुलिस अधिकारियों से कहा कि वह गस्त बढ़ाएं और अपराधियों की धरपकड़ कर उन के हौसले पस्त करें.
एसपी रोहन पी. कनय ने पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी हत्याकांड को चुनौती के रूप में लिया और खुलासे के लिए एएसपी विनोद कुमार पांडेय की निगरानी में पुलिस की 4 टीमें गठित कीं. इन में क्राइम ब्रांच तथा सर्विलांस टीम को भी शामिल किया गया. क्राइम ब्रांच की टीम ने जहां नामजद आरोपियों का रिकौर्ड खंगालना शुरू किया तो वही सर्विलांस टीम ने उन के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगा दिए.
पुलिस की 2 अन्य टीमों ने भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी के शुक्लागंज स्थित आवास पर छापा मारा लेकिन वह पति और देवर सहित घर से फरार थी. उस के औफिस पर भी ताला पड़ा था. उस का खास सिपहसलार मोनू खान भी फरार था. अन्य आरोपी भी अपने घरों से फरार मिले.
पत्रकार शुभममणि हत्याकाण्ड ने कानपुर, उन्नाव से ले कर लखनऊ तक भूचाल ला दिया था. कानपुर, उन्नाव के प्रैस क्लबों में एकत्र हो कर पत्रकारों ने कैंडल जला कर मृतक को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही रोष व्यक्त करते हुए अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की. साथ ही प्रशासन से मृतक के परिवार को आर्थिक मदद देने की मांग की. पत्रकारों ने मृतक के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने की भी मांग उठाई.
उधर लखनऊ में भी सरोजनी नगर स्थित प्रैस क्लब में पत्रकारों की एक बड़ी मीटिंग अध्यक्ष राजकुमार सिंह चौहान, उपाध्यक्ष राजन पांडेय तथा संगठन मंत्री गुलाब सिंह राठौर की उपस्थिति में हुई इस में मांग की गई कि मृतक के परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए साथ ही सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषी अपराधियों के खिलाफ सख्त काररवाई करने की भी मांग की.
उधर पुलिस की चारों टीमें आरोपियों को पकड़ने के लिए रातदिन एक किए थीं. ताबड़तोड़ छापे मार रही थीं, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आ रहे थे. पुलिस ने खबरियों को भी फैला रखा था, पर उन्हें भी सफलता नहीं मिल रही थी.
23 जून, 2020 की सुबह 4 बजे सर्विलांस टीम की आंखों में उस समय चमक आ गई, जब एक आरोपी के मोबाइल नंबर की लोकेशन गंगाघाट थाने के अहमद नगर मोहल्ले की मिली. लोकेशन के आधार पर पुलिस की चारों टीमों ने अहमद नगर के एक पुराने मकान को चारों तरफ से घेर लिया. फिर सतर्कता के साथ 3 लोगों को धर दबोचा. पुलिस तीनों को गंगाघाट थाने ले आई.
थाने पर जब उन से नाम पता पूछा गया तो एक ने अपना नाम शहनवाज निवासी अहमद नगर, बताया. दूसरे ने अपना नाम अफसर अहमद तथा तीसरे ने अपना नाम अब्दुल वारी बताया. ये दोनों भी गंगाघाट के रहने वाले थे और सुपारी किलर थे.
इन तीनों से जब पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी की हत्या के बारे में पूछा गया तो तीनों साफ मुकर गए. लेकिन जब सख्ती की गई तो तीनों टूट गए और उन्होंने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं उन्होंने हत्या में प्रयुक्त 2 तमंचे भी पुलिस को बरामद करा दिए.
3 हत्यारोपियों के पकड़े जाने की जानकारी अधिकारियों को मिली तो एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने पुलिस लाइन स्थित सभागार में प्रैस कौंन्फ्रेंस की और तीनों को मीडिया के सामने पेश कर हत्याकांड का खुलासा किया.
अभियुक्त शहनवाज ने मीडिया के समक्ष खुलासा किया कि दिव्या अवस्थी का कस्बा शुक्लागंज में आवासीय प्लौटिंग का काम है. उस का यह काम मोनू खान देखता है. पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी दिव्या अवस्थी के प्लौटों पर हुए अवैध निर्माण की खबरें छापते थे. हाल ही में उन्होंने इसी संबंध में एक बड़ी खबर छापी थी. इस खबर पर राजस्व विभाग ने दिव्या के अवैध निर्माण को गिरवा दिया था और जांच बैठा दी थी.
