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यहां लगा सुशांत का पहला वैक्स स्टैच्यू, फैंस हुए इमोशनल

सुशांत सिंह राजपूत के मौत के तीन महीने हो चुके हैं लेकिन आज भी लोग सुशांत के मौत के सदमें से बाहर नहीं आ पाएं हैं, सुशांत को आज भी उनके फिल्मों के जरिए याद किया जा रहा है. वहीं उनकी फैमली और फैंस लगातार सुशांत सिंह राजपूत के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं.

वहीं बात करें सुशांत कि एक्स गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती की तो इन दिनों सलाखों के पीछे जा चुकी हैं. हालांकि इस मामले की जांच अभी भी सीबीआई कर रही है.

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हाल ही में बंगाल के जाने माने मूर्तिकार सुकांतो रे ने सुशांत की वैक्स स्टैच्यू बनाया है.जिसे देखकर ऐसा लग रहा है मानो सुशांत मुस्कुराते हुए कुछ कहना चाहते हैं. उस मूर्तिकार ने बेहद ही खूबसूरती के साथ इस मूर्ति को बनाया है. सोशल मीडिया पर सुशांत की यह मूर्ति खूब वायरल हो रही है.

west bengal sculptor sukanto roy from asansol has created a wax statue of late actor sushant singh rajput

सुशांत सिंह राजपूत के मौत के करीब तीन महीने बाद सुकांतो रे ने इस मूर्ति से पर्दा हटाया है. इस स्टैच्यू को देखने के बाद सुशांत के फैंस फूले नहीं समा रहे हैं. वहीं सुकांतो रे की भी इस मूर्ति के लिए खूब तारीफ हो रही है.

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गौरतलब है कि इस स्टैच्यू को देखने के बाद सुशांत के कुछ फैंस इमोशनल हो गए उनका कहना है कि इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि सुशांत अभी भी हमारे बीच हैं. सुशांत सिंह राजपूत का यह स्टैच्यू सोशल मीडिया पर सबका ध्यान अपना तरफ खींच रहा है.

बता दें सुकांतो रे आसनसोल के रहने वाले हैं सुशांत से पहले भी यह कई लोगों के स्टैच्यू बना चुके हैं. सुकांतो की इस कला की खूब तारीफ हो रही है.

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सुकांतो रे ने अपना एक म्यूजियम खोला है जहां पर उन्होंने मोम से बने हुए कई तरह के स्टैच्यू रखा हुआ है.

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वहीं सुशांत के कुछ फैंस ने यह भी डिमांड किया है कि सुशांत सिंह की लंदन के मैडम तुसाद में उनका स्टैच्यू बनाया जाए.

‘कसौटी जिंदगी 2’ की आखिरी शूटिंग पूरी, इमोशनल हुई टीम

सीरियल कसौटी जिंदगी 2 के कलाकारों ने शो के आखिरी एपिसोड की शूटिंग पूरी कर ली है. शूटिंग के आखिरी दिन कुछ कलाकार सेट पर भावुक नजर आ रहे थे. जिसमें पूजा बनर्जी का नाम सबसे पहले आ रहा है. पूजा बनर्जी ने शो के आखिरी  दिन भावुक हो गई थी. शूटिंग खत्म होने के बाद वह अपने फ्रेंड्स के साथ जमकर पार्टी करती दिखी .

बता दें पूजा बनर्जी के घर सीरियल्स के सभी कलाकार पार्टी करते नजर आए. वहीं पार्थ समाथन ने अपने सभी दोस्तों से वादा किया है कि वह सभी दोस्तों से मिलते रहेंगे. उन्होंने कहा है कि वह अपने दोस्तों से मिलना और बातचीत करना कभी नहीं छोडेंगे.

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पार्थ समथान के अलावा एरिका फर्नाडिस और बाकी सभी कलाकारों ने भी एक-दूसरे से वादा किया है कि वह अपनी दोस्ती किसी दम पर नहीं तोडेंगे.

Gorgeousness overload

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वहीं पार्टी के बाद पूजा बनर्जी ने फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि अलविदा दोस्तों हम मिलते रहेंगे. एक-दूसरे के साथ बिताए हुए खूबसूरत पल कभी भूल नहीं पाएंगे. इस दुनिया में कुछ नहीं है. सिर्फ एक-दूसरे के साथ खूबसूरत समय खुश रहने के अलावा.


Gorgeousness overload

इस सीरियल के आखिरी में कमोनिका की मौत हो जाएगी और एख बार फिर अनुराग और प्रेरणा एक हो जाएंगे. मिस्टर बजाज के रोल में नजर आने वाले करण पटेल कु छ समय पहले ही सेट पर पहुंचे हैं. उन्होंने ने भी अपना लुक शेयर किया है.

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पूजा बनर्जी के घर की कुछ तस्वीर वायरल हो रही है जहां सभी कलाकार एक –दूसरे के साथ मिलकर पार्टी कर रहे थें.

लौट जाओ शैली- भाग 1: कैसे प्यार में बर्बाद हुई शैली की जिंदगी?

‘‘पूनम, राज को फोन कर के बता दो कि जिम का केबल टूट गया है और कोने वाली ट्रेडमिल की मोटर जल गई है. और राज आए तो क्रौस ट्रेनर के नटबोल्ट कसने को भी बोल देना. बहुत आवाज कर रहा है,’’ शैली ने कहा.

‘‘अच्छा मैं अभी फोन कर देती हूं,’’ कह कर फ्रंट डैस्क पर बैठी पूनम राज को फोन लगाने लगी. राज जिम का नियमित सर्विसमैन है. जब भी जिम के उपकरणों में कोई खराबी होती है वही आ कर ठीक करता है.

तभी जिम का मालिक विनीत आ गया. विनीत को देख कर शैली के चेहरे पर चमक आ गई. वह विनीत के केबिन में जा कर उस से बातें करने लगी. विनीत के शहर में 4 जिम थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट थी और ट्रेनर भी. वह विनीत को उस दिन के काम का ब्योरा देने लगी और नए ऐडमिशन के बारे में बताने लगी. विनीत प्रसन्न हो गया, क्योंकि शैली ने पिछले हफ्ते में 8 नए ऐडमिशन करवाए थे. विनीत ने उस के काम की तारीफ की तो शैली खुश हो गई. थोड़ी देर बातें करने के बाद विनीत शैली को साथ ले कर अपने दूसरे जिम की ओर चला गया. दूसरे जिम में सब जगह चक्कर लगाने के बाद विनीत और शैली केबिन में जा कर बैठ गए. विनीत घर से नाश्ता ले कर आया था. दोनों बैठ कर नाश्ता करने लगे. 1 घंटा बाद विनीत तीसरे जिम में चला गया. शैली वहीं रह गई और लोगों को ऐक्सरसाइज करने की ट्रेनिंग देने लगी. जिम बंद होने के बाद शैली घर चली गई. वह एक छोटे से बैडरूम वाले फ्लैट में किराए पर रहती थी. शैली कपड़े बदल कर सो गई क्योंकि जिम जाने के लिए वह सुबह साढ़े 4 बजे उठती थी. शाम को वह फिर जिम में चली जाती थी.

शैली सागर की रहने वाली है. उस के पिता एक स्कूल में अध्यापक हैं. शैली 4 भाईबहनों में तीसरे नंबर पर है. उस से बड़ी 2 बहनें और 1 छोटा भाई है. चारों बच्चों के पालनपोषण और पढ़ाईलिखाई का खर्च उस के पिता जैसेतैसे चला रहे थे. वे शाम को ट्यूशन भी पढ़ाते. दरअसल, 2 बड़ी बहनों का विवाह करने में वे गले तक कर्ज में डूब गए थे. शैली फिजियोथेरैपिस्ट की पढ़ाई करने भोपाल आ गई. उस के पिता उस की पढ़ाई और रहने का खर्च उठाने में समर्थ नहीं थे, लेकिन महत्त्वाकांक्षी शैली ने उस तंगहाली से बाहर निकलने के लिए कमर कस ली. थोड़े पैसे ले कर वह भोपाल आ गई. यहां पार्टटाइम नौकरी कर ली और वर्किंग विमंस होस्टल में रह कर अपनी पढ़ाई भी करती रही. पढ़ाई पूरी होने के बाद शैली ने कई जगह नौकरी के लिए कोशिश की. उसी दौरान अपनी एक सहेली के साथ वह विनीत के जिम आई.

जिम के एक ट्रेनर से ही शैली को पता चला था कि विनीत को एक फिजियोथेरैपिस्ट की जरूरत है. शैली विनीत से मिली. खूबसूरत, स्मार्ट शैली के बात करने के अंदाज से विनीत काफी प्रभावित हुआ. उस ने शैली को अपने जिम में बतौर फिजियोथेरैपिस्ट नियुक्त कर लिया. चतुर और महत्त्वाकांक्षी शैली ने बहुत जल्द ही विनीत की नजरों में अपनी साख बना ली. साल भर में ही वह विनीत के चारों जिम के कई महत्त्वपूर्ण काम संभालने लगी. उस ने अपने लिए एक स्कूटी खरीद ली और होस्टल छोड़ कर यह फ्लैट किराए पर ले लिया.

