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प्रमाण दो : भाग 2

लेखक: सत्यव्रत सत्यार्थी

अलीगढ़ के हिंदूमुसलिम दंगे ने उस का सर्वस्व छीन लिया था. दंगाइयों ने उस के मकान को चारों तरफ से घेर कर आग लगा दी थी. यामिनी का जीवन इसलिए बच गया कि वह अपनी किसी सहेली से मिलने चली गई थी. वापस लौटते समय रास्ते में ही उसे इस हृदयविदारक हादसे की सूचना मिली और पुलिस ने उसे घर तक जाने ही नहीं दिया, बल्कि जीप में बैठा कर थाने ले गई थी.

नानी को खबर मिली तो वह अलीगढ़ आईं और यामिनी को थाने से ही कानपुर ले गई थीं. उन के प्यारदुलार ने और समय के मरहम ने धीरेधीरे यामिनी के हृदय पर उभरे फफोलों को शांत कर दिया.

यामिनी किसी पर बोझ बन कर जीना नहीं चाहती थी. अत: उस ने नर्सिंग कोर्स में प्रवेश लिया और प्रशिक्षण पूरा होने पर अहमदाबाद में इस अस्पताल में एक नर्स के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी. मरीजों की सेवा कर के उसे शांति मिलती थी. उन्हीं के बीच अपने को व्यस्त रख कर वह अपने भयानक अतीत को भुलाने की कोशिश करती थी और कुछ हद तक इस में सफल भी हो रही थी.

यामिनी सोचती जा रही थी. चिंतन के क्षितिज पर अचानक जीशान का बिंब उभरता हुआ प्रतीत हुआ. उस का चिंतन क्रम जीशान पर आ कर टिक गया.

जीशान लगभग 25 साल का उत्साही युवक था. उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के एक गांव से अपने किसी रिश्तेदार के साथ अहमदाबाद कमाने आया था, ताकि परिवार का खर्च चलाने में वह अपने गरीब बाप का कुछ सहयोग कर सके. उस की कमाई की गाड़ी भी पटरी पर चल रही थी, किंतु तभी उस के अरमान भी दंगों के दानव का शिकार हो गए. वह अपने कमरे में अपने रिश्तेदार के साथ दम साधे बैठा था कि अचानक दंगाइयों की टोली की निगाह उस के कमरे पर पड़ गई. उन्मादी दंगाइयों ने कमरे में आग लगा दी और दरवाजे पर खडे़ हो कर हथियार लहराते उन के बाहर निकलने की प्रतीक्षा करने लगे.

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जीशान भय से कांप रहा था. उस के रिश्तेदार ने अपने प्राणों का मोह छोड़ कर जीशान को अपने पीछे किया और दंगाइयों की टोली के एक किनारे से सरपट भाग खड़ा हुआ. दंगाइयों ने दौड़ कर उन को पकड़ना चाहा. रिश्तेदार पलट पड़ा किंतु जीशान को भाग जाने को कहा. रिश्तेदार ने अपने शरीर को दंगाइयों के हवाले कर दिया. पल भर में एक जिंदा शरीर मांस के लोथड़ों में बदल गया था.

भागते जीशान को सामने से आती दैत्यों की एक टोली ने पकड़ लिया और हाकियों तथा डंडों से पीट कर अधमरा कर डाला, मगर तभी सायरन बजाती पुलिस की गाड़ी आ गई और जीशान अस्पताल में भर्ती होने के लिए आ गया. यह बात जीशान ने ही उसे बताई थी.

जीशान के बारे में सोचतेसोचते यामिनी की आंखें सजल हो उठीं. उस के चिंतन का क्रम तब टूटा जब वार्डबौय ने उस से अलमारी की चाभियां मांगीं.

चाभियों का गुच्छा वार्डबौय को थमा कर यामिनी का चिंतन पुन: जीशान पर केंद्रित हो गया.

आखिर जीशान में ऐसा क्या खास था कि सब की बातें सुनने पर भी उस के प्रति यामिनी की स्नेहिल भावनाओं में कोई परिवर्तन नहीं आ पाया था. शायद इस का कारण दोनों के जीवन में घटित त्रासदियों की समानता थी या जीशान का भोलापन और उस के भीतर बैठा एक कोमल मानवीय संवेदनाओं से भरा एक निश्छल विशाल हृदय था. कारण जो भी हो, यामिनी अपने को जीशान से जुड़ता हुआ अनुभव कर रही थी, मगर किस रूप में? उसे स्वयं भी इस का पता नहीं था.

