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शाहजादा अलीः बच्चों के संसार में झांकने का प्रयास….’’

फिल्म समीक्षाः
रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माताः अकबर और आजम कादरी
लेखक व निर्देशकः अकबर और आजम कादरी
कैमरामैनः नासिर जमाल
कलाकारः निधि बिस्ट,जीशान कादरी,इजहार खान,शाहबाज,
अवधिः एक घ्ंाटा सोलह मिनट
ओटीटी प्लेटफार्म:एमएक्स प्लेअर

हमारे देश में बाल फिल्मों का सदैव अभाव रहा है.हमारे फिल्मकार बच्चों के लिए या बच्चों  के नजरिए से फिल्में बनाना पसंद ही नहीं करते हैं.कभी कभार कोई फिल्मकार बच्चों के लिए फिल्म लेकर आता है,मगर वह रोचक नहीं होती हैं.मगर अब तीन सौ से अधिक कहानियां लिख चुके,कई म्यूजिक वीडियो निर्देशित कर चुके जुड़वा भाई अकबर और आजम कादरी एक फिल्म‘‘शाहजादा अली’’लेकर आए हैं,यह एक अलग बात है कि वह इसे बाल फिल्म की संज्ञा देना पसंद नहीं करते.मगर फिल्म की कहानी के केंद्र में एक ऐसा बालक है,जिसके दिल मंे सुराग है और वह घर से बाहर निकल कर दूसरे बच्चों के साथ उन्ही की तरह क्रिकेट सेे लेकर हर तरह के खेल खेलना चाहता है. पर उसके माता पिता उसकी भलाई के लिए उसे घर से बाहर जाने नहीं देते.
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कहानीः
यह कहानी है दिल्ली की एक मुस्लिम काॅलोनी में रह रहे मुस्लिम परिवार की.परिवार के मुखिया जहीर(जीशान कादरी) एक प्रिंटिंग प्रेस मंे नौकरी करते हैं.पर वह अपनी ख्ुाद की प्रिंटिंग प्रेस खोलने की जुगाड़ में भी लगे हुए हैं.उनकी पत्नी शाहिदा (निधि बिस्ट)घर के काम व बेटेे अली( इजहार खान)को संभालने के साथ साथ कढ़ाई का काम भी करती हैं.यह परिवार अपने बाप दादा के पुश्तैनी मकान में रह रहा है,जिस पर एक बिल्डर की नजर है.जहीर का चचेरा भाई भी चाहता है कि इसे बेच दिया जाए,मगर जहीर बेचने के लिए तैयार नहीं है.जहीर के बेटे अली के दिल में सुराग है,इसलिए उसकी खास देखभाल करनी पड़ती है.जहीर के पास इतना पैसा नहीं है कि वह बेटे अली के दिल का आपरेशन करवा सके.जबकि बालक अली जिंदगी को खुलकर जीना और महसूस करना चाहता है.उसे क्रिकेट से मोहब्बत है और वह अपने अब्बा से एक क्रिकेट बैट खरीदने की जिद करता है.लेकिन किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि/मेहनत उसके स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकती है.इसलिए उसकी माॅं/अम्मी एक कहानी गढ़कर उसे सुनाती हैं कि वह बच्चे,जो बहुत ज्यादा घर के बाहर खेलते हैं,और अपने अम्मी अब्बू की बात नहीं मानते है, उन पर उनके दिल में रहने वाला एक राक्षस हमला करता है और वह पूरी जिंदगी तकलीफ में रहते हैं.इसके उलट वह बच्चे जो अपने अम्मी अब्बू की बात मानते हैं,उन्हें अल्लाह दुआएँ देता है.
अली अपनी माॅं की कहानी को सच मान लेता है.उधर उसका एक दोस्त करीम (शहबाज)है,जो अक्सर उसके साथ सांप सीढ़ी व अन्य खेल  खेलने के उसके मकान की छत पर आता रहता है.एक दिन करीम के पिता सायकल लेकर आते हैं.करीम उसे यह बात बताता है.मां से पूछ कर अली,करीम की सायकल देखने जाता है.एक युवक उसकी सायकल को ख्ुाद चलाने लगता है,जिसके पीछे करीम और करीम के पीछे अली भागता है.अचानक अली रास्ते मंे गिर जाता है और अस्पताल पहुॅच जाता है.जहंा उसके दिल का आपरेशन करना अनिवार्य हो जाता है.जहीर अपना मकान बेच कर प्रिंटिंग प्रेस के मालिक की छतरपुर वाली कोठी में नौकरो के कमरे मंे रहने चला जाता है.पांच माह बाद अली एकदम स्वस्थ हो जाता है.फिर कुछ बच्चों के साथ वह होली भी खेलता है.

लेखन व निर्देशनः
फिल्म को देखकर अहसास होता है कि इसे कम से कम बजट मंे बनाने का प्रयास किया गया है.मगर फिल्म उस बच्चे के दर्द को बयां करती है,जो कि खेलने के लिए घर से बाहर नहीं जा पा रहा है.लेखक व निर्देशक द्वय ने बच्चों के मनोभाव को समझते हुए उसमें झांकने का भी प्रयास किया है.फिल्मकार ने बाल सुलभ बदमाशियों को भी खूबसूरती से पिरोया है.फिल्म का क्लायमेक्स जबरदस्त है.मगर फिल्म की गति काफी धीमी होने के साथ साथ कहानी व दृश्यों का दोहराव भी है.इसे एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी.इतना ही नही पटकथा के स्तर पर भी मेहनत करने की जरुरत थी.
फिल्म का संवाद ‘‘एक बच्चे को मां कैसे पालती है,कोई फरिश्ता भी नहीं समझ सकता.’’अपने बीमार बेटे को लेकर बेबस मां के दर्द को बाखूबी बयंा करता है.वहीं फिल्म का संवाद-‘‘हर कहानी में एक ंिजंदगी होती है और हर जिंदगी में एक कहानी होती है’’भी बहुत कुछ कह जाता है.

