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ओरोबैंकी से बचाएं सरसों की फसल

ओरोबैंकी सेरेनुआ इस की एक दूसरी किस्म है, जो बिहार इलाके में सरसों की फसल पर परजीवी है. सरसों की फसल में इस के प्रकोप से 10 से 70 फीसदी तक का नुकसान होता है. यह परजीवी सरसों उगाए जाने वाले सभी इलाकों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल व ओडिशा में पाया जाता है.

ओरोबैंकी से ग्रस्त सरसों के पौधे छोटे रह जाते हैं और कभीकभी मर भी जाते हैं. ओरोबैंकी के चूपकांग यानी हास्टोरिया सरसों की जड़ों में घुस कर पोषक तत्त्व हासिल करते हैं. पौधों को उखाड़ कर देखें, तो ओरोबैंकी की जड़ें सरसों की जड़ों के अंदर घुसी हुई दिखती हैं. सरसों के पौधों के नीचे मिट्टी से निकलते हुए ओरोबैंकी परजीवी दिखाई पड़ते हैं.

ओरोबैंकी का तना गूदेदार होता है और इस की लंबाई 15 से 50 सैंटीमीटर होती है. तना हलका पीला या बैगनीलालभूरे रंग का होता है, जो पतली भूरी पत्तियों की परतों से ढका रहता है. फूल पत्तियों के कक्ष से निकलते हैं, जो सफेद नली के आकार के होते हैं.

यह अंडाकार बीजयुक्त फलियां बनाता है, जो तकरीबन 5 सैंटीमीटर लंबा होता है व जिन में सैकड़ों की संख्या में छोटेछोटे काले बीज होते हैं. ये बीज मिट्टी में कई सालों तक जिंदा रहते हैं.

ओरोबैंकी के बीज मिट्टी में 10 साल से भी ज्यादा समय तक जिंदा रह सकते हैं. इस के बीजों का जमाव तभी होता है, जब सरसों कुल के पौधों की जड़ें सरसों की जड़ों की ओर बढ़ती हैं व करीबी संबंध बना कर उन से जुड़ जाती हैं. इस से ओरोबैंकी फसल द्वारा बनाए गए भोजन को ले कर अपनी बढ़वार करता है. वह तकरीबन एक महीने तक मिट्टी में ही बढ़वार कर अंगूठे के आकार के जमीनी तने में भोजन इकट्ठा करता रहता है.

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इस के बाद सरसों की 50 से 60 दिन की अवस्था के दौरान यह मिट्टी से बाहर निकल कर बढ़ता है. बाहर आने के बाद भी यह हरे पत्ते नहीं बना कर परजीवी ही बना रहता है. इस के बाद इस में फूल आ जाते हैं और अनगिनत छोटेछोटे बीज बन जाते हैं. यह सारी प्रक्रिया तनों के उगने से ले कर बीज बन कर बिखरने तक 2 महीने में पूरी हो जाती है.

रोकथाम के उपाय

*नए इलाकों में ओरोबैंकी के बीज का प्रवेश नहीं होने देना चाहिए और परजीवी के बीजरहित सरसों के शुद्ध बीज का इस्तेमाल करना चाहिए.

*ओरोबैंकी परजीवी को हाथ से उखाड़ कर या निराईगुड़ाई द्वारा जमीन के ऊपर के तने को काट कर बीज बनने से पहले ही खत्म कर देना चाहिए.

*  यदि बीज बन गए हों, तो पौधों को सावधानी से निकालना चाहिए, जिस से बीज मिट्टी में नहीं मिलें.

* जिन इलाकों में बहुत ज्यादा हमला होता है, वहां सरसों की फसल टै्रप क्रौप के रूप में बोनी चाहिए. 30 से 40 दिन में परजीवी के पौधे बाहर निकलते दिखाई दें, तो गहरी जुताई कर के सरसों सहित इस के जमीनी तने को खत्म कर इस के बाद दूसरी फसल बो दें.

*जब तक ओरोबैंकी पर पूरी तरह काबू नहीं हो जाता, सरसों की जगह पर अरंडी की फसल बोएं, क्योंकि अरंडी एक सालाना फसल है. इस से परजीवी को रोकने में मदद मिलेगी.

* कुछ पौधों, जैसे मिर्च को बोने से ओरोबैंकी के बीजों का जमाव हो जाता है, लेकिन मिर्च की फसल को इस परजीवी से कोई नुकसान नहीं होता है. इस तरह मिट्टी में मौजूद ओरोबैंकी के बीजों को जमा कर इस फसल का टै्रप फसल के रूप में इस्तेमाल कर परजीवी के पौधों को खत्म किया जा सकता है. इस तरह मिर्चसरसों का फसल चक्र अपनाने से इस परजीवी पर कुदरती तौर पर काबू पाया जा सकता है.

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* लंबे समय तक फसल चक्र अपना कर इस की ज्यादती को रोका जा सकता है.

* पौधों की मिट्टी की सतह के पास 25 फीसदी ताम्रघोल का छिड़काव कर के यह परजीवी खत्म किया जा सकता है.

* ओरोबैंकी पौधों पर सोयाबीन के तेल की 2 बूंदें डाल देने से पौधा मर जाता है.

*  सरसों की रोगरोधी किस्म दुर्गामणि की बोआई करें.

‘नोटबंदी’ से भी बड़ी है त्रासदी ‘नेटबंदी’

नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रण करने के लिये प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दिया. 19 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक मोबाइल नेट बंद कर दिये. नोटबंदी के दौरान केन्द्र सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से तीन प्रमुख लाभ है इससे आतंकवाद खत्म होगा, देश की आर्थिक हालत मजबूत होगी और देश में भ्रष्टाचार खत्म होगा. नोटबंदी के जरिये कैशलेस इकोनौमी को बढ़ावा भी दिया गया. नेटबंदी के दौरान यही कैशलेश इकोनौमी लोगों के लिये परेशानी का सबब बन गया है.

