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मुझे लगता है कि मेरे ऑफिस में काम करने वाला मेरा पुराना दोस्त मुझे पसंद करता है क्या करुं?

सवाल

मैं दिल्ली में एक एमएनसी में काम करती हूं. कुछ दिनों पहले मेरे स्कूल में पढ़ने वाले लड़के ने मेरी कंपनी जौइन की है. मैं जानती हूं वह स्वभाव से शर्मीला है. लेकिन अब उस में काफी बदलाव आ गया है. वह काफी कौन्फिडैंटली बोलता है. फिर भी मु झे लगता है वह मुझे से खुल कर बात नहीं करता. हम एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए हैं और मुझे यकीन है कि वह मुझ से प्यार करने लगा है लेकिन बोलने में हिचक रहा है. मैं उस के बोलने का इंतजार कर रही हूं. क्या मुझे पहल करनी चाहिए?

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जवाब

आप जानती हैं कि आप का बौयफ्रैंड स्वभाव से शर्मीला है तो आई लव यू बोलने की पहल आप कर के उस की िझ झक को खत्म कर सकती हैं. रही बात कि वह आप से खुल कर बात नहीं करता, तो हो सकता है आप उस पर डोमिनैटिंग हों. रिलेशन में कम्युनिकेशन बेहद महत्त्वपूर्ण होता है. एकदूसरे से सवाल पूछें, इस से बौंडिंग बेहतर होती है और आप को अपने पार्टनर के साथसाथ खुद के बारे में काफी कुछ पता चलता है व अपनी कमियों के बारे में पता चलता है. ब्रौयफ्रैंड को पूरी तरह अपने कौन्फिडैंस में लें. इस से वह अपनी बातें शेयर करने में िझ झक महसूस नहीं करेगा.

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कुछ सवाल, जैसे ‘क्या उसे खुद को बदलने की जरूरत है? या क्या मैं ने कभी तुम्हारी फीलिंग हर्ट की है?’ पूछ कर अपने बारे में उस की राय जानें. इस से एक तो पार्टनर का दिल हलका हो जाता है और आप को भी इस बात का एहसास होता है कि कब आप अपने इमोशंस में बह कर लिमिट क्रौस कर देती हैं. जब आप अपने पार्टनर से यह बात करें तो अपनेआप पर कंट्रोल रखें. हो सकता है कि जब आप का पार्टनर अपने दिल की बातें कहे तो उन में कुछ ऐसी बातें भी हों जो आप को अच्छी न लगें. लेकिन उस दौरान धैर्य से उस की बातें सुनें और उस की परिस्थिति को सम झने की कोशिश करें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें- सरिता व्यक्तिगत समस्याएं/ personal problem 

Ye Rishta Kya Kehlata Hai शादी के मंडप से लापता होगी सीरत, बाप के सामने बेबस होगा रणवीर

सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है कि कहानी काफी ज्यादा उलझी हुई नजर आ रही है. रणवीर और सीरत की एक तरफ जहां शादी हो रही है वहीं दूसरी तरफ सीरत कार्तिक को भी चाहने लगी है. लेकिन वह शादी रणवीर से रचा रही है.

इसी बीच कार्तिक के पापा अनजाने में रणवीर के पापा को शादी में न्योता दे देते हैं. जिसके बाद शादी के रस्मों के दौरान रणवीर का सामना उसके पिता से होता है. सीरत और रणवीर को साथ में देखकर नरेंद्र चौहान भड़क जाता है. जिसके बाद वह यह धमकी देता है कि अब यह शादी नहीं होने देगा जिसके बाद कार्तिक और उसके पापा रणवीर के पापा नरेंद्र चौहान को समझाने उसके घर जाते हैं.

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जहां नरेंद्र चौहान मनीष और कार्तिक को जमकर खरी खोटी सुनाता है. इसके साथ ही नरेंद्र चौहान मनीष पर हाथ उठाने की भी कोशिश करता है. जिसके बाद कार्तिक भी नरेंद्र चौहान पर भड़क जाता है.

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नरेंद्र चौहान के तेवर को देखने के बाद कार्तिक सीरत और रणवीर की शादी का समय बदल देता है. वह कहता है कि सीरत और रणवीर की शादी रात की जगह दिन में करनी होगी ताकि नरेंद्र चौहान उन्हें न रोक सकें.

जिसके बाद जो सीरियल में होगा वो देखकर आपके होश उड़ जाएंगे नारेंद्र चौहान सीरत को किडनैप करवा लेगा कुछ गुंडे भेजवा कर जिसके बाद सभी हैरान हो जाएंगे कि ये क्या हो रहा है. कैरव जब ये बात आकर कार्तिक को बताएगा तो यह जानकर कार्तिक हैरान हो जाएगा.

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ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि रणवीर और कार्तिक सीरत का पता कैसे लगाएंगे.

Indian Idol 12 नचिकेत लेले के वीडियो को देखने के बाद Sanmukh Priya पर भड़के फैंस , कहा बाहर करो

सोनी टीवी का पसंदीदा रियलिटी शो इंडियन आइडल 12 हमेशा से गलत वजहों से सुर्खियों में बना रहता है. इस रियलिटी शो के मेकर्स का एक फैसला हमेशा से विवादों में चलता आ रहा है. चाह बात गेस्ट कि हो या एलिमिनेशन की हर किसी ने इस शो पर अपनी उंगली उठाई है.

दो महीने पहले जब इस शो से नचिकेतन का बाहर का रास्ता दिखाया गया था उस वक्त काफी लोग इसके विरोध में थें. वहीं नचिकेतन लेले के फैंस ने तो सोशल मीडिया पर मुहिम चला दी थी कि उसे वापस बुलाओ. हाल ही में नचिकेतन ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें वह ‘ बॉलीवुड फिल्म लाइफ इन अ मेट्रो’ का गाना ‘ ओ मेरी जान ‘ गाते हुए नजर आ रहे हैं.

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इस गाने को सुनने के बाद फैंस एक बार फिर से नचिकेतन के सपोर्ट में आते हुए कहते हैं कि वह शन्मुखप्रिया का  कॉम्पटीटर बताया था.

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नचिकेत का यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और अब फैंस शन्मुख प्रिया के एलिमिनेशन की मांग कर रहे हैं. . फैंस का कहना है कि मेकर्स ने नचिकेतन को बाहर करके बहुत बड़ी गलती कि है.

 

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बीते दिनों ही लोगों ने मोहम्मद दानिश को बाहर करने कि मांग कि थी, इंडियन आइडल को फॉलो कर रहेे लोगों का मानना है कि दानिश और शन्मुख प्रिया गाने को गाते कम खींचते ज्यादा हैं. फिलहाल ये देखना है कि इस शो से कौन-कौन एलिमिनेट होगा . अब इस शो से किसको किसको बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा.

स्वच्छता, सैनिटाइजेशन और फाॅगिंग से रुकेगा गांव में संक्रमण

लखनऊ . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि राज्य सरकार की ‘ट्रेस, टेस्ट एण्ड ट्रीट’ की नीति से प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में प्रभावी सफलता मिल रही है. पॉजिटिविटी दर में लगातार कमी तथा रिकवरी दर में निरन्तर वृद्धि हो रही है. राज्य में कोविड संक्रमण के मामलों में आशानुकूल तेजी से कमी आयी है. उन्होंने कोविड-19 से बचाव और उपचार की व्यवस्थाओं को इसी प्रकार प्रभावी ढंग से जारी रखने के निर्देश दिए हैं.

मुख्यमंत्री जी आज वर्चुअल माध्यम से आहूत एक उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेश में कोविड-19 की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत 24 घण्टों में प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 3,371 नए मामले आए हैं. इसी अवधि में 10,540 संक्रमित व्यक्तियों का सफल उपचार करके डिस्चार्ज किया गया है. प्रदेश में 30 अप्रैल, 2021 को संक्रमण के अब तक के सर्वाधिक एक्टिव मामले 3,10,783 थे. वर्तमान में संक्रमण के एक्टिव मामलों की संख्या घटकर 62,271 हो गयी है. इस प्रकार विगत 30 अप्रैल के सापेक्ष एक्टिव मामलों की संख्या में लगभग 80 प्रतिशत की कमी आयी है.

