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स्टफ्ड मसाला इडली बनाने का आसान तरीका

इडली वैसे तो साउथ इंडियन डिश है लेकिन पूरे भारत में लोग इसे पूरे चाव से खाते हैं. इडली लगभग देश और विदेशों में रहने वाले भारतीय लोगों को पसंद आता है. आइए जानत हैं इंडली बनाने का तरीका.

सामग्री−

400 ग्राम इडली बैटर

चार उबले आलू

आठ से दस करीपत्ता

दो हरी मिर्च बारीक कटी

एक प्याज कटा हुआ

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हरा धनिया कटा हुआ

एक छोटा चम्मच अदरक लहसुन पेस्ट

दो टेबलस्पून कुकिंग ऑयल

हल्दी पाउडर

नमक स्वादानुसार

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विधि

स्टफ्ड मसाला इडली बनाने के लिए सबसे पहले आलू को मैश करके या फिर कद्दूकस करें. इसके बाद एक पैन गर्म करें और उसमें ऑयल डालें. जब ऑयल गर्म हो जाए तो इसमें करीपत्ता डालें. इसके बाद इसमें प्याज डालकर दो मिनट के लिए फ्राई करें. अदरक−लहसुन पेस्ट डालकर मिक्स करें. अब इसमें हल्दी व नमक डालकर मिलाएं. आखिरी में इसमें कद्दूकस किए हुए आलू डालकर  लो फलेम पर करीबन एक मिनट के लिए पकाएं. लास्ट में कट्टा हुआ धनिया पत्ता मिलाएं.

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इसके बाद आप इडली पॉट लें और उसमें एक गिलास पानी डालकर इडली पॉट को कवर करें. पानी को हाई फ्लेम पर गर्म होने दें. वहीं दूसरी ओर, इडली बैटर में थोड़ा सा नमक डालकर मिक्स करें. अब हाथों पर हल्का सा ऑयल लगाएं और थोड़ा सा आलू का मिश्रण लेकर छोटी−छोटी टिक्की बनाएं. इसी तरह सारे मिश्रण की टिक्की तैयार कर लें.

अब इडली टे लेकर उसमें थोड़ा सा ऑयल लगाकर उसे चिकना कर लें. इसके बाद हर खांचे में थोड़ा−थोड़ा इडली का बैटर डालें. इसके ऊपर तैयार टिक्की डालें और फिर ऊपर से थोड़ा सा बैटर और डालें. इसी तरह सारे खांचों में बैटर और टिक्की डालें. इडली पॉट गर्म होने दें.

गाकर मीडियम फ्लेम पर करीबन 15 मिनट के लिए इडली को पकने दें. आखिरी में गैस बंद करें और इडली के खांचे को थोड़ा ठंडा होने दें. चाकू की मदद से चेक करें अगर इडली बन गई है तो उसे सर्व करें. .

जब कोई युवती पहली बार सेक्स करती है तो बहुत दर्द होता है, क्या यह सच है?

सवाल

मैं 18 वर्षीय युवती हूं. मैं ने सुना है कि जब भी कोई युवती किसी युवक से पहली बार शारीरिक संबंध स्थापित करती है, तो बहुत दर्द होता है. क्या यह सच है और ऐसा क्यों होता है?

जवाब

कुंआरी युवतियों के यौनांग में एक पतली सी झिल्ली होती है, जिसे कौमार्य झिल्ली कहते हैं. जब कोई युवती पहली बार संबंध बनाती है तो वह झिल्ली फट जाती है, जिस से थोड़ा सा रक्तस्राव और हलका सा दर्द होता है.

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पहले मिलन को कुछ इस तरह से बनाएं यादगार

अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ पहले मिलन को यादगार बनाना चाहती हैं तो आप को न केवल कुछ तैयारी करनी होंगी, बल्कि साथ ही रखना होगा कुछ बातों का भी ध्यान. तभी आप का पहला मिलन आप के जीवन का यादगार लमहा बन पाएगा.

करें खास तैयारी: पहले मिलन पर एकदूसरे को पूरी तरह खुश करने की करें खास तैयारी ताकि एकदूसरे को इंप्रैस किया जा सके.

डैकोरेशन हो खास: वह जगह जहां आप पहली बार एकदूसरे से शारीरिक रूप से मिलने वाले हैं, वहां का माहौल ऐसा होना चाहिए कि आप अपने संबंध को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का प्रयोग कीजिए. आप चाहें तो कमरे में ऐरोमैटिक फ्लोरिंग कैंडल्स से रोमानी माहौल बना सकती हैं. इस के अलावा कमरे में दोनों की पसंद का संगीत और धीमी रोशनी भी माहौल को खुशगवार बनाने में मदद करेगी. कमरे को आप रैड हार्टशेप्ड बैलूंस और रैड हार्टशेप्ड कुशंस से सजाएं. चाहें तो कमरे में सैक्सी पैंटिंग भी लगा सकती हैं.

फूलों से भी कमरे को सजा सकती हैं. इस सारी तैयारी से सैक्स हारमोन के स्राव को बढ़ाने में मदद मिलेगी और आप का पहला मिलन हमेशा के लिए आप की यादों में बस जाएगा.

सैल्फ ग्रूमिंग: पहले मिलन का दिन निश्चित हो जाने के बाद आप खुद की ग्रूमिंग पर भी ध्यान दें. खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें. इस से न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप स्ट्रैस फ्री हो कर बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी. पहले मिलन से पहले पर्सनल हाइजीन को भी महत्त्व दें ताकि आप को संबंध बनाते समय झिझक न हो और आप पहले मिलन को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

प्यार भरा उपहार: पहले मिलन को यादगार बनाने के लिए आप एकदूसरे के लिए गिफ्ट भी खरीद सकते हैं. जो आप दोनों का पर्सनलाइज्ड फोटो फ्रेम, की रिंग या सैक्सी इनरवियर भी हो सकता है. ऐसा कर के आप माहौल को रोमांटिक और उत्तेजक बना सकती हैं.

खुल कर बात करें: पहले मिलन को रोमांचक और यादगार बनाने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करें. अपने पार्टनर से इस बारे में खुल कर बात करें. अपने मन में उठ रहे सवालों के हल पूछें. एकदूसरे की पसंदनापसंद पूछें. जितना हो सके पौजिटिव रहने की कोशिश करें.

सैक्स सुरक्षा: संबंध बनाने से पहले सैक्सुअल सुरक्षा की पूरी तैयारी कीजिए. सैक्सुअल प्लेजर को ऐंजौय करने से पहले सैक्स प्रीकौशंस पर ध्यान दें. आप का जीवनसाथी कंडोम का प्रयोग कर सकता है. इस से अनचाही प्रैगनैंसी का डर भी नहीं रहेगा और आप यौन रोगों से भी बच जाएंगी.

सैक्स के दौरान

 – सैक्सी पलों की शुरुआत सैक्सी फूड जैसे स्ट्राबैरी, अंगूर या चौकलेट से करें.

– ज्यादा इंतजार न कराएं.

– मिलन के दौरान कोई भी ऐसी बात न करें जो एकदूसरे का मूड खराब करे या एकदूसरे को आहत करे. इस दौरान वर्जिनिटी या पुरानी गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के बारे में कोई बात न करें.

– संबंध के दौरान कल्पनाओं को एक तरफ रख दें. पोर्न मूवी की तुलना खुद से या पार्टनर से न करें और वास्तविकता के धरातल पर एकदूसरे को खुश करने की कोशिश करें.

– बैडरूम में बैड पर जाने से पहले अगर आप घर में या होटल के रूम में अकेली हों तो थोड़ी सी मस्ती, थोड़ी सी शरारत आप काउच पर भी कर सकती हैं. ऐसी शरारतों से पहले सैक्स का रोमांच और बढ़ जाएगा.

– सैक्स संबंध के दौरान उंगलियों से छेड़खानी करें. पार्टनर के शरीर के उत्तेजित करने वाले अंगों को सहलाएं और मिलन को चरमसीमा पर ले जा कर पहले मिलन को यादगार बनाएं.

– मिलन से पहले फोरप्ले करें. पार्टनर को किस करें. उस के खास अंगों पर आप की प्यार भरी छुअन सैक्स प्लेजर को बढ़ाने में मदद करेगी.

– सैक्स के दौरान सैक्सी टौक करें. चाहें तो सैक्सुअल फैंटेसीज का सहारा ले सकती हैं. ऐसा करने से आप दोनों सैक्स को ज्यादा ऐंजौय कर पाएंगे. लेकिन ध्यान रहे सैक्सुअल फैंटेसीज को पूरा के लिए पार्टनर पर दबाव न डालें.