मल्टीनेशनल कपंनी में काम करने वाले अनिल कुमार गुप्ता को शहर से बाहर जाना था. कैशलेस इकोनौमी पर यकीन करने वाले अनिल कुमार पेट्रोल पंप पर अपनी कार में दो हजार रूपये का पेट्रोल लेने गये. पेट्रोल का पेमेंट कार्ड से करना था. मोबाइल नेट बंद होने से कार्ड से पेमेंट नहीं हो पाया. अनिल के पा नकद केवल पांच सौ रूपये थे. ऐेसे में पेमेंट होना संभव नहीं था. पास लगा बैंक का एटीएम भी नहीं चल रहा था. अनिल को अपने घर फोन करके नकद पैसे मंगाने पड़े. ऐेसे में आधे घंटे से अधिक का समय लग गया ओर अनिल की फलाइट छूट गई. सरकार ने 19 दिसम्बर की रात से मोबाइल नेट बंद कर दिया था तो अनिल को सुबह इसकी कोई जानकारी ही नहीं थी.

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नेटबंदी से ऐसी तमाम परेशानियों से लोगों को रूबरू होना पड़ा. आईआईएस लखनऊ में पुराने छात्रो का एक कार्यक्रम था. बाहर से कई लोग इसमें हिस्सा लेने आये थे. एयर पोर्ट से बाहर खड़े होकर जब वह ओला और उबर जैसी गाडियां बुक कर रहे थे तो नेट बंद होने से यह सुविधा उनको नहीं मिली और उनको परेशान होना पड़ा. ऐसे ही मोबाइल से बुक किये जाने वाले ई-टिकट नहीं बुक हो पा रहे थे. शहर में अनजान लोगों को लोकेशन ट्रेस करने में दिक्कत आने लगी. खाना मांगने के लिये फूड एप बंद हो गये. इस तरह से पूरे कारोबार को करोड़ों का चूना लग गया. होटल, औनलाइन शौपिंग, ट्रैवल जैसे तमाम बिजनेस में 50 फीसदी की कमी आई.

असल में नोटबंदी के बाद लोगों ने कैशलेस इकोनौमी से जुड़ने का काम किया. नेटबंदी के दौरान ऐसे लोग बहुत परेशान हुये. सोशल मीडिया के बंद होने से झगड़ों पर कितना प्रभाव पड़ा यह तो सही जानकारी नहीं मिल पा रही है. नेट बंद होने के बाद भी पूरे प्रदेश में हालात कठिन बने गये. उत्तर प्रदेश में लोगों के मरने की खबरे आती रही. नेटबंदी से झगड़े पर प्रभाव पड़ा या नहीं पर कारोबार और लोगों की सुविधाओं पर बहुत प्रभाव पड़ा है.

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बिग बौस 13 : सिद्धार्थ- रश्मि की लड़ाई में जजमेंट से खुश नहीं ये एक्स सेलेब्स

कलर्स टीवी पर प्रसारित होने वाला विवादित शो ‘बिग बौस 13’ में आए दिन कंटेस्टेंट के बीच  हाईवोल्टेज ड्रामा और ड्रामैटिक सीन चलता रहता है. जिससे इस शो के दर्शकों का भरपूर मनोरंजन होता है. इस सीजन में तो कंटेस्टेंटस ने लड़ाई की सारी हदें पार कर दी हैं.

‘बिग बौस’ के सीजन में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कंटेस्टेंट्स ने झगड़े में एक-दूसरे पर चाय फेंकी हो,  कपड़े फाड़े हो और सलमान खान के भी सामने गाली-गलौच की हो. आपको बता दें, सिद्धार्थ-रश्मि की लड़ाई में सलमान ने किसी का भी सपोर्ट नहीं किया. सलमान ने ने दोनों की बात सुनी, अपना पक्ष रखने का मौका दिया. फिर रश्मि को बात को तूल देने पर डांट लगाई.

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सलमान खान के इस जजमेंट से शो के दो एक्स कंटेस्टेंट्स खुश नहीं हैं. जी हां, किश्वर मर्चेंट और गौहर खान दोनों ने ट्विट कर लिखा है.  गौहर खान ने लिखा, गंदा बोला है. बोला है बोला है. सफाई देने का अच्छा अवसर दिया गया. सिर्फ एक ही इंसान बोलता है. इस ट्वीट को शो की कंटेस्टेंट देवोलीना भट्टाचार्जी ने रीट्वीट किया है.

किश्वर मर्चेंट ने लिखा, अगर बुराईयां करने के बाद असीम रश्मि का सगा बनकर घूम रहा है. तो सिद्धार्थ भी पारस माहिरा का बुराईयां करने के बाद उनका सगा बनकर घूम रहा है.तो उधर दूसरी तरफ शो के एक्स कंटेस्टेंट विंदू दारा सिंह और काम्या पंजाबी ने सिद्धार्थ शुक्ला का सपोर्ट किया है. सलमान खान के कहने के बाद रश्मि-सिद्धार्थ का झगड़ा अभी के लिए खत्म हो चुका है. अब इस हफ्ते देखना दिलचस्प होगा कि दोनों के बीच क्या क्या नए मोड़ आते हैं.

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छोटी सरदारनी : फूटा हरलीन का गुस्सा, क्या परम से दूर हो जाएगी मेहर ?