अब जीशान बड़ी तेजी से ठीक हो रहा था. अंतत: वह दिन आ गया जिस के कभी भी न आने की मन ही मन जीशान दुआ कर रहा था. उसे अस्पताल से छुट्टी मिल गई. उस दिन जीशान बहुत ही उदास था. यामिनी उसे एकटक निहारे जा रही थी, किंतु अपने में खोए जीशान को उस के आने का आभास तक नहीं हुआ. यामिनी ने ही सन्नाटे को तोड़ते हुए पूछा, ‘‘अब क्या? अब तो तुम स्वस्थ हो गए. तुम्हें छुट्टी मिल गई. तुम्हें तो खुश होना चाहिए, पर तुम ने तो मुुंह लटकाया है, क्यों?’’

वह दुख से बोझिल उदासीन स्वर में बोला, ‘‘यहां से चले जाने पर आप से मुलाकात कैसे होगी, आप को देखूंगा कैसे? मुझे आप की बहुत याद आएगी.’’

‘‘इस में उदास और दुखी होने की क्या बात है. हम और तुम दोनों इसी शहर में रहते हैं, जब भी मिलना चाहोगे मिल लेना. याद आने पर अस्पताल चले आना. हां, कभी मेरे घर पर आने की मत सोचना.’’

‘‘हां, सच कहती हैं आप. हम तो इनसान हैं नहीं, बस, हिंदूमुसलमान भर हैं. आप हिंदू, मैं मुसलमान, कैसे आ सकता हूं?’’

‘‘बात यह नहीं है. मैं हिंदूमुसलमान कुछ नहीं मानती. शायद तुम भी नहीं मानते हो पर सभी लोग ऐसा ही तो नहीं सोचते.’’

‘‘मैं नासमझ नहीं हूं, आप के मन की दुविधा समझ रहा हूं. सारे मुल्क में दंगेफसाद की जड़ हम यानी हिंदू और मुसलमान ही तो हैं.’’

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‘‘बस, अब मुंह मत बिसूरो. जाते समय हंस कर विदा लो. सबकुछ ठीकठीक रहेगा. हां, अब चेहरे पर हंसी ला कर गुडबाय बोलो.’’

‘‘अलविदा, सिस्टर, अगर यहां से जाने के बाद जिंदा रहा तो जल्दी मिलूंगा,’’ कहते हुए जीशान का गला रुंध गया. जीशान थकेहारे कदमों से वापस लौट रहा था अपने उस मकान पर जो आग की भेंट चढ़ चुका था. और कोई ठिकाना भी तो नहीं था उस के पास.

भीगी आंखों से यामिनी दूर जाते हुए जीशान को देखे जा रही थी कि अचानक उस के कानों में डेविडसन का खरखराता हुआ स्वर गूंजा, ‘‘मिस, अगर फेयरवेल पूरा हो चुका हो तो बेड नं. 7 को देखने की कृपा करेंगी. नासमझ, भावुक लड़की, एक दिन इस का खमियाजा भोगेगी.’’

उस दिन यामिनी और उस के साथ रहने वाली ट्रेनी नर्स फ्रेश हो कर चाय की चुस्कियां लेती हुई समाज की बदली हुई तसवीर पर चर्चा कर रही थीं कि तभी कालबेल बज उठी.

#coronavirus: कोरोना वायरस, क्या ये 2020 का आपातकाल है?

कोरोना वायरस एक ऐसा जानलेवा वायरस बन चुका है जो लोगों को अपनी चपेट में लेते जा रहा है लेकिन सवाल ये है कि ये कब बंद होगा? क्योंकि स्थिति इतनी बिगड़ चुकी है कि देश में आपातकाल जैसी ही स्तिथि बनी हुई है,लोग अपने घरों में कैद में हैं,दुकाने बंद हैं,मॉल्स बंद हैं,सब्जी मंडी बंद हैं पूरा देश ही बंद है,हर तरफ शांति सन्नाटा सा छाया हुआ है तो आप खुद अंदाजा लगाइए कि ये स्थिति क्या आपातकाल नहीं है? देश में इस वक्त लोग सिर्फ हैरान-परेशान है क्योंकि हर व्यक्ति के मन में सिर्फ एक ही डर है कि कहीं कोरोना वायरस की चपेट में वो ना आ जाए क्योंकि कोरोना अब बहुत ही जानलेवा बन चुका
है.