– संयम रखें. यह पहले मिलन के दौरान सब से ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है, क्योंकि पहले मिलन में किसी भी तरह की जल्दबाजी न केवल आप के लिए नुकसानदेह होगी, बल्कि आप की पहली सैक्स नाइट को भी खराब कर सकती है.

सैक्स के दौरान बातें करते हुए सहज रह कर संबंध बनाएं. तभी आप पहले मिलन को यादगार बना पाएंगे. संबंध के दौरान एकदूसरे के साथ आई कौंटैक्ट बनाएं. ऐसा करने से पार्टनर को लगेगा कि आप संबंध को ऐंजौय कर रहे हैं.

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Top 10 Best Raksha Bandhan Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रक्षाबंधन कहानियां हिंदी में

Top 10 Best Raksha Bandhan Story in Hindi: इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे रक्षा बंधन की खास कहानियां, जिसमें आप भाई- बहन के प्यार की अनोखा बंधन को दिखाएंगे, इस आर्टिकल में आपको 10 रक्षा बंधन की खास कहानियां को दिखाएंगे. जिससे आप भी अपने रक्षा बंधन को यादगार बना सकते हैं.

  1. Raksha Bandhan 2021 : सौगात- नमिता को किस बात की सबसे ज्यादा खुशी थी?

raksha bandhan 2021

लिफाफा नाम सुन कर एकबारगी उस के जेहन में तरहतरह के भाव पनपने लगे. फिर वह लिफाफे पर अंकित भेजने वाले के नाम को देख अपनी उत्सुकता को दबा नहीं पाई. वहीं खडे़खड़े उस ने लिफाफा खोला, जो उस के चचेरे भाई सुजीत ने भेजा था. लिफाफे के अंदर का कार्ड जितना खूबसूरत था, उस पर दर्ज पता उतने ही सुंदर अक्षरों में लिखा गया था. सुजीत ने अपने पुत्र मयंक की शादी में आने के लिए उन्हें आमंत्रित किया था. शादी का कार्ड नमिता की ढेर सारी स्मृतियों को ताजा कर गया. वह तेज कदमों से बढ़ी और बरामदे में रखी कुरसी पर बैठ गई. फिर लिफाफे से कार्ड निकाल कर पढ़ने लगी. एकदो बार नहीं, उस ने कई बार कार्ड को पढ़ा. उस ने कार्ड को लिफाफे में रखना चाहा, उसे आभास हुआ कि लिफाफे के अंदर और कुछ भी है. उस ने लिफाफे के कोने में सिमटे एक छोटे से पुरजे को निकाला.

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2.Raksha Bandhan Special: सत्य असत्य

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कर्ण के एक असत्य ने सब के लिए परेशानी खड़ी कर दी. जहां इसी की वजह से हुई निशा के पिता की मौत ने उसे झकझोर कर रख दिया, वहीं खुद कर्ण पछतावे की आग में सुलगता रहा. पर निशा से क्या उसे कभी माफी मिल सकी?घर की तामीर चाहे जैसी हो, इस में रोने की कुछ जगह रखना.’ कागज पर लिखी चंद पंक्तियां निशा के हाथ में देख मैं हंस पड़ी, ‘‘घर में रोने की जगह क्यों चाहिए?’’‘‘तो क्या रोने के लिए घर से बाहर जाना चाहिए?’’ निशा ने हंस कर कहा.‘‘अरे भई, क्या बिना रोए जीवन नहीं काटा जा सकता?’’

‘‘रोना भी तो जीवन का एक अनिवार्य अंग है. गीता, अगर हंसना चाहती हो तो रोने का अर्थ भी समझो. अगर मीठा पसंद है तो कड़वाहट को भी सदा याद रखो. जीत की खुशी से मन भरा पड़ा है तो यह मत भूलो, हारने वाला भी कम महत्त्व नहीं रखता. वह अगर हारता नहीं तो दूसरा जीतता कैसे?’’

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3.Raksha Bandhan 2021 : अकाल्पनिक

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एक रोज कंप्यूटर चेयरटेबल खरीदते  हुए शोरूम में बड़े आकर्षक  डबलबैड नजर आए. मम्मीपापा के कमरे में थे तो सिरहाने वाले पलंग मगर दोनों के बीच में छोटी मेज पर टेबललैंप और पत्रिकाएं वगैरा रखी रहती थीं. क्यों न मम्मीपापा के लिए आजकल के फैशन का डबलबैड और साइड टेबल खरीद ले. लेकिन डिजाइन पसंद करना मुश्किल हो गया. सो, उस ने मम्मीपापा को दिखाना बेहतर समझा. डबलबैड के ब्रोशर देखते ही गीता बौखला गई, ‘‘हमें हमारे पुराने पलंग ही पसंद हैं, हमें डबलवबल बैड नहीं चाहिए.’’‘‘मगर मुझे तो घर में स्टाइलिश फर्नीचर चाहिए. आप लोग अपनी पसंद नहीं बताते तो न सही, मैं अपनी पसंद का बैडरूम सैट ले आऊंगा,’’ मयंक ने दृढ़स्वर में कहा.

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3. Raksha Bandhan 2021 : मुंहबोली बहनें- रोहन ने क्यों दी रिश्ता खत्म करने की धमकी?

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ताईजी, खाना तो आप रोहन भैया को ही खिलाइए, मैं तो आज उन का खून पी कर ही अपना पेट भरूंगी,’’ कह कर मैं धड़धड़ाती हुई रोहन भैया के कमरे में घुस गई.

‘‘अरे मम्मा, आप ने इस भूखी शेरनी को मेरे कमरे में क्यों भेज दिया? यह तो लगता है मुझे कच्चा ही चबाने आई है,’’ मेरे तेवर और हावभाव देख कर रोहन भैया पलंग और कुरसी लांघते हुए भाग कर किचन में ताईजी की बगल में आ खड़े हुए. रोहन और सोनाली की लड़ाई की वजह जानने के लिए कल्कि करें यहां.

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4. Raksha Bandhan 2021 : खैरू की बलि- छोटी बहन के जन्म से घर में सन्नाटा क्यों छा गया

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जितने दिन पापा घर में रहे हर दिन त्योहार की तरह बीता. चूल्हे की आग से तपती कंचनवर्णा मां के चेहरे पर जरा भी शिकन न दिखाई देती. वह बड़ी फुर्ती से पापा की पसंद के व्यंजन बनाती रहतीं. दोपहर के 2-3 बजे पापा गांव से दूर घूमने निकल पड़ते. कभी हम बहनें भी उन के साथ चल देतीं. गोल, चमकीले, चौकोर पत्थरों के ऊपर जब कभी हम सुस्ताने बैठतीं तो पापा भी बैठ जाते. पापा ध्यान दिलाते, ‘देखो बच्चो, कितना सुंदर लग रहा है यह सब. खूबसूरत पहाड़, स्लेटी रंग के पत्थरों से ढकी छतें कितनी प्यारी हैं.’तब जा कर कहीं हमें पहाड़ों की सुंदरता का एहसास होता. पहाड़ी खेतों के बीच चलतेचलते सांझ हो जाती और फिर अंधेरा छाने लगता. मैं पापा को याद दिलाती कि अब हमें वापस चलना चाहिए. तारों की छांव में हम वापस मुड़ते. पहाड़ी ढलान पर चलना सहज नहीं होता, ऊपर तारों की चादर फैली हुई और नीचे कलकल करती पहाड़ी नदी. पापा बिना कठिनाई के कदम बढ़ाते साथ ही हमें ऊंचीनीची, संकरी जगहों पर हाथ पकड़ कर रास्ता तय करवाते.

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5. Raksha Bandhan 2021 : अनमोल रिश्ता-रंजना को संजय से क्या दिक्कत थी?

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मैं अपने मातापिता की एकलौती संतान थी और 12वीं में पढ़ती थी. पिताजी रेलवे में टीटीई के पद पर कार्यरत थे. इस कारण अकसर बाहर ही रहते. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण हम ने डिसाइड किया कि घर का एक कमरा किराए पर दे दिया जाए. बहुत सोचविचार कर पापा ने 2 स्टूडैंट्स जो ग्रैजुएशन करने के बाद आईएएस की तैयारी करने केरल से दिल्ली आए हुए थे, को कमरा किराए पर दे दिया. जब वे हमारे यहां रहने आए तो आपसी परिचय के बाद उन्होंने मुझे कहा, ‘पढ़ाई के सिलसिले में कभी जरूरत हो तो कहिएगा.’

