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खुशियों के पल – भाग-1

लाइब्रेरी के इश्यू काउंटर पर बैठी उस सुंदर सी लड़की ने उन की तरफ मुसकरा कर देखा व बोली, ‘‘ये किताबें इश्यू करनी हैं या जमा करनी हैं.’’

वे भी मुसकरा पड़े, ‘‘इश्यू करनी हैं, प्लीज.’’

उस ने झटका दे कर अपने माथे पर आई बालों की लट को पीछे किया व किताबें अपनी तरफ खींच लीं.

3 किताबें थीं. उन्होंने अपने कार्ड तीनों किताबों के कवर के नीचे लगा दिए थे ताकि इश्यू करने में आसानी हो. लड़की ने अपने सामने पड़ा मोटा सा रजिस्टर खींच लिया व किताबों की एंट्री करने लगी. रजिस्टर व किताबों में एंट्री कर के किताबें उन की तरफ बढ़ा दीं. वे एकटक उसे देख रहे थे. उस ने किताब पर उंगली टकटकाई.

‘‘ओ यस,’’ कहते उन्होंने किताबें उठा लीं व वापस मुड़े.

‘‘अरे, टोकन तो ले लीजिए,’’ उस ने आवाज दी.

‘‘आय एम सौरी,’’ उन्होंने घूम कर उस की हथेली से टोकन उठा लिया, ‘‘मैं किसी ध्यान में था.’’

‘‘नो प्रौब्लम, यू आर औलवेज वैलकम सर,’’ तीखी मुसकान से उस लड़की ने कहा.

‘‘आप यहां नई आई हैं क्या?’’ उन से पूछे बिना न रहा गया, ‘‘मैं ने आप को पहले नहीं देखा.’’

‘‘जब पहले नहीं देखा तो नई ही हूं,’’ वह खिलखिला कर हंस पड़ी, ‘‘मैं पहले पब्लिक लाइब्रेरी में थी, आज ही यहां आई हूं.’’

उस की हंसी पूरे इश्यू ऐंड डिपौजिट रूम के काउंटर, फर्नीचर, खिड़कियों में भर गई.

‘‘थैंक्यू,’’ कह कर वे रूम के बाहर निकल आए. बाहर के काउंटर पर किताबें चैक करा कर व टोकन सौंप कर वे लाइब्रेरी से बाहर आ गए व साइड में पार्क की गई अपनी कार के दरवाजे को रिमोट से खोल कर सीट पर बैठते हुए अपने माथे को हाथ से दबाया, ‘लड़की वाकई बड़ी खूबसूरत व तेज है भाई.’

लड़की की उम्र मुश्किल से 23-24 वर्ष की रही होगी. रंग गोरा, गुलाबी था. नाकनक्श जरा से तीखे थे. बाल घने व सीधे थे. बड़ीबड़ी आंखों की पुतलियां एकदम काली थीं व आंखें गहरी थीं. ऊंचे काउंटर पर बैठी वह लड़की उन्हें आकर्षक लगी थी.

वे कम उम्र के नौजवान नहीं थे. उन की उम्र 60 वर्ष की हो चुकी थी. अभी पिछले वर्ष ही वे अपनी 40 वर्ष की नौकरी पूरी कर के रिटायर हुए थे. एक सरकारी विभाग में उन का ओहदा एडीशनल सैक्रेटरी के स्तर का था. हालांकि उन्होंने अपनी नौकरी क्लर्क से शुरू की थी लेकिन सफलता की सीढि़यां बड़ी तेजी से चढ़ी थीं. औफिसर ग्रेड में तो वे 30 के पहले ही आ गए थे. वे बड़े मेहनती पर मस्तमौला टाइप के आदमी थे. पढ़नेलिखने का शौक उन्हें पहले से ही रहा था. वे अपने समय में आकर्षक व्यक्तित्व के मालिक रहे थे. उन का रंग गोराचिट्टा था. कद भी अच्छा था. 5 फुट 10 इंच.

बचपन में गांव में पिताजी के निर्देश पर अखाड़े में की गई मेहनत ने उन का साथ ताउम्र दिया था. अभी भी सुबह आधा घंटा व्यायाम करने के कारण जिस्म चुस्त था. वे शुरू से ही पौष्टिक भोजन ही करते रहे. जीवनचर्या अनुशासित रही. कपड़े का चयन उन का हमेशा यूनीक हुआ करता था. इसी कारण उन के दोस्त कहा करते थे, ‘यार विशाल, तुम तो एकदम देवानंद लगते हो.’

विशाल की शादी 26 वर्ष की आयु में हुई थी. उन की पत्नी माधुरी भी कम खूबसूरत नहीं थी. वह उन से 2 वर्ष छोटी थी पर अब उम्र के साथ स्थूल हो गई थी. उस को उम्रभर मीठे का शौक रहा. चौकलेट व आइसक्रीम उस की कमजोरी रही. सो, वजन बढ़ना लाजिमी था. गनीमत थी उसे ब्लडप्रैशर या शुगर जैसी कोई बीमारी नहीं हुई थी.

उन के 2 पुत्र थे. पुत्री कोई नहीं थी. दोनों पुत्र इंजीनियर थे. रिटायरमैंट से पहले ही दोनों पुत्रों के विवाह कर के वे अपनी जिम्मेदारियों से फ्री हो गए थे. दोनों लड़के व बहुएं विदेश में थे. बड़ा वाला बेटा अमेरिका में व छोटा कनाडा में.

घर पहुंचतेपहुंचते वे उस लाइब्रेरी वाली लड़की को भूल चुके थे. पर कार की पिछली सीट से किताबें उठाते हुए बड़ी तेजी से उस की याद आई, पर उन्होंने मुसकरा कर सिर झटक दिया व अंदर की तरफ बढ़ गए. सामने ड्राइंगरूम में ही माधुरी बैठी कोई मैगजीन देख रही थी.

‘‘आ गए,’’ माधुरी ने मुसकरा कर कहा, ‘‘कहां गए थे मटरगश्ती करने शशिकपूर.’’ वह उन्हें शुरू से ही शशिकपूर कहती थी. अभिनेता शशिकपूर उस का फेवरिट जो था.

‘‘आज तो लाइब्रेरी गया था,’’ उन्होंने कहा.

‘‘लाइब्रेरी में कहीं मटरगश्ती होती है क्या?’’

‘‘तुम को कैसे पता चल जाता है भई. आज तो सच में लाइब्रेरी में मटरगश्ती करने गया था. बड़ी खूबसूरतखूबसूरत लड़कियां होती हैं वहां. मजा आ जाता है.’’

‘‘चलो मूर्ख मत बनाओ, खाना लगा देती हूं, खा लो.’’

‘‘लाइब्रेरी के पहले सरला आंटी के यहां चला गया था. वे तो करीबकरीब बैडरिडेन हो गई हैं. अंकल परेशान थे.’’

‘‘चलो यह अच्छा किया,’’ माधुरी उठ गई, ‘‘सोचती हूं मैं भी किसी दिन उन्हें देख आऊं.’’

‘‘चलो न, अगले हफ्ते ही चलते हैं,’’ कह कर वे कमरे में कपड़े बदलने लगे.

यह मकान उन्होंने करीब 10 वर्ष पहले बनवाया था. जमीन तो पहले की ली हुई थी. 3 कमरे व हौल नीचे थे, ऊपर एक कमरा बनवाया था. उस के ऊपर खुली छत थी व सामने 15 फुट का बगीचा था. गाड़ी खड़ी करने को पोर्टिको भी था. मकान उन्होंने बड़े शौक से बनवाया था. माधुरी मकान को रखती भी बड़े सलीके से थी. उस से खुद तो ज्यादा मेहनत नहीं होती थी पर झाड़ू, डस्ंिटग के लिए कामवाली लगी थी. हौल में पड़ा सोफा व 2 बुकशैल्फ शानदार व चमकदार थीं. घर में रहने वाले वे 2 ही थे. लड़के तो बाहर ही थे. हां, 2 साल में एकबार वे साथसाथ आने का प्रोग्राम बनाते थे. तब घर में पूरी रौनक हो जाती थी.

बड़े लड़के के एक बेटी थी. छोटे बेटे के अभी कोईर् संतान नहीं थी. वे फैमिली प्लानिंग कर रहे थे. वे जब आते थे तो पूरे घर में तूफान सा आ जाता था. रुपएपैसे की कोई कमी नहीं थी. रिटायरमैंट के बाद पीएफ व ग्रेच्युटी की पूरी रकम बैंक में पड़ी थी. उन की पैंशन भी अच्छीखासी थी. बेटे भी कुछ भेजते रहते थे. घर में खाना बनाने का काम माधुरी खुद ही करती थी. बाहर की मार्केटिंग व सब्जी वगैरह लाने का काम विशाल खुद करते थे. 2 ही तो लोग थे, काम ही कितना था.

वे आमतौर पर 15 दिनों में लाइब्रेरी की किताबें पढ़ लिया करते थे. दिन में भी पढ़ते थे, रात में तो पढ़े बिना उन्हें

नींद ही नहीं आती थी. करीब 15 दिनों के बाद उन्होंने लाइब्रेरी जाने का प्रोग्राम बनाया.

