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विश्वास का मोल :आशीष को अपने पैदा होने पर क्यों पछतावा हो रहा था – भाग 3

लेखिका-रेणु दीप

एक दिन मैं दीदी के साथ सो रही थी कि आधी रात को अचानक वे उठ कर बैठ गईं. उन्होंने मु झे  झक झोर कर जगाया और अपना सीना बेचैनी से मलते हुए कहने लगीं, ‘‘लल्ली… लल्ली, मेरे दिल पर बहुत बड़े पाप का बो झ है जिस के चलते मैं कलपकलप कर दिन बिता रही हूं. मेरे दिल का चैन छिन गया है. तेरी दिल्ली वाली वह नहीं जो बाहर से दिखती है. वह गिरी हुई एक औरत है. मैं ने एक गैरमर्द के साथ संबंध बनाए हैं. तेरे जीजाजी नामर्द हैं, सो, मैं बद्रीबाबा की मर्दानगी पर री झ गई थी. जिंदगी में पहली बार मैं किसी पूरे मर्द के संपर्क में आई थी और न जाने क्या हुआ, मैं उस पर अपना सबकुछ लुटा बैठी.

‘‘तेरे जीजाजी की नामर्दी के चलते मैं ने बहुत दिन अपनी देह की आंच में सुलग कर बिताए हैं. बद्रीबाबा की मर्दानगी पर मैं अपना तनमन, सबकुछ लुटा बैठी थी.  झरना और आशीष उसी बद्रीबाबा की संतानें हैं. मैं ने इतने बुरे कर्म किए हैं जिन की सजा विधाता ने मेरे आशीष को मु झ से छीन कर दी है. सच लल्ली, तेरे जीजाजी तो महान पुरुष हैं, सबकुछ जानसम झ कर भी उन्होंने कभी मु झ से एक शब्द तक नहीं कहा. उन्होंने आशीष और  झरना को सगे बाप सा प्यार दिया.

‘‘उसी बद्रीबाबा ने ही चिन्मयानंद की घुसपैठ मेरे घर में कराई और उस ने तेरे जीजाजी को नशे की लत लगा दी है जिस में डूब कर वे व्यापार से अपना ध्यान हटा बैठे हैं. तेरे जीजाजी का सारा व्यापार चिन्मयानंद ने अपने कब्जे में कर लिया था और मैं चिन्मयानंद को अपना मानती रही. उफ, यह मैं ने अपने ही घर में कैसी बरबादी कर डाली,’’ कह कर दीदी फूटफूट कर रो पड़ी थीं.

‘‘दिल्ली वाली, जो होना था सो तो हो चुका. तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे साथ हैं. चिंता मत करो. अब बद्रीबाबा और चिन्मयानंद का खेल खत्म हो चुका. वे अब तुम्हारा और अनिष्ट नहीं कर पाएंगे,’’ मैं ने दीदी को सांत्वना दे कर नींद की 2 गोलियां दी थीं जिस से वे नींद की आगोश में समा गई थीं.

इधर, पुलिस ने बद्रीबाबा के ठिकाने पर छापा मारा था जहां से उस ने नशीले पदार्थों का अपार भंडार जब्त किया था. बद्रीबाबा नशीले पदार्थों का व्यापार करता था. उस के ठिकाने पर करीब 25 साधुओं का गिरोह था. सारे साधु भ्रष्ट थे और उन्हें नशीले पदार्थों की लत थी. निसंतान और अन्य समस्याओं से जकड़ी औरतों व उन के परिवारजनों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से अपने चंगुल में फंसाना उन का पेशा था. वे अकसर बेऔलाद औरतों को अपनी वासना का शिकार बनाते थे. पुलिस ने बद्रीबाबा समेत सभी 25 साधुओं को गिरफ्तार कर लिया था.

आशीष के क्रियाकर्म के बाद एक दिन  झरना ने मु झे से कहा था, ‘मौसी, मु झे अपने अस्तित्व से घृणा हो गई है. अभी थोड़े दिनों पहले जब से मां ने मु झे बताया था कि मैं ब्रदीबाबा की संतान हूं, मैं इन साधुओं के प्रति अजीब सा अपनापन महसूस करने लगी थी.

‘‘मैं खुद को उन में से एक मानने लगी थी और जब चिन्मयानंद मेरे संपर्क में आया तो मैं उस की ओर बुरी तरह आकर्षित हो गई थी. लेकिन अब मेरा भ्रमजाल पूरी तरह टूट चुका है. ये साधुसंत निरे अपराधी होते हैं. अब तो मु झे मम्मीपापा को संभालना है. पापा को ठीक करना है. उन की नशे की लत छुड़ानी है जिस से वे एक बार फिर से सामान्य, खुशहाल जिंदगी जी सकें.’’

दीदी के घर पर सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी लगवा कर और उन्हें भलीभांति यह सम झा कर कि वे दोबारा बद्रीबाबा या चिन्मयानंद के किसी चेले या संगीसाथी से बात तक न करें, हम वापस लौट आए थे. लौटते वक्त बस एक ही विचार मन में बारबार आ रहा था कि धर्मभीरुता और सरल स्वभाव का कितना बड़ा खमियाजा चुकाना पड़ा था दिल्ली वाली को.

 

उस का हौसला : हर कोई सुधा की परवरिश पर दोष क्यों दे रहा था- भाग 3

लेखिका -डा. के रानी

“ऐसा नया जमाना तुम्हें ही मुबारक हो डिंपी जो तुम सब को इतनी बेशर्मी की छूट देता है.”
“आप को हमारी दोस्ती पर एतराज है ना मम्मी, तो ठीक है हम शादी कर लेंगे। तब तो किसी को कोई एतराज नहीं रहेगा। राहुल तुम मुझ से शादी करने के लिए तैयार हो?” डिंपी ने पूछा.

रमा के सामने मम्मीबेटी की बहस में राहुल चुप रहा। इस समय कुछ कह कर उन का गुस्सा बढ़ाना नहीं चाहता था। वह कभी सुधा आंटी का मुंह देख रहा था तो कभी रमा बुआ का.

“चुप कर। जो मुंह में आ रहा है वह बके जा रही है,”रमा जोर से बोली. “आंटी ठीक कह रही हैं. हमें बड़ों की इज्जत करनी चाहिए और उन का मान भी रहना रखना चाहिए,” कह कर राहुल दरवाजे से ही लौट गया.

डिंपी भी गुस्से से पैर पटकती हुई अपने कमरे में आ गई. रमा ने वहां रुकना ठीक नहीं समझा और घर लौट गई. अगर वह कुछ देर और वहां रुकती तो शायद बात बहुत बढ़ जाती. डिंपी की हरकतें देख कर सुधा आज बहुत परेशान थी.

डिंपी के कहे शब्द सुधा के कानों में हथौड़े की तरह बज रहे थे। वह बड़ी बेसब्री से परेश के औफिस से वापस आने का इंतजार कर रही थी. शाम को 6 बजे परेश घर आए। आते ही उन्होंने सुधा से पूछा,”तुम्हारा मुंह क्यों उतरा हुआ है?”

