दोस्ती  इस सृष्टि का अनमोल रिश्ता है, यह अकेला ऐसा रिश्ता है, जिसको कभी भी कितने ही लोगों से बांटा जा सकता है. यह रिश्ता खून के रिश्ते से भी अधिक गहरा और सगे रिश्ते से भी अधिक सच्चा होता है. ज़माने के बदलते दौर के साथ दोस्ते के स्वरूप भी बदला है, आधुनिक जीवन में तकनीक का बढ़ता योगदान दोस्ती के दायरे कों और फैला दिया है .

सोशल -नेट्वर्किंग सीटो और तकनीक ने हमारे दोस्तों कों और अधिक हमारे नजदीक ला दिया है. आधुनिक परिवेश में दोस्ती के स्वरूपों कों भापने और दोस्ती के अनमोल रिश्तो कों समझने के उद्देश्य से हमने कई युवाओ के बात किया, बातचीत के बाद जो नतीजो से पत्ता चला कि  आधुनिकता के इस दौर में भी दोस्ती का सच्चा रिश्ता सच, भरोसे और विश्वास पर टिका हुआ है.  आज भी दोस्ती का नीव सच के बुनियाद पर टिका है. आज भी बचपन के दोस्त  सबसे अधिक याद आते है . सृष्टि के इस अनमोल रिश्तो कों लेकर कि गई बातचीत के नतीजे विनय सिंह की कलम से...

दोस्ती इंसानी रिश्तों की रंगीनियों से भीगा एक खूबसूरत एहसास है. किसी ने कहा है कि दोस्त है तो जिंदगी है. तों कोई कहते है कि दुनिया में और कुछ न मिले और एक अच्छा दोस्त मिल जाए तो जीवन सफल है, लेकिन दुनिया की हर चीज मिल जाए और दोस्त न मिले तो सब कुछ व्यर्थ है. आधुनिक परिवेश में दोस्ती के स्वरूपों कों भापने और दोस्ती के अनमोल रिश्तो के रंग रूप कों जानने और समझने के उद्देश्य से हमने उत्तरप्रदेश,बिहार और दिल्ली के 200  युवाओ से बात कर दोस्ती से जुड़े विभिन्न प्रश्नों पर उनके विचार जानने की कोशिश किया  . जिसके परिणाम स्वरूप दोस्ती से जुड़े कई बाते उभर कर सामने आई जो साफ शब्दों में यह संदेश देती है कि  आज भी स्कूल के क्लास रूम से,कालेज के गलियारों तक बाजार के भीड़ से मॉल की शीतलता तक, गाँव के चौपाल से शहर के चराहे तक , छोटे शहरों के बड़े सपनों से बड़े शहरों की बड़ी उम्मीदों तक दोस्ती विभिन्न स्वरूपों में भिन्न रंग-रूपों में दिखता है . आज भी दोस्ती का सच्चा रिश्ता विश्वास और भरोसे के नीव पर टिका है. आज भी कई दोस्त अपने दोस्त के लिए अपने घर पर झूठ बोलते है, कई दोस्त तो अपने दोस्त को इस कदर चाहते है कि वह उसके बारे में एक शब्द भी बुरा नही सुन सकते है, तो कई दोस्त अपने दोस्ती को लेकर कई दफा अपने प्रेमी/प्रेमिका से लड़ पड़ते है .

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