गरमी के दिनों में वे टीशर्ट ही पहना करते थे. आज भी उन्होंने बड़े जतन से हलके नीले रंग की टीशर्ट व गाढ़े नीले रंग का फिट पैंट पहना था. आंखों पर फोटोक्रोमिक लैंस का चश्मा भी लगा लिया था. हालांकि चश्मे का नंबर जीरो था. आराम से ड्राइविंग करते हुए वे लाइब्रेरी पहुंच गए. वे अनजाने में ही हलकेहलके सीटी बजा रहे थे. कार से उतरने के पहले हलका सैंट भी स्प्रे कर लिया था. सब से पहले उन्हें इश्यू व डिपौजिट काउंटर या रूम में ही जाना था.

उन का दिल धक से रह गया. आज वह लड़की काउंटर पर नहीं थी. उस की जगह कोई और लड़की काउंटर पर बैठी किताबें इश्यू व जमा कर रही थी. जब उन का नंबर आया तो उस ने सामान्यभाव से उन की किताबें जमा कर के उन के तीनों कार्ड उन्हें दे दिए.

क्या हो गया उस लड़की को. कहीं किसी और लाइब्रेरी में ट्रांसफर तो

नहीं हो गया. पर इतनी जल्दीजल्दी तो ट्रांसफर होता नहीं है. जरूर तबीयत खराब हो गई होगी. उन्हें तो उस का नाम भी नहीं मालूम वरना किसी से पूछ ही लेते. उन की उम्र को देखते हुए कोई कुछ सोचता भी नहीं. यही सब सोचते हुए वे एक शैल्फ से दूसरी शैल्फ  में लगी किताबें देखते रहे. आज उन से अपनी मनपसंद किताबें छांटते नहीं बन पा रहा था.

‘‘गुडमौर्निंग सर,’’ वे चौंक कर पीछे मुड़े.

वही लड़की पीछे खड़ी मुसकरा रही थी. वे एक क्षण के लिए ताज्जुब में पड़ गए. वह आज और भी सुंदर, और भी दिलकश लग रही थी. हरे रंग के सूट में उस की खूबसूरती और भी खिल रही थी. काउंटर पर बैठी हुई वह आधा ही दिखाई देती थी पर इस समय वह पूर्णरूप से उन के सामने थी. उस के पैरों में पतली मैचिंग चप्पलें थीं.

‘‘गुडमौर्निंग, बल्कि वैरी गुडमौर्निंग,’’ उन्होंने अपने को संभाल लिया. वे वाकई चौंक गए थे.

‘‘आय एम सौरी सर, मुझे पीछे से आवाज नहीं देनी चाहिए थी. आय एम रियली सौरी.’’

‘‘नहीं, कोई बात नहीं. आज आप की ड्यूटी काउंटर पर नहीं है क्या?’’

‘‘नहीं, यहां का कैटलौग बड़ा अव्यवस्थित है. वही ठीक करने के लिए कहा गया है. आप किस तरह की किताबें पढ़ते हैं सर?’’

‘‘नौरमली, मैं हर विषय पर पुस्तकें पढ़ लेता हूं. पर मेरी खास पसंद सोशल राइटिंग है.’’

‘‘आज लगता है अभी तक आप को कोई किताब पसंद नहीं आई है. क्या मैं आप की कोई मदद करूं?’’

‘‘नहींनहीं, मैं कर लूंगा. फिर तुम्हें अपना भी तो काम करना है, डिस्टर्ब होगा. माफ करना, मैं आप को तुम्हें कह गया.’’

‘‘ठीक तो है. आप को मुझे तुम ही कहना चाहिए. और मुझे क्या डिस्टर्ब होगा. कैटलौग का एक दिन का काम तो है नहीं. दसियों हजार किताबें हैं. पूरे कैटलौग को चैक करना व फिर मिसिंग को चढ़ाना एक आदमी का काम नहीं है. लाइब्रेरियन भी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं. कहने को हो गया कि किसी को कैटलौग के काम में लगाया है.’’

उस का चेहरा थोड़ा तमतमा गया था. उस का तमतमाया चेहरा और भी अच्छा लग रहा था. वे किनारे की शैल्फ के पास खड़े हो कर बातें कर रहे थे व धीरेधीरे बोल रहे थे जिस से दूसरे लोगों को असुविधा न हो.

‘‘मैं तो कैटलौग के पास कभी गया ही नहीं. सीधे शैल्फ से ही किताबें सिलैक्ट कर लेता हूं.’’

‘‘आप क्या किसी सरकारी विभाग में हैं?’’

‘‘हां.’’

‘‘गजेटैड अफसर होंगे आप तो?’’

‘‘कह सकती हो, बात क्या है?’’

‘‘मुझे आप से एक काम है. इसीलिए आप को देखा तो आप के पास आ गई. क्या आप मेरा एक काम कर देंगे?’’ उस ने अपनी मुसकराहट बिखेरी.

‘‘बोलो, क्या काम है? जरूर कर दूंगा.’’ उन को अंदर से उतावलापन महसूस हुआ.

‘‘मुझे अपने कुछ टैस्टिमोनियल्स अटैस्ट कराने हैं. मुझे एक अच्छी जगह अप्लाई करना है. क्या आप अटैस्ट

कर देंगे.’’

‘‘और कहीं क्यों अप्लाई कर रही हो? यहां तो जौब कर ही रही हो न?’’

‘‘नहीं, मैं यहां जौब नहीं कर रही हूं. मैं यहां ट्रेनिंग कर रही हूं. मैं एमलिब कर रही हूं. हमें एक साल लाइब्रेरी में काम करना पड़ता है. तो आप अटैस्ट कर देंगे न.’’

‘‘अटैस्ट तो कर देता, पर एक प्रौब्लम है.’’

‘‘क्या प्रौब्लम है? क्या आप गजेटैड अफसर नहीं हैं?’’

‘‘नहीं, गजेटैड अफसर तो था पर, पर…अच्छा तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘मेरा नाम नीरजा है. नीरजा टंडन. आप का नाम क्या है?’’

‘‘तुम मुझे विशाल अंकल कह सकती हो.’’

‘‘अंकल, तो मैं कभी न कहूं आप को.’’

‘‘तो तुम विशाल कह सकती हो,’’ उन्हें अंदर से खुशी महसूस हुई.

‘‘पर प्रौब्लम क्या है, यह तो बताइए.’’

‘‘देखो नीरजा, मैं रिटायर हो चुका हूं.’’

‘‘रिटायर…आप…हो ही नहीं सकता. रिटायर तो 60 साल की उम्र में होते

हैं न? क्या आप को जल्दी रिटायर कर दिया गया?’’

‘‘नहीं, मैं समय पर ही रिटायर हुआ हूं. अभी पिछले साल ही रिटायर हुआ हूं.’’

‘‘पर आप की उम्र तो 60 की लगती ही नहीं.’’

‘‘कितनी लगती है?’’ अब वे मुसकरा पड़े. नीरजा ने उन्हें ध्यान से देखा, ऊपर से नीचे तक देखा. फिर बोली, ‘‘50, बस, इस से ज्यादा नहीं.’’

‘‘पर मैं तो समझता था कि तुम यहां नौकरी करती हो. क्या ट्रेनिंग में कुछ पैसा भी देते हैं?’’

‘‘हां, स्टाइपैंड देते हैं. पर ज्यादा नहीं. मैं तो सोच रही थी कि आप से मेरा काम हो जाएगा.’’

‘‘अरे, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’

‘‘सच कह रहे हैं,’’ उस ने धीरेधीरे अपनी निगाह ऊपर उठाई व उन के चेहरे की तरफ देखा, ‘‘क्या सच ही.’’

‘‘बिलकुल सच. मेरे कई साथी हैं. मैं किसी से भी अटैस्ट करा दूंगा. देखूं, कौन से पेपर हैं.’’

‘‘अभी लाई. मेरे बैग में औफिस में हैं. आप पूरी फाइल ही ले लीजिएगा. यहां किसी को पता नहीं चलना चाहिए.’’

वह जल्दी से औफिस की ओर चल दी. उन को अंदर से बड़ा अच्छा लग रहा था. उन्होंने जल्दी से किताबें देखीं व उसी शैल्फ  से 3 किताबें फाइनल कर लीं. तभी नीरजा वापस आ गई. उस के हाथ में एक औफिस फाइल थी.

‘‘इसी में सारे टैस्टिमोनियल्स हैं. जिन्हें अटैस्ट करना है उन में फ्लैग लगे हैं. इस में मेरी अप्लीकेशन भी है. प्लीज मेरा साइन भी वैरीफाई करा दीजिएगा.’’

‘‘ठीक है, ओरिजिनल कहां हैं.’’

‘‘ओरिजिनल तो यहां नहीं हैं. क्या नहीं हो पाएगा? ये सभी ओरिजिनल की फोटोकौपीज हैं.’’

‘‘कोई बात नहीं. मैं कह दूंगा ओरिजिनल मैं ने देख लिए हैं. फिर फोटोकौपी भी तो ओरिजिनल से ही होती है न.’’

‘‘थैंक्यू सर, आप का बड़ा एहसान होगा. लगता है आप ने बुक्स फाइनल कर ली हैं. आप बैठिए, मैं बुक्स इश्यू करा लाती हूं. कार्ड भी दे दीजिए.’’