अभिनयः
अली के किरदार मंे बाल कलाकार इजहार खान ने एकदम स्वाभाविक अभिनय किया है.मां के किरदार को निधि बिस्ट ने गहराई से निभाया है.कई जगह वह काफी खूबसूरत भी लगी हैं.जबकि बेटे की बीमारी के लिए परेशान होने के साथ साथ अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए चिंतित पिता जहीर के किरदार में जीशान कादरी ने शानदार अभिनय किया है.

बिग बॉस 14 में होगी रिया चक्रवर्ती की एंट्री! दुनिया को बताएंगी अपनी सच्चाई

बिग बॉस 14 के जल्द अपना तासरा सप्ताह पूरा करने वाला है. ऐसे में इस शो के मेकर्स ने घर में टविस्ट लाने शुरू कर दिए हैं. जिसे देखने के बाद लग रहा है कि आखिरी तक यह शो और भी ज्यादा मजेदार होने वाला है.

वहीं शो के मेकर सुरज कक्कड़ ने कुछ ऐसा कह दिया है जिसे जानने के बाद सभी के होश उड़े लग रहे हैं. उन्होंने कहा है कि इस शो में जल्द ही रिया चक्रवर्ती की एंट्री होने वाली है. आगे उन्होंने कहा कि बाकी सीजन के से ज्यादा इस सीजन को एंटरटेनींग बनाना चाहता हूं क्योंकि इस समय सभी लोग घर पर ही हैं और बड़े आराम से इस शो को देख सकते हैं.

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एक रिपोर्ट में बातचीत करते हुए सुरज कक्कड़ ने कहा कि मैं इस शो में रिया चक्रवर्ती को देखना चाहता हूं. उसके ऊपर काफी आरोप लगाएं गए हैं सुशांत और उसके रिश्ते को लेकर वह बहुत ज्यादा कंफ्यूज है. इसलिए मैं इस शो के जरिए एक मौका देना चाहता हूं.

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जब आप बिग बॉस के शो में होते हैं कैमरा आपके गर मूव को कैच करता है. आप सभी के नगरानी में रहते हैं. और मुझे लगता है कि आप 24 घंटे फेक नहीं कर सकते हैं. ये देखना दिलचस्प होगा.

सूरज ने आगे बात करते हुए कहा है कि बिग बॉस का सलमान से बढ़िया होस्ट हो  ही नहीं सकता है. जिस अंदाज में वो कंटेस्टेंट का टांग खीचते हैं वो मजेदार होता है. साथ ही जब भी कंटेस्टेंट कुछ लगत करते हैं तो उन्हें समझाते भी हैं. जिससे लोगों को एक दिशा मिल जाती है. मुझे नहीं लगता इस शो के लिए सलमान से बेहतर कोई होस्ट हो सकता है.

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वहीं दर्शकों को भी अब घर में रिया चक्रवर्ती का इंतजार है. अब देखना यह है कि रिया घर में किस अंदाज में नजर आएंगी. क्या खुद को सही साबित कर पाएंगी.

बिग बॉस 14 के घर से बाहर आते ही दुल्हन बनने की तैयारी करेंगी गौहर खान, जल्द होगी शादी

बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा गौहर खान इन दिनों बिगबॉस 14 में अपनी अदा और सीनियर मेंबर बनकर अपना जादू चला रही हैं. खबर है कि गौहर आज रात के एपिसोड में बाहर हो जाएंगी. यानी आज रात उनका सफर बिग बॉस 14 के घर से खत्म हो जाएगा.

बिग बॉस 14 के सफर को अलविदा कहने के बाद गौहर अपने नए जिंदगी की शुरुआत करने जा रही हैं. खबरों की मानें तो जल्द ही गौहर खान एपने बॉयफ्रेंड जैद दरबार की दुल्हन बनने वाली है. गौहर खआन जैद दरबार से नवंबर में शादी कर सकती हैं.

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दोनों की फैमली वाले इस रिश्ते के लिए हां कर दिए हैं. इसी बीच गौहर खान के पिता की एक बयान ने सभी के बीच हलचल मचा दिया है.

एक इंटरव्यू के दौरान जैद दरबारी के पिता ने इशारों ही इशारों में यह बता दिया था कि वह जल्द ही दोनों शादी करने वाले हैं.

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आगे इस्माइल दरबार ने कहा कि गौहर खान ने हमारे साथ चार घंटे का समय बीतया . उन्होंने हमारे साथ बिरयानी भी खाई थी. जैद दरबारी और गौहर खान एक –दूसरे को लेकर बहुत ज्यादा सीरियस हैं.

आगे उन्होंने कहा कि गौहर खान उनसे 5 साल बड़ी हैं एक पिता होने के नाते मैंने कहा कि इस बारे में शादी से पहले सोच लेना.

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गौहर खान की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि वह मेरे बेटे का खूब ख्याल रखती हैं. वह देखकर मुझे अच्छआ लगता है. मेरी पत्नी सही और गलत इंसान को जल्द परख लेती हैं. उन्हें गौहर में कोई कमी नहीं नजर आई. इसलिए मुझे भी यह रिश्ता पसंद है.

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मेरी पत्नी जल्द ही गौहर की मां से मुलाकात करने वाली हैं. जिससे हम आगे की जानकारी देंगे.

 

Crime Story: घर बचाने को

सौजन्या- सत्यकथा

घर वालों को लवकुश की तलाश करते हुए 5 दिन हो गए थे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चल रहा

था. आखिर थकहार कर 9 अगस्त, 2020 को उस के छोटे भाई रामू शर्मा ने पचोखरा थाने जा कर लवकुश के लापता होने की जानकारी दी. इस पर पुलिस ने उस का मोबाइल नंबर ले कर सर्विलांस पर लगवा दिया.