“यह तो तुम अपनी बेटी से पूछो.” “हुआ क्या है?” परेश बोले तो सुधा ने पूरी बात बता दी.
“डिंपी ने गुस्से में कह दिया होगा  मैं जानता हूं वह ऐसा नहीं कर सकती” “तुम उस से खुद ही पूछ लो,” कह कर पैर पटकते हुए सुधा वहां से हट गई.

सुधा के जाते ही डिंपी खुद ही पापा के पास आ गई। परेश ने पूछा,”यह मैं क्या सुन रहा हूं डिंपी?”
“आप ने ठीक सुना पापा.” “क्या कह रही हो तुम?” “पापा, मुझे राहुल पसंद है।”

“सबकुछ जान कर भी तुम ऐसी बात कर रही हो?”

“आप को समाज की परवाह है? मुझे नहीं.”

“तुम्हारे इस फैसले मे मैं तुम्हारा साथ नहीं दे सकता.”

“साथ तो आप को देना ही होगा पापा। मैं शादी करूंगी तो सिर्फ राहुल से और वह भी आप की सहमति से,” कह कर डिंपी वहां से चली गई।

परेश को उस से ऐसी उम्मीद ना थी। इतना सब होने पर भी परेश ने धैर्य नहीं खोया।

सुधा बोली,”सुन ली अपनी लाड़ली की बातें.”

परेश ने समझाया,”हमें डिंपी को कुछ समय देना चाहिए। हो सकता है उस ने जज्बात मे बह कर ऐसा कह दिया हो।”

“मैं तो आप को शुरू से ही कह रही थी कि मुझे डिंपी का राहुल से मेलजोल कतई पसंद नहीं है.”

“मैं ने उससे इस बारे में बात की थी. उस ने राहुल को केवल अपना दोस्त बताया था.”

“पता नहीं आप उस की हर बात को आंख मूंद कर कैसे सच मान लेते हैं.”

“तुम थोड़ा सब्र रखो सुधा। देख लेना एक दिन सब ठीक हो जाएगा.”

“अब ठीक होने के लिए बचा ही क्या है?”

“डिंपी हमारी बेटी है दुश्मन नहीं।”

“लेकिन काम तो वह दुश्मनों से भी बुरा कर रही है,” कह कर सुधा किचन में आ गई।

उस दिन के बाद से राहुल कभी डिंपी को छोड़ने घर नहीं आया। अकसर डिंपी ही उस से मिलने चली जाती। परेश ने डिंपी को सोचने के लिए पूरा 1 साल इंतजार किया लेकिन डिंपी ने अपना फैसला नहीं बदला।

“पापा, मैं राहुल से ही शादी करूंगी.”

“मैं इस की इजाजत नहीं दे सकता डिंपी। तुम चाहो तो कोर्ट मैरिज कर सकती हो.”

“पापा, मुझे यह सब करना होता तो बहुत पहले कर लेती। मैं चाहती हूं कि आप सब मेरी खुशी में शामिल हों।”

“मुझ से नहीं होगा, बेटा।”

“अपने बच्चों की खुशी से बढ़ कर दुनिया में कोई और खुशी नहीं होती पापा।

“तुम्हारे इस फैसले से पूरा परिवार नाखुश है।”

“मुझे उन की नहीं आप की परवाह है पापा?” कह कर डिंपी वहां से चली गई।

इस बारे में सुधा से उस की पहले ही बहुत बहस हो गई थी। डिंपी जानती थी यदि पापा मान गए तो मम्मी को उन की बात माननी ही पड़ेगी। राहुल के घर वालों को इस रिश्ते पर एतराज ना था। उन सभी को डिंपी बहुत पसंद थी।

डिंपी के घर में सामाजिक मर्यादाओं को ले कर ही अड़चन थी परेश जानते थे कि अपनी बिरादरी में भी उन्हें राहुल जैसा नेक और सुलझा हुआ दामाद नहीं मिल सकता। डिंपी  ने भी हार नहीं मानी।

परेश ने जब भी उसे समझाना चाहा उस का एक ही जवाब होता,”मैं राहुल के अलावा किसी और से शादी नहीं करूंगी.”

बेटी की जिद के आगे आखिर परेश  और सुधा को झुकना पड़ा। रिश्तेदारी में बड़ी थूथू हुई। बेटी की खुशी की खातिर परेश ने सादे समारोह में डिंपी और राहुल की शादी करा दी।

हरकोई सुधा की परवरिश को ही दोष दे रहा था जिस में बेटी को इतनी छूट दे रखी थी. अच्छे प्रतिष्ठित ब्राह्मण खानदान की बेटी इस तरीके से जनजाति परिवार में चली जाएगी, यह बात उन के गले से नीचे ही नहीं उतर रही थी. पीठ पीछे सब चटकारे ले कर बातें बना रहे थे। रमा के लिए भी यह सब सहन करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

रिश्तेदार परेश से तो कुछ ना कहते लेकिन रमा को खूब सुना कर चले जाते। रमा का मन इस शादी में शामिल होने का जरा भी नहीं था, मगर अमन की जिद के कारण रमा को भी इस शादी में शामिल होना पड़ा था।

परेश ने कुछ गिनेचुने लोगों को भी समारोह में बुलाया था. बिरादरी में बड़े दिनों तक इस की चर्चा होती रही और धीरेधीरे सब चुप हो गए थे।

ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती

लेखक-सुरेंद्र कुमार, आदित्य व जेएन भाटिया दलहनी

फसलों में मूंग की एक अहम जगह है. इस में तकरीबन 24 फीसदी प्रोटीन के साथसाथ रेशा व लौह तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. मूंग जल्दी पकने वाली किस्मों व ऊंचे तापमान को सहन करने वाली प्रजातियों की उपलब्धता के कारण इस की खेती लाभकारी सिद्ध हो रही है. सघन खेती, अंधाधुंध कीटनाशियों और असंतुलित खादों के इस्तेमाल से जमीनों की उर्वराशक्ति घट रही है और सभी फसलों की उत्पादकता में बेतहाशा गिरावट दर्ज की जा रही है. इन हालात से निबटने के लिए हरी खादों व दलहनी फसलों को अपनाएं व अपनी जमीनों की उर्वराशक्ति को बरकरार रखने और देश की बढ़ती हुई खाद्यान्न समस्याओं से निबटने में अपना भरपूर योगदान दें.

उन्नत किस्में : मूंग की बिजाई के लिए के-851 (70-75 दिन), मुसकान (65 दिन), एसएमएल-668 (60-65 दिन), एमएच-421 (60 दिन) व नई किस्म एमएच-1142 (63-70 दिन) की काश्त की जा सकती है, जो धान व गेहूं चक्र के लिए बहुपयोग पाई गई है. भूमि : अच्छी मूंग की फसल लेने के लिए दोमट या रेतीली दोमट भूमि अच्छी रहती है. समय पर बिजाई वाले गेहूं से खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन मूंग ली जा सकती है. इस के अलावा धानगेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में आलू, गन्ना व सरसों से खाली खेतों में ग्रीष्मकालीन मूंग ली जा सकती है. धानगेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में आलू, गन्ना व सरसों से खाली खेतों में भी मूंग की खेती की जा सकती है. भूमि की तैयारी : गेहूं की कटाई के एक हफ्ते पहले रौनी/पलेवा करें और गेहूं की कटाई के तुरंत बाद 2-3 जुताई कर के खेत को अच्छी प्रकार तैयार करें.

