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विद्रोह
बीते पलों को याद कर के कुसुम का दिल जल बिन मछली सा तड़पने लगा. आखिर वक्त ने कैसा पलटा खाया कि जो घर खुशियों के फूलों से महकता था उसी घर को छोड़ने को विवश हो गई कुसुम?
भाग - 1
वैसे तो रवि आएदिन मां को मारता रहता है लेकिन उस रात पता नहीं उसे क्या हो गया कि इतनी जोर का घूंसा मारा कि दांत तक टूट गया.
भाग - 2
एक प्लेट में हलवा रखा था, दूसरी प्लेट में गोभी के गरम परांठे. नाश्ता देते समय शहद सी मीठी बोली में बहू बोली..
भाग - 3
अब वह आंखें बंद कर के सोचने लगी, ‘काश, मेरी बहू रीता जैसी होती, कितनी अच्छी है, कितना खयाल रखती है अपनी सासू मां का, जितनी बार भी इस की सास मुझ से मिली हैं...
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