उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बारबार इस बात का दावा करती थी कि उनके कार्यकाल में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ. नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए का विरोध करते प्रदर्शनकारी अचानक फसाद पर उतर आये. फसाद भी ऐसा कि वह दंगा बन गया. जिस प्रदर्शन का उददेश्य नागरिकता संशोधन कानून का विरोध था वह साम्प्रदायिक दंगे की तरह उभरा और ‘लखनवी संस्कृति’ का कत्ल कर बैठी. जब दंगे का गुबार छंटा तो लोग यह समझ ही नहीं पा रहे थे कि यह उनके लखनऊ के लोग थे. लखनऊ ‘पहले आप’ की संस्कृति वाला शहर माना जाता है. नागरिकता संशोधन कानून विरोधी फसाद के बाद कैसे कह सकेगे ‘मुस्कराये कि आप लखनऊ में है‘. राजनीति को ऐसे दंगों से मजबूती मिलती है. पक्ष और विपक्ष को दोनों को लाभ मिल सकता है पर लखनवी तहजीब का जो नुकसान हुआ है उसकी जगह नहीं भरेगी.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा ‘बलवा भडकाने में विपक्षी दलो का हाथ है. बलवा करने वालो की पहचान करके उनकी संपत्ति जब्त करके नुकसान की भरपाई की जायेगी.’ विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव कहते है भाजपा को दोष देते कहते है ‘भाजपा की सरकार को इस विरोध प्रदर्शन को समझना चाहिये था. सरकार अपनी ही जनता को जब धमकी देने लगती है तो सरकार की मंशा समझ में आ जाती है. कांग्रेस नेता प्रियका गांधी कहती है कि भाजपा सरकार अपने खिलाफ कोई भी आवाज सुनना पंसद नहीं करती. जनता की आवाज को दबाने का जितना भी प्रयास होगा वह उतना ही मुखर होगी.’

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