दो दिन पहले मेरी सहेली ने मुझे फोन किया और अपने घर मिलने को बुलाया. मैं खुशी-खुशी मिलने गई, लेकिन वहां तो मामला ही उल्टा निकला. मेरे हाल-चाल पूछने पर वो रोने लग गई. मैं तो घबड़ा गई कि क्या हो गया, लेकिन फिर पता चला, मैडम एक छोटी-सी बात पर पति से लड़ाई कर मायके आ गई है. और अब वापस ना जाने की जिद्द पकड़ कर बैठी है.
आज की भाग-दौड़ वाली जिदंगी में जब आप अपने पति या ब्वायफ्रेंड को पूरा समय नहीं दे पातीं और आपसी मन-मुटाव हो जाये तो ये जरुरी है कि अपनी गलती का एहसास किया जाए और अपने अहम को भूलकर सुलह कर ली जाए. कभी-कभी खुद की गलती हो न हो फिर भी ये जरुरी होता है कि रिश्ते को बचाने के लिए आप अपने अहम को किनारे रखकर सुलह की पहल करें. अक्सर होता ये है कि नाराज होने पर दोनों ही पक्ष बात करना छोड़ देते है. माफी मांगने के लिए “पहले मैं क्यों, मैं क्यों” की जिद्द रिश्ते का गला घोंट देती है. आत्मसम्मान कब अहंकार में बदल जाता, पता ही नही चलता.
कुछ ऐसा ही हुआ था मेरी सहेली के साथ भी, जो अपने रुठे पिया को मनाने की जगह मायके चली आई थी. मैंने उसे समझाया कि ऐसे एक-दूसरे से दूर हो जाने में कहां की समझदारी है? जरुरी है कि कोई एक भी अपने अहम को किनारे रखकर रिश्ते को बचाने की कोशिश करे. ताकि इस खूबसूरत रिश्ते की डोर में कोई गाठ ना आये.
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