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Valentine’s Special: 11 टिप्स- अरेंज हो या लव मैरिज, टूटने न पाएं रिश्तों की डोर

रवि और श्वेता ने घर वालों की मरजी के खिलाफ कोर्ट मैरिज की थी. अभी उन की शादी को एक साल भी पूरा नहीं हो पाया है कि उन के रिश्ते में दरार आनी शुरू हो गई है. शादी से पहले जहां दोनों एकसाथ जीनेमरने की कसमें खाते थे, अब एकसाथ रहने को तैयार नहीं हैं. घर वाले उन के मामले में नहीं पड़ना चाहते क्योंकि उन्हें यह रिश्ता पहले से पसंद नहीं था. रवि और श्वेता दोनों नौकरीपेशा हैं. दोनों को एकदूसरे के लिए समय निकालना मुश्किल हो जाता है और अगर समय निकल भी आए तो उन के अपनेअपने गिलेशिकवे खत्म होने का नाम नहीं लेते. श्वेता की शिकायत है कि रवि उस से शादी से पहले जैसा प्यार अब नहीं करता. अगर फुजूलखर्ची के लिए उसे मना करो तो झगड़ा शुरू कर देता है और उस से नौकरानी जैसा व्यवहार करने लगा है. कई बार वह रवि को समझा चुकी है, लेकिन रवि उस की बातों को महत्त्व नहीं देता. अब उस ने फैसला किया है कि वह रवि के साथ नहीं रहेगी.

रवि का मानना है कि शादी के बाद सब की प्राथमिकताएं बदलती हैं और उस की भी बदली हैं. इस में गलत क्या है? रवि का कहना है कि कल तक श्वेता उस की प्रेमिका थी जिस को लुभाने और खुश करने के लिए वह गिफ्ट्स देता था और तरहतरह से लुभाता था. लेकिन आज वह उस की पत्नी है. श्वेता को यह समझना चाहिए और घर की जिम्मेदारियों को निभाना चाहिए. मैं जब भी उसे घर का काम करने के लिए कहता हूं या कुछ खर्च करता हूं तो वह झगड़ा करना शुरू कर देती है. तंग आ चुका हूं उस की आदतों से, अब मैं उस के साथ नहीं रह सकता.

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रोहित का भी यही हाल

रोहित और पूजा की घरवालों की मरजी से अरेंज्ड मैरिज हुई थी. रोहित एक बड़ी कंपनी में मैनेजर की पोस्ट पर है, जबकि पूजा एक गृहिणी है. वह घर की जिम्मेदारियों को अच्छी तरह संभाल रही  थी. शादी के शुरुआती दिनों में सबकुछ अच्छा चल रहा था. दोनों काफी खुश थे. उन के प्यार का दायरा तेजी से बढ़ रहा था. 2 साल बाद जब उन के घर बेटी दिव्या ने जन्म लिया तो उन के प्यार को एक नई पहचान मिली. न जाने फिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों के प्यार को नजर सी लग गई और एकदूसरे की वफादारी को ले कर शक ने उन के दिमाग में जगह बना ली.

रोहित के औफिस में काम करने वाली महिला सहकर्मियों को पूजा शक की नजर से देखती थी. तो वहीं दूसरी तरफ रोहित पूजा के सोशल साइट्स के दोस्तों के मैसेजेस और फोन कौल्स से परेशान था. पूजा कहीं भी बाहर निकलती तो रोहित के दिमाग में तरहतरह के नकारात्मक विचार उस के शक को बढ़ाने का काम करते. अब आएदिन दोनों में झगड़े होने लगे थे. नतीजा यह निकला कि अब दोनों अलगअलग रह रहे हैं. रवि और श्वेता की समस्या हो या रोहित और पूजा की, यह हकीकत आज के दौर में आम सी हो गई है.

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आधुनिकता और आगे निकलने की दौड़ में आज आपसी रिश्ते इतने उलझ गए हैं कि उन्हें सुलझाने के लिए भी हमारे पास वक्त नहीं है. विशेषकर महानगरों में जहां परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए पतिपत्नी दोनों कार्यरत हैं. ऐसे में अगर कहीं वक्त निकल भी आए तो दोनों का अहं बीच में आ कर बात को बनाने के बजाय और ज्यादा बिगाड़ देता है. हम किसी को भी समझने की कोशिश नहीं करते, बस अपनी ही धुन में अपनी दुनिया में व्यस्त रहते हैं.

कई बार हमें इस बात का एहसास होता है कि हमारे बीच जो हो रहा है वह सही नहीं है और ऐसा नहीं होना चाहिए. लेकिन हम इस एहसास को अपने दिल के किसी कोने में दबा देते हैं और वह करते हैं जो हमारा मतलबी दिमाग अहं को संतुष्ट करने के लिए कहता है. आपसी रिश्तों का यह तानाबाना, कभी लगता है कि इतना मजबूत है कि सात जन्मों तक नहीं टूटेगा, तो कभी लगता है वक्त के एक छोटे से झोंके से बिखर जाएगा.

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एकदूसरे को मौका दें

अगर किसी बात पर आप की अपने पार्टनर से तकरार होती है और दोनों एकदूसरे से खफा हो कर बात करना बंद कर देते हैं तो आप जरा सोचिए कहां से बात बनेगी या कहां से चीजें सुधरेंगी जब तक हम दूसरों को कोई मौका नहीं देंगे, अपनी बात कहने का या स्वयं के लिए कोई मौका नहीं तलाशेंगे. इस स्थिति में शांत रह कर दूसरे की बात को महत्त्व देना बेहद जरूरी है. यह बात सिर्फ घरेलू रिश्तोें पर ही लागू नहीं होती बल्कि बाहरी रिश्तों पर भी उतनी ही लागू होती है. किसी भी संबंध की शुरुआत झूठ या लालच को आधार बना कर बिलकुल भी नहीं करनी चाहिए. ये वे रास्ते हैं जो कभी मंजिल तक नहीं पहुंचाते.

