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रस्मे विदाई : भाग 2

‘मेरी बेटी को क्यों कोस रही हो, मांजी. सही समय पर सभी कार्य स्वयं ही संपन्न हो जाते हैं,’ मां ने मिट्ठी का पक्ष लेते हुए कहा था.

‘4 वर्ष बीत गए. हजारों रुपए तो देखनेदिखाने पर खर्च किए जा चुके हैं. मुझे नहीं लगता, इस के भाग्य में गृहस्थी का सुख है. मेरी मानो तो इस के छोटे भाईबहनों का विवाह कर दो,’ दादीमां ने अपने बेटे को सुझाव दिया था.

‘क्या कह रही हो, मां? क्या ऐसा भी कहीं होता है कि बड़ी बेटी बैठी रहे और छोटों का विवाह हो जाए? फिर, मिट्ठी से कौन विवाह करेगा?’ सर्वेश्वर बाबू के विरोध का स्वर कुछ इस तरह गूंजा था कि दादीमां आगे कुछ नहीं बोली थीं.

उस की मां अचानक ही बहुत चिंतित हो उठी थीं. जिस ने जो उपाय बताए, मां ने वही किए. कितने दिन भूखी रहीं. कितना पैसा मजारों पर जाने व चादर चढ़ाने पर खर्च किया, पर सब बेकार रहा और इसी चक्कर में मां अस्पताल पहुंच गईं.

अंत में एक दिन मिट्ठी ने घोषणा कर दी थी कि अब विवाह नाम की संस्था से उस का विश्वास उठ गया है और वह न तो भविष्य में लोगों के सामने अपनी नुमाइश लगा कर अपना उपहास करवाएगी न कभी विवाह करेगी.

सर्वेश्वर बाबू को जैसे इस उद्घोषणा की ही प्रतीक्षा थी. उन्होंने तुरंत ही दूसरी बेटी पुष्पी के विवाह के लिए प्रयत्न प्रारंभ किए. उन का कार्य और भी सरल हो गया जब पुष्पी ने अपने लिए वर का चुनाव स्वयं ही कर लिया और मंदिर में विवाह कर मातापिता का आशीर्वाद पाने घर की चौखट पर आ खड़ी हुई थी.

मां तो देखते ही बिफर गई थीं. दादीमां ने माथा ठोक कर समय को दोष दिया और पिता ने पूर्ण मौन साध लिया था. काफी देर रोनेपीटने के बाद जब मां थोड़ी व्यवस्थित हुई थीं तो उन्होंने ऐलान कर डाला था कि वे इस विवाह को विवाह नहीं मानतीं और अब पूरे रीतिरिवाज के अनुसार सप्तपदी की रस्म होगी. सो, पुष्पी के विवाह के निमंत्रणपत्र छपे, मित्रसंबंधी एकत्र हुए, कानाफूसियों का सिलसिला चला और धूमधाम से दानदहेज के साथ पुष्पी को विदा किया गया. मां ने बचपन से दोनों बेटियों के लिए ढेरों गहने, कपड़े, बरतन जोड़ रखे थे. मिट्ठी ने तो उन्हें निराश किया था पर पुष्पी के विवाह का सुनहरा अवसर वे छोड़ना नहीं चाहती थीं.

इस बीच मिट्ठी के एमए पास करने के बाद उसे बाहर जा कर नौकरी करने की पिता ने आज्ञा नहीं दी. उन्हें एक ही डर था कि लोग क्या कहेंगे कि बेटी की कमाई खा रहे हैं.

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मिट्ठी का स्वभाव ही ऐसा था कि अधिक देर तक वह उदास नहीं रह सकती थी. खिलखिलाना, ठहाके लगाना मानो उस की निराशा और दर्द को दूर रखने के साधन बन गए थे.

मिट्ठी ने अपने हाथों पुष्पी के लिए जरीगोटे का लहंगा बनाया था. लहंगेचूनर का काम देख कर सब ने दांतों तले उंगली दबा ली थी. लगता था, जैसे किसी की व्यावसायिक निपुण उंगलियों का कमाल था.

पुष्पी ने तो मुग्ध हो कर मिट्ठी की उंगलियां ही चूम ली थीं.

‘बेचारी,’ पड़ोस की नीरू बूआ ने आंखें छलकाने का अभिनय करते हुए कहा था. मिट्ठी तब दूसरे कमरे में मां का हाथ बंटा रही थी.

‘बेचारी क्यों?’ उन की बेटी रुनझुन ने प्रश्नवाचक स्वर में पूछा था.

‘अपने लिए शादी का जोड़ा बनवाने की हसरत तो उस के मन में ही रह गई,’ उन्होंने स्पष्ट किया था.

‘मिट्ठी दीदी की उंगलियों में तो जादू है, मां, और उन का स्वभाव, वह तो मुर्दों में भी जान फूंक दे,’ रुनझुन बोली थी.

‘शायद ठीक ही कहती है तू, वे ही अभागे थे जो उसे नापसंद कर गए,’ नीरू बूआ बोली थीं.

‘मम्मी, मेरी शादी का जोड़ा भी आप मिट्ठी दीदी से ही बनवाना,’ रुनझुन ने आगे कहा था.

‘सुन ले मिट्ठी, रुनझुन की फरमाइश. आसपड़ोस की लड़कियां अब तुझे चैन नहीं लेने देंगी,’ नीरू बूआ बोलीं.

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इस बीच जो बात मिट्ठी को सब से अजीब लगी थी वह थी पारंपरिक विवाह के 2 दिन पहले से ही पुष्पी रोने लगी थी. यद्यपि सभी कुछ तो उस की इच्छा से हुआ था. उस ने मां से पूछा भी था.

‘रोने की रस्म होती है विवाह में, पर तू क्या जाने, कभी ससुराल जाती तब तो जानती, मन अपनेआप पिघल कर आंखों की राह बहने लगता है,’ मां ने मानो राज की बात बताई थी पर मिट्ठी के पल्ले कुछ नहीं पड़ा था.

पुष्पी के विवाह के बाद जो कुछ हुआ, उस की मिट्ठी ने कल्पना नहीं की थी. उस के पास विवाह के लिए जोड़े बनवाने वालों की भीड़ लग गई थी. न जाने क्या सोच कर सर्वेश्वर बाबू ने न केवल उसे यह काम करने की आज्ञा दे दी, बल्कि जो धन उस के विवाह के लिए रखा था वह उसे दुकान में लगाने के लिए सौंप दिया था. इतना काम मिट्ठी अकेली तो कर नहीं सकती थी. सो, 3-4 सहायकों को रख लिया था. सर्वेश्वर बाबू ने उस के लिए एक बड़ी सी दुकान का प्रबंध भी कर दिया था.

अगले भाग में पढ़ें- मुझ से मिलना चाहती हैं? पर क्यों?

रस्मे विदाई : भाग 1

‘‘यह क्या है मिट्ठी? 2 दिन रह गए हैं तुम्हारी विदाई को और तुम यहां बैठी खीखी कर रही हो, नाक कटवाओगी क्या? तुम लड़कियों को कुछ काम नहीं है क्या? अरे, शादी का घर है, सैंकड़ों काम पड़े हैं, थोड़े हाथपैर चलाओगी तो छोटी नहीं हो जाओगी,’’ नीरा ने अपनी बेटी मिट्ठी और उस की सहेलियों को इस तरह लताड़ा कि सब सकते में आ गईं. सहेलियां उठ कर कमरे से बाहर निकल गईं और इधरउधर कार्य करने का दिखावा करने लगीं. मिट्ठी वहीं बैठी रही और अपनी मां को अपलक देखती रही.