उन्होंने कार्ड व पुस्तकें उसे दे दीं. वह इश्यू कराने के लिए चली गई. वे फाइल हाथ में लिए बुकशैल्फ के पास खड़े किताबें देखते रहे. उन के मन में नीरजा का कहा गूंजता रहा. उस ने क्यों कहा कि अंकल तो मैं कभी न कहूं आप को. चलो अगर वह उसे 50 का भी मानती है तो अंकल लायक बड़ा तो उसे मानना ही चाहिए. उन्हें थोड़ा गर्व भी महसूस हुआ. ऐसे ही नहीं, उन के दोस्त पहले उन्हें देवानंद कह कर बुलाया करते थे. नीरजा ने कहा था, फाइल में उस की अप्लीकेशन भी है. उन्होंने फाइल खोल कर देखी. उन का मन खुश हो गया. अप्लीकेशन में उस का प्यारा सा फोटो लगा हुआ था.

‘‘क्या देख रहे हैं?’’

उन्होंने ध्यान नहीं दिया था, नीरजा वापस आ चुकी थी, ‘‘मेरा फोटो देख रहे हैं न. देखिए, जीभर कर देखिए. बल्कि कहिएगा तो अपना एक फोटो अलग से दे दूंगी.’’

‘‘अप्लीकेशन में छोटा फोटो लगाते हैं, तुम ने पासपोर्ट साइज लगा रखा है. वही देख रहा था.’’

‘‘पासपोर्ट साइज ही मांगा है. ये लीजिए अपनी किताबें व टोकन. तो कब आऊं, मैं आप के घर?’’

‘‘घर…वो किस…किसलिए?’’

‘‘अरे, पेपर लेने के लिए.’’ नीरजा शरारत से मुसकरा पड़ी, ‘‘आप तो घबरा गए. अप्लाई भी तो करना है. कब अटैस्ट कराएंगे?’’

‘‘अटैस्ट तो मैं आज ही करा लूंगा. पर मेरा घर तो बहुत दूर है. ऐसा है, मुझे

2-3 दिनों में इधर आना है. मैं ही ला कर दे दूंगा.’’

‘‘आप के पास कार है न. मैं ने देखी है. किसी दिन उस में मुझे भी घुमाइए न.’’

‘‘जब कहो. पर आज मैं चलता हूं. तुम तो शाम को ही निकल पाती होगी?’’

‘‘मैं ठीक 5 बजे निकल जाती हूं. आप ऐसा कीजिएगा, आप परसों 5 बजे ही आइएगा. गाड़ी सड़क पर ही पार्क कर दीजिएगा. मैं वहीं आप से पेपर ले लूंगी. परसों जरूर आइएगा.’’

‘‘पक्का,’’ कह कर उन्होंने किताबें उठा लीं व हाथ हिला कर बाहर आ गए. गाड़ी का दरवाजा खोल कर किताबें व फाइल पीछे की सीट पर रख कर ड्राइविंग सीट पर बैठे व रूमाल निकाल कर पसीना पोंछा. नीरजा एक तेज नशे की तरह उन के व्यक्तित्व पर छाती चली जा रही थी. अटैस्ट करने का क्या है, उन्होंने गाड़ी स्टार्ट करते हुए  सोचा. एडीशनल सैक्रेटरी की मुहरें घर पर पड़ी ही रहती थीं. अभी भी पड़ी हैं. मुहर लगा कर अटैस्ट कर साइन कर देंगे. बस, हो गया काम. किसी को क्या मालूम कब किया था.

घर पहुंच कर उन्होंने मुहर ढूंढ़ ली. उन के औफिस वाले बैग में ही मिल गई. अपनी स्टडी वाले छोटे रूम में आ कर उन्होंने सभी टैस्टिमोनियल्स पर मुहर लगा कर साइन भी कर दिए. ऊपर अटैस्ट भी लिख दिया. फिर पता नहीं क्या मन में आया कि उस की अप्लीकेशन स्कैन कर ली. कलर पिं्रटर व स्कैनर उन के पास था ही. अप्लीकेशन का स्कैन आ गया व नीरजा की फोटो भी बढि़या स्कैन हो गई. उन्होंने कैंची से फोटो काट ली व उलटी कर के पर्स में रख ली. अप्लीकेशन में साइन भी वैरीफाई कर दिए.

दूसरे दिन कुछ समय पहले ही लगभग साढ़े 4 बजे वे लाइब्रेरी पहुंच गए. बाहर सड़क पर ही गाड़ी पार्क कर दी. आज भी उन्होंने टीशर्ट व पैंट पहनी थी पर कलर अलग था. वे रोज सुबह नहाने से पहले दाढ़ी बनाते थे पर आज 2 बार बनाई थी. निकलने से पहले भी दाढ़ी बनाई थी.

ठीक 5 बजे नीरजा लाइब्रेरी से बाहर निकलती दिखाई दी. बाहर निकल कर वह ठिठकी, चारों तरफ देखा. उन की गाड़ी देख कर सीधे उन की तरफ आई. वे गाड़ी में बैठे रहे.

‘‘मेरा काम हुआ?’’ उस ने सीधे पूछा.

‘‘हो गया, आओ बैठो,’’ उन्होंने कहा.

‘‘नहीं, आप फाइल दे दीजिए सर. मुझे देर हो रही है.’’

‘‘लोग देख रहे हैं नीरजा. यह सड़क है. फिर तुम चैक भी तो कर लो न. कहीं छूटा न हो. आओ बैठो.’’ उन्होंने पैसेंजर साइड का दरवाजा खोल दिया. नीरजा वहां 2 क्षण खड़ी रही, फिर घूम कर आ कर बैठ गई व दरवाजा बंद कर लिया. आज उस ने ऊंची एड़ी की सैंडिल पहन रखी थी. उन्होंने इंजन स्टार्ट कर दिया.

उन्हें इंजन स्टार्ट करते देख उस ने नजरें उठाईं, ‘‘कहां ले जा रहे हैं मुझे?’’

‘‘कहीं नहीं, गाड़ी खड़ी रखना ठीक नहीं लगता. अगले चौराहे पर उतर जाना.’’

‘‘मुझे भगा कर तो नहीं ले जा रहे हैं?’’ वह हंस पड़ी.

‘‘मन तो यही कर रहा है,’’ वे भी हंस पड़े, ‘‘पर ऐसा है नहीं. तुम पेपर तो चैक कर लो.’’

‘‘करती हूं,’’ उस ने फाइल खोल ली व एकएक पेपर चैक करने लगी.

‘‘ठीक हैं. बस, एक जगह अटैस्ट लिखना रह गया है. पर कोई बात नहीं है, मैं खुद लिख लूंगी. थैंक्यू सर, आप ने मेरा बड़ा काम कर दिया.’’

‘‘यह अप्लीकेशन तुम फिशरीज डिपार्टमैंट में दे रही हो न?’’

‘‘हां, उन के हैडऔफिस में काफी बड़ी लाइब्रेरी है. उसी की वैकेंसी आई है. 2 पोस्ट हैं. बहुत लोग अप्लाई कर रहे हैं. मेरे साथ के तो सभी कर रहे हैं. सैंट्रल गवर्नमैंट जौब है न. देखिए, क्या होता है.’’

‘‘फिशरीज के जौइंट सैक्रेटरी मेरे अच्छे दोस्त हैं.’’

‘‘अच्छा, वे तो बड़े ऊंचे अफसर हुए.’’

‘‘हां, तुम कहो तो मैं उन से कह सकता हूं.’’

वह कई क्षणों तक उन के चेहरे की तरफ देखती रही. फिर अचानक उन के घुटनों पर हाथ रख कर बोली, ‘‘मेरा यह काम तुम्हें कराना होगा. जौइंट सैक्रेटरी चाहेगा तो यह जौब मुझे जरूर मिल जाएगा. सिर्फ इंटरव्यू ही है. प्लीज, मेरा यह काम करा दो न. मुझे इस जौब की बड़ी जरूरत है.’’ फिर वह जैसे अपने इस आवेग पर झेंप कर सिकुड़ कर बैठ गई. उन के पांव ऐक्सिलरेटर पर थरथरा रहे थे.

‘‘मैं देख लूंगा, डोंट वरी. मैं ने उस के कई काम किए हैं. चौराहा आ गया. तुम्हें उतरना है या आगे चलना है.’’

‘‘चलते रहिए. आई एम सौरी सर. मैं ने आप को तुम कह दिया. माफ कर दीजिए. मैं जोश में आ गई थी.’’

‘‘कोई बात नहीं, नीरजा. अगर तुम्हें अच्छा लगे, तो कह सकती हो. इस में क्या है?’’

‘‘मुझे बहुत अच्छा लगा.’’

‘‘कौफी पियोगी.’’

‘‘क्या?’’

‘‘मैं ने कहा कौफी पीने का मन है क्या. कोल्ड कौफी. आगे अंबर की कौफी शौप है. मुझे उस की कोल्ड कौफी पसंद है.’’

‘‘कोल्ड कौफी तो मुझे भी बहुत पसंद है.’’

‘‘उतरना भी नहीं पड़ेगा, लड़का गाड़ी में ही कौफी वगैरह दे देता है. तो चलते हैं कौफी पीते हैं.’’ वह चुप रही.

अंबर कैफे सड़क पर ही था. सड़क के पीछे सड़क व पटरी के बीच लोहे की रेलिंग लगी थी. उन्होंने गाड़ी लोहे की रेलिंग के साथ लगा दी व हलके से हौर्न बजाया. एक लड़का तुरंत आया.

‘‘यस सर.’’

‘‘2 कोल्ड कौफी. 2 पेस्ट्री भी लाना.’’ लड़का चला गया.

‘‘आप ने पेस्ट्री क्यों मंगवाई है, बात तो कौफी की हुई थी.’’

‘‘कोल्ड कौफी के साथ इन की पेस्ट्री का अलग मजा है.’’