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इस बात का खास ध्यान रखें कि खेत में बिजाई के समय अच्छी नमी हो, ताकि संतोषजनक जमाव हो सके. बिजाई का सही समय : इस मौसम में वैसे तो मूंग की बिजाई फरवरी के दूसरे हफ्ते से मार्च महीने तक की जाती है, लेकिन धानगेहूं बहुमूल्य क्षेत्रों में गेहूं की कटाई यदि 15 अप्रैल तक भी हो जाती है, इस के उपरांत भी मूंग की अच्छी पैदावार ली जा सकती है, क्योंकि ये किस्में 55-65 दिन में ही पक कर तैयार हो जाती हैं. बीजोपचार : मृदाजनित रोगों से फसल को बचाने के लिए बोए जाने बीजों को कैप्टान, थिरम या बावस्टिन 3-4 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से सूखा बीज उपचारित करें. दलहनी फसलों में राईजोबियम (जीवाणु के टीके) से बीजोपचार करने से बनने वाली गांठें ज्यादा मजबूत होती हैं,

जो वायुमंडल में उपलब्ध नाइट्रोजन ले कर भूमि में जमा करती हैं. जीवाणु टीके से उपचार के लिए 50 ग्राम गुड़ को लगभग 250 मिलीलिटर पानी में घोल बना लें और छाया में पक्के फर्श पर बीज फैला कर हाथों से मिला दें, ताकि सभी बीजों पर गुड़ चिपक जाए. बाद में इन बीजों पर जीवाणु टीके का पैकेट व घोल को गुड़ लगे बीजों पर डालें और हाथ से मिलाएं, जिस से सभी दानों पर कल्चर लग जाए. इस के बाद बीजों को छाया में सुखा कर बिजाई के काम में लाएं. बीज की मात्रा : गरमी के मौसम में पौधों की बढ़वार अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए अच्छी पैदावार लेने के लिए बीज अधिक डालें व खूड़ से खूड़ का फासला भी कम रखें.

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पौधों की समुचित संख्या के लिए बीज की मात्रा 10-12 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ इस्तेमाल करें. खाद का प्रयोग : दलहनी फसलों को खाद की कम जरूरत होती है. बिजाई के समय 6-8 किलोग्राम नाइट्रोजन और 16 किलोग्राम फास्फोरस की जरूरत होती है, जिसे 12-15 किलोग्राम यूरिया व 100 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट से पूरा किया जा सकता?है. अच्छी पैदावार लेने के लिए 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ का प्रयोग जरूर करें. छंटाई : बिजाई के तकरीबन 2 हफ्ते बाद जब पौधे व्यवस्थित हो जाएं, तब पौधे से पौधे का फासला 8-10 सैंटीमीटर रख कर फालतू पौधे निकाल देने चाहिए. पौधों की सही बढ़वार के लिए छंटाई करना बहुत जरूरी है, ताकि प्रत्येक पौधे को उचित हवा, नमी, सूरज की रोशनी व पोषक तत्त्व पूरी मात्रा में उपलब्ध हो सकें.

खरपतवार पर नियंत्रण : खरपतवार फसल के दुश्मन होते हैं, क्योंकि वे जमीन से नमी का शोषण करते हैं और फसल की बढ़वार में बाधक साबित होते हैं, इसलिए पहली सिंचाई के बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार उग आते हैं, जिन्हें कसोले से निकाल देना चाहिए. पैंडीमिथेलिन (स्टांप) नामक खरपतवारनाशी 1.25 किलोग्राम को 200 लिटर पानी में घोल बना कर भी बिजाई के तुरंत बाद छिड़काव करने से खरपतवार पर काबू पाया जा सकता?है. सिंचाई : ग्रीष्मकालीन मूंग में सिर्फ 2 सिंचाई ही सही रहती हैं. फसल में पहली सिंचाई 20-25 दिन बाद की जाती है, जबकि दूसरी सिंचाई 15-20 दिन के बाद करनी चाहिए. ज्यादा सिंचाई करने से पौधों की बढ़वार बहुत ज्यादा हो जाती है,

फलियां कम लगती हैं और वे एकसाथ भी नहीं पकती हैं. कीड़े व रोग ग्रीष्मकालीन मूंग में खरीफ मूंग की अपेक्षा कीड़ों का प्रकोप कम होता है. कभीकभार बालों वाली सूंड़ी, पत्तीछेदक, फलीछेदक, हरा तेला व सफेद मक्खी आदि कीड़ों का प्रकोप देखने में आता है. बालों वाली सूंड़ी के नियंत्रण के लिए 200 मिलीलिटर मोनोक्रोटोफास 36 एसएल या 500 मिलीलिटर क्विनालफास का 200 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ छिड़काव करें. हरा तेला व सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए 400 मिली. मैलाथिआन या 250 से 300 मिली. रोगोर या मैटासिस्टौक्स का प्रयोग 200 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ छिड़काव करें. आमतौर पर ग्रीष्मकालीन मूंग में बीमारियों का प्रकोप नहीं होता.

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कभीकभार पत्ती धब्बा रोग व पीला मौजेक रोग का प्रकोप देखने में आता है. पत्ती धब्बा रोग : पत्तियों पर कोणदार व भूरे लाल रंग के धब्बे बन जाते हैं जो बीच में धूसर या भूरे रंग के और सिरों पर लालजामुनी रंग के होते हैं. इन धब्बों की रोकथाम के लिए ब्लाईटौक्स-50 या इंडोफिल एम-45 की 600-800 ग्राम दवा की मात्रा 200 लिटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ छिड़काव करें. पीला मौजेक रोग : मूंग में लगने वाला यह एक भयानक रोग है और इस रोग को सफेद मक्खी फैलाती है. इस रोग से प्रभावित पौधों के पत्ते दूर से ही पीले नजर आने शुरू हो जाते हैं. रोग अधिक फैलने से पूरा पौधा पीला पड़ जाता है. इस की रोकथाम के लिए जब भी खेत में पीले पौधे दिखाई पड़़ें,

उन्हें तुरंत उखाड़ देना चाहिए. यह रोग सफेद मक्खी से फैलता है, इसलिए समयसमय पर इस के लिए नियंत्रण के लिए रोगोर या मैटासिटौक्स कीटनाशी का 200 से 350 मिलीलिटर दवा का छिड़काव 100 से 200 लिटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ छिड़काव कर देना चाहिए. उपज व कटाई ग्रीष्मकालीन मूंग में बिजाई के तकरीबन 50-55 दिन बाद फलियां पकनी शुरू हो जाती हैं. पकने पर फलियों का रंग गहरा भूरा हो जाता है. एक एकड़ से तकरीबन 4 से 6 क्विंटल पैदावार मिल जाती है.

