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गरमी के मौसम में ऐसे रखें अपने पैरों का ख्याल

गरमी के मौसमे में आपको अपने पैरों को खास ध्यान देना चाहिए. जिससे आपके पैर साफ एवं सुरक्षित रह सकें. तो आइए बताते हैं कि आप गरमी के मौसम में अपने पैरों का ख्याल कैसे रखें.

अपने पैरों का ऐसे रखें ख्याल

नियमित रुप से मौश्चराइजर लगाएं – कोई भी लेप या पैरों वाली क्रीम का  जरूर प्रयोग करें. इसे रोजाना की दिनचर्या में शामिल करें. लेकिन अधिक मौश्चराइजर न लगाएं. विशेषकर पैरों की अंगुलियों के बीच, चूंकि इससे कवक संक्रमण की आशंका रहती है.

सनस्क्रीन लगाएं–  अगर आप पैरों को खुला रखना तय करते हैं तो उन्हें चिलचिलाती धूप से बचाने के लिए के लिए सनस्क्रीन लगाएं.

सुन्दर दिखने के लिए हेल्दी होना जरूरी है

पैर रोजाना धोएं– गरमी के मौसम में आपको बहुत पसीना आता है. पसीना धूल और मिट्टी को निमंत्रण देता है इसलिए सोने से पहले ठंडे पानी से करीब 15 मिनट तक पैर धुलना सुनिश्चित करें.

आरामदायक चप्पल या जूते चुनें– पैरों को सांस लेने देने के लिए आरामदायक एवं झीनेदार जूते या चप्पल पहनें.

नारियल तेल का प्रयोग करें–  पैरों पर नारियल तेल लगाएं और इसे रातभर लगा रहने दें. इसे लगाने के बाद सूती जुराब जरूर पहनें.

मक्खन का उपयोग – यह फटे पैरों की देखभाल के लिहाज से बहुत फायदेमंद है. एक टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें एक चम्मच मक्खन डालकर पैरों को भिगोएं.

स्पा और बौडी पौलिशिंग

झटपट बनाएं ये 7 हैल्दी समर ड्रिंक्स

आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के सौफ्ट ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स मौजूद हैं, जिन्हें पी कर गले को तर किया जा सकता है.  बाजार में मिलने वाली  ड्रिंक्स थोड़ी देर के लिए ही राहत देते हैं और सेहत के लिए भी अच्छे नहीं होते. घर में बने ड्रिंक्स का कोई जवाब नहीं. थोड़ी सी मेहनत और पहले से भी थोड़ी तैयारी से झटपट गरमी से राहत देने वाले ड्रिंक्स बन सकते हैं. यदि इन में हर्बल चीजें डाल दें तो कहने ही क्या. यहां 7 ड्रिंक्स की बात कर रहे हैं जिन के मुश्किल से 10 मिनट में 5-6 गिलास तैयार हो जाएंगे.

  1. तरबूज का शरबत: तरबूज में विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्नीशियम, पोटैशियम जैसे लाभकारी तत्त्व पाए जाते हैं. यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है.

तरबूज का जूस निकालने के लिए आसान तरीका है कि तरबूज के टुकड़ों को एक जार में डालें और हलके से हैंड ब्लैंडर चला दें. फिर छान लें ताकि बीज अलग हो जाएं. इस जूस में स्वादानुसार शुगर सिरप, कालानमक, कालीमिर्च, पुदीनापत्ती और नीबू का रस डालें. क्रश्ड लैमन आइस के साथ सर्व करें.

तरबूज के जूस का दालचीनी के साथ शरबत बनाएं. बीजरहित 500 ग्राम तरबूज के टुकड़ों में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर, स्वादानुसार शुगर सिरप, नीबू का रस डाल कर चर्न करें. क्रश्ड आइस और पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

2. कुकुंबर मिंट जूस: कुकुंबर मिंट जूस बनाने के लिए 2 मीडियम आकार के खीरे छील कर छोटे क्यूब्स में काट लें. एक मिक्सी जार में खीरे के टुकड़े, 1 नीबू का रस, थोड़ी सी पुदीनापत्ती, काला नमक, सादा नमक और 1 बड़ा चम्मच शुगर सिरप डाल कर मिक्सी में चर्न करें.

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1 कप ठंडा पानी डाल कर पुन: चलाएं. फिर छान लें. क्रश्ड आइस पुदीने वाली डालें. नीबू का स्लाइस लगा कर सर्व करें.

नोट: खीरे की जगह 4 ककड़ी का भी प्रयोग कर सकती हैं.

3. सत्तू वाली छाछ: दही में थोड़ा पानी डाल कर चर्न करने से लस्सी बनती है. इस में आप कोई भी फल डाल कर जैसे अंगूरी लस्सी, आम की लस्सी, संतरे वाली लस्सी, कलाकंद वाली लस्सी बना सकते हैं. यदि जीरा व नमक आदि डाल कर बनाएं तो नमकीन लस्सी बन जाती है.

पुदीने वाली छाछ, सत्तू वाली नमकीन छाछ. मसाला छाछ आदि बना सकती हैं. छाछ और लस्सी दोनों ही पेट की जलन, ऐसिडिटी को भी दूर करती हैं और इन के सेवन से वजन भी नहीं बढ़ता है.

सत्तू वाली छाछ बनाना बहुत आसान है. बस 4 गिलास ठंडी छाछ ले कर उस में 4 चम्मच सत्तू, 1 बड़ा चम्मच शुगर सिरप, 2 छोटे चम्मच नीबू का रस, थोड़ी सी पुदीनापत्ती और काला व सफेद नमक डाल कर मिक्स करे लें. क्रश्ड आइस डाल कर सर्व करें.

4. कोकोनट कूलर: फ्रैश नारियल न हो तो नारियल पानी के कैन भी बाजार में उपलब्ध होते हैं. इस के पानी में पुदीनापत्ती, हरीमिर्च, लैमन, थोड़ा सा शुगर सिरप, चाटमसाला डाल कर चर्न कर सर्व करें.

चिया सीड्स के साथ भी बना सकते हैं. चिया सीड्स सेहत के लिए वैसे ही बहुत अच्छे होते हैं.