विनीत अपने बहुत कुछ काम शैली को सौंप कर निश्चिंत था. कुशाग्र बुद्धि शैली बहुत जल्द मशीनों के बारे में और ट्रेनिंग के बारे में भी सीख गई. जिम पर ही नहीं उस ने विनीत के दिल पर भी कब्जा कर लिया. पहले साथ में गाड़ी में घूमना, बाहर खाना खाना. फिर एक के बाद एक सीमाएं टूटती गईं और जिस दिन शैली ने होस्टल छोड़ कर फ्लैट में शिफ्ट किया, उस दिन के बाद से तो दोनों के बीच की सारी वर्जनाएं समाप्त हो गईं. यह फ्लैट भी बहुत कम किराए पर विनीत ने ही उसे दिलवाया था. यहां दोपहर में और रात में भी विनीत का आनाजाना प्रारंभ हो गया.

लेकिन जिम की ऐनुअल पार्टी में शैली को यह जान कर गहरा धक्का लगा कि विनीत न सिर्फ शादीशुदा है वरन जल्द ही बाप भी बनने वाला है. शैली उस दिन खूब रोई. 4 दिन तक वह जिम भी नहीं गई. उस ने सागर लौट जाने का फैसला कर लिया, लेकिन तभी विनीत ने अपनी पत्नी को डिलिवरी के लिए अपने मातापिता के पास भेज दिया और छोटे बच्चे की देखभाल के बहाने उसे महीनों अपने पास रखा. इस बीच उस ने शैली को अपनी मीठी बातों से मना लिया. ‘‘मेरी किस्मत का दोष है कि तुम मुझे पहले नहीं मिलीं. प्यार तो मैं तुम से ही करता हूं. तुम मुझे छोड़ कर चली जाओगी तो मैं कैसे जिऊंगा. अगर तुम मेरे जीवन में पहले आ जातीं, तो मैं तुम से ही शादी करता. मेरा सच्चा प्यार तो तुम्हीं हो शैली,’’ वह बारबार बोला तो शैली भावनाओं में बह गई. वैसे भी वह विनीत के साथ शारीरिक और मानसिक तौर पर बहुत गहराई से जुड़ गई थी.

शैली की मां ने उसे बहुत बार वापस बुलाया कि पढ़ाई खत्म हो चुकी है अब वापस आ जाओ, लेकिन बड़ा शहर उस पर विनीत से रिश्ता. और इन सब से ऊपर जिम का आधुनिक व उन्मुक्त ग्लैमरस वातावरण जिन के आकर्षण में वह ऐसी फंस गई कि घर वापस जाने को तैयार नहीं होती थी. फिर दिनबदिन वह चारों जिम की जिम्मेदारियों में उलझती गई. 2 साल बाद विनीत ने अपने दोस्त की सैकंड हैंड कार शैली को दिलवा दी. अब शैली कार से आतीजाती.

जिम के दूसरे ट्रेनर और पुराने कस्टमर शैली और विनीत के रिश्ते के बारे में जानने लगे मगर दोनों को ही कोई कुछ कहता नहीं था. विनीत की प्रतिष्ठा देख कर उसे तो कोई कुछ कहने की हिम्मत करता नहीं था, लेकिन ट्रेनर लोग आपस में बातें करते समय शैली को विनीत की ‘कीप’ यानी रखैल कहते थे. पूनम जो जिम में शैली की अच्छी सहेली थी, उस ने ही यह बात उसे बताई थी. सुन कर शैली को बहुत बुरा लगा मगर करती भी क्या, बात कोई गलत तो थी नहीं, इसलिए खून का घूंट पी कर रह गई. एक दिन शैली की मां का फोन आया, ‘‘बेटा, बहुत अच्छा रिश्ता आया है. लड़का दिखने में भी बहुत अच्छा है और घरपरिवार, रुपयापैसा सब अच्छा है. बस अब तू यहां आ जा.’’

‘‘मां मैं ने कितनी बार कहा है कि मैं अभी शादी नहीं करना चाहती. अभी मेरी उम्र ही क्या है. अभी मुझे पढ़ने और काम करने दो प्लीज,’’ शैली ने उकताहट भरे स्वर में कहा.

‘‘अरी अभी नहीं तो क्या बुढ़ापे में शादी करेगी?’’ शैली की मां झल्ला कर बोलीं.

‘‘ओहो तुम भी मां… आजकल क्या लड़कियां इतनी जल्दी शादी करती हैं? शादी के बाद तो घरगृहस्थी में फंसे रहना है. कम से कम अभी तो मुझे चैन से और अपने मन की जिंदगी जीने दो. 2-4 साल बाद जैसा तुम कहोगी मैं वैसा ही करूंगी,’’ शैली हर बार अपनी शादी की बात को 2-4 साल के लिए टाल कर अपनी मां को निरुत्तर कर देती.

Crime Story: मौत का आशीर्वाद

सौजन्या- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश के जिला फतेहपुर के थाना कल्याणपुर क्षेत्र का एक गांव है गौसपुर. प्रेम सिंह लोधी

इसी गांव में रहते थे. प्रेम सिंह खेतीकिसानी के अलावा एक बैंक के एटीएम पर गार्ड की नौकरी भी करते थे. परिवार में पत्नी रमा एक बेटी रिंकी और 2 बेटे अंकित व अमित थे.

भाइयों की एकलौती बहन थी रिंकी. चंचल स्वभाव की रिंकी पढ़ाई में तेज थी. वह पढ़लिख कर पुलिस में जाना चाहती थी. पढ़ाई के बाद जब भी समय मिलता तो वह टीवी से चिपक जाती. रिंकी को फिल्म देखने का शौक था. वह टीवी पर आने वाली सभी फिल्में देखती थी. फिल्मों और फिल्मों के गानों का रिंकी पर इतना प्रभाव पड़ा कि वह अपने आप को किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं समझती थी.

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चूंकि फिल्मों में प्यारमोहब्बत को हमेशा महिमामंडित किया जाता है, इसलिए रिंकी को भी किसी ऐसे युवक की तलाश थी जो फिल्मी हीरो की तरह उस के सामने प्यारमोहब्बत का प्रस्ताव रखे. उसे चाहे, उसे सराहे. उस के हुस्न की तारीफ करे और उस की याद में तड़पे.

रिंकी के घर से 200 मीटर की दूरी पर मनीष का घर था. मनीष के पिता विश्वनाथ सिंह लोधी खेतीकिसानी करते थे. मनीष का एक छोटा भाई था मंदीप जो बीए की पढ़ाई कर रहा था.

मनीष भी पढ़ाई में तेज था. वह भी पुलिस विभाग में जाना चाहता था. इसी उद्देश्य से वह अपनी पढ़ाई में जी जान से जुटा रहता था. रिंकी की तरह मनीष को भी फिल्मों का जबरदस्त शौक था. पढ़ाई के दौरान वह मनोरंजन के लिए कुछ समय निकाल लेता था.

मनीष पहनावे से संभ्रांत युवक नजर आता था. शरीर पर भी वह विशेष ध्यान देता था. हमेशा फैशनेबल कपड़े पहनता था. मनीष को भी पागलपन की हद तक फिल्में देखने का शौक था. उस के मोबाइल का मेमोरी कार्ड फिल्मों से भरा रहता था. बड़ी स्क्रीन के मोबाइल पर वह जब चाहे अपनी मनपसंद फिल्म देख लेता था. उस पर फिल्मों का असर  इस हद तक था कि उस का बात करने और चलने का स्टाइल भी फिल्मी हो गया था.

मनीष उम्र के उस मोड़ पर था, जहां स्वभाव में आशिकी अपने आप शामिल हो जाती है. मनीष भी इस का अपवाद नहीं था. लव स्टोरी वाली फिल्में देखदेख कर उस का मिजाज भी आशिकाना हो गया था.

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मनीष का रिंकी के घर आनाजाना था. दोनों परिवार सजातीय थे. दोनों के घरवाले एकदूसरे के घर आतेजाते थे. रिंकी और मनीष अलगअलग कालेज में पढ़ते थे, फिर भी पढ़ाई को ले कर उन के बीच खूब बातचीत होती रहती थी.

दोनों की आदतें, शौक और विचार मेल खाते थे. पढ़ाई के साथसाथ दोनों के बीच फिल्मों को ले कर भी बातचीत होती थी. दोनों एक ही शौक के शिकार थे. दोनों घंटों बैठ कर बातें करते रहते, जिन में आधी बातें फिल्मों की होती थीं. एक जैसी रूचि के चलते दोनों काफी समय साथसाथ बिताते थे.

इंटरमीडिएट कर के दोनों प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लग गए. पुलिस विभाग में भरती होती तो दोनों ही फार्म भरते और साथसाथ पेपर देने जाते. साथ समय बिताने और बाहर जा कर घूमते. इसी सब के चलते दोनों एकदूसरे

के करीब आने लगे. वैसे भी हर मामले में दोनों के बीच समानताएं थीं. ऐसे में दोनों के दिल कब तक करीब आने से बच पाते.