मुख्यमंत्री जी को यह भी अवगत कराया गया कि राज्य में कोरोना संक्रमण की रिकवरी दर में लगातार वृद्धि हो रही है. वर्तमान में यह दर बढ़कर 95.1 प्रतिशत हो गयी है. प्रदेश में पिछले 24 घण्टों में रिकाॅर्ड 3,58,243 कोविड टेस्ट किए गए हैं. यह न केवल प्रदेश में एक दिन में किए गए सर्वाधिक कोरोना टेस्ट हैं, बल्कि सम्पूर्ण देश में एक दिन में सम्पन्न सर्वाधिक कोरोना टेस्ट हंै. मुख्यमंत्री जी ने इतनी बड़ी संख्या में टेस्ट को संक्रमण की रोकथाम में उपयोगी बताते हुए कहा कि प्रतिदिन लगभग इतने टेस्ट की संख्या को बरकरार रखने का प्रयास किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि इन टेस्ट में संक्रमण की पॉजिटिविटी दर 01 प्रतिशत से भी कम रही है. प्रदेश में अब तक कुल 4 करोड़ 77 लाख 20 हजार 695 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गांवों को संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए वृहद जांच अभियान सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है. निगरानी समितियों द्वारा उल्लेखनीय कार्य किया जा रहा है. प्रदेश में संक्रमण निरन्तर कम हो रहा है. निगरानी समितियों द्वारा मेडिकल किट के वितरण की कार्यवाही निरंतर और प्रभावी ढंग से जारी रखी जाए. लक्षण युक्त एवं संदिग्ध संक्रमित व्यक्तियों को मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी तथा सेक्टर के प्रभारी अधिकारी को जवाबदेह बनाया जाए. यह अधिकारी हर लक्षण युक्त एवं संदिग्ध संक्रमित व्यक्ति को मेडिकल किट की उपलब्धता सुनिश्चित कराएं.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि बच्चों के लिए अलग से मेडिकल किट तैयार कर निगरानी समितियों को उपलब्ध कराने का प्रबंध हो रहा है. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निगरानी समितियों द्वारा मेडिकल किट के वितरण के साथ ही, संबंधित व्यक्तियों की सूची बनाई जाए. यह सूची इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कन्ट्रोल सेन्टर (आई0सी0सी0सी0) तथा जनप्रतिनिधियों को उपलब्ध कराई जाए. आई0सी0सी0सी0 द्वारा मेडिकल किट प्राप्त करने वाले व्यक्तियों से किट की उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त करने के साथ ही, उनका कुशलक्षेम भी लिया जाए. जनप्रतिनिधिगण द्वारा भी मेडिकल किट प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित कर उनका हालचाल प्राप्त किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने राज्य में ब्लैक फंगस की दवाओं की उपलब्धता के संबंध में जानकारी प्राप्त करते हुए कहा कि ब्लैक फंगस के संक्रमण से प्रभावित सभी मरीजों को दवा उपलब्ध कराई जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी जनपदों में ब्लैक फंगस की दवाओं की उपलब्धता रहे. यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इस संक्रमण की दवा की कालाबाजारी न होने पाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना संक्रमण की सम्भावित थर्ड वेव की रोकथाम के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ किया जाना आवश्यक है. इसके लिए अभी से कार्यवाही किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में इंसेफेलाइटिस पर सफल नियंत्रण के अनुभव का उपयोग करते हुए कोरोना संक्रमण की भविष्य में किसी भी आशंका से निपटने की तैयारी की जानी चाहिए. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के सभी सामुदायिक, प्राथमिक एवं उप स्वास्थ्य केन्द्र तथा हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर को सुदृढ़ बनाकर प्रभावी ढंग से क्रियाशील रखा जाए. इन स्वास्थ्य केंद्रों के सुदृढ़ीकरण के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेदारी देकर कार्य व्यवस्थित, त्वरित तथा प्रभावी ढंग से संपन्न कराया जाए. साथ ही, मुख्यालय तथा जनपद स्तर पर नियमित समीक्षा भी की जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शिक्षा विभाग में संचालित ऑपरेशन कायाकल्प की भांति जन सहयोग के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, उप स्वास्थ्य केंद्रों तथा हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर में आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था तथा रखरखाव को बेहतर बनाया जाना चाहिए. इस सम्बन्ध में जनप्रतिनिधिगण का सहयोग प्राप्त करने का प्रयास किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत संचालित जिला चिकित्सालयों सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध सुविधाओं के सम्बन्ध में समग्र जानकारी उपलब्ध कराने वाला एक मोबाइल एप विकसित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी के अनुमोदन के उपरान्त इसे लॉन्च किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भविष्य की आवश्यकता के दृष्टिगत कोविड बेड की संख्या में निरन्तर वृद्धि की जाए. आवश्यक मानव संसाधन की संख्या में भी लगातार बढ़ोत्तरी की जाए, इसके लिए भर्ती की कार्यवाही तेजी से सम्पन्न की जाए.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि कोविड-19 के उपचार की व्यवस्था को प्रभावी बनाए रखने के लिए उनके निर्देशों के अनुरूप कार्यवाही की जा रही है. कोविड बेड की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी की जा रही है. विगत दिवस प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों तथा अस्पतालों में 161 बेड की वृद्धि हुई है. इसमें आइसोलेशन बेड के अलावा लगभग 60 आई0सी0यू0 बेड भी शामिल हैं. मानव संसाधन में भी लगातार वृद्धि की जा रही है. विगत दिवस में 62 नए कर्मियों को भर्ती किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पीडियाट्रिक आई0सी0यू0 (पीकू) तथा निओनेटल आई0सी0यू0 (नीकू) के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर की जाए. इंसेफ्लाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अभी से पूरी सतर्कता बरती जाए. उपचार की व्यवस्था की भी अभी से पूरी तैयारी कर ली जाए.

ए0एन0एम0, आंगनबाड़ी व आशा कार्यकत्र्रियों के प्रशिक्षण की कार्यवाही पूरी कर ली जाए. सभी जनपदों में उपलब्ध समस्त वेंटिलेटर कार्यशील अवस्था में रहें. खराब वेंटिलेटर की तुरन्त मरम्मत कराकर क्रियाशील किया जाए. वेंटीलेटर के संचालन के लिए आई0टी0आई0 में उपलब्ध टेक्निशियंस की जनपदवार सूची बनाकर राज्य स्तर पर फिजिकली ट्रेनिंग कराई जाए. ट्रेनिंग के पश्चात इन टेक्नीशियन की आवश्यकतानुसार तैनाती दी जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि पीकू और नीकू की स्थापना की कार्रवाई तेजी से गतिशील है. सभी मेडिकल कॉलेजों में 50 बेड का आई0सी0यू0 तथा 50 आइसोलेशन के बेड तैयार किए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों तथा रीफिलर्स के पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन बैकअप उपलब्ध है. होम आइसोलेशन के मरीजों में भी ऑक्सीजन की डिमाण्ड में कमी आयी है. विगत 24 घण्टों में राज्य में 663 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई. मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए कि ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना की कार्यवाही को त्वरित गति से आगे बढ़ाने के लिए जनपद स्तर पर नोडल अधिकारी की तैनाती कर दैनिक समीक्षा की जाए. शासन स्तर पर भी ऑक्सीजन संयंत्रों की स्थापना के संबंध में नियमित समीक्षा की जाए.

