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Khatron Ke khiladi 11: क्या राहुल वैद्य के लिए वाइल्ड कार्ड एंट्री मारेंगी दिशा परमार? जानें क्या बोली एक्ट्रेस

बिग बॉॉस 14 में धमाल मचा चुकें राहुल वैद्य इन दिनों केपटाउन में धमाल मचाने अपनी टीम के साथ निकल चुके हैं. खतरों के खिलाड़ी 11 की शूटिंग करने के लिए उन्हें केपटाउन जाना पड़ा है. अगले कुछ समय तक वह वहीं रहेंगे.

ऐसे में वह मुंबई एयरपोर्ट पर काफी ज्यादा इमोशनल नजर आ रहे थें, दिशा परमार को देखकर, इसके साथ ही दिशा परमार भी राहुल को देखकर इमोशनल नजर आ रही थीं. इन दिनों दिशा परमार भी राहुल वैद्य को काफी ज्यादा मिस कर रही हैं.

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अब इसी बीच एक नई खबर आ रही है कि दिशा परमार खतरों के खिलाड़ी में वाइल्ड कार्ड एंट्री ले सकती हैं. लेकिन इस विषय पर खुलकर बात कपते हुए दिशा परमार ने कहा कि मुझे ककरोज और किड़ों से काफी ज्यादा डर लगता हैं ऐसे में मैं नहीं  जा सकती अगर मेरे घर पर भी कुछ इस तरह के कीड़े और कोकरोच निकल जाते हैं तो मैं डरकर चिल्लाने लगती हूं.

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इसलिए मैं वहां जाकर सिर्फ सोने का काम कर सकती हूं, और कुछ दिन बाद शो के मेकर्स मुझे यहां से भगा देंगे. तो अभी मेरा वहां जाने का कोई इरादा नहीं है.

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आगे उन्होंने कहा कि मैं असल जिंदगी में बहुत ज्यादा बोरिंग इंसान हूं इसलिए मैं कही जा नहीं सकती हूं, मैं जहां हूं वही रहना चाहती हूं. मुझे लगता है कि राहुल वैद्य कि मदद से मैंने पहले ही बिग बॉस के सफर को जी लिया है. मुझे बिग बॉस के घर जानें कि कोई जरुरत नहीं है.

सोशल मीडिया पर वायरल हुई किरण खेर की मौत की खबर तो अनुपम खेर ने तोड़ी चुप्पी

बीते कुछ समय से अभिनेता अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर लगातार सुर्खियों में बनी हुईं हैं. बीते महीने ही अनुपम खेर ने इस बात की जानकारी दी थी कि उनकी पत्नी को ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी हो गई है. जिसके बाद उनके फैंस उनके लिए दुआ कर रहे हैं.

इसी बीच सोशल मीडिया पर यह खबर वायरल हो गई है कि किरण खेर की मौत हो गई है अब वह इस दुनिया में नहीं हैं. जिसके बाद से लगातार फैंस उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजली दे रहे थे. जबकी ऐसा कुछ भी नहीं था किरण खेर अपना इलाज किसी अस्पताल में करवा रहीं हैं.

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अनुपम खेर को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली उन्होंने तुरंत अपनी चुप्पी तोड़ते हुए सोशल मीडिया पर आकर अपना बयान दिया कि ये खबर बिल्कुल गलत है. अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि किरण खेर बिल्कुल स्वस्थ्य हैं , उन्होंने कुछ वक्त पहले ही कोरोना कि वैक्सीन लगवाई है जिसके बाद से वह अपना ध्यान रख रही हैं. अनुपम खेर ने आगे कहा कि आप लोगों ने अनुरोध है कि कृप्या इस तरह कि गलत खबरों को आगे न बढ़ाएं इससे आपका और हमारा हमदोनों का नुकसान है.

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इसके साथ ही किरण खेर अपना िलाज करवा रही हैं, जल्द ही स्वस्थ्य होकर आप सभी के बीच आएंगी. किरण खेर के लिए प्रार्थना करें.

मदर्स डे स्पेशल : काश, मेरी बेटी होती-भाग 1

जाति के बंधन को तोड़ जब ऋषभ ने अपनी पसंद मां शोभा के सामने रखी तो शोभा का दिल कई शंकाओं से भर गया. जाति से अलग लड़की से शादी की बात से वह कई पूर्वाग्रहों से घिर गई. पति सुकेश का ब्राह्मणवाद उस के आड़े आ गया और फिर…

‘‘यार तू बड़ी खुशनसीब है, तेरी बेटी है,’’ शोभा बोली, ‘‘बेटियां मातापिता का दुखदर्द हृदय से महसूस करती हैं.’’‘‘नहीं यार, मत पूछ, आजकल की बेटियों के हाल. वे हमारे समय की बेटियां होती थीं जो मातापिता, विशेषकर मां, का दुखदर्द शिद्दत से महसूस करती थीं. आजकल की बेटियां तो मातापिता का सिरदर्द बन कर बेटों से होड़ लेती प्रतीत होती हैं. तेरी बेटी नहीं है न, इसलिए कह रही है ऐसा,’’ एक बेटी की मां जयंति बोली, ‘‘बेटी से अच्छी आजकल बहू होती है. बेटी तो हर बात पर मुंहतोड़ जवाब देती है, पर बहू दिल ही दिल में भले ही बड़बड़ाए, पर सामने फिर भी लिहाज करती है, कहना सुन लेती है.’’

‘‘आजकल की बहुओं से लिहाज की उम्मीद करना… तौबातौबा. मुंह से कुछ नहीं बोलेंगी, पर हावभाव व आंखों से बहुतकुछ जता देंगी, रक्षा ने जयंति का प्रतिवाद करते हुए कहा, ‘‘जिन बेटियों का तू अभीअभी गुणगान कर रही थी, आखिर वही तो बहुएं बनती हैं, ऊपर से थोड़े ही न उतर आती हैं. ऐसा नाकों चने चबवाती हैं आजकल की बहुएं, बस, अंदर ही अंदर दिल मसोस कर रह जाओ. बेटे पर ज्यादा हक नहीं जता सकते, वरना बहू उसे ‘मां का लाड़ला’ कहने से नहीं चूकेगी.’’

शोभा दोनों की बातें मुसकराती हुई सुन रही थी. एक लंबा निश्वास छोड़ती हुई बोली, ‘‘अब मैं क्या जानूं कि बेटियां कैसी होती हैं और बहू कैसी. न मेरी बेटी, न बहू. पता नहीं मेरा नखरेबाज बेटा कब शादी के लिए हां बोलेगा, कब मैं लड़की खोजूंगी, कब शादी होगी और कब मेरी बहू होगी. अभी तो कोई सूरत नजर नहीं आती मेरे सास बनने की.’’