‘‘अब हम क्या करें, मां, कुछ काम भी तो करने नहीं देती हैं आप? हमारे हंसनेबोलने से आप की नाक कटने का खतरा कैसे पैदा हो गया, यह भी हमारी समझ में नहीं आया.’’

‘‘हांहां, तुम्हारी समझ में क्यों आने लगा. अकेले में तुम्हें समझा सकूं, इसीलिए उन लड़कियों को यहां से भगा दिया. हमारे जमाने में तो विवाह से

10-12 दिनों पहले से ही लड़कियां धीरेधीरे स्वर में रोने लगती थीं. आनेजाने वाले भी लड़की से गले मिल कर दो आंसू बहा लेते थे कि लड़की अब पराई होने जा रही है. माना, अब नया जमाना है पर 2 दिन पहले तो धीरेधीरे रो ही सकती हो. नहीं तो लोग क्या कहेंगे कि लड़की को शादी की बड़ी खुशी है.’’

‘‘वाह मां, किस युग की बातें कर रही हैं आप, आजकल विदाई के समय कोई नहीं रोता. हमारी बात तो आप जाने दीजिए, पर आजकल की अधिकतर लड़कियां पढ़ीलिखी हैं, अपने पैरों पर खड़ी हैं. वे इन पुराने ढकोसलों में विश्वास नहीं करतीं.’’

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‘‘बदल गया होगा जमाना, पर इस महल्ले में तो सब जैसे का तैसा है, यहां लोग अभी भी पुरानी परंपराओं का पालन करते हैं. हर विवाह के बाद वर्षों यह चर्चा चलती रहती है कि लड़की विदाई के समय कितना रोई. उसी से तो मायके के प्रति लगाव का पता चलता है. अच्छा, मैं चलती हूं, ढेरों काम पड़े हैं, पर अब ठहाके सुनाई न दें, इस का ध्यान रखना,’’ कहती हुई नीरा चली गई थीं.

उन के जाते ही मिट्ठी का मन हुआ कि वह इतना जोर से खिलखिला कर हंसे कि सारा घर कांप जाए. विदाई के समय रोने की प्रथा को इतनी गंभीरता से तो शायद ही कभी किसी ने लिया हो. 40 वर्ष की उम्र के करीब पहुंच रही है मिट्ठी, अब क्या रोना और क्या हंसना. लेकिन मां नहीं समझेंगी.

आज भी वह दिन मिट्ठी की यादों में उतना ही ताजा है, जब पहली बार उसे वर पक्ष के लोग देखने आए थे. उन दिनों तो उस का अपना अलग ही स्वप्निल संसार था और वास्तविकता से उस का दूरदूर कोई वास्ता नहीं था. घूमनाफिरना, सिनेमा देखना और उत्सवों व विवाहों में भाग लेना, यही उस की दिनचर्या थी. कालेज जाना भी इस में शामिल था पर उस में पढ़ाई से अधिक महत्त्व सहेलियों, फिल्मों और गपशप का था. कालेज जाना तो विवाह होने तक के समय का सदुपयोग मात्र था.

भावी वर को देख कर तो उस की आंखें चौंधिया गई थीं. वैसा सुदर्शन युवक आज तक उस की नजरों के सामने से नहीं गुजरा. साथ ही ऊंची नौकरी, संपन्न परिवार, उस की तो मानो रातोंरात काया ही पलट गईर् थी.

पर जब एक सप्ताह बीतने पर भी उधर से कोई जवाब नहीं मिला था तो सब का माथा ठनका था. शीघ्र ही देवदत्त बाबू से, जो मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे थे, संपर्क किया गया तो वे स्वयं ही चले आए और आते ही मिट्ठी के पिता को ऐसी खरीखोटी सुनाई थी कि बेचारे के मुख से आवाज नहीं निकली थी.

‘इतने ऊंचे स्तर का घरवर और आप ने उन्हें अच्छे दहेज तक का प्रलोभन नहीं दिया? पूरी बिरादरी में कहीं देखा है ऐसा सजीला युवक?’ देवदत्त बाबू बोले थे.

‘लेकिन देवदत्त बाबू, देखनेसुनने में तो अपनी मिट्ठी भी किसी से कम नहीं है,’ उस के पिता सर्वेश्वर बाबू बोले.

‘हां जी, आप की मिट्ठी तो परी है परी. कल कोई राजकुमार आएगा और फोकट में उसे ब्याह कर ले जाएगा.’ देवदत्त बाबू के स्वर ने अंदर अपने कमरे में बैठी मिट्ठी को पूरी तरह से लहूलुहान कर दिया था और पता नहीं सर्वेश्वर बाबू पर क्या बीती थी.

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‘मैं ने तो फोकट में विवाह करने की बात कभी की नहीं, मैं ने आप से पहले ही कहा था कि हम 3 लाख रुपए तक खर्च करने को तैयार हैं,’ सर्वेश्वर बाबू दबे स्वर में बोले थे.

‘सच कहूं? 3 लाख रुपए की बात सुन कर देर तक हंसते रहे थे लड़के के घर वाले. लड़के की मां ने तो सुना ही दिया कि 3 लाख रुपए में कहीं शादी होती है. अरे, इतने में तो ठीक से बरात की खातिरदारी भी नहीं हो सकेगी,’ देवदत्त बाबू ने एक और वार किया था.

‘इस से अधिक तो मेरे लिए संभव नहीं हो सकेगा. आप तो जानते हैं कि मिट्ठी से छोटे 4 और भाईबहन हैं. बहुत कोशिश करने पर 3 का साढ़े 3 लाख रुपए हो जाएगा.’

‘फिर तो आप उसी स्तर का वर ढूंढ़ लीजिए अपनी मिट्ठी के लिए. आप तो जानते ही हैं कि जितना गुड़ डालोगे उतना ही मीठा होगा. वैसे भी उस लड़के का संबंध तय हो गया और 15 लाख रुपए पर बात पक्की हुईर् है. 5-6 लाख रुपए का तो केवल तिलक आएगा,’ कहते हुए देवदत्त बाबू उठ खड़े हुए थे.

मिट्ठी ने बीए पास कर एमए में दाखिला ले लिया था. उधर सर्वेश्वर बाबू ने वर खोजो अभियान तेज कर दिया था. हर माह 2-3 भावी वर और उस के मातापिता उसे देखने आते. पर कुछ न कुछ ऐसा हो जाता था कि बात बनतेबनते रह जाती. सर्वेश्वर बाबू ने अब यह कहना भी बंद कर दिया था कि वे दहेज प्रथा में विश्वास नहीं करते और प्रस्तावित दहेज की रकम बढ़ा कर 4 लाख रुपए कर दी थी. पर जब सभी प्रयत्नों के बाद भी वह बेटी के लिए एक अदद वर नहीं ढूंढ़ पाए तो सब का क्रोध मिट्ठी पर उतरने लगा था. उस की दादीमां ने तो एक दिन खुलेआम ऐलान भी कर दिया था कि घर में कन्या पैदा होने से बड़ा अभिशाप कोई और नहीं है.

अगले भाग में पढ़ें- पुष्पी ने तो मुग्ध हो कर मिट्ठी की उंगलियां ही चूम ली थीं.

रस्मे विदाई : भाग 3

मिट्ठी का काम दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा था. उस की ख्याति महल्ले से निकल कर पूरे शहर में फैल गई. इस बीच उस के दोनों भाई भी अपनी पसंद की लड़कियों से विवाह कर चुके थे. दोनों दूसरे शहरों में कार्यरत थे. मातापिता के साथ केवल मिट्ठी ही रहती थी.

उस दिन सुबह से ही मिट्ठी की तबीयत ठीक नहीं थी. यद्यपि उस के सहायक कार्य कर रहे थे, पर मिट्ठी सबकुछ उन के भरोसे छोड़ने की अभ्यस्त नहीं थी. विवाहों का मौसम होने के कारण कार्य इतना अधिक था कि अपनी दुकान बंद करने की बात वह सोच भी नहीं सकती थी.