समय के साथ दोनों को एकदूसरे का संग खूब भाने लगा था. दोनों साथसाथ रोमांटिक मूवी भी देखते. फिर फिल्म के कलाकारों की नकल करते, उन के डायलौग बोलते और उसी अंदाज में एकदूसरे को बांहों में भर कर आंखों में आंखें डाल कर उसी तरह बोलते जैसे फिल्म में कलाकार करते हैं. इस से दोनों एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए थे.

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दोनों एकदूसरे के दिल की धड़कनों की आवाज और सांसों की सरगम को बखूबी महसूस करते थे. दोनों को नजदीकियां अच्छी लगने लगी थीं. जब वे नजदीक होते तो अलग होने की बात को दिमाग में आने ही नहीं देते थे. लेकिन मजबूर हो कर उन्हें एकदूसरे से अलग होना ही पड़ता. फिल्मी कलाकारों के लव सीन की ऐक्टिंग करतेकरते दोनों एकदूसरे से प्यार कर बैठे. अब प्यार का इजहार बाकी था.

एक दिन लव सीन की ऐक्टिंग करतेकरते मनीष ने रिंकी को अपनी बांहों में लिया तो फिल्म के डायलौग न बोल कर उस ने अपने दिल की बात कहनी शुरू कर दी, ‘‘रिंकी, देखता तो मैं तुम्हें बचपन से आया हूं. लेकिन जब से हम ऐक्टिंग के जरिए एकदूसरे के नजदीक आए हैं, तब से मैं ने तुम्हें बेहद करीब से देखा. अब ये नजरें तुम्हारे सिवा कुछ और देखना ही नहीं चाहतीं.

‘‘तुम्हारी झील सी आंखों की गहराइयों में डूब कर तुम्हारे दिल का हाल जाना तो लगा कि तुम्हारा दिल भी मेरे पास आना चाहता है. इस बात की गवाही तुम्हारे दिल की धड़कनें देती हैं.

‘‘मैं तो तुम्हें दिलोजान से चाहता हूं. मुझे अपने प्यार पर भी पूरा भरोसा है कि वह मुझे बेइंतहा चाहता है, बस देर है तो उसे तुम्हारी जुबां से कुबूल करने की.’’

रिंकी तो जैसे उस के प्रेम से सराबोर हो गई और उस की आंखों में देखती हुई फिल्मी स्टाइल में बेसाख्ता बोली, ‘‘कुबूल है…कुबूल है…कुबूल है मेरे महबूब.’’

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यह सुन कर मनीष की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने रिंकी को अपने सीने से लगा लिया और बोला, ‘‘आई लव यू…आई लव यू रिंकी.’’

उस के प्यार भरे शब्द रिंकी के कानों में रस घोल रहे थे. उसे मीठा सुखद एहसास हुआ तो उस ने अपनी आंखें बंद कर लीं और मनीष के कंधे पर सिर रख दिया. काफी देर तक दोनों उसी स्थिति में बैठे रहे. बाद जब दोनों अलग हुए तो उन के चेहरे खिले हुए थे.

इस के बाद तो रिंकी और मनीष की तूफानी मोहब्बत तेजी के साथ बुलंदियों की तरफ बढ़ने लगी.

सन 2018 में रिंकी का चयन पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर हो गया. इटावा में टे्रनिंग के बाद उस की पोस्टिंग उरई (जालौन) के थाना रमपुरा में हुई. उरई में वह शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला शिवपुरी में किराए का कमरा ले कर रहने लगी.

दूसरी ओर मनीष बीसीए करने के बाद एलएलबी कर रहा था. उस ने पुलिस विभाग में भरती का फार्म भरा था, जिस का पेपर देने वह कानपुर गया. पेपर देने के बाद वह वहां से घर जाने के बजाय रिंकी के पास उरई चला गया. दोनों में फोन पर बात कर के तय कर लिया था कि मनीष पेपर दे कर कानपुर से सीधे उरई आ जाएगा. मनीष रिंकी के साथ उसी के कमरे पर रहने लगा.

रिंकी को पता था कि उस के पिता प्रेम सिंह गुस्सैल स्वभाव के है. वह उस की मरजी के बजाय उस की शादी अपनी मरजी से कराएंगे. इसलिए उन्हें बिना बताए रिंकी ने मनीष से शादी करने का फैसला कर लिया. 8 फरवरी, 2019 को 2 रिश्तेदारों की मौजूदगी में दोनों ने उरई के राधाकृष्ण मंदिर में विवाह कर लिया.

 

रिंकी के विवाह कर लेने की बात पिता प्रेम सिंह को लगी तो वह आगबबूला हो उठा.

उस ने मनीष के घर जा कर उस के पिता विश्वनाथ सिंह को खूब खरीखोटी सुनाई और मरनेमारने पर उतारू हो गया. उस ने मनीष के पिता विश्वनाथ से कहा कि जिस तरह उस के बेटे ने उस की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया है. उसी तरह भविष्य में एक दिन वह भी उस के परिवार की लड़की की ऐसे ही बिना मरजी के शादी करवा कर मानेगा. गांव वालों ने जैसेतैसे दोनों का बीचबचाव किया.

प्रेम सिंह को लगता था कि रिंकी ने अपनी मरजी से शादी कर के गांव में उस की नाक कटवा दी है.

इस में वह मनीष को दोषी मान रहा था कि उस ने ही रिंकी को बरगलाया होगा. जब बेटी कमाने लायक हुई तो अपनी मरजी से शादी कर के घर से दूर हो गई.

हालांकि रिंकी घर नहीं जाती थी लेकिन अपने वेतन में से कुछ रकम घर भेज दिया करती थी. जब रिंकी 7 माह की गर्भवती हुई तो उस ने मातृत्व अवकाश ले लिया, जिस से बच्चे की डिलीवरी और उस की देखभाल अच्छी तरह से हो सके.

घर में नए मेहमान के आने की खुशी में दोनों खुश थे. रिंकी ने जो चाहा था, वह उसे सब मिल रहा था. पहले पुलिस में नौकरी, जिसे चाहा उस का जीवन भर का साथ और अब उस के प्यार की निशानी जिंदगी में आने वाली थी. रिंकी मनीष को अपनी जान से भी ज्यादा चाहती थी. उस के आने से ही उस की जिंदगी में खुशी के रंग बिखरे थे.

 

इसी साल अपै्रल में रिंकी ने बेटे को जन्म दिया, जिस का नाम दोनों ने शिवाय रखा. समय कुछ आगे बढ़ा तो दोनों शिवाय के मुंडन संस्कार की तैयारी करने लगे. इस वजह से रिंकी ने घर पैसा भेजना बंद कर दिया.

दूसरी ओर प्रेम सिंह पहले से ही जलाभुना बैठा था. वह समय की ताक में था. माथे पर लगा बदनामी का दाग प्रेम सिंह को दिनरात चैन नहीं लेने देता था. प्रेम सिंह ने अपने साले देशराज सिंह को घर बुला कर इस मुद्दे पर बात की, उस समय प्रेम सिंह का बेटा अंकित भी मौजूद था.

देशराज फतेहपुर के थाना हुसैनगंज क्षेत्र के गांव सुखपुर का निवासी था. करीब 6 साल पहले उस ने गौसपुर में ही मकान बनवा लिया था. वह अपनी मां के साथ रहता था. उस की पत्नी और बच्चे उस के साथ नहीं रहते थे. देशराज अपराधी किस्म का था, वह कई बार जेल भी जा चुका था.

प्रेम सिंह ने अपने बेटे अंकित और साले देशराज के साथ मिल कर मनीष और रिंकी की हत्या की योजना बनाई. प्रेम सिंह के मन में दोनों के लिए इतनी नफरत थी कि वह दोनों को जिंदा नहीं देखना चाहता था.

योजनानुसार 22 अगस्त को अंकित अपनी बहन रिंकी के घर गया. भाई अंकित को घर आया देख रिंकी बहुत खुश हुई कि वह  उस से मिलने और अपने भांजे को देखने आया है.

जबकि अंकित वहां रेकी करने आया था. सारी स्थिति का मुआयना करने के बाद चलते समय उस ने रिंकी से मोबाइल खरीदने के लिए 10 हजार रुपए मांगे. रिंकी ने उसे 4 हजार रुपए दिए और कहा कि इस समय उस के पास इस से ज्यादा पैसे नहीं है.

अंकित उन रुपयों को ले कर वहां से चला आया. आ कर उस ने अपने पिता और मामा देशराज को सारी स्थिति से अवगत करा दिया.

27 अगस्त की शाम साढ़े 7 बजे प्रेम सिंह, देशराज और अंकित रिंकी के शिवपुरी वाले किराए के कमरे पर पहुंचे. पिता, मामा और भाई को एक साथ घर आया देख रिंकी खुशी से फूली नहीं समाई.

वह उन के लिए खाना बनाने के लिए किचन में चली गई. उस समय मनीष बेटे शिवाय को बैड पर लिटा कर दूध पिला रहा था. रिंकी के किचन में जाते ही प्रेम सिंह ने देशराज को इशारा किया तो देशराज ने किचन में जा कर रिंकी को दबोच लिया.

इधर प्रेम सिंह ने अंकित के साथ मिल कर मनीष को दबोच लिया. साथ में लाए 2 चाकुओं से दोनों ने मनीष के पेट पर ताबड़तोड़ प्रहार करने शुरू कर दिए. बेदर्दी से वार करते हुए प्रेम सिंह का चाकू तक टूट गया. मनीष की चीखों से कमरा और आसपास के लोग दहल उठे.

