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‘उत्तर प्रदेश दिवस’ में दिखा विकास का खाका, किया प्रतिभाओ का सम्मान

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर प्रदेश के विकास का खाका जनता के सामने रखा.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बसंत पंचमी से ‘अभ्युदय योजना’ का शुभारम्भ किए जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग करने वाले प्रदेश के युवाओं के लिए इस योजना के अन्तर्गत निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी. प्रथम चरण में राज्य के सभी मण्डल मुख्यालयों पर यह कोचिंग संस्थान प्रारम्भ किये जाएंगे. इन संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागी युवाओं के लिए फिजिकल और वर्चुअल, दोनों माध्यमों से मार्गदर्शन की व्यवस्था लागू की जाएगी. इन संस्थानों के लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राजकीय विद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रयोग में लाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने अवध शिल्पग्राम परिसर में उत्तर प्रदेश राज्य के ७१ वें स्थापना दिवस पर ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के चतुर्थ संस्करण के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को इस अवसर पर सम्मानित किया. समारोह के दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये. उन्होंने ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के अवसर पर अवध शिल्पग्राम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान राजस्थान राज्य के कोटा तथा प्रदेश के जनपद प्रयागराज से प्रतियोगी विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के अभियान के दौरान उनके द्वारा प्रदेश के युवाओं को राज्य में ही कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के सम्बन्ध मंे विचार-विमर्श किया गया था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अनेक प्रतिभाशाली लोगों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. राज्य सरकार द्वारा कला, संस्कृति, खेल, विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाने वाली 03 से 05 विभूतियों को ‘यू0पी0 गौरव सम्मान’ से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा. विभूतियों को सम्मानित करने का यह कार्यक्रम इसी वर्ष प्रारम्भ किया जाएगा. सम्मान प्राप्त करने वाली विभूति को 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रतीक चिन्ह, मेडल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 जनवरी, 2018 को प्रथम ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी थी. प्रदेश के औद्योगिक विकास के निरन्तर प्रयासों की अभिनव कड़ी के रूप में राज्य सरकार द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी. इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न जनपदों के परम्परागत और विशिष्ट पहचान वाले उत्पादों को प्रोत्साहित कर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है. वर्तमान में यह योजना देश की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ की सराहना की है. इस योजना में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का सामथ्र्य है. केन्द्रीय बजट में भी इस योजना को सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में एमएसएमई विभाग के अन्तर्गत एक जनपद, एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड से सम्बन्धित उद्यमियों व हस्तशिल्पियों को सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह योजनाएं प्रधानमंत्री जी की ‘वोकल फाॅर लोकल’ की संकल्पना को आगे बढ़ा रही हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि द्वितीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ प्रारम्भ की गयी. यह योजना स्थानीय दस्तकारों तथा पारम्परिक कारीगरों के कौशल विकास हेतु संचालित की जा रही है. इसके अन्तर्गत पारम्परिक कारीगरों के आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तृतीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की योजना का शुभारम्भ किया गया. इसके तहत, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की संस्कृति और परम्परा पर गर्व की अनुभूति होती है. उत्तर प्रदेश भारत का हृदय स्थल है. यह देश की संस्कृति और परम्परा का केन्द्र स्थल है. उत्तर प्रदेश की देश में अग्रणी भूमिका रही है. विगत कुछ वर्षाें में यह भूमिका प्रभावित हुई. वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश को पुनः अग्रणी बनाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि विगत 10 माह से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कर रही है. ऐसे समय में प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी के ‘जान भी, जहान भी’ मंत्र के अनुरूप कोविड प्रबन्धन के साथ ही, विकास कार्याें को पूरी गति से आगे बढ़ा रही ह

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की छवि बदल रही है. प्रदेश की बेहतर कानून-व्यवस्था को अन्य राज्य माॅडल के रूप में अपनाना चाह रहे हैं. राज्य में कानून और व्यवस्था के उत्कृष्ट वातावरण से प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं. प्रदेश सरकार ने अब तक लगभग 04 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां उपलब्ध करायी हैं. निजी क्षेत्र में 15 लाख नौजवानों का नियोजन हुआ है. डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं को निवेश के माध्यम से रोजगार तथा लगभग 15 करोड़ नौजवानों को स्वतः रोजगार के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं से जोड़ने का कार्य विगत पौने चार वर्ष में हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में जो कार्य हुए हैं, उससे एक नई कार्य संस्कृति का जन्म हुआ है. यह नई कार्य संस्कृति हर एक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की है. प्रदेश में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. कृषि, जल संसाधन के क्षेत्रों में इस दिशा मंे उल्लेखनीय कार्य हुआ है. सूखाग्रस्त माने जाने वाले बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में ‘हर घर नल’ योजना कार्य कर रही है. वर्तमान राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों को 01 लाख 15 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है. पर्यटन एवं संस्कृति क्षेत्रों के भी कार्य अत्यन्त उल्लेखनीय हंै. प्रयागराज कुम्भ-2019 के आयोजन को सुरक्षा, स्वच्छता एवं सुव्यवस्था ने विशिष्ट पहचान दी. यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर कहा. प्रयागराज कुम्भ-2019 के पश्चात प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 करोड़ जनसंख्या का राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन के क्षेत्र में उदाहरण स्थापित किया है. राज्य ने यह साबित किया है कि किसी भी आपदा का मुकाबला टीमवर्क एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के माध्यम से किया जा सकता है. लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में अन्य राज्यों से 40 लाख से अधिक श्रमिक व कामगार वापस आये. राज्य सरकार ने इनके रहने व खाने की व्यवस्था की. प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग’ का गठन किया गया है. राज्य सरकार अपने पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों को शीघ्र सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा की गारण्टी भी देगी. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के हर वृद्ध, निराश्रित महिला एवं पात्र दिव्यांगजन को प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है. हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है. इससे प्रदेश नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश में ही कोरोना का वैक्सीन तैयार किया गया है. ब्राजील के राष्ट्रपति ने यहां विकसित वैक्सीन को संजीवनी बूटी कहा है. भारत में विकसित वैक्सीन यहां के नागरिकों अलावा भूटान, नेपाल, माॅरीशस आदि दुनिया के दूसरे देशों के नागरिकों की जीवन रक्षा कर रहा है. प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण के पहले दिन 22 हजार हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया गया. दूसरी तिथि को 01 लाख 01 हजार वैक्सीनेशन किये गये. आगामी 28 व 29 जनवरी को भी हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जाएगा.

समारोह को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है. राज्य औद्योगिक रूप से समृद्ध हो रहा है. साथ ही, युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. नकल विहीन परीक्षा, मेधावी छात्राओं एवं शिक्षकों के सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालयों में शोध पीठ की स्थापना की जा रही है.

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की संकल्पना को साकार कर रही है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इसके लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ आदि योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं. इन योजनाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का ‘योगी माॅडल’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पूरी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करती है. इससे सतत विकास सम्भव होता है.

‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना की प्रगति के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. इस अवसर पर स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया के सी0जी0एम0 श्री अजय कुमार खन्ना एवं अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के सम्बन्ध में एक एमओयू का हस्तान्तरण किया गया. इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल एवं इण्डियन इंस्टीट्यूट आॅफ पैकेजिंग के डायरेक्टर श्री संजीव आनन्द के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के उत्पादों की पैकेजिंग के सम्बन्ध में एक अन्य एम0ओ0यू0 का हस्तान्तरण किया गया. ‘उद्यम सारथी’ एप के माध्यम से ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है. एप में युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था है. भविष्य में प्रदेश की सभी योजनाओं को एप से जोड़ा जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने समाज कल्याण विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का वितरण भी किया. उन्होंने बटन दबाकर 1,43,929 विद्यार्थियों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की 39 करोड़ रुपए की धनराशि का आॅनलाइन अन्तरण किया. उन्होंने 05 छात्र-छात्राओं को प्रतीकात्मक रूप से छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि प्रदान की. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 05 पारम्परिक कारीगरों तथा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के 02 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूल किट प्रदान किये. उन्होंने माटी कला बोर्ड के 02 माटी कारीगरों को भी पुरस्कृत किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले पुरुष एवं महिला खिलाड़ियों को वर्ष 2019-20 के लिए क्रमशः ‘लक्ष्मण पुरस्कार तथा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित किया. ‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से 08 महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है. इनमें 01 खिलाड़ी वेटरन वर्ग से हैं. साथ ही, 10 पुरुष खिलाड़ियों को ‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. इनमें वेटरन वर्ग के 02 खिलाड़ी सम्मिलित हैं.

‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में हैण्ड बाॅल की सुश्री स्वर्णिमा जायसवाल, एथलेटिक्स की सुश्री प्रियंका, वुशू की सुश्री साक्षी जौहरी, हाॅकी की सुश्री वन्दना कटारिया, शूटिंग की सुश्री हिमानी सिंह, तीरंदाजी की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री ज्योति, शूटिंग की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री आकांक्षा तथा वेटर्न वर्ग में एथलेटिक्स की श्रीमती विमला सिंह हैं.

‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में कबड्डी के श्री नितिन तोमर, रोइंग के श्री पुनीत कुमार, कुश्ती के श्री गौरव बालियान, वुशू के श्री सूरज यादव, बैडमिन्टन के दिव्यांग खिलाड़ी श्री अबू हुबैदा, पावरलिफ्टिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री सचिन चैधरी, शूटिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री आकाश, एथलेटिक्स के दिव्यांग खिलाड़ी श्री वरुण सिंह भाटी तथा वेटर्न वर्ग में कुश्ती के श्री राजकुमार तथा एथलेटिक्स के श्री कुलदीप कुमार हैं.

मुख्यमंत्री जी द्वारा युवा कल्याण विभाग के राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ भी प्रदान किये गये. व्यक्तिगत श्रेणी में यह अवाॅर्ड 10 युवाओं को प्रदान किए गये हैं. मुख्यमंत्री जी ने यह पुरस्कार श्री सागर कसाना (गाजियाबाद), कु0 इशिका बंसल (आगरा) को प्रदान किये. राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ श्री कृष्ण पाण्डेय (गोरखपुर), श्री कलीम अतहर (पीलीभीत), श्री केतन मोर (झांसी), श्री शुभम मिश्रा (लखनऊ), श्री प्रवीण कुमार गुप्ता (अम्बेडकरनगर), श्री अजीत कुमार (लखनऊ), श्री अंकित मौर्य (लखनऊ) तथा रविकान्त मिश्रा (फतेहपुर) को भी दिया गया है. उन्होंने सामूहिक श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवक एवं महिला मंगल दल को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गोकुल पुरस्कार’ एवं ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ वितरित किये. वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ लखीमपुर खीरी की दुग्ध समिति बेलवामोती के सदस्य श्री वरुण सिंह को प्रथम पुरस्कार तथा दुग्ध संघ गोरखपुर की दुग्ध समिति माहोपार के सदस्य श्री धीरेन्द्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार दिया. उन्होंने भारतीय गोवंश की गाय के माध्यम से सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ मथुरा की दुग्ध समिति भूड़ासानी के सदस्य श्री हरेन्द्र सिंह को ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ प्रदान किया. उन्होंने कृषि विभाग द्वारा दिये जाने वाले ‘कृषक पुरस्कार’ जनपद लखनऊ की डाॅ0 कामिनी सिंह, जनपद बाराबंकी के श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह तथा जनपद बहराइच के श्री अनिरुद्ध को प्रदान किये. मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘दृष्टि योजना’ के अन्तर्गत जनपद भदोही के एफ0पी0ओ0 हरियाली किसान समृद्धि प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड को योजना की प्रथम किस्त के रूप में 18 लाख रुपए का डमी चेक एवं स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान ‘इतिहास में महिला शक्ति’ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. यूपी गुडविल ताइक्वाण्डो फेडरेशन की प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा मार्शल आर्ट के विभिन्न करतब प्रदर्शित किए गये. इण्डियन ब्लाइण्ड जूडो फेडरेशन की बालिकाओं द्वारा आत्मरक्षार्थ जूडो का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विभाग के कलाकारों ने थारू नृत्य प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री उपेन्द्र तिवारी, महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चैहान, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, सांसद श्री कौशल किशोर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

बिग बॉस 14: घर से बाहुर हुई सोनाली फोगाट, रोटी फेंकना पड़ा भारी

बिग बॉस 14 से सोनाली फोगाट को घर से बेघर कर दिया गया है. यह खबर फैंस के लिए काफी ज्यादा चौकाने वाला था. कि इस हफ्ते चार लोग नॉमिनेट होने के लिस्ट में थें. जिनका नाम था, राहुल वैद्या, निक्की तम्बोली, सोनाली फोगाट और रुबीना दिलाइक जिसमें से सोनाली फोगाट को घर से बाहर कर दिया गया है.

सनोला फोगाट की खबर मिलेत ही फैंस को शौक लगा है, सभी चाहते थे कि सोनाली फोगाट घर में लंबे समय तक टिकी रहेंगी, लेकिन हुआ नहीं ऐसा. एक रिपोर्ट के मुताबिक खुलासा हुआ कि इस हफ्ते कम वोट मिलने की वजह से सोनाली फोगाट कोघरसे बेघर किया गया है.

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इस बार वीकेंड के वार में सलमान खान बिजी थे जिस वजह से सोनाली फोगाट का एलिमिनेश अलग अंदाज में किया गया, जिसे देखकर फैंस भी शॉक हो गए हैं. फैंस इस वजह से परेशान भी नजर आ रहे हैं. हालांकि अब तो सोनाली फोगाट घर से जा चुकी हैं.

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सलमान खान बिजी थे जिस वजह से इसे रश्मि देसाई और सिद्धार्थ शुक्ला ने देखा था, वहीं सोनाली फोगाट बिग बॉस के घर मं दो बार खाना फेंकने को लेकर ट्रोल हो चुकी हैं. जब वीकेंड के वार में उनका सामना मीडिया से हुआ तो वहां भी लोगों ने अन्न को फेंकने के लिए सोनाली फोगाट की नंदा करते नजर आएं.

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इन दिनों बिग बॉस सभी घरों में चर्चा का विषय बना हुआ है , लोग इन्हें देखना ज्यादा पसंद कर रहे है. बिग बॉस को टीआरपी लिस्ट में लाने के लिए मेकर्स ने खूब ज्यादा मेहनत किया है . इसके बाद आखिरी में इस शो को टीआरपी के लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. अब देखना है कि आखिरकर इस शो का फाइनल विजेता कौन बनता है.

वरुण धवन की शादी में पहुंचे करण जौहर, मीडिया को देख छिपाया चेहरा

बॉलीवुड एक्टर वरुण धवन और नताशा दलाल की शादी में शामिल होने के लिए सभी मेहमान पहुंच रहे थें, इसी बीच करण जौहर नजर आएं, करण का लुक हमेशा कि तरह इस बार भी कुछ अलग था, जिन्हें देखते ही मीडिया वाले फोटो लेना शुरू कर दिया.

करण जौहर पहले तो अपना चेहरा छिपाने की कोशिशकर रहे थें, लेकिन कैमरे से कौन बचा सकता है किसी को. बता दें कि इस दौरान करण जौहर शानदार आउटफिट में नजर आ रहे थें. साथ में उन्होंने चश्मा भी लगा रखा था. कोरोना से बचने के लिए करण जौहर मास्क लगाए नजर आएं, साथ में उन्होंने वोट डिस्टेंसिंग का भी पूरा ख्याल रखा था.

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वैसे फैंस को करण जौहर का यह अंदाज फाफी ज्यादा पसंद आ रहा था. सभी मेहमानों की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. अब सिर्फ वरुण धवन और नताशा दलाल की तस्वीरो का इंतजार है. बता दें कि करण जौहर ने मीडिया से बीते कुछ महीनों से दूरी बना रखी है. इसलिए उन्हें देखते ही इसलिए मुंह छिपा लिया था.

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बता दें कि बाकी सभी मेहमानों की तरह करण जौहर और नताशा दलाल की शादी में शामिल होने के लिए करण को भी वोट की सवारी करनी पड़ी.

बतादें कि करण और नताशा की शादी के लिए सिक्योरेटी का पुख्ता इअंतजाम किया गया था. चारों तरह गार्ड्स ही गार्ड्स नजर आ रहे थें.

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वरुण धवन और नताशा दलाल की शादी का इंतजार सभी फैंस को था सभी जल्द वरुण धवन और नताशा दलाल की एक झलक पाने के लिए बेताब हैं.

केले का छिलका -भाग 1: मसूरी के रास्ते में ईशान ने क्या देखा

‘‘देहरादून के सिर पर ताज की तरह विराजमान मसूरी की अपनी निराली छटा है. सागर तल से लगभग 2,005 मीटर की ऊंचाई पर 65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली मसूरी से एक ओर घाटी का मनोरम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर बर्फीले हिमालय की ऊंचीऊंची चोटियां. मसूरी को ‘पहाड़ों की रानी’ यों ही नहीं कहा जाता.

‘‘यहां के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में गनहिल, कैमल्सबैक रोड, नगरनिगम उद्यान, चाइल्ड्स लौज, झड़ीपानी निर्झर, कैंप्टी फौल, धनोल्टी प्रमुख हैं.’’

गाइड अपनी लच्छेदार भाषा में रटारटाया भाषण दिए जा रहा था. अधिकतर यात्री एकाग्रचित्त हो कर सुन रहे थे, लेकिन कुछ लोग खिड़की से बाहर मनोहर और लुभावने दृश्य देख रहे थे.

अचानक ईशान ने महसूस किया कि कुछ गड़बड़ है. उस के पास बैठी लड़की की आंखों से आंसू टपक रहे थे. वह अपनी सिसकियों को दबाने का असफल प्रयास कर रही थी और इसी ने ईशान का ध्यान आकर्षित किया था. जब पास में बैठी कोई लड़की, जो खूबसूरत भी हो, अगर इतने सुहावने वातावरण के बावजूद रो रही हो तो एक सुसंस्कृत युवक का क्या कर्तव्य बनता है?