5. कोकोनट चिया सीड्स कूलर बनाने के लिए

1 कप नारियल पानी में 1 बड़ा चम्मच चिया सीड्स डाल कर चम्मच से चलाते रहें ताकि चिया सीड्स फूलने पर इकट्ठे न हों. इस में नीबू का रस, 2 कप नारियल पानी व जलजीरा पाउडर डालें. लैमन क्यूब्स को क्रश कर के मिलाएं. ठंडाठंडा सर्व करें.

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6. आम पना: पके आम तो सब को अच्छे लगते हैं पर कच्चे आम भी कम नहीं. इन का सिर्फ अचार ही नहीं डाला जाता, ये गरमी से भी बचाव करते हैं. आम को उबाल कर छील लें फिर पीस कर चाशनी में मिलाएं, ठंडा पानी मिला कर सर्व करें.

इस का जलजीरा भी बहुत अच्छा लगता है. जलजीरा बनाने के लिए कच्चे या उबले आम में पुदीनापत्ती, अदरक, कालानमक, सफेद नमक, शुगर सिरप और जलजीरा पाउडर डाल कर मिक्सी में चर्न करें. छान कर क्रश्ड आइस क्यूब्स व बूंदी डाल कर सर्व करें.

खरबूजा शरबत: खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी होता है. इस में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन बेहतर विकल्प है. खरबूजे को ठंडे दूध के साथ मिला कर शेक बनाएं. यह बहुत ही तरावट देता है.

खरबूजे में खस का शरबत और थोड़ा दूध डाल कर चर्न करें. बढि़या शेक तैयार हो जाता मिनटों में.

7. बेल का शरबत: बेल ऐनर्जी बूस्टर है. इस का शरबत घर पर बनाना आसान है. इस के गूदे से बीजों को अलग कर गूदे में थोड़ी चीनी और नीबू का रस डाल कर चर्न कर के फ्रिज में रखें. 3-4 दिन आराम से चलेगा. बस ठंडा पानी और थोड़ा शुगर सिरप डाल कर पीएं.

लगभग 250 ग्राम पके बेल के पल्प में 500 ग्राम चीनी, 1 छोटा चम्मच नीबू का रस डाल कर चर्न कर छान लें. जब भी पीना हो सिर्फ 2 हिस्सा बेल लें व 2 हिस्सा ठंडा पानी मिला कर चर्न कर पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

पहले से करें तैयारी

पहले से ड्रिंक्स बनाने की तैयारी के लिए शुगर सिरप बनाएं. एक बार बनाएं और 15-20 दिन की छुट्टी. शुगर सिरप 2 तरह के बना कर रखें. एक नौर्मल शुगर का व दूसरा ब्राउन शुगर का.

2 कप चीनी में 3/4 कप पानी डाल कर मीडियम आंच पर पकाएं. जब चीनी घुल जाए व उबलने लगे तब 2 मिनट और पकाएं. इस में 1 चम्मच नीबू का रस डाल कर आंच बंद कर दें. इस से चाशनी की गंदगी अलग हो जाएगी व चाशनी में क्रिस्टल नहीं बनेंगे. ठंडा कर के और छान कर कांच की बोतल में भर कर रख लें. इसी तरह ब्राउन शुगर का सिरप तैयार करें.

चटपटी शाही आंवले की सब्जी

औरेंज जूस, मैंगो प्यूरी, लैमन जूस आदि में थोड़ी सी चाशनी, नीबू का रस व पुदीनापत्ती डाल कर आइसक्यूब ट्रे में जमा दें. फिर जिप वाले पाउच में भर कर रख लें. किसी भी जूस में ये आइसक्यूब्स क्रश कर के डालें. इस के अलावा जीरा पाउडर, कालीमिर्च पाउडर, चाटमसाला, काला नमक, खस सिरप आदि जरूर रखें. दही, खीरा, तरबूज, बेल, नीबू आदि तो गरमियों में घर पर होने ही चाहिए.

चुनावी जंग में क्यों भाजपा से पिछड़ रही कांग्रेस?

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके चुनावी क्षेत्र में घेरने के लिये स्मृति ईरानी के रूप में अपना सबसे बड़ा दांव चला. 2014 के लोकसभा चुनाव में 1 लाख वोट से हारने के बाद भी स्मृति ईरानी को मंत्री बनाया. यही नहीं पूरे 5 साल स्मृति ईरानी अमेठी चुनाव क्षेत्र में सक्रिय रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की घेराबंदी के बाद राहुल गांधी को केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने जाना पड़ा. भले ही राहुल गांधी अमेठी से चुनाव जीत ले पर भाजपा की घेराबंदी ने उनको असमंजस में तो डाल ही दिया. भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा के किसी बड़े नेता यानि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ कोई दमदार प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाई.

ऐसा नहीं कि कांग्रेस के पास कोई प्रत्याशी नहीं है. कांग्रेस के पास चुनाव का प्रबंधन नहीं है. प्रदेश की जनता के बीच कांग्रेस को लेकर एक सकारात्मक सोच बनी है. कांग्रेस की तरफ से जैसे ही कोई दमदार प्रत्याशी दिखता है लोग उसको समर्थन भी करते हैं. 1999 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई भाजपा के शीर्ष नेताओं में थे. प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे. कांग्रेस ने उनके खिलाफ चुनाव के ऐन वक्त पर कश्मीर से कर्ण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया था. प्रचार का कम समय मिलने के बाद भी कर्ण सिंह ने अपना दमदार प्रभाव दिखाया और अटल जी को चुनाव जीतने के लिये लखनऊ में तमाम जन सभाएं करनी पड़ी.

why congress can't attack bjp

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लखनऊ में राजनाथ सिंह के खिलाफ ही नहीं वाराणसी नरेद्र मोदी के खिलाफ भी कांग्रेस कोई दमदार प्रत्याशी अभी नहीं उतार पाई. इससे कांग्रेस के चुनावी प्रबंधन पर सवालिया निशान लग रहे हैं. लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस ही भाजपा को टक्कर दे सकती है. यह बात जनता में अंदर तक बसी है. इसके बाद भी कांग्रेस खुद आगे बढ़ कर कुछ करना नहीं चाहती. लखनऊ लोकसभा सीट पर कांग्रेस पहले जतिन प्रसाद को चुनाव लड़ाना चाह रही थी. जतिन प्रसाद के मना करने के बाद कांग्रेस यहां पर अपना कोई प्रत्याशी तय नहीं कर पाई. यही हालत वाराणसी में नरेद्र मोदी के सामने भी है.