रिश्ते की अहमियत समझें

किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए उसे अहमियत देना, उस के महत्त्व को समझना बेहद जरूरी है. रिश्ते को अहमियत देने से मतलब उस व्यक्ति को महत्त्व और सम्मान देना जिस से आप का रिश्ता है. सिर्फ रिश्ता बना लेना बड़ी बात नहीं होती, बल्कि देखने वाली बात तो तब होती है जब उस रिश्ते को आप किस शिद्दत के साथ निभाते हैं. उसे प्यार और विश्वास की किन बुलंदियों तक ले जाते हैं.

रिश्ते निभाएं ऐसे

हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ रिश्तों से बंधा होता है जो उसे विरासत में मिलते हैं. जिन में मां, बाप, भाई, बहन आदि शामिल हैं. वहीं दूसरी ओर कुछ रिश्ते उसे बनाने या कमाने पड़ते हैं, दोस्ती और शादी उन्हीं कमाए हुए रिश्तों में शामिल हैं. रिश्ते बनाना और बिगाड़ना आप के हाथ में होता है. कुछ लोग अपने मधुर व्यवहार से गैरों को भी अपना बना लेते हैं, तो कुछ लोग व्यवहार की कटुता से अपनों को भी बेगाना बना देते हैं. अगर आप सिर्फ अपने लिए सोचते और करते हैं, उस सोच में दूसरों को महत्त्व नहीं देते और न ही उन का खयाल करते हैं तो निश्चित ही आप रिश्ते बनाने की बुनियाद पर बहुत कमजोर हैं. रिश्तों की बुनियाद ही वहां से शुरू होती है जब आप किसी और के लिए सकारात्मक सोच के साथ उसे अपनी सोच में महत्त्व देना शुरू करते हैं. उस के बाद अपनेआप ही धीरेधीरे उस व्यक्ति से आप का बौंड इतना मजबूत हो जाता है कि आप को आगे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ती. रिश्ते खुदबखुद सही रास्ते पर आ जाते हैं.

प्यार से अच्छा तालमेल बनाएं

शादी को भारतीय समाज में बहुत ज्यादा महत्त्व दिया जाता है. देखा जाए तो विवाह विश्वास से भरा वह बंधन है जिस में पतिपत्नी का एकदूसरे के साथ ईमानदार होना निहायत जरूरी है. कहा जाता है कि पतिपत्नी गाड़ी के 2 पहियों की तरह होते हैं. गृहस्थ जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों का न केवल शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है बल्कि एकदूसरे को समझना और महसूस करना उस से कहीं ज्यादा जरूरी है. हो सकता है आप का व उन का सोचनेसमझने और काम करने का नजरिया व तरीका अलग हो.

यह अकसर देखा भी जाता है कि पतिपत्नी के विचार और पसंद आपस में मेल नहीं खाते, बिलकुल विपरीत स्वभाव वाले लोग जीवनसाथी बन जाते हैं. जैसे, अगर एक की आदत कम बोलने की है तो दूसरे की ज्यादा बोलने की, अगर एक पैसे बचाता है तो दूसरा ज्यादा खर्च करता है या फिर एक अंतर्मुखी है तो दूसरा बहिर्मुखी आदि. इस का मतलब यह बिलकुल नहीं कि एक गलत व्यक्ति आप से जुड़ गया है या एक बेमेल रिश्ता बन गया है. अगर आप दोनों के नजरिए अलग हों भी तो उन में प्यार से अच्छा तालमेल बनाएं, एक ऐसी समझ विकसित करें कि विपरीत आदतें आप के रिश्तों पर बुरा असर न डाल सकें.

स्वयं में भी परिवर्तन लाएं

किसी भी व्यक्ति में अपने अनुसार सौ फीसदी परिवर्तन होने की उम्मीद करना, उस के साथ नाइंसाफी करने जैसा है. मतलब उस के रहनसहन, खानपान और आचारविचार को आप अपनी इच्छा के अनुरूप बदलना चाहते हैं. मानव स्वभाव के अनुसार, हर व्यक्ति स्वतंत्र रहना पसंद करता है और अपनी इच्छा के अनुसार ही जीवन जीना चाहता है, उसे किसी तरह का बंधन असहज महसूस होता है. सामने वाले व्यक्ति में अच्छे परिवर्तन लाने के लिए सब से पहले आप को ही बदलना होगा. तभी आप उस में परिवर्तन की उम्मीद कर सकते हैं.

कहा जाता है न, नेक काम की शुरुआत अपनेआप से ही करनी चाहिए और वह बात यहां पूरी तरह लागू होती है. आप का प्यार, समर्पण और अच्छा बरताव उस विपरीत रिश्ते को भी एक मजबूत बुनियाद दे सकता है. ईमानदारी से अगर हम अपनी स्वार्थ से भरी सोच को छोड़ कर अपने पार्टनर को खुशियां और उसे परेशानियों से दूर रखने का निश्चय कर लें तो यकीन मानिए, आप उस का दिल जीत लेंगे और अपने लिए उस की सोच भी बदलने में जरूर कामयाबी हासिल करेंगे. वह भी आप के लिए उतना ही अच्छा करने के लिए मजबूर हो जाएगा.