जिला फिरोजाबाद के थाना पचोखरा क्षेत्र के गांव नगला गंगाराम का रहने वाला 26 वर्षीय लवकुश शर्मा 5 अगस्त, 2020 को घर से बिना बताए चला गया था. वह देर रात तक घर नहीं लौटा तो घर वाले परेशान हो गए. उस का मोबाइल फोन भी बंद था. इस से घर वालों की चिंता और भी बढ़ गई.  कुछ परिचितों को साथ ले कर घर वालों ने रात में ही लवकुश की तलाश शुरू कर दी. वे लोग उसे काफी रात तक खोजते रहे, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला. दूसरे दिन से लवकुश के घर वालों ने उस की तलाश के लिए भागदौड़ कर रिश्तेदारियों में भी पता किया लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. 12 अगस्त को रामू शर्मा फिर थाने गया और भाई के बारे में जानकारी हासिल की. इस पर पुलिस ने तहरीर देने को कहा. तब रामू ने कुलदीप की गुमशुदी दर्ज करा दी. पुलिस ने रामू से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. रामू ने बताया, ‘‘लवकुश 5 अगस्त की शाम को घर वालों को बिना बताए कहीं गया था. लेकिन आज 8 दिन बाद भी उस का कोई पता नहीं चल रहा है. उस का मोबाइल भी बंद है. हम ने उसे हर जगह तलाशा लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला.’’

पुलिस लवकुश की तलाश में जुट गई. जांच कर रही पचोखरा थाने की पुलिस को जानकारी मिली कि लवकुश के गांव के ही रहने वाले उस के दोस्त कुलदीप की पत्नी मधुरिमा (परिवर्तित नाम) से प्रेमिल रिश्ते थे. कुलदीप उस का दूर के रिश्ते का भाई था.

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पत्नी से लवकुश के प्रेमिल रिश्ते से परेशान हो कर कुलदीप ने काफी दिनों पहले गांव छोड़ दिया था. वह अपने परिवार के साथ आगरा के खंदौली क्षेत्र स्थित मुड़ी चौराहे के पास किराए के मकान में रह रहा था. उस की ससुराल भी वहां से कुछ ही दूर थी.

पुलिस ने लवकुश का मोबाइल नंबर सर्विलांस पर पहले ही लगा दिया था. उस के मोबाइल की अंतिम लोकेशन खंदौली क्षेत्र की ही मिली थी.

13 अगस्त, 2020 को सीओ देवेंद्र सिंह के निर्देश पर पचोखरा थाने के थानाप्रभारी संजय सिंह पुलिस टीम के साथ खंदौली के मुड़ी चौराहे पहुंच गए और कुलदीप को उठा लिया.

पुलिस ने उस से लवकुश के बारे में पूछताछ की तो उस ने बताया कि लवकुश उस का दोस्त है. काफी दिन से कोरोना के कारण हम लोग मिले नहीं थे. मेरा उस से मिलने का मन था तो 5 अगस्त को मैं ने उसे फोन कर मिलने के लिए खंदौली बुलाया था.

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उस दिन अधिक रात होने के कारण वह मेरे घर पर ही रुक गया था. दूसरे दिन सुबह लगभग 9 बजे वह अपने घर वापस चला गया था. उस के बाद वह कहां गया, उसे नहीं पता.

कुलदीप समझ रहा था कि पुलिस उस की बताई कहानी को सच मान लेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

थानाप्रभारी संजय सिंह ने कहा, ‘‘देखो कुलदीप, तुम पुलिस को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हो. मैं तुम से आखिरी बार पूछता हूं कि लवकुश कहां है?’’

थानाप्रभारी तमतमा गए. उन्होंने आगे कहा, ‘‘लवकुश के मोबाइल पर तुम्हारी पत्नी ने फोन किया था. उस के खंदौली आने के बाद उस का मोबाइल बंद कैसे हो गया? अगर वह कहीं चला गया था तो अपना मोबाइल तो चालू रख सकता था.’’

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पुलिस ने तेवर दिखाए तो कुलदीप टूट गया. उस ने स्वीकार कर लिया कि लवकुश अब इस दुनिया में नहीं है. उस ने अपने साले भोला के साथ मिल कर उस की हत्या कर दी है.

‘‘उस की लाश कहां है?’’ थानाप्रभारी के पूछने पर उस ने बताया, ‘‘सर, उस की हत्या करने के बाद हम ने उस की लाश तिरपाल में लपेट कर यहां से डेढ़ किलोमीटर दूर गांव नगला हरसुख के पास स्थित एक सूखे कुएं में डाल दी थी और उस का मोबाइल फोन बंद कर के रास्ते में फेंक दिया था.’’

पुलिस कुलदीप को ले कर उस कुएं के पास पहुंची, जिस में उस ने लाश डालने की बता कही थी. थानाप्रभारी ने कुएं में झांका तो वास्तव में कुएं में तिरपाल में लिपटी लाश पड़ी थी. पुलिस ने फोन कर के लवकुश के घर वालों को भी बुला लिया.

पुलिस ने लवकुश की लाश निकलवाने के लिए रस्से आदि का प्रबंध किया. तब तक कुएं में लाश पड़ी होने की खबर पूरे इलाके में फैल गई थी. वहां पर लोगों का हुजूम जुट गया.

सूखे कुएं में एक आदमी को उतारा गया. उस ने तिरपाल के दोनों सिरों को 2 रस्सों से बांध दिया. इस के बाद लोगों ने खींच कर शव को बाहर निकाल लिया. तिरपाल को खोला गया तो उस में लवकुश की लाश निकली.

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एक हफ्ते तक तिरपाल में बंद रहने से लाश फूल गई थी, जिस से चेहरा पहचानने में नहीं आ रहा था. मृतक के बड़े भाइयों मनोज और अतुल ने कपड़ों से मृतक की शिनाख्त अपने भाई लवकुश के रूप में कर ली.

पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव घर वालों को सौंप दिया. लाश की पक्की शिनाख्त के लिए डीएनए टेस्ट हेतु सैंपल ले लिया गया था.

उधर पुलिस की दूसरी टीम कुलदीप के साले भोला को मुड़ी चौराहे के पास स्थित उस के घर से गिरफ्तार कर चुकी थी. चूंकि हत्या का खुलासा हो चुका था और दोनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए थे, इसलिए एसएसपी सचिंद्र पटेल ने पुलिस लाइन सभागार में प्रैस कौन्फ्रैंस आयोजित की और केस का खुलासा कर हत्यारोपियों की गिरफ्तारी की जानकारी दी.