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जानकारों का कहना है कि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के मजबूत होने से लोगों में पार्टी की साख बढ़ती. इससे कांग्रेस को ज्यादा समर्थन मिलता. लोगों में यह संदेश जाता कि कांग्रेस भाजपा को घेरने में सफल हो रही है. यह संदेश देने में कांग्रेस सफल नहीं हुई है.

edited by: Shubham

इस साल सलमान खान के ‘माता’-पिता को मिलेगा दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार

पिछले 30 सालों में अपनी अनूठी पहचान बनानेवाली पुणे स्थित और पंजीकृत चैरिटेबल संस्था मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान इस बार भी संगीत, नाटक, कला और सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न हस्तियों को सम्मानित करने जा रही है. प्रतिष्ठित मंगेशकर परिवार द्वारा हर साल दिए जानेवाले ये पुरस्कार इस बार बुधवार को यानि 24 अप्रैल, 2019 को मुम्बई के सायन स्थित शणमुखानंद हौल में वितरित किए जाएंगे. सीआरपीएफ के डायरेक्टरेक्ट जनरल श्री विजयकुमार इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. सभी विजेताओं को आरएसएस प्रमुख माननीय श्री मोहन भागवत के हाथों पुरस्कार दिए जाएंगे.

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गौरतलब है कि इस साल संगीत और कला के क्षेत्र में जानी-मानी शास्त्रीय नृत्यांगना श्रीमती सुचेता भिडे-छापेकर को दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा, मास्टर दीनानाथ मंगेशकर लाइफटाइम अवार्ड (जीवन गौरव पुरस्कार) श्री सलीम खान को दिया जाएगा, भारतीय सिनेमा‌ में योगदान के लिए श्री मधुर भंडारकर को दीनानाथ मंगेशकर विशेष पुरस्कार दिया जाएगा, भारतीय सिनेमा‌ में अपने बहुमूल्य योगदान के लिए श्रीमती हेलन को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, साहित्य के क्षेत्र में श्री वसंत वागाजी डहाके को वागविलासिनी पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा, भद्रकाली प्रोडक्शन्स के ‘सोयारे सकाल’ नाटक को साल के श्रेष्ठ नाटक के तौर पर मोहन वाघ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तालयोगी आश्रम के पंडित सुरेश तलवलकर को आनंदमयी पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा.

हेट स्टोरी बनाने वाले विवेक अग्निहोत्री के लिए वेब सीरीज का मतलब सेक्स

सीआरपीएफ के डायरेक्टरेट जनरल श्री विजयकुमार को गृह मंत्रालय के अधीन भारत के जवानों के लिए सामाजिक कार्य में संलग्न संगठन ‘भारत के वीर’ के लिए सम्मानित किया जाएगा. हमारे प्रतिष्ठान ने इस बार ये पुरस्कार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में मारे गये 40 से अधिक सीआरपीएफ़ के शहीदों को समर्पित करने का फ़ैसला‌ किया है. इसी कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप लता दीदी अपनी पिता मास्टर दीनानाथ की याद में एक करोड़ रुपए अपने अकाउंट से दान के तौर पर भी देंगी.

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इन पुरस्कारों का ऐलान करते हुए हृदयनाथ मंगेशकर और ऊषा मंगेशकर‌ ने कहा, “एक गायक, संगीतकार और मंचीय कलाकार के तौर पर मास्टर दीनानाथ के अमूल्य योगदान की स्मृति में मंगेशकर परिवार हर साल मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान अवार्ड्स का आयोजन‌ करता है जिसके ज़रिए विशिष्ट हस्तियों को सम्मानित किया जाता है. हमें इस बात की खुशी है कि हमारे इस अनूठे कार्य में हमें हमेशा से तमाम लोगों का भरपूर सहयोग मिलता रहा है.”

जंगली हाथियों को बचाने की कथा में इमोशंस और रोमांच का घोर अभाव

चुभ जाता है बस, सच जो तीखा कहता हूं…

जाने कब कब क्या क्या इल्जाम सहता हूं

खता इतनी सी है मेरी, बस सच कहता हूं

मेरा इरादा तो नहीं रहा तकलीफ देने का

चुभ जाता है बस, सच जो तीखा कहता हूं

खुदा और खुद के रास्ते पर यकीन है मुझे

तरकीब यही है वो जिससे पुर-सुकूं रहता हूं

न इंतजार है, न किसी के जाने का मलाल

किनारों से बंधा नहीं फिर भी साथ बहता हूं

सूरज से लड़ना, जहां बदलना मेरी जिद नहीं

बात इतनी सी है, हवाओं के भरोसे नहीं रहता हूं

न रात से कोई गिला न धूप से कोई शिकवा

ए मरूधर, हर हाल में खुद के जैसा रहता हूं…

जयाप्रदा के साथ नहीं हैं भाजपाई

बात हेमामलिनी या स्मृति ईरानी जैसी कट्टर भाजपाई अभिनेत्रियों की होती तो तय है कि भाजपाई अब तक आसमान सर पर उठा चुके होते लेकिन बात चूंकि जयाप्रदा की है इसलिए भगवा खेमे को कोई खास सरोकार उनकी बेइज्जती से नहीं है जो सपा छोड़कर भाजपा में आईं हैं. आईं भी क्या हैं अमर सिंह द्वारा लाई गईं हैं. उन्होंने आरएसएस के एक आनुशांगिक संगठन को 12 करोड़ की अपनी पैतृक संपत्ति दान देकर रामपुर से उनके लिए भाजपा का टिकट खरीदा है.