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6. Raksha Bandhan 2021 : ऐसा क्या हुआ कि अमित का बड़े भाई के प्रति नजरिया बदल गया

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रवि घर में घुसता हुआ बोला, ‘‘मां, आज फिर अमित आवारा लड़कों के साथ घूम रहा था. मैं ने इसे उन के साथ जाने से मना किया तो यह नाराज हो गया. मैं ने इसे कईर् बार कहा है कि वे अच्छे लड़के नहीं हैं, जैसी संगत होगी वैसी रंगत आएगी. संभल जाओ, इस बार तुम्हारे 10वीं के पेपर हैं, 2 महीने बचे हैं. अब भी साल भर की तरह मटरगश्ती में रहोगे तो अच्छे अंक कैसे आएंगे?’’

‘‘हां, तू तो जैसे बड़े अच्छे अंक लाया था न 10वीं में. मनचाहा सब्जैक्ट भी नहीं ले सका. तुझ से तो अच्छे ही अंक लाता हूं कम पढ़ने पर भी. बड़ा बनता है, बड़ा भाई,’’ अमित ने नाराजगी जताई.

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7. Rakhi Special 2021 : अल्पना

मैं अमेरिका में ही था. तभी अल्पना की शादी हो गई थी. यह खबर मुझे अपनी मां से मिली थी. मां बाबा थे तब तक अल्पना और उस के परिवार की कुछ न कुछ खबर मिलती रहती थी… 7-8 साल पहले मां का और फिर बाबा का देहांत हो जाने के बाद कभी इतने करीबी रहने वाले अल्पना के परिवार से मानों मेरा संबंध ही टूट गया था. आजकल सचमुच जीवन इतना फास्ट हो गया है कि जो वर्तमान में चल रहा है बस उसी के बारे में हम सोच सकते हैं… बस उसी से जुड़े रहते हैं… कभीकभार भूतकाल इस तरह अल्पना के रूप में सामने आ जाता है तभी हम भूतकाल के बारे में सोचने लगते हैं.

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8. Raksha Bandhan 2021 : एक छोटी सी गलतफहमी – समीर अपनी बहन के बारे में क्या जाकर हैरान हुआ

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मलयेशिया की राजधानी क्वालालम्पुर में कई देशों की टीमें आई थीं. वहीं पर दीदी की मुलाकात अनुपम से हुई जो किसी पाकिस्तानी खिलाड़ी का रिश्तेदार था और उस के साथ ही क्वालालम्पुर आया था. दोनों की मुलाकात काफी दिलचस्प थी. दिन में दोनों एकसाथ कौफी पीने जाया करते थे. चेहरे के नैननक्श अपने जैसे होने के कारण दोनों ने एकदूसरे से बात करने में दिलचस्पी दिखाई. धीरेधीरे दोनों ने ही महसूस किया कि उन में दोस्ती के अलावा कुछ और भी है. इसी तरह 7 दिन की मुलाकात में ही उन का प्यार परवान चढ़ने लगा था. दीदी जब लौट कर आईं तो कुछ बदलीबदली सी थीं. मां की अनुभवी आंखों को समझते देर न लगी कि दीदी के मन में कुछ उथलपुथल मची है. मां के थोड़े से प्रयासों से पता चला कि दीदी जिसे चाहती हैं वह पाकिस्तानी हिंदू है. यद्यपि लड़का पाकिस्तान में इंजीनियर है पर वह पाकिस्तान से बाहर किसी अच्छी नौकरी की तलाश में है. कुल मिला कर लड़का किसी भी तरफ से अनदेखा करने योग्य न था. बस, उस का पाकिस्तानी होना ही सब के लिए चुभने वाली बात थी.

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9. Raksha Bandhan 2021: साहिल ने कैसे निभाया अपने भाई होने का फर्ज

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साहिल अपनी अम्मी की बातें सुन कर मुसकराता और कहता, ‘‘हां अम्मी, मैं अपना पूरा खयाल रखूंगा और खाना भी ठीक समय पर खा लिया करूंगा. वैसे भी अम्मी अब मैं बड़ा हो गया हूं और मुझे  अपना खयाल रखना आता है.’’

साहिल को इंटरव्यू देने जयपुर जाना था. उस के दिल में जयपुर घूमने की चाहत थी, इसलिए वह 10-15 दिन जयपुर में रहना चाहता था. सारा सामान पैक कर के साहिल अपनी अम्मी से विदा ले कर चल पड़ा.

अम्मी ने साहिल को ले कर बहुत सारे ख्वाब देखे थे. जब साहिल 8 साल का था, तब उस के अब्बा बब्बन मियां का इंतकाल हो गया था. साहिल की अम्मी पर तो जैसे बिजली गिर गई थी. उन के दिल में जीने की कोई तमन्ना ही नहीं थी, लेकिन साहिल को देख कर वे ऐसा न कर सकीं.

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10. Raksha Bandhan 2021 : कच्चे धागे- आशा के साथ कौन सी कहानी उस की भाभी ने दोहराई

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‘तुम सोच रही होगी कि इतने सालों बाद कैसे तुम्हें चिट्ठी लिख रही हूं. सच कहूं तो तुम से संवाद स्थापित करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पा रही थी. किस मुंह से तुम्हें चिट्ठी लिखती. जो कुछ भी मैं ने तुम्हारे साथ किया है, वह तो अक्षम्य है, पर तुम्हारा सरल हृदय तो सागर की तरह विशाल है. तुम उस में मेरा यह अक्षम्य अपराध अवश्य समेट लोगी, यही सोच कर लिखने की धृष्टता कर रही हूं. ‘मेरा हृदय अपने किए पर हमेशा मुझे कचोटता रहता है. सोचती हूं, अनजाने ही छोटे से स्वार्थ के वशीभूत हो कर अपनी ही कितनी बड़ी हानि की जिम्मेदार बनी. इन सालों में अकेले रह कर समझ पाई कि सारे नातेरिश्तों का सुंदर समन्वय ही जीवन को परिपूर्णता व सार्थकता प्रदान करता है और इन्हीं मधुर संबंधों में ही जीवन की परितृप्ति है.

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अज्ञातवास – भाग 3 : अर्चना किसे कहानी सुनाना चाहती थी ?

लेखक-एस भाग्यम शर्मा

“यह बात नहीं है नीरा. आज से 40 साल पहले की बात सोच. हम तो साधारण मध्यवर्गीय लोग बहुत ज्यादा डरते हैं. तुझे तो पता ही है. मैं ने गलती की, उस की सजा मुझे मिलनी चाहिए.”

“अरी पागल, तूने कोई गलती नहीं की, मनुष्य को जैसे भूख लगती है, ऐसे ही इस उम्र में शरीर की भूख होती है. कामशक्ति को भी शांत करना जरूरी है. इस शारीरिक भूख को भी यदि तरीके से शांत न किया जाए तो कई मनोवैज्ञानिक व शारीरिक परेशानियां हो जाती हैं. तुम 35 साल की हो गई थीं. तुम्हारी शादी नहीं हो रही थी. उसी समय तुम्हारी भेंट एक आकर्षक व्यक्तित्व से मिलना, उस का भी तुम्हारी ओर आकर्षित होना स्वाभाविक बात थी. तुम ने जो कदम उठाया वह गलत था, यह तो मैं नहीं कहूंगी. इस उम्र में गलती हो सकती है, उसे सुधारना चाहिए था. गलती मनुष्य से ही होती है. फिर आगे क्या हुआ, यह बताओ?”

“बेटा पढ़ लिया. बेटा होशियार था. सब ने मदद की. मैं भी वहीं पर नौकरी करती थी. पर बहुत ही कम रुपयों पर. मजबूरी का नाम महात्मा गांधी. खानापीना फ्री था ही, हाथखर्ची हो जाती थी.”

“पर बताओ तूने किसी से संबंध क्यों नहीं रखा?””भैया ने मना कर दिया था न, तुम किसी से संपर्क नहीं रखोगी? मुझे उन की बात रखनी थी न. बदनामी का मुझे भी डर था.”

“भैया ने तुम्हारी सुध नहीं ली?””नहीं, ऐसी बात नहीं. भैया तो मेरी राजीखुशी का समाचार पूछते रहते थे. जबतब रुपए भी भेजते थे.”