‘‘मैं पेस्ट्री नहीं खाऊंगी, तुम्हीं खाना.’’

‘‘पेस्ट्री तो तुम जरूर खाओगी. पेस्ट्री तुम्हें पसंद जो है.’’

‘‘तुम्हें…आप को, कैसे पता चला?’’

‘‘मैं जानता हूं. तुम जब न कहती हो तो मतलब होता है हां.’’

‘‘इस खयाल में मत रहिएगा मिस्टर विशाल, ऐसा नहीं है.’’ वे मुसकराते रहे.

वेटर कौफी व पेस्ट्री दे गया. नीरजा ने बड़े मन से कौफी पी व पेस्ट्री खाई.

‘‘अच्छा, एक बात तो बताइए,’’ नीरजा ने पेस्ट्री खाते हुए पूछा, ‘‘आप की तो बहुत सी गर्लफ्रैंड्स रही होंगी न?’’

‘‘बहुत सी तो नहीं थीं.’’

‘‘फिर भी?’’

‘‘एकाध तो सभी की होती हैं.’’

‘‘तो हमारा अफेयर चल रहा है क्या?’’

‘‘क्या, यह क्या कह रही हो तुम?’’ वे अचकचा गए.

‘‘नहीं, ऐसे ही तो होता है न. मुलाकात हो गई, बात हो गई, बाहर भी मुलाकात हो गई, गाड़ी पर अकेले घूमवूम भी लिए. कौफीपेस्ट्री भी हो गई. ऐसे ही तो होता है न फिल्मों में.’’

‘‘फिल्मों में होता होगा. ऐसे होता नहीं है. तुम्हें देर हो रही होगी. क्या मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूं.’’

‘‘नहीं, मैं औटो पकड़ूगी.’’

‘‘चलो, मैं तुम्हें औटो तक छोड़ दूं,’’ वे बाहर निकल आए. उन्होंने बिल पेमैंट किया. वे सड़क तक आ गए. तुरंत एक औटो वाला आ गया.

‘‘साहब, चलना है क्या?’’

‘‘हां, जाना है. तुम्हें कहां जाना है नीरजा.’’

‘‘मीरापट्टी रोड.’’

‘‘बैठो.’’

‘‘सर, आप को मेरा वह काम कराना ही होगा. कब बात करेंगे आप जौइंट सैक्रेटरी साहब से. कल ही कर लीजिए न.’’

‘‘अरे, इतनी जल्दी नहीं, अभी तो तुम अप्लीकेशन भेजो. 2-3 दिन तो अप्लीकेशन पहुंचने में ही लग जाएंगे. इसी हफ्ते में बात कर लूंगा.’’

‘‘आप कब लाइब्रेरी आइएगा, सर? बात करते ही आ जाइएगा न.’’

‘‘हां, ठीक है. मैं जल्दी ही आऊंगा. वैसे भी लाइब्रेरी तो आना ही है.’’

‘‘मेरी डिटेल तो आप के पास होगी नहीं, अच्छा होता मैं अप्लीकेशन की एक कौपी आप को दे देती.’’

‘‘मैं ने स्कैन कर लिया है, डिटेल है मेरे पास.’’

‘‘पर फोटो तो अच्छी नहीं आई होगी न.’’

‘‘बहुत अच्छी आई है,’’ वे बेध्यानी में कह गए. वह खिलखिला कर हंस पड़ी.

‘‘कहिए तो अपनी एक फोटो दे ही दूं, मेरे बैग में ही है.’’

‘‘अरे नहीं. मैं क्या करूंगा तुम्हारी फोटो का. फिर स्क्रीन कौपी तो है ही.’’

‘‘करिएगा क्या, देखिएगा,’’ वह तेज मुसकराहट के साथ औटो में जा कर बैठ गई, ‘‘फिर आप के साथ तो ओरिजिनल मैं हूं. हां, मुझे देखिए. फोटो से क्या होगा.’’

औटो आगे बढ़ गया.

वे आ कर कार में बैठ गए. बाप रे, न सिर्फ तेज लड़की है, बल्कि वाचाल भी है. थोड़ा बचपना भी है. अल्हड़ तो है ही. उन्होंने गाड़ी घर की तरफ मोड़ दी.

जौइंट सैक्रेटरी से उन की मुलाकात तीसरे दिन ही क्लब में हो गई. वह बड़ा खुश था. उस का प्रमोशन हो गया था.

2-3 लोग और थे. पार्टी जोरशोर से चल रही थी. उन्होंने भी एक सौफ्ट डिं्रक ले लिया. वह उन से 2 साल जूनियर था. उन्हें सर कहता था. मौका देख कर उन्होंने चर्चा छेड़ी.

‘‘यार दोस्त, तुम से एक छोटा सा काम था?’’

‘‘हुक्म कीजिए, सर. आज तक तो कोई काम कहा नहीं आप ने?’’

‘‘कभी जरूरत ही नहीं पड़ी. दरअसल, तुम्हारे विभाग के यानी फिशरीज के हैड औफिस में लाइब्रेरी है. उस में वैकेंसी आई है. तुम्हें पता है क्या?’’

‘‘मुझे तो लाइब्रेरी है, यह भी नहीं मालूम. बहरहाल, होगी लाइब्रेरी. आप का कोई कैंडीडेट है क्या?’’

‘‘हां, एक लड़की है. मेरे परिचित हैं, उन की लड़की है.’’

‘‘तो प्रौब्लम क्या है. जब इंटरव्यू होगा तो मुझे याद दिला दीजिएगा. डिटेल ले कर अपने पास रख लीजिए.’’

‘‘देख लेना भाई जरा. बड़ी नीडी लड़की है. वैसे, डिजर्विंग भी है. एमलिब कर रही है.’’

‘‘देखना क्या है, वैसे तो सुपरिटैंडैंट लेवल के लोग ऐसा इंटरव्यू लेते हैं पर मैं कह दूंगा. समझ लीजिए, हो गया सर. और अगर लड़की ज्यादा खूबसूरत हो तो कहिएगा मुझ से मिल लेगी,’’ जौइंट सैक्रेटरी अभिमन्यू ने बाईं आंख दबाई.

‘‘अरे नहीं यार, मेरे बड़े खास हैं. बड़ी सोबर फैमिली है. पर एक बात बताओ, तुम इतनी गर्लफ्रैंड्स मेनटेन कैसे कर लेते हो?’’

‘‘बस हो जाता है सब. हैल्थ सप्लीमैंट्स जिंदाबाद. सप्लीमैंट्स में बड़ी ताकत होती है. आप को मेरी किसी सलाह की जरूरत हो तो निसंकोच बताइएगा,’’ अभिमन्यू मुसकरा रहा था. फिर धीरे से बोला, ‘‘होटलवोटल की जरूरत हो, तो वह भी बताइगा. मेरे बहुत परिचित हैं.’’

‘‘क्या बात करते हो यार. मैं ग्रैंड फादर बन चुका हूं.’’

‘‘इस से क्या होता है सर. वैसे तो मैं भी बाबानाना बन चुका हूं.’’

‘‘अच्छा याद दिलाया. पंकज कहां है आजकल?’’

‘‘अलीगढ़ में डीएम है. और सावित्री सीनियर पैथोलौजिस्ट बन चुकी है.’’

‘‘बढि़या, बहुत बढि़या भाई अभिमन्यू.’’

चलते को समय भी उन्होंने अभिमन्यू को रिमाइंड करा दिया. इस बार वे 10 दिनों बाद लाइब्रेरी गए. काउंटर पर नीरजा ही बैठी थी. उस समय काउंटर पर मात्र एक लड़का ही किताब इश्यू करा रहा था. वह जब चला गया तो उन्होंने कहा, ‘‘बधाई हो नीरजा. तुम्हारा काम हो गया.’’

‘‘क्या…’’ उस का चेहरा चमक गया, ‘‘आप की बात हो गई क्या?’’

‘‘और क्या, तुम ने मुझे समझ क्या रखा है.’’

‘‘आप किताबें देखिए, तब तक मैं एकाध घंटे की छुट्टी ले लेती हूं. बाहर चलते हैं, वहीं ठीक से बात करते हैं.’’

‘‘ठीक है. ये लो, किताबें जमा कर लो.’’

उसे किताबें दे कर वे वापस हौल में आ गए व इश्यू कराने के लिए किताबें देखने लगे. नीरजा के चेहरे पर वैसी ही खुशी व चमक आई थी जैसी वे देखना चाहते थे. जल्द ही उन्होंने किताबें देख लीं.

‘‘आइए सर, लाइए आप की किताबें, मैं इश्यू करा दूं.’’

नीरजा आ गईर् थी. काउंटर पर दूसरी लड़की बैठ गई थी. नीरजा ने किताबें इश्यू कराईं व उन के साथ ही बाहर आ गई. उन्होंने गाड़ी का दरवाजा खोला व वह अपनी साइड का दरवाजा खोल कर अंदर बैठ गई.

‘‘चलिए, कोल्ड कौफी पीते हुए बताइगा क्या बात हुई है?’’

‘‘कोल्ड कौफी नहीं. आज तो मैं तुम्हें हौट कौफी के साथ प्याज के पकौड़े खिलाऊंगा. तुम्हें पसंद हैं.’’

‘‘प्याज के पकौड़े तो मुझे बेहद पसंद हैं. बिलकुल चलेगा.’’