सांझ गहराने लगी थी. मिट्ठी को लगा जैसे बुखार तेज हो रहा था. आंखों के आगे अंधेरा सा छाने लगा था. उस ने सोचा, आज काम थोड़ा जल्दी बंद कर देंगे, पर इस से पहले कि वह कोई निर्णय ले पाती, सामने एक कार आ कर रुकी और एक युवकयुवती उतर कर दुकान में आए.

‘हां, यही है वह बुटीक भैया, जिस के बारे में पल्लवी ने बताया था,’ युवती साथ आए युवक से कह रही थी.

‘यह बुटीक नहीं एक साधारण सी दुकान है. बताइए, हम आप की क्या सेवा कर सकते हैं,’ मिट्ठी बोली थी.

‘पर आप काम असाधारण करती हैं. मेरी सहेली पल्लवी की शादी का जोड़ा तो इतना अनूठा था कि सब देखते ही रह गए. वह कह रही थी कि आश्चर्य की बात तो यह है कि इसे डिजाइन करने वाली ने कभी शादी का जोड़ा नहीं पहना,’ वह युवती बोले जा रही थी.

‘ओह, श्रीवाणी ऐसा नहीं कहते. अपने काम की बात करो,’ उस का भाई श्रीनाथ बोला था.

‘कोई बात नहीं, मैं बुरा नहीं मानती. बताइए, आप को क्या चाहिए,’ मिट्ठी ने शीघ्र ही उन्हें निबटाने की गरज से पूछा था.

‘लगता है हम दोनों का हाल एकजैसा ही है,’ श्रीनाथ बोला था.

‘जी?’

‘देखिए न, आप शादी के जोड़े बनाती हैं पर स्वयं कभी नहीं पहना. मेरी आभूषणों की दुकान है पर स्वयं कभी गहने नहीं पहने,’ वह मुसकराया था.

‘आप की उंगलियों और गले को देख कर तो ऐसा नहीं लगता,’ मिट्ठी ने श्रीनाथ की उंगलियों में चमकती अंगूठियों की ओर इशारा किया था. पर इस से पहले कि श्रीनाथ कोई उत्तर दे पाता, मिट्ठी काउंटर पर सिर रख कर बेसुध हो गई थी.

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‘अरे, देखिए तो क्या हो गया है इन्हें?’ श्रीवाणी और श्रीनाथ ने मिट्ठी की सहायिका को पुकारा था.

‘आज सुबह से ही दीदी को बुखार था. पता नहीं क्या हो गया है. मैं डाक्टर को फोनकरती हूं,’ एक सहायिका बोली थी.

‘आप लोग इन्हें उठाने में सहायता करें, तो इन्हें पास के नर्सिंग होम में ले कर चलते हैं,’ श्रीनाथ ने राय दी थी.

मिट्ठी को पास के नर्सिंग होम ले जाया गया और शीघ्र ही उपचार शुरू हो गया था. यद्यपि कुछ ही देर में मिट्ठी को होश आ गया था, पर बुखार तेज होने के कारण उसे नर्सिंग होम में दाखिल कर दिया गया और उस के मातापिता को सूचित कर दिया गया था.

मिट्ठी को स्वस्थ होने में 4-5 दिन लगे थे. इस बीच श्रीनाथ उस से मिलने रोज आता रहा और ताजा फूलों का गुलदस्ता देता रहा. स्वस्थ होने के बाद भी मिट्ठी की दुकान पर जबतब वह जाता. पहले अपनी बहन श्रीवाणी के विवाह के जोड़े बनवाने के लिए, फिर विवाह के लिए आमंत्रित करने के लिए. वह कार्ड देते हुए बोला था, ‘आप श्रीवाणी के विवाह में अवश्य आएंगी.’

‘देखूंगी, वैसे मैं कहीं आतीजाती नहीं, समय ही नहीं मिलता.’

‘लेकिन, यह एक विशेष निमंत्रण है. मेरी मां आप से मिलना चाहती हैं.’

‘मुझ से मिलना चाहती हैं? पर क्यों?’ मिट्ठी उलझनभरे स्वर में बोली थी.

‘आप को नहीं लगता मिट्ठीजी कि हम दोनों की जोड़ी खूब जंचेगी,’ श्रीनाथ मुसकराया था.

‘जोड़ी? क्या कह रहे हैं आप? मैं 37 से ऊपर की हूं. विवाह आदि के बारे में मैं सोचती भी नहीं,’ मिट्ठी बोली थी.

‘मैं भी 40 का हूं, पर जब से आप को देखा है, लगता है हम दोनों की खूब गुजरेगी. मेरा मतलब है शादी के जोड़े और आभूषण एक ही जगह,’ श्रीनाथ मुसकराया था.

‘पता नहीं, आप क्या कह रहे हैं? मेरे मातापिता दूसरी बिरादरी में विवाह के लिए कभी तैयार नहीं होंगे,’ मिट्ठी घबरा गई थी.

‘आप तो हां कहिए, आप के मातापिता को मैं मना लूंगा,’ श्रीनाथ ने आग्रह किया था.

श्रीनाथ द्वारा विवाह प्रस्ताव रखे जाते ही नीरा भड़क उठी थीं, ‘बिरादरी के बाहर विवाह किया तो लोग क्या कहेंगे? पुष्पी ने अपनी मरजी से शादी की थी, पर की तो बिरादरी में ही थी.’

‘बिरादरी में ही ढूंढ़ रहे थे हम भी, पर कोई मिला क्या? ऊपर से जले पर नमक छिड़कते थे. हमारे पास लेनेदेने को है ही क्या? मैं तैयार हूं, मिट्ठी श्रीनाथ से ही विवाह करेगी,’ सर्वेश्वर बाबू ने स्वीकृति दे दी तो नीरू चुप रह गई थीं.

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फिर तो आननफानन सब हो गया. मिट्ठी सचमुच प्रसन्न थी. मां कहती हैं कि रोने की रस्म होती है, पर वह नहीं रोएगी. वह तब नहीं रोई जब सारा समाज उसे रुलाना चाहता था तो अब क्यों रोएगी वह?

विवाह की रस्में समाप्त होते ही विदाई होने वाली थी. पर मिट्ठी की आंखों में आंसुओं का नामोनिशान तक नहीं था. तभी मां ने उसे गले से लगा लिया था.

‘‘न रो, मिट्ठी, मेरी बेटी, चुप हो जा. ऐसे भी भला कोई रोता है,’’ वे कह रही थीं, पर मिट्ठी चित्रलिखित सी कार की ओर बढ़ रही थी. उस का मन हो रहा था हंसे, खिलखिला कर हंसे, इस विचित्र परंपरा पर.

प्यार नहीं वासना : भाग 2

प्यार नहीं वासना : भाग 1

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कविन ने कविता का निखरानिखरा रूप देखा तो बोला, ‘‘भाभी, आज तो आप अप्सरा सी सुंदर लग रही हो. काश! आप जैसी सुंदर बीवी होती तो मैं ताउम्र के लिए दिल में छिपा लेता. लगता है कुलदीप भैया को आप के बजाए अपनी नौकरी से ज्यादा प्यार है.’’

‘‘सही कह रहे हो. बताओ, ऐसे में मैं क्या करूं?’’ कविता आह भर कर बोली.