ईशान एक अमेरिकन बैंक में योजना अधिकारी था. वेतन इतना मिलता था कि भारत सरकार के उच्च अधिकारियों को भी एक बार ईर्ष्या हो जाती. वर्ष में एक बार 15 दिन की अनिवार्य छुट्टी पूरे वेतन के साथ मिलती थी. स्थान के लिहाज से सब से अच्छे होटल में रहना और सुबह का नाश्ता मुफ्त. घूमनेफिरने और हर दिन के कड़े काम की उकताहट से उबरने के लिए इस से बड़ा प्रोत्साहन और क्या हो सकता है.

ईशान का विवाह पिछले वर्ष बड़े धूमधाम से हुआ था. पत्नी गर्भवती थी और प्रसूति के लिए मायके गई हुई थी. कुछ सहयोगी, जो कुछ समय पहले मसूरी हो कर आए थे, इतनी प्रशंसा कर रहे थे कि उस ने भी मसूरी घूमने का निश्चय किया. वैसे तो घूमनेफिरने का आनंद पत्नी के साथ ही आता है, बिलकुल दूसरे हनीमून जैसा. परंतु इस समय ईशान की पत्नी पहाड़ों पर जाने की स्थिति में नहीं थी इसलिए वह अकेला ही निकल पड़ा था.

मसूरी के एक वातानुकूलित होटल में कमरा पहले से आरक्षित किया जा चुका था. कुछ समय तक कमरे में बैठेबैठे ही खिड़की खोल कर ईशान दूरदूर तक फैली हरियाली और कीड़ेमकोड़ों की तरह दिखते मकानों को निहारता रहा. कभीकभी आवारा बादल कमरे में ही घुस आते थे और तब वह सिहर कर अपनी पत्नी गौरी की कमी महसूस करता.

होटल की स्वागतिका से कह कर ईशान ने आसपास घूमने के लिए बस में सीट आरक्षित करवा ली थी. उस समय वह बस में बैठा हुआ था जब पास बैठी लड़की की सिसकियों ने उस का ध्यान अपनी ओर खींचा.

जब नहीं रहा गया तो उस ने शालीनता से पूछा, ‘‘क्षमा कीजिए, आप को कुछ कष्ट है क्या? क्या मैं आप की कुछ मदद कर सकता हूं?’’

लड़की ने कोई उत्तर नहीं दिया, केवल सिसकती रही. ईशान की समझ में नहीं आ रहा था कि अपने काम से काम रखे या अंगरेजी फिल्मों के नायक की तरह अपना रूमाल उसे पेश करे.

आखिर एक लंबी सांस छोड़ते हुए उस ने कहा, ‘‘देखिए, मैं आप के मामले में कोई दखल नहीं देना चाहता. हां, अगर आप समझती हैं कि एक अजनबी से कुछ मदद ले सकती हैं तो मैं हाजिर हूं.’’

सिसकियां दबाते हुए लड़की ने कहा, ‘‘मेरा सिर चकरा रहा है. मैं कहीं खुली जगह में बैठना चाहती हूं.’’

‘‘ओह, तबीयत खराब है?’’

‘‘नहीं,’’ लड़की ने कराहते हुए कहा.

‘‘तो फिर…’’ ईशान झिझका, ‘‘खैर, मैं अभी बस रुकवाता हूं,’’ सोचा, लड़की की तबीयत खराब होना भी एक नाजुक मामला है.

जब उस ने थोड़ी चहलपहल वाली जगह पर बस रुकवाई तो सारे पर्यटक आश्चर्य से उसे देखने लगे.

लड़की के हाथ में केवल एक पर्स था, वह झट से उतर गई. ईशान अपनी सीट पर बैठने ही वाला था कि उसे कुछ बुरा लगा. सोचने लगा कि अकेली मुसीबत में पड़ी लड़की को यों ही छोड़ देना ठीक नहीं. शायद उसे मदद की आवश्यकता हो?

इस से पहले कि चालक बे्रक पर से पैर हटाता, वह अपना बैग उठा कर लड़की के पीछेपीछे उतर गया. बस उन्हें छोड़ कर आगे बढ़ गई.

सड़क के किनारे एक खाली बेंच थी. लड़की जा कर उस पर बैठ गई. फिर उस ने आंखें बंद कर लीं और सिर पीछे टिका लिया. ईशान भी पास ही बैठ गया. पर अब महसूस कर रहा था कि वह किस चक्कर में पड़ गया.

लगभग 2 मिनट की चुप्पी के बाद लड़की ने क्षीण स्वर में कहा, ‘‘मुझे अफसोस है. आप बेकार में ही मेरे लिए इतना परेशान हो रहे हैं.’’

पहली बार ईशान का ध्यान लड़की की टांगों पर गया. वह स्कर्टब्लाउज पहने थी. गोरीगोरी टांगें रेशम की तरह मुलायम लग रही थीं. घुटने से ऊपर तक के मोजे पहने थे, देखने में वे पारदर्शी और टांगों के रंग से मिलतेजुलते थे.

ईशान ने सिर झटका, ‘मूर्ख कहीं का, इस तरह मत भटक.’

‘‘परेशानी तो कुछ नहीं,’’ ईशान ने जल्दी से कहा, ‘‘हां, अगर आप के कुछ काम आया तो खुशी होगी.’’

अचानक लड़की की आंखों से फिर से ढेर सारे आंसू निकल पड़े तो ईशान भौचक्का रह गया.

‘‘मैं अपने मातापिता के साथ कुछ रोज पहले यहां आई थी,’’ लड़की ने सिसकते हुए कहा.

‘‘ओह, ये बात है,’’ ईशान कुछ न समझते हुए बोला.

केले का छिलका -भाग 3: मसूरी के रास्ते में ईशान ने क्या देखा

‘‘अब क्या करोगी? घूमने चलोगी या आराम करोगी?’’ ईशान ने बाहर आ कर पूछा.

‘‘आराम कहां है मेरी जिंदगी में,’’ रौनी ने आह भर कर कहा.

‘‘देखो, अब ऐसी बातें मत करो. सामान्य होने की कोशिश करो,’’ ईशान ने अब अधिकार से उस के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘‘मैं सोचता हूं, तुम्हें कुछ देर अब आराम करना चाहिए. चलो, तुम्हारे होटल छोड़ आता हूं. शाम को फिर मिलेंगे.’’

‘‘होटल,’’ रौनी से उदासी से कहा, ‘‘होटल तो मैं ने बहुत पहले छोड़ दिया था. रहने के लिए रुपया चाहिए और सारा रुपया पिताजी की जेब में था. वह तो होटल का मालिक इतना सज्जन था कि उस ने मुझ से कोई हिसाब नहीं मांगा.’’

‘‘तो फिर कहां रहती हो?’’ ईशान ने आश्चर्य से पूछा.

‘‘कालीबाड़ी में. इतने सारे लोग रोज आतेजाते हैं, मुझे कोई परेशानी नहीं होती,’’ रौनी ने लापरवाही से कहा.

ईशान ने कुछ क्षणों तक सोचा और फिर कहा, ‘‘तुम्हें कालीबाड़ी में रहने की कोई जरूरत नहीं है. चलो, अपना सामान उठाओ और मेरे होटल में आ जाओ. मैं तुम्हारे लिए कमरा आरक्षित करवा दूंगा.’’

रौनी ने आशंका और अविश्वास से ईशान को देखा और कहा, ‘‘आप मेरे लिए इतना सब क्यों करेंगे? मैं नादान और कमसिन जरूर हूं पर भोली भी नहीं हूं.’’

ईशान के ऊपर बिजली सी गिर पड़ी. शीघ्रता से बोला, ‘‘विश्वास करो रौनी, मेरा कोई बुरा आशय नहीं है. मैं कोई नाजायज फायदा भी नहीं उठाना चाहता. हां, एक दोस्त की हैसियत से तुम्हें कुछ लमहे खुशी के दे सकता हूं तो इनकार कर के मेरा दिल तो न तोड़ो.’’

रौनी ने शरारतभरी मुसकराहट से कहा, ‘‘बुरा मान गए? दरअसल, हम लड़कियों को हर पल चौकन्ना और होशियार रहना पड़ता है. अच्छे और बुरे की पहचान करना कोई आसान काम है क्या?’’

ईशान ने हंसते हुए कहा, ‘‘तुम ने तो मुझे डरा ही दिया था. अपने ही आईने में भेडि़या नजर आने लगा.’’

‘‘अब छोडि़ए भी. हां, इतना फिर कहूंगी कि मैं जहां हूं, ठीक हूं. आप मेरी चिंता मत कीजिए,’’ उस ने जोर दिया.

‘‘रौनी, कृपा कर के अब यह संवाद अधिक मत दोहराओ. तुम मेरी खातिर चलो. मुझे अच्छा लगेगा,’’ रौनी का हाथ ईशान ने मजबूती से पकड़ लिया.

रौनी के साथ ईशान कालीबाड़ी गया और उस का सामान उठवाया. केवल एक सूटकेस और स्लीपिंग बैग देख कर उसे आश्चर्य तो हुआ, पर कुछ बोला नहीं.

रौनी ने अपनेआप ही सफाई दी, ‘‘रुपए की जरूरत पड़ी तो बाकी सामान बेच दिया.’’

ईशान ने कोई उत्तर नहीं दिया. होटल पहुंच कर रौनी के लिए कमरा लिया. शाम की कौफी, नाश्ता भी वहीं किया और फिर रात को मसूरी का आनंद लेने के लिए निकल पड़े. रौनी से धीरेधीरे ईशान की घनिष्ठता बढ़ गई. शर्म व झिझक भी कम होती जा रही थी.