अमर सिंह और जयाप्रदा दोनों कभी सपा की शान और जान हुआ करते थे. यह बात आजम खान ने गिनाई भी लेकिन जयाप्रदा की अंडरवियर का खाकी रंग गिनाकर उन्होंने न केवल खुद के लिए आफत मोल ली हैं. बल्कि अपनी छिछोरी मानसिकता का भी नवीनीकरण कराते हुए साबित कर दिया है कि औरत होना किसी गुनाह से कम नहीं. भाजपाइयों की खामोशी कोई खास सस्पेंस पैदा नहीं कर रही क्योंकि वे आदिकाल से औरतों के अपमान पर चुप ही रहे हैं उल्टे इसका आनंद ही लेते रहे हैं. द्रौपदी का चीरहरण हो, अहिल्या का बलात्कार हो या फिर सीता का त्याग इसमें भी किवदंतियां गढ़ने में माहिर पौराणिकवादी जयाप्रदा के इस अपमान पर कोई खास नोटिस नहीं ले रहे हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सपा मुखिया मुलायम सिंह को ट्वीट कर एक रस्म सी अदा कर दी हैं. मुमकिन है अब भाजपा इस वाकया का जिक्र जन सभाओं में करें लेकिन आजम खान को घेरने का सही वक्त और मौका वह गंवा चुकी हैं. रामपुर की लड़ाई लगभग एकतरफा दिख रही है जहां अभी तक कोई दिग्गज भाजपाई नेता नहीं पहुंचा है और न ही पहुंचने के आसार दिख रहे तो उसकी वजह उनका जयाप्रदा को बाहरी और अछूत समझना ही है. नामांकन दाखिल करते वक्त भी उनके साथ कोई दिग्गज भाजपाई नेता भी नहीं था सिवाय मुख्तार अब्बास नकबी के जिन्हें मुसलमान होने के चलते भेजा गया था जिससे मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर मुस्लिम वोटर को रिझा सकें. गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ स्मृति ईरानी और हेमामलिनी के नामांकन दाखिले के समय उनके साथ थे  .

बहरहाल आजम खान की मंशा अगर खाकी अंडरवियर के बहाने जयाप्रदा के आरएसएस से जुड़ाव की बात बताने की थी तो और भी कई शिष्ट तरीके वे इस्तेमाल कर सकते थे. लेकिन उनकी मंशा जयाप्रदा को जलील करने की ही थी, जो उन्होंने पूरी कर डाली जिस पर कौरव पांडवों की सभा में द्वापर सा सन्नाटा छाया हुआ है. ‘कृष्ण’ को आने की फुर्सत नहीं क्योंकि वे मथुरा में हेमामलिनी का प्रचार देख रहे हैं.

भगवा खेमे से चुप्पी की उम्मीद से ज्यादा हैरत की बात फिल्म इंडस्ट्री की भी प्रतिक्रियाहीनता है जो अपने साथी कलाकार के अपमान पर उफ तक नहीं कर रही. यानि आजम खान का आतंक रामपुर या लखनऊ तक ही सिमटा नहीं है बल्कि मुंबई तक उनका लिहाज करती है. वैसे सोचने वाले यह सोचकर भी खामोश रहे होंगे कि जिस पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जब उसे ही कोई मतलब नहीं तो हमारी क्या गरज पड़ी है.

चुनाव प्रचार और कितने घटिया और छिछोरे लेबल पर जाएगा. यह देखने में अभी 35 दिन और हैं, वैसे बात चोली और चुनरी से नीचे और क्या जाएगी.

फेसपैक लगाते समय रखें 6 बातों का खास ध्यान

आपके चेहरे को फेसपैक चमकदार बनाने के साथ ही लंबे समय तक सौंदर्य बनाए रखने में काफी मदद करता है. इसलिए इसे सही तरीके से आपको अपने चेहरे पर लगाना चाहिए. आप फेसपैक लगाते समय कुछ ग‍लतियां कर देती हैं, इससे आपके त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

  1. फेसपैक लगाने के समय आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए ताकि आपके चेहरे को कोई नुकसान न पहुंचे.
  2. फेसपैक को सीधे ब्रश से लगाने की बजाय इसे मसाज करते हुए लगाएं. ऐसा करने से फेसपैक चेहरे की अंदरूनी सतह तक पहुंचकर काम करता है. 10 मिनट की मसाज देते हुए पैक को 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगा छोड़ दें. इसके बाद पानी से चेहरा साफ कर लें.
  3. फेसपैक लगाने के बाद साफ चेहरे पर टोनर या गुलाबजल कॉटन से अच्‍छी तरह लगाएं. इससे त्‍वचा में ग्‍लो आएगा.

5 होममेड टिप्स: घर बैठे पाएं सौफ्ट एंड स्ट्रेट हेयर

  1. फेसपैक को बिल्कुल सूख जाने के बाद हटाना, ऐसा करने से बचें. इससे त्‍वचा रूखी हो जाती है और उसमें झुर्रियां जल्‍दी आती हैं. फेसपैक जैसे ही हल्‍का सूखने लगे, उसी वक्त चेहरे को गुनगुने पानी या फिर ताजे पानी से धो लें.
  2. फेसपैक हमेशा नहाने के बाद लगाएं. अधिकतर लोग नहाने से पहले ही फेसपैक लगाते हैं लेकिन ऐसा करने से बचें. नहाने से पहले फेसपैक लगाने से चेहरे की नमी कम होने लगती है. जबकि नहाने के बाद त्‍वचा के पोर्स खुल जाते हैं और फेसपैक चेहरे के अंदर तक पहुंचकर इसकी रौनक बढ़ाने का काम करता है.
  3. फेसपैक लगाने के बाद आंखें बंद करके थोड़ी देर रिलैक्‍स होकर बैठें. ऐसा करने से चेहरे की त्‍वचा को आराम पहुंचता है. फेसपैक लगाने के बाद बातचीत करने से बचें क्‍योंकि इस तरह चेहरा सिकुड़ता है. यह सिकुड़न पर चेहरे की त्‍वचा को ढीला कर देती है.

टीनएज लड़कियां ऐसे करें अपना मेकअप

स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक हैं ये तीन चीजें

अनहेल्दी डाइट सेहत के लिए काफी हानिकारक होती हैं. इससे ना सिर्फ हमारी सेहत बुरी तरह से प्रभावित होती है बल्कि समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ जाता है. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अनहेल्दी डाइट की वजह से दुनियाभर में बहुत अधिक मौतें हो रही हैं. स्टडी में ये भी बताया गया कि अगर आप नियमित तौर पर अनहेल्दी फूड्स ले रहे हैं तो आपकी सेहत को ये धूम्रपान से होने वाले नुकसान से भी अधिक नुकसान पहुंचाता है.

इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट की माने तो असमय मौत के लिए धूम्रपान से अधिक खराब खानपान जिम्मेदार है. इस शोध में40 देशों को करीब 130 वैज्ञानिक शामिल थे. स्टडी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2017 में खराब डाइट की वजह से 22 फीसदी मौतें हुईं. जबकि, धूम्रपान करने की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा इससे कम था.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों की मौत के लिए अनहेल्दी चीजें जिम्मेदार हैं. खास कर के ये तीन चीजें लोगों की सेहत पर और बुरा प्रभाव डालती हैं.

  • डाइट में साबुत अनाज की कमी.
  • फलों का कम सेवन करना.
  • डाइट में सोडियम की मात्रा अधिक होना.

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स्टडी के रिपोर्ट के मुताबिक, रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट, फास्ट फूड, जंक फूड, शुगर ड्रिंक्स, ट्रांस फैटी एसिड आदि चीजों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि आधुनिक जीवनशैली में लोग अनहेल्दी डाइट पर बहुत ज्यादा निर्भर रहते हैं. जबकि लोगों को अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए.

खूबसूरती को बरकरार रखेंगे ये 5 स्ट्रौबेरी टिप्स

बच्चे हो या बूढ़े सभी को स्ट्रौबेरी पसंद आती है. स्ट्रौबेरी हमारी सेहत और स्किन दोनों के लिए फायदेमंद होती है, लेकिन आपको पता है कि स्ट्रौबेरी हमारी स्किन के लिए किस तरह काम करती है. स्ट्रौबेरी में कई प्रमुख विटामिन और लवण मौजूद होते हैं.

इसके हेल्थ से जुड़े तो कई फायदे हैं ही लेकिन फेस और बौडी के लिए भी ये अचूक उपाय है. इसमें विटामिन सी, विटामिन ए और के पाया जाता है. साथ ही ये कैल्शियम, मैग्नीशियम, फौलिक एसिड, फॉस्फोरस, पोटैशियम और डायट्री फाइबर्स से भी भरा होता है. अच्छी बात ये भी है कि इसमें सोडियम, कोलेस्ट्रौल और फैट न के बराबर होता है. ये एक ऐसा फल है जिसमें सैलीसिलिक एसिड पाया जाता है जो कई प्रकार से रूप निखारने में मददगार होता है.

1. एजिंग के लक्षणों को कम करने में मदद करेगा स्ट्रौबेरी
स्ट्रौबेरी में विटामिन सी और एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो बढ़ती उम्र के लक्षणों को कम करने में मददगार होता है. साथ ही इसमें मौजूद लाइकोपीन स्किन की झुर्रियों और बारीक लाइन्स को साफ करने का काम करता है. और अगर आप चाहें तो स्ट्रौबेरी को दूध के साथ इसका पेस्ट बनाकर चेहरे पर मास्क की तरह भी लगा सकते हैं.

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2. फेस को शाइनी बनाएगा स्ट्रौबेरी

स्ट्रौबेरी में कई तरह के मिनरल्स होते हैं जो स्किन को शाइनी बनाता है. इसके अलावा स्ट्रौबेरी काले लिप्स को पिंक बनाने के लिए भी एक अच्छा उपाय है. आप चाहें तो इसे स्क्रब की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं.

3. कील-मुंहासों की प्रौबल्म दूर करेगा स्ट्रौबेरी

स्ट्रौबेरी का इस्तेमाल कील-मुंहासों की प्रौब्लम से छुटकारा पाने के लिए भी किया जाता है. इसके इस्तेमाल से पोर्स खुल जाते हैं जिससे स्किन की इनर लेयर में मौजूद गंदगी को साफ करते हैं. और गंदगी साफ हो जाने की वजह से कील-मुंहासों की समस्या भी दूर हो जाती है.

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4. डेड स्किन साफ करने के लिए बेस्ट औप्शन है स्ट्रौबेरी

स्ट्रौबेरी के इस्तेमाल से बहुत आराम से डेड स्कि.न साफ हो जाती है. डेड स्किन साफ हो जाने से फेस पर निखार आता है और ग्लोइंग स्कििन मिलती है.

5. दांतों के वाइटनेस के लिए स्ट्रौबेरी

सफेद चमकदार दांत खूबसूरती में चार-चांद लगा देते हैं. पर अगर आपके दांत सफेद न हों तो ये आपके इम्प्रेशन को भी खराब कर देते हैं. स्ट्रौबेरी मंण मौजूद विटामिन सी दांतों की शाइनिंग बरकरार रखने के लिए बहुत फायदेमंद है. स्ट्रौबेरी के इस्तेमाल से दांत नेचुरल तरीके से साफ हो जाते हैं.

इंसाफ का अंधेर

वह कैद में है. उसे बदतर खाना दिया जाता है. वह जिंदा लाश की तरह है. उस की जिंदगी का फैसला दूसरे लोग करेंगे. वे लोग जो न उसे जानते हैं, न वह उन को. कागज पर जो उस के खिलाफ लिखा गया है उसी की बुनियाद पर सारे फैसले होने हैं.

वह कैद क्यों किया गया? वह यादों में चला जाता है. बुंदेलखंड का छोटा सा गांव. डकैतों की भरमार. सब का अपनाअपना इलाका.

डाकू मानसिंह का गांव और पुलिस. कई बार पुलिस और डाकू मानसिंह का आमनासामना हुआ. गोलियां चलीं. मुठभेड़ हुई. दोनों तरफ से लोग मारे गए.

कई बार डाकू मानसिंह भारी पड़ा, तो कई बार पुलिस. दोनों के बीच समझौता हुआ और तय हुआ कि डाकू मानसिंह के साथ मुठभेड़ नहीं की जाएगी. लेकिन पुलिस को सरकार को दिखाने और जनता को समझाने के लिए कुछ तो करना होगा.

दारोगा गोपसिंह ने कहा, ‘‘ऐसा करो कि हफ्ते, 15 दिन में तुम अपना एक आदमी हमें सौंप देना. जिंदा या मुरदा, ताकि हमारी नौकरी होती रहे.’’

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शुरू में तो मानसिंह राजी हो गया, लेकिन जब उसे यह घाटे का सौदा लगा तब उस के साथियों में से एक ने उस से कहा, ‘‘आप अपने लोगों को ही मरवा रहे हैं. इस तरह पूरा गिरोह खत्म हो जाएगा. लोग गिरोह में शामिल होने से कतराएंगे.’’