मुख्यमंत्री जी ने निर्देशित किया कि कोविड वैक्सीनेशन की कार्यवाही व्यवस्थित, निर्बाध और सुचारु ढंग से जीरो वेस्टेज को ध्यान में रखकर संचालित की जाए.  वैक्सीनेशन सेंटर पर कोविड प्रोटोकॉल का पालन आवश्यक रूप से हो. सेंटर पर भीड़-भाड़ से बचने के लिए वेटिंग एरिया तथा ऑब्जरवेशन एरिया की भी व्यवस्था अवश्य होनी चाहिए. उन लोगों को ही वैक्सीनेशन सेंटर पर बुलाया जाए, जिनका वैक्सीनेशन किया जाना है. ग्रामीण क्षेत्र में वैक्सीनेशन कार्य को त्वरित और प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए कॉमन सर्विस सेण्टर (सी0एस0सी0) को सक्रिय कर वैक्सीनेशन हेतु रजिस्ट्रेशन हेतु उपयोग किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि 1 जून, 2021 से सभी 75 जनपदों में 18 से 44 वर्ष आयु वर्ग के लोगांे के वैक्सीनेशन का कार्य प्रारंभ किया जाएगा. इस संबंध में गाइडलाइन आज जारी कर दी जाएगी.

मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि उनके निर्देशानुसार प्रत्येक जनपद में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों के लिए वैक्सीनेशन हेतु अभिभावक स्पेशल बूथ बनाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शहरी इलाकों से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों में भी वैक्सीनेशन की व्यवस्था की जाए. सामान्यतया 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावकों की आयु 22 से 44 वर्ष के बीच होती है. यह प्रमुख कामकाजी वर्ग है. इनके वैक्सीनेशन के विशेष प्रयास आवश्यक हैं. भविष्य में कोरोना संक्रमण से बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को देखते हुए इस वर्ग को चिन्हित कर वैक्सीनेशन प्रभावी ढंग से कराया जाए. उन्होंने कहा कि भविष्य में वैक्सीनेशन कार्य को व्यापक पैमाने पर संचालित कराने के लिए आवश्यक मैन पावर की व्यवस्था कर प्रशिक्षण आदि संपन्न करा लिया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग की कार्यवाही युद्ध स्तर पर जारी रखी जाए. ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर तथा घनी आबादी के क्षेत्रों में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फाॅगिंग का विशेष अभियान संचालित किया जाए. इसी प्रकार सभी नगर निकायों में भी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र हेल्थ एवं वेलनेस सेण्टर पर स्वच्छता, सैनिटाइजेशन तथा फाॅगिंग का कार्य कराया जाए. जल-जमाव को रोकने के लिए नाले व नालियों की सफाई करा ली जाए. स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन के कार्य में फायर ब्रिगेड तथा गन्ना विभाग के वाहनों एवं मशीनों का उपयोग किया जाए. मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि विगत दिवस फायर ब्रिगेड के 394 फायर टेंडर्स ने स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन के कार्य में योगदान किया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंशिक कोरोना कफ्र्यू का प्रभावी ढंग से पालन कराया जाए. यह कार्यवाही सद्भाव पूर्ण होनी चाहिए. घर से बाहर निकलने वाले लोगों को मास्क के अनिवार्य प्रयोग तथा सोशल डिस्टेंसिंग अपनाने के सम्बन्ध में जागरूक करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम का प्रभावी उपयोग किया जाए. इसके लिए इस व्यवस्था को सुदृढ़ बनाया जाए. उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी गेहूं क्रय केन्द्र कार्यशील रहें. एम0एस0पी0 के तहत गेहूं खरीद तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अन्तर्गत खाद्यान्न का वितरण कोविड प्रोटोकाॅल के पूर्ण पालन के साथ सुचारु ढंग से किया जाए. सभी जनपदों में कम्युनिटी किचन का प्रभावी ढंग से संचालन किया जाए. डोर स्टेप डिलीवरी  व्यवस्था सुदृढ़ रखी जाए. औद्योगिक गतिविधियां सुचारू ढंग से संचालित रहें.

Mother’s Day 2022- टूटते सपने: भाग 3

किंतु अरुणा न उठी. चादर के भीतर उस ने अपना मुंह छिपा लिया था.

‘‘ठीक है, मर, जो भी करना हो कर, मुझे क्या करना है. न जाने क्यों हर समय अपनी ही दुनिया में जीती है. अरे क्या, तुझे ही एक दुख है?’’

किंतु अरुणा ने कोई उत्तर नहीं दिया. बकझक कर के मनोरमा भी सो गई. सुबह अरुणा जल्द ही उठ गई, देखा मनोरमा सो रही थी, ‘‘हुंह, अभी तक सो रही है, न जाने रात में क्या करती है.’’ उस ने उठ कर कमरे को ठीक किया, स्नान किया और ध्यान लगाने बैठ गई. तभी मनोरमा भी उठ गई. तैयार हो कर दोनों कमरे से बाहर आईं. चायनाश्ते का समय हो चुका था.

‘‘हां तो अरुणा, उन छोटे कपड़ों का क्या करना है तू ने बताया नहीं,’’ मनोरमा ने छेड़ा.

‘‘यदि मेरी मौत हो जाए तो आभास को सौंप देना. यह बता कर कि यह उस की पुत्रवधू के लिए है,’’ अरुणा ने शांत स्वर में उत्तर दिया. और दोनों चाय पीने लगीं.

दोपहर के भोजन का समय हो चुका था. मनोरमा ने आवाज लगाई, ‘‘चल खाना खाने, रोज तो तू मुझे याद दिलाती है लेकिन आज मैं तुझे बुला रही हूं. देर होने पर पता नहीं क्या खाने को मिले, क्या न मिले, चल जल्दी,’’ लेकिन अरुणा ने नहीं में सिर हिला दिया. मनोरमा अकेली ही चली गई, ‘‘हुंह, न जाने क्या हो जाता है इस पगली को, न जाने किस जिजीविषा में जी रही है. अरे, बेटे को आना होता तो अब तक आ न जाता, मुझे क्या करना है.’’ भोजनोपरांत मनोरमा कमरे में आई. अरुणा उसी प्रकार बैठी थी गेट की ओर टकटकी लगाए. अकस्मात वह पलटी और मनोरमा से बोली, ‘‘चल, अभी रमी खेलते हैं. आज मैं तुझे खूब हराऊंगी.’’

मनोरमा मुसकरा उठी, ‘‘आखिर तू नौर्मल हो गई, मैं तो डर ही गई थी कि कहीं तुझे पागलखाने न भेजना पड़े.’’

‘‘क्यों, मैं क्या तुझे पागल दिखती हूं? अपने जैसी समझा है क्या मुझ को?’’ अरुणा ने भी तपाक से जवाब दिया. बहुत देर तक दोनों रमी खेलती रहीं, फिर दोनों आराम करने लगीं.

‘‘क्या तुझे अभी भी भूख नहीं है?’’ मनोरमा ने पूछा.

‘‘न,’’ अरुणा ने संक्षिप्त उत्तर दिया.

सायंकाल के साढ़े 5 बज चुके थे. मनोरमा ने अरुणा से हौल में चलने को कहा किंतु अरुणा ने मना कर दिया. वह खिड़की से बाहर गेट की ओर टकटकी लगाए बैठी थी.

‘‘चल न, कब तक प्रतीक्षा करेगी, कोई नहीं आने वाला है,’’ और उस ने अरुणा के कंधे पर हाथ रख दिया किंतु अरुणा वहां थी ही कहां? वह तो इस आसारसंसार से दूर कहीं अनंत में विचरण कर रही थी. हाथ लगते ही उस का शरीर लुढ़क गया. मनोरमा हतप्रभ थी. सभी आश्रमवासी कमरे में घुस आए. मनोहरजी ने तत्काल आभास को फोन मिला कर उसे यह शोक संदेश दे दिया. एक क्षण तो निस्तब्धता रही, फिर आभास का स्वर आया, ‘‘दाहसंस्कार कर दीजिए, इतनी शीघ्र आना संभव नहीं है. जो भी व्यय हो, मुझे सूचित कर दीजिएगा,’’ और फोन बंद हो गया.