जिस किसी दुकान पर वह कोई पोशाक या आभूषण ठिठक कर देखने लगती, ईशान तुरंत खरीद कर भेंट कर देता. धीरेधीरे ईशान का एहसान अधिकार में बदलने लगा. रौनी अब खुल कर फरमाइश भी कर देती थी. अच्छा खातीपीती थी और खूब खरीदती थी.

ईशान जितने रुपए साथ लाया था, सब कभी के खत्म हो चुके थे. अब वह अपने बैंक का ‘क्रैडिट कार्ड’ इस्तेमाल कर रहा था. सोच कर आया था कि अपनी पत्नी गौरी के लिए ढेर सारी चीजें खरीदेगा और अपने होने वाले बच्चे के लिए ढेर सारे खिलौने व कपड़े, पर रौनी के चक्कर में फुरसत ही न मिली. साथ ही अब तो इफरात से खर्च करने के कारण आर्थिक स्थिति भी डांवांडोल हो रही थी. ठीक पता नहीं था कि क्रैडिट कार्ड कब तक साथ देगा.

15 दिन कैसे निकल गए, पता नहीं लगा. ईशान को रौनी अच्छी लगने लगी थी. कभीकभी तो लगता कि वह उसे प्यार करने लगा है. काश, कहीं रौनी की ओर से कोई संकेत मिल जाता.

परंतु रौनी ने ऐसा कुछ नहीं किया. मौजमस्ती ने उस का दुख मिटा दिया था, उस की खिलखिलाहट में एक खिलाड़ी का स्वर गूंजता था. इसी से ईशान बड़ा सुकून महसूस करता था.

‘‘कल सुबह तो मैं चला जाऊंगा,’’ ईशान ने डूबी हुई आवाज में कहा, ‘‘अब तुम क्या करोगी?’’

‘‘अब तुम ही चले परदेस…’’ रौनी ने शरारत से ठुमका लगा कर कहा, ‘‘लगा के ठेस तो अब हम क्या करेगा?’’

ईशान ने हंस कर कहा, ‘‘शैतानी से बाज नहीं आओगी. सुनो, मेरे साथ चलोगी?’’

‘‘न बाबा,’’ रौनी ने अपने कानों को हाथ लगाते हुए कहा, ‘‘तुम्हारी गौरी से जूते खाने हैं क्या?’’

‘‘तो तुम से कब और कैसे भेंट होगी?’’ ईशान ने पूछा.

‘‘यह मुझ पर छोड़ दो. पहले अपना ठिकाना ढूंढ़ लूं. फिर तो तुम्हें कहीं से भी पकड़ लाऊंगी,’’ रौनी ने हंसते हुए कहा.

‘‘तुम्हें मजाक सूझ रहा है और मेरी जान पर बनी है,’’ ईशान ने नाराजगी का फिल्मी इजहार किया.

रौनी ने केवल जीभ दिखा दी. फिर उस की प्रार्थना पर ईशान ने होटल का 2 दिन का किराया और दे दिया. साथ ही कुछ रुपए खानेपीने के लिए दिए.

ईशान जब घर पहुंचा तो एकदम कड़का था. बैंक से भी पता लगा कि उस ने बचत से कहीं अधिक खर्च कर डाला है, इसलिए अब उधार पर अधिक सूद देना पड़ेगा. लेकिन रौनी की मधुरस्मृति ने दुखी नहीं होने दिया. सोचने लगा, कब याद करेगी अब?

कुछ समय बाद ईशान की पत्नी गौरी गोलमटोल बबलू को ले कर घर आ गई. उस ने पति के बरताव में कुछ बदलाव सा महसूस किया. लेकिन उस ने खामोश रहना ही बेहतर समझा.

ईशान ने एकाध बार सोचा कि क्यों न गौरी को बता दे कि कैसे उस ने एक मुसीबत में फंसी लड़की को सहारा दिया. तब गौरी अवश्य ही उस की प्रशंसा करेगी. फिर यह सोच कर रह जाता था कि बहादुरी दिखाने के बजाय विवेक से काम लेना अधिक अच्छा होता है. हो सकता है, गौरी इस का गलत अर्थ लगाए.

वर्ष बीत रहा था और रौनी के संपर्क न करने से ईशान को बेचैनी सी होने लगी थी. कभी यह भी सोचता था कि चलो, अच्छा हुआ, पीछा छूटा. कहीं उस का संबंध गहरा हो जाता तो अपना पारिवारिक जीवन ही डांवांडोल हो जाता. उन क्षणों में वह गौरी से आवश्यकता से अधिक ही प्रेम जताने लगता.

जब छुट्टी लेने का समय आया तो उस ने फिर से मसूरी ही जाने का निश्चय किया.

‘‘पिछले साल ही तो मसूरी गए थे?’’ गौरी ने पूछा, ‘‘क्या हमारे महान देश में पर्यटक स्थलों की कमी पड़ गई है?’’

‘‘गौरी, एक बार मसूरी चलो तो सही. तुम देखते ही उस से प्यार करने लगोगी,’’ ईशान ने हंस कर कहा, ‘‘मेरा तो मन करता है, वहां ही कोई घर ले लूं.’’

गौरी को दार्जिलिंग अधिक अच्छा लगता था. इस बात पर अकसर दोनों में गरम बहस भी होती थी.

वे मसूरी पहुंचे तो ठहरे उसी पुराने होटल में.

दोपहर का सुहावना मौसम था. वे घूमने निकल पड़े. बादल छाए हुए थे और ठंडी हवा के झोंके बदन में सिहरन भर रहे थे. गौरी ने बबलू को कंबल में लपेट कर गोद में लिटा रखा था. ईशान पास ही बैठा उस से अपने अनुभवों का वर्णन कर रहा था.

अचानक एक परिचित स्वर कानों में पड़ा. ईशान चौंक गया. मुड़ कर देखा, वही थी. साथ में एक मोटा आदमी था. पीछे वाली बैंच पर दोनों बैठे थे. ईशान की तरफ उन की पीठ थी.

‘‘मैं अपने मांबाप के साथ कुछ रोज पहले यहां आई थी,’’ रौनी सिसकते हुए कह रही थी, ‘‘मुझे क्या मालूम था… क्षमा कीजिए, मेरा नाम वैरोनिका है, वैसे सब मुझे ‘रौनी’ कहते हैं…मेरी मां को कैंसर था…’’

ईशान का दिल डूबने लगा. वह गौरी से आंखें न मिला सका. ऐसा लगा, जैसे उस ने उस की चोरी पकड़ ली हो.

2 आदमी हाथों में मूंगफली की पुडि़या लिए सामने से निकले. दोनों वार्त्तालाप में मस्त थे.

‘‘किसी शायर ने क्या खूब कहा है,’’ एक आदमी कह रहा था, ‘‘औरत केले के छिलके की तरह होती है, पैर पड़ा नहीं कि फिसल गए.’’

दोनों ठहाका मार कर हंस रहे थे. क्या खूब कहा था.

 

मेरी उम्र 29 साल है,मैं पहली बार गर्भवती हुई हूं,कृपया बताएं कि गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

सवाल
मेरी उम्र 29 साल है. मैं पहली बार गर्भवती हुई हूं. कृपया बताएं कि गर्भवती महिला को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

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जवाब
गर्भावस्था के दौरान घर पर बना संतुलित आहार ही सर्वोत्तम होता है. आहार में विटामिन व मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा आवश्यक है. गर्भावस्था के दौरान फ्राइड, स्पाइसी और खट्टा खाने से परहेज करना चाहिए. बाहर का खाना और जूस नहीं लेना चाहिए. जूस घर पर बनाएं. पिज्जा, बर्गर जैसे फूड्स से भी बचना चाहिए. पानीपूरी का सेवन भी नहीं करना चाहिए, अगर आप की पाचनक्रिया अच्छी नहीं है तो मिर्च और अचार भी नहीं खाना चाहिए.

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गर्भावस्था में कैसा हो आहार

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गर्भ धारण करना किसी भी महिला के जीवन की सब से बड़ी खुशी होती है. मगर इस दौरान उसे कई सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं. आज नारी पर घरबाहर दोनों जिम्मेदारियां हैं. वह घर, बच्चों, औफिस सभी को हैंडल करती है.

आधुनिक युग की नारी होने के नाते कुछ महिलाएं धूम्रपान और शराब आदि का भी सेवन करने लगी हैं. यही वजह है कि गर्भावस्था में उन्हें अपनी खास देखभाल की जरूरत होती है. थोड़ी सी सावधानी बरतने पर मां और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रह सकते हैं.

पौष्टिक आहार लेना जरूरी

आप मां बनने वाली हैं, तो यह जरूरी है कि आप पौष्टिक आहार लें. इस से आप को अपने और अपने गर्भ में पल रहे शिशु के लिए सभी जरूरी पोषक तत्त्व मिल जाएंगे. इन दिनों आप को अधिक विटामिन और खनिज, विशेषरूप से फौलिक ऐसिड और आयरन की जरूरत होती है.

गर्भावस्था के दौरान कैलोरी की भी कुछ अधिक जरूरत होती है. सही आहार का मतलब है कि आप क्या खा रही हैं, न कि यह कि कितना खा रही हैं. जंक फूड का सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि इस में केवल कैलोरी ज्यादा होती है बाकी पोषक तत्त्व कम या कह लें न के बराबर होते हैं.