रिंकी यह सब देख कर बदहवास हालत में चीखनेचिल्लाने लगी. शोर सुन कर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए. तब तक मनीष की हत्या की जा चुकी थी. अपने आप को लोगों से  घिरा देख कर तीनों ने भागने की कोशिश नहीं की. तीनों कमरे में ही बैठ गए. उन्हें रिंकी को मारने का मौका नहीं मिला.

इसी बीच किसी पड़ोसी ने घटना की सूचना शहर कोतवाली को दे दी. सूचना पा कर इंसपेक्टर जे.पी. पाल पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. तीनों हत्यारों को हिरासत में लेने के बाद उन्होंने लाश का निरीक्षण किया.

मनीष के पेट पर लगभग 15-16 घाव थे. पास में ही 2 रक्तरंजित चाकू पड़े थे, जिन्हें इंसपेक्टर पाल ने अपने कब्जे में ले लिया. प्रेम सिंह और अंकित के चेहरे व हाथ पर खून के निशान मौजूद थे, जो उन की करनी की गवाही दे रहे थे.

 

आवश्यक पूछताछ के बाद इंसपेक्टर जे.पी. पाल ने बदहवास रिंकी को उस के बच्चे के साथ उरई में ही एक रिश्तेदार के यहां भेज दिया. इस के बाद उन्होंने लाश को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया और कमरे को सील कर के तीनों हत्याभियुक्तों को साथ ले कर कोतवाली आ गए.

कोतवाली आ कर उन्होंने रिंकी को वादी बना कर प्रेम सिंह लोधी, देशराज सिंह लोधी और अंकित सिंह लोधी के खिलाफ भादंवि की धारा 302/34 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया. कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद अगले दिन 28 अगस्त को तीनों हत्याभियुक्तों को न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक केस से संबंधित सभी साक्ष्य पुलिस द्वारा संकलित किए जा चुके थे. जल्द ही आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर देने की बात पुलिस द्वारा कही जा रही थी.

एक ससुर द्वारा दामाद को दिया जाने वाला ‘मौत का आशीर्वाद’ की चर्चा चारों ओर फैल चुकी थी. लोग उस के कुकृत्य पर उसे कोस रहे थे.

 

Nutrition Special: फिट रहने के लिए अपनाएं हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल

आज युवाओं में फास्टफूड की आदत तेजी से पनप रही है. इस से उन की सेहत को कितना नुकसान हो रहा है, इस बात का अंदाजा उन्हें तब लगता है जब उन का शरीर इस छोटी सी आयु में ही रोगग्रस्त होने लगता है. संतुलित भोजन के अभाव में शरीर कई तरह की बीमारियों से घिरने लगता है. इन बीमारियों में मुख्यरूप से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप असमय आंखों में चश्मा लगना और बालों का सफेद होना शमिल है :

कैसे जिएं स्वस्थ जीवन

युवाओं को चाहिए कि वे युवावस्था से ही ताउम्र स्वस्थ जीवन जीने के लिए अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें.

– सुबह साढ़े 5 से 6 बजे के बीच नियमित उठने की आदत डालें.

– उठते ही रोज 2-3 गिलास कुनकुना पानी पिएं. इस से पेट साफ रहेगा और पूरे दिन शरीर में ताजगी बनी रहेगी.

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– नियमित रूप से दांत साफ करें और चेहरा अच्छी तरह धोएं. इस से रात को चेहरे पर आई मृत चमड़ी के साफ होने से चेहरे के रोमकूप खुल जाते हैं और चेहरा चमकने लगता है.

– हर रोज सुबह व्यायाम करें.

– व्यायाम के बाद थोड़ा आराम कर स्नान अवश्य करें, इस से शरीर के रोमकूप साफ हो कर खुलते हैं और दिनभर पसीने के रूप में शरीर की गंदगी के लिए बाहर निकलने का रास्ता बनता है. इस तरह त्वचा में ताजगी बनी रहती है.

– जब भी समय मिले, 1-2 घंटे मैदान में जा कर खूब खेलें और पसीना बहाएं.

– हमेशा संतुलित भोजन ही करें.

भोजन हमें स्वाद के लिए नहीं करना चाहिए बल्कि स्वस्थ रहने के लिए करना चाहिए, इसलिए बिना भूख के खाना न खाएं. मनुष्य यह आदत जानवरों से भी सीख सकता है. जानवरों का पेट भरा होने के बाद आप चाहे उन के सामने कितना ही अच्छा चारा क्यों न डालें, वे नहीं खाते. यही कारण है कि जानवर कभी मोटापे का शिकार नहीं होते.

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भोजन के समय को हम 3 भागों में बांट सकते हैं:

1. सुबह का नाश्ता  2. दोपहर का भोजन, 3. रात्रि का भोजन.

नाश्ता : नाश्ते में दूध, अंडा, मक्खन, पनीर, अंकुरित अनाज, कच्चा सलाद, दलिया, उपमा, चपाती, हरी सब्जियां, सूखे मेवे, फल इत्यादि हर रोज अपनी इच्छानुसार बदलबदल कर ले सकते हैं. इन में से मनपसंद चीजें रोटी में डाल कर रोल बना कर खाया जा सकता है. इस तरह का पौष्टिक नाश्ता शरीर को स्वस्थ और तरोताजा रखता है.

कुछ लोग नाश्ता करना आवश्यक नहीं समझते जोकि सरासर गलत है. चूंकि हम रातभर लंबे समय तक बिना कुछ खाए रहते हैं इसलिए अगले दिन शरीर में ऊर्जा और स्फूर्ति बनाए रखने के लिए सुबह का नाश्ता अनिवार्य है. यदि हम अधिक शारीरिक परिश्रम करते हैं और भूख लगती है तो दोपहर के भोजन से 2 घंटे पहले और शाम को जूस या अन्य हलका भोजन भी ले सकते हैं.

दोपहर का भोजन : दोपहर का भोजन आवश्यकतानुसार भरपेट खाएं. इस समय हमारा भोजन कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, वसा, खनिज लवण विटामिनयुक्त संतुलित भोजन होना चाहिए.

रात्रि भोजन : रात्रि का भोजन सोने से 2-3 घंटे पहले अवश्य कर लेना चाहिए. भोजन करने के तुरंत बाद सोने से भोजन ठीक से पचता नहीं है. रात्रि का भोजन संतुलित होने के साथसाथ दोपहर के भोजन से हलका और सुपाच्य होना चाहिए, क्योंकि इस समय हमारे शरीर को केवल आराम ही करना होता है.

संतुलित भोजन के स्रोत

कार्बोहाइड्रेट्स : यह शरीर को शक्ति देता है. शारीरिक परिश्रम करने वालों को इस की अधिक आवश्यकता होती है. यह हमें स्टार्च वाले खा- पदार्थों जैसे चावल, आटा, मैदा, आलू विभिन्न प्रकार के अनाजों, दालों आदि से प्राप्त होता है. यह मीठे फलों खजूर, गन्ना, शलजम, चुकंदर, मेवा, चीनी, गुड़, शक्कर, शहद इत्यादि से प्राप्त होता है. इस की कमी से शरीर में निर्बलता आती है और भोजन भी ठीक से पचता नहीं है.

प्रोटीन : शारीरिक शक्ति प्रदान करने, कोशिकाओं की टूटफूट में सुधार करने, नई कोशिकाएं बनाने, मानसिक शक्ति बढ़ाने, रोग निवारणशक्ति उत्पन्न करने और शारीरिक वृद्धि के लिए भोजन में प्रोटीन का सेवन बहुत आवश्यक है. प्रोटीन में नाइट्रोजन की मात्रा बहुत अधिक होती है जो शारीरिक वृद्धि के लिए बहुत जरूरी है. नाइट्रोजन प्रतिदिन मूत्र के साथ काफी मात्रा में हमारे शरीर से बाहर निकलता रहता है. इसलिए इस कमी को पूरा करने के लिए हमें प्रतिदिन प्रोटीन का सेवन अवश्य करना चाहिए.

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यह हमें 2 प्रकार से प्राप्त होता है :

1. वनस्पति प्रोटीन  2. पशु प्रोटीन.

वनस्पति प्रोटीन हमें मटर, मूंग, अरहर, चना, अंकुरित अनाजों और हरी सब्जियों से प्राप्त होता है जबकि पशु प्रोटीन हमें दूध, मक्खन, पनीर, मांस, अंडे, मछली आदि से प्राप्त होता है जो उच्चकोटि का प्रोटीन माना जाता है.

इस की कमी से शारीरिक विकास रुक जाता है, त्वचा पर झाइयां पड़ जाती हैं, बाल झड़ जाते हैं, लिवर बढ़ जाता है. और बच्चों को सूखा रोग हो जाता है. इस की अधिकता से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता.

वसा : भोजन में पोषक तत्त्वों में वसा का महत्त्वपूर्ण स्थान है. इस के प्रयोग से शरीर में गरमी और शक्ति उत्पन्न होती है. यह शरीर के ऊतकों की क्षय हुई चरबी को पूरा करती है, त्वचा में चमक बनी रहती है और कार्बोहाइड्रेट्स को पचाने में सहायता मिलती है.

