अव्वल तो खुद सुषमा स्वराज का नैसर्गिक सौन्दर्य कभी किसी सबूत का मोहताज नहीं रहा. जिसमें सादगी का तड़का उन्हें एक अलग लुक देता था जो हर भारतीय के दिलो दिमाग में शिद्दत से बसा हुआ है. लेकिन आमतौर वे सौंदर्य प्रतियोगिताओं में जाने से परहेज ही करती थीं. बात साल 2008 की सर्दियों की है तब सुषमा विदिशा से राज्यसभा सदस्य थीं और 2009 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां भी इसी सीट से कर रहीं थीं जो भाजपा का मजबूत गढ़ आज भी है. अघोषित ऐलान हो चुका था कि वे इसी सुरक्षित सीट से लड़ेंगी.
भोपाल के रवींद्र भवन में महिलाओं के लिए आयोजित एक सौन्दर्य प्रतियोगिता में वे दिखीं तो हर कोई हैरान रह रह गया था क्योंकि बात उनके स्वभाव से मेल खाती हुई नहीं थी. इस प्रतियोगिता का आयोजन तूलिका संस्था की विनीता त्रिवेदी ने किया था. विनीता खुद भी विदिशा की रहने वाली हैं. विदिशा का नाम सुनकर सुषमा उन्हें न नहीं कह पाईं लेकिन इसके पहले उन्होंने तसल्ली कर ली थी कि आयोजन पारिवारिक और गरिमामयी होने के अलावा भारतीय मूल्यों पर ही आधारित है.
विनीता बताती हैं, उनसे मिलना और बात करना एक अलग अनुभव था. वहां आई महिलाएं उन्हें अपलक निहारे जा रहीं थीं तब किसी को यह नहीं मालूम था कि वे भविष्य की विदेश मंत्री से बात कर रहीं हैं. काफी मनुहार के बाद उन्होंने आधा घंटे का वक्त दिया.
लेकिन जब वे रवींद्र भवन आईं तो कार्यक्रम देखने पूरे दो घंटे रुकीं. सब कुछ उनकी उम्मीद से बेहतर था जिसमें युवतियों से लेकर अधेड़ महिलाएं तक शामिल थीं. आयोजन पूरी तरह लीक से हटकर पारिवारिक मूल्यों पर आधारित था और अधिकांश प्रतिभागी पहली बार स्टेज और रेंप पर उतरी थीं. तूलिका मिसेज भोपाल का टाइटल कौन जीतता है, इसकी उत्सुकता सुषमा स्वराज को भी हो रही थी. तब भी महिलाओं में उनका गजब का क्रेज था. हर कोई बार बार सुषमा स्वराज को देख रहा था जो आसपास के माहौल से बेखबर अपने आप में खोईं प्रतियोगिता के विभिन्न राउंड्स का लुत्फ उठा रहीं थीं. उस दिन उन्हें और भी कार्यक्रमों में जाना था. साथ आए स्टाफ के बार बार याद दिलाने पर भी वे टस से मस नहीं हुईं.
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