मानसिंह ने कहा, ‘‘मैं अपने आदमी नहीं दूंगा. पासपड़ोस के गांव के लोगों को सौंप दूंगा अपना आदमी बता कर.’’

‘‘क्या यह ठीक रहेगा? क्या हम पुलिस को बलि देने के लिए डाकू बने हैं?’’ गिरोह के एक सदस्य ने पूछा.

मानसिंह बोला, ‘‘नहीं, यह कुछ समय की मजबूरी है. अभी हमारे गिरोह पर पुलिस का शिकंजा कसा हुआ है. जैसे ही हम पुलिस को मुंहतोड़ जवाब देने लायक हो जाएंगे तब पुलिस वालों की ही बलि चढ़ेगी.’’

‘‘कब तक?’’ गिरोह के दूसरे सदस्य ने पूछा.

‘‘दिमाग पर जोर मत दो. 1-2 आदमी पुलिस को सौंपने से कुछ नहीं बिगड़ जाता. हम गांव के अपने किसी दुश्मन को पकड़ कर पुलिस को सौंपेंगे, वह भी जिंदा. तब तक हमें भी संभलने का मौका मिल जाएगा.’’

‘‘और दारोगा मान जाएगा?’’ गिरोह के एक सदस्य ने पूछा.

मानसिंह चुप रहा. उस ने एक योजना बनाई. शहर से लगे गांवों में रहने वाले पुलिस वालों को उठाना शुरू किया. उन्हें डकैतों के कपड़े पहनाए. कुछ दिन उन्हें बांध कर रखा. जब उन की दाढ़ीबाल बढ़ गए, तो गोली मार कर उन्हें थाने के सामने फेंक दिया.

हैरानी की बात यह थी कि यह खेल कुछ समय तक चलता रहा. जब बात खुली तो पुलिस बल समेत दारोगा ने कई मुठभेड़ें कीं और हर मुठभेड़ में कामयाबी हासिल की.

मानसिंह कुछ समय के लिए अंडरग्राउंड हो गया. दारोगा गोपसिंह ने गांव वालों को थाने बुला कर थर्ड डिगरी देना शुरू कर दिया. उसे मानसिंह का पता चाहिए था और मानसिंह की मदद उस के गांव के लोग करते थे, यह बात दारोगा जानता था.

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एक बार खेत को ले कर गांव के 2 पक्षों में झगड़ा हुआ. दूसरा पक्ष मजबूत था और जेल में बंद शख्स का पक्ष कमजोर था. पैसे से और सामाजिक रूप से भी. उस के पिता के पास महज 5 एकड़ जमीन थी. दूसरे पक्ष को जब लगा कि मामला उस के पक्ष में नहीं जा पाएगा तब उस ने दारोगा गोपसिंह से बात की.

गोपसिंह ने बापबेटे को थाने में बुला कर धमकाया कि एक एकड़ खेती दूसरे पक्ष के लिए छोड़ दो, नहीं तो अंजाम बुरा होगा. लेकिन बापबेटा धमकी से डरे नहीं.

एक दिन जब बेटा शहर से मैट्रिक का इम्तिहान दे कर पैदल ही गांव आ रहा था कि तभी दारोगा की जीप उस के पास आ कर रुकी. 4 सिपाही उतरे. उसे जबरन गाड़ी में बिठाया और थाने ले गए.

उस ने लाख कहा कि वह बेकुसूर है, तो दारोगा गोपसिंह ने गुस्से में कहा, ‘‘तुम्हारे बाप ने मेरी बात नहीं मानी.

अब भुगतो. आज से कानून की नजर में तुम डाकू हो. आज रात में ही तुम्हारा ऐनकाउंटर होगा.’’

उसे हवालात में बंद कर दिया गया. अपनी मौत के डर से वह अंदर तक कांप गया.

रात होने से पहले मानसिंह के गिरोह ने थाने पर हमला कर दिया. दोनों तरफ से फायरिंग हुई. मानसिंह गिरोह के कई सदस्य मारे गए. दारोगा गोपसिंह और कई पुलिस वाले भी मारे गए.

शहर से जब एसपी आया तो नतीजा यह निकाला गया कि वह लड़का मानसिंह गिरोह का आदमी था. मानसिंह अपने गिरोह के साथ उसे छुड़ाने आया था. गिरोह की जानकारी के बारे में उसे थर्ड डिगरी टौर्चर से गुजरना पड़ा. आखिर में उसे जेल भेज दिया गया.

बाप को बहुत बाद में पता चला कि उस का बेटा डकैत होने के आरोप में जेल में बंद है. बाप ने अपनी औकात के मुताबिक वकील किया. जमानत रिजैक्ट हो गई.

बेटे का कानून पर से यकीन उठ चुका था. उसे अपने आगे अंधेरा दिखाई दे रहा था. उसे तब गुस्सा आया जब अदालत ने उसे गुनाहगार मान कर उम्रकैद की सजा सुना दी. अब उस की तमाम उम्मीदों पर पानी फिर गया. पहली बार उस के मन में खयाल आया कि उसे भाग जाना चाहिए और जब उसे अपने जैसी सोच के कुछ लोग मिले तो वे आपस में भागने की योजना बनाने लगे.

वे सब जेल में एकसाथ टेलर का काम करते थे जो उन्हें सिखाता था और उस के अलावा 3 और कैदी मिला कर वे 5 लोग थे. पांचों को उम्रकैद की सजा हुई थी.

इधर बूढ़े बाप ने सोचा, ‘क्या करूंगा 5 एकड़ खेती का. इस से अच्छा है कि जमीन बेच कर बेटे के लिए हाईकोर्ट में अपील की जाए.’

बाप ने गांव की खेती औनेपौने दाम में बेच कर सारा रुपया वकील को दे दिया. बेटे को इसलिए नहीं बताया क्योंकि उसे लगेगा कि बाप उसे झूठा ढांढस बंधा रहा है.