इस के बाद कविन ने बिना देर किए कविता को बांहों में भर लिया. कविता बनावटी गुस्सा दिखाते हुए बोली, ‘‘ये क्या कर रहे हो. मैं तुम्हारी…’’

इस के आगे कविन ने कविता के मुंह से शब्द नहीं निकलने दिए. वह उस के होंठों को चूमते हुए बोला, ‘‘तुम आज से मेरी गर्लफ्रेंड हो, मेरी प्रेमिका हो और कोई रिश्ता नहीं है हम दोनों का. मैं तुम्हें बेइंतहा प्यार दूंगा. तुम्हें हर खुशी दूंगा. बस, तुम मान जाओ.’’

कविता के बदन को कविन ने छुआ तो उस के तनबदन में आग सी लग गई. इस के बाद घर का दरवाजा बंद कर के दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं. दोनों के बीच एक बार अवैध संबंध बने तो मौका मिलने पर दोनों यह खेल खेलने लगे.

कहते हैं कि गलत काम को ज्यादा दिनों तक छिपा कर नहीं रखा जा सकता. एक न एक दिन वह सामने आ ही जाता है. कुलदीप अपनी ड्यूटी पर था. उसे नहीं पता था कि उस की बीवी ने उस के चचेरे भाई को अपना सब कुछ मान लिया है.

कविन ने कविता को एक मोबाइल भी खरीद कर के दे दिया था. इस मोबाइल से कविता उस समय कविन से बातें करती थी, जब उस के सासससुर घर में नहीं होते थे. वह फोन कर के कविन को घर बुला लेती थी.

बीते जुलाई के महीने में एक रोज कविन और कविता रंगरलियां मना रहे थे, तभी अचानक घर आई कुलदीप की मां ने उन्हें देख लिया. कविन तो भाग खड़ा हुआ, मगर सास ने कविता को खूब भलाबुरा कहा. शाम को सास ने अपने पति चंदन सिंह को बहू की करतूत बता दी.

इस के बाद चंदन ने बहू तो तो समझाया, साथ ही अपने भाई राम मेघवाल के घर जा कर खूब गालीगलौज की और कविन को अपने घर न आने की चेतावनी दी. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर कविन को घर पर देख लिया तो अंजाम बुरा होगा.

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यह बात गांव में फैल गई. लोग कविता और कविन के प्रेम संबंधों के बारे में चटखारे लेले कर बातें करने लगे. कुलदीप जब घर आया तो उसे भी पता चल गया कि कविन और कविता को ले कर उस के पिता और चाचा के बीच झगड़ा हुआ है.

कुलदीप ने इस बारे में जब कविता से बात की तो वह आंसू बहाते हुए बोली, ‘‘कविन मेरे बेटे जैसा है. सासू मां पता नहीं क्यों हमें बदनाम करना चाहती हैं. मैं सिर्फ तुम्हारी हूं और ताउम्र रहूंगी.’’

पत्नी के घडि़याली आंसू देख कर कुलदीप पिघल गया. वह उस के आंसू पोंछते हुए बोला, ‘‘कविता रोओ मत, मैं कोई न कोई प्रबंध करता हूं.’’

कविता डरी हुई थी. मगर उस ने त्रियाचरित्र से पति को विश्वास दिला दिया. कुलदीप ने भले ही पत्नी की बात पर विश्वास कर लिया था, लेकिन उस के दिमाग में यह बात भी घूम रही थी कि मां की बातों में भी सच्चाई होगी. बिना कोई बात भला वह अपनी बहू के बारे में ऐसा क्यों कहेंगी.

पत्नी के चरित्र को ले कर उस के दिमाग में शक बैठ गया था. उस ने तय कर लिया कि वह पत्नी को अपने साथ उदयपुर ले जाएगा.

इस बात की चर्चा उस ने अपने मांबाप और कविता से भी की. मातापिता ने कह दिया कि उन्हें इस पर कोई ऐतराज नहीं है. कविता कुछ नहीं बोली. उदयपुर में किराए का कमरा देखने के लिए कुलदीप चला गया.

पति के जाने के बाद कविता परेशान हो गई. क्योंकि पति के साथ उदयपुर जाने पर उस का प्रेमी से मिलना बंद हो जाता. वह ऐसा हरगिज नहीं चाहती थी. इसलिए उस ने कविन से मुलाकात कर बताया कि कुलदीप उदयपुर में मकान देखने गया है. इस के बाद वह उसे अपने साथ ले जाएगा, अब तुम मुझे भूल जाओ.

‘‘कविता, मैं तुम्हें खुद से जुदा नहीं होने दूंगा. हमारे प्यार में जो भी रोड़ा बनेगा, उसे मैं रास्ते से हटा दूंगा.’’ कविन ने गुस्से में कहा.

तभी कविता बोली, ‘‘जोश से नहीं कविन, होश से काम लो ताकि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे. हमारे प्यार में बाधक कुलदीप का इस तरह मर्डर करो कि हम दोनों बचे रहें. हम पर किसी को शक भी न हो. उस की मौत के बाद मैं नाता प्रथा के जरिए तुम से शादी कर लूंगी.’’

कविता की यह सलाह कविन को अच्छी लगी. इस के बाद उन दोनों ने कुलदीप को रास्ते से हटाने के लिए योजना तैयार कर ली.

सितंबर, 2019 के तीसरे हफ्ते में कुलदीप मेघवाल उदयपुर से अपने गांव आया. उसे 23 सितंबर को अपनी ड्यूटी पर लौटना था. इसी दौरान कविता ने मौका मिलने पर कविन से मुलाकात कर कहा कि कुलदीप उसे साथ ले जाए, उस से पहले ही उस का काम तमाम कर दो.

योजना बनाने के बाद वे मौका देखने लगे. 20 सितंबर, 2019 को चंदन सिंह काम पर चले गए थे. कुलदीप की मां दवा लेने नारनौल गई थी. घर में कुलदीप और कविता ही थे. करीब साढ़े 8 बजे दोनों खेतों पर चले गए. दोनों ने खेत लावणी की और फिर कड़वी इकट्ठा करने लगे.

करीब साढ़े 11 बजे कुलदीप ने कहा कि अब मैं आराम करूंगा. इस के बाद पतिपत्नी घर आ गए. कुलदीप नहाधो कर खाना खाने के बाद कमरे में चारपाई पर सो गया. थोड़ी देर में कुलदीप को गहरी नींद आ गई. उसी समय कविता ने कविन को फोन कर के कहा, ‘‘कुलदीप गहरी नींद में है. जल्द आ जाओ. इस से अच्छा मौका शायद फिर कभी नहीं मिलेगा.’’

कविता ने यह भी बता दिया कि सास नारनौल दवा लेने गई हुई है और ससुर काम पर. घर में कोई नहीं है.

कविन का घर कविता के घर के पास ही था. वह कुछ देर में ही कविता के घर पहुंच गया. कविता ने कविन को एक कुल्हाड़ी दी. कुल्हाड़ी ले कर वह उस कमरे में गया, जिस में कुलदीप सो रहा था. कविता भी उस के साथ थी.

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कविन ने गहरी नींद में सोए कुलदीप की गरदन पर कुल्हाड़ी का वार कर दिया. खचाक की आवाज के साथ खून का फव्वारा फूट पड़ा. कुलदीप छटपटाया तो कविन ने दूसरा वार भी कर दिया. कुलदीप छटपटा कर शांत हो गया.

कविता ने कविन से कुल्हाड़ी ली और उस ने भी पति की मृत देह पर 2-3 वार किए. वह इत्मीनान करना चाहती थी कि वह मर गया है. जब कविन ने कहा कि कुलदीप मर चुका है, तब कविता ने कहा कि संभल कर सामान इधरउधर बिखेर दो, जिस से लगे कि लुटेरों ने लूट में बाधा डालने पर कुलदीप को मार डाला है.

सामान बिखेर कर कविन अपने घर चला गया. कविन को कुलदीप के घर जाते और वहां से वापस आते किसी ने नहीं देखा था. कविता ने अपने संदूक से थोड़े से गहने और नकदी निकाल कर कपड़े में लपेट कर बाथरूम के ऊपर खाली जगह में छिपा दिए.

