सौजन्या-सत्यकथा

30सितंबर, 2020 की सुबह का वक्त था. होशंगाबाद जिले के थाना पथरोड़ा की थानाप्रभारी सुश्री प्रज्ञा शर्मा पुराने मामलों की फाइल पलट रही थीं. तभी डंडे का सहारा ले कर लगभग 90 वर्षीय एक बुजुर्ग धीरेधीरे उन के औफिस में दाखिल हुए. थानाप्रभारी ने बुजुर्ग को कुरसी पर बैठने का इशारा किया. बुजुर्ग ने अपना नाम रामदास बताते हुए कहा कि वह डोव गांव में रहता है और उस का 40 साल का बेटा सुरेश उइके गांव नानपुरा पंडरी में पत्नी ममता और 2 बच्चों के साथ रहता है. सुरेश रेलवे में वेल्डर है.

वह रोज सुबह नौकरी पर अपनी मोटरसाइकिल से भौरा स्टेशन आताजाता था. लेकिन कल रात में वह काम से वापस नहीं लौटा और उस का मोबाइल भी बंद था. वह उसे खोजने के लिए जब भौरा जा रहा था तो जंगल के रास्ते में उसे अपने बेटे की मोटरसाइकिल पड़ी दिखाई दी. जिस के पास कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे उस की लाश पड़ी है. रामदास ने बताया कि किसी ने उन के बेटे का सिर कुचल कर उस की हत्या कर दी है.

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थानाप्रभारी प्रज्ञा शर्मा के सामने कई ऐसे सवाल थे जिन के उत्तर रामदास दे सकता था. लेकिन पहली जरूरत मौके पर पहुंचने की थी. इसलिए उन्होंने सब से पहले एसपी होशंगाबाद संतोष सिंह गौर और एसडीपीओ महेंद्र मालवीय को घटना की जानकारी दी. फिर वह पुलिस टीम ले कर मौके पर पहुंच गई.
भौरा मार्ग से कुछ हट कर जंगल के अंदर सागौन के पेड़ के नीचे सुरेश की सिर कुचली लाश पड़ी थी. लाश के पास ही खून से सना भारी पत्थर पड़ा था, जिस से जाहिर था कि उसी पत्थर को सुरेश के सिर पर मारा गया था, जिस से उस का पूरा भेजा बाहर निकल कर चारों तरफ बिखर गया था.

सड़क पर पड़ी मोटरसाइकिल के पास भी खून के निशान थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि संभवत: मोटरसाइकिल से घर लौट रहे सुरेश को हमलावरों ने पहले चलती बाइक पर हमला कर रोका होगा और फिर बाद में अंदर जंगल में ले जा कर उस की हत्या कर दी होगी.पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के साथ ही रामदास की रिपोर्ट पर हत्या का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी. दूसरी तरफ मामले की गंभीरता देखते हुए एसपी संतोष सिंह गौर ने एसडीपीओ महेंद्र मालवीय के निर्देशन और पथरोड़ा थानाप्रभारी प्रज्ञा शर्मा के नेतृत्व में एक टीम गठित कर दी. टीम में एएसआई भोजरात बरबडे, हेडकांस्टेबल सुरेंद्र मालवीय, अनिल ठाकुर, कांस्टेबल हेमंत, टिल्लू, विनोद, संजय आदि को शामिल किया गया.

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इस टीम ने मृतक सुरेश के बारे में गहन छानबीन की, जिस में पता चला कि सुरेश ने करीब 13 साल पहले कांदई कलां की रहने वाली ममता तोमर से प्रेम विवाह किया था. जबकि ममता के बारे में जानकारी मिली कि वह अपने एक रिश्तेदार के घर ड्राइवर की नौकरी करने वाले सईद खां से प्यार करती थी.
मृतक सुरेश के पिता रामदास आर्डिनैंस फैक्ट्री में गार्ड की नौकरी करते थे. शादी के कुछ समय बाद सुरेश को रेलवे में वेल्डर की नौकरी मिल गई, जिस के बाद वह अपनी पत्नी ममता के साथ नानपुरा पंडरी में मकान बना कर रहने लगा था.