‘‘जब तक नहीं आती तब तक मस्ती मार,’’ रक्षा और जयंति हंसती हुई बोलीं, ‘‘गोल्डन टाइम चल रहा है तेरा. सुना नहीं, पुरानी कहावत है, पहन ले जब तक बेटी नहीं हुई, खा ले जब तक बहू नहीं आई. इसलिए हमारा खानापहनना तो छूट गया. पर तेरा अभी समय है बेटा. डांस पर चांस मार ले, मस्ती कर, पति के साथ घूमने जा, पिक्चरें देख, कैंडिललाइट डिनर कर, वगैरहवगैरह. बाद में नातीपोते खिलाने पड़ेंगे और बच्चों से कहना पड़ेगा, ‘जाओ घूम आओ, हम तो बहुत घूमे अपने जमाने में’ तो दिल तो दुखेगा न,’’ कह कर तीनों सहेलियां व पड़ोसिनें खिलखिला कर हंस पड़ीं और शोभा के घर से उन की सभा बरखास्त हो गई.

रक्षा, जयंति व शोभा तीनों पड़ोसिनें व अभिन्न सहेलियां थीं. उम्र थोड़ाबहुत ऊपरनीचे होने पर भी तीनों का आपसी तारतम्य बहुत अच्छा था. हर सुखदुख में एकदूसरे के काम आतीं. होली पर गुजिया बनाने से ले कर दीवाली की खरीदारी तक तीनों साथ करतीं. तीनों एकदूसरे की राजदार भी थीं और लगभग 15 वर्षों पहले जब उन के बच्चे स्कूलों में पढ़ रहे थे. थोड़ा आगेपीछे तीनों के घर इस कालोनी में बने थे.

तीनों ही अच्छी शिक्षित महिलाएं थीं और इस समय अपने फिफ्टीज के दौर से गुजर रही थीं. जिस के पास जो था उस से असंतुष्ट और जो नहीं था उस के लिए मनभावन कल्पनाओं का पिटारा उन के दिमाग में अकसर खुला रहता.

लेकिन जो है उस से संतुष्ट रहने की तीनों ही नहीं सोचतीं. नहीं सोच पातीं जो उन्हें नियति ने दिया है कि उसे किस तरह से खूबसूरत बनाया जाए.

जयंति की एक बेटी थी जो कालेज के फाइनल ईयर में थी. रक्षा ने एक साल पहले बेटे का विवाह किया था और शोभा का बेटा इंजीनियर व प्रतिष्ठित कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत एक नखरेबाज युवा था. वह मां के मुंह से विवाह का नाम सुन कर नाकभौं सिकोड़ता और ऐसा दिखाता जैसे विवाह करना व बच्चे पैदा करना सब से निकृष्ठ कार्य एवं प्राचीन विचारधारा है और उस के जीवन के सब से आखिरी पायदान पर है. एक तरह से जब सब निबट जाएगा तो यह कार्य भी कर लेगा.

जयंति को अपनी युवा बेटी से ढेरों शिकायतें थीं, ‘घर के कामकाज को तो हाथ भी नहीं लगाती यह लड़की. कुछ बोलो तो काट खाने को दौड़ती है. कल को शादीब्याह होगा, तो क्या सास बना कर इसे खिलाएगी.’ जयंति पति के सामने बड़बड़ा रही होती. अपनी किताबों पर नजरें गड़ाए बेटी मां के ताने सुन कर बिफर जाती, ‘फिक्र मत करो, मु झे खाना बना कर कोई भी खिलाए. आप को तंग करने नहीं आऊंगी.’

बेटी तक आवाज पहुंच रही थी. बेवक्त  झगड़े की आशंका से जयंति हड़बड़ा कर चुप हो जाती. पर बेटी का पारा दिल ही दिल में आसमां छू जाता. वह जब टाइट जीन्स और टाइट टीशर्ट डाल कर कालेज या कोचिंग के लिए निकलती तो जयंति का दिल करता कि जीन्स के ऊपर भी उस के गले में दुपट्टा लपेट दे. पर मन मसोस कर रह जाती. घर में जब बेटी शौर्ट्स पहन कर पापा के सामने मजे से सोफे पर अधलेटी हो टीवी के चैनल बदलने लगती तो जयंति का दिमाग भन्ना जाता, ‘आग लगा दे इस लड़की के कपड़ों की अलमारी को’ और उस के दोस्त लड़के जब घर आते तो वह एकएक का चेहरा बड़े ध्यान से पढ़ती. न जाने इन में से कल कौन उस का दामाद बनने का दावा ठोक बैठे.

रोजरोज घर को सिर पर उठा मां से  झगड़ा करने वाली बेटी ने जब एक दिन प्यार से मां के गले में बांहें डालीं तो किसी अनहोनी की आशंका से जयंति का हृदय कांप गया. जरूर कोई कठिन मांग पूरी करने का वक्त आ गया है.

‘‘मम्मी, मेरे कुछ फ्रैंड्स कल लंच पर आना चाह रहे हैं. मैं ने उन्हें बताया है कि आप चाइनीज खाना कितना अच्छा बनाती हैं. बुला लूं न सब को?’’ वह मासूमियत से बोली. बेटी की भोलीभाली शक्ल देख कर जयंति का सारा लाड़दुलार छलक आया.

‘‘हांहां, बुला ले अपनी सहेलियों को. बना दूंगी मैं, कितनी हैं?’’‘‘मु झे मिला कर 8 दोस्त हो जाएंगे मम्मी. वे सारा दिन यहीं बिताने वाले हैं…’’ बेटी आने वालों के लिए गोलमाल जैंडर शब्द का इस्तेमाल करती हुई बोली. ‘‘ठीक है…’’

छोटू: धर्म बड़ा या इंसानियत -भाग 4

सायमा ने कुछ लोगों से बात की, फिर जुबैर के परिवार से भी मिलने गईं. बहुत देर तक काफी गंभीर माहौल में बहुत सी बातों पर विचारविमर्श हुआ. सब तय हो गया.

सीमा ने कोमल से कहा, ‘’मैं नहीं चाहती कि मेरी बेटी की इच्छा में कोई अड़ंगा लगाए, अब हम तुम्हारे पापा पर विश्वास नहीं कर सकते. इस बच्चे की घटना ने मेरा विश्वास उन पर से पूरी तरह हिला दिया है, उन के घर आने से पहले दोनों निकाह कर लो. फिर आगे की कार्यवाही करते रहेंगे.

“मैं ने अच्छी तरह बहुतकुछ सोच लिया है, यह सब जरूरी है. अब अनिल जिन तरह के लोगों के साथ रहता है, तुम्हारी शादी इतनी आसानी से नहीं होने देंगे ये लोग. मेरी बेटी के प्यार पर मैं इन लोगों का साया भी नहीं पड़ने दूंगी.’’