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यह हमें 2 प्रकार से प्राप्त होती है :

1. वनस्पति वसा, 2. प्राणीजन्य वसा.

वनस्पति वसा हमें विभिन्न प्रकार के खा- तेलों, बादाम, अखरोट, सोयाबीन, नारियल, काजू, पिस्ता, मूंगफली इत्यादि से प्राप्त होती है जबकि प्राणीजन्य वसा हमें घी, दूध, मक्खन, क्रीम, मछली के तेल आदि से प्राप्त होती है.

इस की कमी से त्वचा शुष्क हो जाती है और अधिकता से शरीर मोटा होने लगता है, पाचनक्रिया ठीक नहीं रहती, शरीर में बहुत अधिक मात्रा में वसा के एकत्रित होने से पित्ताशय में पथरी का डर रहता है.

खनिज लवण : हमारे शरीर में कैल्शियम, पोटैशियम, सोडियम, मैगनीशियम, फास्फोरस, लोहा, आयोडीन, क्लोरीन, सिलोकौन, सल्फर आदि अनेक क्षारीय पदार्थ पाए जाते हैं जो शरीर को रोग और निर्बलता से बचाते हैं. ये हमें विभिन्न प्रकार के खा- पदार्थों, हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, चौलाई, सरसों का साग, मूली के पत्ते आदि से प्राप्त होता है. दूध से हमें कैल्शियम और फास्फोरस नामक खनिज लवण मिलते हैं.

कैल्शियम तथा फास्फोरस हड्डियों और दांतों का निर्माण व उन्हें मजबूत बनाते हैं. सोडियम, पोटैशियम, क्लोरीन और फास्फोरस घुलनशील लवण हैं जो शरीर को तरल द्रव पहुंचाते हैं.

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इन की कमी से स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता. कैल्शियम की कमी से दांत और हड्डियां कमजोर होती हैं. बच्चों की वृद्धि रुक जाती है. लोहे की कमी से शरीर पीला पड़ जाता है जबकि आयोडीन की कमी से गलगंड नामक रोग हो जाता है. फास्फोरस की कमी से हड्डियों में विकार आ जाता है और मांसपेशियां दिखाई देने लगती हैं. पोटैशियम की कमी से हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और घबराहट होने लगती है.

विटामिन : फल, दूध, कच्चे अंडे और हरी सब्जियों में अधिकता से पाए जाते हैं. ये ताप सहन नहीं कर सकते, इसलिए खा- पदार्थों को उबालने, तलने, गलने और सूखने से विटामिन नष्ट हो जाते हैं. विटामिन कई प्रकार के होते हैं :

विटामिन ‘ए’ : यह ताजा घी, मांसाहारी पदार्थों, बंदगोभी, गाजर, मेथी के साग आदि में पाया जाता है. इस की कमी से रात को कम दिखाई देता है, लिवर में पथरी बनने लगती है, शरीर दुर्बल हो जाता है, दांतों में पायरिया नामक रोग हो जाता है.

विटामिन ‘बी’ : यह ताजे फलों, सब्जियों, दूध, अनाज के ऊपरी छिलकों में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है. इस की कमी से बेरीबेरी नामक रोग होता है जबकि विटामिन ’बी 12‘ की कमी से एनीमिया हो जाता है.

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विटामिन ‘सी’ : यह आंवला, नीबू, संतरे, मौसमी, टमाटर, अंकुरित अनाज आदि में पाया जाता है. इस की कमी से स्कर्बी नामक रोग होता है.

विटामिन ‘डी’ : यह सूर्य के प्रकाश से मानव शरीर में बनता है. इस के अतिरिक्त यह दूध, अंडे, मक्खन, पनीर, हरी पत्तेदार सब्जियों, मछली के तेल आदि में भी मिलता है. इस की कमी से रिकेट्स नामक रोग होता है जिस में हड्डियां विकृत और कमजोर हो जाती हैं.

पोटैटो डिगर से करें आलुओं की खुदाई

रोजाना की सब से खास सब्जी आलू की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है, मगर जमीन से इस की खुदाई के लिए किसानों को काफी परेशान होना पड़ता है. लेकिन पोटैटो डिगर का इस्तेमाल कर के किसान मजदूरों से नजात पा सकते हैं.

आलू की फसल तैयार होने के बाद आलू की खुदाई करने का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, क्योंकि खेतिहर मजदूरों की कमी हर तरफ हो रही है. अगर मजदूर मिलते भी हैं, तो उन में ज्यादातर अकुशल होते हैं. अकुशल मजदूर आलू की खुदाई ठीक से नहीं कर पाते, जिस से काफी आलू कट जाते हैं और मंडी में आलू की कीमत अच्छी नहीं मिलती इसी काम को अगर आलू खोदने वाली मशीन से किया जाए तो कम समय और कम खर्च में, अधिक जमीन से आलू की खुदाई कर सकते?हैं. मशीन के द्वारा आलू खुदाई करने पर आलू साफसुथरा भी निकलता है. उस के बाद आने वाली फसल की बोआई भी समय पर कर सकते?हैं. आलू खुदाई यंत्र को पोटैटो डिगर भी कहते हैं.

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जब किसान को लगे कि आलू की फसल खुदाई करने लायक हो गई है, तो आलू के पौधों को ऊपर से काट दें याउस तैयार आलू फसल पर खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव कर दें, ताकि पौधों के पत्ते सूख जाएं और फसल खुदाई करने लायक हो जाए.

आलू खुदाई यंत्र

केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान द्वारा तैयार आलू खुदाई यंत्र एक साथ 2 लाइनों की खुदाई करता?है. यंत्र में 2 तवेदार फाल लगे होते हैं, जो मिट्टी को काटते हैं. इस में नीचे एक जालीदार यंत्र भी लगा होता हैं, जो मिट्टी में घुस कर आलू को मिट्टी के अंदर से निकाल कर बाहर करता है. इस के साथ ही इस यंत्र पर एक बेड लगा होता है, जिस पर आलू जाल के घेरे से निकल कर गिरते हैं. यह बेड लगातार हिलता रहता है. इस बेड के हिलने से मिट्टी के ढेले टूट कर गिरते रहते हैं और साफ आलू खेत में मिट्टी की सतह पर गिरते हुए निकलते हैं. इस के बाद मजदूरों की सहायता से आलुओं को बीन कर खेत में जगहजगह इकट्ठा कर लिया जाता है और आखिर में सभी ढेरों से आलू इकट्ठा कर के एक जगह बड़ा ढेर बना लिया जाता है.

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संस्थान द्वारा निर्मित पोटैटो डिगर की कीमत तकरीबन 40,000 रुपए है, जिस पर सरकार द्वारा 25 फीसदी तक का अनुदान भी मिलता है. इस के बाद यह यंत्र मात्र 30,000 रुपए में पड़ता है. इस यंत्र को 35 हार्स पावर के ट्रैक्टर के साथ जोड़ कर चलाया जाता है. 1 हेक्टेयर जमीन की आलू खुदाई में 3 घंटे का समय लगता है और 12 लीटर डीजल की खपत होती है. इस यंत्र की अधिक जानकारी के लिए आप केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान, नवी बाग भोपाल से संपर्क कर सकते हैं या अपने नजदीकी कृषि विभाग से भी आलू खुदाई यंत्र के बारे में जानकारी ले सकते हैं. अनेक अन्य कृषि यंत्र निर्माता भी यह मशीन बना रहे हैं. इस बारे में अपने इलाके में पता किया जा सकता है.

प्रकाश पोटैटो डिगर

नवभारत इंडस्ट्रीज की प्रकाश आलू खुदाई मशीन भी भारत की श्रेष्ठ मशीन है.

यह मशीन सभी प्रकार के आलुओं की खुदाई के लिए उत्तम है. यह 1 बार में 2 मेड़ों की ही खुदाई करती है. इसे 35 एचपी या उस से अधिक शक्ति वाले ट्रैक्टर के साथ चलाया जाता है. मशीन में डबल जाल लगा होने के कारण आलू भी साफ निकलते हैं. प्रकाश आलू खुदाई यंत्र के सभी कलपुर्जे सीएनसी द्वारा बने होने के कारण लंबे समय तक चलते?हैं और मशीन पर उत्तम क्वालिटी का पेंट भी किया होता है. यत्र की कीमत तकरीबन 65,000 रुपए है. नवभारत इंडस्ट्रीज के प्रकाश ब्रांड के कृषि यंत्र आज कृषि के क्षेत्र में अच्छी पकड़ बना रहे हैं. आप भी अगर इन के यंत्र खरीदना चाहते हैं, तो इन के मोबाइल नंबर 09897591803 या कंपनी के फोन नंबर 0562-4042153 पर बात कर सकते हैं.