लोग मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं

हर वक्त सैनेटाइज़र लगा रहे हैं,घरों से बाहर नहीं जा रहे हैं,बाहर का कुछ भी खाने से उन्हें डर लग रहा है,भले ही प्रधानमंत्री मोदी ने काफी कुछ किया हो लेकिन जो डर इस वायरस को लेकर लोगों के मन में बैठा है वो इतनी जल्दी नहीं जाएगा.भारत में अब तक जितने भी केस आएं हैं कोरोना वायरस के उनकी संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है,अकेले नोएडा में 5 केस आ चुके हैं और ये संख्या आगे भी बढ़ सकती है.कुछ मशहुर हस्ती भी इस भयंकर वायरस की चपेट में आ चुके हैं.

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जैसे की अभी कल की ही खबर है कि सिंगर कनिका कपूर भी इस वायरस की चपेट में आ चुकी हैं.अब आप सोचिए की इतनी तैयारी और बचाव के बाद भी लोगों को कोरोना हो जा रहा है.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को नेशनल इमरजेंसी की घोषणा कर दी है और 20 साल के बाद ये संक्रामक रोग आपातकाल लगाया गया है.

.स्पेन में भी आपातकाल घोषित कर दिया गया है.

जहां पर अब तक 120 लोगों की मौत हो चुकी है.प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज ने शुक्रवार को आपातकाल की ये घोषणा की थी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अपने देश के लोगों से विदेश यात्रा छोड़ देने की अपली कर रखी है,उन्होंने भी आपातकाल की घोषणा कर दी है,श्रीलंका सरकार ने भी देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है.

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देश में आने-जाने वाली सभी उड़ाने रद्द कर दी गईं हैं,उनपर प्रतिबंध लगा दिया गया है. भारत में अब तक 220 से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं औऱ अगर हम वैश्विक स्तर पर इसे देखें तो लगभग 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.अब आप सोचिए की.

जब अमेरिका सहित इतने देशों ने इस भयंकर वायरस के चलते आपातकाल की घोषणा कर दी है.

तो शायद वो दिन भी अब दूर नहीं रहेगा जब भारत में भी आपातकाल लगा दिया जाएगा वैसे तो प्रधानमंत्री ने कह ही दिया है कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू है और अब देखतें हैं कि इसका असर क्या होगा क्योंकि एक दिन जनता कर्फ्यू लगने से तो ये वायरस खत्म नहीं होगा इसलिए सरकार को कोई कड़ा कदम तो उठाना ही पड़ेगा औऱ साथ ही लोगों को ज्यादा से ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ेगी.वैसे देखा जाए तो लोग अभी जिस स्थिति से गुजर रहें हैं वो किसी आपातकाल से कम नहीं है.

प्रमाण दो : भाग 3

लेखक- सत्यव्रत सत्यार्थी

पूर्व कथा

गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में दंगे होने के कारण नर्स यामिनी किसी तरह अस्पताल पहुंचती है. वहां पहुंचने पर सीनियर सिस्टर मिसेज डेविडसन यामिनी को बेड नं. 11 के मरीज जीशान को देखने को कहती है. यामिनी मिसेज डेविडसन को मां की तरह मानती है और मिसेज डेविडसन भी यामिनी को बेटी की तरह. शहर में होने वाले दंगों को देखते हुए मिसेज डेविडसन यामिनी को बारबार  समझाती है कि मरीजों के साथ ज्यादा घुलनेमिलने की जरूरत नहीं है.शहर में हुए दंगों से परेशान यामिनी के सामने अतीत की यादें ताजा होने लगती हैं कि किस तरह हिंदूमुसलिम दंगों के दौरान दंगाइयों ने उस का घर जला दिया था और वह अपनी सहेली के घर जाने के कारण बच गई थी. यही सोचतेसोचते उसे जीशान का ध्यान आता है.25 वर्षीय जीशान के घर में भी दंगाइयों ने आग लगा दी थी. बड़ी मुश्किल से जान बचा कर घायल अवस्था में वह अस्पताल पहुंचा था.

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आखिरी भाग

यामिनी जीशान की सेवा करती है ताकि वह जल्दी ठीक हो जाए. यामिनी और जीशान दोनों ही एकदूसरे के प्रति लगाव महसूस करते हैं. यामिनी से अलग होते समय जीशान उदास हो जाता है और कहता है कि मैं आप से कैसे मिलूंगा? मैं मुसलमान हूं और आप हिंदू, तो वह समझाती है कि हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है और वह अलविदा कह कर चला जाता है. यामिनी अपनी सहयोगी नर्स के साथ शहर में हुए दंगों पर चर्चा कर रही होती है कि तभी कालबेल बजती है. अब आगे…

हिंदूमुसलिम दंगों के दौरान मिले यामिनी और जीशान के बीच भाईबहन का रिश्ता कायम हो चुका था लेकिन दुनिया वाले इस रिश्ते को कहां पाक मानने वाले थे. क्या जीशान और यामिनी दुनिया के सामने अपने इस मुंहबोले रिश्ते को साबित कर पाए?गतांक से आगे…

ट्रेनी नर्स ने दरवाजा खोला. सामने खडे़ युवक ने उस को बताया, ‘‘सिस्टर, मैं जीशान का पड़ोसी हूं. क्या यामिनी मैडम यहीं रहती हैं?’’

