रोजाना की सब से खास सब्जी आलू की खेती भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है, मगर जमीन से इस की खुदाई के लिए किसानों को काफी परेशान होना पड़ता है. लेकिन पोटैटो डिगर का इस्तेमाल कर के किसान मजदूरों से नजात पा सकते हैं.

आलू की फसल तैयार होने के बाद आलू की खुदाई करने का काम भी काफी मशक्कत वाला होता है, क्योंकि खेतिहर मजदूरों की कमी हर तरफ हो रही है. अगर मजदूर मिलते भी हैं, तो उन में ज्यादातर अकुशल होते हैं. अकुशल मजदूर आलू की खुदाई ठीक से नहीं कर पाते, जिस से काफी आलू कट जाते हैं और मंडी में आलू की कीमत अच्छी नहीं मिलती इसी काम को अगर आलू खोदने वाली मशीन से किया जाए तो कम समय और कम खर्च में, अधिक जमीन से आलू की खुदाई कर सकते?हैं. मशीन के द्वारा आलू खुदाई करने पर आलू साफसुथरा भी निकलता है. उस के बाद आने वाली फसल की बोआई भी समय पर कर सकते?हैं. आलू खुदाई यंत्र को पोटैटो डिगर भी कहते हैं.

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जब किसान को लगे कि आलू की फसल खुदाई करने लायक हो गई है, तो आलू के पौधों को ऊपर से काट दें याउस तैयार आलू फसल पर खरपतवारनाशी दवा का छिड़काव कर दें, ताकि पौधों के पत्ते सूख जाएं और फसल खुदाई करने लायक हो जाए.

आलू खुदाई यंत्र

केंद्रीय कृषि अभियांत्रिकी संस्थान द्वारा तैयार आलू खुदाई यंत्र एक साथ 2 लाइनों की खुदाई करता?है. यंत्र में 2 तवेदार फाल लगे होते हैं, जो मिट्टी को काटते हैं. इस में नीचे एक जालीदार यंत्र भी लगा होता हैं, जो मिट्टी में घुस कर आलू को मिट्टी के अंदर से निकाल कर बाहर करता है. इस के साथ ही इस यंत्र पर एक बेड लगा होता है, जिस पर आलू जाल के घेरे से निकल कर गिरते हैं. यह बेड लगातार हिलता रहता है. इस बेड के हिलने से मिट्टी के ढेले टूट कर गिरते रहते हैं और साफ आलू खेत में मिट्टी की सतह पर गिरते हुए निकलते हैं. इस के बाद मजदूरों की सहायता से आलुओं को बीन कर खेत में जगहजगह इकट्ठा कर लिया जाता है और आखिर में सभी ढेरों से आलू इकट्ठा कर के एक जगह बड़ा ढेर बना लिया जाता है.

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