मलाई रहित दूध, दही, छाछ, पनीर आदि का शामिल होना बहुत जरूरी है, क्योंकि इन खाद्यपदार्थों में कैल्सियम, प्रोटीन और विटामिन बी-12 की ज्यादा मात्रा होती है. अगर आप को लैक्टोज पसंद नहीं है या फिर दूध और दूध से बने उत्पाद नहीं पचते, तो अपने खाने के बारे में डाक्टर से बात करें.

पेयपदार्थ

पानी और ताजे फलों के रस का खूब सेवन करें. उबला या फिल्टर किया पानी ही पीएं. घर से बाहर जाते समय पानी साथ ले जाएं या फिर अच्छे ब्रैंड का बोतलबंद पानी ही पीएं. ज्यादातर रोग जलजनित विषाणुओं की वजह से ही होते हैं. डब्बाबंद जूस का सेवन कम करें, क्योंकि इन में बहुत अधिक चीनी होती है.

वसा और तेल

घी, मक्खन, नारियल के दूध और तेल में संतृप्त वसा की ज्यादा मात्रा होती है, जो ज्यादा गुणकारी नहीं होती. वनस्पति घी में वसा अधिक होती है. अत: वह भी संतृप्त वसा की तरह शरीर के लिए अच्छी नहीं है. वनस्पति तेल वसा का बेहतर स्रोत है, क्योंकि इस में असंतृप्त वसा अधिक होती है.

समुद्री नमक या आयोडीन युक्त नमक के साथसाथ डेयरी उत्पाद आयोडीन के अच्छे स्रोत हैं. अपने गर्भस्थ शिशु के विकास के लिए अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में आयोडीन शामिल करें.

गर्भावस्था से पहले आप का वजन कितना था और अब आप के गर्भ में कितने शिशु पल रहे हैं, उस हिसाब से अब आप को कितनी कैलोरी की जरूरत है, यह डाक्टर बता सकती हैं.

गर्भावस्था में क्या न खाएं

गर्भावस्था के दौरान कुछ खाद्यपदार्थों का सेवन न करें. ये शिशु के लिए असुरक्षित साबित हो सकते हैं. जैसे अपाश्चयुरिकृत दूध (भैंस या गाय का) और उस से बने डेयरी उत्पादों का सेवन गर्भावस्था में सुरक्षित नहीं है. इन में ऐसे विषाणुओं के होने की संभावना रहती है, जिन से पेट के संक्रमण का खतरा रहता है. कहीं बाहर खाना खाते समय भी पनीर से बने व्यंजनों से बचें.

सभी किस्म के मांस को तब तक पकाएं जब तक कि उस से सभी गुलाबी निशान न हट जाएं. अंडे को भी अच्छी तरह पकाएं. विटामिन और खनिज की अधिक खुराक लेना भी शिशु के लिए हानिकारक हो सकता है. कोई भी

दवा बिना डाक्टर की सलाह के न लें.

आज बहुत सी महिलाएं कामकाजी हैं, जो प्रैगनैंसी के दौरान भी औफिस जाती हैं और उन की डिलिवरी भी सामान्य होती है. लेकिन आप की प्रैगनैंसी में कौंप्लिकेशंस हैं, तो सफर में अपना खास खयाल रखें. सफर पर जाने से पहले डाक्टर से जरूर मिल लें.

अधिकतर मामलों में प्रैगनैंसी के दौरान ट्रैवलिंग सेफ होती है, फिर भले ही आप ट्रैवलिंग कार से कर रही हो, बस से या फिर ट्रेन से. लेकिन कुछ प्रिकौशंस को ध्यान में रखें तो आप और आप के बच्चे को किसी भी अचानक होने वाली घटना से बचाया जा सकता है.

प्रैगनैंसी में शुरू के 3 महीने और आखिर के 3 महीने सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण होते हैं. इस दौरान सफर करने से बचें. अगर किसी महिला को डाक्टर ने प्रैगनैंसी के हाई रिस्क पर होने की वजह से पूरी तरह बैड रैस्ट की सलाह दी है तो ऐसी महिलाओं के लिए यात्रा करना हानिकारक हो सकता है.

इन बातों को रखें याद

सब से पहले तो किसी भी हालात में शरीर में पानी की कमी न होने दें. अगर आप विमान से सफर कर रही हैं तो नमी का स्तर कम होने के कारण डीहाईडे्रशन की संभावना रहती है. पैर फैलाने के लिए पर्याप्त जगह वाली सीट लें. रैस्टरूम सीट के करीब हो.

अगर आप कार द्वारा लंबी दूरी का सफर तय कर रही हैं, तो सीट बैल्ट पेट के नीचे बांधें. कार की अगली सीट पर बैठें और स्वच्छ हवा के लिए खिड़की खुली रखें. ब्लडप्रैशर सामान्य रखने, ऐंठन और सूजन से बचने के लिए पैरों को फैलाती और मूवमैंट में रखें.

गर्भावस्था के दूसरे फेज यानी 3 से 6 महीने के बीच का समय सुरक्षित होता है. इन महीनों के दौरान मौर्निंग सिकनैस, अधिक थकान, सुस्ती जैसी शिकायतें कम ही होती हैं.

ऐसी जगह जाने से बचें जहां किसी संक्रमित बीमारी का प्रकोप फैला हो.

गर्भावस्था के 14 से 28 सप्ताहों के बीच ही यात्रा करें.

सफर के दौरान डाक्टर के निर्देशों का पालन करते हुए दवा साथ रखें. डाक्टर के पेपर्स और उन का फोन नंबर हमेशा साथ रखें ताकि आपातकाल में उस का उपयोग कर पाएं.

सफर में ज्यादा भागदौड़ न करें, क्योंकि आप जितनी अशांत रहेंगी, आप के बीमार होने की आशंका उतनी ही अधिक होगी.

नशीले पदार्थों से दूर रहें

गर्भावस्था में महिलाएं नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहें. साथ ही उन दवाओं से भी परहेज करें, जिन में ड्रग्स की मात्रा अधिक हो. यदि इस अवस्था में महिला शराब, सिगरेट, तंबाकू, पान, बीड़ी या गुटका का सेवन करती है तो इस का गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रतिकूल असर पड़ता है. उस में शारीरिक दोष, सीखने की अक्षमता और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

गर्भावस्था के शुरू के 10 हफ्तों के बाद शिशु के शरीर का विकास तेजी से होने लगता है और इस में नशीले पदार्थों के सेवन का असर इतना खतरनाक पड़ता है कि उस के नर्वस सिस्टम के साथ आंखें भी खराब हो सकती हैं. इस के अलावा बच्चा ऐब्नौर्मल पैदा हो सकता है, समयपूर्व प्रसव भी हो सकता है, जिस से शिशु पर जान का जोखिम बना रहता है.

कैफीन की मात्रा भी कम करें. प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से अधिक कैफीन लेने से गर्भपात और कम वजन वाले शिशु के जन्म का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए प्रतिदिन 2 कप इंस्टैंट कौफी या 2 कप चाय से अधिक का सेवन न करें.

अगर आप मांस नहीं खाती हैं, तो अनाज, साबूत व पूर्ण अनाज, दालें और ड्राईफू्रट्स आप के लिए प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं. शाकाहारियों को प्रोटीन के लिए प्रतिदिन 45 ग्राम ड्राईफू्रट्स और 2/3 कप फलियों की आवश्यकता होती है. 1 अंडा, 14 ग्राम ड्राईफू्रट्स या 2 कप फलियां लगभग 28 ग्राम मांस के बराबर मानी जाती हैं. अगर मांसाहारी हैं तो मछली, चिकन आदि प्रोटीन के बेहतर स्रोत हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem

 

केले का छिलका -भाग 2: मसूरी के रास्ते में ईशान ने क्या देखा

‘‘मुझे क्या मालूम था…’’ लड़की फिर रो पड़ी.

‘‘धीरज से काम लीजिए,’’ ईशान ने सहानुभूति से कहा. सोचा, ‘शायद कुछ हादसा हो गया है.’

लड़की अब आंसू पोंछने लगी, फिर बोली, ‘‘क्षमा कीजिए. मेरा नाम वैरोनिका है. वैसे सब मुझे ‘रौनी’ कहते हैं.’’

ईशान मुसकराया. औपचारिकता के लिए बोला, ‘‘बड़ा अच्छा नाम है. आप बैठिए, मैं आप के लिए कुछ लाता हूं. कौफी या शीतल पेय?’’

रौनी ने झिझकते हुए कहा, ‘‘बड़ी मेहरबानी होगी, अगर आप मेरे लिए इतना कष्ट न उठाएं.’’

‘‘नहींनहीं, कष्ट किस बात का…आप ने अपनी पसंद नहीं बताई?’’ ईशान ने जोर दिया.

‘‘गरम कौफी ले आइए,’’ रौनी ने अनिच्छा से कहा.

सामने ही ‘कौफी कौर्नर’ था. ईशान

2 कप कौफी ले आया. वह कौफी पीने लगा. पर लग रहा था कि रौनी केवल होंठ गीले कर रही है.