‘‘हां, रहती तो यहीं हैं, मगर तुम्हें उन से क्या काम है?’’

‘‘उन्हें खबर कर दीजिए कि जीशान को पिछले 2 दिन से बहुत तेज बुखार है. उस ने मैडम को बुलाया है.’’

कमरे के अंदर बैठी यामिनी नर्स और आगंतुक की बातचीत ध्यान से सुन रही थी. जीशान के अतिशय बीमार होने की खबर सुन कर उस का दिल धक् से रह गया. यामिनी को लगा, मानो उस का कोई अपना कातर स्वर में उसे पुकार रहा हो. उस ने अपना मिनी फर्स्ट एड बौक्स उठाया और उस युवक के साथ निकल पड़ी.कमरे में बिस्तर पर बेसुध पड़ा जीशान कराह रहा था. यामिनी ने उस के माथे को छू कर देखा तो वह भट्ठी की तरह तप रहा था. यामिनी ने उसे जरूरी दवाएं दीं और एक इंजेक्शन भी लगा दिया. कुछ देर बाद जीशान की स्थिति कुछ संभली तो यामिनी ने पूछा, ‘‘जीशान, तुम अपने प्रति इतने लापरवाह क्यों हो? अपना ध्यान क्यों नहीं रखते?’’

‘‘ध्यान तो रखता हूं, पर बुखार का क्या करूं? खुद ब खुद आ गया.’’

जीशान के इस भोलेपन पर यामिनी ने वात्सल्य भाव से कहा, ‘‘जब तक तुम स्वस्थ नहीं हो जाते, मैं रोजाना आया करूंगी और तुम्हारे लिए चाय, सूप जो भी होगा बनाऊंगी और अपने सामने दवाएं खिलाऊंगी.’’

‘‘ऐसा तो सिर्फ 2 ही लोग कर सकते हैं, मां अथवा बहन.’’

यामिनी कुछ बोलना चाहती थी कि जीशान कांपते स्वर में पूछ बैठा, ‘‘क्या मैं आप को दीदी कहूं? अस्पताल में जब पहली बार होश आया था और आप को तीमारदारी करते हुए पाया था तभी से मैं ने मन ही मन आप को बड़ी बहन मान लिया था. इस से ज्यादा खूबसूरत और पाक रिश्ता दूसरा नहीं हो सकता, क्योंकि यही रिश्ता इतनी खिदमत कर सकता है.’’

‘‘यह तो ठीक है, मगर….’’

‘‘दीदी, अब मुझे मत ठुकराओ, वरना मैं कभी दवा नहीं खाऊंगा. वैसे भी तो यह दोबारा की जिंदगी आप की ही बदौलत है. आप खूब जानती हैं कि मैं आप को देखे बगैर एक पल भी नहीं रह पाता.’’

यामिनी निरुत्तर थी. रिश्ता कायम हो चुका था. सारे देश में खूनखराबे का कारण बने 2 विरोधी धर्मों के युवकयुवती के बीच भाईबहन का अटूट रिश्ता पनप चुका था.

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यामिनी जब जीशान के कमरे से निकली तो अगल- बगल और सामने के मकानों के दरवाजों से झांकती अनेक आंखों के पीछे के मनोभावों को ताड़ कर वह बेचैन हो उठी. दुकानों के बाहर झुंड बना कर खडे़ लोगों ने भी उसे विचित्र सी निगाहों से देखना शुरू कर दिया. लेकिन किसी की ओर देखे बिना वह सिर झुका कर चुपचाप चलती चली गई.

जीशान जब तक पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो गया तब तक यह क्रम अनवरत चलता रहा. मिसेज डेविडसन को यामिनी का एक मरीज के प्रति इतना लगाव कतई पसंद नहीं था. एक दिन उन्होंने कह ही दिया, ‘‘जीशान के घर इस तरह हर रोज जाना ठीक नहीं है, यामिनी.’’

‘‘क्यों?’’ प्रश्नसूचक मुद्रा में यामिनी ने पूछा.

उन्होंने समझाते हुए कहा, ‘‘तुम कोई दूधपीती बच्ची नहीं हो, जिसे कुछ पता ही न हो. भले तुम उसे भाई समझती हो, किंतु कम से कम आज के माहौल में दुनिया वाले इस मुंहबोले रिश्ते को सहन करेेंगे क्या?’’