मनोहरजी आश्चर्यचकित थे, कैसेकैसे बच्चे होते हैं, क्या उन्हें मांबाप का दर्द महसूस नहीं होता है. लेकिन वे तो प्रबंधक थे, अभी बहुतकुछ प्रबंध करना था उन्हें. रात्रि के पहले ही अरुणा का पार्थिव शरीर अग्नि को समर्पित हो चुका था. मृत शरीर को किसलिए रोका जाता. रात्रि का तीसरा प्रहर बीत रहा था. मनोरमा विह्वल हो रही थी. आंसू थे कि थमते ही नहीं थे. इतनी अंतरंग सखी जो चली गई थी. अब वह अकेली पड़ गई थी.

दूसरे दिन उस ने अरुणा का बौक्स खोला. आभास के बचपन के कपड़ों का एक पार्सल बनाया और मनोहरजी को दे कर बोली, ‘‘यह आभास को भेज दीजिएगा.’’

फिर वह आश्रम का काम करने वाली बाई को बुला कर बोली, ‘‘ये कड़े तुम अपनी बहू को दे देना.’’

अब वह निश्ंिचत हो कर अपने कमरे में आ गई. ‘अरुणा तुम्हारा बचा काम मैं ने कर दिया किंतु थोड़ा अलग तरीके से, देख नाराज न होना.’ और फिर स्वयं से हंस कर कहने लगी, ‘मैं ने कभी कोई गलत काम नहीं किया है.’

दोपहर के भोजन के लिए वह कमरे से बाहर न आई. सायंकाल और रात्रि के भोजन में भी वह अनुपस्थित थी. सब ने समझा शोक में डूबी है, इसलिए नहीं आई. किंतु प्रात:काल जब कमरे का दरवाजा नहीं खुला तब मनोहरजी शंकित हुए और उन के आदेशानुसार दरवाजा तोड़ा गया. मनोरमा का निर्जीव शरीर चारपाई पर पड़ा था. एक हाथ नीचे लटक रहा था, दूसरा सीने पर था और दोपहर बाद, उस आश्रम से एक और अरथी निकल रही थी.

मेरी उम्र 28 वर्ष है और पति की उम्र 32 साल है, मैं अभी बच्चा प्लान नहीं कर सकती क्या करें?

सवाल

मेरी उम्र 28 वर्ष है और पति की 32. शादी हुए 2 साल हो गए हैं. अभी हमारा कैरियर पीक पर है, इसलिए बच्चा प्लान नहीं कर रहे. पिछले 2 महीने से नोट कर रही हूं कि मेरे और पति के बीच सैक्स में ठंडापन आ गया है. ऐसा नहीं है कि हम पतिपत्नी में प्यार नहीं है या मैं पति की जरूरतों का ध्यान नहीं रखती. औफिस की व्यस्तता के बावजूद हमारी सैक्सलाइफ अच्छी चल रही थी, लेकिन कुछ समय से ही मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि हमारे बीच कुछ कमी सी आ गई है, ऐसा क्यों महसूस कर रही हूं?

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जवाब

ऐसा लगता है आप पतिपत्नी अपने कैरियर बनाने में इतने बिजी हो गए हो कि अपनी सैक्सलाइफ को सिर्फ रूटीन में ले लिया है. बच्चा अभी चाहते नहीं, इसलिए प्रिकौशंस भी लेते होंगे. यानी कि खुल कर सैक्स करने का मन भी होता होगा, तो नहीं करते होंगे. खैर, ये अलग बातें हैं. समस्या है आप दोनों के बीच सैक्स का ठंडापन. लाइफ में जब हर काम एक ही ढर्रे से चल रहा हो तो जीवन में नीरसता आना लाजिमी है. यही बात सैक्सलाइफ के ऊपर भी लागू होती है. बैडरूम में कपल्स को अपने सैक्सुअल परफौरमैंस में थोड़ा नयापन लाते रहना चाहिए. सैक्स के लिए पार्टनर का मूड सैट करना जरूरी है. ऐसी बातें करें कि वे उत्तेजित हो जाएं. जितना एक्साइटिड करेंगे, रिजल्ट उतना ही अच्छा मिलेगा. पतिपत्नी के रिश्ते में शुरुआती दिनों में जितनी गर्माहट होती है, धीरेधीरे कम होने लगती है. इस का मतलब यह नहीं कि आप में कुछ कमी है. बस, रिलेशनशिप में नयापन लाने की कोशिश करनी होगी. इंटिमेट पल के दौरान यह याद रखें कि आप के पार्टनर की कामुकता आप के किस मूव से बढ़ती है. अगर बैड पर जाने के बाद भी आप के अंदर हिचक या शर्म है तो इस से पार्टनर का जोश भी ठंडा हो सकता है.

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आप दोनों प्लान कर के किसी रात वाइल्ड सैक्स कर सकते हैं और अपने सैशन को रोमांचकारी बना सकते हैं. आप के पास मास्टरबेशन का भी औप्शन है. मास्टरबेट कर के फिजिकल रिलेशन के लिए खुद का मूड बनाएं. हैल्दी सैक्सलाइफ के लिए अपने खानपान में तरबूज, स्ट्राबैरी, बादाम, डार्क चौकलेट आदि शामिल करें. धूम्रपान से परहेज करें. इन टिप्स को बिंदास अपनाएं, आप खुद फर्क महसूस करेंगी.

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सेहत के लिए फायदेमंद काला नमक धान की खेती

लेखक-आरवी सिंह, विषयवस्तु विशेषज्ञ (प्रसार), कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती

खरीफ फसलों में धान उत्तर प्रदेश की प्रमुख फसल है. प्रदेश में चावल की औसत उपज में वृद्धि हो रही है. इसी कड़ी में प्रदेश और  देश में खुशबूदार (खुशबूदार चावल) की मांग भी काफी बढ़ रही है.

पूर्वांचल के जिलों में काला नमक धान की खेती की अलग ही पहचान है. इस की क्वालिटी के चलते बाजार भाव भी ज्यादा रहता है. पहले की प्रचलित काला नमक की प्रजातियों में कुछ समस्याएं जैसे उपज का कम होना, ज्यादा समयावधि, पौधों की लंबाई ज्यादा होने के चलते गिर जाना और ज्यादा पानी की जरूरत के चलते इस प्रजाति का क्षेत्रफल लगातार घटता गया. लेकिन काला नमक के खास गुणों के चलते भारतीय कृषि वैज्ञानिकों के लगातार शोध के बाद काला नमक की ज्यादा पैदावार वाली काला नमक 101, काला नमक 102 व काला नमक 103 किस्में बौनी, खुशबूदार व ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित की गई हैं. इन की खेती कर किसान ज्यादा मुनाफा उठा सकते हैं.

इन प्रजातियों में कई ऐसी खूबियां हैं, जो न केवल स्वाद में अच्छी मानी जा रही हैं, बल्कि ये कुपोषण को दूर करने में सब से ज्यादा मुफीद भी मानी जा रही हैं. इन प्रजातियों में निम्नलिखित खूबियां हैं :

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*      इन में दूसरे चावल की तुलना में आयरन 29.9 फीसदी व जिंक 31.1 फीसदी पाया जाता है, जो दूसरी सभी खुशबूदार प्रजातियों से सब से ज्यादा है.

*      इन के चावल में कुपोषण से लड़ने की ताकत ज्यादा होती है.

*      दाना काला, सफेद व बहुत ज्यादा खुशबूदार होता है

*      पैदावार पुराने काला नमक से डेढ गुना ज्यादा होती है.