उस दिन तो अनिल की जमानत नहीं हो पाई. अनिल से मुलाकात हुई. उस के चेहरे पर अब भी वही अकड़ थी, जैसे उस ने कोई बड़ा काम किया हो. सीमा ने कहा, ‘‘कहां हैं तुम्हारे दोस्त…? जमानत जल्दी क्यों नहीं करवा रहे?‘‘

‘‘अरे, हो जाएगी जमानत. तुम चिंता न करो. मुझे यहां कोई दिक्कत नहीं है, सब ठीक से हो जाएगा.‘’ फरवरी का महीना था. अनिल के बाहर आने से पहले सीमा और सायमा ने काफी तैयारी कर जुबैर के घर ही गिनेचुने लोगों की मौजूदगी में सादा सा निकाह संपन्न करवा दिया. थोड़ीबहुत तैयारी में ही कोमल का सुंदर चेहरा दमक उठा था.

सायमा एक महिला कल्याण समिति की हेड भी थीं. उन का शहर में अच्छा प्रभाव भी था. सायमा की मौजूदगी ने सीमा को बड़ी हिम्मत दी थी.सीमा ने जुबैर के मातापिता अनवर और शाहीन को सब अच्छी तरह समझा दिया था. सीमा ने कोमल और जुबैर को गले लगा लिया था.

सीमा  ने कहा, ‘‘और कुछ तो बाद में देखेंगे, अभी तुम दोनों ताज में डिनर कर के आओ, मैं ने तुम्हारी बुकिंग कर दी है.‘’‘‘नहीं मम्मी, पहले पापा को आने दो.‘’‘‘हां, और सब उन के आने के बाद ही होगा, फिलहाल तो बड़ा स्ट्रेस है, तुम लोग थोड़ा घूम आओ.‘‘

काफी बातों पर विचारविमर्श हुआ. अनवर और शाहीन दोनों सादा मिजाज इनसान थे. बच्चों की खुशी में खुश रहने वाले, कोमल उन्हें बहुत पसंद आई थी. जुबैर देर रात कोमल को सीमा के पास ही छोड़ गया था, दो युवा दिल शांत थे, खुश थे.

अनिल को जमानत मिलने में कुछ समय लग ही गया, पर जब वह घर आया, उस ने देखा कि सब शांत और सुकून से हैं. उस से मिलने कुछ लोग, जो उस की समिति के साथी थे, आए और बढ़चढ़ कर अनिल को उस के किए पर शाबाशी देने लगे. अनिल ने और भी जोश से कहा, ‘’अब तो मेरी हिम्मत बढ़ गई. अब तो ऐसे वीडियो और बनाऊंगा.‘’

सब की हंसी से सीमा और कोमल के दिल गुस्से और नफरत से भरने लगे. चायनाश्ता कर के, अनिल की पीठ जोश से थपथपा कर सब चले गए, सीमा और कोमल चुपचाप अनिल का जोश देख रहे थे. अनिल ने कहा, ‘‘देखा, क्या मजा आया.’’

सीमा का धैर्य जवाब दे गया, बोली, ‘‘अनिल, अगर तुम्हारा रवैया ऐसा ही रहा, तो मैं एक दिन भी तुम्हारे साथ नहीं रह पाऊंगी. अभी तो हम तुम्हारी पिछली हरकत पर अपने दोस्तों से नजरें नहीं मिला पा रहे, तुम अब भी इसे सही कह रहे हो?‘‘

‘‘मैं अपने धर्म की रक्षा के लिए सबकुछ छोड़ सकता हूं, जिसे जाना हो, जाए…‘‘ अनिल ने ऐसी अकड़ से जवाब दिया कि सीमा उस का मुंह देखती रह गई, पूछा, ‘‘मतलब, तुम फिर ये सब करोगे?‘‘

‘‘हां…‘’‘‘तो फिर तो मैं भी ऐसे ही तुम्हारे पापों के प्रायश्चित करती रहूंगी जैसे अभी कर के हटी हूं.‘’ ‘‘क्या किया है तुम ने?‘‘ ‘‘मैं ने उस बच्चे की पढ़ाईलिखाई के लिए कई लोगों से सोशल मीडिया पर जुड़ कर एक बड़ी रकम का इंतजाम कर दिया है, जैसे तुम कुछ नफरत फैलाने वाले लोगों से जुड़े हो, ऐसे ही समाज में प्यार, सहयोग, हेल्प करने वाले सच्चे लोगों से मैं भी जुड़ी हूं, मेरा भी एक सर्किल है, इस की शुरुआत अपने घर से कर पाई, इस का मुझे संतोष है और इस की खबर कल के न्यूजपेपर में तुम भी पढ़ लेना.

‘‘और हां, कोई भी हरकत करने से पहले सोच लेना कि अब की बार तो जेल से बाहर 3 दिन में आ गए, अगर कुछ अब बुरा सोचा, तो बहुत महंगा पड़ेगा. अगर नफरत फैलाने वाले हैं तो हम जैसे भी हैं, सोशल मीडिया पर एक ट्रेंड भी चल रहा है, ‘सौरी,छोटू.’’’

सीमा की मजबूत आवाज से अनिल के जिस्म में एक सिहरन सी दौड़ गई. अनिल जानता था कि सीमा एक आत्मनिर्भर, साहसी, न्यायप्रिय महिला है, कितनी ही बार वह अन्याय के खिलाफ खड़ी होती रही थी. एक बार तो उस ने अपने दोस्त की मेड की शिकायत पर दोस्त को जेल भिजवा कर ही दम लिया था.

आज सीमा की आवाज उसे कुछ चौंका गई थी. रात का खाना सब ने चुपचाप ही खाया, आपस में कोई बात नहीं की, बस सीमा ही सधे शब्दों में आम बात करती रही.अनिल ने भी हमेशा की तरह सोने से पहले अपनी बोतल खोल ली. इतने में लाइट चली गई.

Crime Story : बाप बना निशाना

28मार्च, 2021 को होली का त्यौहार था. जगहजगह होलिका दहन की तैयारियां चल रही थीं. जबलपुर
जिले के बरगी पुलिस थाने के टीआई शिवराज सिंह क्षेत्र में होने वाले होलिका दहन के सुरक्षा इंतजाम में लगे थे. दोपहर का वक्त था, तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. काल रिसीव करते ही दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘‘सर, मैं वन विभाग से सीनियर बीट गार्ड अमित त्रिपाठी बोल रहा हूं. वन विभाग की टीम ने गढ़ गोरखपुर के पास बरगी-घंसौर रोड के किनारे एक अधजली लाश पड़ी देखी है.’’