पहल करना जरूरी

अगर किसी मोड़ पर आ कर आप के आपसी रिश्ते उलझते भी हैं रिश्तों को सुलझाने की पहल चाहे आप करें या आप के सामने वाला व्यक्ति, लेकिन पहल जल्द ही होनी चाहिए क्योंकि गुजरने वाला हर पल आप के और उन के बीच दिलों की दूरी को बढ़ा रहा है और हो सकता है कि वक्त के साथ ये दूरियां अधिक बढ़ जाएं कि दिलों का दोबारा पास आना संभव न हो सके. कभीकभी देखा जाता है कि हमारी एक छोटी सी जिद की वजह से हमें बहुत बड़ा खमियाजा उठाना पड़ता है. हमारी जिद, अहं या गुस्सा हमें उन लोगों से जुदा कर देता है जिन्हें कभी हम अपने से अलग नहीं करना चाहते. जिस भी वजह से आप के आपसी रिश्तों में खटास आनी शुरू हो, समझ लेना चाहिए कि आगे चल कर वही वजह आप के रिश्तों को बरबाद कर सकती है.

जिरह से बचें

कहा जाता है कि मियांबीवी में जब तक तूतू मैंमैं और तकरार नहीं होगी तब तक प्यार का मजा नहीं आएगा. लेकिन यह तकरार एक सीमा तक रहती है तभी तक ठीक है. अकसर यह देखा जाता है कि प्यार में शुरू की गई तकरार धीरेधीरे इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि वह जिरह या बहस का विकराल रूप ले लेती है और दोनों पतिपत्नी उस में उलझते चले जाते हैं.

सकारात्मक समाधान निकालें

अगर आप के खुशहाल गृहस्थ जीवन के रास्ते को कोई समस्या आ कर रोकती भी है तो परेशान न हों. समझदारी से काम लें. ठंडे दिमाग से आपस में खुल कर बात करें और उस समस्या का कोई न कोई सकारात्मक समाधान निकालें और उस पर अमल करें. ऐसी समझदारी दिखा कर आप एक बार पार्टनर का दिल जीत लेंगे और आप के पार्टनर का भरोसा आप पर फिर से पहले जैसा ही कायम हो जाएगा.

काउंसलर की सलाह लें

आप की रिलेशनशिप के दौरान परेशानियां छोटी या बड़ी किसी भी रूप में सामने आ सकती हैं. अगर जिंदगी में किसी भी मोड़ पर आ कर दोनों को लगता है कि एकदूसरे को समझना और समझाना काफी मुश्किल हो रहा है और आप की कोशिशें रिश्तों को सुधारने में बेअसर साबित हो रही हैं तो ऐसी स्थिति में एक काउंसलर आप की काफी मदद कर सकता है. वह आप के टूटते और बेजान हो रहे रिश्तों में अपनी प्रभावी सलाह दे कर एक नई जान फूंक सकता है.

गलत आदतों से बचें

कोई भी व्यक्ति संपूर्ण नहीं होता, मतलब उस में कोई न कोई कमी या बुराई जरूर पाई जाती है, जो दूसरों के लिए परेशानी का कारण हो सकती है. पारिवारिक कलह से बचने के लिए एक बेहतर रास्ता यह हो सकता है कि हमें उन कामों को या उन गलतियों को करने से बचना चाहिए जो हमारे रिश्ते पर बुरा असर डालती हों या हमारा पार्टनर जिन्हें नापसंद करता हो, जैसे रोजाना शराब पीना, सिगरेट, जुआ, फुजूलखर्ची करना या फिर पार्टनर की आंखों में धूल झोंकना आदि. अगर एक आइडिया लगाया जाए तो ऐसी कोई भी बुरी वजह आप के स्वास्थ्य पर तो विपरीत असर डालती ही है और साथ ही साथ आर्थिक रूप से भी कमजोर करती है.

एकदूसरे पर विश्वास बनाए रखें

जीवनसाथी का दिल जीतने के लिए पार्टनर्स को लगातार धैर्य और सकारात्मक रवैया अपनाए रखना है. किसी भी रिश्ते को बनाए रखने के लिए उसे भरोसे की बुनियाद पर सम्मान, समर्पण, प्यार और समय देना बहुत ही जरूरी होता है जिस के बल पर दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता खड़ा होता है. यकीन मानिए जब यह परीक्षा पास कर आप उन का दिल जीत लेंगे, उस के बाद आप दोनों की जिंदगी एक मधुर संगीत में बदल जाएगी. आप के आपसी रिश्ते प्यार और विश्वास की बुनियाद पर इतने मजबूत हो जाएंगे कि उन्हें हिला पाना भी किसी के लिए संभव न होगा.

  • गुस्सा न करें
  • भावनाओं को समझें
  • बचें गलत आदतों से
  • पहल करना जरूरी
  • एकदूसरे को मौका दें
  • शक से दूर रहें
  • तालमेल जरूरी
  • खुद को बदलें
  • रिश्ते निभाएं
  • आपस में ईमानदारी बरतें
  • आपसी विश्वास बनाए रखें
  • समाधान निकालें
  • जिरह से बचें
  • काउंसलर की सलाह जरूर लें

थायराइड से राहत पाने के लिए करें इन 7 चीजों को अपनी डाइट में शामिल

किसी भी तरह की परेशानी में हिदायत दी जाती है कि हम अपना खानपान संयमित और संतुलित रखें. असंतुलित खानपान से हमें कई प्रकार की बीमारियां होती हैं. आज कल महिलाओं में थायराइड की समस्या तेजी से बढ़ी है. ज्यादातर महिलाओं में ये बीमारी देखी जा रही है. इसका प्रमुख कारण असंयमित खानपान और दिनचर्या है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि जब आपको थायराइड हो तो आपका खानपान किस तरह का होना चाहिए.