ग्रीष्मकालीन मूंग उगाने के फायदे

* अतिरिक्त आमदनी

* कम अवधि के चलते धानगेहूं फसलचक्र में उपयोगी

* खाली पड़े खेतों का सही इस्तेमाल

* भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार

* उगाने में कम खर्च

* पानी का सही इस्तेमाल

* बीमारी व कीटों का कम प्रकोप

* भूमि कटाव से बचाव

* दलहन उत्पादन में वृद्धि

* विदेशी मुद्रा में बचत

Goodbye Freddy से इस वजह से बाहर हुए कार्तिक आर्यन, जानें क्यों मेकर्स ने फिल्म से निकाला

कार्तिक आर्यन के फैंस को एक बार फिर से झटका लगा है. खबर है कि कार्तिक को शाहरुख खान के प्रॉडक्शन हाउस रेड चिलीज एंटरटेनमेंट में बन रही फिल्म ‘गुडबॉय फ्रेडी’ से बाहर कर दिया गया है. इसके पीछे की वजह कार्तिक आयर्न के स्क्रिप्ट में बदलाव करना बताया गया है.

दरअसल, कार्तिक आर्यन चाहते थे कि फिल्म के स्क्रिप्ट में कुछ बदलाव किया जाए जबकी फिल्म साइन करते वक्त उन्होंने स्क्रिप्ट को अप्रूव कर दिया था. जिस वजह से सारी समस्या हुई है.

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हालांकि अब जो खबर आ रही है वह हैरान करने वाली है. कार्तिक आर्यन चाहते थे कि फिल्म के डॉयरेक्टर अजय बहल को ही बदला जाए, जिस वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया है.

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खबर ये भी है कि बिना फिल्म मेकर्स को बताए कार्तिक आर्यन ने कई फिल्म के डॉयरेक्टर से इस फिल्म के बारे में बात कर ली थी. यानि बिना रेड चिलीज को बताए कार्तिक आर्यन फिल्म के लिए डॉयरेक्टर ढ़ूंढ रहे थें. जो कि बेहद ही ज्यादा गलत था.

 

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लेकिन अब इस बात में कितनी सच्चाई है वो तो कार्तिक आर्यन ही बता सकते हैं. इससे पहले भी कार्तिक आर्यन को लेकर खबर आई थी कि उन्हें करण जौहर के प्रॉडक्शन हाउस से निकाल दिया गया था यानि उन्हें धर्मा प्रॉडक्शन से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है.

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कुछ लोगों का कहना है कि कम समय में कार्तिक आर्यन को अपनी सफलता बर्दाश्त नहीं हो रही है. जिस वजह से ये सब कुछ हो रहा है.

Saath Nibhana Saathiya : अनंत कि बातों को न मानकर मुसीबत में फंस जाएगी गहना, जानें क्या होगा

टीवी सीरियल साथ निभाना साथिया सबका पसंदीदा है. अभी इस सीरियल में जबरदस्त ड्रामा देखने को मिल रहा है. गहना के पीछे बहुत लोग पड़े हुए हैं वह शादी के बाद भी खुश नहीं रह पा  रही है.

कनक और राधिका गहना को घर से निकालने के लिए किसी भी हद तक जा सकती हैं. राधिका का पोल खुलने के बाद भी वह अनंत का पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है.

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राधिका और कनक का जब पहला प्लान फेल हो गया तो गहना को फंसाने के लिए उन लोगों ने अब नया जाल बिछाया है. अब तक आपने इस सीरियल में देखा होगा कि अनंत राधिका का सच जान चुका है और उसे वह घर से बाहर निकाल देता है.

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इसी बीच गहना कनक को देख लेती है पैसे को अदल- बदल करते हुए. कनक की बातों को सुनने के बाद गहना इमोशनल हो जाती है और उसके मदद के लिए आगे आ जाती है. लेकिन गहना को क्या पता होता है कि कनक उसे ही फंसाने के लिए सारी साजिश रच रही है.

जिसके बाद गहना अनंत को गलत साबित करने के लिए मॉडलिंग कंट्रैक्ट को साइन करेगी और फिर गहना चाहती है कि वह राघिका और कनक की तरह स्टाइलिश नजर आए.

खुद के लुक को बदलने के चक्कर में गहना को फोटोशूट वाले एजेंसी के लोग उसे वनपीस पहनने को कहेंगे. इतने छोटे ड्रेस को देखकर गहना पहनने से इंकार कर देगी तो एजेंसी का मालिक उन पर भड़क जाएगा.

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जिसके बाद एजेंसी का मालिक गहना को कहेगा कि कंट्रैक्ट तोड़ने के उन्हें 25 लाख रूपय देने होगें जिसे जानकर गहना के पैर तले जमीन खिसक जाएगी . अब देखना यह है कि गहना खुद को वहा से कैसे बचाएगी.

जनप्रतिनिधि लें गांव के अस्पताल गोद

लखनऊ . कोविड के संक्रमण से ठीक हुए लोगों की सेहत को लेकर भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिक्रमंद हैं. करीब तीन हफ्ते पहले ही उन्होंने हर जिला हॉस्पिटल में पोस्ट कोविड केयर सेंटर बनाने के निर्देश दिए थे. इसी क्रम में अपने बस्ती दौरे के दौरान उन्होंने सभी जिलों में सौ बेड का पोस्ट कोविड वॉर्ड शुरू करने का निर्देश दिया.

बस्ती मंडल की समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने कहा कि प्रदेश के सभी जिलो में 01 जून से 18 से 44 वर्ष आयु के लोगों को कोविड-19 का टीका लगाया जाएगा . 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के अभिभावको, न्यायिक अधिकारियों, सरकारी कर्मचारियों तथा मीडिया के प्रतिनिधियों को टीका लगाने के लिए अलग से काउंटर खोले जायेंगे. उन्होने जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे एक-एक सीएचसी/पीएचसी गोद लें और वहां नियमित रूप से विजिट करें. अधिकारियों को निर्देश दिया कि टीकाकरण, सैनिटाइजेशन तथा फागिंग की सूचना जनप्रतिनिधियों को भी उपलब्ध कराएं जिससे वे इसका सत्यापन कर सके.

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि   कि प्रत्येक जिले में स्वच्छता, सैनिटाइजेशन एवं फागिंग, निगरानी समिति द्वारा स्क्रीनिंग एंव दवा किट वितरण, कोविड कमांड एवं कंट्रोल सेंटर द्वारा फील्ड में किए जा रहे कार्य का सत्यापन तथा कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए अस्पतालों की तैयारी को  प्राथमिकता दें.मुख्यमंत्री ने कहा कि बरसात को देखते हुए इंसेफेलाइटिस डेंगू, चिकुनगुनियां आदि बीमारियों से सुरक्षा के लिए भी समुचित प्रबन्ध किए जाएं . इसके लिए हर गांव एवं वार्ड में दिन में सैनिटाइजेशन तथा रात में फागिंग किया जाय.

मच्छरों के लार्वा को खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए. उन्होंने ग्रामीणों को खुले में शौच न करने तथा शौचालय का उपयोग करने को लेकर जागरूकता बढाने पर जोर दिया.

उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर को रोकने में सभी ने अच्छा कार्य किया है, लेकिन तब भी हमें सर्तक रहना होगा. यह एक महामारी है इसलिए सामान्य बीमारी से इसकी तुलना करना उचित नहीं है.

प्रदेश के सभी जिलों को आक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर जिले में प्लांट स्वीकृत किया गया है, उस पर काम भी चल रहा है. उन्होने निर्देश दिया कि प्रत्येक आक्सीजन प्लांट के लिए एक नोडल अधिकारी नामित करें, जो कार्यदायी संस्था से समन्वय स्थापित करके इसको शीघ्र स्थापित कराए . सरकार ब्लैक फंगस से निपटने के लिए विशेष प्रयास कर रही है.