*      20 अक्तूबर महीने के करीब बाली आती हैं और फसल नवंबर महीने के आखिर तक तैयार हो जाती है.

*      पुराने काला नमक से पकने में  2 हफ्ते कम समय लेती है.

*      पौधे की ऊंचाई तकरीबन 100-110 सैंटीमीटर तक होती है.

*      बालियां 20-25 सैंटीमीटर लंबी होती हैं.

*      दाने का प्रकार मध्यम होता है. इसे साधारण मशीन से भी कुटाई (चावल निकाला) किया जा सकता है.

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*      चावल का औसत बाजार भाव  55-60 रुपए प्रति किलोग्राम व मांग ज्यादा होने के चलते बेचने में कोई समस्या नहीं आती है.

*      चावल का फीसदी 65-70 तक पाया जाता है.

भूमि का चयन

सभी तरह की भूमियों में, जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, आसानी से इस की खेती की जा सकती है. वैसे, दोमट, मटियार व काली मिट्टी इस के लिए अच्छी होती है.

बीज की दर

काला नमक धान की तकरीबन 25-30 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर रोपाई के लिए सही है.

नर्सरी का प्रबंधन

काला नमक धान की नर्सरी दूसरी प्रजाति के धान की तुलना में देर से यानी जून के आखिरी हफ्ते से जुलाई के दूसरे हफ्ते तक डालना अच्छा रहता है. एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए तकरीबन 800-1000 वर्गमीटर क्षेत्रफल में नर्सरी डालना सही होता है.नर्सरी की बोआई से पहले 100 किलोग्राम नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालते हैं.

नर्सरी में यदि जस्ता (जिंक) या लोहे (आयरन) की कमी दिखाई पड़े, तो 0.5 फीसदी जिंक सल्फेट व 0.2 फीसदी के रस सल्फेट के घोल का छिड़काव करना अच्छा होता है.

प्रजातियों का चयन

काला नमक 101, काला नमक 102 व काला नमक 103 ये किस्में बौनी, खुशबूदार व ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां हैं, जो भारतीय राइस इंस्टीट्यूट फिलीपींस द्वारा विकसित की गई हैं. इन में से काला नमक 101 का नतीजा बहुत अच्छा है.

बीज शोधन

नर्सरी डालने से पहले बीज शोधन जरूर कर लें. इस के लिए जहां पर जीवाणु ?ालसा या जीवाणुधारी रोग की समस्या हो, वहां पर  25 किलोग्राम बीज के लिए 0.4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लिन या 40 ग्राम प्लांटोमाइसीन को मिला कर पानी में रातभर भिगो दें. दूसरे दिन छाया में सुखा कर नर्सरी डालें.

अगर जीवाणु ?ालसा की समस्या क्षेत्र में न हो तो 25 किलोग्राम बीज को रातभर पानी में भिगोने के बाद दूसरे दिन निकालने के बाद ऐक्स्ट्रा पानी निकल जाने के बाद 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बंडाजिम को 8-10 लिटर पानी में घोल कर बीज में मिला दिया जाए. इस के बाद छाया में अंकुरित कर के नर्सरी में डाला जाए. बीज शोधन के लिए बायोपैस्टिसाइड का इस्तेमाल किया जाए.

समय से करें रोपाई

नर्सरी डालने के 21-25 दिन बाद अच्छी तरह से तैयार किए गए खेत में इस की रोपाई करनी चाहिए. उचित गहराई व दूरी पर रोपाई इस प्रजाति की पौध की रोपाई 3-4 सैंटीमीटर से ज्यादा गहराई पर नहीं करनी चाहिए, वरना कल्ले कम निकलते हैं और उपज कम हो जाती है. पौधों की दूरी 20310 सैंटीमीटर की दूरी पर एक जगह पर 2-3 पौधे  लगाने चाहिए.

उर्वरक प्रबंधन

100-120 किलोग्राम नाइट्रोजन,  60 किलोग्राम फास्फोरस व 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से व सड़ी हुई गोबर की खाद 10-15 टन प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल अच्छा होता है. साथ ही, 20-25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर अच्छा नतीजा देता है.

खरपतवार प्रबंधन

धान की फसल में 2 तरीके से खरपतवार कंट्रोल किया जाता है. एक तो रोपाई के फौरन बाद और 3 दिन के अंदर ब्यूटाक्लोर 0.3 लिटर प्रति हेक्टेयर या एनीलोफास 1.5 लिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें या फिर रोपाई के 20-25 दिन के अंदर विस्पाईरीबैक सोडियम (नोमनी गोल्ड) 200-250 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर के खरपतवार पर काबू पाया जा सकता है.

यांत्रिकीकरण द्वारा खरपतवार नियंत्रण

अगर रसायनों का इस्तेमाल किए बिना निराईगुड़ाई के द्वारा खरपतवार कंट्रोल किया जाए, तो इस से उपज भी अच्छी मिलती है.

सिंचाई प्रबंधन

इस प्रजाति को खेत में बराबर नमी की जरूरत पड़ती है. यह 30-60 सैंटीमीटर अस्थायी पानी में भी अच्छी पैदावार देता है. ज्यादा पानी की दशा में जल निकासी का अच्छा इंतजाम करें.

फसल सुरक्षा

काला नमक धान की इन प्रजातियों में धान का बंका, तना छेदक, धान की गंधी और सैनिक कीट का प्रकोप प्रमुख रूप से होता है. कीट रसायन का प्रयोग अधिक प्रकोप के समय करना चाहिए. जहां तक संभव हो, एकीकृत प्रबंधन की विधियां अपनाई जाएं.

कटाई व मड़ाई

इस प्रजाति की धान की कटाई 85-90 फीसदी दानों के पक जाने के बाद कर लें. तैयार फसल की मड़ाई के लिए छाया में हवादार जगह पर सुखा कर मड़ाई करें.

काला नमक की इस प्रजाति की औसत उपज 40-45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

भारत भूमि युगे युगे: फसाद की जड़ दाढ़ी

युगे युगे फसाद की जड़ दाढ़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्वेतधवल दाढ़ी की वर्षगांठ जून में कभी पड़ेगी, इस का जश्न तो कोई कोरोना से हो रही मौतों के चलते मनाएगा नहीं, लेकिन दाढ़ी के एकवर्षीय इतिहास पर नजर डालें तो ये तथ्य सामने आते हैं- उन्होंने दाढ़ी बेवजह नहीं बढ़ाई थी, बल्कि कसम सी खाई थी कि अब दाढ़ी तभी कटेगी जब पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बन जाएगी. इस दाढ़ी के बढ़ते ही कोरोना आया और दाढ़ी के साथ बढ़ता गया. बढ़ती दाढ़ी और कोरोना के साथ उन की परेशानियां भी बढ़ती गईं.

दाढ़ी जब मध्यम थी तब वे बौलीवुड के खलनायकों- अजीत और अनवर- जैसे दिखते थे (70 फीसदी) फिर आसाराम (60 फीसदी) और बाद में रविंद्रनाथ टैगोर (40 फीसदी) जैसे दिखने लगे. अब जब ममता सरकार बना चुकी हैं तो उन्हें दाढ़ी कटवा कर अपने पुराने मनोहर रूप में आते 10 लाख रुपए वाला सूट 135 करोड़ लोगों के हित में पहन लेना चाहिए, शायद इस टोटके से बढ़ रहा विरोध थम जाए और कोरोना भी दाढ़ी न देख, हताश हो कर वुहान वापस चला जाए. कुत्तों ने बनाया सीएम असम के नए मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा शर्मा खासे काबिल व्यक्ति हैं. वे पीएचडीधारक हैं और गुहावटी हाईकोर्ट के वकील रहे हैं.