हाईकोर्ट में सुनवाई का दौर शुरू हो चुका था. वे पांचों जेल के अंदर जितनी योजनाएं बनाते, उन में कहीं न कहीं कोई गलती नजर आती. एकदम जबरदस्त प्लान नहीं था उन के पास. शायद उन के अंदर पकड़े जाने का डर था. वे भागने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे. योजना पर बात करते लंबा समय हो गया था.

झुंझला कर पहले कैदी ने कहा, ‘‘आजादी का सपना अब सपना ही रहेगा. हमारे नसीब में कैद ही है. हम क्यों बात कर के अपना दिमाग खराब कर रहे हैं.’’

दूसरे कैदी ने कहा, ‘‘हां, एक ही बात बारबार करने से दिमाग पक चुका है. तय कर लो कि भागना है या नहीं.’’

तीसरे कैदी ने कहा, ‘‘कोई तो रास्ता होगा यहां से निकलने का. क्या हम उम्रभर जेल में सड़ते रहेंगे.’’

चौथे कैदी ने कहा, ‘‘उम्रकैद का मतलब है पूरी जिंदगी जेल में. जब तक शरीर में जान है, तब तक कैद में.’’

अब 5वें यानी उस की बारी थी. उस ने कहा, ‘‘मुझे तो सोच कर ही घबराहट होती है कि हमारी लाश जेल से बाहर जाएगी. मैं बिना कुसूर के जेल में सड़ने को तैयार नहीं हूं.

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‘‘किस आदमी ने बनाया कैदखाना. कितना जालिम होगा वह. मैं कोई तोता नहीं हूं कि पिंजरे में कैद रहूं. अगर कोई कुसूरवार है तब भी उसे किसी दूसरे किस्म की सजा दी जा सकती है.

‘‘कैदखाना वह जगह है जहां आदमी पलपल मरता है. उसे दूर कर दिया जाता है अपने परिवार से, अपनी जिम्मेदारियों से.

‘‘मेरे बूढ़े बाप का क्या कुसूर है? उन्हें किस बात की सजा दी जा रही है? क्या गुनाह है उस बेटी का जिस से छीन लिया जाता है उस का पिता? क्या गुनाह है उस बेटे का जिसे बाप के होते हुए यतीम कर दिया जाता है? उस मां के बारे में नहीं सोचा कैद करने वाले ने कि उस की देखरेख कौन करेगा? उस पत्नी का क्या जो जीतेजी विधवा की जिंदगी भोगती है. हमें मौत की सजा दे दो. कम से कम बाहर कोई इंतजार तो न करता रहे.

‘‘हमें किसी ऐसे काम पर लगा दो कि पछतावा भी हो और जनसेवा, देशसेवा भी. कैद करने से किस का भला? जेलों पर सरकार के करोड़ों रुपए खर्च होते हैं. एक आदमी की सजा कई लोग भुगतते हैं. मुझे मंजूर नहीं यह अंधेरगर्दी.

‘‘यह क्या बात हुई कि किसी अपराध में पुलिस ने पकड़ा और भेज दिया जेल. अब जमानत के लिए कोर्ट के चक्कर लगाओ. वकीलों को पैसा दो. घरबार जमापूंजी सब बेच दो अपने को बेगुनाह साबित करने के लिए.

‘‘सालों मुकदमा चलता रहता है. कुसूरवार अकसर छूट जाते हैं और बेगुनाह की जमानत तक नहीं हो पाती. ऐसे अंधे कानून पर भरोसा नहीं कर सकता मैं. न ही ऐसे कानून को मैं मानता हूं.

‘‘इस जेल में ऐसे कई लोग हैं जिन के मुकदमे का फैसला तब हुआ जब वे आधी जिंदगी जेल में काट चुके थे. बाद में उन्हें बाइज्जत रिहा कर दिया गया. उन के कीमती साल कौन लौटाएगा उन्हें?

‘‘यहां सभी को बिकते देखा है मैं ने. जाति, भाषा, धर्म की बुनियाद पर फैसले देते हुए. मैं आजाद हवा में सांस ले कर मरूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए.’’

बाकी चारों ने उस की बात का समर्थन किया. एक ने कहा, ‘‘तुम कहो, करना क्या है? हम तुम्हारे साथ हैं.’’

उस ने कहा, ‘‘हम पांचों मेन गेट के पास ड्यूटी करते हैं. 12 बजे मुलाकात बंद हो जाती?है. जेलर अपने बंगले पर चला जाता है. मेन गेट पर महज 2 सिपाही रहते हैं. एक के पास चाबी होती है, दूसरे के पास लाठी. हमें अपनी कैंचियों को हथियार बना कर एक से चाबी छीन कर गेट खोलना है.

‘‘हम लौकअप के समय 12 बजे खाना खाने जाएंगे. उस के बाद हमें फिर बुलाया जाएगा. उस समय हम 5 होंगे और वे 2. अब इतनी हिम्मत हमें करनी ही होगी.’’

पहले कैदी ने कहा, ‘‘लेकिन, हमें कितना कम समय मिलेगा. हमारे बाहर निकलते ही खतरे का सायरन बजेगा. हम ज्यादा दूर नहीं भाग पाएंगे. सारे शहर की पुलिस हमारे पीछे होगी.’’

उस ने कहा, ‘‘पहले हमें बाहर निकलना है. जहां हम काम करते हैं उसी कमरे में एकएक कर के अपनी ड्रैस बदलनी है और तेजी से बाहर निकलना है. एक बार भीड़ में गुम हो गए तो फिर आसानी से नहीं पकड़े जाएंगे. किसी की गाड़ी छीन कर भी भाग सकते हैं. पुलिस चैकपोस्ट पर होगी. हमें शहर के अंदर ही रहना है भीड़ में. इस के अलावा और कोई रास्ता नहीं है.’’

दूसरे कैदी ने कहा, ‘‘मैं इमर्जैंसी सायरन बंद कर सकता हूं.’’

उस ने कहा, ‘‘यह तो अच्छी बात है. लेकिन ध्यान रहे, कम समय में. उतने ही समय में जितने समय में हम चाबी छीन कर दोनों संतरियों को काबू में कर के बाहर निकलेंगे.’’

तीसरे कैदी ने कहा, ‘‘अगर आसानी से काबू में न आए संतरी तो…?’’

‘‘तो कैंची से वार कर देना,’’ चौथे कैदी ने जवाब दिया.

‘‘और यह सब कब करना है?’’ पहले कैदी ने पूछा.