पुलिस पूछताछ में कुलदीप और उस के साले भोला ने हत्या की जो दास्तान बताई, वह इस प्रकार थी—

थाना पचोखरा क्षेत्र के गांव नगला गंगाराम निवासी रामप्रकाश शर्मा के 4 बेटे व एक बेटी थी. रामप्रकाश के पास खेती की जमीन थी. साल 2007 में उन का निधन हो गया था. 2 बेटों मनोज व अतुल की शादी हो चुकी थी, जबकि तीसरा 26 वर्षीय लवकुश व उस से छोटा रामू अविवाहित थे. छोटी बहन अभी पढ़ रही थी.

लवकुश को क्रिकेट खेलने का शौक था, इसलिए उस का पढ़ाई में मन नहीं लगा. वह 8वीं जमात से आगे नहीं पढ़ सका. वह खेतीकिसानी के काम में भाइयों की मदद करने लगा.

लवकुश की दूर के रिश्ते की बुआ सरोज देवी का बेटा 28 वर्षीय कुलदीप भारद्वाज कई साल पहले अपनी पत्नी मधुरिमा व 2 बच्चों के साथ लवकुश के पड़ोस में किराए के मकान में रहा था.

उस का परिवार हर तरह से सुखी था. हमउम्र व रिश्तेदार होने के कारण कुलदीप के साथ लवकुश की गहरी दोस्ती हो गई थी. टाइम पास करने के लिए वह अकसर अपने दोस्त कुलदीप के घर चला जाता था.

कुलदीप वैल्डिंग का काम करता था. कुलदीप की पत्नी मधुरिमा लवकुश की रिश्ते में भाभी लगती थी. लवकुश जहां बांका जवान था, वहीं मधुरिमा सुंदर व चंचल थी. लवकुश भाभी से हंसीमजाक करता रहता था. धीरेधीरे देवरभाभी एकदूसरे के आकर्षण में बंध गए और एकदूसरे को चाहने लगे.

एक शादीशुदा औरत के इश्क में लवकुश ऐसा डूबा कि पूरी तरह उसी का हो कर रह गया. उस का हाल ऐसा हो गया कि कुलदीप के काम पर जाते ही वह मधुरिमा से मिलने पहुंच जाता. दो जवां दिल एक लय में धड़के तो जल्दी ही दोनों एकदूसरे को पूरी तरह समर्पित हो गए.

कुलदीप को इस की भनक लगी तो उस ने मधुरिमा को समझाया, ‘‘मैं ने सुना है, मेरी गैरमौजूदगी में लवकुश सारे दिन घर में पड़ा रहता है.’’

‘‘हां, कभीकभी किसी काम से आ जाता है, बच्चों से मिलने के लिए.’’ मधुरिमा ने पति से झूठ बोल दिया.

‘‘तुम्हें पता है, मोहल्ले वाले तुम दोनों को ले कर किस तरह की बातें करने लगे हैं?’’

‘‘लवकुश तुम्हारा भाई है, वह मुझ से भाभी के रिश्ते से हंसबोल लेता है तो इस में क्या बुरी बात है. पड़ोसियों का क्या है, वे किसी को खुश कहां देख सकते हैं, इसी के चलते वे मनगढ़ंत किस्से तुम्हें सुनाते हैं. तुम भी उन पर आंख मूंद कर यकीन कर लेते हो.’’

इस पर कुलदीप शांत हो गया.

इस के बाद भी जब दोनों ने मिलनाजुलना बंद नहीं किया, तो कुलदीप परेशान हो गया. उस ने इस की शिकायत लवकुश के घर वालों से की. उस ने धमकी दी कि यदि लवकुश ने उस के घर आनाजाना बंद नहीं किया तो इस के गंभीर परिणाम होंगे.

मामला बढ़ने पर पंचायत हुई और इस के बाद लवकुश सोनीपत चला गया. वहां वह एक प्रिंटिंग प्रैस में काम करने लगा.

घटना से 2 साल पहले लवकुश सोनीपत से अपने गांव वापस आ गया. आते ही वह कुलदीप से बड़ी आत्मीयता से मिला. कुलदीप ने भी सोचा कि लवकुश पुरानी बातों को भूल चुका होगा. कुछ दिन सब ठीक रहा. लेकिन 2 साल बाद पुराने प्रेमीप्रेमिका जब रूबरू हुए तो उन की कामनाएं जाग उठीं और वह बिना मिले नहीं रह सके.

सोनीपत में रह कर भी लवकुश और मधुरिमा मोबाइल पर बातचीत करते रहते थे. दोनों एकदूसरे से फिर से मोबाइल पर बातचीत करने लगे. मौका मिलते ही दोनों मुलाकात भी कर लेते. लेकिन उन का यह खेल ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका. उन के फिर से मिलने की बात कुलदीप को पता चल गई. कुलदीप पत्नी को समझा चुका था. लेकिन वह मान नहीं रही थी, लिहाजा उस ने निर्णय लिया कि अब वह यहां नहीं रहेगा.

कुछ दिन बाद ही वह बिना किसी को बताए पत्नी व बच्चों को ले कर गांव से चला गया. लवकुश को भी जानकारी नहीं मिली कि उस की प्रेमिका अब कहां है. क्योंकि उस का

फोन स्विच्ड औफ आ रहा था. लवकुश मधुरिमा के चले जाने से उदास रहने लगा.

सावन का सुहाना मौसम भी उसे अच्छा नहीं लग रहा था. उस का दिन काटे से नहीं कटता था. बारिश का मौसम होने से वह दोस्तों के साथ क्रिकेट भी नहीं खेल पा रहा था.

एक दिन उस की खुशियों को जैसे पंख लग गए. दोपहर के समय उस के मोबाइल पर मधुरिमा का फोन आया.  ‘‘कैसे हो माई लव?’’

‘‘इतने दिनों बाद पूछ रही हो मेरा हाल. एकएक पल तुम्हारे बिना सालों की तरह गुजर रहा है. तुम बिना बताए चली गईं. अब कहां हो? तुम्हारा नंबर भी नहीं मिल रहा.’’