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वे कई खेल संगठनों के काफी कुछ रहे हैं. साहित्य उन्हें विरासत में मिला है. असम में उन्होंने भाजपा को खड़ा किया और एवज में भाजपा ने उन की श्रेष्ठि जाति को निहारते उन्हें सीएम की कुरसी पर बैठा दिया. अब उम्मीद है कि वे असम में हिंदुत्व का प्रचारप्रसार और जोरशोर से करेंगे. 2015 में हेमंत के कांग्रेस छोड़ने की वजह बड़ी दिलचस्प है कि जब काफी मुश्किलों के बाद वे राहुल गांधी से मिल पाए तो राहुल लौन में अपने कुत्तों से खेलते रहे, उन की बात सुनी तक नहीं. इस अनदेखी ने उन्हें विभीषण बना दिया और वे अमित शाह की बांह पकड़ भाजपा में शामिल हो गए.

जल्द ही रट्टू तोते की तरह उन्होंने रामराम कहना सीख लिया और अब पूरी रामायण कंठस्थ (याद) हो गई है. निष्कर्ष – हेमंत कांग्रेस नेता राहुल के कुत्तों की वजह से सीएम बने, भाजपा की कृपा से नहीं. हेमंत बनाम मोदी ?ारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बिना किसी लिहाज के कहा कि नरेंद्र मोदी को बजाय मन की बात कहने के काम की बात करनी चाहिए थी. इस पर कई भाजपाइयों ने उन पर चढ़ाई कर दी क्योंकि यह सरासर उन के जिल्लेइलाही की शान में गुस्ताखी थी. हुआ यों था कि मोदी कोविड को ले कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन कर राजनीतिक शिष्टाचार निभा रहे थे.

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गैरभाजपाई मुख्यमंत्रियों ने उन के फोन को ज्यादा भाव नहीं दिया. हेमंत सोरेन आमतौर पर शिष्ट व्यक्ति हैं. लेकिन मोदी के हिंदुत्व से उन का भी 36 का आंकड़ा है. लिहाजा, वे भड़क गए बावजूद इस के कि मोदी ने दिखावटी ही सही, बड़प्पन दिखाया था. बंगाल की हार के बाद की एक और किरकिरी का उदाहरण ही इस बेरुखी को कहा जाएगा. दमोह से मोह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कई दिनों से काफी दुखी हैं. पहला तो यह कि मोदीशाह से भाव नहीं मिल रहा, दूसरे, कोरोना मैनेज न कर पाने पर उन की काफी छिलाई हुई,

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तीसरे अकसर एक न्यूज चैनल का वीडियो वायरल हो जाता है जिस में विदिशा में उन की अरबों की प्रौपर्टी का वर्णन व चित्रण है और सब से ज्यादा अहम नया दुख यह है कि भाजपा दमोह उपचुनाव 17 हजार से भी ज्यादा वोटों से हार गई. जैसे मोदीशाह को बंगाल जीतने की उम्मीद थी वैसे ही शिवराज को दमोह से थी. कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए राहुल सिंह लोधी कांग्रेसी अजय टंडन के हाथों हारे तो इस का ठीकरा फोड़ने दिग्गज भाजपाई जयंत मलैया का सिर चुना गया क्योंकि दमोह उन का गढ़ है. लेकिन वे सिर ठीकरे के नीचे लाने को तैयार नहीं हुए तो कुछ भाजपाई ही कहने लगे हैं कि इसे सुपात्र यानी शिवराज के सिर फोड़ कर विवाद खत्म करो. मुख्यमंत्री बनने को तो 4 दिग्गज वेटिंग में हैं. –

पैसे नहीं तो धर्म नहीं

धर्म का धंधा पैसे पर चलता है. कोई भी धर्म हो, हिंदू, मुसलमान, सिख, पारसी या ईसाई, सभी के अपनेअपने ठेकेदार हैं जो इस धंधे को सदियों से चलातेबढ़ाते आ रहे हैं. वे सदियों से अपने क्रूर, नुकीले पंजे मासूम जनता के दिमागों पर इस तरह गढ़ाए बैठे हैं जो धर्म से इतर उन्हें कुछ सोचने ही नहीं देते.

पैसे के बिना धर्म का खेल नहीं चलता. धर्म और सत्ता दोनों का चोलीदामन का साथ है. धर्म को सत्ता का वरदहस्त हमेशा से मिला हुआ है. किसी भी राजा के काल को उठा कर देख लें, धर्म ने सत्ता को अपने अनुसार इस्तेमाल किया है. जिस ने भी धर्म और धर्म के ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठाई, उसे सत्ता ने नेस्तनाबूद कर दिया. सत्ता धर्म को और धर्म सत्ता को पोसता है और ये दोनों मिल कर आम आदमी का शोषण करते हैं.

इंसान जन्म से ले कर मृत्यु तक धर्म के धंधेबाजों की उंगलियों पर नाचता है. वे इंसानों में स्वर्ग, नरक, मोक्ष, मुक्ति, भूतप्रेत, आत्मा की शांति, पुनर्जन्म, आत्मा के भटकने, यातना सहने जैसी अवैज्ञानिक बातों से खौफ पैदा करते हैं और उन से नजात दिलाने के नाम पर कर्मकांड करवाते हैं व धन की अवैध वसूली करते हैं.

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घर में बच्चा पैदा हुआ नहीं कि मांबाप के खर्चे शुरू हो गए. घर के बूढ़े, जो धर्म के धंधेबाजों के हाथों जिंदगीभर मूर्ख बनते रहे, अपनी मूर्खता और अज्ञानता अपनी अगली पीढ़ी को सौंपते हैं. बूढ़े दादादादी, नानानानी बताते हैं कि अब बच्चे की छठी होनी है, अब बच्चे का नामकरण होना है, अब बच्चे का मुंडन होना है और अब बच्चे का अन्नप्राशन होना है. बता दें कि ये सबकुछ कोई पंडित या पंडितों का समूह ही करवाता है. इस तरह के अनेकानेक करतब हर घर में होते हैं. सिर्फ हिंदू धर्म में नहीं, बल्कि मुसलमान, ईसाई, सिख, पारसी और दुनियाभर के दूसरे तमाम धर्मों को मानने वाले ऐसे ही कठपुतलियों की तरह धर्म के ठेकेदारों की उंगलियों पर नाच रहे हैं.

घर में बच्चा पैदा हुआ तो जन्म के साथ ही ऐसे खर्च शुरू हो जाते हैं जो अगर न किए जाएं तो भी बच्चा नौर्मल तरीके से ही बड़ा होगा. मगर नहीं, धार्मिक आयोजन जरूरी है. वह न किया तो बच्चे की जिंदगी पर बड़ा संकट आ सकता है. यह डर हमारे दिलों में धर्म के ठेकेदारों ने कूटकूट कर भर दिया है. ‘अनहोनी’ का डर जीवनभर मनुष्य पर तारी रहता है. यही डर वह अपनी आगे की पीढ़ी को सौंप कर जाता है.

जरा सोचिए, घर में बच्चा पैदा हुआ तो घर के सभी सदस्य आपस में सलाहमशवरा कर के कोई अच्छा सा नाम अपने लाड़ले को दे सकते हैं. ऐसा करने से एक पैसे का खर्च भी नहीं होना है. मगर नहीं, धर्म के ठेकेदार हमें ऐसा करने नहीं देते. उन के एजेंट, जो डर की पिटारी अपने सिर पर ले कर घरघर में बैठे हैं, अपनी पिटारी खोल कर सारा डर बाहर छिड़कना शुरू कर देते हैं और दंपती यदि अपनी इच्छानुसार, अपनी जेब के अनुसार अपने बच्चे का नामकरण करना चाहे तो वह नहीं कर पाता है. उस के लिए पंडित, मौलवी, पादरी को बुलाना जरूरी हो जाता है.

