युगे युगे फसाद की जड़ दाढ़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्वेतधवल दाढ़ी की वर्षगांठ जून में कभी पड़ेगी, इस का जश्न तो कोई कोरोना से हो रही मौतों के चलते मनाएगा नहीं, लेकिन दाढ़ी के एकवर्षीय इतिहास पर नजर डालें तो ये तथ्य सामने आते हैं- उन्होंने दाढ़ी बेवजह नहीं बढ़ाई थी, बल्कि कसम सी खाई थी कि अब दाढ़ी तभी कटेगी जब पश्चिम बंगाल में भाजपा की सरकार बन जाएगी. इस दाढ़ी के बढ़ते ही कोरोना आया और दाढ़ी के साथ बढ़ता गया. बढ़ती दाढ़ी और कोरोना के साथ उन की परेशानियां भी बढ़ती गईं.
दाढ़ी जब मध्यम थी तब वे बौलीवुड के खलनायकों- अजीत और अनवर- जैसे दिखते थे (70 फीसदी) फिर आसाराम (60 फीसदी) और बाद में रविंद्रनाथ टैगोर (40 फीसदी) जैसे दिखने लगे. अब जब ममता सरकार बना चुकी हैं तो उन्हें दाढ़ी कटवा कर अपने पुराने मनोहर रूप में आते 10 लाख रुपए वाला सूट 135 करोड़ लोगों के हित में पहन लेना चाहिए, शायद इस टोटके से बढ़ रहा विरोध थम जाए और कोरोना भी दाढ़ी न देख, हताश हो कर वुहान वापस चला जाए. कुत्तों ने बनाया सीएम असम के नए मुख्यमंत्री हेमंत विस्वा शर्मा खासे काबिल व्यक्ति हैं. वे पीएचडीधारक हैं और गुहावटी हाईकोर्ट के वकील रहे हैं.
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वे कई खेल संगठनों के काफी कुछ रहे हैं. साहित्य उन्हें विरासत में मिला है. असम में उन्होंने भाजपा को खड़ा किया और एवज में भाजपा ने उन की श्रेष्ठि जाति को निहारते उन्हें सीएम की कुरसी पर बैठा दिया. अब उम्मीद है कि वे असम में हिंदुत्व का प्रचारप्रसार और जोरशोर से करेंगे. 2015 में हेमंत के कांग्रेस छोड़ने की वजह बड़ी दिलचस्प है कि जब काफी मुश्किलों के बाद वे राहुल गांधी से मिल पाए तो राहुल लौन में अपने कुत्तों से खेलते रहे, उन की बात सुनी तक नहीं. इस अनदेखी ने उन्हें विभीषण बना दिया और वे अमित शाह की बांह पकड़ भाजपा में शामिल हो गए.