अरविंद मोहन मिश्र, जिला कृषि उपनिदेशक ,सीतापुर

मोहित शुक्ला आ ज के समय में हमारी खेतीकिसानी कितनी और कैसे फायदेमंद हो सकती है? क्योंकि समय के साथसाथ लागत और मेहनत तो बढ़ती चली जा रही है, लेकिन खेती में मुनाफा नहीं बढ़ पा रहा है. खेती को कम लागत में कैसे फायदेमंद बनाया जाए, इस को ले कर किसानों के लिए इंटीग्रेटेड फार्मिंग बहुत ही लाभदायक है. ऐसा ही मौडल फार्म एक एकड़ जमीन में तैयार कर के उपकृषि निदेशक अरविंद मोहन मिश्र ने किसानों को अपनी आय को बढ़ाने और लागत को कम करने का फार्मूला दिया है. वे किसानों को इस मौडल के माध्यम से जागरूक कर रहे हैं.

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से महज 90 किलोमीटर दूर सीतापुर जिला राष्ट्रीय राज्यमार्ग के किनारे जिला कृषि उपनिदेशक अरविंद मोहन मिश्र ने अपने कार्यालय में खाली पड़ी जमीन पर आधुनिक विधि से एक एकड़ में मौडल तैयार किया है. इस एक एकड़ के मौडल में मछलीपालन, बत्तखपालन, मुरगीपालन के साथसाथ फलदार पौधों की नर्सरी तैयार कराई है. अरविंद मोहन मिश्र बताते हैं कि उन्होंने एक बीघा जमीन में तालाब की खुदाई कराई है. तालाब में ग्रास कौर्प मछली डाल रखी हैं. इतनी मछली से सालभर में तकरीबन एक से डेढ़ लाख रुपए मिल जाएंगे. इस के बाद तालाब के ऊपर मचान बना कर उस में पोल्ट्री फार्म बनाया है, जिस में कड़कनाथ सहित अन्य देशी मुरगामुरगी पाल रखे हैं. वे आगे बताते हैं कि जो दाना मुरगों को देते हैं, उस का जो शेष भाग बचता है, वह मचान से नीचे गिरता रहता है.

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वह दाना खराब न हो कर मछलियां खा जाती हैं. इस से मछलियों के दाने का भी पैसा बचता है. इस के साथ ही शेष 2 बीघा जमीन पर ढैंचा की बोआई कर रखी है. इस से हरी खाद बनेगी और उस के बाद इस की जुताई करा के इस में शुगर फ्री धान की रोपाई कर देंगे. 2 बीघे में गन्ने की खेती : अरविंद मोहन मिश्र ने बताया कि वे 2 बीघे में तकरीबन 200 से 250 क्विंटल गन्ने की पैदावार लेते हैं. साथ ही, गन्ने में बीचबीच में अगेती भिंडी फसल ले रखी है, जिस से 30 से 40 हजार रुपए का मुनाफा होता है. सहफसली का एक और फायदा यह भी है कि जो छिड़काव या खाद हम गन्ने में देते हैं, उस का लाभ सहफसली को भी मिलता है. 10 किसानों को बनवाया जाएगा मौडल :

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जिला उपकृषि निदेशक अरविंद मोहन मिश्र ने कहा कि यह मौडल सीतापुर जिले में 10 किसानों के लिए और बनवाया जाएगा. पायलट प्रोजैक्ट के तौर पर इस के लिए किसानों का खाका तैयार किया है. इस मौडल की मंजूरी के लिए शासन को भी पत्र लिखा जा चुका है. हानिकारक रसायनमुक्त जीरो बजट खेती पर रहेगा फोकस : मौजूदा समय में कृषि में लगातार लागत वृद्धि होने का एक कारण यह भी है कि किसान अधिक उत्पादन के चक्कर में बेरोकटोक हो कर खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग कर रहे हैं, बिना किसी मापदंड के. इस को कम करने के लिए किसान खुद देशी विधि जैसे वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करें. गाय का गोबर और गौमूत्र से जीवामृत बना कर छिड़काव करें. वे आगे बताते हैं कि गाय के गोबर और मूत्र से 30 एकड़ जमीन के लिए जीवामृत तैयार किया जा सकता है.

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