सुरेश की ड्यूटी भौरा और कीरतगढ़ रेल सेक्शन के बीच रहती थी, इसलिए वह रोज मोटरसाइकिल से भौरा आ कर रात लगभग 8 बजे ड्यूटी खत्म कर के घर लौट जाता था. सुरेश के साथियों से भी पूछताछ की गई, लेकिन उन्होंने बताया कि सुरेश सीधासच्चा आदमी था और उस की किसी से कोई रंजिश भी नहीं थी.कहानी में मोड़ तब आया, जब पुलिस ने मृतक के पिता रामदास से पूछताछ की. उन्होंने उस की हत्या का शक अपने बेटे की पत्नी ममता पर जाहिर किया. ससुर अपनी ही बहू पर खुद उसी के पति की हत्या करने का आरोप लगा रहा था. इसलिए उन के आरोप को हलके में नहीं लिया जा सकता था. थानाप्रभारी प्रज्ञा शर्मा ने मृतक की पत्नी ममता को पूछताछ के लिए थाने बुलाने के बजाए खुद गांव जा कर उस के बयान दर्ज करने की सोची.

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दरअसल इस के पीछे थानाप्रभारी का इरादा गांव में ममता के बारे में लोगों से और जानकारी हासिल करना था. इस के लिए जब वह ममता के घर पहुंचीं तो वहां पहुंचते ही यह देख कर चौंकी कि ममता के घर के मुख्य दरवाजे के अलावा घर में कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे.
सुरेश रेलवे में मामूली सी नौकरी करता था. उस के पास करोड़ों की पुश्तैनी संपत्ति भी नहीं थी और न ही उस की किसी से कोई रंजिश की बात सामने आई थी. तो उस ने घर में कई सीसीटीवी कैमरे क्यों लगवाए. उन्होंने सोचा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि सुरेश की हत्या का संबंध उस के घर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से जुड़ा हो.

उन का यह शक उस वक्त और भी गहरा गया, जब उन्हें पता चला कि सुरेश ने ये कैमरे 10-12 दिन पहले ही लगवाए थे. इसलिए ममता के बयान दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी प्रज्ञा शर्मा ने टीम के कुछ सदस्यों को गांव में ममता के बारे में जानकारी जुटाने की जिम्मेदारी दे दी. पता चला कि ममता के मायके में रहने वाला सईद अक्सर उस समय ममता के घर आता था, जब सुरेश घर पर नहीं होता था.

पुलिस को यह जानकारी भी मिली कि सुरेश के घर में कैमरे लगने के बाद से सईद को गांव में नहीं देखा गया. दूसरी जो सब से बड़ी बात सुनने में आई, वह यह कि कोई 4 महीने पहले ममता अचानक घर से लापता हो गई थी. वह करीब एक महीने बाद घर लौटी थी, जिस के कुछ दिन बाद सुरेश ने अपने घर में कैमरे लगवाए थे. सुनने में आया था कि लापता रहने के दौरान ममता सईद खान के साथ सिवनी मालवा में रही थी.

इस जानकारी के बाद ममता के साथ सईद भी शक के घेरे में आ गया, जो ममता के मायके का रहने वाला था. पुलिस टीम ने कांदई कलां में सईद की तलाश की तो वह गांव से गायब मिला.जब सईद के मोबाइल की काल डिटेल्स निकाली गई तो पता चला कि मृतक सुरेश की पत्नी ममता के साथ उस की लगातार लंबी बातें होती थीं. जिस दिन सुरेश की हत्या हुई उस दिन भी उस ने कई बार ममता से बात की थी. दूसरी सब से बड़ी बात जो उस की काल डिटेल्स में निकल कर सामने आई, वह यह कि जिस समय सुरेश का कत्ल हुआ उस समय तक सईद का मोबाइल उसी लोकेशन पर था, जहां सुरेश की लाश मिली थी. इस से थानाप्रभारी