मधुरिमा ने लवकुश को तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘इतना बेकरार क्यों हो रहे हो. हम लोग दिल्ली आ गए हैं. ये काम पर गए हुए हैं. मौका मिलते ही तुम्हें फोन लगाया है. फोन इसलिए नहीं मिल रहा होगा क्योंकि कुलदीप ने मेरा नंबर बदल दिया है.’’

उस ने लवकुश को अपना पता बता दिया. बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है, वैसे ही तड़परहे लवकुश की मधुरिमा से बात हुई तो सुकून मिला. कुछ दिन बाद लवकुश अपनी प्रेमिका से मिलने दिल्ली जा पहुंचा.

कुलदीप को पता चल गया कि लवकुश दिल्ली में भी मधुरिमा से मिलने आने लगा है. उस ने पत्नी को लवकुश से न मिलने की हिदायत दी. इसी बीच कुलदीप का एक व्यक्ति से झगड़ा

हो गया. ऐसे में दिल्ली में वह अकेला पड़ गया.

मजबूर और परेशान हो कर 2 महीने बाद ही कुलदीप पत्नी और दोनों बच्चों को ले कर टूंडला आ गया और वहीं कामधंधा करने लगा. उस ने पत्नी को हिदायत दी कि अगर अब उस ने लवकुश से मोबाइल पर बात की या उसे अपना पताठिकाना बताया तो ठीक नहीं होगा.

पति के तेवर देख कर मधुरिमा डर गई. लेकिन कहते हैं प्यार अंधा होता है. मधुरिमा भी लवकुश को दिलोजान से चाहती थी. इतने दिन साथ रही थी, लेकिन अब उस की कमी उसे अखरने लगी थी. इस बीच वह तीसरे बच्चे की मां भी बन गई थी. इस के बावजूद प्रेमी लवकुश को वह चाह कर भी नहीं भुला पा रही थी.

दिल्ली से आने के कुछ महीने बाद उस ने फोन कर लवकुश को बताया कि वह दिल्ली से अब टूंडला आ गई है. लवकुश वहां भी पहुंच गया.

मधुरिमा प्रेमी को उस समय घर बुलाती जब उस का पति काम पर गया होता था. एक दिन कुलदीप ने लवकुश को घर के पास देख लिया. घर आ कर उस ने पत्नी से लवकुश के आने की बात पूछी, पर मधुरिमा ने स्पष्ट मना कर दिया. लवकुश को टूंडला में देख कर कुलदीप का माथा ठनका.

उस ने सोचा कि आखिर लवकुश को यह कैसे पता चल जाता है कि वह किस जगह रह रहा है. वह समझ गया कि उस की पत्नी ही लवकुश को फोन कर जानकारी दे देती है. उस ने कई बार पत्नी का मोबाइल भी चैक किया लेकिन उस का शक निराधार निकला.

मधुरिमा अत्यधिक चालाक थी वह दूसरे सिम से बात कर प्रेमी लवकुश को अपना पता बता देती थी. तब लवकुश उस जगह पहुंच जाता था.

दोनों मौका देख कर घर के बाहर मिल लेते थे.

 

कुलदीप पत्नी के प्रेमी से अपने घर को बचाने के लिए लगातार घर बदलता रहा. जब इस बात का पता चला कि लवकुश अब भी उस का पीछा नहीं छोड़ रहा है तो वह टूंडला से आगरा आ गया और खंदौली क्षेत्र के मुंडी चौराहा पर पत्नी व बच्चों के साथ अपने साले भोला के चाचा गोविंद के यहां किराए पर रहने लगा. मुंडी चौराहे पर ही भोला रहता था. कुलदीप वहीं काम करने लगा.

उस ने सोचा कि अब उसे ससुरालवालों का सहारा मिलेगा तो लवकुश यहां आने की हिम्मत नहीं करेगा. लेकिन लवकुश और उस की प्रेमिका मधुरिमा पर तो प्यार का भूत सवार था. वे किसी भी कीमत पर एकदूसरे से दूर नहीं रह पाते थे. इस के चलते लवकुश खंदौली मुंडी चौराहा स्थित उस के घर भी चोरीछिपे आनेजाने लगा.

सीधेसादे पति कुलदीप को इस बात का पता चल गया. पत्नी से लवकुश के संबंधों का कुलदीप पुरजोर विरोध करता था. अपने रिश्ते में आए ‘वो’ से अपने घर को बचाने के लिए गांव नगला गंगानगर से दिल्ली, वहां से टूंडला और फिर टूंडला से खंदौली.

भागतेभागते कुलदीप थक गया. वह समझ गया कि इस सब के पीछे उस की पत्नी का ही हाथ है. क्योंकि वह चाहती तो लवकुश को उस के घर का पता नहीं चलता.

अब कुलदीप का काम पर जाने का मन नहीं होता था. उस के मन में डर बना रहता था कि उस के घर से बाहर जाते ही मधुरिमा अपने प्रेमी को फोन कर बुला लेगी.

 

कुलदीप बदनामी के डर से पुलिस में लवकुश की शिकायत नहीं करना चाहता था. वह चाहता था कि बस किसी तरह लवकुश से उस की पत्नी का पीछा छूट जाए. सभी उपाय नाकाम साबित होने के बाद आखिर उस ने लवकुश से छुटकारा पाने का निर्णय कर लिया.

उस ने अपने साले भोला को पूरी बात बताई. भोला उस का साथ देने को तैयार हो गया. योजनानुसार कुलदीप ने पत्नी से 5 अगस्त को लवकुश को फोन करा कर मिलने के लिए खंदौली बुला लिया. वह मधुरिमा से मिलने उस के घर पहुंच गया. लवकुश मधुरिमा से बात कर ही रहा था कि घर में छिपे बैठे कुलदीप ने पीछे से लवकुश के सिर पर जोर से डंडा मारा.

डंडे का वार इतना घातक और सटीक था कि लवकुश नीचे गिर गया. उस के फर्श पर गिरते ही कुलदीप और भोला उस पर पागलों की तरह लगातार वार करते रहे. फलस्वरूप कुछ ही देर में उस की मृत्यु हो गई.