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स्वान एग्रो का पोटैटो डिगर

स्वान एग्रो का भी पोटैटो डिगर बाजार में मौजूद है,  इस कंपनी से जुड़े सुनील राठी ने हमें बताया कि इस मशीन में 56 इंच और 42 इंच के बैड लगे होते हैं. इस से 2 लाइनों में आलुओं की खुदाई होती है. इस यंत्र को 45 एचपी के ट्रैक्टर से जोड़ कर चलाया जा सकता है. इस यंत्र की कीमत 85,000 रुपए है. इस यंत्र के बारे में आप कंपनी के फोन नंबरों 91-161-2533186, 4346000-10 या सुनील राठी के मोबाइल नंबर 09050137100 पर फोन कर के जानकारी ले सकते हैं. महेश एग्रो वर्क्स, झज्जर से महेश कुमार ने बताया कि यह पोटैटो डिगर उन के पास भी मौजूद है. वे ठेके पर भी आलू की खुदाई करते हैं. अगर कोई उन से मशीन खरीदना चाहे या आलू खुदवाना चाहे तो उन के मोबाइल नंबरों 08901534610 या 9991534610 पर संपर्क कर सकता है.

* कीटनाशी के लिए आप पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24 एसएल की 100 मिलीलीटर मात्रा को 15 लीटर पानी में मिला कर घोल बना लें और इस घोल का फसल पर छिड़काव करें, जिस से आलू के पौधे सूख जाएंगे. फिर आप पोटैटो डिगर से खुदाई करें.

ग्रेडिंग मशीन से करें आलू छंटाई

* आलुओं के अलगअलग साइजों की छंटाई कर के उन्हें अलग कर लें. बीज के लिए भी आलू अलग छांट लें. आलुओं को शुगर फ्री चैंबर में भंडारित करें. शुगर फ्री आलू का बाजार मूल्य अधिक मिलता है.

* आलुओं की छंटाई का काम आप ग्रेडिंग मशीन से भी कर सकते हैं. महावीर जांगड़ा ने एक ग्रेडिंग मशीन बनाई है, जो आलू के अलावा किन्नू व संतरा जैसे फलों की भी ग्रेडिंग करती है. गे्रडिंग मशीन की जानकारी के लिए महावीर जांगड़ा के मोबाइल नंबर 09896822103 पर भी संपर्क कर सकते हैं.

आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने वाली मशीन

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(डोरा या कुल्पा मशीन)

अगर आलू के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का समय?है, तो इस काम को भी आप मशीन से कर सकते हैं. इंदौर के श्री बजरंग मशीन शाप के ऋषभ चौहान ने बताया कि वे आलू की फसल पर मिट्टी चढ़ाने वाली मशीन पिछले कई सालों से बना रहे?हैं, जिसे 6 हार्स पावर के जर्मन इंजन के साथ करीब 70,000 रुपए में बेचते हैं. इस कीमत में 35,000 रुपए तो इंजन की कीमत के ही शामिल हैं. बिना इंजन के यह मशीन 45,000 में मिलती है. कीमत में उतारचढ़ाव भी हो सकता है. इंजन में 1 घंटे में तकरीबन 3 लीटर तेल की खपत होती?है. अधिक जानकारी के लिए आप मोबाइल नंबर 08817073746 पर बात कर सकते हैं.

लौट जाओ शैली- भाग 4: कैसे प्यार में बर्बाद हुई शैली की जिंदगी?

दिनमहीने गुजरते गए. 8-10 महीने बाद पूनम की भी शादी हो गई. उस ने जिम की नौकरी छोड़ दी. पूनम उम्र में शैली से छोटी थी. शैली को थोड़ा अखरा. पूनम ने अपनी शादी में किसी को भी नहीं बुलाया था, न ही शादी का कार्ड दिया था. कोई नहीं जानता था कि उस की शादी कहां और किस से हुई है. जिम में शैली की एकमात्र सहेली पूनम ही थी, जो उस की राजदार थी और जिस से वह अपने दिल की बात कह देती थी. अब शैली को अकेलापन सा लगता.

इसी तरह 3 साल और गुजर गए और विनीत इस बीच एक और बेटे का बाप बन गया. उस की पत्नी ने अपने सासससुर को अपने पास बुलवा लिया था और बच्चों को उन के सुपुर्द कर के वह जिम आने लगी थी. धीरेधीरे उस ने चारों जिम का काफी कुछ काम संभाल लिया. जब तक विनीत जिम में होता, उस की पत्नी उस के साथ केबिन में बैठी रहती. अत: शैली को विनीत से बातचीत करने का मौका ही नहीं मिल पाता. उस के और विनीत के बीच बस काम को ले कर औपचारिक बातचीत ही हो पाती थी. विनीत उस के घर भी नहीं आ पाता था. शैली मन मसोस कर रह जाती थी. यों भी वह 32 वर्ष की हो चुकी थी और विनीत की नजरों में अपना आकर्षण खो चुकी थी. कसरत के कारण बदन भले ही चुस्तदुरुस्त था, लेकिन चेहरे पर उम्र का असर दिखाई देने लगा था.

और वैसे भी अब विनीत का मन रंजना नाम की नई लड़की से लगा हुआ था. रंजना 22 साल की चंचल, शोख, चुलबुली और आकर्षक युवती थी. विनीत उस के साथ वही कहानी दोहरा रहा था जो उस ने कभी शैली के साथ रची थी. शैली को रंजना को देख कर अफसोस होता. तरस आता कि इस का भी वही हश्र होगा जो मेरा हुआ. पर उसे पता था कि अगर वह रंजना को समझाने की कोशिश करे तो भी उसे कुछ समझ में नहीं आएगा. उस को भी तो उस समय कुछ समझ में नहीं आया था. चमकदमक से भरी ग्लैमरस लाइफ में उलझी यह उम्र ही ऐसी होती है. लेकिन शैली को बहुत दुख होता जब विनीत उस के काम में गलतियां निकालता, उसे झिड़क देता. शैली टूट जाती. तभी एक दिन मां का फोन आया कि उन्होंने बहू की ससुराल तरफ से किसी लड़के का फोटो कूरियर से उसे भेजा है. लड़का 38 साल का है और तलाकशुदा है. पर अच्छा यह है कि कोई बालबच्चा नहीं है. मां ने साफसाफ शब्दों में उसे कह दिया कि अब भी अगर उस ने शादी के लिए मना कर दिया तो वे उस से कोई रिश्ता नहीं रखेंगी, न ही उस के विवाह के लिए प्रयत्न करेंगी.

तीसरे दिन शैली को लड़के का फोटो मिल गया. साधारण नैननक्श वाला, सीधासाधा सा कुछ स्थूल सा आदमी था. शैली ने फोटो टेबल पर रख दिया. अब यही बचा है उस की किस्मत में.

दूसरे दिन शैली किसी काम से बाजार गई तो अचानक पीछे से आवाज आई, ‘‘अरे शैली तुम?’’

शैली ने पीछे देखा तो पूनम को देख कर एक सुखद आश्चर्य में डूब गई. फिर उस से बोली, ‘‘कितने सालों बाद मिली हो. तुम तो मुझे एकदम भूल ही गईं.’’

‘‘क्या करूं घरगृहस्थी में उलझ गई थी. और तुम कैसी हो? जिम में सब कैसे हैं?’’ पूनम ने कहा.

‘‘सब ठीक है…,’’ शैली कहतेकहते अचानक रुक गई. सामने से अचानक आकाश एक छोटे बच्चे को गोद में ले कर आया और शैली पर एक उपेक्षित सी उचटती हुई निगाह डाल कर पूनम से बोला, ‘‘जरा इसे पकड़ो, मैं सामान गाड़ी में रख दूं. यह और घूमने की जिद कर रहा है, मैं इसे ले जाता हूं…’’

कहते हुए आकाश ने बच्चे को पूनम की गोद में दिया और पास खड़ी चमचमाती गाड़ी का गेट खोल कर सामान की थैलियां रख कर बच्चे को ले कर वापस चला गया. अब शैली को समझ में आया कि पूनम ने अपनी शादी में किसी भी जिम वाले को क्यों नहीं बुलाया था.

‘‘मैं जानती हूं कि तुम्हारे मन में कई सवाल उठ रहे होंगे. आकाश का रिश्ता मेरे मौसाजी के भाई ले कर आए थे मेरे लिए. तुम ने उसे छोड़ने का निर्णय बड़ी जल्दी लिया शैली. आकाश की बहनों को अच्छे नंबरों की वजह से स्कौलरशिप मिल गई और साथ ही उन्होंने पार्ट टाइम नौकरी कर के अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं ही उठाया. पढ़ाई पूरी होने पर अपने कालेज में पढ़ने वाले अपनी पसंद के लड़कों से उन का विवाह हो गया. आज वे सुखी संपन्न हैं. हम ने उन की पढ़ाई और दहेज के लिए रखे रुपयों के अलावा कुछ लोन ले कर एक घर खरीद लिया और 2 गाडि़यां भी. आज मेरे पास प्यार करने वाले पति, स्नेह लुटाने वाले सासससुर और प्यारे से बेटे के अलावा घर, गाड़ी, संपन्नता सब कुछ है. आकाश तो मुझे जान से ज्यादा प्यार करता है,’’ पूनम ने बताया.