‘‘जब यह रिश्ता नहीं बना था तब दुनिया वालों ने मुझे या जीशान को बख्शा था क्या जो मैं इन की परवा करूं.’’

‘‘दुनिया में रह कर दुनिया वालों की परवा तो करनी ही पडे़गी.’’

‘‘मैं स्वयं भी इस बंजर जीवन से तंग आ गई हूं. नहीं रहना इस दुनिया में…तो किसी से डरना कैसा,’’ यामिनी ने कठोर मुद्रा में अपना पक्ष रखा.

मिसेज डेविडसन चुप हो गईं. उन्होंने प्यार से उस के सिर पर हाथ फेर और यह कहते हुए उसे अपने साथ होस्टल लिवा ले गईं कि आज का खाना और सोना सब उन्हीं के साथ होना है.

यामिनी को बर्थ डे जैसे अनावश्यक चोंचले बिलकुल नहीं भाते थे. फिर भी मिसेज डेविडसन ने आज सुबह ही उस को याद दिलाया था कि आज रात का भोजन वह उसी के साथ उस के कमरे पर लेंगी और वह भी ‘स्पेशल.’ यामिनी ने हामी भर ली थी, क्योंकि प्रस्ताव केवल भोजन का था, बर्थ डे मनाने का नहीं.

घर आ कर फ्रेश होने के बाद वह और उस की साथी टे्रनी नर्स अच्छी मेहमाननवाजी की तैयारियों में जुट गईं कि अचानक यामिनी का मोबाइल बज उठा. दूसरी तरफ से जीशान बोल रहा था, ‘दीदी, आज 7 बजे तक आप जरूर आ जाइएगा. बहुत जरूरी काम है. 8 बजे तक हरहाल में मैं आप को आप के रूम पर वापस छोड़ दूंगा.’

‘किंतु मेरे भाई, यह अचानक ऐसी कौन सी आफत आ गई है?’

‘मेरे भाई’ शब्द सुनते ही जीशान का रोमरोम पुलकित हो उठा. कितनी मिठास, कितनी ऊर्जा थी इस पुकार में. वह समझ नहीं पा रहा था कि अपनी बात कैसे कहे. इन कुछ पलों की चुप्पी का अर्थ यामिनी समझ नहीं पा रही थी. उस ने कहा, ‘जीशान, आज मैं नहीं आ सकती. तुम हर बात पर जिद क्यों करते हो?’

‘दीदी, यह मेरी आखिरी जिद है. मान जाओ, फिर कभी भी ऐसी गुस्ताखी नहीं करूंगा,’ इतना कह कर जीशान ने फोन काट दिया था.

यामिनी अजीब संकट में पड़ गई. एक तरफ जीशान का ‘बुलावा’ था तो दूसरी तरफ मिसेज डेविडसन को दी गई उस की ‘सहमति’ थी. आखिर दिल ने जीशान के पक्ष में फैसला दे दिया.

यामिनी को कहीं जाने की तैयारी करते देख उस की साथी नर्स समझ गई कि मुंहबोले इस भाई के बुलावे ने यामिनी को विवश कर दिया है. फिर भी उस ने पूछा, ‘‘मैम, मिसेज डेविडसन का क्या होगा?’’

‘‘होगा क्या? थोड़ा सा गुस्सा, थोड़ा बड़बड़ाना और फिर मेरी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थना, हर मां ऐसी ही होती है,’’ कहते हुए यामिनी निकल पड़ी.

जीशान के कमरे पर यामिनी पहुंची तो देखा दरवाजा खुला था. कमरे में जो दृश्य देखा तो वह अवाक् रह गई. मेज पर सजा ‘केक’ और उस पर जलती एक कैंडिल, एक खूबसूरत नया ‘चाकू’ और नया ‘ज्वेलरी केस’ सबकुछ बड़ा विचित्र लग रहा था. इन सब चीजों को विस्मय से देखती हुई यामिनी की आंखें जीशान को ढूंढ़ रही थीं. उस के मन में संशय उठा कि कहीं उस के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई. उस ने जैसे ही जीशान को आवाज लगाई, ठीक उसी समय दरवाजे पर आहट हुई और जीशान हंसते हुए कमरे में प्रवेश कर रहा था. उस के एक हाथ में रक्षासूत्र और एक हाथ में ताजे फूल थे.

जीशान को सामने पा कर यामिनी आश्वस्त हो गई. उस ने अपने को संयत करते हुए पूछा, ‘‘इस तरह कहां चले गए थे? और वह भी कमरा खुला छोड़ कर, तुम्हें अक्ल क्यों नहीं आती? और यह सब क्या है?’’