‘छोटी सरदारनी’ में मेहर जहां इस बात से परेशान है कि वह हरलीन की शर्त यानी अपने पेट में पल रहा बच्चा या परम और सरब के साथ जुड़ा ये नया रिश्ता, इनमें से किसे चुनें. वहीं अब हरलीन ने मेहर और उसके परिवार को परम से दूर रहने की चेतावनी भी दे दी है. आइए आपको बताते हैं हरलीन के बर्ताव की क्या है वजह…

यूवी का साथ बना परम के लिए मुसीबत

पिछले एपिसोड में हमने देखा कि यूवी की बदमाशी के कारण परम भी फंस जाता है, जिसकी वजह से स्कूल टीचर यूवी की दादी कुलवंत कौर को बुलाती है.

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कुलवंत कौर ने मारा स्कूल टीचर को थप्पड़

 

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#Precap of Monday episode. Haha Kulwant face when Sarabjeet said she will have to say sorry for her wrong deeds??? Sarabjeet my hero u simply rock?????????? This should hv been done long back but everytime Sarabjeet had overlooked or ignored Kul’s mistakes (email hack issue, etc) Now KK has done a big crime of slapping teacher which I cant accept at all as I myself is a teacher…not only a plain sorry but something more needs to b done to stop this ego of KK cz she commits crime in every seconds, ruining her own family peace, destroying Yuvi’s life?????? Reposted from @chotisarrdaarni – Precap #ChotiSarrdaarni #ColorsTV #avineshrekhi #chotisarrdaarni #colorstv #colorstvserial #sarabjeetgill #chotisardarni #kulwant #drama @cs_sarabjeet_fan

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यूवी की गलती होने के बावजूद कुलवंत कौर टीचर को थप्पड़ मार देती है, जिसकी वजह से परम और यूवी को स्कूल से निकाल दिया जाता है. वहीं इस बात की भनक जब हरलीन को लग जाती है तो वह और ज्यादा गुस्से में आ जाती है.

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मेहर को कूसूरवार ठहराएगी हरलीन

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि हरलीन, सरब और मेहर, परम को स्कूल में वापस भेजने के लिए कोशिश करते नजर आएंगे तो वहीं हरलीन मेहर को चेतावनी देगी कि वह परम के मामले में न पड़े क्योंकि परम की मुसीबत का कारण वो और उसका परिवार है.

अब देखना ये है कि क्या मेहर हरलीन की चेतावनी के बावजूद परम को स्कूल वापस भेजने के लिए अपनी कोशिशें जारी रखेगी? क्या मेहर और हरलीन के रिश्ते की खटास बढती जाएगी? जानने के लिए देखते रहिए ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, रात 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

‘चेहरे’ की शूटिंग के दौरान निर्माता आनंद पंडित और बिग बी के बीच का बौंड हुआ और मजबूत

अपनी फिल्म (चेहेरे) के अंतिम चरण के लिए दिग्गज निर्माता आनंद पंडित स्लोवाकिया पहुंचे ताकि शूटिंग के दौरान महानायक अमिताभ बच्चन का अच्छी तरह से ख्याल रखा जा सके. अब फिल्म की शूटिंग पूरी होने वाली है, आनंद पंडित खुश हैं कि उन्होंने मध्य यूरोप में बिग बी के साथ रहने का फैसला किया.

लगातार हो रही बर्फबारी ने कुछ स्थानों पर शूटिंग को काफी मुश्किल बना दिया था लेकिन सीनियर बच्चन की प्रोफेशनलिज्म और बाकी कलाकारों के सहयोग की वजह से  शूटिंग अच्छी तरह से पूरी हो गई.

इस बारे में बताते हुए निर्माता आनंद पंडित कहते हैं, ” फिल्म चेहरे की इस शूटिंग ने हमें कभी न भूलने वाली यादें दी हैं. शूटिंग खत्म होते वक्त हम सभी भावुक हो गए. यह हम सबके लिए बेहद खास रहा है और इसकी कई वजहें हैं. उन कठिन हालात में भी, जब हम लोग सोच रहे थे कि शूटिंग करना संभव नहीं होगा, बच्चन साब सेट पर पहुंचने वाले पहले व्यक्ति होते थे. उनकी प्रतिबद्धता सेट पर हम सभी के लिए एक प्रेरणा जैसी थी. मैं चाहता था कि वह फिल्म के लिए कुछ सीन का निर्देशन करें क्योंकि उनके विशाल अनुभव ने उन्हें फिल्ममेकिंग की गहराई की अंतर्दृष्टि दी है. उन्होंने कुछ सीन्स को डायरेक्ट (निर्देशन) किया. मुझे उनकी जंजीर, दीवार, और त्रिशूल जैसी यादगार फिल्मों की यादें ताजा हो गईं. ”

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इस दिग्गज निर्माता ने अमिताभ बच्चन की सभी फिल्में देखीं हैं. उन्होंने जंजीर और त्रिशूल में उनकी फूर्ती भी देखी है और उनका मानना है कि बिग बी की वैसी ही तेजी इस फिल्म में भी दिखेगी. आनंद पंडित के लिए यह बिग बी को ज़ंजीर के अंतिम सीन से सीधे अपने फ्रेम में देखने जैसा था.

इससे भी बड़ी बात, अमिताभ बच्चन ने पर्दे के पीछे के कुछ सीन्स को भी आनंद पंडित के साथ साझा किया और इससे फिल्म के ओवरऔल इंपैक्ट में मदद मिली. आनंद पंडित, अमिताभ बच्चन के हर इनपुट को पसंद करते थे और इसी वजह से उन्होंने बिग बी से फिल्म के अंतिम सीन का निर्देशन करने के लिए कहा.