इस के बाद कविता ने खून सनी कुल्हाड़ी धोई और कमरे के अंदर सोफे के नीचे छिपा दी. इस के बाद कविता ने स्नान किया, कपड़े धोए और खेत में जाकर कड़बी इकट्ठा करने लगी.

उधर कविन भी अपने घर चला गया. घर जा कर उस ने खून के धब्बे लगे कपड़े धोए और स्नान किया. फिर वह इंतजार करने लगा कि कुलदीप की हत्या पर क्या प्रतिक्रिया होती है.

दोपहर में चंदन सिंह जब काम कर के खाना खाने घर आए तो चारपाई पर बेटे की लाश देख कर उन की चीख निकल गई. उन की चीख सुन कर पड़ोसी भी वहां आ गए. फिर पुलिस को सूचना दी गई. थोड़ी देर में पूरे निहालोठ की ढाणी गांव में खबर फैल गई थी.

पुलिस ने कविन उर्फ सचिन और कविता से पूछताछ करने के बाद 24 सितंबर, 2019 को दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से कविता को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया. वहीं कविन उर्फ सचिन का एक दिन का रिमांड और मांगा.

कोर्ट ने सचिन का एक दिन का रिमांड बढ़ा दिया. पुलिस ने एक दिन के रिमांड के दौरान कविन से उस का मोबाइल फोन व कुछ अन्य सबूत एकत्र किए. इस के बाद थानाप्रभारी भरतलाल मीणा ने कविन मेघवाल को 25 सितंबर, 2019 को फिर से कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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‘पार्लर में जाकर तेरी तो रंगत ही बदल गयी’  कई बार आपने यह अपने लिए भी सुना होगा और हो सकता है कि आपने भी यह कमेंट किसी को दिया हो आप चाहे मेकअप करने से कितने भी अच्छे लग रहे हो लेकिन आपके मेकअप में एक आर्टिफिशियल लुक अवश्य आ जाता है. आप हमेशा जानना चाहती होंगी कि इतने मेकअप के बाद भी आप स्क्रीन ब्यूटी जैसी खूबसूरत क्यों नहीं दिख रही है. अक्सर आप ऐसा सोचती होंगी, जानना चाहती होंगी कि स्क्रीन, पेज थ्री, सैलिब्रिटीज और रैंप मेकअप व आपके मेकअप में क्या अंतर है. ऐसे तमाम सवाल आपके जहन में जरूर आते होंगे इन सभी प्रश्नों का एक ही उत्तर है. एयर ब्रश मेकअप. आपके फेस पर दाग धब्बे हैं और ग्लो भी नहीं है और आप खूबसूरत दिखना चाहती है तो कराएं एयरब्रश मेकअप.

क्या होता है एयर ब्रश मेकअप

अकसर जब आप पार्लर से महंगा मेकअप करवाती हैं उसे करवाने के कुछ देर बाद ही दरार आने लगती हैं लेकिन एयरब्रश मेकअप में ऐसा नहीं होता. यही वजह है कि इन दिनों लड़कियां मेकअप में थोडा सा ज्यादा पैसा खर्च करके सिर्फ एयरब्रश मेकअप ही करवाती हैं. चेहरे की रंगत निखारने के लिए, दागधब्बों को छिपाने के लिए हाथ या ब्रश से लगाया फाउंडेशन चेहरे पर एकसार नहीं लग पाता और मेकअप बेस व ब्लशर की परतें दिखाई देती हैं. जिस कारण आपका चेहरा नैचुरल कम, बनावटी ज्यादा दिखता है. लेकिन एयरब्रश मेकअप में ना सिर्फ फिनिशिंग के साथ परफेक्ट मेकअप होता है बल्कि कहीं से ज्यादा या कम मेकअप की दिक्कत भी नहीं होगी.

एयरब्रश मेकअप एक तरह का लिक्विड मेकअप है यह आपको नेचुरल लुक देता है. फाउंडेशन से लेकर ब्लश, आईशैडो सब एयरगन से ही आपके चेहरे पर लगाए जाते हैं यह एक लेटेस्ट मेकअप टेक्नीक है जिससे चेहरे पर एक सा मेकअप किया जा सकता है.

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एक्सपर्ट ही है कामयाब

एयर ब्रश मेक आप सिर्फ एक्सपर्ट से ही कराएं क्योंकि एयरगन को चलाना आसान नहीं होता. जिनका हाथ मेकअप में तेजी से नहीं चलता उनके जरिये मेकअप करने से आपका मेकअप बिगड़ सकता है. इसके लिये तेजी से हाथ चलने वाला आर्टिस्ट ही सफल है इस मेकअप को करने के लिये चार्ज थोड़ा ज्यादा लेते हैं लेकिन आपका चेहरा इसके बाद आपकी नेचुरल ब्यूटी को दर्शाता है.

देता है नेचुरल लुक

इस मेकअप को करने से अच्छा नैचरल लुक आता है और कई बार तो मेकअप के होने का पता तक नहीं चलता. दरअसल, इसे लगाने के बाद चेहरे की बारीक लकीरें व तमाम अन्य खामियां छुप जाती हैं. वैसे, इस मेकअप को करने में आधे घंटे के करीब का समय लगता है.

 मेकअप करते समय इन बातों का रखें ध्यान

मेकअप शुरू करने से पहले चेहरे की क्लीजिंग और टोनिंग करें.

चेहरे की खामियों जैसे मुहांसों के निशानों, मस्सों, काले घेरों, दागधब्बों आदि को कंसीलर से छिपाएं.

बेस, नोज शेपिंग, चीक मेकअप और आंखों के आसपास  ऐअरगन से मेकअप लगाएं.

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एयरब्रश मेकअप कैसे करें रिमूव

मेकअप कैसा भी हो उसे मेकअप रिमूवर से ही साफ करना चाहिए.

साबुन से साधारण मेकअप उतर जाता है लेकिन ऐअरब्रश मेकअप नहीं.

यदि मेकअप रिमूवर उपलब्ध न हो तो क्लीजिंग मिल्क का प्रयोग कर आप मेकअप हटा सकते है .इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता .

डबल डेटिंग का डबल मजा

एक कहावत है 2 नावों पर सवारी करने, मतलब एक पांव एक नाव में और दूसरा दूसरी में, ऐसा व्यक्ति न इस नाव का रहता है न उस का. लेकिन जब इस में मजा आने लगे तो बात अलग हो जाती है. सैकंड ईयर में पढ़ने वाली शिप्रा का उदाहरण लेते हैं. खुले बाल,कैप्री, शौर्ट टौप और गौगल्स में जब वह कालेज आती है तो सब की नजरें उसी पर रहती हैं. वह है भी बिंदास.

अपनी जिंदगी में मस्त रहना, जो मन में आए वह करना. शायद इसीलिए उस के लिए प्यारव्यार का कोई मतलब नहीं है. हां, उस का बौयफ्रैंड तो है, वह भी एक नहीं 2. शिप्रा की ये 2 बौयफ्रैंड्स की कहानी बिलकुल शिप्रा की जिंदगी की तरह ही बिंदास है. आप को यह सोच कर आश्चर्य लग रहा होगा कि एकसाथ 2 बौयफ्रैंड्स कैसे?

मजे की बात यह है कि दोनों बौयफ्रैंड्स से उस के करीबी संबंध हैं. पर सवाल यह भी है कि वह मैनेज कैसे करती होगी? यही तो सब से मजेदार बात है. शिप्रा का एक बौयफ्रैंड उस के कालेज में है और दूसरा उस के घर के पास रहता है. शिप्रा दोनों रिलेशनों के बीच कभी भी अपनी आजादी को पिसने नहीं देती. न ही इस का अपनी निजी जिंदगी पर प्रभाव पड़ने देती है.