‘‘क्या हुआ आप के मांबाप को?’’ थोड़ी देर बाद ईशान ने पूछा.

‘‘उन की हाल ही में मौत हो गई,’’ रौनी फिर रो पड़ी.

ईशान ने उस के हाथ से कप ले लिया, क्योंकि कौफी उस के अस्थिर हाथों से छलकने ही वाली थी.

‘‘माफ कीजिएगा, आप का दिल दुखाने का मेरा कतई इरादा नहीं था,’’ ईशान ने शीघ्रता से कहा.

‘‘कोई बात नहीं,’’ आंसुओं पर काबू पाते हुए रौनी ने कहा, ‘‘कोई सुनने वाला भी नहीं. मेरा दिल भरा हुआ है. आप से कहूंगी तो दुख कम ही होगा.’’

‘‘ठीक है. पहले कौफी पी लीजिए,’’ कप आगे करते हुए उस ने कहा.

जब रौनी स्थिर हुई तो बोली, ‘‘मेरी मां को कैंसर था. बहुत इलाज के बाद भी हालत बिगड़ती जा रही थी. एक दिन हम सब टीवी देख रहे थे. पर्यटकों के लिए अच्छेअच्छे स्थानों को दिखाया जा रहा था. बस, मां ने यों ही कह दिया कि काश, वे भी किसी पहाड़ की सैर कर रही होतीं तो कितना मजा आता.’’

रौनी ने कौफी खत्म कर के कप पीछे फेंक दिया. ईशान उत्सुकता से उस की कहानी सुन रहा था.

‘‘पिताजी के मन में आया कि मां की अंतिम इच्छा पूरी करना उन का कर्तव्य है. हम लोग मध्यवर्ग के हैं. फिर मां की बीमारी पर भी काफी खर्च हो रहा था. काफी रुपया उधार ले चुके थे,’’ रौनी ने गहरी सांस छोड़ी.

‘‘आप की तबीयत ठीक नहीं है,’’ ईशान ने कहा, ‘‘अभी थोड़ा आराम कर लीजिए.’’

‘‘नहीं, मैं ठीक हूं. कहने से मन हलका ही होगा,’’ रौनी ने अपने ऊपर नियंत्रण करते हुए कहा, ‘‘किसी तरह से पिताजी ने उधार ले कर और कुछ जेवर बेच कर मसूरी आने का कार्यक्रम बनाया. यहां आ कर हम तीनों एक सस्ते होटल में ठहरे.

‘‘एक दिन कैमल्सबैक गए. इतनी ऊंचाई पर जब वह पहाड़ी दिखाई दी, जो ऊंट की पीठ के आकार की थी, मां के आनंद का ठिकाना न रहा. वे बच्चों की तरह प्रसन्न हो कर किलकारियां मारने लगीं. अचानक वे अपना नियंत्रण खो बैठीं और नीचे को गिरने लगीं. पिताजी ने जैसे ही देखा, उन्हें पकड़ने की कोशिश की. पर वे स्वयं भी अपने पर नियंत्रण न रख सके. दोनों एकसाथ गिर पड़े. नीचे इतनी गहराई थी कि लाशें भी नहीं मिलीं.’’

रौनी फिर से सिसकने लगी.

ईशान ने हिम्मत कर के रौनी का हाथ अपने हाथों में ले लिया और कहा, ‘‘मुझे आप के साथ पूरी सहानुभूति है. आप का दुख समझ सकता हूं. अब क्या इरादा है?’’

‘‘कुछ नहीं. कुछ दिन और रुकूंगी. शायद कुछ पता लगे. फिर तो वापस जाना ही है,’’ रौनी ने उदास हो कर कहा, ‘‘पता नहीं क्या करूंगी?’’

‘‘घबराइए मत. कोई न कोई रास्ता निकल ही आएगा,’’ ईशान ने घड़ी की ओर देखते हुए कहा, ‘‘भूख लग रही है. चलिए, कुछ खाते हैं.’’

‘‘मेरी तो भूखप्यास ही खत्म हो गई है. आप मेरी वजह से परेशान न हों.’’

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है? मैं खाऊं और आप भूखी रहें?’’ ईशान ने दिलेरी से कहा, ‘‘वैसे मुझे अकेले खाने की आदत भी नहीं है.’’

‘‘देखिए. मैं आप के ऊपर कोई बोझ नहीं बनना चाहती,’’ रौनी ने दयनीय भाव से कहा, ‘‘आप की सहानुभूति मिली, इसी से मुझे बड़ा सहारा मिला.’’

‘‘रौनी,’’ इस बार ईशान ने जोर दे कर कहा, ‘‘अगर तुम मेरे साथ खाना खाओगी तो यह मेरे ऊपर तुम्हारी मेहरबानी होगी.’’

‘‘ओह, आप तो बस…’’ रौनी की आंखों में पहली बार मुसकान की झलक दिखाई दी.

‘‘बस, अब उठ कर चलो मेरे साथ,’’ ईशान ने उठ कर उस की ओर हाथ बढ़ाया.

वह रौनी को एक अच्छे होटल में ले गया. दोनों ने बहुत महंगा भोजन किया. रौनी अब पिछले हादसों से उबर रही थी.

अनार की उन्नत उत्पादन तकनीक

 लेखक- दुर्गाशंकर मीना, मूलाराम और मुकुट बिहारी मीना, पिंटू लाल मीना, सहायक कृषि अधिकारी, सरमथुरा,

धौलपुर अनार भारत में उगाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण फल फसल है. उपोष्ण जलवायु का फल वृक्ष होने के कारण अनार सूखे के प्रति सहनशील होने के साथसाथ कम लागत में अधिक आमदनी देता है. अनार के फल कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, लौह तत्त्व और सल्फर के अच्छे स्रोत हैं. इस का प्रयोग खाने व रस के रूप में किया जाता है. दुनिया में अनार की खेती स्पेन, मोरक्को, मिस्र, ईरान, अफगानिस्तान और ब्लूचिस्तान जैसे भूमध्यसागरीय देशों में बड़े पैमाने पर की जा रही है. इस की खेती म्यांमार, चीन, अमेरिका और भारत के कुछ हिस्सों में की जाती है.

भारत दुनिया में अनार की खेती करने में प्रथम स्थान रखता है. भारत में प्रमुख अनार उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान हैं. भारत में अनार उगाने वाले राज्यों में महाराष्ट्र अग्रणी राज्य?है. इस राज्य में अनार का कुल क्षेत्रफल 90,000 हेक्टेयर और उत्पादन 9.45 लाख मीट्रिक टन और उत्पादकता 10.5 मीट्रिक टन है. महाराष्ट्र राज्य भारत में अनार के कुल क्षेत्रफल का 78 फीसदी और देश में कुल उत्पादन में 84 फीसदी योगदान देता है. राजस्थान में अनार को जोधपुर, बाड़मेर बीकानेर, चुरू और झुंझुनूं में व्यावसायिक स्तर पर उगाया जाता है. अनार सब से पसंदीदा टेबल फलों में से एक है.

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ताजे फल का उपयोग टेबल के उद्देश्य के लिए किया जाता है और इस का उपयोग फल के रस, सिरप, स्क्वैश, जैली, रस केंद्रित कार्बोनेटेड कोल्ड ड्रिंक्स, अनारदाना की गोलियां, अम्ल आदि जैसे प्रसंस्कृत उत्पादों के तैयार के लिए भी किया जा सकता है. अनार फल पौष्टिक, खनिज, विटामिन और प्रोटीन से भरपूर होता है. कुष्ठ पीडि़त रोगियों के लिए इस का रस बहुत ही उपयोगी होता है. जलवायु अनार फल की सफलतापूर्वक खेती के लिए शुष्क और अर्धशुष्क मौसम जरूरी होता है. ऐसे क्षेत्र, जहां ठंडी सर्दियां और उच्च शुष्क गरमी होती है, उन क्षेत्रों में गुणवत्तायुक्त अनार के फलों का उत्पादन होता है. अनार का पौधा कुछ हद तक ठंड को सहन कर सकता है. इसे सूखासहिष्णु फल भी माना जा सकता?है, क्योंकि एक निश्चित सीमा तक सूखा और क्षारीयता व लवणता को सहन कर सकता?है, परंतु यह पाले के प्रति संवेदनशील होता है.

इस के फलों के विकास के लिए अधिकतम तापमान 35-38 डिगरी सैल्सियस जरूरी होता है. इस के फल के विकास व परिपक्वता के दौरान गरम व शुष्क जलवायुवीय दशाएं जरूरी होती हैं. मिट्टी जल निकास वाली गहरी, भारी दोमट भूमि इस की खेती के लिए उपयुक्त रहती है. मिट्टी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए इसे कम उपजाऊ मिट्टी से ले कर उच्च उपजाऊ मिट्टी तक विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता?है. हालांकि, गहरी दोमट मिट्टी में यह बहुत अच्छी उपज देता है. यह कुछ हद तक मिट्टी में लवणता और क्षारीयता को सहन कर सकता है. अनार की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच उपयुक्त रहता है. अनार के पौधे 6.0 डेसी साइमंस प्रति मीटर तक की लवणता और 6.78 फीसदी विनिमयशील सोडियम को सहन कर सकते हैं.