टीआई शिवराज सिंह ने बीट गार्ड अमित त्रिपाठी को निर्देश दिया, ‘‘आप वहीं रुकिए, मैं थोड़ी देर में पहुंचता हूं.’’टीआई ने इस घटना की जानकारी एसपी और एएसपी को दी और अपनी टीम के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. बरगी थाना से घटनास्थल की दूरी करीब 30 किलोमीटर थी. पुलिस टीम को वहां पहुंचने में करीब घंटे भर का समय लग गया. इस बीच यह खबर सोशल मीडिया पर फैल चुकी थी. युवक की अधजली लाश मिलने की खबर पा कर एफएसएल टीम के साथ एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा व एएसपी शिवेश सिंह बघेल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

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टीआई ने लाश का निरीक्षण किया. लाश अधेड़ उम्र के किसी व्यक्ति की थी और लाश झुलसी हुई थी. लग रहा था कि हत्यारे ने उस की पहचान मिटाने के लिए उस के शरीर पर सागौन के पत्ते और लकडि़यां डाल कर जलाया था. पूरा शरीर जलने से काला पड़ गया था. मृतक के पेट की अंतडि़यां बाहर निकल आई थीं. वह नीले रंग का अंडरवियर पहने था, वह भी आधा जल चुका था. उस के एक पैर के अंगूठे में लोहे का छल्ला, बाएं हाथ की 2 अंगुलियों में लोहे और तांबे का छल्ला और गले में मोतियों की माला थी.

जिस कच्चे रास्ते के किनारे शव पड़ा था, वह गढ़ गोरखपुर को जाता था. यह इलाका सिवनी जिले के घंसौर से करीब 10 किलोमीटर दूर था, परंतु जबलपुर जिले की सीमा में आता था. टीआई शिवराज सिंह, सीएसपी (बरगी) रवि सिंह चौहान व बरगी नगर चौकी के एसआई कुलदीप पटेल ने वहां मौजूद लोगों से मृतक के संबंध में पूछताछ की, मगर लाश की शिनाख्त नहीं हो पाई. तब पुलिस ने मौके की काररवाई पूरी कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. चूंकि लाश की शिनाख्त नहीं हो पाई थी, इसलिए पोस्टमार्टम के बाद उसे कब्र खोद कर दबा दिया गया. एसपी के निर्देश पर जबलपुर जिले के आसपास के सिवनी, मंडला जिलों को भी मृतक की अधजली लाश और बरामद सामान की फोटो भेजी गई.

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साथ ही अपनेअपने जिलों के गुमशुदा मामलों की तस्दीक करने को कहा गया. इतना ही नहीं, एसपी ने मामले के खुलासे पर 10 हजार का ईनाम भी घोषित कर दिया. पुलिस मामले की जांच में जुट गई.

वापस नहीं लौटा शैल

मध्य प्रदेश के सिवनी और जबलपुर जिले की सीमाओं पर सघन वनों से आच्छादित घंसौर तहसील का एक छोटा सा गांव है बरोदा माल. 52 साल के शैल कुमार पटेल उर्फ शिल्लू का परिवार बरोदा माल में ही रहता था. अपनी जमीन पर खेतीबाड़ी करने वाला शैल आसपास के इलाके में दूध बेचने का काम भी करता था. उस के परिवार में पत्नी रमाबाई, एक अविवाहित बेटी और 26 साल का बेटा प्रमोद, उस की पत्नी और उस की 2 महीने की बेटी थे. प्रमोद ने घर पर ही एक छोटी सी किराना दुकान खोल रखी थी.इस के 3 दिन बाद यानी 31 मार्च, 2021 को बरोदा माल गांव की रहने वाली रमाबाई अपने चचेरे भाई जोध सिंह के साथ सिवनी जिले के घंसौर थाने में अपने पति शैल कुमार पटेल उर्फ शिल्लू की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंची. उस ने पुलिस को बताया कि 26 मार्च को उस का पति खेत पर जाने की बोल कर गया था. इस के बाद घर नहीं लौटा.

घंसौर पुलिस ने रमाबाई और जोधसिंह को 28 मार्च को जबलपुर के बरगी थाना क्षेत्र में मिले शव के बारे में बताया और उस लाश के फोटो भी दिखाए. मृतक के गले की माला और पैर में पहने लोहे के कड़े को देख कर रमाबाई की आंखें फटी रह गईं. ये सभी चीजें उस के पति शैल की ही थीं. घंसौर पुलिस द्वारा बरगी पुलिस थाने को इस बात की जानकारी दी गई तो पहली अप्रैल को रमाबाई और उस के घर वाले जबलपुर के बरगी थाने गए. बरगी पुलिस ने जबलपुर के एसडीएम से अनुमति ले कर तहसीलदार की मौजूदगी में दफनाई गई लाश कब्र से बाहर निकलवाई.

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लाश की शिनाख्त रमाबाई ने अपने पति शैल पटेल के रूप में कर ली. लाश का पंचनामा कर उस के घर वालों को सौंप कर पुलिस जांच में जुट गई. शैल कुमार पटेल के अंतिम संस्कार के समय बरगी पुलिस की एक टीम गांव में मौजूद थी. उसी समय पूछताछ में शैल की पत्नी रमाबाई ने पुलिस को बताया कि 26 मार्च को उस के पति को गांव के 2 लड़के आयुष शर्मा और मनोज बैगा अपनी बाइक पर बैठा कर ले गए थे, जिस के बाद से वह घर वापस नहीं लौटा था.

आयुष शर्मा उस वक्त श्मशान घाट पर शैल के अंतिम संस्कार की रस्म में शामिल था. पुलिस टीम ने आयुष से उसी समय पूछताछ की तो पहले तो वह अंजान बना रहा, लेकिन जब पुलिस टीम ने उसे वहीं से अपनी गाड़ी में ले जा कर सख्ती से पूछताछ की तो उस ने सारा राज खोल दिया.उस ने बताया कि वह बाइक पर शैल को बिठा कर घंसौर तक ले गया था. वहां से शैल को मनोज बैगा उर्फ पंडा, राहुल नेमा और राहुल यादव कार में बिठा कर ले गए थे. उन लोगों ने ही हत्या कर शव को जलाया.

आयुष से मिली जानकारी के आधार पर घंसौर में मौजूद पुलिस टीम ने तीनों को पकड़ लिया. फिर आखिर में मृतक के बेटे प्रमोद को भी हिरासत में लिया. सभी को थाने ले कर जब पूछताछ की गई तो पता चला कि शैल कुमार की हत्या का षडयंत्र उस के बेटे प्रमोद ने अपने दोस्तों के साथ रचा था.

बेटे ने कराई हत्या

प्रमोद ने अपने पिता की हत्या के लिए अपने दोस्त राहुल नेमा और उस के ड्राइवर राहुल यादव को सुपारी दी थी. हिरासत में लिए गए पांचों आरोपियों द्वारा बताई गई कहानी को सुन कर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि बेटा ही अपने पिता का कातिल होगा. पुलिस पूछताछ में शैल कुमार की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह मानवीय रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली थी. शैल कुमार पटेल के बेटे प्रमोद की पहली पत्नी शादी के कुछ समय बाद ही अपने प्रेमी के साथ भाग गई थी. करीब डेढ़ साल पहले प्रमोद ने दूसरी शादी रति (परिवर्तित नाम) से की थी, जिस से सवा महीने की एक बेटी है.

