सौजन्या- मनोहर कहानियां

वह 10 जुलाई, 2020 का दिन था. दोपहर के 3 बज रहे थे. उत्तराखंड की योगनगरी ऋषिकेश के कोतवाल रीतेश शाह कोतवाली में ही थे. तभी एक महिला उन के पास पहुंची. महिला ने बताया, ‘‘सर, मैं गली नंबर 2, चंद्रशेखर नगर में रहती हूं और मेरा नाम कुसुम है. मेरा बेटा नरेंद्र राठी टैक्सी चलाता है. वह शादीशुदा है और उस के 2 बेटे हैं. वह पहली जुलाई को घर से निकला था, उस के बाद वह अभी तक नहीं लौटा है.’’

‘‘आप के बेटे की किसी से दुश्मनी तो नहीं थी?’ शाह ने पूछा  ‘‘नहीं सर, उस की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी, बल्कि वह तो अपने काम से काम रखता था.’’ कुसुम ने बताया.

‘‘तुम ने उसे कहांकहां तलाश किया है?’’ शाह ने पूछा.

‘‘सर पिछले 10 दिनों में मैं और मेरे रिश्तेदार नरेंद्र के दोस्तों और अपने सभी रिश्तेदारों के घर पर उसे तलाश कर चुके हैं, मगर हमें अभी तक उस के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है. सर, मेरी आप से विनती है कि आप मेरे बेटे को तलाश करने में मेरी मदद करें.’’ कुसुम बोली.

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इंसपेक्टर रीतेश शाह ने नरेंद्र राठी की गुमशुदगी दर्ज कर ली और जांच एसआई चिंतामणि को सौंप दी. एसआई चिंतामणि ने सब से पहले नरेंद्र राठी की पत्नी पूजा से पूछताछ की. इस के बाद उन्होंने नरेंद्र के पड़ोसियों से भी उस के बारे में जानकारी जुटाई.

उन्हें पता चला कि नरेंद्र के अपनी पत्नी पूजा के साथ अच्छे संबंध नहीं थे. वह अकसर शराब पी कर उस से मारपीट करता था. इस के अलावा यह भी जानकारी मिली कि नरेंद्र की गैरमौजूदगी में उस के घर पर अमन नामक एक प्लंबर ठेकेदार अकसर आताजाता है.

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