शैली के अंदर छन्न से कुछ टूट गया. उस ने गौर से पूनम को देखा. कीमती सूट, हाथ में हीरे की अंगूठी, हीरे के टौप्स, सोने की चूडि़यां और चेहरे का लावण्य उस के सुखी होने की गवाही दे रहा था. सचमुच 7 साल में उसे उम्र छू भी नहीं पाई थी. वह और अधिक निखर गई थी. आकाश भी तो पहले से अधिक निखरा और आकर्षक लग रहा था और उस का बेटा… शैली के कलेजे में एक हूक सी उठी. वह मूर्खता नहीं करती तो वह प्यारा सा बच्चा आज उस का होता. वह थोड़ा धीरज रखती, सामंजस्य करती तो आज यह सारा ऐश्वर्य उस का होता.

‘‘तुम्हारी स्थिति देख कर लगता है कि तुम ने अभी भी विवाह नहीं किया है. कब तक ऐसी रहोगी? इस से पहले कि सब कुछ हाथ से निकल जाए, शैली, लौट जाओ,’’ और पूनम उस से विदा ले कर अपने बच्चे और आकाश के पास चली गई. शैली भौचक्की सी थोड़ी देर तक खड़ी रही. फिर थकी हुई सी घर लौट आई. उस की आंखों के सामने रहरह कर पूनम और आकाश के सुखीसंतुष्ट चेहरे घूम जाते. बिस्तर पर लेटी वह देर तक रोती रही. शाम को जब थोड़ी संयत हुई तब उस ने मां को फोन लगाया, ‘‘मां, मैं घर वापस आ रही हूं. तुम उस लड़के को हां कह दो. मैं शादी करने को तैयार हूं.’

 

 

लौट जाओ शैली- भाग 2: कैसे प्यार में बर्बाद हुई शैली की जिंदगी?

दूसरे दिन दोपहर में शैली जिम से घर आई और नहाने गई. नहा कर वह गैलरी में खड़ी हो कर बाल सुखा रही थी कि तभी नीचे पोर्च में विनीत की कार आ कर रुकी. शैली खुश हो गई, क्योंकि आज उस ने जिम में जब पूछा तो विनीत ने मना कर दिया था आने के लिए. विनीत के बैल बजाने से पहले ही शैली ने दरवाजा खोल दिया.

‘‘क्या बात है डार्लिंग, आज तो नहाधो कर फ्रैश हो कर हमारे स्वागत के लिए खड़ी हो?’’ विनीत ने दरवाजा खुलते ही शैली की कमर में अपनी बांह का घेरा डालते हुए कहा.

‘‘चलो हटो. तुम तो आज आने वाले नहीं थे न ?’’ शैली ने बड़ी अदा से कहा.

‘‘अरे जानेमन, हम ने सोचा कि चलो आप को सरप्राइज दें. हम आप के लिए एक तोहफा लाए हैं,’’ कह कर विनीत ने नीचे जा कर 2 आदमियों की सहायता से एक टीवी ऊपर ला कर ड्राइंगरूम में रखवा दिया.

उन आदमियों के जाने के बाद विनीत ने शैली को बांहों में लेते हुए कहा, ‘‘कल मैं इस का कनैक्शन करवा दूंगा. देखा मैं तुम्हारा कितना खयाल रखता हूं. अब तुम भी मेरा थोड़ा खयाल रखो,’’ और विनीत शैली को बैडरूम में ले गया. एक दिन जिम में 2 लड़के आए. उन्होंने 3 महीने का पैकेज लिया. शैली ने दोनों का ऐडमिशन करवा लिया. एक लड़के का नाम आकाश और एक का नाम अनिल था. दूसरे दिन से अनिल और आकाश नियमित रूप से जिम आने लगे. शैली ही उन लोगों को ट्रेनिंग देती. धीरेधीरे शैली को लगने लगा कि आकाश उस में कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी ले रहा है. वह कुछ भी पूछने या सिखाने के बहाने शैली को अपने आसपास ही बनाए रखता. शैली को भी आकाश अच्छा लगने लगा. वह भी उस के आसपास रहना पसंद करने लगी, क्योंकि आकाश था बहुत हैंडसम. विनीत के अलावा यदि किसी अन्य युवक ने शैली को अपनी ओर आकर्षित किया तो वह आकाश ही था.

सच तो यह था कि शैली अब यह महसूस करने लगी थी कि विनीत जीवन में उसे क्या दे पाएगा? वह उस से शादी तो करेगी नहीं. ऐसे वह सिर्फ उस की प्रेमिका बन कर कैसे सारी उम्र गुजार दे? विनीत के साथ उस का क्या भविष्य होगा? आकाश दिखने में अच्छा है और अच्छी नौकरी भी है. अच्छी कार में आता है तो जाहिर है पैसे वाला ही होगा. शैली भी आकाश में अपनी खुली दिलचस्पी दिखाने लगी. हां, वह यह ध्यान जरूर रखती कि ये सारी बातें विनीत की जानकारी में न आ जाएं, क्योंकि वह आकाश के बारे में सब कुछ जानने और उस की तरफ से पक्का आश्वासन मिलने तक विनीत के मन में अपने प्रति व्यर्थ का कोई संशय पैदा नहीं करना चाहती थी.

मौका देख कर शैली आकाश के साथ बाहर भी जाने लगी. अब शैली को इंतजार था आकाश के प्यार का इजहार करने और शादी का वादा करने का.

अब उसे दोपहर में विनीत का इंतजार नहीं रहता था, बल्कि विनीत के आ जाने से उसे कोफ्त ही होती थी. अकसर वह दोपहर और रात में आकाश के साथ उस की कार या बाइक पर घूमती या दोनों किसी दूर और एकांत जगह पर जा कर बैठे रहते. विनीत के पूछने पर वह यह बहाना बना देती कि किसी सहेली के साथ गई थी. आकाश से एकांत में मिलने पर शैली का मन मचलने लगता था, लेकिन आकाश का मर्यादित व्यवहार देख कर उसे अपने ऊपर संयम रखना पड़ता था. आकाश कभी उसे हाथ तक न लगाता. अत: शैली को भी अपनी उच्छृंखल मनोवृत्तियों को काबू में रखना पड़ता ताकि आकाश के मन में उसे ले कर कोई गलत धारणा न बैठ जाए. वह नहीं चाहती थी कि किसी भी तरह से आकाश के मन में उस के उन्मुक्त आचरण को ले कर कोई संशय उभरे और वह उसे छोड़ दे. इसलिए आकाश के सामने वह अपनेआप को सौम्य, शालीन और मर्यादा में रहने वाली दिखाने की हर संभव चेष्टा करती.

आखिर करीब 3 महीने साथसाथ कुछ समय बिता लेने के बाद आकाश ने शैली के प्रति अपनी चाहत का इजहार कर ही दिया. शैली उस दिन बहुत खुश थी. आकाश के दिए लाल गुलाब को हाथ में लिए वह देर तक अपने सुनहरे भविष्य के सपनों में खोई रही. अब उसे विनीत की ‘कीप’ बनी रहने की कोई जरूरत नहीं है, अब वह आकाश की ब्याहता पत्नी बनेगी.

अगले दिन आकाश उसे अपने मातापिता से मिलवाने ले जाने वाला था. उस ने अपने मातापिता को शैली के बारे में बताया था. वे और आकाश की दोनों बहनें शैली से मिलने के लिए अत्यंत उत्सुक थीं. शैली उस दिन बहुत अच्छी तरह से तैयार हुई. वह आकाश के सामने किसी भी कीमत पर उन्नीस नहीं दिखना चाहती थी. वह आकाश के परिवार पर अपना पूरा प्रभाव जमाना चाहती थी कि वह आकाश से किसी माने में कम नहीं है.

शैली आकाश को बाइक पर आते देख कर ताला लगा कर नीचे उतर आई. उसे बाइक पर आया देख शैली को थोड़ा अखर गया कि आज तो इसे कार से आना चाहिए था.

‘‘आज तुम कार से नहीं आए. अपनी होने वाली पत्नी को तो तुम्हें अपने मातापिता से मिलवाले कार से ले जाना चाहिए था न,’’ शैली ने ठुनकते हुए आकाश से कहा.

‘‘अरे वह कार तो अनिल की है. अपनी सवारी तो यही है मैडम,’’ आकाश हंसते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मुझे ड्राइविंग का बहुत शौक है, इसलिए उस की कार हमेशा मैं ही चलाता हूं. अभी तो मेरे पास कार नहीं है पर तुम चिंता क्यों करती हो. हम दोनों मिल कर जल्दी ही कार भी ले लेंगे,’’ आकाश ने सहज रूप से कहा पर शैली का मन बुझ गया. हालांकि आकाश ने अपने बारे में कभी कुछ बढ़ाचढ़ा कर नहीं बताया तब भी शैली मान कर चली थी कि वह बहुत पैसे वाला और कारबंगले वाला है.

लौट जाओ शैली- भाग 3: कैसे प्यार में बर्बाद हुई शैली की जिंदगी?

10 मिनट में ही वे दोनों आकाश के घर पहुंच गए. घर देख कर शैली का मन और खराब हो गया. वह तो सोच रही थी कि आकाश हाईफाई लग्जूरियस बंगले में रहता होगा, लेकिन यहां तो एक अत्यंत साधारण सा, पुराना सा मकान है. कालोनी भी पौश नहीं थी, साधारण मध्यवर्गीय लोगों के ही घर थे चारों ओर.