  1. लें फाइबरयुक्त आहार

थायराइड की बीमारी में उच्च फाइबरयुक्त आहार लेना चाहिए. इस बीमारी में फाइबर बेहद कारगर होता है.

2. खाएं आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थ

इस बीमारी में जरूरी है कि आप आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का खूब सेवन करें. जैसे दही, मछली, मांस, अंडे, मूली, और दलिया. इनके निरंतर सेवन से आपको काफी आराम मिलेगा.

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3. नारियल का तेल

बता दें कि नारियल का तेल थायराइड में काफी फायदेमंद होता है. इसलिए आपको इसका सेवन भी करना चाहिए. नारियल के तेल को पीने से आपको और भी कई तरह के लाभ होते है.

4. वसा या कार्बोहाइड्रेट से बचें

थायराइड में वसा या कार्बोहाइड्रेट का सेवन आपके लिए आर भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है. इस बीमारी के मरीजों को इससे दूरी बनानी चाहिए.

5. चबाएं अदरक

थायराइड की समस्या में अदरक असरदार है. इसे कच्चा चबाने से थायराइड में काफी आराम मिलता है. इसमें पाए जाने वाले तत्व थायराइड में काफी असरदार होते हैं.

6. लें हरी पत्तेदार सब्जियां

थायराइड की परेशानी में हरी पत्तेदार सब्बजियां काफी फायदेमंद होती हैं. इसके नियमित सेवन से बीमारी में काफी आराम मिलता है.

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7. मौसमी फलों का करें सेवन

थायराइड में फलों का सेवन काफी असरदार होता है. इस समस्या में आपको मौसमी फलों का खूब सेवन करना चाहिए, कुछ दिनों में आपको फायदा दिखेगा.

सरकारी नौकरी छोड़ किसानी से कमाए लाखों

Writer- सचिन तुलसा त्रिपाठी

जैविक खेती की दौड़ में  नौकरीपेशा भी कूद पड़े हैं. नए तौरतरीकों से इन किसानों ने न केवल खेती शुरू की, बल्कि आमदनी भी अच्छीखासी कर रहे हैं. यह एक ऐसे नौकरीपेशा किसान की कहानी है, जिस ने हिस्से में आए जमीन के छोटे से टुकड़े को ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया.

बात मध्य प्रदेश के सतना जिले के महज 700 की आबादी वाले गांव पोइंधाकला की है. यहां के किसान अभयराज सिंह ने परिवार की चिंता किए बिना 17 साल पहले सहकारी समिति की सरकारी नौकरी छोड़ दी. बंटवारे में आई एक हेक्टेयर जमीन को इस लायक बनाया कि इस में अनाज या फिर फलदार पौधे उग सकें.

वे बताते हैं कि सहकारी समिति में सेल्समैन की नौकरी करते समय उचित मूल्य की 5 दुकानों का जिम्मा था. इस के बाद भी तनख्वाह वही 15,000 रुपए, इस से पत्नी और 2 बच्चों का गुजारा ही चल पा रहा था. उन्हें आगे कोई भविष्य नहीं दिखाई दे रहा था. सो, साल 2005 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी. बंटवारे में मिली जमीन में फलों की खेती शुरू की.

पारिवारिक बंटवारे में मिली 0.72 हेक्टेयर की छोटी सी जमीन में पपीते लगाए. साथ ही, सब्जियां भी. पर पपीते ने दूसरे साल ही साथ छोड़ दिया. इस में चुर्रामुर्रा रोग लग गया था.

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इस रोग के कारण पत्तियां सूख गईं और फल नहीं आए.

50 रुपए में लाए थे पौधे

अभयराज सिंह बताते हैं कि साल 2008 में उन्होंने नीबू के महज 20 पौधे लगाए थे. आज 300 पेड़ हैं. तब उन के महज 50 रुपए ही खर्च हुए थे. नीबू का पेड़ तैयार होने में तकरीबन 3 साल लग जाते हैं, इसलिए इंटरक्रौपिंग के लिए गन्ना भी लगा दिया था. इस से यह फायदा हुआ कि परिवार के सामने भरणपोषण का संकट नहीं आया. जब नीबू के पेड़ तैयार हो गए, तो इंटरक्रौपिंग बंद कर दी. उन 20 पेड़ों से तब तकरीबन 25,000 से 30,000 रुपए कमाए थे.

बिना ट्रेनिंग तैयार किया 300 पेड़ों का बगीचा

अभयराज सिंह कहते हैं कि नीबू एक ऐसा पेड़ है, जिसे बाहरी जानवरों और पक्षियों से कोई खतरा नहीं है. चिडि़या भी आ कर बैठ जाती हैं, पर कभी चोंच नहीं मारती हैं. गांव के आसपास भी आम के बगीचे हैं, जिन में बंदर भी आते हैं. इस से पपीता, गन्ना और हरी सब्जियों को खतरा रहता है, पर नीबू को छूते तक नहीं हैं, इसलिए खेती करना आसान हुआ.

आज पूरा बाग तैयार है. यहां जितने पेड़ हैं, कलम विधि से तैयार किए गए हैं. यह काम भी उन्होंने खुद किया है. इस के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं ली है.

साल में 2-3 लाख की आमदनी

सालाना उत्पादन के बारे में अभयराज सिंह बताते हैं कि नीबू के एक पेड़ में 3,000 से 4,000  फल आते हैं. इस हिसाब से 300 पेड़ों में तकरीबन एक लाख नीबू आते हैं. उन की अगर एक रुपए भी कीमत लगाई जाए, तो एक लाख रुपए होती है.