उन्होंने कहा कि सीएचसी/पीएचसी पर अभी ओपीडी शुरू नही की जाएगी, लेकिन जिला अस्पताल में नानकोविड अस्पताल संचालित करके गंभीर रोगों के मरीजो का इलाज किया जायेगा .

अन्य लोग टेली कन्सल्टेन्सी के माध्यम से डाक्टरों से परामर्श कर सकते हैं . साथ ही महिला एवं बच्चों के लिए अलग से अस्पताल संचालित किए जाने पर उन्होंने जोर दिया . सभी सीएचसी/पीएचसी में साफ-सफाई, रंगाई-पोताई अगले एक सप्ताह में कराने और सभी उपकरण एंव मशीन सही कराने के निर्देश दिए . उन्होंने जिले के अस्पतालों में जिलाधिकारी तथा मेडिकल कालेज में वहां के प्रधानाचार्य, पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति के संबंध में कार्रवाई शुरू करने को कहा .

पैरामेडिकल स्टाफ, नर्स को मेडिकल कालेज से सम्पर्क करके टेनिंग दिलाए जाने की बात भी कही. उन्होंने वेंटीलेटर संचालित करने के लिए आईटीआई के छात्रों को ट्रेंड करने के निर्देश दिए.

जिले में कोई भूखा न रहे लिहाजा कम्युनिटी किचन का संचालन हो जिससे अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजन, मजदूर, स्ट्रीट वेंडर, पल्लेदार एवं फुटपाथ पर रह कर गुजारा करने वालों को दो वक्त का शुद्ध ताजा भोजन मिल सके.

उन्होने कोरोना कर्फ्यू के नियमों का कड़ाई से पालन कराने को कहा. साथ ही कंटेनमेंट जोन में कड़ाई बरते जाने को लेकर निर्देश दिए . उन्होंने कहा कि उद्योग, कृषि, सब्जी मण्डी खोलने की अनुमति दी गयी है, लेकिन वहां बेवजह की भीड़ एकत्र न होने दें. शादी-विवाह में 25 से अधिक लोगों को जाने की अनुमति न दें और इसका कड़ाई से पालन भी कराएं. जून माह में फ्री खाद्यान्न वितरित किया जाएगा. ऐसी व्यवस्था बनाये की पात्र व्यक्तियों को खाद्यान्न मिल सके .

फ्री टीकाकरण महाअभियान : चलेगा शहरों से लेकर गांवों तक

लखनऊ. कोरोना के खिलाफ लड़ाई में फ्री टीकाकरण को लेकर एक जून से होने वाले महाअभियान का प्लान तैयार कर लिया गया है. शहर से लेकर गांवों तक होने वाले टीकाकरण के लिए कम आबादी वाले हर जिले में कम से कम रोजाना एक हजार लोगों का टीकाकरण होगा. ऐसे ही अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक से दो अतिरिक्त कार्य स्थल पर कोविड वैक्सीनेशन सेंटर (सीवीसी) स्थापित किए जाएंगे. विभिन्न सरकारी कार्यों में फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीकाकरण में प्राथमिकता दी जाएगी.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व के सबसे बड़े निशुल्क टीकाकरण अभियान को और तेज गति से चलाने के निर्देश दिए हैं. कोविड वैक्सीनेशन संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवर है. देश में सबसे ज्यादा प्रदेश में 18 से 44 आयु वर्ग के युवाओं ने टीका लगवाया है. सीएम के निर्देश पर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने फ्री टीकाकरण महाअभियान को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है. एक जून से होने वाले टीकाकरण के लिए हर जिले में 18 से 44 आयु वर्ग के लिए रोजाना चार कार्य स्थल पर सीवीसी का आयोजन किया जाएगा. इसमें जिले स्तर पर न्यायालय के लिए, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग कार्यालय में अधिकारियों और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए और सरकारी कार्य स्थल के लिए दो सत्र स्थापित किए जाएंगे.

अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक से दो अतिरिक्त कार्य स्थल पर सीवीसी लगाए जाएंगे. आवश्यकतानुसार कार्य स्थल पर सीवीसी का स्थान परिवर्तित करते हुए राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मी, परिवहन कर्मचारी, रेलवे और अन्य राजकीय कार्यालयों में भी टीकाकरण किया जाएगा. इसके अलावा एक सरकारी कार्य स्थल पर राजकीय और परिषदीय शिक्षकों को वरीयता दी जाएगी. इसके अलावा हर जिले में रोजाना दो अभिभावक स्पेशल सीवीसी स्थापित किए जाएंगे, जिसमें 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता-पिता का टीकाकरण किया जाएगा.

सीएमओ को पहले दी जाएगी सूची, फिर होगा टीकाकरण

सूचना विभाग या मीडिया कर्मियों का टीकाकरण होने के बाद इसे सरकारी कर्मचारियों के कार्य स्थल में परिवर्तित कर दिया जाएगा और सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों का टीकाकरण किया जाएगा.

जिले स्तर पर रोजाना लगने वाले टीके की सूची न्यायालयों में जिला जज के कार्यालय से, मीडिया कर्मियों की सूची जिला सूचना अधिकारी से, शिक्षकों की सूची डीआईओएस या बीएसए से और अन्य सरकारी कर्मियों की सूची डीएम कार्यालय से पूर्व से बनाकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दिया जाएगा और उसी के अनुसार टीकाकरण कराया जाएगा. इन सभी कार्य स्थल पर सीवीसी में 45 और उससे अधिक आयु वर्ग के लोगों के लिए भी स्लाट रखे जाएंगे.

12 वर्ष से कम बच्चों के अभिभावकों को देना होगा प्रमाण पत्र

हर जिले में रोजाना दो अभिभावक स्पेशल सीवीसी लगाए जाएंगे, जिसमें 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के माता-पिता का टीकाकरण होगा. इसके लिए उन्हें पंजीकरण और टीकाकरण के समय अपने बच्चे की उम्र 12 वर्ष से कम होने का प्रमाण (आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र या कोई अन्य) पत्र देना होगा. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में एक अतिरिक्त अभिभावक स्पेशल सीवीसी लगाया जाएगा.

नगरों और गांवों पर भी फोकस

हर जिले में रोजाना तीन नगरीय क्षेत्रों में सीवीसी स्थापित किए जाएंगे. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में आवश्यकतानुसार अतिरिक्त नगरीय स्पेशल सीवीसी लगाया जाएगा. नगरीय क्षेत्र के पास टीकाकरण के लिए हर जिले में रोजाना एक सीवीसी लगाया जाएगा. ऐसे ही हर जिले में रोजाना ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दो सीवीसी स्थापित किए जाएंगे. अधिक आबादी वाले बड़े जिलों में आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त सीवीसी स्थापित किए जाएंगे.