वे फिर अंबर कैफे पर आ गए. उन्होंने गाड़ी वहीं पर लगाई. हौर्न के जवाब में तुरंत लड़का आ गया.

‘‘2 कौफी और 2 प्लेट पकौड़े प्याज के. पर एकदम गरम.’’

‘‘बिलकुल सर, अभी लाया,’’ लड़का चला गया.

‘‘जौइंट सैक्रेटरी कहां मिले आप को. क्या आप को उन के घर जाना पड़ा?’’

‘‘अरे नहीं, वह अभी 3-4 दिन पहले क्लब में ही मिल गया था. बस, मैं ने उस से कह दिया.’’

‘‘आप क्लब जाते हैं, क्या होता है वहां?’’

‘‘कुछ नहीं. लोग अपना टाइम पास करते हैं. थोड़ा रिलैक्स होते हैं. कुछ लोग बिलियर्ड्स, कार्ड या चैस खेलते हैं. आउटडोर में बैडमिंटन या टेबिल टैनिस खेलते हैं. बैठते हैं, खातेपीते हैं व फिर घर चले जाते हैं.’’

‘‘लोग पीते भी हैं क्या?’’

‘‘पीने वाले पीते भी हैं. वहां इंतजाम तो रहता ही है.’’

‘‘आप भी पीते हैं वहां?’’

‘‘नहीं, मैं नहीं पीता,’’ उन्होंने झूठ बोला.

‘‘फिर क्या हुआ?’’

‘‘फिर…फिर क्या. जौइंट सैक्रेटरी अभिमन्यू ने मुझे देखा तो मेरे पास चला आया. उस पर मेरा बड़ा एहसान है. समझो, एकदम मेरा चेला है. कहने लगा, इतने दिनों से मिला क्यों नहीं. वाइफ के बारे में पूछा. दोनों लड़कों के बारे में पूछा. फिर मैं ने तुम्हारे काम का जिक्र कर दिया.’’

‘‘क्या कहा उन से आप ने? ठीक से बताइए न.’’

‘‘मैं ने कहा एक सुंदर सी लड़की है. उस के बाल व उस की आंखें दुनिया में सब से सुंदर हैं. उस हिरनी जैसी आंखों वाली लड़की ने मछली वाले विभाग में लाइब्रेरियन की पोस्ट के लिए अप्लाई किया है.’’

‘‘आप मजाक कर रहे हैं न.’’ उस की बड़ीबड़ी आंखें उन के चेहरे पर टिकी हुई थीं, ‘‘आप ने यह सब नहीं कहा न?’’

‘‘हां, मैं मजाक कर रहा था. यह सब कोई कहने वाली बातें हैं क्या. मैं ने उसे बताया कि फिशरीज में वैकेंसी है. उस में मेरी एक करीबी लड़की ने अप्लाई किया है. मैं ने उसे इंटरव्यू में देख लेने को कहा. उस ने मुझे निश्ंिचत किया है कि वह देख लेगा. उस के लिए यह कोई बड़ा काम नहीं है.’’

‘‘मैं आप की करीबी वाली लड़की हूं?’’ उस ने गुस्से से आंखें चढ़ाईं.

‘‘अरे भाई, कुछ तो कहना पड़ता है न. फिर इतनी करीब तो बैठी हो आज भी. करीबी वाली हुई कि नहीं.’’

‘‘जाइए. ऐसे होता है क्या. करीब बैठने का मतलब करीबी लड़की नहीं होता है. पर अब तो मैं आप की करीबी लड़की हूं ही. कहिए तो एक बार मैं भी उन से मिल लूं?’’

‘‘नहीं, बिलकुल नहीं,’’ उन्होंने जोर से कहा व उत्तेजनावश उस का हाथ जोर से पकड़ लिया, ‘‘तुम उस से बिलकुल नहीं मिलोगी.’’

‘‘नहीं मिलूंगी बाबा.’’ उस ने अपना हाथ न छुड़ाया, ‘‘पर इस में ऐसा क्या हुआ जो आप इतना गुस्सा हो गए?’’

‘‘तुम अभिमन्यू जैसे लोगों को जानती नहीं हो. जहां कोई सुंदर लड़की देखी नहीं, कि डोरे डालने लगते हैं. वह तुम्हें फंसाने की कोशिश करेगा. वह कुछ भी कर सकता है,’’ उन्होंने खुद ही उस का हाथ छोड़ दिया.

‘‘डोरे तो आप भी डाल रहे हैं मिस्टर विशाल. आप भी तो फंसाने की कोशिश ही कर रहे हैं न?’’ उस के चेहरे पर गाढ़ी मुसकान थी, ‘‘क्यों? सही है न?’’

‘‘एकदम गलत है. मैं तो सिर्फ तुम्हारी मदद कर रहा हूं.’’

‘‘क्यों कर रहे हैं मेरी मदद?’’

‘‘इंसानियत के नाते. तुम तो वकील की तरह जिरह कर रही हो.’’

‘‘ठीक है. करिए मदद इंसानियत के नाते. मुझे अच्छा लगता है. अब कब कहिएगा उस अभिमन्यू, उस बदमाश से?’’

‘‘इंटरव्यू से 1-2 दिन पहले कह दूंगा उस से. वह करा देगा. तुम बेफिक्र रहो. तुम्हारा सेलैक्शन हो जाएगा.’’

‘‘इंटरव्यू तो डेढ़दो महीने बाद ही होगा. तब तक तो वे भूल भी जाएंगे?’’

‘‘भूल तो जाएंगे ही. पर मैं याद जो दिला दूंगा.’’

‘‘आप ने मेरे लिए बड़ी तकलीफ की है,’’ अब उस ने उन का हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘थैक्यू सर.’’

‘‘कोई बात नहीं,’’ उन्होंने उस का हाथ दबा दिया, ‘‘इंसानियत के नाते.’’ दोनों जोर से हंस पड़े.

‘‘अब मैं चलूं सर,’’ उस ने हाथ खींच लिया.

‘‘हां चलो,’’ उन्होंने वेटर को इशारा किया, ‘‘तुम ने अपने मातापिता के बारे में नहीं बताया?’’

‘‘मेरे फादर नहीं हैं. 2 साल पहले एक ऐक्सिडैंट में वे नहीं रहे. मां व छोटा भाई हैं. मां बीमार रहती हैं. उन्हें गठिया है. छोटा भाई हाईस्कूल में है. रुपएपैसे पिताजी ठीकठाक छोड़ गए हैं. पर हम पूंजी ही खा रहे हैं. मकान अपना नहीं है, किराए पर हैं. मेरी नौकरी लग जाती, तो अच्छा रहता,’’ नीरजा ने बताया.

‘‘नौकरी तो अब लग ही जाएगी. पिताजी के बारे में जान कर दुख हुआ. आई एम सौरी, नीरजा.’’

वह कुछ न बोली. वेटर बिल के रुपए व बरतन उठा कर ले गया. उन्होंने गाड़ी रिवर्स की व नीरजा को लाइब्रेरी के थोड़ा पहले उतार दिया.     -क्रमश:

नेचुरल तरीके से बढ़ाएं ब्रेस्ट मिल्क

हर युवती का सपना होता है कि वो शादी के बाद मां बने. एक मां के लिए उसके बच्चे की खुशी से बढ़ कर कुछ और नहीं होता. उसका बच्चा स्वस्थ रहे इसके लिए वो सब करती है. एक नवजात की सेहत के लिए मां के दूध से बढ़ कर कुछ नहीं होता. डाक्टरों और जानकारों का भी मानना है कि जन्म से 6 महीने तक बच्चे को मां का दूध ही पीना चाहिए. मां का दूध बच्चे की सेहत संबंधित सारी जरूरतों को पूरी करता है. इसके साथ ही बच्चे का इम्यून स्ट्रौंग करता है.

लेकिन आज खानपान व अन्य हैल्थ कारणों से लेक्टेशन प्रौब्लम आ रही है जिस के कारण पर्याप्त मात्रा में मां के स्तनों में दूध नहीं आने के कारण बच्चे की जरूरत पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में झंडु सतावरी काफी फायदेमंद है. क्योंकि ये लेक्टेशन का नैचुरल उपाय है जो मां के दूध की मात्रा को नैचुरल ढंग से बढ़ाने का काम जो करता है.

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कैसे है मददगार

सतावरी जिसे गलेक्टेगोज के रूप में जानते हैं. ये कोर्टिकोइड और प्रोलेक्टिन के उत्पादन को बढ़ाने का काम करता है. जिस से मां के दूध की क्वालिटी व मात्रा दोनों बढ़ती है. साथ ही ये स्टीरोइड हारमोन को सीक्रेशन के लिए प्रेरित करता है जिस से दूध की क्वालिटी सुधरने के साथसाथ ब्रैस्ट साइज में भी बढ़ोतरी होती है. साथ ही ये नैचुरल होने के कारण सैफ है. इसे आप दूध के साथ ले कर खुद व आपने बच्चे को हैल्दी रख सकते हैं.

हैल्थ को दें प्राथमिकता

आज हमारी लाइफ स्टाइल ऐसी हो गई है जिस के कारण हम अपनी हैल्थ पर जरा भी ध्यान नहीं देते हैं जिस से ढेरों कमियां हम में रह जाती हैं और इस का असर प्रैग्नैंसी के समय व उम्र बढ़ने पर साफ दिखता है. इसलिए जरूरी है कि पौष्टिक डाइट लें ताकि आप हमेशा सेहतमंद रहें.