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इसी तरह अन्नप्राशन, मुंडन, जनेऊ संस्कार, विवाह, मृत्यु जैसे अनेक संस्कार हैं जिन के जरिए ब्राह्मण टोली सदियों से जनता को लूटने में लगी है. हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख है. इस में गर्भाधान संस्कार से ले कर अन्त्येष्टि क्रिया तक शामिल हैं. विवाह, यज्ञोपवीत इत्यादि संस्कार तो बड़े ही धूमधाम से होते हैं. मुसलिम, सिख, ईसाई समाज में भी इसी तरह के भारीभरकम खर्चे हर अवसर पर किए जाते हैं.

कोरोनाकाल से पहले तक हम इन संस्कारों में ऐसे उल झे थे कि इसे न करने, न मानने, खर्च वहन न करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता था. सामर्थ्य न हो तो हम कर्ज ले कर इन संस्कारों को करते थे. क्योंकि, डर हावी था किसी अनहोनी का. लेकिन कोरोना ने धर्म और धर्म का पाखंड रचाने वालों के मुंह पर ऐसा करारा तमाचा मारा है कि वे दुबक के अपने घरों में जा छिपे हैं.

कोरोना का भयावह डर

आज कोरोना का डर धार्मिक डर से इतना बड़ा हो गया है कि इन के सारे संस्कार हवा हो गए हैं. पंडित, मौलवी, पादरी सब अपनी जान बचाने में लगे हैं. वाहिद मियां अपनी अम्मी के जनाजे की नमाज पढ़वाने के लिए मौलाना को बुलाने गए तो मसजिद के दरवाजे से ही लौटा दिए गए. 4 आदमी महल्ले के जमा नहीं हो पाए जनाजे को कंधा देने के लिए. हालांकि, वाहिद मियां की अम्मी का इंतकाल कोरोना से नहीं बल्कि हार्टअटैक के कारण हुआ था.

शंकर मिश्रा का भाई कोरोना के कारण खत्म हो गया. दाहसंस्कार नगरनिगम वालों ने कर दिया. मगर घर में कुछ पूजा की जानी तो जरूरी है. अब जजमान पंडितजी को फोन पर फोन कर रहा है कि घंटेभर को आ जाओ, छोटी सी पूजा करवा दो. मगर पंडितजी किसी सूरत में आने को तैयार नहीं हैं. अब उन के मुंह से यह नहीं निकल रहा है कि पूजा न हुई, तो जाने वाले को मोक्ष नहीं मिलेगा, उस की आत्मा इसी लोक में भटकती रहेगी आदिआदि.

रश्मि की माताजी को कोरोना हुआ और जब औक्सीजन की कमी के कारण सांस उखड़ने लगी तो रश्मि के पति उन को ले कर कई अस्पतालों में भटके, मगर कहीं एक औक्सीजन बैड नहीं मिला. किसी दोस्त ने कहा, वाराणसी से प्रयागराज ले जाओ वहां एक अस्पताल में बात कर ली है. उन्होंने गाड़ी का रुख प्रयागराज की ओर मोड़ दिया. अस्पताल में जगह मिल गई. मगर 3 दिनों बाद माताजी चल बसीं. दामाद ने घर पर फोन कर के पूछा, ‘‘अंतिम संस्कार कैसे करें? अस्पताल वाले बौडी हैंडओवर नहीं करेंगे. पंडितजी से पूछो.’’

पंडितजी ने कहा, ‘‘नगर पालिका जैसे दाह संस्कार कर रही है वही ठीक है. मृतदेह को घर लाना ठीक नहीं है.’’नगरनिगम मृत शरीर को प्लास्टिक में पैक कर के अन्य मृतकों के साथ ले गया. श्मशान में किसी को अंदर आने की अनुमति नहीं थी. एक चिता पर कितने शव जलाए जा रहे थे, पता नहीं. सूर्यास्त के बाद दाहसंस्कार नहीं होता, ऐसी मान्यता है, मगर कोरोना से मर रहे लोगों की चिताएं रातोंदिन जल रही हैं. और परिवार को नदी में प्रवाहित करने के लिए मृतक की अस्थियां तक नहीं मिल रही हैं. सारी मान्यताएं, सारे संस्कार, सारी प्रथाएं, सारी अनहोनियां इस कोरोनाकाल में धुआं हो गई हैं.

कब्रिस्तानों में एकएक कब्र में कितनीकितनी लाशें दफनाई जा रही हैं. मृतक को नहलाने, उस को नए साफ कपड़े पहनाने, जनाजे को कांधा देने, जनाजे की नमाज पढ़ने, मृतक भोज देने जैसी धार्मिक क्रियाएं क्या कहीं होती दिख रही हैं? नहीं. बस, आदमी मरा नहीं कि शव को एंबुलैंस में डाल कर सीधे कब्रिस्तान में ले जा कर गहरी कब्र में गाढ़ दिया जा रहा है. न नमाज न दुआ. न जनाजे को 4 कंधे नसीब हुए, न अंतिम विदाई देने को कोई सगासंबंधी, दोस्त आयागया.

अब जैसे कोरोना गांवदेहातों में फैल रहा है, मरने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है. गरीब के पास तो कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में दाखिल करवाने, औक्सीजन सिलैंडर का इंतजाम करने या दवा खरीदने तक के पैसे नहीं हैं. गांव के गांव श्मशान बनते जा रहे हैं. गरीब के पास धर्मकर्म करने के लिए पैसा नहीं बचा है. श्मशानों-कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची है.

बिहार के बक्सर के निकट गंगा नदी में बह कर आ रही सैकड़ों लाशें इस बात की गवाह हैं कि किसी को अंतिम संस्कार नहीं मिल रहा है. इधर मरे, उधर नदी में बहा दिए गए. क्या हिंदू, क्या मुसलमान सब की लाशें एकसाथ दरियाओं में बहाई जा रही हैं. ये मृतक उत्तर प्रदेश के भी हो सकते हैं और उत्तराखंड या बिहार के भी. गाजियाबाद के निकट यमुना में कई लाशें देखी गई हैं जिन्हें गिद्ध और जानवर नोच रहे हैं.

क्या इन दृश्यों को देख कर यह सवाल नहीं उठता कि अब तक धार्मिक क्रियाओं के नाम पर जो पैसा हम पंडितों, मौलवियों और समाज में इज्जत के नाम पर खर्च करते आए हैं, क्या वह जरूरी था या है? कोरोना ने एक  झटके में धार्मिक मान्यताओं की धज्जियां उड़ा दी हैं. कोरोना ने सम झा दिया है कि घरपरिवारों में होने वाले सुखदुख के किसी भी अवसर को धर्म के साथ जोड़ने या धर्म के ठेकेदारों के हाथों कुछ करवाने की जरूरत नहीं है. यह बात जितनी जल्दी आम आदमी की सम झ में आ जाए, एक बेहतर समाज बनाने के लिए उतना अच्छा होगा.

एक आम आदमी अपने जीवनभर की कमाई का जितना अंश धर्म के नाम पर खर्च करता है, यदि वह उस पैसे को स्वास्थ्य व शिक्षा के लिए खर्च करता तो शायद आज देश और देशवासियों की इतनी दुर्गति न

Mother’s Day 2022- टूटते सपने: भाग 2

यों तो आश्रम में सभी रहने वालों के अपनेअपने, किसी न किसी प्रकार के दुख थे किंतु इन दोनों की मित्रता, उन का आपसी सद्भावनापूर्ण व्यवहार उन दोनों को एकसूत्र में पिरोए था.दोनों को अपने घर लौटने की आशा थी. अरुणा कहती, ‘‘देख मन्नो, जब मुझे मेरा बेटा लेने आएगा तब तू भी मेरे साथ चलेगी. मैं तुझे इस आश्रम में अकेला नहीं छोड़ूंगी.’’

