स्थिति की गम्भीरता को भांपते हुए विजय सिंह ने दोनों की शादी के लिए हामी भर दी. शरद तो उन्हें पहले ही बहुत पसन्द था, मगर दामाद के रूप में उन्होंने अभी तक कोई कल्पना नहीं की थी.