दिव्या अवस्थी व मोनू खान के खिलाफ शुभम ने सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाली थी, जिस से नाराज हो कर दिव्या अवस्थी ने मोनू खान के साथ मिल कर शुभममणि की हत्या की योजना बनाई.
योजना के तहत मोनू खान ने अपने मित्र अफसर अहमद तथा अब्दुल वारी से संपर्क किया और 4 लाख रुपए में शुभममणि की हत्या का सौदा कर दिया. साथ ही एडवांस के तौर पर उन्हें 20 हजार रुपए दिए और शेष काम होने के बाद देने की बात कही. सुपारी लेने के बाद हम तीनों ने शुभममणि की निगरानी शुरू कर दी और फिर मौका मिलते ही 19 जून की शाम हत्या कर दी.
एएसपी विनोद कुमार पांडेय ने 3 हत्यारोपियों की गिरफ्तारी के बाद शुभममणि त्रिपाठी की हत्या का खुलासा तो कर दिया था, पर इस खुलासे से न तो मृतक का भाई ऋषभमणि खुश था और न ही मीडियाकर्मी. उन्होंने मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी न होने की बात कही तो विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि उन की गिरफ्तारी के लिए टीमें लगी हुई हैं.
उन्होंने बताया कि दिव्या अवस्थी की गिरफ्तारी पर 10,000 रुपए, राघवेंद्र अवस्थी और मोनू खान पर 5-5 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया गया है. अन्य आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
चूंकि हत्यारोपी शहनवाज, अब्दुल वारी तथा अफसर अहमद ने हत्या का जुर्म कबूल लिया था और हत्या में इस्तेमाल तमंचे तथा मोटरसाइकिल भी बरामद करा दी थी. अत: थानाप्रभारी सतीश कुमार गौतम ने उन तीनों को विधि सम्मत बंदी बना लिया, और उन के बयान विस्तार से दर्ज किए.
खूबसूरत और पढ़ी लिखी दिव्या अवस्थी कौन थी. वह आयरन लेडी से भूमाफिया लेडी डौन कैसे बनी? उस ने कब और कैसे चेहरा बदला. फिर समाज को आईना दिखातेदिखाते वह अपराधी कैसे बन गई. यह सब जानने के लिए हमें उस के अतीत की ओर जाना होगा.
उन्नाव जिले का एक बड़ा कस्बा है शुक्लागंज. यह गंगाघाट कोतवाली के तहत आता है. यह कस्बा उन्नाव शहर से 8-10 किलोमीटर दूर है जबकि कानपुर शहर से मात्र एक किलोमीटर दूरी है. केवल गंगापुल ही दोनों के बीच स्थित है. गंगा तट पर बसा यह कस्बा कई मायनों में चर्चित है. एक तो यहां ट्रांसपोर्टरों का दबदबा है. दूसरे यहां का कटरी क्षेत्र कच्ची शराब बनने के लिए बदनाम है.
2 दशक पहले यह कस्बा उजाड़ था, लेकिन समय के साथ इस का विकास होता गया. पहले यहां कटरी की जमीन माटी के मोल बिकती थी, लेकिन अब सोने के भाव बिकने लगी. शुक्लागंज अब गंगाघाट नगर पालिका में तब्दील हो गया है.
इसी शुक्लागंज के पोनी रोड स्थित शक्ति नगर मौहल्ले में नरेंद्र अवस्थी अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे कन्हैया तथा राघवेंद्र थे. नरेंद्र अवस्थी प्रौपर्टी डीलिंग का काम करते थे. क्षेत्र में उन का अच्छा खासा प्रभाव था. प्रौपर्टी डीलिंग के धंधे में उन की अच्छी कमाई थी, जिस से उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. उन के बेटे भी उन के व्यापार में मदद करते थे.
नरेंद्र अवस्थी ने अपने बड़े बेटे कन्हैया अवस्थी की शादी दिव्या अवस्थी के साथ की थी. दिव्या पढ़ीलिखी खूबसूरत युवती थी. वह सामान्य परिवार की थी, लेकिन पढ़नेलिखने में तेज थी.