कोरोना और पुलिस

इस देश की पुलिस पूरी तरह से कोरोना से लडऩे को तैयार है. जैसे वह हर आपदा में तैयार रहती है. हर आपदा में पुलिस का पहला काम होता है कि निहत्थे, बेगुनाहों, बेचारों और गरीबों को कैसे मारापीटा जाए. चाहे नोटबंदी हो, चाहे जीएसटी हो, चाहे नागरिक कानून हो, हमारी पुलिस ने हमेशा सरकार का पूरा साथ देकर बेगुनाह गरीबों पर जी भर के डंडे बरसाए हैं. किसान आंदोलन में भी लोगों ने देखा और उस से पहले लौकडाउन के समय सैंकड़ों मील पैदल चल रहे गरीब मजदूरों की पिटाई भी देखी. किसी भी बात पर पुलिस सरकार की हठधर्मी के लिए उस के साथ खड़ी होती है और जरूरत से ज्यादा बल दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती.

पश्चिमी बंगाल, बिहार, असम, तमिलनाडु में केंद्र के साथ पाॢटयों की पुलिस 5 नहीं 50000 से 5 लाख तक लोगों के गृहमंत्री या प्रधानमंत्री की चुनावी भीड़ के कोरोना के खिलाफ नहीं मान रही थी पर अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं, हर चौथे दिन एक दो घटनाएं सामने आ ही जाती हैं जिन में लौकडाउन को लागू कराने के लिए धड़ाधड़ डंडे बरसाए जा रहे थे.

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भारत की जनता अमेरिका जनता की तरह नहीं जो पुलिस से 2-2 हाथ भी कर सकती है. यह तो वैसे ही डरीसहमी रहती हैं. बस भीड़ हो तो थोड़ी हिम्मत रहती है पर इस पर जो बेरहमी बरती जाती है वह अमेरिका के जार्ज फ्लायड की हत्या की याद दिलाती है. फर्क इतना है कि अमेरिका में दोषी पुलिसमैन के लंबी जेल की सजा दी गई. यहां 5-7 दिन लाइन हाजिर कर इज्जत के बुला लिया जाएगा. अदालत में तो मामला चलाना ही बेकार है क्योंकि पुलिसवालों के अत्याचार, डंडों, मामलों में फंसा देने की धमकियों से गवाह आगे आते ही नहीं.

कोविड की तैयारी भी यहां पुलिस कर रही है, अस्पताल, डाक्टर, लैब पर दवा कंपनियां नहीं. सरकार को मालूम है कि पुलिस हर मौके का पूरा नाजायज फायदा उठाएगी.

कोविड के लिए लौकडाउन में जो लोग सडक़ पर चल रहे है या दुकान चला रहे हैं वे अपने लिए खुद जोखिम ले रहे हैं. वे नियम तोड़ रहे हैं पर दूसरों से ज्यादा नुकसान ले रहे हैं. वे नियम तोड़ रहे है पर दूसरों से ज्यादा नुकसान उन्हीं को हैं. सिर्फ इसलिए इन पर डंडे बरसाना कि आदेश को तोड़ा जा रहा बेरहमी है. यह सिनेमाघर के आगे टिकट के लिए लगी लंबी लाइन पर आंसू गैस छोडऩे की तर है क्योंकि इस से किसी और को नुकसान नहीं हो रहा है.

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पुलिस असल में मौका ढूंढ़ती है कि अपनी ताकत आम जनता को दिखा सके ताकि हर समय दहशत का माहौल बना रहे. यहां आमतौर पर शिकायत करने वालों को भी शक की निगाह से देखा जाता है. सिर्फ खेल खारा लोग ही पुलिस की मिलीभगत से शिकायतें करने की हिम्मत करते हैं. गरीब आदमी तो दूसरों की मार भी खा लेता है पुलिस की भी.

उम्मीद थी कि कोरोना में लोग बाहर न निकलें इसे समझाने के लिए……मैं बैठी पाॢटयों के पेशेवर ग्राहक आगे आएंगे. लेकिन उन्हें तो वेट चाहिए, मंदिर चाहिए, सत्ता चाहिए. ठेके चाहिए. जनता की जान बचानी है तो डंडाधारी पुलिस ही है उन के पास. बस. यही इस देश की हालत है.

महीने के उन 5 दिनों में कैसा महसूस करती हैं आप

9 से 12 साल की उम्र में शुरू होने से ले कर 50 साल या इस से ज्यादा समय तक होने वाली माहवारी यानी पीरियड्स न सिर्फ महिला की प्रजनन संबंधी क्षमता को दिखाते हैं, बल्कि उस की सेहत के भी प्रमाण होते हैं.

माहवारी आमतौर पर 5 दिनों तक होती है, लेकिन कई मामलों में यह 2 दिन या ज्यादा से ज्यादा 7 दिन तक भी रह सकती है. 2 दिन से कम ब्लीडिंग होने के लिए हारमोनल कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जैसेकि हाइपरथायरोइडिज्म यानी थायराइड हारमोन का जरूरत से ज्यादा बनना या पीआईडी यानी पैल्विक इनफ्लैमेटरी डिजीज या फिर टीबी का ऐसा संक्रमण जिस का संबंध गर्भाशय से हो.

अगर आप गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हैं तब भी आप के पीरियड्स हलके हो सकते हैं.

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अगर पीरियड्स नहीं आते

भारी पीरियड्स न सिर्फ हाइपरथायरोइडिज्म का संकेत हो सकते हैं, बल्कि ये गर्भाशय में फाइब्रौयड्स यानी यूटरस के अंदर बनने वाली मांसपेशियों के ट्यूमर के भी सूचक हो सकते हैं.

सामान्य पीरियड्स प्रत्येक 25-35 दिन के अंतराल में आते हैं. अनियमित पीरियड्स महिला को ओवेरियन सिस्ट, थायराइड आदि का संकेत हो सकते हैं.

अगर आप के पीरियड्स नहीं आते हैं, तो इस का पहला संभावित कारण होता है प्रैगनैंसी. अगर प्रैगनैंसी न हो तो तुरंत जांच करा कर पीरियड्स न आने के कारणों का पता कर इलाज कराएं.

सब से बुरा होता है इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग का सिगनल. यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिक पिल्स के इस्तेमाल की वजह से हो सकता है. यदि ऐसा है तो भी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से जरूर मिलें, क्योंकि ऐसे में ट्यूबल प्रैगनैंसी भी हो सकती है. इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग की जांच के लिए पैप स्मीयर टैस्ट और अल्ट्रासाउंड किया जाता है, क्योंकि इंटरमैंस्ट्रुअल ब्लीडिंग ओवेरियन सिस्ट अथवा सर्विक्स या फिर यूटरस के कैंसर तक का संकेत हो सकती है.

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क्या करें

सामान्य पीरियड्स में पहले या दूसरे दिन हलका दर्द हो सकता है, लेकिन यदि दर्द तेज हो तो यह फाइब्रौयड्स यानी गर्भाशय में रसौली या फिर ऐंडोमिट्रिओसिस यानी यह गर्भाशय की परेशानी की वजह से हो सकता है. ऐंडोमिट्रिओसिस एक ऐसी बीमारी है, जिस में गर्भाशय की बाहरी लाइनिंग के टिशूज में असामान्य ग्रोथ होने लगती है, जो सिस्ट या फिर घाव में बदल जाती है और पीरियड्स में तेज दर्द का कारण बन जाती है. कई मामलों में तो इस की वजह से गर्भधारण में भी कठिनाई आती है.