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जब लड़कियां करें डबल डेटिंग

आज के समय में लड़का हो या लड़की सभी के लिए डबल डेटिंग करना मानो आम बात हो गई है. कोई सोशल मीडिया पर लगा है तो कोई गलीमहल्ले से ले कर औफिस तक. शिप्रा भी कालेज में योगेश के साथ अपना अधिकतर समय बिताती है और घर आने के बाद अंकुर से फोन पर बात कर लेती है या उस से मिल लेती है.

अंकुर और योगेश के सोचविचार में काफी अंतर है. अंकुर और शिप्रा बचपन से एकदूसरे को जानते हैं. इसलिए अंकुर शिप्रा को ज्यादा मिलने या उस के साथ घूमने के लिए जिद नहीं करता. अंकुर बहुत खुले विचारों का है, वहीं योगेश शिप्रा पर रोकटोक और अपना अधिकार दिखाने की कोशिश करता है. लेकिन शिप्रा कहां किसी की सुनने वाली है.

शिप्रा थोड़ी जिद्दी है अपनी मरजी के आगे उसे कुछ और दिखता ही नहीं. यही कारण है कि योगेश और शिप्रा हमेशा लड़ते रहते हैं. कालेज के फैस्ट के दौरान भी दोनों लड़ पड़े. दरअसल, शिप्रा कालेज की डांस सोसाइटी में है. डांस सोसाइटी में राघव भी है, जिसे योगेश बिलकुल भी पसंद नहीं करता. फैस्ट के लिए डांस सोसाइटी ने कपल डांस डिसाइड किया, जिस में राघव शिप्रा का डांस पार्टनर था. ऐसे में शिप्रा और योगेश के बीच लड़ाई तो होनी ही थी.

योगेश शिप्रा को डांस के लिए मना करता रहा, लेकिन शिप्रा योगेश की बातों को नजरअंदाज कर फैस्ट की तैयारी में लग गई. दोनों के बीच बोलचाल बंद हो गई. फैस्ट खत्म होने के बाद भी दोनों के बीच बातचीत शुरू नहीं हुई. शिप्रा रोज कालेज आती, मौजमस्ती करती. शिप्रा के चेहरे पर योगेश से बात न करने का कोई दुख नहीं था.

दोनों हाथों में लड्डू

अंकुर पिछले कई दिनों से बेहद खुश था. दरअसल, शिप्रा अब अंकुर के साथ ज्यादा समय बिताने लगी थी. पूरे दिन उस से फोन पर चिटचैट करना, फिर कालेज के बाद रोज शाम को मिलना. ऐसे में शिप्रा को योगेश की कमी महसूस ही नहीं हुई.

यही तो मजा है डबल डेटिंग का, इस में रूठनेमनाने का कोई सिलसिला ही नहीं होता और वैसे भी जब हाथों में 2 लड्डू हों और एक टूट भी जाए तो क्या फर्क पड़ता है. बस, दूसरे लड्डू की मिठास बरकरार रहनी चाहिए.

शिप्रा और अंकुर के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. शिप्रा को अब जब भी कोई जरूरत होती तो वह अंकुर से ही कहती. अंकुर भी शिप्रा के लिए हमेशा मौजूद रहता. हालांकि इस बीच योगेश ने शिप्रा से बात करने की कोशिश जरूर की लेकिन शिप्रा ने उसे बिलकुल भी भाव नहीं दिया. तब योगेश ने शिप्रा को मनाने के लिए सब के सामने माफी मांगने की सोची और योगेश के ऐसा करने पर शिप्रा ने योगेश को माफ कर दिया.

शिप्रा के पास एक ताले की 2 चाबियां थीं. जब कभी उस की दोनों में से किसी से भी अनबन होती वह दूसरे को ज्यादा समय देने लगती. शिप्रा को दोनों में से किसी से प्यार तो नहीं था लेकिन उसे ऐसे रिश्ते में रहने की आदत हो गई थी जो उस की जरूरतों को पूरा कर सके.

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बन चुका है नया ट्रैंड

आज अधिकतर लड़केलड़कियां ऐसे रिलेशन में हैं जहां उन्हें प्यार तो नहीं होता, लेकिन ‘आई लव यू’ बोलना उन्हें बहुत अच्छे से आता है. यह एक तरह से ट्रैंड बन गया है. लड़कों के लिए तो यह कूल बनने का सब से अच्छा तरीका है. यदि किसी लड़के की एकसाथ कई गर्लफ्रैंड्स हैं तो उसे काफी स्मार्ट समझा जाता है. इसमें बुराई भी क्या है? आजकल तो सभी इस ट्रैंड को अपना रहे हैं.

रोशन की भी 2 गर्लफ्रैंड्स हैं. पहली नीतिका जिस के साथ वह पिछले 2 वर्षों से रिलेशन में है. दूसरी मनीषा, जो रोशन को सोशल मीडिया पर मिली थी और अब दोनों पिछले 3 महीने से एकदूसरे को डेट कर रहे हैं. नीतिका बहुत सिंपल है, वहीं मनीषा बहुत बोल्ड है.

हालांकि, नितिन नीतिका की बहुत केयर करता है. नितिन और नीतिका एकदूसरे से कम ही मिल पाते हैं. ऐसे में नितिन को गर्लफ्रैंड होते हुए भी गर्लफ्रैंड की कमी हमेशा महसूस होती थी. तब नितिन ने डेटिंग ऐप पर अपना प्रोफाइल बनाया. जहां उसे मनीषा मिल गई. एकसाथ 2 रिलेशनों में नितिन पूरा बदल गया था. ऐसा लग रहा था मानो वह किसी फिल्म में डबल रोल का किरदार निभा रहा हो.

डबल डेटिंग में डबल रोल

नितिन नीतिका से ज्यादातर फोन पर बात करता था. खासकर रात को, लेकिन अब मनीषा भी उसे रात को फोन करने लगी थी. ऐसे में उस ने मनीषा को घरवालों का बहाना कर के रात को फोन करने से मना कर दिया और चैट पर बात करने को कहा. अब नितिन ईयरफोन लगा कर नीतिका से बात करता और साथ ही साथ मनीषा के मैसेजेस के जवाब भी देता.

नितिन और मनीषा कई बार फ्लैट में भी मिल चुके हैं. दरअसल, मनीषा अपने कुछ दोस्तों के साथ फ्लैट में रहती है. जब कभी उस के दोस्त नहीं होते तो वह नितिन को फ्लैट पर बुला लिया करती है. ऐसे में दोनों एकदूसरे के काफी क्लोज भी हुए. दोनों ने कई बार सैक्स का भी मजा लिया. नितिन मनीषा पर खर्च भी करता. लेकिन उस को इस का कोई दुख नहीं था क्योंकि उसे मनीषा से जो चाहिए था वह तो मिल ही रहा था.

एक दिन नितिन के पास नीतिका का फोन आया और उस ने अगले दिन मिलने के लिए कहा. नितिन ने भी हां बोल दिया. रात को वह मनीषा से बोलने ही वाला था कि वह कल मिल नहीं सकता, तभी मनीषा का मैसेज आया, ‘नितिन, हम कल मिल नहीं पाएंगे. दरअसल, मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है.’ नितिन ने फोन कर के हालचाल पूछा और आराम करने को कहा.

अगले दिन नीतिका और नितिन मिले. दोनों ने साथ मूवी देखी. मूवी देखने के बाद जब दोनों रैस्तरां की तरफ खाने के लिए जाने लगे, तब नितिन ने मनीषा को वहां पर बैठे देखा.