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‘‘एक गरीब भाई की तरफ से अपनी दीदी के बर्थ डे पर एक छोटा सा जलसा.’’

अपनत्व की इतनी सच्ची, इतनी निश्छल प्रतिक्रिया यामिनी ने अपने अब तक के जीवन में नहीं देखी थी. भावातिरेक में उस के नेत्र सजल हो उठे. उस ने रुंधे गले से कहा, ‘‘मेरे भाई, अब तक तुम क्यों नहीं मिले? कहां छिपे थे तुम अब तक? मिले भी तो तब जब हम दोनों के रिश्ते दुनिया के लिए कांटे सरीखे हैं.’’

जीशान ने अपना हाथ यामिनी के मुंह पर रखते हुए कहा, ‘‘अब और नहीं, दीदी, आज आप का जन्मदिन है. अब चलिए, केक काटिए और यह जलती हुई मोमबत्ती बुझाइए.’’

यामिनी ने जीशान की खुशी के लिए सब किया. केक काटा और मोमबत्ती बुझाई. किसी बच्चे के समान ताली बजा कर जीशान जोर से बोल उठा, ‘‘हैप्पी बर्थडे-टू यू माई डियर सिस्टर,’’ फिर केक का एक टुकड़ा उठा कर यामिनी के मुंह में डाला और आधा तोड़ कर स्वयं खा लिया.

यामिनी ने घड़ी पर निगाह डाली. 8 बजने में कुछ ही मिनट बाकी थे. उस ने जीशान को याद दिलाते हुए जाने का उपक्रम किया. जीशान ने यामिनी से सिर्फ 2 मिनट का समय और मांगा. उस ने यामिनी से आंखें मूंद कर सामने घूम जाने का अनुरोध किया. यंत्रचालित सी यामिनी ने वैसा ही किया. जीशान ने एक फूल यामिनी के पैरों पर स्पर्श कर अपने माथे से लगाया.

तभी जीशान ने अपनी दाईं कलाई और बाएं हाथ का रक्षासूत्र यामिनी की ओर बढ़ा दिया. यामिनी उस का मकसद समझ गई. उस ने मेज पर पड़े फूल उस पर निछावर किए और राखी बांध दी.

वह आदर भाव से अपनी दीदी के पैर छूने को झुका ही था कि दरवाजा भड़ाक से खुला और 10-12 खूंखार चेहरे तलवार, डंडा, हाकी आदि ले कर दनदनाते हुए कमरे में घुस गए और उन्हें घेर लिया.

एक बोला, ‘‘क्या गुल खिलाए जा रहे हैं यहां?’’

दूसरा बोला, ‘‘यह शरीफों का महल्ला है. इस तरह की बेहयायी करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे पड़ी?’’

तीसरा बोला, ‘‘यह बदचलन औरत है. मैं ने अकसर इसे यहां आते देखा है.’’

भद्दी सी गाली देते हुए चौथा बोला, ‘‘रास रचाने को तुम्हें यह ंमुसलमान ही मिला था, सारे हिंदू मर गए थे क्या?’’

भीड़ में से कोई ललकराते हुए बोला, ‘‘देखते क्या हो? इस विधर्मी को काट डालो और उठा कर ले चलो इस मेनका को.’’

यामिनी ने अपना कलेजा कड़ा किया और दृढ़ता से जीशान के आगे खड़ी हो कर बोली, ‘‘इसे नहीं, दोष मेरा है, मेरे टुकड़ेटुकड़े कर डालो क्योंकि मैं हिंदू हूं. आप लोगों की प्रतिष्ठा मेरे नाते धूमिल हुई है.’’

यह सब देख कर जीशान में भी साहस का संचार हुआ. वह यामिनी के आगे आ गया और अपनी दाहिनी कलाई उन के सामने उठाते हुए बोला, ‘‘आप लोग खुद देख लीजिए, हमारा रिश्ता क्या है? राखी तो सिर्फ बहन ही अपने भाई को बांधती है.’’

उस का हाथ झटकते हुए एक बोला, ‘‘अबे, तू क्या जाने बहनभाई के रिश्ते को. तुझ जैसों को तो सिर्फ मौका चाहिए किसी हिंदू लड़की को भ्रष्ट करने का. वैसे भी आज रक्षाबंधन है क्या?’’

तभी यामिनी को एक अवसर मिल गया. उस ने तर्क भरे लहजे में कहा, ‘‘रानी कर्णावती ने जब हुमायूं को राखी भेजी थी तब भी तो रक्षाबंधन नहीं था. किंतु आप लोग यह सारी लुभावनी मानवतापूर्ण बातें तो केवल मंच से ही बोलते हैं, व्यवहार में तो वही करते हैं जैसा अभी यहां कर रहे हैं.’’