“तुम से मिलने कोई नहीं आया?”एक बार भैया आए थे और एक बार भाभी आई थीं. पर मेरा समय ही ख़राब रहा कि भैया और भाभी दोनों ही बहुत जल्दी एक साल के अंदर ही गुजर गए. एक बार बड़ा भतीजा आया था, उसी समय मैं ने उस को नंबर दे दिया था. तभी तो इतने दिन बाद तुम्हें मेरा नंबर मिल गया. यह मेरा अहो भाग्य.”

“तुम अज्ञातवास में रहीं. मैं ने सुना, रामायण में एक प्रसंग आता है कि अहल्या को भी इसी तरह अज्ञातवास में रहना पड़ा. खुद ही खेती करती, फसल उगाती, उसे स्वयं अकेले काटती और स्वयं ही बना कर खातीपीती रही. जैसे लोगों ने फैला दिया अहल्या पत्थर की शिला नहीं थी, उस ने तो कठोर अज्ञातवास ही सहन किया था. जिसे तुम भुगत रही हो. सचमुच में अज्ञातवास में रहना बहुत ही कष्टकारक है. खाना, कपड़ा और मकान जितना जरूरी है, हमें अपने लोग, हमारी पहचान इस की भी बहुत जरूरत है. इस के बिना रह कर तुम ने कितना कष्ट महसूस किया होगा, मैं सोच सकती हूं. इस  लौकडाउन  में तो हर कोई तुम्हारी तकलीफ को महसूस कर सकता है. परंतु इस समय तो इंटरनैट, मोबाइल सबकुछ है, उस समय तुम ने अपना समय कैसे काटा होगा?”

“नीरा, अब तो मेरा समय निकल गया. अब तो मेरी कइयों से दोस्ती हो गई. जो गलती हो गई, उस का फल भुगत लिया.””बारबार गलती मत कर, अर्चना. मुझे एक बात का दुख है कि तू समाज से अपने हक के लिए लड़ी नहीं. जिस आदमी ने तुझे धोखा दिया वह  आराम से रह रहा है. तू तो उस के बारे में नहीं जानती पर उस ने तो शादी भी कर ली होगी, बीवीबच्चे भी होंगे उस के! वह तो आदमी है, उस के सात खून माफ हैं? हम स्त्रियों की कोख है और हम मोह वश बच्चे को भी छोड़ना नहीं चाहतीं. यही हमारी कमजोरी है और हम बदनामी से डरते हैं.”

“अब क्या हो सकता है नीरा, जो बीत गई सो बीत गई.””अब तू वहां क्यों रह रही है? तेरा बेटा तो अब कमाने लगा, विदेश में रहता है.”

“जैसे ही मेरा बेटा कमाने लगा, मैं ने मकान ले लिया और हम  सुविधापूर्वक रहने लगे. बेटे की शादी भी हो गई. बहू आ गई और 2 बच्चे भी हो गए. फिर उसे एक अच्छा औफर मिला, तो वह विदेश चला गया.”

“तू क्यों नहीं गई?””मैं ने 3 बार वीजा के लिए अप्लाई किया था. पर अफसोस मुझे नहीं मिला. मैं वहीं रहती रही. फिर मुझे लगा, इस उम्र में अकेले रहना मुश्किल है. तब मैं सारे सामान को जरूरतमंद गरीबों में बांट कर यहां सेवा करने के लिए आ गई. मेरे बेटे ने बहुत मना किया. मुझे देखने वाला कोई नहीं है. कल कोई हारीबीमारी हो, तो कौन ध्यान रखेगा? यहां लोग तो हैं. मैं ने इन लोगों से रिक्वैस्ट की. ये लोग मान गए. पहले कुछ रुपए देने की बात हुई थी पर ये लोग मुकर गए, कहने लगे कि तुम्हारा बेटा कमाता है. खैर, खानापीनारहना फ्री है. और खर्चे के लिए बेटा भेज देता है.”

“यह जिंदगी तुझे रास आ गई?””रास आए न आए, क्या कर सकते हैं?  एक बात सुन, मेरी भोपाल जाने की इच्छा हो रही है. हम दोनों चलें.”

“अर्चना, बड़ा आश्चर्य… अभी भी तेरे मन में एक कोने में सब से मिलने की इच्छा हो रही है? अब कितनी मुश्किल है? हम दोनों 77 साल के हो गए. इस समय जाना ठीक नहीं है. अभी तो कोरोना है. मेरे घर वाले भी नहीं भेजेंगे. एक चेंज के लिए कभी हो सका, तो चलेंगे. अभी अपनी फोटो भेज. मैं भी अपनी भेजती हूं.”

“मेरे पास तो स्मार्टफोन नहीं है. बेटे ने ले कर देने के लिए कहा था पर मैं ने ही मना कर दिया. खैर, कोई बात नहीं, प्रिया के मोबाइल से भेज दूंगी. उस का नंबर तुम्हें दूंगी. तुम उस में भेज देना. प्लीज, मुझे फोन करते रहना. क्या मैं तुम्हें फोन कभी भी कर सकती हूं?”

“जरूर, तू ऐसे क्यों बोली, मुझे बहुत रोना आ रहा है? तू इतनी दयनीय कैसे बन गई? तुम कैसी थीं और कैसी हो गईं? यार, तुम्हारी क्या हालत हो गई!”

“नीरा, 60 साल बाद मुझे जो खुशी मिली, उस को कैसे भूल जाऊंगी. अब मैं सही हो जाऊंगी, देख, मरने के पहले किसी को यह कहानी सुनाना चाहती थी. तुम्हें सुना दिया. मैं हलकी हो गई. गुडबाय, फिर मिलेंगे.”

“गुडबाय, गुडनाइट” कह कर मैं ने फोन रख दिया.अपनी सहेली के मिलने की खुशी मनाऊं या उस की बरबादी पर रोऊं? कुछ समझ में नहीं आ रहा. हमारा समाज आखिर कब बदलेगा…

संपादकीय

अगर देश में माहमारी, गरीबी मंहगाई, बेरोजगारी के बावजूद लोग चुप हैं तो इसलिए कि सरकार का खुफिया तंत्र हर ऐसे जने पर नजर रख रहा है जो सच को समाने ला सकता है. इजराइल की एक कंपनी एनएसओ ने एक सौफ्टवेयर बनाया है जो सिर्फ एक ब्लैंक काल कर के किसी के टेलिफोन में डाला जा सकता है और फिर उस का कैमरा भी चालू हो जाएगा और मैसेज भी सौफ्टवेयर के जरिए उस इजरायली कंपनी के हाथों में होंगे.

भारत सरकार चाहे इंकार कर रही है पर विदेशी खोजी पत्रकारों ने पता लगाया है कि……..जैसे देशों ने इस सौफ्टवेयर को खरीदा है और भारत में 400 लोगों का फोन अब टैप हो रहा है. इस का अभास इन सब लोगों को है पर कोई सुबूत अब तक नहीं था और इसी अहसास की वजह से ये सरकार की पोलपट्टी खोल नहीं रहे थे कि अपने जैसे लोगों को कैसे ढूंढ़े और कैसे जनता के दर्द की बात का जगजाहिर करें.

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सरकार इस सौफ्टवेयर से राहुल गांधी, उस के साथियों, बहुत से पत्रकारों, अपने ही मंत्रियों की हरकतों पर नजर रख रही है और वे कुछ तैयारी करे उस से पहले गिरफ्तारी न करें तो भी कुछ न कुछ दबाव डाल देती. जनता के दर्द की आवाज बंद हो कर रह जाती. टीवी और समाचारपत्रों में काम करने वालों को एहसास रहा है और वे इसलिए कोविड से पहले और उस के दौरान जनता के दर्द को छिपा गए.

यह जरूर है कि बहुत से लोग चुप इसलिए है कि वे जातिगत भेदभाव बनाए रखने वाली सैंकड़ों सालों में बनी सरकार को टिकाए रखना चाहते हैं जो धर्म के धंधे को भी बढ़ावा देती है और जन्म से जिन्हें ऊंचा माना गया है, उन्हें ऊंचा रखने के नियम कानून बनाए जा रही है. वे पेगेसस जैसे सौफ्टवेयर को तो पौराणिक दिव्य ज्ञान का सा मानते हैं और उस की तारीफ करते हैं.