वे यह भी बताते हैं कि गांव से तकरीबन 16 किलोमीटर दूर सतना शहर है, जहां वे अपनी उपज बेचते हैं. खुली मंडियों की जगह शहर के 6 होटलों और इतने ही ढाबों में सप्लाई है. यहां पैसा फंसने की गुंजाइश कम है, इसलिए ज्यादातर होटलों और ढाबों को ही नीबू सप्लाई करते हैं. इस के अलावा दुकान वाले भी डिमांड करते हैं. इस से तकरीबन सालभर सप्लाई जारी रहती है.

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इंटरक्रौपिंग भी अपनाई

नौकरी छोड़ किसानी से आजीविका चलाने के लिए अभयराज सिंह के पास यही एकमात्र जमीन है, इस के अलावा कुछ नहीं. वे आय बढ़ाने के लिए इंटरक्रौपिंग का सहारा ले रहे हैं. नीबू से बची क्यारियों में केला, अमरूद के पेड़ तैयार कर रहे हैं. केला और अमरूद तैयार भी हैं. इस के अलावा हलदी, शहतूत, बरसीम आदि भी हैं, जिस से रोजमर्रा के खर्चों के लिए कोई दिक्कत नहीं आती.

पिघलती बर्फ: भाग 1- क्यों स्त्रियां स्वयं को हीन बना लेती हैं?

“आज ब्रहस्पतिवार को तूने फिर सिर धो लिया. कितनी बार कहा है कि ब्रहस्पतिवार को सिर मत धोया कर, लक्ष्मीजी नाराज हो जाती हैं,” मां ने प्राची को टोकते हुए कहा.

“मां सिर चिपचिपा रहा था,” मां की बात सुन कर धीमे स्वर में अपनी बात कह प्राची मन ही मन बुदबुदाई, ‘सोमवार, बुधवार और गुरुवार को सिर न धोओ. शनिवार, मंगलवार, गुरुवार को बाल न कटवाओ क्योंकि गुरुवार को बाल कटवाने से धन की कमी तथा मंगल व शनिवार को कटवाने से आयु कम होती है. वहीं, शनि, मंगल और गुरुवार को नाखून काटने की भी मां की सख्त मनाही थी. कोई वार बेटे पर तो कोई पति पर और नहीं, तो लक्ष्मीजी का कोप… उफ, इतने बंधनों में बंधी जिंदगी भी कोई जिंदगी है.

“कल धो लेती, किस ने मना किया था पर तुझे तो कुछ सुनना ही नहीं है. और हां, आज शाम से तुझे ही खाना बनाना है.” प्राची मां की यह बात सुन कर मन के चक्रव्यूह से बाहर आई.

ओह, यह अलग मुसीबत…सोमवार से तो मेरे एक्जाम हैं. सब मैं ही करूं, भाई तो हाथ लगाएगा नहीं, यह सोच कर प्राची ने सिर पकड़ लिया.

‘अब क्या हो गया?’ मां ने उसे ऐसा करते देख कर कहा.

‘मां सोमवार से तो मेरे एक्जाम हैं,’ प्राची ने कहा.

‘तो क्या हुआ, कौन सा तुझे डिप्टी कलैक्टर बनना है?’

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‘मां, क्या जब डिप्टी कलैक्टर बनना हो, तभी पढ़ाई करनी चाहिए, वैसे नहीं. वैसे भी, मुझे डिप्टी कलैक्टर नहीं बनना, मुझे डाक्टर बनना है और मैं बन कर दिखाऊंगी,” कहते हुए प्राची ने बैग उठाया और कालेज के लिए चल दी.

‘नखरे तो देखो इस लड़की के, सास के घर जा कर नाक कटाएगी. अरे, अभी नहीं सीखेगी तो कब सीखेगी. लड़की कितनी भी पढ़लिख जाए पर रीतिरिवाजों को तो मानना ही पड़ता है.” प्राची के उत्तर को सुन कर सरिता बड़बड़ाईं.

प्राची 10वीं कक्षा की छात्रा है. वह विज्ञान की विद्यार्थी है. सो, उसे इन सब बातों पर विश्वास नहीं है. मां को जो करना है करें पर हमें विवश न करें. पापा भी उन की इन सब बातों से परेशान रहते हैं लेकिन घर की सुखशांति के लिए उन्होंने यह सब सहना सीख लिया है. ऐसा नहीं था कि मां पढ़ीलिखी नहीं हैं, वे सोशल साइंस में एमए तथा बीएड थीं लेकिन शायद उन की मां तथा दादी द्वारा बोए बीज जबतब अंकुरित हो कर उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करते थे. प्राची ने मन ही मन निर्णय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए वह अपने मन में इन बीजों को पनपने नहीं देगी.

प्राची के एक्जाम खत्म हुए ही थे कि एक दिन पापा नई कार मारूति स्विफ्ट ले कर घर आए. अभी वह और भाई विजय गाड़ी देख ही रहे थे कि मां नीबू और हरीमिर्च हाथ में ले कर आईं. उन्होंने नीबू और हरीमिर्च हाथ में ले कर गाड़ी के चारों ओर चक्कर लगाया तथा गाड़ी पर रोली से स्वास्तिक का निशान बना कर उस पर फूल मालाएं तथा कलावा चढ़ा कर मिठाई का एक पीस रखा. उस के बाद मां ने नारियल हाथ में उठाया…

“अरे, नारियल गाड़ी पर मत फोड़ना,” अचानक पापा चिल्लाए.

“तुम मुझे बेवकूफ समझते हो. गाड़ी पर नारियल फोडूंगी तो उस जगह गाड़ी दब नहीं जाएगी,” कहते हुए मां ने गाड़ी के सामने पहले से धो कर रखी ईंट पर नारियल फोड़ कर ‘ जय दुर्गे मां’ का उद्घोष करते हुए ‘यह गाड़ी हम सब के लिए शुभ हो’ कह कर गाड़ी के सात चक्कर न केवल खुद लगाए बल्कि हम सब को भी लगाने के लिए भी कहा.