21 साल की नवयौवना रति की खूबसूरती को देख कर सभी उस की तारीफ करते थे. प्रमोद की दूसरी शादी के कुछ ही महिनों बाद उस का पिता रति पर बुरी नजर रखने लगा. रति ने जब इस की शिकायत प्रमोद से की तो उसे भरोसा नहीं हुआ. उस ने पत्नी को समझाया कि बापू गांजे के नशे में खोए रहते हैं, हो सकता है गलती से उन्होंने कुछ हरकत कर दी हो. शैल गांजे का नशा करता था. प्रमोद ने तो पत्नी को समझा दिया, लेकिन शैल अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा था. उसे जब भी मौका मिलता वह उस की पत्नी से छेड़छाड़ करने लगता. शैल अपनी पोती को गोद में लेने के बहाने रति के अंगों को बुरी नीयत से छूता था.

वह रति के साथ जबरदस्ती करना चाहता था. मगर रति के सख्त व्यवहार के कारण वह सफल नहीं हो पा रहा था. रति भी अपने परिवार की बदनामी के डर से इस बात का जिक्र किसी से नहीं कर पा रही थी.
होली के हफ्ते भर पहले की बात है. रति अर्द्धनग्न अवस्था में गुसलखाने से नहा कर निकली थी कि ताक में बैठे शैल ने रति को अपनी बांहों में भर लिया और उस के गालों को चूमने लगा. रति बदहवास सी ससुर के आगोश से छूटने का प्रयास कर रही थी. तभी अचानक प्रमोद आ गया. प्रमोद ने जब यह नजारा देखा तो क्रोध के मारे वह चीख उठा. उस ने पिता को भलाबुरा कहा.

बेटे ने देखी पिता की करतूत

प्रमोद की चीख सुन कर शैल रति को छोड़ कर घर से बाहर निकल गया. उस दिन प्रमोद को यकीन हो गया कि उस की पत्नी बापू के व्यवहार के बारे में जो शिकायत करती थी, वह झूठी नहीं थी. अब बापू प्रमोद की नजर में खटकने लगा था. उस के दिल में अपने बाप के प्रति इस कदर नफरत पैदा हो गई थी कि वह उस की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करता था. रात दिन वह इसी चिंता में खोया रहता.

प्रमोद की दोस्ती गांव के राहुल नेमा से थी. राहुल नेमा के पिता जिला पंचायत के नेता थे और राहुल जबलपुर के प्रतिष्ठित दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ा था. इस कारण गांव में उस की इज्जत ज्यादा थी. राहुल दिन भर कार में सवार हो आवारागर्दी करता घूमता था. दोस्तों के बीच उस का काफी रुतबा था.
प्रमोद ने जब राहुल को अपनी परेशानी बताई तो राहुल ने प्रमोद को उस के बाप की हत्या के लिए उकसा दिया. राहुल ने प्रमोद से कहा, ‘‘तुम पैसे खर्च करो तो तुम्हारे बापू को हमेशा के लिए ही रास्ते से हटा देंगे.’’
प्रमोद बापू के कारनामों से छुटकारा चाहता था, इसलिए उस ने राहुल का यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. प्रमोद ने राहुल के सामने इस काम को अंजाम देने के लिए 50 हजार रुपयों की पेशकश की.

राहुल महंगे मोबाइल रखने और खानेपीने का शौकीन था. अपने इन्हीं शौक और फिजूलखर्ची की वजह से एक बार उस ने अपने घर का ट्रैक्टर तक बेच दिया था और पुलिस थाने में ट्रैक्टर चोरी की झूठी शिकायत दर्ज करा दी थी.प्रमोद ने राहुल को जब 50 हजार रुपए देने का औफर दिया तो पैसों की खातिर उस ने प्रमोद के पिता की हत्या की सुपारी ले ली.

इस काम के लिए राहुल ने अपने ड्राइवर राहुल यादव को भी साथ मिला लिया. 50 हजार रुपए में से 15 हजार रुपए प्रमोद ने राहुल नेमा को एडवांस दिए, जबकि 35 हजार रुपए काम होने के बाद देने का वादा किया. ड्राइवर राहुल यादव ने गांव के आयुष शर्मा और मनोज बैगा से बात की और दोनों को साजिश में शामिल कर लिया. चूंकि शैल गांजा पीने का शौकीन था, इसलिए गांव के दूसरे नशेडि़यों के साथ उस का उठनाबैठना था. योजना के मुताबिक, 28 मार्च, 2021 को आयुष शर्मा एवं मनोज बैगा शाम लगभग 7 बजे शैल पटेल को अपनी बाइक पर गांजा पिलाने के बहाने घंसौर तिराहा ले गए, जहां पर राहुल नेमा अपनी कार ले कर ड्राइवर राहुल यादव के साथ पहले से ही मौजूद था.

तिराहे पर बैठ कर सभी ने गांजा पीया.
आयुष शर्मा एवं मनोज बैगा ने अपनी बाइक घंसौर तिराहे पर ही छोड़ दी और शैल पटेल को राहुल नेमा की कार में बैठा कर घंसौर की तरफ चले गए. चलती कार के अंदर ही सभी ने शैल पटेल के साथ मारपीट शुरू कर दी और कार में पहले से पड़ी रस्सी से उस का गला घोंट कर हत्या कर दी. चारों आरोपी शैल का शव ले कर घंसौर से 10 किलोमीटर दूर जबलपुर के गढ़ गोरखपुर के पास पहुंच गए. रोड किनारे जंगल में कार खड़ी कर शव को जंगल में फेंक कर सूखी पत्तियों से ढंक कर आग लगा दी.

रमाबाई हो रही थी परेशान

जब देर रात तक शैल घर नहीं लौटा तो घर वालों को उस की चिंता हुई. शैल की पत्नी रमाबाई ने बेटे प्रमोद से कहा, ‘‘आज तेरे बापू अभी तक घर नहीं लौटे.’’ प्रमोद ने मां की बात पर ध्यान न देते हुए कहा, ‘‘मां, इस में चिंता की कोई बात नहीं है बापू कहीं नशे के अड्डे पर चिलम पीने बैठ गए होंगे, आ जाएंगे. तुम खाना खा कर सो जाओ.’’ रमा को लगा कि होलिका दहन देखने की वजह से शैल घर आने में लेट हो गया होगा. यही सोच कर उस रात रमा चुपचाप सो गई. जब सुबह तक भी शैल घर नहीं पहुंचा तो उस की चिंता बढ़ गई. रमाबाई हर रोज बेटे प्रमोद से अपने बापू की खोजखबर लेने की बात करती रही, लेकिन वह मां को गोलमोल जबाब दे कर चुप करा देता. धीरेधीरे शैल को घर से गायब हुए 4 दिन बीत चुके थे.