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गलैक्टेगोज बढ़ाए ब्रैस्ट मिल्क

फीड कराने वाली मां को जरूरत होती है कि वो पौष्टिक डाइट खाए जिस से उस के स्तनों में पर्याप्त मात्रा में दूध आ पाए. लेकिन कई बार अच्छा खाने के बावजूद भी दूध की मात्रा घट जाती है. ऐसे में गलैक्टेगोज के माध्यम से ब्रैस्ट मिल्क को बढ़ाने की सलाह दी जाती है. आप को बता दें कि सतावरी में ग्लैक्टेगोज गुण होते हैं.

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क्या है सतावरी

सतावरी जो अधिकांशत: हिमालय में पाई जाती है और इसे सदियों से आयुर्वेदिक दवाइयां बनाने में प्रयोग किया जाता है. इस में हीलिंग गुण हाने के साथ ब्रैस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने की क्षमता भी होती है.

 

गरमी के मौसम में ऐसे रखें अपने पैरों का ख्याल

गरमी के मौसमे में आपको अपने पैरों को खास ध्यान देना चाहिए. जिससे आपके पैर साफ एवं सुरक्षित रह सकें. तो आइए बताते हैं कि आप गरमी के मौसम में अपने पैरों का ख्याल कैसे रखें.

अपने पैरों का ऐसे रखें ख्याल

नियमित रुप से मौश्चराइजर लगाएं – कोई भी लेप या पैरों वाली क्रीम का  जरूर प्रयोग करें. इसे रोजाना की दिनचर्या में शामिल करें. लेकिन अधिक मौश्चराइजर न लगाएं. विशेषकर पैरों की अंगुलियों के बीच, चूंकि इससे कवक संक्रमण की आशंका रहती है.

सनस्क्रीन लगाएं–  अगर आप पैरों को खुला रखना तय करते हैं तो उन्हें चिलचिलाती धूप से बचाने के लिए के लिए सनस्क्रीन लगाएं.

सुन्दर दिखने के लिए हेल्दी होना जरूरी है

पैर रोजाना धोएं– गरमी के मौसम में आपको बहुत पसीना आता है. पसीना धूल और मिट्टी को निमंत्रण देता है इसलिए सोने से पहले ठंडे पानी से करीब 15 मिनट तक पैर धुलना सुनिश्चित करें.

आरामदायक चप्पल या जूते चुनें– पैरों को सांस लेने देने के लिए आरामदायक एवं झीनेदार जूते या चप्पल पहनें.

नारियल तेल का प्रयोग करें–  पैरों पर नारियल तेल लगाएं और इसे रातभर लगा रहने दें. इसे लगाने के बाद सूती जुराब जरूर पहनें.

मक्खन का उपयोग – यह फटे पैरों की देखभाल के लिहाज से बहुत फायदेमंद है. एक टब में गुनगुना पानी लेकर उसमें एक चम्मच मक्खन डालकर पैरों को भिगोएं.

स्पा और बौडी पौलिशिंग

झटपट बनाएं ये 7 हैल्दी समर ड्रिंक्स

आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के सौफ्ट ड्रिंक्स, कोल्ड ड्रिंक्स मौजूद हैं, जिन्हें पी कर गले को तर किया जा सकता है.  बाजार में मिलने वाली  ड्रिंक्स थोड़ी देर के लिए ही राहत देते हैं और सेहत के लिए भी अच्छे नहीं होते. घर में बने ड्रिंक्स का कोई जवाब नहीं. थोड़ी सी मेहनत और पहले से भी थोड़ी तैयारी से झटपट गरमी से राहत देने वाले ड्रिंक्स बन सकते हैं. यदि इन में हर्बल चीजें डाल दें तो कहने ही क्या. यहां 7 ड्रिंक्स की बात कर रहे हैं जिन के मुश्किल से 10 मिनट में 5-6 गिलास तैयार हो जाएंगे.

  1. तरबूज का शरबत: तरबूज में विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्नीशियम, पोटैशियम जैसे लाभकारी तत्त्व पाए जाते हैं. यह शरीर में पानी की कमी को पूरा करता है.

तरबूज का जूस निकालने के लिए आसान तरीका है कि तरबूज के टुकड़ों को एक जार में डालें और हलके से हैंड ब्लैंडर चला दें. फिर छान लें ताकि बीज अलग हो जाएं. इस जूस में स्वादानुसार शुगर सिरप, कालानमक, कालीमिर्च, पुदीनापत्ती और नीबू का रस डालें. क्रश्ड लैमन आइस के साथ सर्व करें.

तरबूज के जूस का दालचीनी के साथ शरबत बनाएं. बीजरहित 500 ग्राम तरबूज के टुकड़ों में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर, स्वादानुसार शुगर सिरप, नीबू का रस डाल कर चर्न करें. क्रश्ड आइस और पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

2. कुकुंबर मिंट जूस: कुकुंबर मिंट जूस बनाने के लिए 2 मीडियम आकार के खीरे छील कर छोटे क्यूब्स में काट लें. एक मिक्सी जार में खीरे के टुकड़े, 1 नीबू का रस, थोड़ी सी पुदीनापत्ती, काला नमक, सादा नमक और 1 बड़ा चम्मच शुगर सिरप डाल कर मिक्सी में चर्न करें.

वेजिटेबल नमकीन पैन केक बनाने का सबसे आसान विधि

1 कप ठंडा पानी डाल कर पुन: चलाएं. फिर छान लें. क्रश्ड आइस पुदीने वाली डालें. नीबू का स्लाइस लगा कर सर्व करें.

नोट: खीरे की जगह 4 ककड़ी का भी प्रयोग कर सकती हैं.

3. सत्तू वाली छाछ: दही में थोड़ा पानी डाल कर चर्न करने से लस्सी बनती है. इस में आप कोई भी फल डाल कर जैसे अंगूरी लस्सी, आम की लस्सी, संतरे वाली लस्सी, कलाकंद वाली लस्सी बना सकते हैं. यदि जीरा व नमक आदि डाल कर बनाएं तो नमकीन लस्सी बन जाती है.

पुदीने वाली छाछ, सत्तू वाली नमकीन छाछ. मसाला छाछ आदि बना सकती हैं. छाछ और लस्सी दोनों ही पेट की जलन, ऐसिडिटी को भी दूर करती हैं और इन के सेवन से वजन भी नहीं बढ़ता है.

सत्तू वाली छाछ बनाना बहुत आसान है. बस 4 गिलास ठंडी छाछ ले कर उस में 4 चम्मच सत्तू, 1 बड़ा चम्मच शुगर सिरप, 2 छोटे चम्मच नीबू का रस, थोड़ी सी पुदीनापत्ती और काला व सफेद नमक डाल कर मिक्स करे लें. क्रश्ड आइस डाल कर सर्व करें.

4. कोकोनट कूलर: फ्रैश नारियल न हो तो नारियल पानी के कैन भी बाजार में उपलब्ध होते हैं. इस के पानी में पुदीनापत्ती, हरीमिर्च, लैमन, थोड़ा सा शुगर सिरप, चाटमसाला डाल कर चर्न कर सर्व करें.

चिया सीड्स के साथ भी बना सकते हैं. चिया सीड्स सेहत के लिए वैसे ही बहुत अच्छे होते हैं.

5. कोकोनट चिया सीड्स कूलर बनाने के लिए

1 कप नारियल पानी में 1 बड़ा चम्मच चिया सीड्स डाल कर चम्मच से चलाते रहें ताकि चिया सीड्स फूलने पर इकट्ठे न हों. इस में नीबू का रस, 2 कप नारियल पानी व जलजीरा पाउडर डालें. लैमन क्यूब्स को क्रश कर के मिलाएं. ठंडाठंडा सर्व करें.

घर पर ऐसे बनाएं पनीर की खीर

6. आम पना: पके आम तो सब को अच्छे लगते हैं पर कच्चे आम भी कम नहीं. इन का सिर्फ अचार ही नहीं डाला जाता, ये गरमी से भी बचाव करते हैं. आम को उबाल कर छील लें फिर पीस कर चाशनी में मिलाएं, ठंडा पानी मिला कर सर्व करें.

इस का जलजीरा भी बहुत अच्छा लगता है. जलजीरा बनाने के लिए कच्चे या उबले आम में पुदीनापत्ती, अदरक, कालानमक, सफेद नमक, शुगर सिरप और जलजीरा पाउडर डाल कर मिक्सी में चर्न करें. छान कर क्रश्ड आइस क्यूब्स व बूंदी डाल कर सर्व करें.

खरबूजा शरबत: खरबूजे में 95 प्रतिशत पानी होता है. इस में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है. शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए खरबूजे का सेवन बेहतर विकल्प है. खरबूजे को ठंडे दूध के साथ मिला कर शेक बनाएं. यह बहुत ही तरावट देता है.

खरबूजे में खस का शरबत और थोड़ा दूध डाल कर चर्न करें. बढि़या शेक तैयार हो जाता मिनटों में.

7. बेल का शरबत: बेल ऐनर्जी बूस्टर है. इस का शरबत घर पर बनाना आसान है. इस के गूदे से बीजों को अलग कर गूदे में थोड़ी चीनी और नीबू का रस डाल कर चर्न कर के फ्रिज में रखें. 3-4 दिन आराम से चलेगा. बस ठंडा पानी और थोड़ा शुगर सिरप डाल कर पीएं.