“तुम लगा ही रही हो, फिर हमारे लगाने की क्या आवश्यकता है,” पापा ने थोड़ा विरोध करते हुए कहा.

“आप तो पूरे नास्तिक हो गए हो. आप ने देखा नहीं, टीवी पर लड़ाकू विमान राफेल लाने गए हमारे रक्षामंत्री ने फ्रांस में भी तो यही टोटके किए थे.”

मां की बात सुन कर पापा चुप हो गए. सच, जब नामी व्यक्ति ऐसा करेंगे तो इन बातों पर विश्वास रखने वालों को कैसे समझाया जा सकता है.

समय बीतता गया. मां की सारी बंदिशों के बावजूद प्राची को मैडिकल में दाखिला मिल ही गया. लड़की होने के कारण मां उसे दूर नहीं भेजना चाहती थीं, किंतु इस बार पापा चुप न रह सके. उन्होंने मां से कहा, “मैं ने तुम्हारी किसी बात में दखल नहीं दिया. किंतु आज प्राची के कैरियर का प्रश्न है, इस बार मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगा. मेरी बेटी मैडिकल की प्रतियोगी परीक्षा में सफल हुई है, उस ने सिर्फ हमारा ही नहीं, हमारे पूरे खानदान का नाम रोशन किया है. उसे उस की मंजिल तक पहुंचाने में सहायता करना हमारा दायित्व है.”

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मां की अनिच्छा के बावजूद पापा प्राची को इलाहाबाद मैडिकल कालेज में पढ़ने के लिए ले कर गए. पापा जब उसे होस्टल में छोड़ कर वापस आने लगे तब वह खुद को रोक न पाई, फूटफूट कर रोने लगी थी.

“बेटा, रो मत. तुझे अपना सपना पूरा करना है न, बस, अपना ख़याल रखना. तुझे तो पता है तेरी मां तुझे ले कर कितनी आशंकित हैं,” पापा ने उसे समझाते हुए उस के सिर पर हाथ फेरा तथा बिना उस की ओर देखे चले गए. शायद, वे अपनी आंखों में आए आंसुओं को उस से छिपाना चाहते थे.

सर्दी में मुझे औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है, क्या करूं?

सवाल

मैं कालेजगोइंग गर्ल हूं. सर्दी में मुझे औरों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही ठंड लगती है. कितनी कोशिश करती हूं कि हाथपैर गरम हो जाएं लेकिन ठंडे ही रहते हैं. रजाई में भी पैर गरम होने का नाम नहीं लेते. बहुत परेशान हो जाती हूं. कभी गरम पानी की बोतल इस्तेमाल करती हूं तो कभी हीटर के आगे बैठे रहना पड़ता है. जबकि मैं देखती हूं कि और लोगों के हाथपैर रजाई में बैठने के साथ ही गरम हो जाते हैं. ऐसा क्यों भला?

जवाब

बहुत लोगों को शिकायत होती है कि सर्दी में उन के हाथपैर लाख कोशिश के बावजूद गरम नहीं होते. वजह यह है कि सर्दी में ब्लड सर्कुलेशन सही न होने के कारण हाथपैर ठंडे रहते हैं. इस के अलावा डायबिटीज, नर्व डैमेज, अनीमिया की वजह से भी यह दिक्कत पेश आती है.

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आप कुछ नुस्खे अपना सकती हैं :

यदि आप में खून की कमी है तो आयरन से भरपूर भोजन करें, जैसे खजूर, चुकंदर, पालक, सोयाबीन, सेब, औलिव आदि.

सर्दी में प्यास नहीं लगती तो लोग कम पानी पीने लगते हैं जो सही नहीं है. शरीर में ब्लड सर्कुलेशन सही बनाए रखने के लिए सर्दी में भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए.

सब से अच्छी रैमेडी है गरम तेल से हाथपैरों की मालिश करना. मालिश करने से शरीर में अच्छा ब्लड सर्कुलेशन होता है, सही तरह से औक्सीजन की सप्लाई होती है और शरीर में गरमी आती है.

गरम तासीर वाली चीजें खाएं जिस से  शरीर अंदर से गरम होगा. शहद, देशी घी, गुड़, दालचीनी, केसर वाला दूध, सरसों, तिल, अदरक, बादाम, अखरोट, खजूर ये सब गरम तासीर वाली चीजें हैं. इन के सेवन से शरीर गरम रहता है और ठंड कम लगती है.

सर्दी के मौसम में सब्जी में लालमिर्च का इस्तेमाल करना बेहतर रहता है. यह तासीर में गरम होती है, इस से बना खाना पेट को गरम रखता है. लालमिर्च रक्त के थक्के बनने से रोकती है. रात में एक गिलास दूध में चुटकीभर हल्दी पी कर सोएं. कालीमिर्च तासीर में गर्म होने के साथसाथ विटामिन ए, के, सी और मिनरल्स, कैल्शियम, पोटैशियम से भरपूर होती है. तीखा खाना पसंद करते हैं तो 1-2 कालीमिर्च सुबह खाली चबा सकते हैं या खाने में कूट कर डाल सकते हैं.

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पिघलती बर्फ: क्यों स्त्रियां स्वयं को हीन बना लेती हैं?

प्राची ने मां से सवाल किया कि स्त्रियां स्वयं को हीन क्यों बना लेती हैं? फिर आगे कहा कि जीवन में आई हर विपदा को अपने क्रूर ग्रहों का कारण मान कर सदा कलपते रहना उचित तो नहीं है. बेटी के तर्कों पर मां ने भी तर्क पेश किए…

प्रतीकात्यक देश भक्ति किस काम की?