लवकुश के मरने पर कुलदीप, भोला और मधुरिमा घबरा गए. उस की हत्या में वे लोग फंस न जाएं, इसलिए कुलदीप ने उस की जेब से मोबाइल निकाल कर स्विच्ड औफ कर दिया. फिर कुलदीप और भोला ने एक तिरपाल में उस की लाश लपेट दी. इस बीच अंधेरा हो गया था.

दोनों ने लाश को मोटरसाइकिल पर रखा और वहां से कोई डेढ़ किलोमीटर दूर सूखे कुएं में डाल आए. उस का मोबाइल फोन उन्होंने रास्ते में ही फेंक दिया.

थानाप्रभारी संजय सिंह ने अभियुक्तों की निशानदेही पर लवकुश की हत्या में प्रयुक्त डंडा और लाश ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल हुई मोटरसाइकिल बरामद कर ली.

आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. लवकुश की हत्या में मधुरिमा की संलिप्तता न पाए जाने पर पुलिस ने उसे पूछताछ के बाद छोड़ दिया था

पश्चाताप के आंसू-भाग 1 : शाहनवाज ने हुस्ना के साथ क्या किया

रशीद वैसे तो हमारे घर अकसर आताजाता रहता था, पर जब से मैं बड़ी हुई थी, उस का आनाजाना बढ़ गया था. मैं स्कूल से आती तो वह गली में टहलता मिलता था. घर पर इंतजार कर रहा होता. अजीब इंसान था, न कभी बात करता न मेरी तारीफ करता. न नजर भर कर देखता पर उस के अंदाज बताते थे कि वह मुझ से मोहब्बत करता है. मेरे करीब रहने के लिए वह हर जतन करता, कभी बाजार जा कर अम्मा की दवाई ले कर आता, कभी अब्बा का कोई काम करता. कभी मेरी छोटी बहन को घुमा कर लाता, उसे किसी काम से इनकार नहीं था.

रशीद हमारे घर के करीब ही रहता था. उस की मोटर मैकेनिक की दुकान थी, जिस में उस के अलावा 2 कारीगर काम करते थे. आमदनी अच्छी थी. घर में किसी को उस के आनेजाने पर ऐतराज नहीं था. सभी उसे पसंद करते थे. वह बचपन से हमारे घर आता था. देखने में भी अच्छाखासा था. मैं 10वीं में 2 बार फेल हो चुकी थी, उम्र भी 18 हो गई थी. पर देखने में मैं खूबसूरत थी.

मेरे अब्बा एक औफिस में चपरासी थे. आमदनी कम थी, खर्चे ज्यादा थे. मैं एक अच्छे स्कूल में पढ़ती थी लेकिन छोटे भाईबहन सरकारी स्कूल में पढ़ते थे. मेरे स्कूल में बड़े घरों की लड़कियां पढ़ती थीं. उन के बीच रह कर मैं अपने घर की गरीबी भूल जाती और उन की तरह ही रहने की कोशिश करती. उन के घरों में जाती, उन के घरों में ऐशोआराम के सामान देख कर दंग रह जाती और सोचती कि पढ़लिख कर मैं भी किसी अमीर लड़के से शादी करूंगी.

गरीबी आखिर ख्वाब देखने से तो नहीं रोक सकती. मैं ने सोच लिया था कि किसी गरीब या मामूली इंसान से हरगिज शादी नहीं करूंगी. अगर गरीबी में ही दिन काटने हैं तो अपना घर क्या बुरा है. बड़े घर की लड़कियों के बीच रह कर दिमाग भी ऊंचा सोचने लगा था. ऐसे में भला मुझे रशीद कैसे अच्छा लग सकता था.

वह ठीकठाक पैसे कमाता था, पर था अनपढ़. एक सब्जी बेचने वाले का बेटा. काम भी गाड़ी मैकेनिक का करता था. मुझे उस से नफरत तो नहीं थी, पर जिस चाहत से वह देखता था, मुझे बुरा लगता था. लेकिन वह भी अजीब मिट्टी का बना था. न कोई शिकायत न कोई शिकवा.

मेरी सहेली महताब की शादी थी. वह अकसर अपने मंगेतर की बातें मुझे बताती रहती थी. उस की बातें सुन कर मैं भी ख्वाबों की दुनिया में खो जाती थी. महताब ने बड़े इसरार से हल्दी से ले कर रिसैप्शन तक 4 दिन की दावत दी. मैं ने कहा, ‘‘अम्मी से इजाजत मिलना मुश्किल है और फिर मुझे लाएगा कौन?’’

वह रोते हुए बोली, ‘‘देख हुस्ना, शादी के बाद मैं अमेरिका चली जाऊंगी, फिर पता नहीं कब आना हो. अब मैं कल से स्कूल भी नहीं आऊंगी. तुम्हें आना ही पड़ेगा.’’

वह मेरे कंधे पर सिर रख कर रो पड़ी. उस का लगाव देख कर मुझे आने का वादा करना पड़ा. अब मेरे सामने 2 मसले थे, एक तो घर वालों की इजाजत और दूसरे किस के साथ जाऊंगी?

घर आ कर मैं ने अम्मी को बताया, ‘‘अम्मी, मेरी खास सहेली की शादी है. उस की शादी मुझे हर हाल में अटेंड करनी है, फिर वह अमेरिका चली जाएगी.’’

‘‘कहां पर है शादी?’’

‘‘क्लिफ्टन में कोठी है उस की.’’

‘‘बेटा, इतनी दूर कैसे जाओगी? कहीं पास होती तो मैं साथ चली चलती. कोई जरूरत नहीं है जाने की.’’

‘‘अब्बा से कहें वो साथ चलें.’’

‘‘नहीं, वो भी नहीं जाएंगे.’’

मेरी आंखों से आंसू टपकने लगे. उसी वक्त अब्बा और रशीद भी आ गए. पूरी बात सुन कर अब्बा भी यही बोले, ‘‘बेटा, भेजने में कोई हर्ज नहीं है, पर जाओगी कैसे?’’