उस ने बीएससी की पढ़ाई एएनडी कालेज से पूरी की थी. कैमिस्ट्री उस का पसंदीदा विषय था. वह आगे भी पढ़ कर प्रोफेसर बनना चाहती थी, पर उसी दरम्यान उस की शादी हो गई.
ससुराल में दिव्या अपने मधुर व्यवहार से पूरे परिवार का दिल जीत लिया. कुछ समय बाद दिव्या अवस्थी ने मातृत्व सुख प्राप्त किया. जिस से घरपरिवार में खुशियां और बढ़ गईं.
दिव्या अवस्थी को पढ़नेपढ़ाने का शौक था. अत: शादी के बाद भी उस का यह शौक कायम रहा. उस ने पति और ससुर की अनुमति से एक शिक्षण संस्थान खोला.
इस संस्थान के माध्यम से वह उन योग्य छात्रों को शिक्षा उपलब्ध कराने लगी जो आर्थिक रूप से कमजोर थे. वह क्षेत्र के विद्यालयों के संपर्क में रहती और गरीब प्रतिभाशाली बच्चों का चयन करती फिर संस्थान में दाखिला करा कर उन का भविष्य संवारती. इस कार्य से उस ने मध्यम व गरीब तबके में अच्छी पैठ बना ली ली थी.
दिव्या अवस्थी को कविता लिखने का भी शौक था. उसे जब भी मंच पर काव्य पाठ का अवसर मिलता वह मंच को जरूर साझा करती. दिव्या अब सामाजिक कार्यों में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने लगी थी. रामलीला का मंच हो या फिर भगवती जागरण का, वह इन कार्यक्रमों को संपन्न कराने में आर्थिक मदद भी करती.
वह गंगाघाट पर लगने वाले मेले को संपन्न कराने में भी प्रशासन की मदद करती. परिणाम स्वरूप दिव्या अवस्थी क्षेत्र में शिक्षिका, कवियित्री तथा समाज सेविका के रूप में चर्चित हो गई. लोग उसे बेहद सम्मान देने लगे.
समाज सेवा में तत्पर रहते उस का झुकाव विश्व हिंदू परिषद की ओर हुआ. वह पहले विहिप की सदस्य बनी फिर विहिप के छोटेबड़े कार्यक्रमों में भाग लेने लगी. उस की तत्परता को देखते हुए विहिप ने उसे विहिप मातृशक्ति विभाग की जिला संयोजिका बना दिया.
इस के बाद वह महिला हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने लगी. इतना ही नहीं वह महिलाओं को जुल्म के विरूद्ध लड़ने को जागरूक भी करने लगी. अनीति की लड़ाई लड़ने से वह आयरन लेडी कहलाने लगी. उस के जीवन में अकस्मात परिवर्तन तब आया जब वर्ष 2013 के मई माह में उस के ससुर नरेंद्र अवस्थी की हत्या हो गई. हत्या जमीनी विवाद के कारण ही हुई थी.
ससुर की हत्या के बाद उन का प्रौपर्टी डीलिंग का काम दिव्या अवस्थी ने संभाल लिया. वह तेजतर्रार व पढ़ी लिखी थी साथ ही चर्चित भी थी, सो उस का धंधा फलनेफूलने लगा.
अब वह अपनी हनक से सरकारी जमीनों पर भी कब्जा करने लगी. उस ने कटरी की जमीन पर कब्जा कर प्लौटिंग का काम कर दिया. इस तरह वह आयरन लेडी से भूमाफिया लेडी डौन बन गई.
चमक और धमक बढ़ी तो दिव्या अवस्थी को राजनीति सूझने लगी क्योंकि उस का मानना था कि राजनीति में आए बिना क्षेत्र में दबदबा कायम रखना आसान नहीं.
दबदबा बनाए रखने के लिए उस ने साल 2017 में गंगाघाट नगर पालिका, उन्नाव से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चेयरमैन पद के लिए चुनाव लड़ा. चुनाव में उस ने खूब पैसा खर्च किया और जम कर प्रचार भी किया लेकिन वह चुनाव हार गई.