दिल्ली सरकार ने 104 करोड़ रुपए खर्च कर के 75 तिरंगे झंडे 115 फुट ऊंचे खंबों पर लगवाए हैं और 500 इस तरह के झंडे लगवाने की योजना है. उद्देश्य है कि हर नागरिक को हर समय 2-3 झंडे दिखते रहे. वैसे तो देश भक्ति नागरिकों के मन में होने चाहिए पर जब किसी भी भक्ति को पागलपन की हद तक तो जाना हो तो उस का प्रदर्शन जरूर हो जाता है. अरङ्क्षवद केजरीवाल इन ऊंचे झंडों के माध्यम से देश प्रेम और देश व समाज के प्रति कर्तव्य नागरिकों के मन में जगा पाएं या नहीं पर अपना प्रचार जरूर कर लेंगे क्योंकि हर झंडे का उद्घाटन विधायक करता है और दिल्ली सरकार में आम आदमी पार्टी के विधायक तीन चौथाई से ज्यादा है.

झंडों से अगर देश भक्ति आती और देश व उस की जनता का कल्याण होता तो यह स्टंट स्वीकार्य होता पर दिक्कत है कि  चाहे आप के सिर पर 36 फुट लंबा और 24 फुट चौड़ा झंडा लहरा रहा हो, आपके पैर के नीचे की सडक़ न उस से पक्की गड्डे मुक्त होगी, न साफ होगी, न नाली ढग की बनेगी, न देखने वालों के  सही साफ हवा मिलेगी, न ट्रैफिक अनुशासन आएगा. तो फिर यह प्रतीकात्यक देश भक्ति किस काम की?

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हां, इतना लाभ जरूर है कि अब झंडों से ऊपर पौराणिक देवी देवताओं की मूॢतयां या उन के मंदिर कम दिखेंगे. यह लाभ होगा कि आप जहां हो वहां से आप को दानदक्षिणा लेने वाला मंदिर दिखे जरूरी नहीं रहेगा. राष्ट्रीय झंडा कम से कम जाति, धर्म के भेद तो बढ़ाएगा. भारतीय जनता पार्टी जो अपने देश का सारा पैसा विभाजन करने वाले और अपना भविष्य पूजापाठ पर सेंकने वाले मंदिरों, घाटों, तीर्थों पर लगा रही है. झंडों का जवाब देने में कुछ कठिनाई आएगी. यह नरेंद्र मोदी वाला मास्टर स्ट्रोक तो नहीं कर बहकाने की प्रतियोगिता में लगे नेताओं के प्रयासों में कम खर्चीला अवश्य है.

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Karishma Tanna की शादी की रस्में हुई शुरू, देखें Video

एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में इन दिनों शादी का सीजन चल रहा है. हाल ही में मौनी रॉय शादी के बंधन मे बंधी. अब  एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना (Karishma Tanna) अपने बॉयफ्रेंड वरुण बंगेरा के साथ शादी के बंधन में बंधने जा रही हैं. जी हां एक्ट्रेस की शादी की रस्में शुरू हो गई है. करिश्मा तन्ना की हल्दी सेरेमनी की फोटोज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है. फैंस एक्ट्रेस को लगातार शुभकामनाएं दे रहे हैं.

करिश्मा तन्ना ने अपनी हल्दी सेरेमनी की तस्वीरें इंस्टाग्राम स्टोरी पर शेयर किया है. इन तस्वीरों में करिश्मा बेहद प्यारी लग रही है. हल्दी फंक्शन में एक्ट्रेस ने अपना लुक काफी सिंपल रखा है. उन्होंने व्हाइट कलर की फ्लावर ज्वैलरी पहनी है. उनके मंगेतर वरुण बंगेरा भी व्हाइट कलर के कुर्ते में नजर आ रहे हैं.

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हल्दी सेरेमनी से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है. वह अपने होने वाले दूल्हे का बाल संवारती दिख रही हैं. करिश्मा एक्ट्रेस पांच फरवरी को शादी के बंधन में बंधेंगी.

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आपको बता दें कि वरुण बंगेरा पेशे से एक बिजनेसमैन हैं. दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के जरिए हुई थी. तभी से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी. और अब वो दोनों शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. करिश्मा तन्ना नच बलिए, बिग बॉस 8, झलक दिखला जा जैसे बड़े रियलिटी शो का हिस्सा रही हैं. वह खतरों के खिलाड़ी 10 की विनर भी हैं.

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Anupamaa: अनुज से पार्टनरशिप तोड़ेगी अनुपमा! वनराज की चाल होगी कामयाब?

रूपाली गांगुली और सुधांशु पांडे स्टारर  सीरियल ‘अनुपमा’ टीआरपी चार्ट में राज कर रहा है. शो के लेटेस्ट ट्रैक में हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. अनुज नहीं चाहता है मालविका वनराज के गंदे चालों में फंसे. मालविका ने वनराज से पार्टनरशिप तोड़ दी है. ऐसे में वनराज भी मालविका और अनुज के रिश्ते में जहर घोलेगा. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

वनराज मालविका को भड़काएगा. वह उससे कहेगा कि उसने अपने भाई के कहने पर उससे पार्टनरशिप तोड़ दी.  वनराज ये भी कहेगा कि अनुज  मालविका का सगा भाई नहीं है. इसके बावजूद वह उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है. वह याद दिलाएगा कि अनुज के कारण ही मालविका ने अपने माता-पिता को खो दिया.