प्रज्ञा शर्मा के सामने पूरी कहानी साफ हो गई. सईद की काल डिटेल्स से यह भी पता चला कि घटना के पहले कुछ दिनों तक सईद ने लगातार नया बस स्टैंड नंदूबाड़ा रोड सिवनी मालवा निवासी आशू उर्फ हसरत और अरबाज के साथ न केवल कई बार फोन पर बात की थी, बल्कि घटना के समय इन दोनों के मोबाइल भी सईद के साथ घटनास्थल पर ही मौजूद थे. इसलिए एसडीपीओ महेंद्र मालवीय के निर्देश पर पुलिस टीम ने इन तीनों की तलाश शुरू कर दी.

जिस से जल्द ही सईद को बैतूल के चिचोली थाना इलाके के मउपानी से और अरबाज आशू को सिवनी मालवा से हिरासत में ले लिया. पुलिस ने इन तीनों से सख्ती से पूछताछ की.पूछताछ में तीनों ने न केवल सुरेश की हत्या की बात स्वीकार की बल्कि इस में उस की पत्नी ममता के भी शामिल होने की बात बताई.
पुलिस ने उन की निशानदेही पर घटना के समय पहने तीनों के रक्तरंजित कपड़े तथा उपयोग में लाई गई कुदाल, गला घोंटने में प्रयुक्त तार आदि भी बरामद कर सुरेश की पत्नी ममता को भी उस के गांव से गिरफ्तार कर लिया.

इस के बाद प्रेमी और पति को एक साथ खुश रखने वाली ममता द्वारा सुरेश की हत्या करवा देने की कहानी इस प्रकार सामने आई—कांदई कला में रहने वाली ममता बचपन से ही अपने चंचल स्वभाव के लिए जानी जाती थी. बताते हैं कि मिडिल में पढ़ते समय ही उस का रंगरूप कुछ ऐसा निखार आया था कि देखने वाले उसे देख रीझ जाते थे. ममता के साथ स्कूल में गांव का रहने वाला सईद भी पढ़ता था. सईद ममता का दीवाना था. वह उस से दोस्ती कर उसे पाने के सपने देखता था.

फिर नादान उम्र में ही ममता सईद के साथ प्रेम और देह के पाठ पढ़ने लगी थी. स्कूली पढ़ाई के बाद ममता ने आगे की पढ़ाई बंद कर दी. वह घर पर ही रहने लगी. उसी दौरान सुरेश उइके से उस के प्रेम संबंध हो गए. यह जानकारी जब सईद को हुई तो उसे झटका लगा. ममता के पिता गांव के बडे़ किसान थे. गांव में रहने वाले ममता के रिश्ते के एक भाई ने खेतीकिसानी के काम के लिए सईद को बतौर टै्रक्टर ड्राइवर नौकरी पर रख लिया था. इस से सईद को ममता के आसपास रहने का मौका मिलने लगा.

सईद बहुत शातिर था. उस का मकसद नौकरी के बहाने ममता से नजदीकियां बढ़ाना था, क्योंकि ममता उन दिनों सुरेश उइके से प्रेम की पींगें बढ़ा रही थी. सईद ने तिकड़म से जल्द ही ममता के पूरे परिवार का दिल जीत लिया. जिस से उस का उस के घर में बेरोकटोक आनाजाना शुरू हो गया.जब ममता को पता चला कि सईद उस की दीवानगी के चलते ही ड्राइवर की नौकरी करने आया है तो उस ने सईद की दीवानगी को भी हवा देनी शुरू कर दी.

वह पहले से ही प्यार के मामले में काफी अनुभवी थी. उस ने सईद को पूरी तरह से अपना दीवाना बना लिया. ममता एक ही समय में 2 प्रेमियों सईद और सुरेश को अपनी बांहों में प्रेम का झूला झुलाने लगी. इतना ही नहीं, उस ने सईद के संग निकाह और सुरेश के संग शादी करने का वादा भी कर रखा था जबकि वह जानती थी कि ये दोनों काम एक साथ नहीं हो सकते. बहरहाल, सईद के साथ उस का निकाह होना सुरेश के साथ शादी होने से ज्यादा मुश्किल था. इसलिए उस ने सईद को छोड़ कर सुरेश के साथ लवमैरिज कर ली.