लगभग 250 ग्राम पके बेल के पल्प में 500 ग्राम चीनी, 1 छोटा चम्मच नीबू का रस डाल कर चर्न कर छान लें. जब भी पीना हो सिर्फ 2 हिस्सा बेल लें व 2 हिस्सा ठंडा पानी मिला कर चर्न कर पुदीनापत्ती से सजा कर सर्व करें.

पहले से करें तैयारी

पहले से ड्रिंक्स बनाने की तैयारी के लिए शुगर सिरप बनाएं. एक बार बनाएं और 15-20 दिन की छुट्टी. शुगर सिरप 2 तरह के बना कर रखें. एक नौर्मल शुगर का व दूसरा ब्राउन शुगर का.

2 कप चीनी में 3/4 कप पानी डाल कर मीडियम आंच पर पकाएं. जब चीनी घुल जाए व उबलने लगे तब 2 मिनट और पकाएं. इस में 1 चम्मच नीबू का रस डाल कर आंच बंद कर दें. इस से चाशनी की गंदगी अलग हो जाएगी व चाशनी में क्रिस्टल नहीं बनेंगे. ठंडा कर के और छान कर कांच की बोतल में भर कर रख लें. इसी तरह ब्राउन शुगर का सिरप तैयार करें.

चटपटी शाही आंवले की सब्जी

औरेंज जूस, मैंगो प्यूरी, लैमन जूस आदि में थोड़ी सी चाशनी, नीबू का रस व पुदीनापत्ती डाल कर आइसक्यूब ट्रे में जमा दें. फिर जिप वाले पाउच में भर कर रख लें. किसी भी जूस में ये आइसक्यूब्स क्रश कर के डालें. इस के अलावा जीरा पाउडर, कालीमिर्च पाउडर, चाटमसाला, काला नमक, खस सिरप आदि जरूर रखें. दही, खीरा, तरबूज, बेल, नीबू आदि तो गरमियों में घर पर होने ही चाहिए.

चुनावी जंग में क्यों भाजपा से पिछड़ रही कांग्रेस?

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को उनके चुनावी क्षेत्र में घेरने के लिये स्मृति ईरानी के रूप में अपना सबसे बड़ा दांव चला. 2014 के लोकसभा चुनाव में 1 लाख वोट से हारने के बाद भी स्मृति ईरानी को मंत्री बनाया. यही नहीं पूरे 5 साल स्मृति ईरानी अमेठी चुनाव क्षेत्र में सक्रिय रही. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की घेराबंदी के बाद राहुल गांधी को केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने जाना पड़ा. भले ही राहुल गांधी अमेठी से चुनाव जीत ले पर भाजपा की घेराबंदी ने उनको असमंजस में तो डाल ही दिया. भाजपा की तर्ज पर कांग्रेस उत्तर प्रदेश में भाजपा के किसी बड़े नेता यानि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ कोई दमदार प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाई.

ऐसा नहीं कि कांग्रेस के पास कोई प्रत्याशी नहीं है. कांग्रेस के पास चुनाव का प्रबंधन नहीं है. प्रदेश की जनता के बीच कांग्रेस को लेकर एक सकारात्मक सोच बनी है. कांग्रेस की तरफ से जैसे ही कोई दमदार प्रत्याशी दिखता है लोग उसको समर्थन भी करते हैं. 1999 के लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेई भाजपा के शीर्ष नेताओं में थे. प्रधानमंत्री पद के दावेदार थे. कांग्रेस ने उनके खिलाफ चुनाव के ऐन वक्त पर कश्मीर से कर्ण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतार दिया था. प्रचार का कम समय मिलने के बाद भी कर्ण सिंह ने अपना दमदार प्रभाव दिखाया और अटल जी को चुनाव जीतने के लिये लखनऊ में तमाम जन सभाएं करनी पड़ी.

why congress can't attack bjp

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लखनऊ में राजनाथ सिंह के खिलाफ ही नहीं वाराणसी नरेद्र मोदी के खिलाफ भी कांग्रेस कोई दमदार प्रत्याशी अभी नहीं उतार पाई. इससे कांग्रेस के चुनावी प्रबंधन पर सवालिया निशान लग रहे हैं. लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस ही भाजपा को टक्कर दे सकती है. यह बात जनता में अंदर तक बसी है. इसके बाद भी कांग्रेस खुद आगे बढ़ कर कुछ करना नहीं चाहती. लखनऊ लोकसभा सीट पर कांग्रेस पहले जतिन प्रसाद को चुनाव लड़ाना चाह रही थी. जतिन प्रसाद के मना करने के बाद कांग्रेस यहां पर अपना कोई प्रत्याशी तय नहीं कर पाई. यही हालत वाराणसी में नरेद्र मोदी के सामने भी है.

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जानकारों का कहना है कि भाजपा के मुकाबले कांग्रेस के मजबूत होने से लोगों में पार्टी की साख बढ़ती. इससे कांग्रेस को ज्यादा समर्थन मिलता. लोगों में यह संदेश जाता कि कांग्रेस भाजपा को घेरने में सफल हो रही है. यह संदेश देने में कांग्रेस सफल नहीं हुई है.

edited by: Shubham

इस साल सलमान खान के ‘माता’-पिता को मिलेगा दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार

पिछले 30 सालों में अपनी अनूठी पहचान बनानेवाली पुणे स्थित और पंजीकृत चैरिटेबल संस्था मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान इस बार भी संगीत, नाटक, कला और सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न हस्तियों को सम्मानित करने जा रही है. प्रतिष्ठित मंगेशकर परिवार द्वारा हर साल दिए जानेवाले ये पुरस्कार इस बार बुधवार को यानि 24 अप्रैल, 2019 को मुम्बई के सायन स्थित शणमुखानंद हौल में वितरित किए जाएंगे. सीआरपीएफ के डायरेक्टरेक्ट जनरल श्री विजयकुमार इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. सभी विजेताओं को आरएसएस प्रमुख माननीय श्री मोहन भागवत के हाथों पुरस्कार दिए जाएंगे.

Bharati-Mangeshkar-Hridaynath-Mangeshkar-and-Adinath-Mangeshkar-at-the-announcement-of-Master-Deenanth-Mangeshkar-Smruti-Pratishthan-Awards-20191

गौरतलब है कि इस साल संगीत और कला के क्षेत्र में जानी-मानी शास्त्रीय नृत्यांगना श्रीमती सुचेता भिडे-छापेकर को दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा, मास्टर दीनानाथ मंगेशकर लाइफटाइम अवार्ड (जीवन गौरव पुरस्कार) श्री सलीम खान को दिया जाएगा, भारतीय सिनेमा‌ में योगदान के लिए श्री मधुर भंडारकर को दीनानाथ मंगेशकर विशेष पुरस्कार दिया जाएगा, भारतीय सिनेमा‌ में अपने बहुमूल्य योगदान के लिए श्रीमती हेलन को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, साहित्य के क्षेत्र में श्री वसंत वागाजी डहाके को वागविलासिनी पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाएगा, भद्रकाली प्रोडक्शन्स के ‘सोयारे सकाल’ नाटक को साल के श्रेष्ठ नाटक के तौर पर मोहन वाघ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा, सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए तालयोगी आश्रम के पंडित सुरेश तलवलकर को आनंदमयी पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा.

हेट स्टोरी बनाने वाले विवेक अग्निहोत्री के लिए वेब सीरीज का मतलब सेक्स

सीआरपीएफ के डायरेक्टरेट जनरल श्री विजयकुमार को गृह मंत्रालय के अधीन भारत के जवानों के लिए सामाजिक कार्य में संलग्न संगठन ‘भारत के वीर’ के लिए सम्मानित किया जाएगा. हमारे प्रतिष्ठान ने इस बार ये पुरस्कार जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले में मारे गये 40 से अधिक सीआरपीएफ़ के शहीदों को समर्पित करने का फ़ैसला‌ किया है. इसी कार्यक्रम में शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप लता दीदी अपनी पिता मास्टर दीनानाथ की याद में एक करोड़ रुपए अपने अकाउंट से दान के तौर पर भी देंगी.

Avinash-Prabhavalkar-Bharati-Mangeshkar-Hridaynath-Mangeshkar-Usha-Mangeshkar-Adinath-Mangeshkar-at-the-announcement-of-Master-Deenanth-Mangeshkar-Smruti-Pratishthan-Awards-2019

इन पुरस्कारों का ऐलान करते हुए हृदयनाथ मंगेशकर और ऊषा मंगेशकर‌ ने कहा, “एक गायक, संगीतकार और मंचीय कलाकार के तौर पर मास्टर दीनानाथ के अमूल्य योगदान की स्मृति में मंगेशकर परिवार हर साल मास्टर दीनानाथ मंगेशकर स्मृति प्रतिष्ठान अवार्ड्स का आयोजन‌ करता है जिसके ज़रिए विशिष्ट हस्तियों को सम्मानित किया जाता है. हमें इस बात की खुशी है कि हमारे इस अनूठे कार्य में हमें हमेशा से तमाम लोगों का भरपूर सहयोग मिलता रहा है.”