लोकतंत्र में सरकार के खिलाफ मिलबैठ कर योजना बनाने का हक हरेक को है. इस तरह की भारत सरकार से किसी तरह की स्वीकरोक्ति की आशा तो नहीं है कि वह अपने ही नागरिकों को भय की निगाह से देखती है और उन पर विदेशी दुश्मनों की तरह की सी नजर रखती है पर यह कार्य विपक्ष का है कि वह इस बात को चुनावी मुद्दा बनाए. सरकार के पास ङ्क्षहदूमुसलिम कार्ड का तुरूप का पता है जो वह हर मौके पर इस्तेमाल करती है पर यह कला विपक्ष को सीखनी होगी कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सरकार से रक्षा करने की जिम्मेदारी उसी की है.

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देश का पैसा देश के नागरिकों की गुप्चरी पर नहीं लगाया जा सकता. भारत सरकार, चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, पाकिस्तान में पनप रहे आतंकवादियों का अपनी गुप्चरी से पिछले 50-60 साल में बिगाड नहीं पाई. असली देशद्रोह तो यह निकम्मापन है. जिन के हाथ में देश की कमान है वे अ अगर अपने नागरिकों को दुश्मन समझने लगें और असली दुश्मनों से लेनदेन करने लगें तो इसे देशभक्ति नहीं कहा जा सकता.

यह न भूलें कि पेगेसस का सौफ्टवेयर यदि उतना कामयाब है कि वह किसी के भी मोबाइल में घुस सकता है तो और दुनिया के कितने ही प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर नजर रख रहा है तो भारत के नेता बचे होंगे, यह गलतफहमी न पालें. ऐसी कंपनी को पैसा देने वाला अपने खिलाफ भी गुप्चरी को बड़ावा दे रहा है, यह पक्का है.

बु्रसेल्स स्प्राउट की उन्नत खेती से बढ़ाएं आमदनी

किसानों के लिए सब्जी की खेती नकदी का सब से अच्छा जरीया माना जाता है. अगर सब्जियों की खेती वैज्ञानिक तरीकों से की जाए तो आमदनी और भी बढ़ जाती है. कुछ ऐसी विदेशी सब्जियां भी हैं, जिन्हें भारत की जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है. इन सब्जियों का बाजार रेट दूसरी भारतीय सब्जियों से अच्छा मिलता है. इस का एक कारण इन सब्जियों में शरीर की सेहत के लिए जरूरी कई तत्त्वों का मौजूद होना भी है, जो हमें बीमारियों से भी बचाती है. ऐसी ही एक सब्जी का नाम है ब्रुसेल्स स्प्राउट, जो पत्तागोभी से मिलतीजुलती है. ‘बेबी पत्तागोभी’ के नाम से भी यह जाना जाता है.

इस के एक पौधे में तनों पर पत्तागोभी की तरह ही 50 से 100 ग्राम के वजन की पत्तियों की गांठ बनती है, जिसे सब्जी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ब्रुसेल्स स्प्राउट को सलाद के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. ब्रुसेल्स स्प्राउट की सब्जी में सेहत के लिए खास माने जाने वाले प्रोटीन, विटामिन ए, विटामिन सी, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, खनिज लवण और कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. ब्रुसेल्स स्प्राउट को सेहत के नजरिए से अगर देखा जाए, तो खाने में इसे शामिल करने से वजन को कम किया जा सकता है. यह टाइप 2 डायबिटीज, हृदय रोग, कैंसर, आंखों की रोशनी, पाचन और हड्डियों को मजबूत करने में भी मदद करता है. ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेती भारत में हिमाचल प्रदेश सहित उत्तरी भारत के मैदानी व पहाड़ी इलाकों में की जाती है. अभी देश में बड़े पैमाने पर इस की खेती नहीं शुरू की जा सकी है. अगर किसान इस की खेती करते हैं, तो अपनी माली हालत को आसानी से सुधार सकते हैं. मिट्टी और खेत की तैयारी ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेती भारत के किसी भी क्षेत्र में की जा सकती है.

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इस की खेती के लिए सब से अच्छी हलकी दोमट मिट्टी होती है. बलुई दोमट और हलकी चिकनी मिट्टी में भी इस की खेती की जा सकती है. कार्बांशयुक्त जल निकास वाली हलकी दोमट मिट्टी से ब्रुसेल्स स्प्राउट की अच्छी उपज मिलती है. खेत की तैयारी ब्रुसेल्स स्प्राउट की खेत की तैयारी भी हम उसी तरह से करते हैं, जैसे गोभी की वैराइटियों के लिए खेत की तैयारी करते हैं. सब से पहले हमें खेत की 2-3 जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से कर के मिट्टी को भुरभुरा बना कर पाटा लगा देना चाहिए. इस से खेत की नमी बनी रहती है. उन्नत प्रजातियां बु्रसेल्स स्प्राउट की किस्मों को लंबा, मध्यम लंबा और बौना में बांटा गया है. लंबी किस्में तकरीबन 75 सैंटीमीटर की ऊंचाई तक और मध्यम ऊंची किस्में तकरीबन 55 से 60 सैंटीमीटर तक की लंबाई वाली होती हैं, वहीं बौनी किस्में 40 से 50 सैंटीमीटर तक लंबाई वाली होती हैं. इस में बौनी किस्म में अर्ली इंप्रूव्ड, अर्ली ड्वार्फ, ड्वार्फ इंप्रूव्ड, अर्ली मोर्न प्रमुख हैं. इस किस्म के पौधे की ऊंचाई 50 सैंटीमीटर तक होती है और इस में जो गोभी यानी स्प्राउट्स आती है, वह मीडियम साइज की होती है, जबकि मीडियम ऊंचाई वाली किस्मों में लौंग ए आइसलैंड, हाफ ड्वार्फ प्रमुख हैं, जबकि ऊंची किस्मों में वेड शायर और ऐवासम प्रमुख हैं. बोआई का उचित समय ब्रुसेल्स स्प्राउट की नर्सरी के लिए सब से अच्छा समय सितंबर से नवंबर महीने का होता है,

जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में इस की नर्सरी मार्चअप्रैल महीने में डाली जाती है. एक हेक्टेयर खेत के लिए नर्सरी डालने के लिए तकरीबन 500-600 ग्राम बीज की जरूरत पड़ती है. ब्रुसेल्स स्प्राउट के बीज को नर्सरी में डालने के लिए सब से पहले मिट्टी को भुरभुरी बना लेते हैं. इस के बाद मिट्टी में कंपोस्ट या केंचुआ खाद मिला कर क्यारियां बना लेते हैं. ध्यान रखें कि नर्सरी डालने के लिए जो क्यारियां बनाई जा रही हैं, उन की चौड़ाई एक मीटर और लंबाई 5 मीटर हो. एक हेक्टेयर खेत के लिए बीज की मात्रा के हिसाब से 4-5 क्यारियां बनाया जाना सही होता है. जब क्यारियां पूरी तरह से तैयार हो जाएं, तो क्यारियों में बीज की बोआई कर देनी चाहिए. ध्यान दें कि पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 3-4 सैंटीमीटर हो, जबकि बीज की दूरी 1-2 मिलीमीटर पर होने से पौधों का विकास अच्छा होता है. नर्सरी में बीज डालने के बाद मिट्टी में जरूरी नमी के लिए क्यारियों को 6 से 8 दिन के लिए पत्तियों से ढक देते हैं और जरूरत के मुताबिक सिंचाई करते रहते हैं. जब नर्सरी में पौधे 25 से 30 दिन के हो जाएं, तो पौधों को नर्सरी से निकाल कर तैयार किए गए खेत में रोप देते हैं. पौधों की रोपाई व देखभाल नर्सरी में डाले ब्रुसेल्स स्प्राउट्स के पौधों की लंबाई जब 8-10 सैंटीमीटर हो जाए, तो यह पौधे रोपाई के लायक तैयार माने जाते हैं.