‘‘4 घंटे की ड्यूटी में कोई एक पुलिस वाला अंदर का गेट पार कर के पेशाब के लिए तो जाएगा ही. हमें उसी समय अंदर का गेट बंद कर देना है. एक सिपाही रहेगा. बहुत आसानी रहेगी. और अगर किसी तरह हम मेन गेट के संतरी को अपने काम करने वाले कमरे तक ला सके और उसे किसी तरह कमरे में बंद कर दिया तो हमें ज्यादा समय मिल सकता है. बोलो, तैयार हो?’’

सब ने सहमति जताई. यह योजना बाकी चारों को बहुत पसंद आई थी. वे अब बारीक निगाहों से समय का, गेट के संतरी का, चाबी का, इमर्जैंसी सायरन पर ध्यान देने लगे थे.

इधर बूढ़े बाप के शरीर में अब इतनी ताकत नहीं थी कि वह चलफिर सके. बेटे की जिंदगी को ले कर जो इच्छाएं मन में थीं, वे तो खत्म होने के कगार पर थीं. बस यही आखिरी इच्छा थी कि मरने से पहले बेटा कैद से बाहर आ जाए.

बाप को बेटे की शादी की तो उम्मीद नहीं थी. कौन देगा जेल गए बेटे को अपनी लड़की? खेतीबारी बिक चुकी थी. मजदूरी करने की शरीर में ताकत नहीं थी. इस बुढ़ापे में वह मंदिर के पास पड़ा रहता. वकील से भी बहुत पहले कह दिया था कि हाईकोर्ट का जो फैसला हो, खबर भेज देना. वकील की एकमुश्त फीस दी जा चुकी थी.

आज मौका मिल ही गया उन पांचों को. दोपहर 2 बजे एक संतरी ने अपने साथ ड्यूटी करने वाले संतरी से कहा, ‘‘मैं हलका हो कर आता हूं.’’

जैसे ही उन्हें अंदर का गेट खोलने की आवाज आई, वे पांचों फुरती से बाहर निकले. एक ने दौड़ कर अंदर का गेट बंद किया. 2 लोग कैंची अड़ा कर संतरी को अंदर कमरे में ले गए. जो कपड़े सिल कर तैयार थे, उन्होंने पहन लिए थे. उस ने चाबी छीन कर मेन गेट पर लगाई.

एक कैदी ने इमर्जैंसी सायरन बंद करने की कोशिश की, लेकिन बात बन नहीं पाई. मेन गेट खुलते ही उस ने बाकी चारों से कहा, ‘‘जल्दी निकलो,’’ और वे तेज कदमों से बाहर की ओर बढ़े.

किसी काम से आते हुए एक संतरी ने उन्हें देख लिया. उसे हैरानी हुई. उस ने सोचा, ‘शायद पांचों की जमानत हो गई है या हाईकोर्ट से बरी हो गए हैं. लेकिन इन्हें तो शाम को छोड़ा जाता…’

उसे कुछ शक हुआ. वह तेजी से जेल की तरह बढ़ा. मेन गेट का दरवाजा खुला हुआ था और अंदर से दोनों संतरियों के चीखने की आवाजें आ रही थीं.

वह संतरी अंदर गया. उस ने अंदर के गेट का दरवाजा खोला. दोनों ने सारी बातें बताईं और तुरंत इमर्जैंसी सायरन के स्विच पर उंगली रखी.

सायरन की आवाज उन पांचों के कानों में पड़ी. वे मेन सड़क तक आ चुके थे. उन्होंने सामने से आती हुई बस देखी और बस के पीछे लटक गए. बसस्टैंड के आने से पहले ही वे पांचों अलगअलग हो गए.

उस ने पहले गांव जाने पर विचार किया, फिर तुरंत अपना इरादा बदला. वह पैदल ही शहर की भीड़भाड़ से गुजरते हुए आगे बढ़ता रहा. वह कहां जा रहा था, उसे खुद पता नहीं था.

वह शहर के बाहर चलते हुए खेतखलिहानों को पार करते हुए एक पहाड़ी पर पहुंचा. पहाड़ी पर एक उजाड़ सा मंदिर बना हुआ था. वह वहीं एक पत्थर पर बैठ गया. उसे नींद आई या वह बेहोश हो गया.

अचानक उस की नींद खुल गई. उसे कुछ खतरे का आभास हुआ. उस ने उजाड़ मंदिर की दीवार की आड़ से देखा. दर्जनभर हथियारबंद पुलिस वाले उसे तेजी से अपनी तरफ बढ़ते हुए दिखाई दिए. वह भागा. नीचे गहरी खाई थी. बड़ीबड़ी चट्टानों के बीच बहती हुई नदी थी. सिपाही उस पर बंदूकें ताने हुए थे.

एक सबइंस्पैक्टर था. उस ने उसे अपनी रिवौल्वर के निशाने पर लेते हुए कहा, ‘‘बचने का कोई रास्ता नहीं है. रुक जाओ, नहीं तो मारे जाओगे.’’

उस ने अपनेआप को पहाड़ से नीचे गिरा दिया. सैकड़ों फुट की ऊंचाई से गिरता हुआ वह पथरीली चट्टान से टकराया. तत्काल उस की मौत हो गई.

जेल से भागने के एक घंटे पहले ही हाईकोर्ट ने उसे बाइज्जत बरी कर दिया था. उस की रिहाई के आदेश जारी कर दिए गए थे. बूढ़े बाप तक वकील ने खुद गांव जा कर खबर सुनाई.

पर थोड़ी देर में गांव की चौकी से एक पुलिस वाले ने आ कर उस से कहा, ‘‘तुम्हारा बेटा 4 लोगों के साथ जेल तोड़ कर भागा था. 3 पकड़े गए हैं. एक भागते हुए ट्रक के नीचे आ गया और तुम्हारे बेटे ने पुलिस से बचने के लिए पहाड़ी से छलांग लगा दी और मर गया.’’

कुछ देर तक बाप सकते में रहा, फिर उस ने अपनेआप से कहा, ‘‘मेरी चिंता खत्म. आज सचमुच रिहा हो गया मेरा बेटा और मैं भी.’’

बाप भी लड़खड़ा कर गिर पड़ा और फिर दोबारा न उठ सका.

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