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इस के अच्छे उत्पादन के लिए मिट्टी उचित जल निकास वाली होनी चाहिए. यह फल मिट्टी की नमी के उतारचढ़ाव के प्रति संवेदनशील होता है, जिस के कारण फल फटने की एक गंभीर समस्या पैदा हो जाती है, जो इस फसल की एक प्रमुख समस्या है. भूमि की तैयारी भूमि में मोल्ड बोल्ड हल से 2-3 गहरी जुताई करें. इस के तुरंत बाद हैरो से जुताई करें, ताकि मिट्टी महीन हो जाए. इस के बाद समतलीकरण कर दें. प्रवर्धन विधि अनार के पौधे को व्यावसायिक रूप से कलम, गूटी और टिश्यू कल्चर के माध्यम से प्रसारित किया जा सकता है. कलम विधि यह आसान तरीका है, लेकिन इस की सफलता दर कम?है, इसलिए यह विधि किसानों के बीच लोकप्रिय नहीं है. कटिंग या कलम के लिए 9 से 12 इंच (25 से 30 सैंटीमीटर) लंबी एक साल पुरानी शाखा, जिस में 4-5 कलियां हों, का चयन कर लें. कलम लगाने के लिए सब से उपयुक्त समय फरवरी माह होता?है. गूटी या एयर लेयरिंग विधि नए पौधों को बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा इस का सब से आम अभ्यास है. एयर लेयरिंग विधि में सब से पहले 2-3 साल पुराने स्वस्थ पौधों का चुनाव कर लें. एयर लेयरिंग विधि में बेहतर रूटिंग के लिए 2 से 3 साल पुराने स्वस्थ पौधों का चयन करें. इस के बाद पैंसिल आकार की शाखा का चुनाव करें.

इस के बाद चुनी गई शाखा में से 2.5-3.0 सैंटीमीटर छाल को उतार लें. इस के बाद जड़ फुटान हार्मोन से 1.5-2.5 ग्राम की दर से उपचारित कर के नम मास घास या फिर कोकोपिट से छिली हुई शाखा को लपेट दें. इस के बाद 300 गेज की पौलीथिन शीट से घास या फिर कोकोपिट से लपेट दें. पौलीथिन सीट पारदर्शी होनी चाहिए, इस का फायदा यह है कि जड़ें आसानी से दिख जाती हैं. एयर लेयर या गूटी बांधने के बाद आईबीए और सेराडैक्स बी (1,500 से 2,500 पीपीएम) से उपचार करें. इस प्रकार अच्छी रूटिंग 25-30 दिन में पूरी हो जाती है. एकल पौधे से लगभग 150 से 200 गूटी पौधे हासिल किए जा सकते हैं. बारिश का मौसम गूटी के लिए सब से सही है. जड़ों के लिए लगभग 30 दिन का समय लगता है. 45 दिनों के बाद गूटी किए गए पौधों को मातृ पौधे से अलग कर देना चाहिए. जब गूटी किए गए भाग की जड़ें पूरे रंग की होने लग जाएं, तब गूटी किए भाग से तुरंत नीचे के भाग से कट लगा कर मातृ पौधे से अलग कर लेना चाहिए. इस के बाद इन्हें पौलीबैग में उगाया जाता है और शैड नैट या ग्रीनहाउस के तहत 90 दिनों तक सख्त करने के लिए रख दिया जाता है.

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ऊतक संवर्धन विधि : ऊतक संवर्धन पौधों के गुणन की एक अग्रिम और तीव्र तकनीक है. इस तकनीक का उपयोग कर के थोड़े समय के भीतर रोगमुक्त और पर्याप्त रोपण सामग्री हासिल की जा सकती है. इस विधि में अनार के पौधे को विश्वसनीय स्रोत से खरीदना चाहिए. उन्नत किस्में अनार की उन्नत किस्मों में नरम बीज वाली किस्में : गणेश, जालौर सीडलेस, मृदुला, जोधपुर रैड, जी-137 के साथसाथ वर्तमान में गहरे लाल बीजावरण वाली भागवा (सिंदूरी) किस्म पूरे भारत में उगाई जा रही हैं. गणेश किस्म के फल गुलाबी पीले रंग से लालपीले रंग के होते हैं. इस किस्म में नरम बीज होते हैं. एनआरसी हाईब्रिड-6 और एनआरसी हाईब्रिड-14 दोनों ही अनार की किस्में वर्तमान में प्रचलित किस्म भागवा से उपज व गुणवत्ता में बेहतरीन हैं.

एनआरसी हाईब्रिड-6 : इस किस्म में फल के छिलके और एरिल का रंग लाल, नरम बीज, फल का स्वाद मीठा, न्यूनतम अम्लता (0.44 फीसदी) और अधिक उपज 22.52 किलोग्राम प्रति पौधा व प्रति हेक्टेयर उपज 15.18 टन तक होती है. एनआरसी हाईब्रिड-14 : इस किस्म में फल के छिलके का रंग गुलाबी व एरिल का रंग लाल, नरम बीज, फल का स्वाद मीठा, न्यूनतम अम्लता (0.45 फीसदी) और अधिक उपज 22.62 किलोग्राम प्रति पौधा व प्रति हेक्टेयर उपज 16.76 टन तक होती है.

भागवा : अनार की भागवा किस्म उपज में बाकी अन्य किस्मों से उत्तम है. यह किस्म 180-190 दिनों में पक कर तैयार हो जाती है. इस के फल आकार में बड़े, स्वाद में मीठे, बोल्ड, आकर्षक, चमकदार और केसरिया रंग के उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं. फल के एरिल का रंग गहरा लाल और बोल्ड आर्टिल वाले आकर्षक बीज होते हैं, जो टेबल और प्रोसैसिंग दोनों उद्देश्यों के लिए उपयुक्त होते हैं. यह किस्म दूर के बाजारों के लिए भी सही है. यह किस्म अनार की अन्य किस्मों की तुलना में फलों के धब्बों और थ्रिप्स के प्रति कम संवेदनशील पाई गई. इन सभी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, महाराष्ट्र के क्षेत्रों में बढ़ते अनार में इस की खेती के लिए ‘भागवा’ किस्म की सिफारिश की जाती है.

अन्य किस्में : रूबी, फुले अरकता, बेदाना, मस्कट, ज्योति, दारू, वंडर और जोधपुर लोकल. यह कुछ महत्त्वपूर्ण किस्में हैं, जिन को व्यावसायिक स्तर पर रोपण सामग्री के रूप में काम में लिया जाता है. गड्ढे की तैयारी व रोपण 90 दिन पुराने अनार के पौधे मुख्य खेत में रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं. पौधों को लगाने के लिए गड्ढे का उपयुक्त आकार 60 सैंटीमीटर लंबा, 60 सैंटीमीटर चौड़ा, 60 सैंटीमीटर गहरा रखा जाता है. अनार को लगाने के लिए सब से अधिक वर्गाकार विधि काम में ली जाती है. आमतौर पर रोपण दूरी मिट्टी के प्रकार और जलवायु के आधार पर निश्चित की जाती है. किसानों द्वारा सब से ज्यादा काम में ली जाने वाली सब से आदर्श रोपण दूरी पौधों के बीच 10 से 12 फुट (3.0 से 4.0 मीटर) और पंक्तियों के बीच 13-15 फुट (4.0 से 5.0 मीटर) है. गड्ढों की खुदाई के बाद इन्हें 10-15 दिन तक धूप में खुला छोड़ दिया जाता है, ताकि गड्ढों में हानिकारक कीडे़मकोडे़ व कवक आदि मर जाएं. मानसून के दौरान गड्ढों को गोबर की खाद या कंपोस्ट या वर्मी कंपोस्ट (10 किलोग्राम), सिंगल सुपर फास्फेट (500 ग्राम), नीम की खली (1 किलोग्राम) और क्विनालफास 50-100 ग्राम से भर दिया जाता है. अनार रोपण के लिए इष्टतम समय बारिश का मौसम (जुलाईअगस्त माह) होता है. इस समय पौधों की इष्टतम वृद्धि के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी उपलब्ध होती है. यद्यपि, अनार को कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगाया जा सकता है, परंतु अच्छे उत्पादन व गुणवत्ता वाले फलों के लिए कार्बनिक और रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है.

अंतरासस्यन : अनार का बगीचा लगाने के बाद 1 से 2 साल अफलन अवस्था में रहता है, इसलिए किसान को इस अवधि के दौरान कोई भी अतिरिक्त आय प्राप्त नहीं होती है. इस फसल प्रणाली में कम या धीरे उगने वाली सब्जियों, दालों या हरी खाद वाली फसलों को इंटरक्रौप के रूप में लेना फायदेमंद रहता है. शुष्क क्षेत्रों में, बारिश के मौसम में ही अंतरफसल संभव है, जबकि सिंचित क्षेत्रों में सर्दियों की सब्जियां भी अंतरासस्यन के रूप में ली जा सकती हैं. इस प्रकार किसान अंतरासस्यन को अपना कर बगीचे की अफलन अवस्था पर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं. खाद व उर्वरक खाद व उर्वरक की संस्तुत खुराक के तौर पर 600-700 ग्राम नाइट्रोजन, 200-250 ग्राम फास्फोरस और 200-250 ग्राम पोटाश प्रति पौधे के हिसाब से प्रत्येक वर्ष देनी चाहिए. इस के पश्चात खाद की मात्रा को तालिका के अनुसार दें और 5 वर्ष के बाद खाद की मात्रा को स्थिर कर दें. (बाक्स देखें) देशी खाद, सुपर फास्फेट व पोटाश की पूरी मात्रा व यूरिया की आधी मात्रा फूल आने के करीब 6 हफ्ते पहले दें. यूरिया की शेष मात्रा फल बनने पर दें. अंबे बहार के लिए उर्वरक दिसंबर माह में देना चाहिए और मृगबहार के फलों के लिए उर्वरक मई माह में देना चाहिए.