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हिमानी का याराना : भाग 1

सोनू पेशे से ड्राइवर था. उस की पत्नी हिमानी चाहती तो उस से तलाक भी ले सकती थी और यूं छोड़ कर जा सकती थी. इस के लिए अपने यार को हथियार बना कर सोनू को बकरे की तरह हलाल करना जरूरी नहीं था. सच तो यह कि यारों को पालने वाली…

24वर्षीय सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ बाहरी दिल्ली स्थित बादली गांव के सिसोदिया मोहल्ले में रहता था. वह और हिमानी घर की ऊपरी मंजिल पर रहते थे, जबकि उस के पिता माधव सिंह और बहन पिंकी ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे.

सोनू पेशे से ड्राइवर था और एक टूरिस्ट कंपनी की कार चला कर पूरे परिवार की जीविका चलाता था. 7 सितंबर, 2019 की रात 11 बजे तक परिवार के सभी सदस्य खाना खा चुके थे. सोनू को नींद आ रही थी, इसलिए वह हिमानी और डेढ़ साल के बच्चे के साथ पहली मंजिल पर अपने बैडरूम की ओर बढ़ गया. बेटे और बहू के जाने के बाद घर के बाकी सदस्य भी सोने चले गए.

सुबह करीब 7 बजे भाभी हिमानी के चीखनेचिल्लाने की आवाजें सुन कर पिंकी उस के कमरे में गई तो हिमानी ने रोते हुए बताया कि रात को किसी बदमाश ने इन की हत्या कर दी है. अभी थोड़ी देर पहले जब नींद खुली तो देखा तो ये मरे पड़े थे.

बैड पर भाई सोनू की लाश देख कर पिंकी ने बदहवास हो कर रोना शुरू कर दिया. बेटी और बहू के रोने की आवाज सुन कर सोनू के मातापिता भी भागते हुए वहां पहुंच गए. सोनू की लाश देख कर चीखपुकार मच गई.

तभी पिंकी ने अपने मोबाइल से 100 नंबर पर पुलिस को फोन कर अपने भाई की हत्या की सूचना दे दी. थोड़ी देर बाद बादली थाने से एसआई मनीष कुमार वहां पहुंच गए. लाश को देखने के बाद उन्होंने पाया कि सोनू के गले पर एक स्याह निशान बना हुआ था. चूंकि मामला हत्या का था, इसलिए उन्होंने इस मामले की सूचना थानाप्रभारी अक्षय कुमार को दे दी.

थोड़ी देर में थानाप्रभारी अक्षय कुमार थाने में मौजूद पुलिस स्टाफ के साथ सिसोदिया मोहल्ला स्थित माधव सिंह के घर जा पहुंचे. घर की पहली मंजिल पर पहुंच कर उन्होंने लाश का मुआयना किया तो मृतक के गले पर गहरा स्याह निशान मिला.

ऐसा लग रहा था मानो किसी ने रस्सी या चुन्नी से उस का गला घोंटा हो. कमरे का बारीकी से निरीक्षण करने पर उन्होंने पाया कि सभी सामान अपनी जगह पर था. घर से कोई सामान गायब नहीं था. मतलब हत्यारा जो भी रहा हो, उस की मंशा सिर्फ सोनू की हत्या करने की रही थी.

थानाप्रभारी ने फोरैंसिक टीम को बुला लिया. मृतक के पिता माधव सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि रात के 12 बजे सोनू अपनी पत्नी हिमानी के साथ ग्राउंड फ्लोर से पहली मंजिल स्थित इस कमरे में आ गया था. इस के बाद सुबह 7 बजे हिमानी ने नीचे आ कर बताया कि सोनू की हत्या कर दी है.

यह सुन कर थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने मृतक की पत्नी हिमानी से पूछताछ की. पति की मौत से बुरी तरह आहत हिमानी की स्थिति बहुत खराब थी. वह छाती पीटपीट कर लगातार रोए जा रही थी. उस ने बस इतना बताया कि वह डेढ़ साल की बेटी के साथ पति की बगल में सो रही थी. गरमी ज्यादा होने के कारण ये कमरे का दरवाजा खुला छोड़ कर सोते थे. पता नहीं रात में वहां कौन आया और इन की हत्या करने के बाद फरार हो गया.

थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने उस वक्त हिमानी से ज्यादा पूछताछ करना उचित नहीं समझा. क्योंकि घर में सभी रोपीट रहे थे और माहौल गमगीन था. अलबत्ता उन्हें हिमानी पर शक हुआ.

फोरैंसिक एक्सपर्ट का काम निपट जाने के बाद उन्होंने एसआई मनीष कुमार तथा अन्य स्टाफ के साथ घर का मुआयना करना शुरू किया तो देखा बगल की छत उन की छत से मिली हुई थी. यह देख कर उन्होंने अनुमान लगाया कि हत्यारा संभवत: इसी रास्ते सोनू के कमरे तक पहुंचा होगा और वारदात को अंजाम देने के बाद चुपचाप इसी रास्ते फरार हो गया होगा. एसआई मनीष की भी यही सोच थी.

मौकामुआयना करने के बाद पुलिस टीम ने सोनू की लाश पोस्टमार्टम के लिए बाबू जगजीवन राम अस्पताल, जहांगीरपुरी भेज दी. वहां की सारी काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम थाने लौट गई.

10 सितंबर को मृतक की बहन पिंकी की शिकायत पर थाने में सोनू की हत्या का मामला सागर उर्फ बलवा और राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया.

मामले की जांच खुद थानाप्रभारी अक्षय कुमार कर रहे थे. उन्होंने एसआई मनीष को कुछ निर्देश दे कर दोबारा मृतक के परिजनों को टटोलने के लिए उन के घर भेजा. वहां सभी ने सोनू की हत्या में पड़ोस में रहने वाले बदमाश सागर उर्फ बलवा पर शक जताया. एफआईआर में भी सागर को ही नामजद किया गया था.