रशीद के चेहरे पर मुसकान आ गई, वह जल्दी से बोला, ‘‘छोटी सी बात है, मैं छोड़ आऊंगा.’’

अब्बा राजी हो गए पर अम्मा को ऐतराज था. लेकिन उन के ऐतराज ने मेरी जिद के आगे दम तोड़ दिया. दूसरे दिन शाम को रशीद किसी की नई मोटरसाइकिल ले कर आ गया. मैं खूब तैयार हुई थी. ऊपर से एक चादर ओढ़ कर मैं उस के साथ बैठ गई.

महताब के घर जैसे रंग व नूर की बारिश हो रही थी. कोठी के आगे बड़ा सा शामियाना लगा था, जहां उबटन का फंक्शन होना था. रशीद मुझे कोठी के बाहर उतार कर चला गया. मैं ने उसे 10 बजे आने को कहा. सारी मेहमान लड़कियां अच्छे कपड़ों और जेवरों से सजीधजी थीं. उन्हें देख कर मुझे कौंप्लेक्स हो रहा था.

मैं महताब के पास पहुंची, वह लड़कियों से घिरी बैठी थी. उस ने पीले रंग का हल्दी का जोड़ा पहन रखा था. उसी वक्त फाकिरा आ गई, जो मेरी दूसरी अच्छी सहेली थी. वह मुझ से लिपट गई. उस ने पूछा, ‘‘हुस्ना, किस के साथ आई हो?’’

मैं ने कहा, ‘‘अपने कजिन के साथ आई थी, उसे वापस भेज दिया.’’

‘‘अरे, उसे वापस क्यों भेज दिया, इतने मर्द हैं, वह भी शामिल हो जाता.

लसोड़ा ताकत बढ़ाने में लाभकारी

हमारे देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए सब से अच्छा उपाय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाना है. अगर शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होगी तो आसानी से कोरोना के वायरस से लड़ा जा सकता है.

इस के लिए विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां उपयोगी हैं, वहीं लसोड़ा पेड़ के फल, पत्ती व छाल भी उपयोगी है. प्राकृतिक संसाधनों वाले पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में कृषि क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें हैं. इन पूर्वी राज्यों को जैविक खेती वाला क्षेत्र घोषित किया भी गया है,

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वहीं आदिवासी क्षेत्रों को एग्रीकल्चर ऐक्सपोर्ट जोन में तबदील भी किया गया है अगर इन क्षेत्रों में थोडी सी कोशिश कर के हम लोग लसोड़ा के पौधे को लगाते हैं, तो इस से किसानों की आमदनी भी दोगुनी होगी, साथ ही साथ उन को व्यवसाय के रूप में रोजगार भी प्राप्त होगा और इस से यह स्वास्थ्य के लिए बड़ा लाभकारी पेड़ साबित होगा.

लसोड़ा पोषक तत्त्वों और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. देश की कई जगहों पर इसे गोंदी और निसूरा भी कहा जाता है. इस के फल सुपारी के बराबर होते हैं. कच्चे लसोड़े का साग और अचार भी बनाया जाता है. पके हुए लसोड़े मीठे होते हैं और इन के अंदर गोंद की तरह चिकना और मीठा रस होता है लसोड़ा के फायदे अगर शरीर में दादखुजली है, तो इस के बीज को पीस कर दादखुजली वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है.

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गांव में जहां पर आसानी से औषधियां उपलब्ध नहीं हो पाती हैं, वहां पर लोग इस का उपयोग काफी मात्रा में करते हैं. इस के पेड़ की छाल का काढ़ा और कपूर का मिश्रण तैयार कर सूजन वाले हिस्सों में मालिश करने से आराम मिलता है. लसोड़े के पेड़ की छाल को पानी में उबाल कर छान कर पिलाने से खराब गला भी ठीक हो जाता है और यह गले की खराश को भी दूर करता है.

जब आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं, तो लसोड़ा के प्रयोग से ही कई बीमारियां दूर की जाती थीं. तकरीबन हर घर में लसोड़ा रखा जाता था और जरूरत पड़ने पर उस का इस्तेमाल किया जाता था और उस के अच्छे नतीजे मिलते थे. लसोड़ा में मौजूद पोषक तत्त्व शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में लसोड़ा की अहम भूमिका हो सकती है, क्योंकि इस में 2 फीसदी प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, फाइबर, आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम के अलावा कई अहम तत्त्व मौजूद होते हैं. लसोड़ा सूखे जंगलों में बढ़ता है.

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यह हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र व राजस्थान में आज भी पाया जाता है. जंगल के अलावा लोग अपने खेतों की मेड़ों पर भी इसे लगाते हैं. जलवायु परिवर्तन के चलते इस के पेड़ लगातार लुप्त होते जा रहे हैं इस के बीज से पेड़ तैयार करना तकरीबन असंभव होता है, इसलिए कई प्रयोगशालाओं में टिशु कल्चर विधि से लसोड़ा के पेड़ तैयार किए जा रहे हैं,

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जिस से कि इस के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की जा सके और औषधीय गुणों से भरपूर इस पेड़ को देश में बढ़ाया जा सके. इस प्रजाति को संरक्षण की जरूरत है. यदि इस ओर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह धीरेधीरे लुप्त होता जाएगा. वर्तमान समय में लसोड़ा के फलों की मांग काफी बड़ी है और इस की कीमत भी बाजार में अच्छी मिल रही है. ठ्ठ

कहीं डैस्क जौब तो नहीं करतीं आप

डैस्क जौब आजकल की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई है, जिस वजह से बहुत सारी महिलाएं पीठ दर्द, गरदन का दर्द, फ्रोजन शोल्डर जैसी कई समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं.

अगर आप भी डैस्क जौब में हैं, तो हम आप को कुछ आसान व्यायाम बता रहे हैं, जो आप के शरीर को अधिक समय तक डैस्क जौब करने से उत्पन्न तकलीफों से छुटकारा दिला सकते हैं:

गरदन के व्यायाम

– अपने दोनों हाथ सिर के पीछे रखें. हाथ के दबाव से रोकते हुए अपने सिर को पीछे की तरफ ले जाने का प्रयास करें. कुछ मिनट तक इसी मुद्रा में रहें. थोड़ी देर तक इस प्रक्रिया को जारी रखें.