रमाबाई प्रमोद से उस के पिता की गुमशुदगी पुलिस थाने में दर्ज कराने की बात कहती रही, परंतु प्रमोद अपने पिता को आसपास के इलाकों में खोजने का नाटक करता रहा. आखिर में रमाबाई खुद 70 साल के चचेरे भाई जोधसिंह पटेल के साथ थाने पहुंची और पति की गुमशुदगी दर्ज करा दी. आरोपियों ने यह सोच कर इस काम को अंजाम दिया था कि दूसरा जिला होने की वजह से शव की पहचान नहीं हो पाएगी और किसी को शक भी नहीं होगा. लेकिन पुलिस की नजरों से वे ज्यादा दिन नहीं बच सके.

पुलिस ने इस मामले में आईपीसी की धारा 302, 201, 364 और 120(बी) के तहत मामला दर्ज कर मृतक के 26 वर्षीय बेटे प्रमोद पटेल, के अलावा राहुल नेमा, राहुल यादव, मनोज बैगा उर्फ पंडा और आयुष शर्मा को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया. आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल की गई बाइक और कार सहित 2 मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए हैं. अपनी बहू से नाजायज संबंध बनाने की ख्वाहिश रखने वाले ससुर को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और बेटे को अपनी नामसझी की वजह से अपने बीवीबच्चों से दूर जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ा.

अनुपम खेर को लघु फिल्म ‘‘हैपीबर्थडे’’के लिए मिला सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार

अपनी उत्कृष्ट अभिनय प्रतिभा के बल पर पूरे विश्व में शोहरत बटोरने वाले भारतीय अभिनेता अनुपम खेर को हाल ही उनकी लघु फिल्म ‘‘हैपीबर्थडे’’के लिए प्रतिष्ठित ‘न्यूयार्कसिटी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा गया.

जबकि इस फिल्म को प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्मका पुरस्कार भी मिला !! ‘‘हैप्पीबर्थडे‘’ वर्ष की सबसे बहु प्रतीक्षित लघु फिल्मों में से एक रही है.अनुपम खेर और अहाना कुमरा अभिनीत इस फिल्म के निर्देषक प्रसाद कदम तथा इसका निर्माण ‘एफएनपी मीडिया’ने किया है.
इस पुरस्कार की  चर्चा करते हुए अनुपम खेर कहते हैं-‘‘इस सम्मान के लिए न्यूयॉर्कसिटी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’का धन्यवाद. इस प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता घोषित किए जाने के लिए विनम्रता है. इसका श्रेय पूरी युवा टीम को जाता है और साथ ही मेरी सह-कलाकार आहाना कुमरा, निर्देशक प्रसाद कदम और बाकी टीम का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा.’’

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फिल्म के सह निर्माता गिरीश जौहर कहते हैं-‘‘अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में इन दो पुरस्कारों को प्राप्त करना वास्तव में कमाल है. अनुपमसर, एक ग्लोबल आइकन हैं, जितना उनके बारे में कहेंगे उतना कम है.वह वास्तव में जीनियस हैं. अहाना ने अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय के दम पर नामांकन हासिल किया है. इसके अलावा प्रसाद एक बेहद प्रतिभा शाली निर्देशक हैं और उन्हें सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए नामांकित भी किया गया था!  वह अपने क्राफ्ट को पूरी तरह से जानते है और उनका भविष्य बहुत अच्छा है. मैं हैप्पी बर्थ डे टीम के साथ यह सम्मान पाने के लिए उत्साहित हूँ.‘‘

‘एफएनपीमीडिया के कंटेंट हेड अहमद फराज कहते हैं- ‘‘एफएनपीमीडियामें यह हम सभी के लिए बड़ी उपलब्धि है. एक प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में 2 पुरस्कार जीतना एक मील का पत्थर है. इस फिल्म के पीछे पूरी टीम का कलेक्टिव प्रयास है और वास्तव में यह फिल्म पुरस्कार की हकदार है. मुझे इसका हिस्सा बनने की खुशी है और हम जल्द ही ऐसी और बेहतर फिल्मों के साथ आने की उम्मीद करते हैं.इसमें शामिल सभी को  बधाई।‘‘

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एफएनपीमीडिया ऐसे शानदारकलाकारोंऔरक्रूकेसाथसहयोगकरने के लिए बेहद खुश है और दर्शकों की प्रतिक्रिया देखने के लिए उत्सुकहै.एफएनपी मीडिया के पास प्रयोग करने के लिए कई आगामी योजनाएँ हैं.

Khatron Ke Khiladi 11: एयरपोर्ट पर राहुल वैद्य की ये हरकत देख फैंस ने सुनाई खरी खोटी, देखें वीडियो

खतरों के खिलाड़ी 11 में राहुल वैद्य अब केपटाउन के लिए अपनी पूरी टीम के साथ निकल गए है. आधी रात के बाद से कंटेस्टेट के साथ वह निकल गए जहां उनकी गर्लफ्रेंड दिशा परमार  उन्हें एयरपोर्ट पर ड्रॉप करने आईं थी. जहां वह काफी ज्यादा रोमांटिक नजर आएं.

रोहित शेट्टी के इस शो के फर्स्ट रनरअप राहुल वैद्य नजर आ रहे हैं. लेकिन राहुल वैद्य ने जो हरकत एयरपोर्ट पर की है उसके बाद से लोग उनसे काफी ज्यादा नाराज नजर आ रहे हैं. राहलु वैद्य दिशा परमार के साथ रोमांटिक अंदाज नें गाना गाते और डांस करते नजर आ रहे हैं.

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फैंस का कहना है कि इस महामारी के समय में उन्हें एयरपोर्ट पर आने की क्या जरुरत है. जिस वजह से फैंस लगातार राहुल को खरीखोटी सुना रहे हैं. बता दें कि राहुल और दिशा एक-दूसरे को लंबे वक्स से जानते हैं लेकिन राहुल वैद्या ने दिशा परमार को प्रपोज किया था बिग बॉस सीजन 14 में.

 

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जहां उन्होंने सभी घरवालों और पूरी दुनिया के सामने दिशा परमार को अपना बनाया था. इसके बाद से यह कपल लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. फैंस इन्हें सोशल मीडिया पर खूब प्यार भी दिखाते नजर आते हैं.

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राहुल वैद्या और दिशा परमार कुछ वक्त पहले एक वीडियो शूट में नजर आएं थें, जिसमें वह दुल्हन के अवतार में नजर आ रही थी तो वही राहुल वैद्य दुल्हें के अवतार में नजर आ रहे थे. इस फोटो को देखने के बाद फैंस को लग रहा था कि इन दोनों ने गुपचुप तरीके से शादी रचा ली है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था.

 

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बाद में राहुल और दिशा ने इस बात का खुलासा कर दिया था. अभी राहुल वैद्य अपने काम पर लगे हुए हैं तो वहीं दिशा परमार अपनी फैमली के साथ टाइम स्पेंड कर रही हैं.