पूछताछ के दौरान एसआई मनीष ने मृतक की पत्नी हिमानी को बुला कर उस से एक बार फिर पूछताछ की तो उन्हें ऐसा लगा जैसे वह जानबूझ कर इस केस का रुख दूसरी दिशा में मोड़ना चाह रही हो. यह देख कर उन्होंने उस का मोबाइल नंबर नोट कर लिया.

थाने लौट कर उन्होंने हिमानी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई और उस का बारीकी से निरीक्षण करने लगे.

काल डिटेल्स की जांच के दौरान वह यह देख कर चौंके कि हिमानी लगातार एक मोबाइल नंबर के संपर्क में थी. वारदात वाली रात में भी हिमानी ने इस नंबर पर काफी देर बात की थी. मनीष कुमार ने यह बात थानाप्रभारी को बताई तो उन्होंने उस नंबर की काल डिटेल्स निकालने के आदेश दिए. मोबाइल नंबर की जांच की गई तो नंबर उसी सागर उर्फ बलवा का निकला, जिस पर मृतक के पिता एवं परिवार के अन्य लोगों ने सोनू की हत्या का आरोप लगाया था.

यह देख कर थानाप्रभारी और एसआई मनीष के चेहरों पर मुसकराहट दौड़ गई. उन्हें लगा कि हत्यारा अब उन की पकड़ से ज्यादा दूर नहीं है.

11 सितंबर, 2019 की शाम को थानाप्रभारी अक्षय कुमार ने हिमानी को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. पूछताछ के दौरान हिमानी मासूम बन कर चालाकी से पुलिस की जांच की दिशा भटकाने की कोशिश करती रही लेकिन जब उस के सामने उस की काल डिटेल्स दिखा कर उस के और सागर के रिश्तों के बारे में पूछा गया तो उस का हलक सूख गया.

कश्‍मीरी दम आलू की रेसिपी

कश्‍मीरी दम आलू खाने में बहुट स्वादिष्ट होता है और सभी को बहुत पसंद आता है. आप इस कश्‍मीरी दम आलू की रेसिपी खाने में जरूर बनाएं. आप सब को बहुत पसंद आएगा. तो चलिए जानते हैं कश्‍मीरी दम आलू की रेसिपी.

सामग्री :

आलू (7 मीडियम आकार के)

प्याज ( 01 नग)

लहसुन (06 कली)

अदरक ( 01 टुकड़ा)

हरी मिर्च ( 03 नग)

टमाटर ( 03 नग)

मलाई ( 02 बड़े चम्मच)

दही ( 01 बड़ा चम्मच)

जीरा (1/2 छोटा चम्मच)

हींग (01 चुटकी)

हल्दी पाउडर ( 01 छोटा चम्मच)

लाल मिर्च पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

कश्मीरी मिर्च पाउडर ( 1/2 छोटा चम्मच)

धनिया पाउडर (01 छोटा चम्मच)

गरम मसाला ( 1/2 छोटा चम्मच)

हरा धनिया  02 छोटे चम्मच (बारीक कटा हुआ),

नमक (स्वादानुसार)

तेल ( 06 बड़े चम्मच)

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बनाने की  विधि 

सबसे पहले आलुओं को छीलकर अच्छी तरह से धो लें और अब कांटे की सहायता से साबूत आलुओं में गहरे छेद करके उन्हें गोद लें.

आलुओँ को गोदने के बाद कढ़ाई में चार बड़े चम्मच तेल डालकर गर्म करें.

तेल गरम होने पर उसमें आलुओं को डालें और हल्का ब्राउन होने तक तल लें.

अब प्याज, हरी मिर्च, अदरक, लहसुन को मिक्सी में डाल कर बारीक पीस कर पेस्ट बना लें.

उसके बाद टमाटर को भी पीस कर उसका पेस्ट बना लें.

अब कढ़ाई में बचे हुए तेल में और तेल डाल कर गरम करें और तेल गरम होने पर उसमें हींग, जीरा डालकर एक मिनट तक भून लें.

इसके बाद प्याज, लहसुन, टमाटर का पेस्ट डालकर सुनहरा होने तक भूनें.

इसके बाद इसमें लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर, धनिया पाउडर डालकर एक मिनट तक भूनें.

इसके बाद टमाटर का पेस्ट और मलाई को डालें और भूनें और जब मसाले तेल छोड़ने लगे, इसमें दही डाल दें और एक मिनट तक चलाएं.

उसके बाद तले हुए आलूओं को भी मसाले में डाल दें और अच्छी तरह से चला लें.

इसके बाद आप ग्रेवी को जितना पतला/गाढ़ा रखना चाहें, उसके हिसाब से पानी डालें और मध्यम आंच पर सात-आठ मिनट तक ढककर पकाएं.

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लव-सेक्स और धोखे के दलदल में फंसता यंगिस्तान

युवा पीढ़ी का नया जोश कब जग जाएगा यह कोई नहीं जानता, प्यार मुहब्बत के दौरान अगर इसी तरह का नयापन कों युवाओ उतेजित करे तों प्यार में थोडा सा इमोशन का तड़का लगा कर आप से शुरू होने वाला प्यार का अंत तू पर होता है.  सरल भाषा में कहे तो लव, सेक्स और धोखा का सिलसिला यंगिस्तान में खूब पनप रहा है. यह समस्या केवल युवाओ में ही नहीं पनप रही है, बल्कि  नवविवाहित जोड़ियां भी इस दलदल में धसते जा रहे हैं.