जंगली हाथियों को बचाने की कथा में इमोशंस और रोमांच का घोर अभाव

चुभ जाता है बस, सच जो तीखा कहता हूं…

जाने कब कब क्या क्या इल्जाम सहता हूं

खता इतनी सी है मेरी, बस सच कहता हूं

मेरा इरादा तो नहीं रहा तकलीफ देने का

चुभ जाता है बस, सच जो तीखा कहता हूं

खुदा और खुद के रास्ते पर यकीन है मुझे

तरकीब यही है वो जिससे पुर-सुकूं रहता हूं

न इंतजार है, न किसी के जाने का मलाल

किनारों से बंधा नहीं फिर भी साथ बहता हूं

सूरज से लड़ना, जहां बदलना मेरी जिद नहीं

बात इतनी सी है, हवाओं के भरोसे नहीं रहता हूं

न रात से कोई गिला न धूप से कोई शिकवा

ए मरूधर, हर हाल में खुद के जैसा रहता हूं…

जयाप्रदा के साथ नहीं हैं भाजपाई

बात हेमामलिनी या स्मृति ईरानी जैसी कट्टर भाजपाई अभिनेत्रियों की होती तो तय है कि भाजपाई अब तक आसमान सर पर उठा चुके होते लेकिन बात चूंकि जयाप्रदा की है इसलिए भगवा खेमे को कोई खास सरोकार उनकी बेइज्जती से नहीं है जो सपा छोड़कर भाजपा में आईं हैं. आईं भी क्या हैं अमर सिंह द्वारा लाई गईं हैं. उन्होंने आरएसएस के एक आनुशांगिक संगठन को 12 करोड़ की अपनी पैतृक संपत्ति दान देकर रामपुर से उनके लिए भाजपा का टिकट खरीदा है.

अमर सिंह और जयाप्रदा दोनों कभी सपा की शान और जान हुआ करते थे. यह बात आजम खान ने गिनाई भी लेकिन जयाप्रदा की अंडरवियर का खाकी रंग गिनाकर उन्होंने न केवल खुद के लिए आफत मोल ली हैं. बल्कि अपनी छिछोरी मानसिकता का भी नवीनीकरण कराते हुए साबित कर दिया है कि औरत होना किसी गुनाह से कम नहीं. भाजपाइयों की खामोशी कोई खास सस्पेंस पैदा नहीं कर रही क्योंकि वे आदिकाल से औरतों के अपमान पर चुप ही रहे हैं उल्टे इसका आनंद ही लेते रहे हैं. द्रौपदी का चीरहरण हो, अहिल्या का बलात्कार हो या फिर सीता का त्याग इसमें भी किवदंतियां गढ़ने में माहिर पौराणिकवादी जयाप्रदा के इस अपमान पर कोई खास नोटिस नहीं ले रहे हैं.

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सपा मुखिया मुलायम सिंह को ट्वीट कर एक रस्म सी अदा कर दी हैं. मुमकिन है अब भाजपा इस वाकया का जिक्र जन सभाओं में करें लेकिन आजम खान को घेरने का सही वक्त और मौका वह गंवा चुकी हैं. रामपुर की लड़ाई लगभग एकतरफा दिख रही है जहां अभी तक कोई दिग्गज भाजपाई नेता नहीं पहुंचा है और न ही पहुंचने के आसार दिख रहे तो उसकी वजह उनका जयाप्रदा को बाहरी और अछूत समझना ही है. नामांकन दाखिल करते वक्त भी उनके साथ कोई दिग्गज भाजपाई नेता भी नहीं था सिवाय मुख्तार अब्बास नकबी के जिन्हें मुसलमान होने के चलते भेजा गया था जिससे मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर मुस्लिम वोटर को रिझा सकें. गौरतलब है कि योगी आदित्यनाथ स्मृति ईरानी और हेमामलिनी के नामांकन दाखिले के समय उनके साथ थे  .

बहरहाल आजम खान की मंशा अगर खाकी अंडरवियर के बहाने जयाप्रदा के आरएसएस से जुड़ाव की बात बताने की थी तो और भी कई शिष्ट तरीके वे इस्तेमाल कर सकते थे. लेकिन उनकी मंशा जयाप्रदा को जलील करने की ही थी, जो उन्होंने पूरी कर डाली जिस पर कौरव पांडवों की सभा में द्वापर सा सन्नाटा छाया हुआ है. ‘कृष्ण’ को आने की फुर्सत नहीं क्योंकि वे मथुरा में हेमामलिनी का प्रचार देख रहे हैं.

भगवा खेमे से चुप्पी की उम्मीद से ज्यादा हैरत की बात फिल्म इंडस्ट्री की भी प्रतिक्रियाहीनता है जो अपने साथी कलाकार के अपमान पर उफ तक नहीं कर रही. यानि आजम खान का आतंक रामपुर या लखनऊ तक ही सिमटा नहीं है बल्कि मुंबई तक उनका लिहाज करती है. वैसे सोचने वाले यह सोचकर भी खामोश रहे होंगे कि जिस पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है जब उसे ही कोई मतलब नहीं तो हमारी क्या गरज पड़ी है.

चुनाव प्रचार और कितने घटिया और छिछोरे लेबल पर जाएगा. यह देखने में अभी 35 दिन और हैं, वैसे बात चोली और चुनरी से नीचे और क्या जाएगी.

फेसपैक लगाते समय रखें 6 बातों का खास ध्यान

आपके चेहरे को फेसपैक चमकदार बनाने के साथ ही लंबे समय तक सौंदर्य बनाए रखने में काफी मदद करता है. इसलिए इसे सही तरीके से आपको अपने चेहरे पर लगाना चाहिए. आप फेसपैक लगाते समय कुछ ग‍लतियां कर देती हैं, इससे आपके त्वचा को नुकसान पहुंचता है.

  1. फेसपैक लगाने के समय आपको कुछ बातों का खास ख्याल रखना चाहिए ताकि आपके चेहरे को कोई नुकसान न पहुंचे.
  2. फेसपैक को सीधे ब्रश से लगाने की बजाय इसे मसाज करते हुए लगाएं. ऐसा करने से फेसपैक चेहरे की अंदरूनी सतह तक पहुंचकर काम करता है. 10 मिनट की मसाज देते हुए पैक को 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगा छोड़ दें. इसके बाद पानी से चेहरा साफ कर लें.
  3. फेसपैक लगाने के बाद साफ चेहरे पर टोनर या गुलाबजल कॉटन से अच्‍छी तरह लगाएं. इससे त्‍वचा में ग्‍लो आएगा.

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  1. फेसपैक को बिल्कुल सूख जाने के बाद हटाना, ऐसा करने से बचें. इससे त्‍वचा रूखी हो जाती है और उसमें झुर्रियां जल्‍दी आती हैं. फेसपैक जैसे ही हल्‍का सूखने लगे, उसी वक्त चेहरे को गुनगुने पानी या फिर ताजे पानी से धो लें.
  2. फेसपैक हमेशा नहाने के बाद लगाएं. अधिकतर लोग नहाने से पहले ही फेसपैक लगाते हैं लेकिन ऐसा करने से बचें. नहाने से पहले फेसपैक लगाने से चेहरे की नमी कम होने लगती है. जबकि नहाने के बाद त्‍वचा के पोर्स खुल जाते हैं और फेसपैक चेहरे के अंदर तक पहुंचकर इसकी रौनक बढ़ाने का काम करता है.
  3. फेसपैक लगाने के बाद आंखें बंद करके थोड़ी देर रिलैक्‍स होकर बैठें. ऐसा करने से चेहरे की त्‍वचा को आराम पहुंचता है. फेसपैक लगाने के बाद बातचीत करने से बचें क्‍योंकि इस तरह चेहरा सिकुड़ता है. यह सिकुड़न पर चेहरे की त्‍वचा को ढीला कर देती है.

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स्मोकिंग से भी ज्यादा खतरनाक हैं ये तीन चीजें

अनहेल्दी डाइट सेहत के लिए काफी हानिकारक होती हैं. इससे ना सिर्फ हमारी सेहत बुरी तरह से प्रभावित होती है बल्कि समय से पहले मौत का खतरा भी बढ़ जाता है. हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि अनहेल्दी डाइट की वजह से दुनियाभर में बहुत अधिक मौतें हो रही हैं. स्टडी में ये भी बताया गया कि अगर आप नियमित तौर पर अनहेल्दी फूड्स ले रहे हैं तो आपकी सेहत को ये धूम्रपान से होने वाले नुकसान से भी अधिक नुकसान पहुंचाता है.

इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट की माने तो असमय मौत के लिए धूम्रपान से अधिक खराब खानपान जिम्मेदार है. इस शोध में40 देशों को करीब 130 वैज्ञानिक शामिल थे. स्टडी की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि साल 2017 में खराब डाइट की वजह से 22 फीसदी मौतें हुईं. जबकि, धूम्रपान करने की वजह से होने वाली मौतों का आंकड़ा इससे कम था.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों की मौत के लिए अनहेल्दी चीजें जिम्मेदार हैं. खास कर के ये तीन चीजें लोगों की सेहत पर और बुरा प्रभाव डालती हैं.

  • डाइट में साबुत अनाज की कमी.
  • फलों का कम सेवन करना.
  • डाइट में सोडियम की मात्रा अधिक होना.

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स्टडी के रिपोर्ट के मुताबिक, रेड मीट, प्रोसेस्ड मीट, फास्ट फूड, जंक फूड, शुगर ड्रिंक्स, ट्रांस फैटी एसिड आदि चीजों के कारण सबसे ज्यादा मौतें होती हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि आधुनिक जीवनशैली में लोग अनहेल्दी डाइट पर बहुत ज्यादा निर्भर रहते हैं. जबकि लोगों को अपनी डाइट में ज्यादा से ज्यादा हेल्दी चीजों को शामिल करना चाहिए.

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