इस टीवी एक्टर ने कहा कंगना रनौत को ‘कॉमेडियन’ तो बहन रंगोली ने दिया ये जवाब

बॉलीवुड फिल्म अदाकारा कंगना रनौत आए दिन अपने नए -नए बयान को लेकर सुर्खियों में बनी रहती हैं. हाल ही में कंगना ने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्विट कर टीएमसी नेताओं और ममता बेनर्जी के खिलाफ ट्विट किया था. जिसके बाद से ही उनका ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया गया.

इससे पहले भी कंगना रनौत ने ऑक्सीन के खिलाफ ट्विट किया था. जिसका मजाक टीवी स्टार करण पटेल ने खूब बनाया था. उन्होंने अपने इंस्टा अकाउंट पर कंगना को देश के सबसे बड़ा कॉमेडियन बताया था. अब कंगना का मजाक बनाना करण पटेल पर भारी दिख रहा है.

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करण पटेल के इन बातों का जवाब कंगना रनौत की बहन रंगौली ने दिया है. करण पटेल के इस पोस्ट के बाद से कंगना की बहन रंगौली ने खुलेआम सोशल मीडिया पर उन्हें नल्ला कह दिया है. रंगोली ने जवाब देते हुए लिखा है कि तुम सब लोग इस देश के नल्ले इंसान हो जिसने इस देश और प्राकृति के लिए कुछ नहीं किया है.  तुम लोग धरती पर सिर्फ बोझ हो.

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दरअसल, कंगना ने ऑक्सीन के कमी को पेड़ काटने को जिम्मेदार बताया था. कंगना ने लिखा था कि इस वक्त हर कोई ऑक्सीजन प्लॉट लगाने कि बात कर रहा है लेकिन इस बारे में यह कोई नहीं सोच रहा है कि देश में पेड़ लगाने चाहिए और पेड़ को काटने नहीं चाहिए.

छोटू: धर्म बड़ा या इंसानियत -भाग 3

सीमा एक स्कूल में टीचर थीं. बहुत सुलझी सोच वाली सीमा किसी धर्म और जाति के चक्कर में न पड़तीं, स्टूडेंट्स की चहेती टीचर थीं. प्रिंसिपल सायमा अत्यंत प्रतिभावान और बुद्धिजीवी महिला थीं, उन्हें सीमा के विचार प्रभावित करते, उन दोनों में अच्छी दोस्ती भी हो गई थी, कभीकभी एकदूसरे के घर भी आनाजाना हो जाता. कोमल और रजत भी उन का खूब सम्मान करते. अनिल हर धर्मजाति पर चूंचूं करता, पर सब उसे इग्नोर कर देते.

अनिल तो रातभर चैन से सोया, पर समाजसेवी संस्थाएं अपना काम कर रही थीं और एक कंप्लेंट पर सुबहसुबह अनिल को अरैस्ट कर लिया गया.

यह देख सीमा और कोमल को भी एक बड़ा धक्का लगा. वे दोनों समझ भी रहे थे कि यह तो होना ही था. कहीं न कहीं इस बात के लिए अनिल मन ही मन तैयार भी थे, इस समय भी अनिल बड़ी शान से किसी को फोन करते हुए, ’संभाल लेना,’ कह रहा था और अपने परिवार को परेशान देख मुसकराते हुए बोला, ‘‘अरे, यह कोई बड़ी बात नहीं. यों गया और यों आया. ऐसा कुछ गलत नहीं किया मैं ने. धर्म के नाम पर तो मेरी जान हाजिर है.‘‘

अब भी इतनी अकड़ से कहे शब्द दोनों को और दुख से भर गए. अनिल की जमानत की कोशिश शुरू हो चुकी थी, पर बच्चे के लिए आवाज उठाने वालों की भी कमी न थी.कोमल कुछ ज्यादा ही बेचैन थी. सीमा ने उस की उदासी, बेचैनी भांप ली थी, पूछा, ‘‘कोमल, कुछ ज्यादा ही परेशान सी हो, रातभर शायद सो भी नहीं पाई तुम, क्या हुआ, बेटा?‘‘

कोमल ने उन्हें ध्यान से देखा, पलभर सोचा, फिर धीरेधीरे कहने लगी, ‘’मैं अपने कलीग जुबैर से प्यार करती हूं, उस से शादी भी करना चाहती हूं. अब तक तो सोचती थी कि हम आजाद सोच वाले परिवार हैं, पर पापा ने जो किया अब सोच रही हूं कि जुबैर के बारे में जान कर वे क्या करेंगे, जिस के दिल में एक विजातीय बच्चे के लिए इतनी नफरत है, वे जुबैर के बारे में जान कर क्या तमाशा करेंगे, मैं जुबैर जैसे इनसान को खोना नहीं चाहती, मम्मी,‘‘ कहतेकहते कोमल इतनी जोर से रोई कि सीमा ने उठ कर उसे गले से लगा लिया. अब तो बात ही बदल गई थी कि जिस पर और चिंता होनी तय थी.

सीमा ने कहा, ‘‘मुझे कुछ सोचने दो. कुछ तो करना पड़ेगा. तुम ने जुबैर को अपना जीवनसाथी चुना है, तो मुझे पूरा भरोसा है कि वह तुम्हारे योग्य ही होगा. क्या तुम जुबैर से मिलवा सकती हो? आज वकील के साथ पुलिस स्टेशन जाना है, उस से पहले मिलवा सकती हो क्या?‘‘

‘‘हां, आज मैं औफिस नहीं जा रही हूं. उसे कहती हूं कि औफिस जाने से पहले यहां आ जाए.‘’ कोमल के कहने पर जुबैर सीमा से मिलने आ गया, हैंडसम और सभ्य जुबैर. सीमा को तो देखते ही पसंद आ गया. उस ने आंखों ही आंखों में तारीफ का इशारा किया, वीडियो की कोई बात नहीं हुई, सब थोड़ा शांत, गंभीर तो थे, पर एकदूसरे से मिल कर सब को अच्छा लगा.

सीमा ने पूछा, ‘‘बेटा, घर में कौनकौन हैं?‘‘ ‘‘आंटी, मम्मीपापा और एक छोटी बहन.‘‘‘‘क्या वे इस शादी के लिए तैयार हैं?‘‘‘‘जी.’’‘‘क्या ऐसा हो सकता है कि अनिल के घर आने से पहले तुम दोनों निकाह कर लो और फिर कोर्ट मैरिज के लिए रजिस्ट्रेशन कर देते हैं, किसी को कुछ बताने की जरूरत नहीं है. मैं सब संभाल लूंगी. फोन पर सायमाजी से बात करती हूं, वे इस में जरूर हमारा साथ देंगी.‘’

सीमा उस दिन अपने कालेज नहीं गईं. सीमा ने वकील के साथ निकलने से पहले बहुत देर तक सायमा को पूरी बात बता कर सलाह देते रहने के लिए कहा.