शैली भारी मन और बोझिल कदमों से आकाश के साथ घर में गई. ड्राइंगरूम की साजसज्जा अत्यंत साधारण थी. फर्नीचर भी पुराना था. वह जिस चमकदमक और ग्लैमर की उम्मीद लगाए बैठी थी, स्थिति उस से बिलकुल विपरीत थी. आकाश के घर वाले, मातापिता और दोनों बहनें उस से अत्यंत उत्साह से मिलीं. उन्होंने मन लगा कर शैली की आवभगत की, लेकिन शैली पूरे समय अपनी बातों का सिर्फ हांहां में जवाब देती रही. उस का दम घुट रहा था उस परिवेश में. वह जल्द से जल्द वहां से निकल जाना चाहती थी.

2 घंटे बाद आकाश उसे ले कर चला और उसे उस के घर छोड़ने से पहले एक रैस्टोरैंट ले गया. आकाश के घर से निकल कर शैली ने खुली हवा में आ कर ऐसे चैन की सांस ली जैसे वह जेल से छूटी हो. दोनों एक कोने वाली टेबल पर जा कर बैठ गए.

‘‘कैसा लगा तुम्हें मेरा परिवार, मम्मीपापा और बहनें?’’ आकाश ने उत्साह से शैली से पूछा और शैली उस की बात का कुछ जवाब देती इस से पहले ही वह बताने लगा कि उस के मातापिता और बहनें कितने अच्छी हैं. उसे कितना प्यार करते हैं सभी और शैली को भी कितने प्यार से रखेंगे वगैरह.

शैली अंदर ही अंदर कसमसा रही थी. वह आकाश से प्यार भी करती थी और उस के पुराने घर में बुझी हुई मध्यवर्गीय जिंदगी भी जीना नहीं चाहती थी. अजीब सी कशमकश में घिरी थी वह. आकाश ने भी भांप लिया कि उस के परिवार से मिल कर शैली खास खुश नहीं है.

‘‘आकाश, तुम तो इतना पैसा कमाते हो फिर ऐसे पुराने घर में क्यों रहते हो और अपनी कार क्यों नहीं खरीदते?’’ आखिर शैली के मन की बात उस की जबान पर आ ही गई.

‘‘ओहो इतनी सी बात को मन में पकड़ कर बैठी हो. खरीद लेंगे डियर वे दोनों चीजें. दरअसल, साल भर हुआ है पापा की बाईपास सर्जरी हुए. उस में काफी पैसा खर्च हुआ. मेरी पढ़ाई में भी बहुत पैसा लग गया और अब एक बहन इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रही है और दूसरी पूना के प्रतिष्ठित कालेज से एमबीए करना चाह रही है. इन दोनों का खर्च कुल मिला कर क्व8-10 लाख हो जाएगा. फिर दोनों का विवाह करना है. पर तुम क्यों चिंता करती हो, हम दोनों मिल कर सब ठीक कर लेंगे. घरगाड़ी सब आ जाएगा. हां, कुछ साल लगेंगे,’’ आकाश ने बड़े प्यार और विश्वास से शैली की ओर देखते हुए कहा.

उस दिन शैली ने बात आगे नहीं बढ़ाई और घर आ गई. दूसरे दिन उस ने सारी बात पूनम को बताई.

‘‘आकाश जिस तरह से हर चीज खरीदने में ‘हमहम’ कह रहा था उस से तो साफ जाहिर है कि वह मेरे पैसों का उपयोग अपना घर चलाने में करना चाहता है,’’ शैली ने कहा.

‘‘मेरा से तेरा मतलब क्या? शादी के बाद तो वह तुम दोनों का होगा न?’’ पूनम ने सहज स्वर में कहा.

‘‘कम औन यार, अगर पैसा मैं उसे दे दूं घर या कार खरीदने के लिए तो मेरे पास क्या बचेगा? मैं क्या अपनी लाइफ ऐंजौय कर पाऊंगी?’’ शैली का स्वर तल्ख था.

‘‘ये क्या तेरामेरा कर रही है. घर तो तेरा ही होगा. कार में भी तो तू ही घूमेगी न,’’ पूनम ने उसे समझाया.‘‘क्यों उस का बड़ा कुनबा नहीं है क्या? अगर मैं अपने पैसों से घर खरीद भी लूं तो मुझे उस घर में क्या मिलेगा एक कमरा और क्या?’’ शैली ने भुनभुनाते हुए कहा.

‘‘इतनी स्वार्थी न बन शैली. अफसोस है कि तू इतनी संकीर्ण विचारों की है. दरअसल, तुझे उन्मुक्त जीवनशैली की आदत हो गई है, इसीलिए बस अपना सुख चाहिए घरपरिवार और रिश्ते नहीं. लेकिन एक वक्त आएगा जब तुझे परिवार और रिश्तों की तीव्र जरूरत महसूस होगी और तेरे पास कोई नहीं होगा. उस के पहले संभल जा. पैसावैसा सब ठीक है, लेकिन इस के लिए आकाश जैसे अच्छे लड़के को छोड़ देना अक्लमंदी नहीं है,’’ पूनम के स्वर में शैली के लिए तिरस्कार का भाव था.

‘‘मैं अपना पैसा उस के पिताजी की दवाओं या बहनों की पढ़ाई और शादीब्याह में खर्च कर दूं, तो बता मेरे पास जीवन का आनंद लेने के लिए क्या बचेगा? शादी को ले कर मेरे भी तो कुछ अरमान हैं वे दिन बीत जाने के बाद वापस थोड़े ही आएंगे,’’ शैली ने अपना तर्क रखा.

‘‘जैसी तेरी मरजी. सच तो यही है कि विनीत के साथ रहते हुए तू बस अपने लिए जीना सीख गई है. तुझे जीवन में और किसी से कोई लेनादेना नहीं रहा है. लेकिन विनीत पर अधिक भरोसा मत रखना. वह शादीशुदा है, अपनी पत्नी को छोड़ कर तुझे तो अपनाने से रहा. आकाश तुझे सच्चे मन से चाहता है. क्या हुआ अगर उस के साथ शुरुआती सालों में तू चकाचौंध भरी जिंदगी नहीं जी पाएगी. पर उस का भविष्य तो उज्ज्वल है,’’ पूनम ने कहा और उठ कर अपनी सीट पर वापस आ कर अपना काम करने लगी. वह जानती थी शैली की आंखों पर ग्लैमर की पट्टी चढ़ी हुई है. वह संघर्षपूर्ण जीवन या सामंजस्य के लिए किसी भी तरह से तैयार नहीं होगी.

विनीत को शैली और आकाश के बारे में कुछ भनक लग गई. शैली जिम की जिम्मेदारी निभाने और लोगों को इंप्रैस कर के जिम जौइन करने के लिए प्रेरित करने में बहुत माहिर थी. विनीत उस के कारण काफी कुछ निश्चिंत था. वह किसी भी कीमत पर शैली को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था. उस ने तुरंत ही शैली पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया. उस के लिए महंगे उपहार लाने लगा, उसे पार्टियों में ले जाने लगा और जिम में ज्यादा से ज्यादा समय उस के साथ गुजारने लगा. उस ने

शैली के घर आनाजाना भी बढ़ा दिया.

शैली जो आकाश के साथ रहते हुए विनीत से दूर होने लगी थी, अब आकाश को छोड़ कर वापस विनीत के साथ इन्वौल्व होने लगी. उस ने आकाश से शादी के लिए साफसाफ मना कर दिया. आकाश ने जिम आना छोड़ दिया और फिर शैली से उस का कोई संपर्क नहीं था. शैली का जीवन वापस उसी ढर्रे पर चलने लगा. अब तो उस की मां ने उस से शादी के लिए पूछना भी छोड़ दिया. पहले तो शैली दीपावली आदि त्योहारों पर घर भी जाती थी, लेकिन लोगों की कानाफूसियों और शादी के लिए की जा रही टोकाटाकी से तंग आ कर उस ने वहां जाना छोड़ दिया.

जिम की ऐनुअल पार्टी में शैली ने फिर विनीत के साथ खूब ऐंजौय किया. बेटे की तबीयत खराब होने की वजह से उस की पत्नी नहीं आ पाई तो शैली और विनीत देर तक डांस करते रहे. उस रात देर तक विनीत शैली के घर में भी रहा. शैली का पिछला सारा मलाल धुल गया.

शैली के विवाह के लिए इनकार करने की बात से थक कर आखिर उस के मातापिता ने उस के छोटे भाई का विवाह तय कर दिया. शैली विवाह में शामिल होने गई तो पहली बार उस के मन में एक कसक सी उठी. दोनों बहनें अपनेअपने पति व बच्चों में व्यस्त थीं. मातापिता, नातीनातिन व दामादों की खातिरदारी और नई बहू को ले कर ही व्यस्त और उत्साहित थे. कुछ वर्षों पहले जब शैली घर आती थी तो सब उस के आसपास मंडराते रहते. चारों ओर उस की पूछ होती रहती. पर आज सब अपने में मस्त और व्यस्त थे. शैली अपनेआप को बहुत उपेक्षित सा महसूस कर रही थी. वह हफ्ते भर के लिए आई थी मगर 3 दिनों में ही वापस चली गई.

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