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जरूरी है होशियारी

डबल डेट करने वाले लड़के हों या लड़कियां, खतरे की घंटी दोनों के सिर पर मंडराती है. यदि लड़की डबल डेट कर रही है तो एक तो घर पर पकड़े जाने का डर, दूसरा, दोस्तों से छिपाना पड़ता है. तीसरा, दोनों बौयफ्रैंड्स को होशियारी से मैनेज करना पड़ता है. फोन पर कोई भी पोस्ट बौयफ्रैंड के साथ नहीं डाल सकते और फोटो को फोन में छिपा कर रखना भी पड़ता है.

ऐसा ही कुछ लड़कों के साथ भी होता है. लेकिन लड़कों को इन सब के साथ जेब भी ढीली करनी पड़ती है. हां, अगर लड़की सुंदर और बोल्ड हो तो उन्हें जेब ढीली होने का गम नहीं होता.

डबल डेट करते वक्त होशियारी दिखाना बहुत जरूरी है. यदि आप के डबल डेटिंग के बारे में किसी भी पार्टनर को पता चल जाता है तो आप का नाम चीटर और लायर की लिस्ट में जुड़ जाएगा. इस से आप की इमेज भी डाउन हो सकती है. लेकिन डबल डेटिंग के बहुत से फायदे भी होते हैं.

डबल डेटिंग के फायदे

अगर आप का पार्टनर आप को डिच करता है, तो आप को उस के डिच करने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि आप के पास आप का दूसरा पार्टनर अभी भी है.

यदि आप का किसी एक पार्टनर से ब्रेकअप हो जाता है तो आप के साथ दिल टूटने वाली कंडीशन नहीं होगी.

आप इमोशनली सिक्योर रहेंगे.

यदि आप का एक पार्टनर आप के लिए उपस्थित नहीं है तो आप अपने दूसरे पार्टनर की मदद ले सकते हैं.

आप कभी खुद को अकेला महसूस नहीं करेंगे, कोई न कोई आप के लिए मौजूद रहेगा.

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जब मिले धोखा

जब नितिन ने रैस्तरां में मनीषा को देखा तो वह घबरा गया. उस ने नीतिका से बाहर जाने को कहा और वापस रैस्तरां की तरफ गया. वहां उस ने मनीषा को एक लड़के के साथ बैठे देखा, जो उसे प्यार से खाना खिला रहा था और उस के हाथों को चूम रहा था. यह सब देख कर नितिन मनीषा के पास गया. नितिन को देख कर मनीषा के चेहरे पर शांति छा गई. नितिन ने उस लड़के के सामने ही मनीषा को बुराभला कहा और वहां से चला गया.

मनीषा के धोखे से नितिन को कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि वह भी डबल डेट कर रहा था. अगर वह मनीषा के साथ लौयल रहता तो शायद उसे फर्क पड़ता. यहां तो दोनों ही एकदूसरे को धोखा दे रहे थे.

सियाचिन वारियर्स : सच्चे धैर्य की सच्ची कहानी

“नारायण और सुधा मूर्ति” की बायोपिक बनाने की घोषणा के बाद अब नितेश तिवारी और अश्विनी अय्यर तिवारी एक बार फिर से निर्माता महावीर जैन के साथ मिलकर धैर्य और दृढ़ संकल्प की कहानी लाने जा रहे हैं.

ये घोषणा उस दिन होने जा रही है जब 3 फरवरी 2016 को सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी भाग में आने वाले प्रमुख हिमस्खलन की वर्षगांठ है.

सियाचिन वारियर्स ’(वर्किंग टाइटल) 2016 के सियाचिन हिमस्खलन के बारे में एक अविश्वसनीय सच्ची कहानी पर आधारित है कि कैसे दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान पर चरम मौसम की स्थिति में 21,000 फीट की ऊंचाई पर भारतीय सैनिकों को जोखिमों से गुजरना पड़ता हैं.

फिल्म को प्रसिद्ध एड फिल्म निर्माता संजय शेखर शेट्टी, एक उत्साही पर्वतारोही और आत्मरक्षा में दुनिया भर के अभिजात्य बलों के एक प्रसिद्ध प्रशिक्षक द्वारा निर्देशित किया जाएगा, संजय कहानी को डेवलप करने के लिए सेना के जवानों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.

दंगल और छिछोरे से प्रसिद्धि हासिल कर चुके लेखक पीयूष गुप्ता, इस ऐतिहासिक घटना की कहानी को अविश्वसनीय और असाधारण बनाने के लिए टीम में शामिल हुए हैं.

फिल्म के बारे में बात करते हुए, नितेश तिवारी कहते हैं, “इस फिल्म के साथ, मैं अपने देश के नायकों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं.  सियाचिन की कहानी प्रेरणादायक और राष्ट्र के प्रति शौर्य, देशभक्ति और प्रेम को परिभाषित करती है.  फिल्म वर्दी में हमारे पुरुषों के लिए एक विनम्र श्रद्धा है जो हमें सुरक्षित रखने के लिए अपने जीवन को जोखिम में डालते हैं.  हम आशा करते हैं कि यह कहानी देश के हर व्यक्ति तक पहुंचे. ”

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निर्माता महावीर जैन इस कहानी को बताने के लिए बेहद प्रेरित थे जब उन्होंने पहली बार कहानी सुनी थी. उन्होंने कहा,  “फिल्में हमेशा बनती रहेंगी, लेकिन दिन-ब-दिन विपरीत परिस्थितियों से जूझ रही हमारी बहादुर सशस्त्र सेनाओं की कहानी कहने का सौभाग्य मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान है.  हम चाहेंगे कि हर कोई हमारे सैनिकों के लिए इस समर्पण का हिस्सा बने. ”

अश्विनी अय्यर तिवारी ने बताया कि ये फिल्म उनके लिए इतना खास क्यों है? उन्होंने कहा,  “बचाव मिशन एक पल के लिए इतना अविश्वसनीय था कि आप भूल जाते हैं कि जो हुआ वह वास्तविक था और कल्पना का एक हिस्सा नहीं था. हम उम्मीद करते हैं कि हम इस विषय के साथ न्याय करें और हमारे योद्धाओं के मानवीय पक्ष को पर्दे पर जीवंत करें.”

इस बीच, निर्देशक संजय शेखर शेट्टी को लगता है, “एक निर्देशक के रूप में, मैं इस कहानी को बताने में सक्षम होने के लिए बहुत खुश हूं, ये मेरे दिल के बहुत करीब है और इससे भी ज्यादा, कहानीकारों की ऐसी अविश्वसनीय टीम का हिस्सा बनने के लिए.”

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फिल्म बागी-3 के रिलीज पोस्टर में टाइगर श्राफ का जबरदस्त एक्शन

बौलीवुड एक्टर और डांसिंग स्टार Tiger Shroff और एक्ट्रेस Shradha Kapoor अभिनीत फिल्म Baaghi 3 का एक और पोस्टर रिलीज हो गया है. पोस्टर को देखकर लग रहा है की फिल्म में जबरदस्त एक्शन होगा. इस फिल्म की काफी लंबे समय से शूटिंग चल रही है और फिल्म के कई सीन भारत से बाहर भी शूट किए गए हैं.

इस पोस्टर में टाइगर श्राफ एक मशीन गन लेकर खड़े हैं. उनके पास एक गन टैंक भी खड़ा है, जिससे लग रहा है. यह किसी वार का सीन है और फिल्म में लड़ाई देखने को मिलेगी. टाइगर श्रौफ फिल्म में काफी एक्शन करते नजर आएंगे, जो उनके पोस्टर और शूटिंग की तस्वीरों से पता चल रहा है.