सिंचाई अनार एक सूखा सहनशील फसल है, जो कुछ सीमा तक पानी की कमी में भी पनप सकती है. इस फसल में फल फटने की एक प्रमुख समस्या है, इसलिए इस से बचने के लिए नियमित सिंचाई आवश्यक होती है. सर्दियों के दौरान 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें, जबकि गरमियों के मौसम में 4-5 दिन के अंतराल में सिंचाई जरूर करें. सिंचाई के लिए ड्रिप पद्धति का प्रयोग करें. इस से 40 से 80 फीसदी तक पानी की बचत कर सकते हैं और पानी के साथ उर्वरक का भी प्रयोग कर सकते हैं, जिसे फर्टिगेशन के नाम से जाना जाता है. अगर पानी की सुविधा हो, तो अंबे बहार से उत्पादन लें, क्योंकि इस बहार के फल अधिक गुणवत्ता वाले होते हैं, वरना मृगबाहर से ही काम लें.

साफ पानी पीने के हैं कई फायदे वरना हो सकती हैं ये 10 गंभीर बीमारियां

साफ पानी हर व्यक्ति की बुनियादी जरूरत है. प्रदूषित पानी बेहद घातक साबित हो सकता है. साफ पानी को यूनाइटेड नेशंस द्वारा मनुष्य का मूल अधिकार माना गया है, बावजूद इस के दुनिया भर में लगभग 1.8 मिलियन लोग प्रदूषित पानी के कारण मर जाते हैं.

पानी के बारे में 4 महत्त्वपूर्ण बातें

मात्रा:

हर व्यक्ति को रोजाना पीने, खाना पकाने, सैनिटेशन और हाइजीन के लिए 20 से 50 लिटर पानी की जरूरत होती है.

विश्वसनीयता:

पानी की उपलब्धता भरोसेमंद होनी चाहिए. मौसम चाहे कोई भी हो, व्यक्ति को हर स्थिति में पानी मिलना चाहिए. अगर पानी के स्रोत भरोसेमंद न हों या मौसमी हों तो इस का असर व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर पड़ता है.

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गुणवत्ता:

पानी के वितरण के लिए उचित और भरोसेमंद प्रणाली होनी चाहिए ताकि हर परिवार को सुरक्षित और साफ पेयजल मिले.

लागत:

साफ पानी का भरोसेमंद स्रोत भी माने नहीं रखता अगर व्यक्ति उसे पा न सके. इस में पैसे और समय दोनों की बात आती है.

साफ पानी इसलिए है जरूरी

साफ पानी पोषण देता है:

मनुष्य का शरीर 60 फीसदी पानी से बना होता है. उस को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि उस का शरीर सभी काम ठीक से करता रहे. इस के अलावा पानी मुंह की साफसफाई बनाए रखने के लिए भी जरूरी है. यह खून की सांद्रता ठीक बनाए रखने में मदद करता है. खून के जरीए पोषक पदार्थों और औक्सीजन को शरीर की हर कोशिका तक पहुंचाता है.

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विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है:

साफ और ताजा जल शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, फिर चाहे ये विषैले पदार्थ शरीर में बने हों या बाहर से शरीर में आ गए हों अथवा प्रदूषित पानी के साथ शरीर में आ गए हों.

शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखता है:

साफ और सुरक्षित जल पीने से शरीर में तरल पदार्थों का संतुलन बना रहता है. यह खाना पचाने, इसे शरीर में सोखने में मदद करता है. शरीर का तापमान सामान्य रख उसे सेहतमंद बनाए रखता है.

पेशियों को ऊर्जा देता है:

जब पेशियों को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता, तो उन में दर्द और अकड़न शुरू हो जाती है. अत: पेशियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पानी बहुत जरूरी है.

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पानी गुर्दों के लिए बहुत जरूरी है:

अगर व्यक्ति पर्याप्त मात्रा में पानी न पीए तो उस की किडनियों में पथरी और संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. खासतौर पर गरम वातावरण में. इस के अलावा पानी बालों, त्वचा और नाखूनों को सेहतमंद बनाए रखने में मदद करता है.

पानी से फैलने वाली ज्यादातर बीमारियां प्रदूषित या गंदा पानी पीने से होती है. गंदे पानी से होने वाली 10 आम बीमारियां:

डिसैंट्री:

इस बीमारी के कई लक्षण हैं- उलटी आना, पेट में ऐंठन और गंभीर डायरिया. ऐक्यूट डिसैंटरी के मामले में व्यक्ति को बुखार हो सकता है और मल के साथ खून भी आ सकता है.

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डायरिया:

डायरिया गंदे पानी से होने वाली सब से आम बीमारी है. यह अकसर पानी से फैलने वाले वायरस से होती है. इस का मुख्य लक्षण है पतला और पानी जैसा मल, जिस के कारण व्यक्ति को डिहाइड्रेशन हो सकता है. नवजात और छोटे बच्चों की तो मौत भी हो सकती है.

कौलरा:

यह बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है जिस में व्यक्ति गंभीर डिहाइड्रेशन और डायरिया से पीडि़त हो जाता है. वे लोग जो अपने आसपास सफाई नहीं रखते उन में इस की संभावना अधिक होती है. पानी जैसा मल आने से शरीर से तरलपदार्थ और इलैक्ट्रोलाईट निकल जाते हैं और मरीज गंभीर डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है. कभीकभी गंभीर डायरिया ही इस का मुख्य लक्षण होता है.

टाइफाइड:

भोजन और पानी में मौजूद बैक्टीरिया के कारण टाइफाइड होता है. यह उन स्थानों पर आसानी से फैलता है जहां सैनिटेशन सुविधाएं न हों. तेज बुखार, पेट में दर्द, सिरदर्द, रैशेज, पेशियों में कमजोरी इस के मुख्य लक्षण हैं. कुछ गंभीर मामलों में इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है.

हैपेटाइटिस ए:

शौचालयों से आने वाले पानी से हैपेटाइटिस ए आसानी से फैलता है. सैनिटेशन यानी साफसफाई न रखने से यह बीमारी आसानी से फैलती है. इस बीमारी के लक्षण हैं- बुखार, थकान, डायरिया, उलटी, भूख न लगना, पीलिया आदि. गंभीर मामलों में लिवर फेल्योर भी हो सकता है.

हुकवर्म:

हुकवर्म ऐसा परजीवी है जो मल के माध्यम से फैलता है. हालांकि यह पानी के माध्यम से अपना नया होस्ट ढूंढ़ लेता है. अगर व्यक्ति हुकवर्म का लार्वा निगल जाए तब भी यह बीमारी हो सकती है. पेट में दर्द, ऐंठन, बुखार, भूख न लगना, रैशेज, मल में खून आना आदि इस के लक्षण हैं.

स्टमक फ्लू:

यह ऐसी बीमारी है जिस के कारण पेट और आंतों में जलन और सूजन आ जाती है. यह बैक्टीरिया या वायरस से फैलती है. इस के मुख्य लक्षण है- डायरिया और उलटी. यह बीमारी सभी आयुवर्ग के लोगों में होती है. छोटे बच्चों में तो बहुत आम है.

पोलियो:

पोलियोमाइलिटिस को आमतौर पर पोलियो कहा जाता है. यह एक्यूट वायरल संक्रमण है, जो प्रदूषित पानी से फैलता है. यह शरीर के केंद्रीय तंत्रिकातंत्र को प्रभावित करता है. इस के मुख्य लक्षण हैं- बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना आदि. अंत में मरीज पैरालाइसिस का शिकार हो जाता है.

लैड पौइजनिंग:

लैड पौइजनिंग लैड से युक्त पानी पीने से होती है. ऐसा पानी अकसर पुरानी पाइपों या सतही प्रदूषित जल से आता है. यह बीमारी बच्चों के लिए बहुत घातक होती है. यह कई समस्याओं का कारण बन सकती है जैसे अंगों का क्षतिग्रस्त होना, तंत्रिकातंत्र पर बुरा असर, खून की कमी, हाई ब्लडप्रैशर, किडनी रोग आदि.

ई कोलाई:

छोटे बच्चों और बुजुर्गों में इस संक्रमण की संभावना अधिक होती है. अगर मांस अच्छी तरह पका न हो तो यह बिना पाश्चयुरीकृत उत्पादों के सेवन से इस की संभावना बढ़ जाती है. पानी जैसा मल, मल के साथ खून आना, पेट में दर्द और ऐंठन इस के मुख्य लक्षण हैं. मल के साथ खून आना ऐसा लक्षण है, जिस में व्यक्ति को तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

– डा. आरएसके सिन्हा, इंटरनल मैडिसिन स्पैशलिस्ट, जेपी हौस्पिटल, नोएडा

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