यह तर्क सुन कर भीड़ के ज्यादातर युवक बगलें झांकने लगे. किंतु एक ने उस के तर्क को काटते हुए कहा, ‘‘हुमायूं ने तो राखी के धर्म का निर्वाह किया था. भाई के समान उस ने रानी कर्णावती के लिए खून बहाया था. तुम्हारा यह भाई क्या ऐसा प्रमाण दे सकता है?’’

यामिनी यह सुन कर अचकचा गई. उसे कोई तर्क नहीं सूझ रहा था. तभी अचानक जीशान ने मेज पर पड़ा चाकू उठाया और राखी वाली कलाई की नस काट डाली. खून की धार बह चली. खूंखार चेहरे एकएक कर अदृश्य होते गए. काफी देर तक यामिनी मूर्तिवत् खड़ी रह गई. उस की चेतनशून्यता तब टूटी जब गरम रक्त का आभास उस के पांवों को हुआ. उस का ध्यान जीशान की ओर गया, जो मूर्छित हो कर जमीन पर पड़ा था.

यामिनी को कुछ भी नहीं सूझ रहा था. उस ने अपने आंचल का किनारा फाड़ा और कस कर जीशान की कलाई पर बांध दिया. उसी समय दरवाजे पर मिसेज डेविडसन और यामिनी की रूमपार्टनर खड़ी दिखाई दीं. उन दोनों ने फोन कर के एंबुलेंस मंगा ली थी.

जीशान एक बार फिर उसी अस्पताल की ओर जा रहा था जहां से उसे जीवनदान और यह रिश्ता मिला था. उस का सिर यामिनी की गोद में था. यामिनी के हाथ प्यार से उस का माथा सहला रहे थे.

#coronavirus: कोरोना से ऐसे बचें

अगर आप किसी ऐसी जगह पर जा रहे हैं जहां पर इस बीमारी से लोग पीडि़त हैं तो वहां पर सावधानियां बरतें. जो लोग इस बीमारी से पीडि़त हैं उन्हें 3 लेयर वाला सर्जिकल मास्क पहनना चाहिए. ऐसे डाक्टर जो इन मरीजों का इलाज कर रहे हैं उन्हें एन95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए. अगर किसी आदमी को यह बीमारी हो जाती है तो वह 2 से 3 लोगों को यह बीमारी फैला सकता है. यह बीमारी तभी फैलती है जब आप का कम से कम 10 मिनट तक उस से संपर्क रहे. लेकिन, इस बीमारी से पीडि़त कुछ ऐसे लोग होते हैं जिन्हें हम सुपर स्प्रेडर कहते हैं. ऐसा एक आदमी हजारों में यह बीमारी फैला सकता है. ऐसा लगता है कि चीन में यह बीमारी एक ही आदमी से फैली है. साउथ कोरिया में भी एक महिला ने यह बीमारी फैलाई. इसी तरह ईरान में भी एक सुपर स्प्रेडर रहा होगा जिस ने यह बीमारी फैलाई होगी.

साउथ कोरिया में भी एक महिला ने यह बीमारी फैलाई

इस बीमारी से बचना है तो हमें फ्लू से बचना होगा क्योंकि इस बीमारी में और फ्लू की बीमारी के लक्षणों में कोई फर्क नहीं है.अगर किसी को भी खांसीजुकाम के साथ बुखार है तो उसे समझ लेना चाहिए कि उस को यूलाइक इलनैस है. उसे दूसरे लोगों से 3 फुट की दूरी तक रहना चाहिए अगर उस ने मास्क नहीं पहन रखा. जहां पर भी वह खांसीजुकाम करता है उस जगह को साफ कर देना चाहिए.

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सिंपल ब्लीचिंग पाउडर में यह वायरस एक मिनट में मर जाता है. अगर यह बीमारी फैल जाए तो
ऐसी जगह में नहीं जाना चाहिए जहां पर लोग इकट्ठे होते हैं. भारत में सार्स, मर्स,  इबोला तथा येलो फीवर नाम की बीमारियां कभी नहीं आईं. अब जब कोरोना देश में भी दस्तक दे चुका है तो हमें सतर्क रहना
जरूरी है.

भारत, पाकिस्तान,  नेपाल और श्रीलंका में इस प्रकार की बीमारियां पहले कम देखी गई हैं.