संयोग से शादी के ठीक बाद सुरेश को रेलवे में नौकरी मिल गई, जिस के बाद वह नानपुर पंडरी में मकान बना कर अपनी पत्नी के साथ रहने लगा. बाद में ममता 2 बेटियों की मां बनी. उस की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. सुरेश की ड्यूटी भौंरा और कीरतगढ़ के बीच थी, इसलिए वह गांव से रोज सुबह मोटरसाइकिल से आ कर शाम को वापस घर लौट आता था. दिन भर ममता घर में अकेली रहती थी. उस ने अपने इस खाली समय का उपयोग पुराने प्रेमी सईद को खुश करने के लिए करना शुरू कर दिया.
वह पति के काम पर चले जाने के बाद सईद को अपने घर बुलाने लगी, जहां दोनों दिन भर वासना का खेल खेलते. शाम को सुरेश के आने से पहले सईद अपने घर चला जाता. इस दौरान सईद ममता से किसी न किसी बहाने पैसा भी लेता रहता था.

ममता को सईद का आना अच्छा लगता था, इसलिए सईद के आते ही वह घर का दरवाजा बंद कर उस के साथ कमरे में कैद हो जाती थी. जल्द ही इस बात की चर्चा गांव में होने से बात सुरेश तक भी पहुंच गई.
सुरेश ने एकाध बार इशारे में ममता से इस बारे में बात की, जिस से ममता समझ गई कि अब सईद को घर बुलाने में खतरा है. इसलिए जब उस ने इस बारे में सईद से बात की तो उस ने उसे साथ भाग चलने को कहा. ममता सईद के साथ भागने को तैयार हो गई.

फिर 8 अगस्त, 2020 के दिन ममता को ले कर सईद सिवनी मालवा आ गया, जहां उस के दोस्त और रिश्तेदार अरबाज तथा आशू ने दोनों के रहने की व्यवस्था पहले से ही कर दी थी.

ममता के भाग जाने से सुरेश पागल सा हो गया. उसे जरा भी भरोसा नहीं था कि उस के साथ प्रेम विवाह करने वाली ममता उसे और बच्चों को इस तरह से धोखा देगी. इस से सुरेश का दिल टूट गया.
इधर एक महीने तक ममता द्वारा घर से लाए गए पैसों पर ऐश करने के बाद सईद ने उसे वापस सुरेश के पास भेज दिया.

एक महीने बाद घर लौटी पत्नी को सुरेश अपनाना तो नहीं चाहता था, लेकिन बच्चों की खातिर उस ने ममता को माफ कर दिया. आगे ऐसा न हो, इसलिए सुरेश ने घर में कई सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए. वह ड्यूटी पर रहते हुए मोबाइल के माध्यम से घर पर नजर रखने लगा.

इस से सईद और ममता समझ गए कि अब उन का वासना का खेल खत्म हो गया है. इसलिए उन्होंने फोन पर चर्चा कर सुरेश का ही खेल खत्म करने की योजना बना ली, जिस में सईद ने अपने दोनों दोस्त अरबाज और आशू को भी शामिल कर लिया. फिर तीनों ने मिल कर 30 सितंबर, 2020 की रात ड्यूटी से लौट रहे सुरेश को रोक लिया और साथ लाए तार से गला घोंट दिया. फिर भारी पत्थर से उस का सिर कुचल दिया.
सईद और उस की प्रेमिका ममता का सोचना था कि मामला शांत हो जाने के बाद वे दोनों फिर पहले की तरह अय्याशी कर सकेंगे. लेकिन पथरोड़ा थानाप्रभारी प्रज्ञा शर्मा ने 4 दिन में ही सभी आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया.

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