हरी खाद : मिट्टी के लिए सेहतमंद

लेखक- सुनील कुमार,

कृषि विज्ञान केंद्र, कणेर मिट्टी की उर्वरकता व उत्पादकता बढ़ाने में हरी खाद का प्रयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है. बिना सड़ेगले हरे पौधे (दलहनी या अदलहनी या फिर उन के भाग) को जब मिट्टी की नाइट्रोजन या जीवांश की मात्रा बढ़ाने के लिए खेत में दबाया जाता है, तो इस क्रिया को हरी खाद देना कहते हैं. सघन कृषि पद्धति के विकास और नकदी फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल बढ़ने के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चित ही कमी आई है, लेकिन बढ़ते ऊर्जा उर्वरकों के मूल्यों में वृद्धि और गोबर की खाद व अन्य कंपोस्ट जैसे कार्बनिक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्त्व और बढ़ गया है. रासायनिक उर्वरकों के पर्याय के रूप में हम जैविक खादों जैसे गोबर की खाद, कंपोस्ट हरी खाद आदि का उपयोग कर सकते हैं. इन में हरी खाद सब से सरल व अच्छा प्रयोग है.

इस में पशु धन में आई कमी के कारण गोबर की उपलब्धता पर भी हमें निर्भर रहने की जरूरत नहीं है, इसलिए हमें हरी खाद के उपयोग पर गंभीरता से विचार कर क्रियान्वयन करना चाहिए. हरी खाद केवल नाइट्रोजन व कार्बनिक पदार्थों का ही साधन नहीं है, बल्कि इस से मिट्टी में कई पोषक तत्त्व भी उपलब्ध होते हैं. एक अध्ययन के मुताबिक, एक टन ढैंचा के शुष्क पदार्थ द्वारा मिट्टी में जुटाए जाने वाले पोषक तत्त्व इस प्रकार हैं : हरी खाद फसल के आवश्यक गुण * फसल ऐसी हो, जिस में शीघ्र वृद्धि की क्षमता जिस से न्यूनतम समय में काम पूरा हो सके.

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* चयन की गई दलहनी फसल में अधिकतम वायुमंडल नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करने की क्षमता होनी चाहिए, जिस से जमीन को अधिक से अधिक नाइट्रोजन उपलब्ध हो सके.

* फसल की वृद्धि होने पर अतिशीघ्र, अधिक से अधिक मात्रा में पत्तियां व कोमल शाखाएं निकल सकें, जिस से प्रति इकाई क्षेत्र से अत्यधिक हरा पदार्थ मिल सके और आसानी से सड़ सके.

* फसल गहरी जड़ वाली हो, जिस से वह जमीन में गहराई तक जा कर अधिक से अधिक पोषक तत्त्वों को खींच सके. हरी खाद की फसल को सड़ने पर उस में उपलब्ध सारे पोषक तत्त्व मिट्टी की ऊपरी सतह पर रह जाते हैं, जिन का उपयोग बाद में बोई जाने वाली मुख्य फसल के द्वारा किया जाता है.

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* फसल के वानस्पतिक भाग मुलायम होने चाहिए.

* फसल की जल व पोषक तत्त्वों की मांग कम से कम होनी चाहिए.

* फसल जलवायु की विभिन्न परिस्थितियों जैसे अधिक तापमान, कम तापमान, कम या अधिक वर्षा सहन करने वाली हो.

* फसल के बीज सस्ती दरों पर उपलब्ध हों.

* फसल विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में पैदा होने में समर्थ हो.

हरी खाद बनाने की विधि

* अप्रैल मई महीने में गेहूं की कटाई के बाद जमीन की सिंचाई कर लें. खेत में खड़े पानी में 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से ढैंचा का बीज छितरा लें.

* जरूरत पड़ने पर 10 से 15 दिन में ढैंचा फसल की हलकी सिंचाई कर लें.

* 20 दिन की अवस्था पर 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया को खेत में छितराने से नोड्यूल बनने में सहायता मिलती है.

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* 55 से 60 दिन की अवस्था में हल चला कर हरी खाद को दोबारा खेत में मिला दिया जाता है. इस तरह लगभग 10.15 टन प्रति हेक्टेयर की दर से हरी खाद उपलब्ध हो जाती है.

* इस से लगभग 60.80 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता है. मिट्टी में ढैंचा के पौधों के गलनेसड़ने से बैक्टीरिया द्वारा नियत सभी नाइट्रोजन जैविक रूप में लंबे समय के लिए कार्बन के साथ मिट्टी को वापस मिल जाते हैं.

हरी खाद देने की विधियां हरी खाद की स्थानीय विधि :

इस विधि में हरी खाद की फसल को उसी खेत में उगाया जाता है, जिस में हरी खाद का उपयोग करना होता है. यह विधि समुचित वर्षा अथवा सुनिश्चित सिंचाई वाले क्षेत्रों में अपनाई जाती है. इस विधि में फूल आने से पूर्व वानस्पतिक वृद्धिकाल (45-60 दिन) में मिट्टी में पलट दिया जाता है. मिश्रित रूप से बोई गई हरी खाद की फसल को उपयुक्त समय पर जुताई द्वारा खेत में दबा दिया जाता है. हरी पत्तियों की हरी खाद : जलवायु और मिट्टी की दशाओं के आधार पर उपयुक्त फसल का चुनाव करना आवश्यक होता है.

जलमग्न व क्षरीय और लवणीय मिट्टी में ढैंचा और सामान्य मिट्टियों में सनई व ढैंचा दोनों फसलों से अच्छी गुणवत्ता वाली हरी खाद प्राप्त होती है. हरी खाद के प्रयोग के बाद अगली फसल की बोआई या रोपाई का समय : जिन क्षेत्रों में धान की खेती होती है, वहां जलवायु नम और तापमान अधिक होने से अपघटन क्रिया तेज होती है, इसलिए खेत में हरी खाद की फसल की आयु 40-45 दिन से अधिक नहीं होनी चाहिए. समुचित उर्वरक प्रबंधन : कम उर्वरता वाली मिट्टियों में नाइट्रोजनधारी उर्वरकों का प्रयोग उपयोगी होता है. राइजोबियम कल्चर का प्रयोग करने से नाइट्रोजन स्थिरीकरण सहजीवी जीवाणुओं की क्रियाशीलता बढ़ जाती है.

हरी खाद की फसल के लाभ हरी खाद की फसल का उद्देश्य प्रत्येक स्थिति के आधार पर भिन्नभिन्न होता है, लेकिन उन के द्वारा दिए जाने वाले कुछ लाभ इस प्रकार हैं :

* जैविक पदार्थ और मिट्टी में ह्यूमस का बढ़ना.

* नाइट्रोजन निर्धारण में वृद्धि.

* मिट्टी की सतह का संरक्षण.

* कटाव की रोकथाम.

* मिट्टी की संरचना को बनाए रखना या सुधारना.

* लीचिंग के लिए संवेदनशीलता कम हो जाती है.

* निम्न मिट्टी प्रोफाइल से अनुपलब्ध पोषक तत्त्वों तक पहुंच.

* अगली फसल को आसानी से उपलब्ध पोषक तत्त्व प्रदान करें.

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