रिया शर्मा बहुत खुश थी अपनी जिन्दगी से, वह एक इंटीरियर डिजाईनर है और उनकी शादी कों 3 साल हो गये है. नेहा के पति (राकेश) एक विजनेस मैन है.  इन दोनों का जीवन मस्ती से कट रही थी कि अचानक एक दिन इनके घर में भूचाल आ गया . हुआ यूं  कि एक रात राकेश घर आते ही रिया से बोला  ‘मै  तुम्हारी दोस्त (शिल्पा) से प्यार करता हूं और ये सब पिछले एक साल से चल  रहा है.  ‘ राकेश की आंखे लाल हो रही थी और  उसके सामने खाड़ी रिया कुछ बोलने का हिम्मत नहीं कर पा रही थी, उसने आगे बोला  ‘मुझे इसके लिए कोई शर्मिंदगी नही है.’ यह सुनकर रिया की आंखे भर आई और उस वक्त तो वह कुछ नहीं बोली , लेकिन हर पल इस रिश्ते में दूरी बनती चली गयी. इस पुरे वाकये पर रिया बताती है कि यह सब सुनने के बाद उसका मन  उदास हो गया और अजीब सा दर्द महसूस होने लगा. छह महीनों तक हम साथ रहे लेकिन फिर तलाक के रास्ते को मैंने सही मानते हुए राकेश से दूर जाने का फैसला किया .

रिया की तरह कई महिलाओ कों यही समस्या है कि शादी के बाद उनके पति प्यार के इस रिश्ते मे धोखा देते है . कई महिलाओ का मानना  है कि  शादी के बाद अगर एक बार भी आपसी खिंचातानी होती है, तो इसका फायदा उनके पति उठाते हैं और शादीशुदा होने के बाद भी गर्लफ्रेंड बनाने से नहीं चुकते है. संबंधो के बीच दूरियां और लव, सेक्स, धोखा के इस खेल कों समझना थोडा मुश्किल जरुर है, लेकिन नामुमकिन नहीं.

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डौक्टर प्रीति रावत एक विशेषज्ञ (विवाह सलाहकार ) है,  इन मामलों के बारे में वह कहती है कि यह इन्सान के व्यवहार पर निर्भर करता है कि शादी के बाद अपनी पत्नी के साथ उचित संबंध बरकरार रखे. इससे किसी को पाबन्दी नहीं है कि वह एक ही शादी करे, अगर पहली पत्नी विवाह के लिए हामी भर्ती है तों आपकी जोड़ी में एक नया चेहरा जुड़ जाएगा .

विवाह की नीव सच्चाई और वादों पर रखी जाती है . अगर इस बींच थोड़े से भी शक की आशंका पनपती है तों समझो आपका रिश्ता अस्थिर हो रहा है . मुंबई में रहनेवाली मधुगुप्ता (समाजसेविका) का मानना है कि अगर कोई आपने साथी के साथ धोखा करता है तों सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि किस जरुरतो के लिए उसने आपने साथी कों धोखा दिया.

विशेषज्ञों  ओर डौक्टरों का मानना  है कि आपसी रिश्ते में दूरियां और धोखे का खेल बिना किसी कारण के नहीं होता भावुकता, नास्तिकता और कुछ खास बाते जिन पर विचार  कर इन्हें दूर किया जा सकता है . अगर आप सभी कारणों को जानने और पूरी तरह समझने के बाद संयम से अपने साथी से बात करते है , तो एक हद तक आपके बीच बनी दूरियां समाप्त होती है.

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बहुत से मामलों में कोशिश ही नहीं किया जाता है कि युवा अपने बहके पार्टनर को समझा-बुझा कर पहले की तरह बना सके. लेकिन जो लोग इस तरह के मामलों में कोशिश करते  है,  उन्हें इसमें जरुर सफल मिलाती है .

 छोटे-छोटे पत्तें बड़े काम के …

प्रकृति के पेड़-पौधों की पत्तियों में कई पत्तियों का हमारे सेहत के लिए में ऐसे गुण समाहित हैं जो अनेक बीमारियों को जादू की तरह दूर करने में सक्षम होते हैं. अगर हम प्रकृति प्रदत्त उपहारों का सहयोग लें तो अनेक बीमारियों को जड़ से उखाड़कर फेंका जा सकता है तथा अनेक बीमारियों से सुरक्षित भी रहा जा सकता है. हम अनेक पेड़ों की पत्तियों को अपने औषधीय प्रयोगों में किस प्रकार ला सकते हैं, आईये जानते हैं.

नीम की पत्तियां : नीम की पत्तियों में अनेक औषधीय गुण होते हैं. कड़वी नीम की पत्तियों को ही औषधीय कार्य में प्रयोग किया जाता है. नीम के पत्तों को आटे के साथ पलटिस बनाकर फोड़े पर बांधा जाये तो फोड़ा बैठ जाता है. इसके पत्तों को पीसकर घाव में लगाने से घाव जल्दी भर जात है. पत्ते के रस को एक चम्मच की मात्रा में एक सप्ताह तक बासी मुंह पीते रहने से पेट के कीड़ मर जाते हैं. इसके सेवन से प्राय: सभी प्रकार के चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं. रक्तशोधक के रूप में नीम प्रख्यात है.

चुकन्दर के पत्ते :  कान की पीड़ा बंद न हो रही हो तो चुकन्दर के पत्तों का रस गुनगुना करके दो-दो बूंदें दोनों कानों में डालिये. तीन-तीन घंटों में डालते रहने से कर्णशूल निश्चित ही दूर हो जाता है. चुकंदर के पत्तों को लेकर साबुत हल्दी के साथ पानी का छींटा देकर बारीक पीस लीजिए. सिर पर इसका लेप करते रहने से सिर का गंजापन मिट जाता है. इसे प्रात: सायं नियमित लगाइए. सर्दी लगकर अगर मासिक स्राव रूक गया हो तो दो चम्मच की मात्रा में चुकंदर के पत्तों का रस जरा-सा नमक डालकर दिन में तीन बार पीने से मासिक स्राव प्रारंभ हो जाता है. गर्भावस्था में इसका सेवन न करें.