कई महिलाओं को इस की वजह से सैक्स के दौरान भी दर्द होता है. फाइब्रौयड्स गर्भाशय में होने वाली अहानिकारक ग्रोथ का परिणाम होते हैं जो आमतौर पर 5 से 19 एमएम से ले कर 15 से 20 सैंटीमीटर तक के होते हैं. इन की वजह से बारबार पेशाब आने या फिर कब्ज की परेशानी हो सकती है.

अधिकतर मामलों में पीरियड्स के दौरान मूड स्विंग, ब्रैस्ट में पीड़ा, ब्लोटिंग अथवा डिप्रैशन महसूस होता है. ऐसा पीरियड्स के सैकंड हाफ में बनने वाले हारमोंस की वजह से होता है. पीरियड्स के बाद महिला को काफी राहत महसूस होती है. इन परेशानियों को सही जीवनशैली अपना कर, व्यायाम कर और पीरियड्स के सैकंड हाफ में नमक कम खा कर दूर किया जा सकता है. विटामिन बी सप्लिमैंट और ईवनिंग प्रिमरोज औयल इस में फायदेमंद हो सकते हैं.

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ध्यान रखें

माहवारी शुरू होने के बाद के कुछ पीरियड्स और मेनोपौज यानी रजोनिवृत्ति के शुरुआती दिनों के कुछ पीरियड्स कुदरतन अनियमित हो सकते हैं, क्योंकि उस समय ओवुलेशन की प्रक्रिया सही ढंग से स्थापित नहीं हुई होती है. फिर भी यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि शुरुआत और आखिर में यदि हैवी और बारबार पीरियड्स हों यानी पीरियड्स में कोई भी अनियमितता होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाएं. यह एहतियात बरतने पर टीबी, ऐंडोमिट्रिओसिस, हाइपरप्लासिया यहां तक कि कैंसर के खतरे से भी बचा जा सकता है.

– डा. मीनाक्षी आहूजा (डाइरैक्टर ओब्स्टोट्रिक्स गाइनेकोलौजिस्ट, फोर्टिस लाफमे, नई दिल्ली)

Crime Story : अपहरण का खूनी नोटिस

सौजन्या-सत्यकथा

फिरोजाबाद जिले के थाना शिकोहाबाद का एक गांव है नगला सैंदलाल. इसी गांव में राजमिस्त्री रामभरोसे अपने परिवार के साथ रहता था. रामभरोसे की पहली शादी बिरमा देवी के साथ हुई थी. उस से 2 बेटियां सुनीता, गीता के अलावा एक बेटा विक्रम है. बिरमा देवी की बीमारी से मौत हो जाने के बाद रामभरोसे ने अपनी तीसरे नंबर की साली सोमवती से शादी कर ली. इस से एक बेटा करन व 3 बेटियां विनीता, खुशी और हिमांशी पैदा हुईं.

बात 9 मार्च, 2021 की है. सुबह करीब 7 बजे रामभरोसे की सब से छोटी बेटी 6 वर्षीय हिमांशी खेत पर जाते समय रास्ते से अचानक गायब हो गई. हुआ यह कि रामभरोसे की 21 वर्षीय बड़ी बेटी सुनीता छोटी बहन हिमांशी के साथ घर से खेत के लिए निकली थी. रास्ते में हिमांशी पीछे रह गई और सुनीता खेत पर पहुंच गई.

सुनीता हिमांशी के आने का इंतजार करती रही. जब करीब आधा घंटा बीत गया और हिमांशी नहीं आई तो सुनीता को चिंता हुई. उस ने लौट कर मां को बताया कि हिमांशी उस के साथ खेत पर जाने के लिए निकली थी, लेकिन वह रास्ते से कहीं गायब हो गई. इस पर मां ने सोचा कि रास्ते में कहीं खेलती रह गई होगी, आ जाएगी.

 

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लेकिन जब लगभग 2 घंटे बाद भी हिमांशी घर नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. पड़ोसियों के साथ ही घर वाले हिमांशी की खोजबीन में जुट गए. लेकिन हिमांशी का कोई पता नहीं चला. इसी बीच गांव वालों की नजर रामभरोसे के घर के दरवाजे पर चिपके एक पत्र पर गई. पत्र में सब से ऊपर पवन तोमर का नाम लिखा था. पत्र में लिखा था कि यदि सुनीता की शादी पवन से नहीं कराई तो बच्ची को मार दूंगा.
हिमांशी के अपहरण की बात पता चलते ही पिता रामभरोसे गांव के कुछ लोगों के साथ थाना शिकोहाबाद पहुंच गया और पुलिस को बेटी के अपहरण होने की पूरी जानकारी दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी सुनील कुमार तोमर अपनी टीम के साथ गांव पहुंच गए. उन्होंने सुनीता से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. अपने स्तर से पुलिस ने गांव में व आसपास के क्षेत्र में हिमांशी की तलाश की, लेकिन उस का कोई सुराग नहीं मिला. दिनदहाड़े गांव से लड़की के लापता होने से घर वालों के साथ ही गांव वालों की चिंता और आक्रोश बढ़ता जा रहा था.

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इस पर थानाप्रभारी ने उच्चाधिकारियों को घटना की जानकारी दी. जानकारी होते ही एसएसपी अजय कुमार पांडेय एसपी (ग्रामीण) अखिलेश नारायण सिंह, सीओ बलदेव सिंह खनेडा, एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह सहित कई थानों की फोर्स व डौग स्क्वायड की टीम के साथ गांव पहुंच गए.अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. खोजी कुत्ते को हिमांशी के पुराने कपड़े सुंघाए गए. इस के बाद उसे छोड़ा गया तो वह घर के पीछे ईंट भट्ठा तक पहुंचा. पुलिस आसपास सुराग खोजती रही, लेकिन बालिका हिमांशी का पता नहीं चला.

पुलिस जांच में सामने आया कि गांव के ही पवन और सुनीता के बीच प्रेमसंबंध थे. रामभरोसे के दरवाजे पर चिपके पत्र में भी लिखा था कि पवन का तलाक करवा कर सुनीता से शादी करवा दो. इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं सुनीता का इस मामले में हाथ हो सकता है. सुनीता या तो हिमांशी के अपहरण में खुद शामिल है या फिर उस ने किसी से यह काम करवाया है. जांच के दौरान कुछ नाम और भी सामने आए.सुनीता से इस संबंध में पूछताछ की गई तो वह पूरे घटनाक्रम से अनभिज्ञता व्यक्त करती रही. वह एक ही बात की रट लगाए जा रही थी कि खेत पर जाते समय हिमांशी पीछे रह गई थी और वह रास्ते से ही गायब हो गई थी.

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शादीशुदा पवन से पुलिस ने पूछताछ की. लेकिन उस ने हिमांशी के संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया. एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने दीवार पर चस्पा किए गए पत्र की लिखावट को पढ़ा. पवन की हैंडराइटिंग का मिलान कराया गया, लेकिन उस की हैंडराइटिंग अलग थी.इस के बाद सुनीता से पूछताछ की गई. पत्र की बारीकी से जांच के बाद शक की सुई सुनीता पर टिक गई. तब पुलिस सुनीता और पवन को हिरासत में ले कर थाने लौट आई. इस बीच एसओजी प्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में उन की टीम गांव में जा कर जांच में जुटी रही.