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पौधों की रोपाई पहले से तैयार किए गए खेत में पौध से पौध की दूरी 45 सैंटीमीटर और पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सैंटीमीटर रखते हुए रोपाई करें. ध्यान रखें कि पौधों की रोपाई शाम के समय ही करें, क्योंकि धूप में रोपाई करने से पौधे मुरझा कर मर जाते हैं. पौधों को खेत में रोपने के तुरंत बाद सिंचाई कर दें. खाद व उर्वरक किसी भी फसल में संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरक का प्रयोग किया जाना फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को बढ़ा देता है. ऐसे में ब्रुसेल्स स्प्राउट से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खाद व उर्वरक की सही मात्रा और समय पर दिया जाना जरूरी हो जाता है. फसल से अच्छा उत्पादन मिले, इस के लिए 10 से 12 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए. इस के अलावा पौधरोपण के समय प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन 80 से 100 किलोग्राम, फास्फोरस 60 से 80 किलोग्राम व पोटाश की 50 से 60 किलोग्राम मात्रा का प्रयोग करें. जब पौधों को खेत में रोपे 20 दिन बीत जाएं, तो नाइट्रोजन की 40 से 50 किलोग्राम मात्रा का प्रयोग फिर से करें. कीट व बीमारियों का नियंत्रण ब्रुसेल्स स्प्राउट की फसल में अगर किसी तरह की कीट या बीमारियां दिखाई पड़ती हैं, तो किसान प्रभावित पौधे का हिस्सा ले कर फौरन अपने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र पर विशेषज्ञ फसल सुरक्षा से संपर्क करें.

यहां किसानों को न केवल उचित सलाह मिलती है, बल्कि कीटनाशकों की संतुलित मात्रा के प्रयोग व प्रयोग विधि की जानकारी भी दी जाती है. फसल की सिंचाई पहली सिंचाई पौध रोपने के तुरंत बाद की जाती है. इस के अलावा 10-12 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें. इस तरह पूरी फसल के दौरान 6-7 सिंचाई सही रहती हैं. खरपतवार पर नियंत्रण व पौधों पर मिट्टी चढ़ाना ब्रुसेल्स स्प्राउट्स के खेत में रोपाई के 20 दिन बाद खरपतवारों को निराईगुड़ाई कर के निकाल दें. इस के साथ ही पौधों की जड़ों में मिट्टी भी इसी समय चढ़ा दें. चूंकि फसल में अधिक खरपतवार पौधों की बढ़वार में नुकसानदायक होते हैं. ऐसे में फसल तैयार होने तक 3-4 बार निराईगुड़ाई करें, जिस से खरपतवार नष्ट होते रहते हैं. फसल की कटाई और उत्पादन ब्रुसेल्स स्प्राउट्स फसल की कटाई फसल अवधि के दौरान कई बार की जाती है. जब स्प्राउट 3-4 सैंटीमीटर की मोटाई या गोलाई के हो जाएं, तब इन्हें काट लेना चाहिए. स्प्राउट्स की कटाई के बाद इस में फिर से स्प्राउटिंग आने लगती हैं. इस प्रकार अगर स्प्राउट्स की फसल अच्छी आई है, तो इस से एक से डेढ़ किलोग्राम तक स्प्राउट्स हासिल होता है. इस तरह प्रति हेक्टेयर 1,500 से 2,000 क्विंटल तक उत्पादन हासिल होता है.

6 भाषाओं में बनने वाली फिल्म ‘‘गांधी टाॅक्स’’में होगी अदितिराव हैदरी व विजय सेतु पति की जोड़ी

पिछले कुछ समय से दक्षिण भारत के फिल्मकार व कलाकार बड़ी तेजी से बाॅलीवुड में कदम रख रहे हैं.इन्ही में से एक हैं-अभिनेता विजय सेतु पति.‘विक्रम वेधा’और ‘मास्टर’को हिंदी में डब कर हिंदी भाषी दर्शकों  के बीच अपनी अच्छी खासी पहचान बनाने के बाद विजय से तुपति ने मशहूर फिल्मकार संतोष सिवन निर्देषित हिंदी फिल्म‘‘मुंबईकर’’की शूटिंग पूरी की है.तो वहीं वह ‘अंधाधुन’’फेम निर्देषक श्रीराम राघवन की फिल्म ‘‘मेरी क्रिसमस’’में कटरीना कैफ के साथ नजर आने वाले हैं.इसी के साथ वह निर्देषक द्वय राज एंड डीके की अगली वेबसीरीज में शाहिद कपूर के साथ अहम किरदार निभा रहे हैं.

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इतना ही नही सूत्रों की माने ताजी स्टूडियो की मूक फिल्म‘‘गांधी टाॅक्स’’में वह अदितिराव हैदरी संग काम करने वाले हैं.यह फिल्म गांधी जी के आदर्शों को समेटे एक डार्क कॉमेडी है,जिसे मराठी फिल्मकार किशोर पांडु रंगबे लेकर निर्देषित कर रहे हैं.वैसे विजय से तुपति और अदितिराव हैदरी इस हिंदी फिल्म से पहले 2018 में प्रदर्शित मणि रत्नम की गैंगस्टर ड्रामा फिल्म ‘‘चेक्का चिवंथावानम‘‘ में भी एक साथ अभिनय कर चुके हैं.यहां यह ध्यान रखने की जरुरत है कि ‘‘गांधी टॉक्स’’सिर्फ हिंदी में नही  बल्कि हिंदी के अलावा मराठी,तमिल, तेलुगू, कन्नड़ा और मलयालम में भी प्रदर्षित होगी. भारतीय सिनेमा में कमल हासन के कैरियर में मील का पत्थर मानी जाने वाली मूक ‘पुष्पक’के 34 साल बाद कोई बहु भाषी मूक फिल्म बनायी जा रही है.

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फिल्मकार किशोर बेलेकर की ‘मूक फिल्म ‘गांधी टॉक्स’से भारतीय सिनेमा में मूक फिल्मों का एक नया प्रयोग शुरू होने जा रहा है.इस फिल्म में ए आर रहमान का पाष्र्व संगीत होगा.
फिल्मकार किशोर बेलेकर के नजदीकी सूत्रों की माने तो अति महत्वाकांक्षी फिल्म है.सूत्र बताते हैं कि वह इस कहानी पर पिछले 19 वर्ष से कामकर रहे हैं.फिल्म की शूटिंग अगले वर्ष की शुरूआत में  शुरू होगी.

Super Dancer 4 : सेट पर इमोशनल हुईं गीता कपूर, शिल्पा भी खुद को रोक नहीं पाई

डांसिंग रियलिटी शो सुुपर डांसर 4 में इस समय लंबे वक्त के बाद शिल्पा शेट्टी की वापसी होने वाली है. अपकमिंग एपिसोड की शूटिंग के लिए शिल्पा कुछ दिनों पहले ही सेट पर शूट करते नजर आई थीं. मकर्स अब के बाद एक शो के प्रोमो को रिलीज करते जा रहे है.

इस हफ्ते सुपर डांसर 4 के कंटेस्टेंट अमर कथा का चित्रण अपने डांस के जरिए करेंगे. आर्शिया और अनुराधा के परफार्मेस देखने के बाद गीता कपूर काफी ज्यादा इमोशनल हो गई. वह खुद को रोक नहीं पाई और शो पर जोर-जोर से रोने लगीं.

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तो वहीं शिल्पा शेट्टी भी इस परफॉर्मेस पर स्टैंडिंश ओवेशन देने से खुद को रोक नहीं पाई. बता दें कि एक लंबे वक्त के बाद शिल्पा शेट्टी वापस लौटी हैं इस शो पर दूबारा जज की भूमिका में.

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शिल्पा शेट्टी पति राज कुंद्रा का पोर्न मामला सामने आने के बाद से शिल्पा शेट्टी ने सुपर डांसर 4 से दूरी बना ली थी. लेकिन जैसे ही यह मामला ठंडा हुआ है वह शो पर वापस लौट आईं हैं.  दोबारा सेट पर वापस आकर शिल्पा शेट्टी जब शूटिंग करने लगी तब उस वक्त उनके आंख में आंसू थें.

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जिसके कारण सेट पर इमोशनल माहौल बन गया था. एक खबर में यह खुलासा हुआ है कि जैसे ही शिल्पा शेट्टी अपने वैनिटी वैन से बाहर निकलकर सेट पर जाने के लिए पहुंची वैसे ही लोगों ने उन्हें घेर लिया. वहीं शो के प्रतियोगी उन्हें काफी ज्यादा मिस कर रहे थें इसलिए उन्होंने उनका जोरदार स्वागत भी किया.

शिल्पा शेट्टी इतने लोगों का प्यार देेखकर काफी ज्यादा भावुक हो गई और वह रोने लगी, शिल्पा को रोता देख लोगों ने उन्हें गले लगा लिया.

मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाऊंगा – भाग 1 : विजय जी व इंदु के रिश्ते में क्या दिक्कत थी

लेखक – नरेंद्र कौर छाबड़ा

टेबल पर खाना लगाने के बाद इंदु ने विजयजी को आवाज लगाई, “आइए, खाना तैयार है…”80 साल के विजयजी धीरेधीरे चल कर टेबल तक पहुंचे. कुरसी पर बैठते ही आदतन उन्होंने पूछा, “क्या बनाया है आज?“

“आप की पसंदीदा सब्जी मटरपनीर…” एक कौर मुंह में डालते ही वे बोले, ”बहुत तेज मिर्ची है…” इंदु ने एक चम्मच सब्जी चखी और बोल पड़ी, “जरा भी तो तीखी नहीं है. मैं ने मिर्ची भी बहुत कम डाली थी. आप के मुंह में छाले तो नहीं हो गए?“

“तुम्हें तो मेरी हर बात गलत ही लगती है…” विजयजी कुछ नाराजगी से भर उठे. इंदु चुप हो गई. एक कटोरी में दही डाल कर उन के आगे रखते हुए इंदु ने कहा, “यह डाल लें सब्जी में तो तीखी नहीं लगेगी…”

खाने की टेबल पर हर 10-15 दिनों में पतिपत्नी के बीच नोकझोंक हो ही जाती है. विजयजी शुरू से ही खाने के शौकीन रहे हैं. कभी उन्हें नमक कम लगता है, तो मिर्च ज्यादा. कभी तेल अधिक, तो कभी खटाई ज्यादा. कभी सब्जी ठीक से पकी नहीं तो कभी बहुत अधिक पक गई जैसी शिकायतें होती हैं.

इंदु कभी तो चुप लगा जाती है, पर कभीकभी चिढ़ भी जाती है. फिर दोनों के बीच नोकझोंक या हलकी सी तकरार भी हो जाती है. विजयजी के परिवार में पत्नी के अलावा बेटाबहू और 2 पोते हैं. बेटा नामीगिरामी कंपनी में प्रबंधक है और बहू भी एक कंपनी में उच्च पद पर है. दोनों ही सवेरे 9 बजे के आसपास निकल जाते हैं और शाम के तकरीबन 7 बजे के बाद ही लौटते हैं.

इंदु को खाना बनाने का शौक भी है और वक्त भी अच्छा कट जाता है,इसलिए बेटेबहू के कहने पर भी उन्होंने खाना बनाने के लिए किसी को स्वीकार ना कर स्वयं ही बनाना जारी रखा. दोनों ही पोते बहुराष्ट्रीय कंपनियों में दूसरे शहर में नौकरी करते हैं. साल में 2-3 बार परिवार के साथ यहां सब से मिलने आ जाते हैं.

जून का महीना था. हवा में उमस थी. विजयजी व इंदु घर के समीप बने बगीचे में गए. कोने में रखी सीमेंट की कुरसी उन की प्रिय है. अकसर वे दोनों वहीं जा कर बैठते हैं. आजकल बगीचों में भी ज्यादा भीड़ नहीं होती. बच्चे अपनी पढ़ाई, क्लासेस, मोबाइल में व्यस्त हैं. समय ही नहीं है उन के पास. उन के जैसे कुछ बुजुर्ग दंपती इधरउधर की सीटों पर बैठे दिख जाते हैं.

विजयजी ने इंदु का हाथ पकड़ कर कहा, “तुम्हें दोपहर को मेरी बात का बुरा लगा ना… सौरी.” यह सुन कर इंदु अकबका गई और बोली, “छोड़ो भी… यह तो चलता ही रहता है…”उस ने देखा कि विजयजी की आंखों में सचमुच पछतावे के भाव नजर आ रहे हैं. वह झट बोली, ”कोई दूसरी बात करो. हां, बहुत दिन हो गए कोई गाना नहीं सुनाया आप ने….”

विजयजी कई बार पुराने मनपसंद गीत गुनगुनाते रहते हैं. इंदु के कहने पर वे गुनगुना उठे, “ऐ मेरी जोहरा जबीं तू अभी तक है हसीं और मैं जवान, तुझ पर कुर्बान मेरी जान…” हमेशा की तरह इंदु शरमा कर मुसकरा दी.

“एक मिनट ठहरो,“ विजयजी ने कहा और समीप लगे गुलाब के पौधे से फूल तोड़ कर इंदु के बालों में लगाने लगे. “ये क्या कर रहे हैं आप? कोई देखेगा तो क्या कहेगा? इस बुढ़ापे में…”“कहने दो. अपनी बीवी को लगा रहे हैं, किसी दूसरी को नहीं…” विजयजी के इतना कहते ही इंदु के चेहरे पर सिंदूरी सूरज की सैकड़ों रश्मियां बिखर गईं.

“आज मेरी किटी पार्टी है. कौन सी साड़ी पहनूं ?” इंदु पूछ रही है विजयजी से. “कुछ भी पहन लो… तुम पर तो हर साड़ी का रंग फबता है…” विजयजी के कहते ही इंदु बोली, ”आप भी ना, मैं ने राय मांगी है और आप मजाक करने लगे.”

“अच्छा ठीक है. यह गुलाबी सिल्क पहन लो…” किट्टी से वापस लौट कर इंदु बड़े उत्साह से बताने लगी, ”आज का दिन तो बड़ा ही लकी रहा. गेम में भी प्राइज मिला और तंबोला में भी फुल हाउस का प्राइज मिला.“ विजयजी ने इंदु का हाथ पकड़ कर कहा, ”आज का दिन ही क्यों, तुम्हारे लिए तो हर दिन लकी दिन रहता है. तुम हो ही इतनी भाग्यशाली.“इंदु बनावटी गुस्से से बोली, “बस हो गए शुरू. मौका चाहिए आप को मुझे कुछ ना कुछ सुनाने के लिए.”

“पगली, यह तो प्यार है. इतना भी नहीं समझ सकी अभी तक…” विजयजी की आंखों में प्रेम देख इंदु मुसकरा दी. 75 साल की उम्र में भी इंदु बहुत सक्रिय रहती है. सामाजिक काम के साथ ही तमाम गतिविधियों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती है. कुछ ग्रुप्स, क्लबों की सदस्य बनी हुई है, इसलिए प्रोजैक्ट के सिलसिले में बाहर जाती रहती है.

विजयजी ने कभी इस बारे में आपत्ति नहीं उठाई, क्योंकि इस क्षेत्र में उस की रुचि स्वयं उन्होंने ही पैदा की थी.स्नातक तक की पढ़ाई की थी इंदु ने, तभी उस की शादी विजयजी के साथ हो गई. वे पेशे से एडवोकेट थे और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करते थे. सामाजिक गतिविधियों में हरदम अग्रणी रहते और अपने मिलनसार स्वभाव द्वारा खासा लोकप्रिय थे.

दोस्तों की सलाह पर विजयजी ने मेयर पद के लिए चुनाव लड़ा और जीत गए. शहर के विकास के लिए काफी अच्छे महत्वपूर्ण काम किए. उस दौरान काफी लोगों का उन के पास आनाजाना लगा रहता था. वह इंदु का परिचय सब से कराते. जब किसी कार्यक्रम में जाते तो वह अकसर उन के साथ रहती. धीरेधीरे इंदु भी मुखर होती गई. उस की पहचान भी सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में होने लगी.

मेयर के कार्यकाल के दौरान विजयजी का वकालत का पेशा काफी धीमा पड़ गया था. कार्यकाल पूरा होने क उपरांत उन्होंने दोबारा अपने पेशे की तरफ अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया था. इस बीच इंदु 2 बच्चों की मां बन गई थी. सास बच्चों की परवरिश में बहुत सहयोग करती थी. बच्चे भी दादीदादी करते उन के आगेपीछे डोलते रहते. 5-7 साल का समय यों ही गुजर गया.

उस वर्ष मेयर का पद महिलाओं के लिए आरक्षित था. विजयजी ने जब इंदु को इस बारे में बताया, तो वह बोली, “मुझे क्या लेनादेना है इस से…” “मैं सोच रहा हूं कि तुम इस पद के लिए चुनाव लड़ो…”“ना बाबा ना, मुझे इन झमेलों में नहीं पड़ना. मैं अपने बच्चों, परिवार में ही खुश हूं, व्यस्त हूं. व्यर्थ की दौड़भाग, जिम्मेदारियां राजनीति की चालें… मुझे कोई रुचि नहीं.“

“मैं हूं ना तुम्हारे साथ. मुझे तो सभी अनुभव है ही. अगर अवसर मिल रहा है, तो क्यों छोड़ा जाए? फिर तुम में तो काबिलीयत भी है. तुम जरूर जीत जाओगी…” विजयजी ने दबाव डाला. उन के बारबार कहने और उन के मित्रों के भी आग्रह करने पर आखिर इंदु मान गई.