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बबूल के पत्ते : अगर पुरानी खांसी हो या खांसने पर सीने में दर्द होता है या खांसने पर मुंह से खून का अंश आता हो तो बबूल के कोमल पत्तों को पानी में खौला कर दिन में तीन बार तक पीने से उक्त सभी परेशानियों दूर हो जाती हैं. इसी शीतोष्ण जल में प्रतिदिन सुबह-शाम उत्थित लिंग को दस मिनट तक डुबोये रखने से शीघ्रपतन की बीमारी नष्ट हो जाती है.

केले का पत्ता :  केले के पत्ते में अनेक चर्म रोगों को दूर करने की शक्ति होती है. केले के पत्तों को जलाकर उसकी बारीक राख में नारियल तेल को मिलाकर चर्म रोग वाले स्थान पर लगाते रहने से अविश्वसनीय लाभ मिलता है. इस प्रयोग से पुराने से पुराने घाव, दाद, एक्जिमा, खुजली, अपरस आदि में लाभ होता है. केले के पत्तों के रस में मेंहदी के पत्तों के रस को मिलाकर एक कप गर्म पानी में मिला दें. जब पानी सहने योग्य हो जाये तो इससे योनि के भीतरी भाग को धोने से योनिगत अनेक विकार ठीक होते हैं, साथ ही कमाशीलता की व्याधि भी नष्ट होती है.

बिल्वपत्र :  बेल का औषधि रूप में प्रयोग अति प्राचीन काल से ही किया जा रहा है. बेल के फल और पत्तों में अनेक रोगों की सफल चिकित्सा छिपी रहती है. गर्भवती स्त्री की उल्टियों में चार बिल्वपत्र लेकर उसका रस निकालकर उसे एक कप मांड के साथ मिलाकर उसमें जरा सी मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार पिला देने से भयंकर उल्टियां आनी बंद हो जाती हैं. बिल्वपत्र रस के एक चम्मच में नागकेसर और रसौंत की एक-एक चुटकी मिलाकर दिन में दो-तीन बार पिलाते रहने से ल्यूकोरिया के साथ ही रक्त प्रदर की शिकायतों में भी अप्रत्याशित लाभ होता है.

खजूर के पत्ते : खजूर के पत्तों को जलाकर बासी पानी के साथ खाली पेट सुबह पीने से सभी प्रकार की बवासीर (खूनी-वादी) से छुटकारा मिल जाता है. कुछ सप्ताह तक निरंतर प्रयोग करना चाहिये. खजूर के पत्तों को भस्म, मेहंदी के पत्तों की भस्म व अमरूद के पत्तों के भस्मो को समान भाग में बारीक लेकर जैतून के तेल में मिलाकर (छानने से पूर्व कुछ गरम कर लें) रख लें. इस तेल से स्तनों पर नित्य 15-20 मिनट तक मालिश करने से स्तन पुष्ट व विकसित होते हैं. इसी तेल से लिंग पर नित्य मालिश करने से उसकी मोटाई व स्तनम्भन की शक्ति में वृध्दि होती है.

बेर के पत्ते : बेर तथा नीम के पत्तों को समान-मात्रा में लेकर पानी में डालकर उबाल लें. इस पानी से बालों को धोने से बाल झड़ना निश्चित रूप से रुक जाता है. जब तक बालों का झड़ना न रुके, तब तक साबुन या शैम्पू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये. बाल झड़ने की बीमारी यदि नयी है तो एक-डेढ़ सप्ताहों में ही बाल झड़ने बंद हो जाते हैं.

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संतरे का पत्ते :  संतरे के पत्ते के रस को मंद-मंद गर्म करके दो-दो चम्मच करके प्रतिदिन पिलाने से उल्टी, अपच, पेट व छाती की जलन दूर हो जाती है. इस रस के साथ कंधारी अनार के पत्तों का दो चम्मच रस नित्य पीते रहने से पुरानी खांसी, पायरिया, अपच, दुर्बलता, लिंग के उत्थान में बाधा, जिगर की गर्मी आदि कई बीमारियां दूर होती हैं.

अब पछताए होत क्या 

दामोदर के ऊपर कामिनी समेत 20 औरतों ने छेड़छाड़ करने का केस दायर किया था. प्रधानमंत्री ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें मंत्री पद से हटा दिया. चूंकि वे वरिष्ठ मंत्री रहे हैं इसलिए उन से इस्तीफा लिया गया और अदालत के फैसले के आधार पर उन के ऊपर कार्यवाही होगी.

इस सब में प्रधानमंत्री का बयान आग में घी का काम कर रहा था, ‘मैं ने प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारियों का पालन करते हुए दामोदर से इस्तीफा ले कर मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया है. अदालत बिना किसी दबाव के इस मसले पर फैसला लेगी.’

‘‘बड़ा ईमानदार बनता है. सौ चूहे खा कर बिल्ली हज को चली,’’ दामोदर गुस्से में बड़बड़ा रहे थे. वे राजनीति में 50 साल यों ही नहीं गुजार चुके थे. उस में भी वे 30 साल से ज्यादा पत्रकारिता जगत में गुजार चुके थे. कामिनी को वे ही पत्रकारिता में लाए थे.

शाम को अपनी सफाई में दी गई प्रैस कौंफ्रैंस में दामोदर वहां आए पत्रकारों पर फट पड़े, ‘‘मैं खुद पत्रकार के रूप में सालों से आप के साथ रहा हूं और काम कर रहा हूं. इन आरोपों में कोई दम नहीं है, पर पत्रकार के रूप में आप सब जांच में सहयोग दें और सच को छापें.