‘‘हांहां, क्यों नहीं, यदि मेरे बेटे मुझे लेने आएंगे, तब?’’ मन में सोचती कभी नहीं आएंगे, आना होता तो अब तक आ न गए होते. किंतु अरुणा की आशावादी दृष्टि उस में भी कहीं न कहीं आशा की एक लौ जलाए हुए थी कि शायद कभी उन के बेटों को उन की जरूरत महसूस हो. कितनी बरसातें आईं, कितने सावन आए, कितनी होलीदीवाली आईं पर वे न आए जिन की प्रतीक्षा थी. हर वर्ष दीवाली पर अरुणा हर वह पटाखे लाती जोजो उस के बच्चों को पसंद थे. पर पटाखे बिना जले ही पड़े रह जाते थे.

हर वर्ष की होली बेरंग ही बीत रही थी, कहां गए वो अबीरगुलाल, लालहरे रंग से भरी पिचकारियां? आश्रम में भी होली पर गुझिया बनतीं, अबीरगुलाल भी आते किंतु उसे तो अपनी होली याद आती थी. 15 दिन पहले से ही पापड़, चिप्स, चावल के सेव आदि बनते थे, एक सप्ताह पूर्व ही पकवान बनने शुरू हो जाते थे, मठरियां, काजू वाली दालमोंठ, तिलपूरी, गुझिया, दहीबड़े और भी न जाने क्याक्या. लोग आते थे उस के बनाए पकवानों को खा कर तारीफें करते थे और उस को लगता था कि उस की मेहनत सफल हो गई है. कहां गए वो सुनहरे दिन? क्या जीवनसंध्या इतनी भी बेरंग हो सकती थी, इस की तो उस ने कल्पना भी नहीं की थी लेकिन अब तो यही सत्य उन दोनों के सामने मुंहबाए खड़ा था. दोनों ही अपनेअपने गम में डूबी रहती थीं परंतु एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ती थीं. जीवन के इस कड़वे सत्य को स्वीकारने के बाद भी मोहभंग नहीं हुआ था उन का. आशा और आशा, यादें और यादें…यही तो धरोहर थीं उन की.

‘‘मन्नो, मेरा एक काम करोगी?’’

‘‘क्या, बोल न, ऐसा कौन सा कार्य बाकी रह गया है जो तुझे करना है?’’ मन्नो ने ठिठोली की लेकिन अरुणा की ओर देख कर सहम गई. वह शून्य में निहार रही थी, जैसे इस दुनिया से बहुत दूर किसी अनजानी दुनिया में विचरण कर रही हो. उस ने मन्नो की ठिठोली पर ध्यान नहीं दिया और बोलने लगी, ‘‘मैं ने अपने पोते की बहू के लिए मकरमुख कड़े बनवाए थे. सोचा था, उस की मुंहदिखाई में दूंगी लेकिन ऐसा लगता है कि उस समय को आने में अभी बहुत देर है और अब तो मेरे पास समय भी नहीं है. सोचती हूं, क्या कभी मेरे जीवन में वह सुअवसर आएगा. शायद नहीं, अब जीवन ही कितना शेष है?’’ कह कर अरुणा सिसक पड़ी.

‘‘अच्छा अरुणा, एक बात बता, हम माताएं अपने रक्त से अपने बच्चों की शिराओं को सींचती हैं, उन्हें जीवन प्रदान करती हैं, उन के सुख के लिए अपना सर्वस्व उत्सर्ग करने को तत्पर रहती हैं, सारे रिश्तेनातों से उन का परिचय कराती हैं. क्या वही बच्चे इतने निर्मोही हो सकते हैं?’’ मन्नो ने कहा.

अरुणा कुछ भी न कह सकी. वह केवल उस का हाथ पकड़ कर ढाढ़स देती रही. वह कर भी क्या सकती थी. भला एक अंधा दूसरे अंधे को क्या रास्ता दिखा सकता है. उस ने मनोरमा को साथ लिया और अपने कमरे में आ गई. एक छोटा सा बौक्स खोला जिस में से नवजात शिशु के लिए छोटा सा लाल रंग का स्वेटर निकाला, टोपी तथा छोटीछोटी जुराबें और एक छोटा सा दूध का गिलास.

‘‘देख मन्नो, यह मेरे आभास का थोड़ा सा सामान है. मैं जब इन चीजों को छूती हूं तो ऐसा लगता है जैसे छोटा, गदगदा सा प्यारा गोलमटोल आभास मेरी गोद में खेल रहा है, बारबार आंचल हटा कर बगल में मुंह मारता है. अभी भी इन सामानों से कच्चे दूध की महक आती है. यही मेरी थाती है,’’ कह कर अरुणा बिलख पड़ी.

मनोरमा कुछ भी न कह सकी किंतु विचारों से प्रतिपल वह अपने अतीत में भटक रही थी. जीवन के इस कड़वे सत्य को स्वीकारना ही अब इन की नियति थी. किंतु मन, उस पर कभी किसी का जोर चल पाया है कहीं, बारबार बीते दिनों की ओर ही भागता है. एक संतान के लिए लोग कितने जतन करते हैं, क्याक्या नहीं करते हैं किंतु क्या दे देती हैं संतानें उन को, सिवा अवसाद, एकाकीपन के. वे छोड़ देती हैं मातापिता को तिलतिल मरने के लिए. यह सब जानते हुए भी हम क्यों इस मृगमरीचिका के पीछे दौड़ते हैं. जब भी दोनों एकांत में होती थीं, अरुणा अपने मन की भड़ास निकालती थी किंतु मनोरमा चुपचाप सब सुनती रहती थी. उसे भी अपने बेटों पर बड़ा गरूर था किंतु सब मिथ्या निकला. उस की सोच थोड़ी आध्यात्मिक थी और वह सब को यही सलाह देती थी, ‘‘किसी से कुछ भी अपेक्षा न रखो. तुम्हारा जो भी कर्तव्य है, बस, उस का निर्वाह करते रहो.’’

किंतु जीवन की इस सांध्यबेला में जब वह एकदम अकेली पड़ गई तब उसे समझ में आया कि उपदेश देना कितना आसान है, किंतु जब स्वयं पर पड़ती है तब सत्य पर से परदा हट जाता है. थोड़ी देर में ही दोनों सामान्य हो चली थीं. शाम का समय हो चुका था. सभी लोग हौल में उपस्थित थे. मनोरमा और अरुणा ने सब से बाद में प्रवेश किया. प्रबंधक मनोहरजी ने उन्हें घूर कर देखा, दोनों सहम सी गईं क्योंकि वे विलंब से आई थीं. आश्रम में मनोहरजी का सभी सम्मान करते थे. यों तो वे भी अपनी संतानों की उपेक्षा के शिकार हुए थे किंतु वे एक पुरुष थे और कर्मठ थे. उन्होंने हार नहीं मानी और इस आश्रम के प्रबंधक बना दिए गए. सभी उन का बहुत सम्मान कते थे, अनुशासनहीनता उन्हें बरदाश्त नहीं थी.

रात का भोजन शुरू हुआ. भोजनोपरांत सभी स्त्रियां मनोरमा को घेर कर खड़ी हो गईं. उन सभी में मनोरमा बहुत लोकप्रिय थी. वह किसी को कढ़ाईबुनाई सिखाती तो किसी को लिखनापढ़ना या फिर तरहतरह के व्यंजन बनाना सिखाती थी. सभी स्त्रियां उसे अपनाअपना काम दिखा रही थीं. मनोरमा हंसहंस कर सब के कामों को देख रही थी तथा तारीफें भी कर रही थी. अरुणा का मन नहीं लग रहा था. वह अकेली ही अपने कमरे में चली आई और आते ही बत्ती बंद कर के सोने का उपक्रम करने लगी. मनोरमा ने आते ही बत्ती जला दी.

‘‘क्या करती है, सोने दे न,’’ अरुणा खीझ कर बोली.

‘‘अच्छा, बड़ी जल्दी नींद आ गई, रोज तो रात में 12 बजे तक मेरा सिर खा जाती है बकबक कर के और आज, नींद का बहाना मार रही है. चल उठ, अभी हम लोग दोदो हाथ रमी खेलेंगे.’’

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