चुनाव में 10 महिलाओं ने नामांकन कराया, लेकिन बाद में 5 ने अपने नाम वापस ले लिए. टक्कर 5 में ही थी.अंत में जीत इंदु की ही हुई. नि:संदेह इस में विजयजी की छवि, उन के रुतबे, उन के कामों का काफी प्रभाव था. 2 वर्ष के कार्यकाल में इंदु ने पति के सहयोग से शहर के विकास कामों के लिए काफी परिश्रम, दौड़भाग की. फलस्वरूप राज्य सरकार की ओर से इंदु बेस्ट मेयर पुरस्कार की हकदार बनी.

कार्यकाल पूरा होने के बाद इंदु ने स्वयं को अपनी

घरगृहस्थी तक सीमित कर दिया. बच्चे बड़े हो रहे थे. उन की ओर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता थी. इस बात को वह अच्छी तरह समझती थी. केवल 2-3 सामाजिक संस्थाओं के सदस्य के रूप में उस ने स्वयं को सीमित कर लिया.

तालिबान बन सकता है चुनावी मुददा

2022 के विधानसभा चुनाव में जनता के मुददों की जगह हिन्दूमुसलिम के नारों को महत्व देने की बुनियाद तालिबान के नाम पर रखी जाने लगी है. सपा और भाजपा आमनेसामने खडी हो गई है. चुनाव करीब आतेआते तालिबान के नाम पर बयानबाजी और बढगी. अफगानिस्तान में उत्तर प्रदेश  के भी तमाम मजदूर फंसे है. ऐसे में यह मुददा दोहरी तलवार का काम कर सकता है.

मुसलिम वोटबैंक को सामने रखकर अलग अलग तरह की रणनीति चुनावों में हमेशा बनती रही है. कभी पाकिस्तान इसका केन्द्र बिन्दू बन जाता था. इस कडी में नया नाम तालिबान का जुड गया है. समाजवादी पार्टी के सांसद डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने अपने एक बयान में अफगानिस्तान के कब्जे को भारत की आजादी से जोड दिया. देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से तालिबानियों को जोडने की बात भारतीय जनता पार्टी के पष्चिम उत्तर प्रदेश के क्षेत्रिय उपाध्यक्ष राजेश सिंघल को नागवार गुजरी और उन्होने संभल कोतवाली में पुलिस को तहरीर देकर मुकदमा कायम करने की प्रार्थना पुलिस से की. समाजवादी पार्टी युवजन सभा के महासचिव फैजान चौधरी ने भी मुल्ला बरादर को राष्ट्रपति बनने की बधाई अपने फेसबुक पेज से दी.

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पुलिस ने डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क, फैजान  चौधरी और मुहम्मद मुकीम के खिलाफ धारा आईपीसी की धारा 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाला बयान), 295 ए (धार्मिक भावना आहत करने वाला) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. मुसलिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के  पूर्व प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने भी अपने बयान में कहा कि अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जा जायज है. हिन्दूस्तान का मुसलमान उसे सलाम करता है. यही नहीं मौलाना सज्जाद नोमानी ने पहले के तालिबान और आज के तालिबान में अंतर बताया है. मुसलिम पर्सनल लाॅ बोर्ड ने इस बयान को मौलाना सज्जाद नोमानी की निजी राय बताया है.

सांसद डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क अपने बयान के पक्ष में खडे है. उन्होने पुलिस में मुकदमें के बाद जारी बयान में कहा ‘मैने हमेशा सच और हक की बात की है. तालिबान को भारत की सरकार ने आतंकवादी संगठन घोषित नहीं किया है. मैे कोइ गलत बयान नहीं दिया है. झूठे मुकदमों से डर कर खामोश नहीं रहेगे. हम कानूनी मदद लेगे.’

राजनीतिक स्वार्थ है तालिबान के पीछे:
अफगानिस्तान में तालिबान ने जो कुछ किया उस पर अलग अलग राय हो सकती है. इसमें मुकदमों की जरूरत नहीं थी. यह भी बात अपनी जगह सही है कि जिस देश में अपनी परेशानियां वहां के लोग तालिबान के मसलें पर रायशुमारी करे.

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अफगानिस्तान में तालिबान का मसला विदेशी मसला है. असल में किसी न किसी मुददे को लेकर देश के मुसलमानों को अलग राह पर चलाने की कोशिश  होती है. कभी पाकिस्तान के नाम पर यह होता है. कभी दुनिया के अन्य देशो में अगर मुसलमानो के साथ कोई घटना होती है तो उसकी हिंसक प्रतिक्रिया भारत में सुनाई देने लगती है. इसके पीछे की केवल एक ही वजह होती है कि देश के मुसलमानों में अपनी छवि बनाना.

तालिबान की तारीफ के बहाने सांसद डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने यह दिखाने की कोशिश की कि वह पूरी दुनिया में मुसलमानों के मुददे पर मुखर रहेगे. भारत की आजादी की लडाई और यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से तालिबानियों की तुलना करना गैरवाजिब बात है. भारत में आजादी की लडाई हिंसक नहीं रही. यहां के अंग्रेज शासको को रातोरात चुपके से भागना नहीं पडा. यहां के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों औरतो बच्चों का कत्ल नहीं किया. उनके साथ बेजा सलूक नहीं किया. भारत में आजादी की लडाई शातिपूर्ण ढंग से लडी गई दुनिया जिसकी मिसाल देती है.

हिंदू मुसलिम राजनीति:
डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क सांसद है. उनकी बात का अपना वजन है. वह यह भी कहते है कि वह कभी गलत नहीं कहते. और अपने कहे पर कायम है. असल में वह अपने इस बयान से तालिबानी आंतकियों की तुलना भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से कर रहे है जो तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. यह बात और है कि इस बयान से देश  के मुसलमानों को खुश करके एक वोटबैंक को अपना संदेश  देना चाहते है. जिससे इसका राजनीतिक लाभ उठा सके.

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अपने इस बयान से डाक्टर शफीकुर्रहमान बर्क ने हिन्दुत्व की राजनीति करने वालों को एक मुददा दे दिया है. विधानसभा सदन में भाजपा के नेताओं ने कटाक्ष करते कहा कि जिस दल के सांसद तालिबान का समर्थन कर रहे और देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की तुलना तालिबानी आतंकवादियों से कर रहे हो वह देश  की आजादी की बातें न करे. मुकदमा कायम होने के बाद यह मसला आगे बढेगा और बाद में उत्तर प्रदेश  के 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में दिये जाने वाले भाषणों में शामिल होगा.

खास है मुसलिम राजनीति:
हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी को यह लाभकारी लगता है. जब विपक्षी मुसलिम तुष्टीकरण की राजनीति करने लगते है. भाजपा के लिये सबसे लाभकारी होता है कि हिन्दू मुसलिम राजनीति के इर्दगिर्द ही चुनाव हो. ऐसे में सपा और भाजपा दोनोके लिये यह मुफिद है. जातीय आधार को देखे तो उत्तर प्रदेश में मुसलिम वोट 18 से 20 प्रतिशत के करीब है. विधानसभा चुनाव में 80 सीटें ऐसी है जहां मुसलिम मतदाता जीत के गणित कोे मजबूत करते है. राजनीतिक जानकार मानते है कि मुसलिम मतदाता भाजपा के खिलाफ वोट करते है. ऐसे में सपा-बसपा और कांग्रेस जैसे हर दल की चाहत यह होती है कि मुसलिम वोटबैंक उनके साथ रहे.

वहीं भाजपा इस तरह की कोशिश करती है कि चुनाव हिन्दू मुसिलम धुव्रीकरण में फंस जाये. जिससे मुसलिम वोटबैंक की प्रतिक्रिया में हिन्दू वोटबैंक उनके पक्ष में खडा हो जाय. 2014 के बाद होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा की अपने वोटबंैक मानी जाने वाले जातियां मुसलिम विरोध की राजनीति में भाजपा के पक्ष में खडी हो गई. जिसकी वजह से सपा-बसपा एकजुट होकर भी चुनाव जीत नहीं सके. 2022 के विधानसभा चुनाव में तालिबान के नाम पर सपा और भाजपा दोनो ही चुनावी भाषणों में तालियां बजवाने का प्रयास करेगी. पिछले चुनाव से सबक ले चुकी मायावती ने तालिबान के मुददे पर चुप्पी साध ली है.

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