दिव्या अवस्थी के घर से कुछ फासले पर बृहम नगर झंडा चौराहे के पास ही अतींद्रमणि त्रिपाठी का मकान था. उन के 2 बेटे थे ऋषभमणि त्रिपाठी तथा शुभममणि त्रिपाठी. ऋषभमणि त्रिपाठी की मकान के भूतल पर टेलीकाम की दुकान थी. जबकि शुभममणि त्रिपाठी पत्रकार थे. वह कानपुर से प्रकाशित हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘कम्पू मेल’ के उन्नाव जिला प्रतिनिधि थे.
युवा पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी निर्भीक व साहसी थे. वह न तो भू माफियाओं से डरते थे और न ही बालू खनन माफियाओं से. अपनी कलम की धार से वह इन माफियाओं के कानून विरोधी कामों की पोल खोलते रहते थे.
कई बार इन माफियाओं ने उन्हें धन का लालच दिया पर उन्हें पीत पत्रकारिता पसंद न थी. पुलिस से भी उन की नहीं पटती थी. क्योंकि वह उन के काले कारनामे भी अखबार के माध्यम से उजागर करते रहते थे. यही वजह थी कि गंगाघाट कोतवाली में उन को प्रवेश नहीं मिलता था.
शुक्लागंज की भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी भी पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी से नाराज रहती थी. रंजिश के चलते उस ने 12 जून 2019 को अपने गुर्गों के माध्यम से शुभम के भाई की दुकान पर तोड़फोड़ तथा मारपीट कराई.
जिस की रिपोर्ट ऋषभमणि त्रिपाठी ने थाना गंगाघाट में दिव्या अवस्थी तथा उस के गुर्गों के खिलाफ दर्ज कराई.
लेकिन पुलिस ने लेडी डौन दिव्या अवस्थी को गिरफ्तार नहीं किया बल्कि चार्जशीट अदालत में पेश कर दी.
शुक्लागंज में दिव्या अवस्थी का आवासीय प्लौटिंग का काम चल रहा था. जिसे उस का खास व्यक्ति मोनू खान देखता था. मोनू खान अपराधी प्रवृत्ति का था. उस के संबंध शार्प सूटरों से भी थे. इधर दिव्या अवस्थी ने कुछ प्लौटों पर कब्जा कर अवैध निर्माण करवा दिया था. यह खबर शुभममणि त्रिपाठी ने 14 जून, 2020 को अपने अखबार में छाप दी. साथ ही सोशल मीडिया पर भी पोस्ट डाल दी. खबर का असर यह हुआ कि राजस्व विभाग ने दिव्या अवस्थी के प्लौटों का अवैध निर्माण गिरा दिया.
इस काररवाई से दिव्या अवस्थी तिलमिला गई. उस ने पति कन्हैया अवस्थी, देवर राघवेंद्र अवस्थी, मोनू खान और अन्य के साथ बैठ कर मंत्रणा की फिर पत्रकार शुभममणि त्रिपाठी को सबक सिखाने की योजना बनाई.
योजना के तहत मोनू खान ने अपने सुपारी किलर दोस्त अफसर अहमद, अब्दुल वारी और शहनवाज से संपर्क साधा और 4 लाख रुपए में शुभममणि की हत्या का सौदा तय कर दिया. 20 हजार रुपए एडवांस भी दे दिए गए.
हत्या की सुपारी लेने के बाद 19 जून, 2020 की शाम 4 बजे अफसर अहमद, अब्दुल वारी तथा शहनवाज ने सहजनी मोड़ पर शुभममणि त्रिपाठी को घेर कर गोलियों से भून डाला और फरार हो गए.
खबर पा कर पुलिस आई और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में भूमाफिया लेडी डौन दिव्या अवस्थी द्वारा सुपारी दे कर हत्या कराए जाने की सनसनीखेज घटना का खुलासा हुआ.
दिनांक 24 जून, 2020 को थाना गंगाघाट पुलिस ने अभियुक्त शहनवाज, अब्दुल वारी तथा अफसर अहमद को उन्नाव कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उन की जमानत नहीं हुई थी. शेष 7 नामजद अभियुक्तों को पकड़ने के लिए पुलिस प्रयासरत थी