‘‘मैं ने भी मंत्री पद से इसलिए इस्तीफा दिया क्योंकि न्यायपालिका में मेरा पूरा विश्वास है कि वह सही जांच करेगी. दूसरी बात यह है कि जिस दिन की बात कामिनी बता रही हैं, उस दौरान मैं प्रधानमंत्री के श्रीलंका दौरे को कवर करने वहां गया था और एक वक्त में मैं 2 जगह नहीं रह सकता.’’

‘‘फिर कामिनी ने आप पर आरोप क्यों लगाया?’’ एक पत्रकार का यह सवाल था.

‘‘आरोप तो कोई भी किसी पर लगा सकता है, मेरे इतने साल के पत्रकारिता और राजनीति के कैरियर में जब कोई गलती नहीं दिखाई दी तो मेरा सीधा चरित्र हनन कर डाला,’’ दामोदर मानो सफाई देते हुए बोले.

मीटिंग खत्म कर के वे कमरे में लौटे तो उन का कामिनी की पुरानी बातों और यादों पर ध्यान चला गया.

‘कामिनी, आप क्या लिखती हैं?’ दामोदर उस की रचनाओं और बायोडाटा को देखते हुए बोले थे.

‘कुछ नहीं बस आज से जुड़े विषयों पर छिटपुट रचनाएं लिखी हैं.’

‘अभी तुरंत कुछ लिख कर दीजिए,’ दामोदर 4 पेज देते हुए बोले थे.

कामिनी ने थोड़ी ही देर में एक ज्वलंत विषय पर रचना लिख कर दे दी थी. इस के बाद इतिहास से एमए पास कामिनी अकसर लिखती और उस की रचना छपने लगी थी.

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उस दिन भी कवरेज के लिए जब दामोदर कानपुर गए थे, तो कामिनी उन के साथ थी. बारिश हो रही थी. रात के 11 बजे जब वे कमरे में पहुंचे तो दोनों भीग चुके थे.

इस के बाद दामोदर ने कामिनी के साथ होटल में छक कर मजे लूटे थे. कामिनी ने भी भरपूर सहयोग दिया था. आग में घी तब पड़ा था, जब दामोदर कामिनी के बजाय राधा से शादी कर बैठे थे.

‘इतने दिनों तक मेरा इस्तेमाल किया, फिर…’ कामिनी बिफरते हुए बोली थी.

‘फिर क्या, हम दोनों ने एकदूसरे का इस्तेमाल किया है. तुम ने मेरे नाम का और मैं ने तुम्हारा. यह दुनिया ऐसे ही कारोबार पर चलती है,’ दामोदर सपाट लहजे में बोले थे.‘मैं आप को बदनाम कर दूंगी. आखिर उस राधा ने क्या दिया है आप को?’ कामिनी गुस्सा में बड़बड़ा रही थी.

‘तुम खुद टूट जाओगी. दूसरी बात यह कि मैं ने मंत्री की बेटी से शादी की है, तो अब सब अपनेआप मिल जाएगा,’ दामोदर सफाई देते हुए बोले थे.

फिर धीरेधीरे दोनों दूर हो गए थे. दामोदर ने सालों से कामिनी का चेहरा नहीं देखा था. इतने सालों के बाद वह न जाने कहां से टपक पड़ी थी.

अगर कामिनी ने अदालत में सुबूत पेश कर दिया तो उन्हें जेल होगी और हर्जाना भी देना पड़ेगा. सांसद की कुरसी भी छिन जाएगी.

‘क्या करूं…’ दामोदर सोच रहे थे कि उन्हें जग्गा याद आ गया. वे जग्गा के पास खुद पहुंचे थे.

‘‘आप जाइए, मैं इस का इलाज कर देता हूं. आप बस 20 औरतों के लिए 25 लाख रुपए का इंतजाम कर दें,’’ वह शराब पीता हुआ बोला.

‘‘पैसा कल तक पहुंच जाएगा. तुम काम शुरू कर दो,’’ दामोदर हामी भरते हुए बोले.

अगले दिन दोपहर के 12 बजे प्रैस कौंफ्रैंस कर उन सभी 20 औरतों ने नाम समेत माफी मांगी और आरोप वापस ले लिया.

अब तो दामोदर मंत्री पद पर दोबारा आ गए. इस मसले पर जब उन से पूछा गया तो वे झट बोल उठे, ‘‘वे सब

मेरी बहन जैसी हैं. मैं तो उन से कभी मिला नहीं, उन्हें जानता तक नहीं. बस राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल की गई मुहरें थीं. मुझे साजिश करने वाला चाहिए मुहरें नहीं.’’

‘‘मगर, वे सब औरतें कहां गईं?’’ एक पत्रकार ने पूछा.

‘‘यह सवाल आप उन से पूछिए जिन्होंने मुझ पर ऐसा घिनौना आरोप लगवाया है. वह तो भला हो उन बहनों का, जिन का जमीर जाग गया और आज मैं आप के सामने हूं. मेरे सामने खुदकुशी के सिवा कोई रास्ता नहीं था,’’ घडि़याली आंसू बहाते दामोदर के इस जवाब ने सब को चुप कर दिया था.

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दामोदर दोबारा सही हो गए, तो झट रात में जग्गा को फोन लगाया.

‘आप चिंता मत करो, सारा काम ठीक से हो गया है,’ जग्गा ने कहा.

‘‘फिर भी कहीं कुछ…’’ दामोदर थोड़े शंकित थे.

‘कोई अगरमगर नहीं… जग्गा पूरे पैसे ले कर आधा काम नहीं करता है.’

अब दामोदर ने चैन की सांस ली. अब वे कभी ऐसा कुछ नहीं करेंगे, ऐसा सोच कर वे हलका महसूस करने लगे और धीरेधीरे नींद के आगोश में चले गए.

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