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टाइगर श्रौफ की फिल्म का पोस्टर निर्माताओं ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर किया है लिखा हैः ‘अब तक के सबसे बड़े शत्रु के खिलाफ. उसकी अब तक की सबसे बड़ी लड़ाई. एक राष्ट्र के खिलाफ खड़ा होगा बागी.  पोस्टर ने  फैन्स के दिलों की धड़कनों को तेज कर दिया है, जिसके बाद फैन्स अब 6 फरवरी को फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

“बागी 3” इस साल 6 मार्च को रिलीज होने के लिए पूरी तरह से तैयार है जिसमें टाइगर श्रॉफ और श्रद्धा कपूर मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. यह फिल्म नाडियाडवाला ग्रैंडसन द्वारा निर्मित और अहमद खान द्वारा निर्देशित है.

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फिल्म में टाइगर, श्रद्धा कपूर के साथ रितेश देशमुख और जैकी श्राफ भी नजर आएंगे, इसमें रितेश पुलिस की भूमिका में नजर आएंगे. जैकी श्राफ फिल्म में टाइगर के पिता के किरदार में ही नजर आएंगे. यह फिल्म बागी फ्रैंचाइजी की तीसरी फिल्म है.

फिल्म ‘मलंग’ के टाइटल ट्रैक में देखें दिशा पाटनी की मस्त अदाओं का जलवा

डायेरक्टर मोहित सूरी की अपकमिंग फिल्म ‘मलंग’ का टाइटल ट्रैक ‘Hui Malang’ रिलीज हो चुका है. इस सौन्ग को खूबसूरत अंदाज में गाया है गायिका असीस कौर ने, गाने के बोल कुणाल वर्मा और हर्ष लिंबाचिया ने लिखे हैंऔर वेद शर्मा ने म्यूजिक दिया है. ‘Malang’ का नया गाना ‘हुई मलंग’ को Disha Patani पर फिल्माया गया है. यह एक ग्रूवी सौन्ग है ये गाना प्लेलिस्ट में जगह बनाने के लिए तैयार है.जिसमें दिशा ने अपने सेक्सी और हौट अंदाज से सबको अपना दीवाना बना दिया है. इस गाने में वह बहुत खूबसूरत भी लग रही हैं.

फिल्म ‘मलंग’ का ट्रेलर और पहले रिलीज हो चुके गाने लोगों को काफी पसंद आए हैं. फिल्म में आदित्य रौय कपूर, अनिल कपूर, दिशा पाटनी और कुणाल खेमू मुख्य भूमिकाओं में हैं. फिल्म के इस नए गाने में आपको आदित्य रौय कपूर का भरपूर एक्शन और दिशा पाटनी की जबरदस्त केमेस्ट्री और अदाएं देखने को मिलेंगी. वहीं, दिशा के डांस स्टेप आपको दीवाना बना देंगे. इस मूवी में एली अबराम भी महत्वपूर्ण भूमिका में हैं. ये फिल्म टी-सीरीज के भूषण कुमार , कृष्ण कुमार, लव फिल्म्स के लव रंजन, अंकुर गर्ग और नौर्दर्न लाइट्स एंटरटेनमेंट के जे शेवक्रमणी द्वारा निर्मित है और 7 फरवरी को रिलीज होने वाली है.

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आशिकी 2, हाफ गर्लफ्रेंड और हमारी अधूरी कहानी जैसी रोमांटिक फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर मोहित सूरी इस बार थ्र‍िलर जौनर की फिल्म ‘मलंग’ के साथ आगाज करने वाले हैं. ‘मलंग’ में आदित्य की बौडी शेप और उनके एब्स उनके फैंस की एक्साइटमेंट बढ़ा रहे हैं. उन्होंने अपनी फिजीक कमाल की बनाई है. अपने किरदार के हिसाब से वह पूरी तरह फिट बैठते हैं.आदित्य का यह दूसरा मौका जब वह मोहित सूरी के साथ काम कर रहे हैं. इससे पहले दोनोने फिल्म ‘आशिकी 2’ में काम किया था.

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हाल ही में फिल्म ‘मलंग’ का ट्रेलर रिलीज हुआ . इस फिल्म के ट्रेलर से पता चल रहा है कि ऐक्शन और रोमांस भरपूर तड़का मिलने वाला है. फिल्म ‘मलंग’ में आदित्य की बौडी शेप और एब्स उनके फैंस की एक्साइटमेंट बढ़ा रहे हैं. उन्होंने अपनी फिजीक कमाल की बनाई है. अपने किरदार के हिसाब से वह पूरी तरह फिट बैठते हैं.

छोटी सरदारनी: क्या मेहर को डिलीवरी के लिए मायके लाने में कामयाब होगी कुलवंत कौर?

कलर्स के शो, ‘छोटी सरदारनी’ में कुलवंत कौर अपनी बेटी मेहर को उसकी डिलीवरी के लिए मायके लाने की हर कोशिश कर रही है ताकि सोसायटी में अपना नाम और इज्जत बना कर रख सके, जिसका फायदा उसे चुनावों में हो सके. जबकि सरब, मेहर को मायके भेजने के फैसले के बिल्कुल पक्ष में नही है. आइए आपको बताते हैं कि क्या कुलवंत कौर, मेहर को मायके लाने के लिए मना पाएगी…

मेहर को मायके लाने के लिए कुलवंत कौर करेगी ये कोशिश

अब तक आपने देखा कि कुलवंत कौर अपने इलेक्शन की तैयारी के चलते मेहर को डिलीवरी के लिए  मायके लाने की तैयारी कर रही है. जबकि बाकी घरवाले कुलवंत कौर को समझाने की कोशिश करते हैं कि मेहर अपने मायके कभी नही आएगी. वहीं मेहर को घर लाने के लिए कुलवंत कौर, डौली के मिलकर कहती है कि मेहर की पहली डिलीवरी मायके में ही होनी चाहिए क्योंकि ये एक रस्म है.

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मेहर को मायके भेजने के लिए तैयार होती है हरलीन

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कुलवंत कौर की बातों में आकर डौली, हरलीन से कहती है कि जल्द से जल्द मेहर की गोद भराई की तैयारी करे ताकि मेहर डिलीवरी के लिए मायके चली जाए. वहीं मेहर के मायके जाने से हरलीन बेहद खुश होती है, लेकिन डौली के सामने नाटक करती है कि वह ये सब रस्म के लिए कर रही हैं. दूसरी तरफ हरलीन, डौली से मेहर के मायके जाने की बात सरब और परम से छिपाने के लिए कहती है और बहाना बनाती है कि इस बात से दोनों को दुख होगा.

साथ में वक्त बिताएंगे मेहर और सरब

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प्रैग्नेंसी में मूड स्वींग्स को लेकर परेशान मेहर के साथ सरब गार्डन में फिल्म देखने जाता है. आज के एपिसोड में आप देखेंगे कैसे दोनों एक-दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं. इसी बीच आप देखेंगे मेहर की आंख लग जाती है और कैसे सरब उसका ध्यान रखता है.

क्या सरब की पार्टी उम्मीदवारों की लिस्ट में होगा कुलवंत कौर का नाम?

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सरब अपनी पार्टी के उम्मीदवार की घोषणा करेगा. जहां कुलवंत कौर बहुत उत्साहित होगी तो वहीं उसका परिवार लिस्ट में नाम होने के लिए प्रार्थना करता दिखेगा.

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अब देखना है कि क्या सरब के उम्मीदवारों की लिस्ट में कुलवंत कौर का नाम शामिल होगा? क्या मेहर को डिलीवरी के लिए कुलवंत कौर मायके लाने के लिए मना पाएगी और क्या सरब ऐसा होने देगा? जानने के लिए देखते रहिए ‘छोटी सरदारनी’, सोमवार से शनिवार, रात 7:30 बजे, सिर्फ कलर्स पर.

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