पहले हम ज्यादातर अपने परिवार में या फिर पड़ोस में बुजुर्गों को ही औस्टियोपोरोसिस की वजह से बांह, पैर या फिर कूल्हे के फ्रैक्चर आदि से पीडि़त देखते थे, लेकिन अब औस्टियोपोरोसिस के लक्षण अपनी उम्र के बमुश्किल तीसरे दशक में पहुंचे युवाओं में भी दिखने लगे हैं. डाक्टर इस की वजह जीवनशैली में शारीरिक श्रम की कमी बताते हैं, जिस में व्यक्ति ज्यादातर समय बिना कोई मेहनत का काम किए बैठा रहता है.

औफिस से निकल कर अपनी कार की तरफ जाते वक्त 37 साल की शिल्पा का टखना मुड़ गया. शुरू में उन्होंने इसे मामूली मोच माना. लेकिन बाद में उन के टखने की हड्डी में हलके फ्रैक्चर का पता चला. बोन डैंसिटी टैस्ट से पता चला कि उन की हड्डियां 69 साल की महिला की हड्डियों जैसी कमजोर हैं. इस की प्रमुख वजह उन की बिना श्रम वाली जीवनशैली थी. चलने के नाम पर वे रोज घर से निकल कर लिफ्ट तक और फिर अपनी कार तक और शाम को अपने औफिस से निकल कर कार पार्किंग तक ही चलती थीं.

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औस्टियोपोरोसिस के ये लक्षण अब 50 साल से कम आयु के लोगों में भी देखे जाने लगे हैं. जबकि 20 साल पहले तक ऐसे ज्यादातर मामले 60 साल से ज्यादा की उम्र वालों में दिखते थे. उम्र बढ़ने की सामान्य प्रक्रिया के तहत पुरुष और महिलाएं दोनों में ही 35 साल की आयु के बाद बोन डैंसिटी 0.3 से 0.5% तक घट जाती है.

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