थाने ला कर पुलिस ने पवन व सुनीता से कड़ाई से पूछताछ की. पूछताछ पूरी करने के बाद शाम 3 बजे दोनों को ले कर पुलिस अधिकारी गांव पहुंचे. सुनीता को गांव के तालाब पर ले जाया गया. जानकारी मिलते ही बड़ी संख्या में गांव वाले भी तालाब पर पहुंच गए.सुनीता की निशानदेही पर तालाब के एक किनारे से हिमांशी का शव बरामद कर लिया गया. हिमांशी की तलाश के लिए पुलिस की तत्परता देख मां सोमवती को अपनी बेटी के मिलने का भरोसा था, लेकिन उसे यह उम्मीद नहीं थी कि वह मृत अवस्था में मिलेगी. हिमांशी का शव मिलने की जानकारी होते ही वह बुरी तरह फूट पड़ी. अन्य भाईबहन भी तालाब के किनारे पहुंच कर रोनेबिलखने लगे.

अपनी लाडली बेटी की हत्या से गमगीन पिता रामभरोसे को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि बड़ी बहन घटिया सोच के चलते अपनी छोटी बहन की हत्या कर देगी. पुलिस ने जरूरी काररवाई पूरी करने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भिजवा दिया. सुनीता पुलिस से यही कहती रही कि पैर फिसलने से हिमांशी तालाब में गिर गई और डूब गई थी. सुनीता का अब भी यह कहना था कि यह बात उस ने डर की वजह से घर वालों को नहीं बताई थी. पुलिस ने उसी दिन शाम को शव का पोस्टमार्टम करा दिया.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने दूसरे दिन 10 मार्च, 2021 को हिमांशी हत्याकांड का परदाफाश कर दिया. शादीशुदा युवक के इश्क में पागल सुनीता ने ही अपनी छोटी बहन हिमांशी का गला घोंट कर हत्या करने के बाद शव को तालाब में फेंक दिया था. हत्यारोपी सुनीता ने ही घर वालों, पुलिस और गांव वालों को गुमराह करने के लिए दरवाजे के बाहर अपहरण का पत्र चिपकाया था. पुलिस ने पिता द्वारा दर्ज कराए गए अपहरण के मुकदमे को हत्या में तरमीम कर दिया. सुनीता कंप्यूटर कोर्स कर रही थी. एसओजी टीम ने उस के बैग की कौपियां देखीं तो एक कौपी का पन्ना फटा था, जिस का मिलान पत्र से हो गया. असल में सुनीता ने पत्र लिखने के लिए जो कागज इस्तेमाल किया था, वह उस ने अपनी ही कौपी से फाड़ा था. उसे चिपकाने की लेई भी उस ने खुद बनाई थी. लेई की कटोरी भी घर के अंदर से बरामद कर ली गई.

इस सनसनीखेज कांड का खुलासा करने वाली टीम को एसएसपी अजय कुमार पांडेय ने 20 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की. सुनीता से पूछताछ करने पर पुलिस को पता चला कि उस ने अपने ही हाथों अपनी मासूम बहन की हत्या कर के अपने प्रेमी पवन को फंसाने की एक गहरी साजिश रची थी. इस केस की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अपनी मां की मौत के बाद पिता ने उस की मौसी सोमवती से शादी कर ली. सौतेली मां सोमवती के व्यवहार से सुनीता परेशान रहती थी. कुछ समय पहले एक प्लौट पिता ने खरीदा था. उस प्लौट को भी सोमवती ने अपने नाम करा लिया था. सारे दिन सुनीता घर के काम में ही लगी रहती थी. इसलिए उस ने कंप्यूटर सीख कर नौकरी करने का निर्णय लिया. सोमवती इस बात से खुश नहीं थी. वह चाहती थी सुनीता उस के साथ घरगृहस्थी के काम में हाथ बंटाए.

सुनीता ने गांव के पवन तोमर जो शिकोहाबाद में मैनपुरी चौराहा पर एक जनसेवा केंद्र चलाता था, के सेंटर पर कंप्यूटर ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया. वह उस के सेंटर पर जाने लगी. कंप्यूटर ट्रेनिंग के दौरान पवन और सुनीता का झुकाव एकदूसरे के प्रति हो गया. धीरेधीरे पवन और सुनीता के प्रेमसंबंध हो गए.पवन शादीशुदा था और उस की पत्नी व 2 बेटियां हैं. पवन भी सुनीता को बहुत प्यार करता था. अगर किसी दिन सुनीता सेंटर पर नहीं आती तो वह बेचैन हो जाता था. वे मिलने में पूरी सावधानी बरतते थे. दोनों कंप्यूटर सेंटर पर ही एकदूसरे से मिलते थे. और गांव में तो वे एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे.

कंप्यूटर सेंटर गांव से लगभग 2 किलोमीटर दूर था, इसलिए दोनों के प्रेम संबंधों के बारे में गांव में किसी को कानोंकान खबर तक नहीं हुई थी. सुनीता ने एक दिन पवन से कहा, ‘‘पवन, ऐसा कब तक चलेगा. हम दोनों एकदूसरे को प्यार करते हैं. आखिर हम छिपछिप कर कब तक मिलते रहेंगे? तुम मुझ से शादी कर लो.’’ ‘‘सुनीता तुम तो जानती हो कि मेरी पत्नी और 2 बेटियां हैं, ऐसे में मैं तुम से कैसे शादी कर सकता हूं.’’ पवन ने कहा.

सुनीता समझ गई कि पवन के शादीशुदा होने से शादी में पेंच फंस रहा था. वह कुछ क्षण सोचने के बाद बोली, ‘‘पवन, इस का एक उपाय यह है कि तुम अपनी पत्नी को तलाक दे दो और मुझ से शादी कर लो. क्योंकि मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.’’ पवन ने सुनीता को समझाया कि वह उस से प्यार तो करता रहेगा लेकिन शादी नहीं कर सकता.

जब सुनीता के लाख समझाने का भी पवन पर कोई असर नहीं हुआ तो उस ने पवन पर दवाब बनाने के लिए एक खौफनाक षडयंत्र रचा. सुबह खेत पर जाते समय सुनीता छोटी बहन हिमांशी को भी साथ ले गई.
तालाब के किनारे पेड़ों और झाडि़यों की आड़ में ले जा कर उस ने अपने हाथों से सौतेली बहन हिमांशी की गला दबा कर हत्या कर दी. इस के बाद उस के शव को तालाब में फेंक दिया.

इस के बाद वह घर आ कर हिमांशी के लापता होने का नाटक करने लगी. इसी बीच उस ने पहले से लिखे पत्र को घर के दरवाजे पर लेई से चिपका दिया. गांव के एक कोने पर घर होने से सुनीता की कारगुजारी को कोई देख नहीं पाया था. 10 मार्च, 2021 को पुलिस ने सुनीता को सौतेली बहन की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया.

अपराध करने वाला कितना भी शातिर हो, वह अपराध के बाद निशान छोड़ ही जाता है. फिर सुनीता तो अभी 21 साल की ही थी. गेम प्लान सुनीता ने रचा था, लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई.

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