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– डैस्क के सामने कई घंटों तक बैठे रहने के बाद कुछ देर अपने सिर को बाएं, दाएं, ऊपर और नीचे की दिशा में घुमाएं और फिर दोनों तरफ झुकाएं. इस व्यायाम को कुछ देर तक दोहराती रहें.

कंधों के व्यायाम

– अपने सिर के पीछे एक पैंसिल या पैन रखें तथा उसे अपने स्थान पर संतुलित बनाए रखने के लिए कंधों का इस्तेमाल करें.

– अपनी बांहों को ऊपर की तरफ फैलाएं और फिर कुछ सैकंड उसी अवस्था में रखें. इस प्रक्रिया को दोहराती रहें.

– अपने दोनों हाथों को कंधों पर दोनों तरफ रखते हुए कंधों को घड़ी की सूई की दिशा और विपरीत दिशा में बारीबारी से घुमाएं.

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शरीर को सीधी मुद्रा में रखें

– अपनी कुरसी को ऐडजस्ट करते हुए उसे इतनी ऊंचाई तक रखें जहां से आप आरामदेह स्थिति में सीधे तरीके से बैठ सकें तथा आप की कंप्यूटर स्क्रीन आप की आंखों के समानांतर रहे.

– पालथी मार कर बैठने की कोशिश करें. अपने शरीर को उसी मुद्रा में रखें जिस तरह आप बैठती हैं ताकि आप आराम महसूस कर सकें.

पैरों, बाजुओं और कलाइयों के व्यायाम

– अपने पैरों को दीवार की तरफ तानें. घुटनों को मोड़े बगैर बाजुओं से पैर छूने की कोशिश करें.

– इसी अवस्था में अपने पैरों को ऊपर तथा नीचे गतिशील रखते हुए जौगिंग करें.

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– पोरों को बजाएं. आप स्टैपलर की मदद से भी ऐसा कर सकती हैं.

– फुरसत के वक्त हवा में पैर चलाएं ताकि पैरों और बाजुओं की मांसपेशियां मुक्त हो सकें.

पीठ दर्द से मिले राहत

– घूमने वाली कुरसी का इस्तेमाल करें और एक से दूसरी तरफ घूमते हुए अपने पेट के निचले हिस्से को घुमाएं, फिर इसी तरह उलटी दिशा में घुमाएं.

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– नियमित अंतराल पर ब्रेक लेती रहें. अपने काम का बोझ हलका करने के लिए औफिस के गलियारे में थोड़ी देर चहलकदमी करें.

(डा. राजीव के. शर्मा, इंद्रप्रस्थ अपोलो हौस्पिटल, दिल्ली)

घर पर आसान तरीके से बनाए पनीर टिक्का

पनीर लगभग हर किसी को पसंद आता है. लोग पनीर को कई तरह से खाना पसंद करते हैं. चलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं. पनीर टिक्का बनाने की विधि.

समाग्री

एक चौथाई कप दही

एक छोटा चम्मच काली मिर्च पाउडर

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एक चम्मच नींबू का रस

एक चम्मच भुना हुआ जीरा पाउडर

आधा चम्मच चाट मसाला

आधा छोटा चम्मच काला नमक

एक चम्मच गरम मसाला

एक छोटा चम्मच कसूरी मेथी

नमक

दो चम्मच कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर

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दो बड़े चम्मच भुना बेसन

अदरक लहसुन पेस्ट

दो बड़े चम्मच सरसों का तेल

16 पनीर क्यूब

शिमला मिर्च क्यूब्स

प्याज के शेल्स

मक्खन

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विधि

घर में तंदूरी पनीर टिक्का बनाने के लिए सबसे पहले एक बाउल लेकर उसमें मैरिनेट तैयार करें. इसके लिए आप इसमें दही डालें. साथ ही इसमें काली मिर्च पाउडर, नींबू का रस, भुना जीरा, चाट मसाला, काला नमक, गरम मसाला, कसूरी मेथी क्रश की हुई, नमक, कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर, भुना बेसन, अदरक−लहसुन पेस्ट, डालें. अब एक तड़का पैन में सरसों का तेल डालकर उसका अच्छी तरह धुआं निकालें. इसके बाद आप गरमा−गरम ही दही के मिश्रण में डालें और चम्मच की मदद से मिक्स करें.

अब इसमें पनीर, शिमला मिर्च, प्याज डालकर हाथों की मदद से मिक्स करें. अब इसे 15−20 के लिए रख दें. अब इसे पकाने के लिए एक नॉन स्टिक तवा गर्म करें. अब इसमें पनीर, शिमला मिर्च, प्याज डालकर चारों तरफ से पकाएं. आप इसे पकाने के लिए बटर या घी इस्तेमाल करें.

आपकी तवे पर बनी हुई डिलिशियस पनीर टिक्का बनकर तैयार है. आप इसे गरमा−गरम ही चटनी के साथ सर्व करें.

मेरी मां मर चुकी हैं, पिताजी ने दूसरी शादी की है, मेरे सगे छोटे भाई का सौतेली मां के साथ नाजायज संबंध है, मैं क्या करूं?

सवाल
मेरी मां मर चुकी हैं. पिताजी ने दूसरी शादी की है, उस से भी एक लड़का है. मेरे सगे छोटे भाई का सौतेली मां के साथ नाजायज संबंध है. पिताजी मां के दबाव में आ कर छोटे भाई को तो पैसे देते हैं, मगर मुझे कुछ भी नहीं देते. मैं क्या करूं?

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जवाब
आप का छोटा भाई सौतेली मां की जिस्मानी जरूरतें पूरी कर के पूरा फायदा उठा रहा है. आप पिताजी से कहें कि बड़ा बेटा होने के नाते वे आप का भी खयाल रखें. वे न मानें, तो उन से कानूनन बंटवारा करने को कहें.

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