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वनराज की बातें सुनकर मालविका चुप रह जाएगी तो दूसरी तरफ अनुज उससे थैंक्स कहेगा कि वह वनराज की बातों में नहीं आई. लेकिन इसके बाद मालविका अनुज से कहेगी कि तुमने हमेशा मेरी खुशियां छीनी हैं. चाहे वह अक्षय हो या फिर वनराज. शादी कराकर भी  तुमने मेरे साथ गलत किया, लेकिन अब नहीं. ये सब बातें सुनकर अनुज दंग रह जाएगा.

 

तो दूसरी तरफ वनराज खुश होगा. वनराज के पास मालविका का वाइस मैसेज आएगा. वह वनराज से सॉरी बोलेगी. वनराज मौके का फायदा उठाते हुए उससे कहेगा कि मेरे कारण तुम अपने भाई से मत लड़ना क्योंकि गलती उसकी नहीं बल्कि अनुपमा की है. वह हमारे खिलाफ उसे भड़काती है.

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ये बातें काव्या सुन लेगी. वह कहेगी कि वनराज हर एज ग्रुप की लड़कियों को ठग चुका है. उसे अपना काम निकालने के लिए 40 की अनुपमा, 33 काव्या और 30 की मुक्कू हर किसी को यूज करना आता है. इस बात पर वनराज कहेगा कि अपनी मंजिल पर जाने के लिए वह शाम, दाम, दंड, भेद सबका इस्तेमाल करेगा.

 

शो में आप ये भी देखेंगे कि अनुपमा अपना बैग और पार्टनरशिप की फाइल लेकर अनुज के पास आएगी. वह कहेगी कि जिंदगी से दूर नहीं जा रही है लेकिन इस वक्त घर और पार्टनरशिप से दूर जाना बहुत जरूरी है. अनुपमा कहेगी कि वह भाई-बहन के बीच की कड़ी बनना चाहती थी ददार नहीं.

चुनावों के परिणाम की भविष्यवाणी

जिन चुनावों का परिणाम 10 मार्च को आना है उन के बारे में भविष्यवाणी करना ठीक नहीं है पर यह जरूर दिख रहा है कि पंजाब हो या उत्तर प्रदेश या उत्तराखंड या गोवा, भारतीय जनता पार्टी के पांव लडख़ड़ा रहे हैं. उत्तर प्रदेश चुनावों से ठीक पहले अमित शाह धूमधड़ाके से उत्तर प्रदेश पहुंचे और योगी आदित्यनाथ विष्ठ के दरकिनार करते हुए खुद ही प्रचार में और दूसरी पाॢटयों में तोडफ़ोड़ में लग गए पर वहां तो लोग भाजपा उम्मीदवारों को गांवों में घुसने तक नहीं दे रहे.

गांव में पश्चिमी बंगाल की तृणमूत्र कांग्रेस और दिल्ली की आम आदमी पार्टी ने अपनी ब्रांचें खोल कर भाजपा, कांग्रेस और स्थानीय पाॢटयों में खलबली मचाई पर कोई करिश्मा कर पाएंगी ऐसा नहीं लगता. पंजाब में कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री अमरींद्र ङ्क्षसह भारतीय जनता पार्टी की गोद में जा बैठे पर जो जना अपने को आज भी सम्राट समझ रहा हो, उस के बस के घरघर जा कर वोट मांगना महज चुनावी नाटक ही लगेगा. उत्तराखंड भी छुलमुल हो रहा है और जिसे कोई पार्टी टिकट नहीं देती वह तुरंत दूसरी पार्टी में पाया जाता है.

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कुल मिला कर किसी पार्टी को अब भरोसा नहीं रह गया है कि 10 मार्च का परिणाम क्या होगा पर यह पक्का है कि भारतीय जनता पार्टी को कई धक्के लगेंगे. भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से अपना पौराणिकवाद चलाया है वह किसानों और छात्रों से मिले झटकों के बाद भी धीमा नहीं पड़ा है. भारतीय जनता पार्टी की बागडोर उन लोगों के हाथों में है जो सोचते ही नहीं जिन्हें विश्वास है कि उन्हें जन्म से दूसरों के सहारे राज करने का वरदान किया है. सदियों तक विदेशियों के गुलाम रहने पर भी गांवों शहरों में उन का सामाजिक राज बना रहा है और वे उसी को स्वर्ग मानते रहे हैं. 2014 में जीत को तो उन्होंने पौराणिक देवताओं के राज की वापसी मान ली थी और जनता को कहा कि पूजा करो, पाठ करो, तीर्थ जाओ, देश का विकास अपने आप हो जाएगा.

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पौराणिक कथाओं का युग कभी था या नहीं, उस का कोई साक्ष्य आज नहीं है सिवाए उन किताबों के जो पहले बोल कर रची गई और फिर पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई गई. बाद में जब उन्हें लिखा जाने लगा तो तरहतरह की कथाएं उन में घुस गई. आम जनता को कहा गया कि नहीं उन के पुरखे कह गए है या कर गए हैं. भाजपा इन कपोल कल्पित कहानियों के बल पर आज राज करना चाह रही है. ये कहानियां कुछ समय अच्छी लगती है पर जब पेट की आग लगती है, जब ठंड पड़ती है. जब बिमारी होती है, जब प्राकृतिक भर मानवीय आक्रमण होते हैं तो कहानियां निरर्थक हो जाती हैं. भाजपा 2014, 2019 और अब उन कहानियों और दूसरों के कामों के बल पर अगर जीतने का सपना देख रहे है तो कठिन लग रहा है. भारतीय जनता पार्टी की दशा तो उन पौराणिक ऋषिमुनियों की तरह है जो दस्युओं के जोर पकडऩे पर विष्णु इंद्र या आसपास के राज्य के पास त्राहिमाम, त्राहिमाम की गुदार लगाते रहे हैं.

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