यह बीमारी सार्स से कम खतरनाक है, लेकिन ज्यादा तेजी से फैलने वाली है. जो बीमारी ज्यादा तेजी से फैलती है उस को रोकना मुश्किल होता है.भ्रांतियों से बचें एक बार अगर यह बीमारी आ जाए तो 7 दिन में यह बीमारी दोगुने लोगों को हो जाती है. लेकिन साउथ कोरिया में यह देखा गया कि यह बीमारी 2 दिन में
3 गुना लोगों को हो गई. भारत में बहुत सारे लोग अफगानिस्तान से मैडिकल चैकअप के लिए आते हैं और अगर वे 15 दिनों के बीच में ईरान गए हों तो वे इस बीमारी को भारत में ला सकते हैं.

ऐसी महामारी पूरी दुनिया में आ चुकी है. सार्स, मर्स ऐसी

अभी तक देखा नहीं गया है कि यह बीमारी अगर गर्भावस्था में औरतों को हो जाए तो वह बीमारी उन के बच्चों में फैल सकती है या नहीं. कई सारे लोग इस बीमारी के बारे में भ्रांतियां फैला रहे हैं कि यह चीन की एक लैबोरैट्री से निकली है. यह बायोटेररिज्म हो सकती है. यह मांस खाने से होती है. यह अमेरिका और चीन की लड़ाई है. चीन में यह बीमारी लाखों में फैल चुकी है. चीन में हजारों लोगों को गोली मार दी गई जो कोरोनो वायरस से पीडि़त थे इत्यादि, सब झूठ है. यह सब भ्रम है और हमें इन से बचना चाहिए.
इस से पहले भी ऐसी महामारी पूरी दुनिया में आ चुकी है. सार्स, मर्स ऐसी 2 बीमारियां हैं जो पहले महामारी का रूप ले चुकी हैं और वे इसी वायरस की जाति से हैं.

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इस बीमारी को रोकने के लिए चीन ने एक ऐसा असंभव कार्य किया जो शायद कोई दूसरा देश न करता. चीन ने 5 करोड़ लोगों को नजरबंद कर दिया ताकि यह बीमारी देश के शेष हिस्सों में न जा पाए. अगर उस ने ऐसा न किया होता तो शायद चीन में अब तक यह बीमारी बड़ी महामारी का रूप ले चुकी होती. अभी तक डब्लूएचओ ने इसे महामारी घोषित नहीं किया है, हालांकि, कहा है कि सभी इस के लिए तैयार रहें.

शादी से पहले शादी के बाद : भाग 2

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थानाप्रभारी ने कंचन की हत्या का परदाफाश करने तथा उस के कातिल को पकड़ने की जानकारी एसपी (ग्रामीण) ओमवीर सिंह को दे दी. उन्होंने पुलिस लाइंस सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपी को मीडिया के सामने पेश कर नर्सिंग छात्रा कंचन की हत्या का खुलासा कर दिया.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के थाना जसवंतनगर क्षेत्र में एक गांव है जगसौरा. इसी गांव में शिवपूजन अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी उमा देवी के अलावा 2 बेटियां कंचन, सुमन तथा एक बेटा राहुल था. शिवपूजन खेतीकिसानी करते थे. उन की आर्थिक स्थिति सामान्य थी.

शिवपूजन के तीनों बच्चों में कंचन सब से बड़ी थी. वह खूबसूरत तो थी ही, पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने गवर्नमेंट गर्ल्स इंटर कालेज जसवंतनगर से इंटरमीडिएट साइंस विषय से प्रथम श्रेणी में पास किया था. कंचन पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी, जबकि उस की मां उमा देवी उस की पढ़ाई बंद कर के कामकाज में लगाना चाहती थी.

उमा देवी का मानना था कि ज्यादा पढ़ीलिखी लड़की के लिए घरवर तलाशने में परेशानी होती है. लेकिन बेटी की जिद के आगे उसे झुकना पड़ा. कंचन ने इटावा के महिला महाविद्यालय में बीएससी में दाखिला ले लिया.

बीएससी की पढ़ाई के दौरान ही एक रोज कंचन की निगाह अखबार में छपे विज्ञापन पर पड़ी. विज्ञापन द्रोपदी देवी इंटर कालेज नगला महाजीत सिविल लाइंस, इटावा से संबंधित था. कालेज को जूनियर सेक्शन में विज्ञान शिक्षिका की आवश्यकता थी.

विज्ञापन पढ़ने के बाद कंचन ने शिक्षिका पद के लिए आवेदन करने का निश्चय किया. उस ने सोचा कि पढ़ाने से एक तो उस का ज्ञानवर्द्धन होगा, दूसरे उस के खर्चे लायक पैसे भी मिल जाएंगे. कंचन ने अपने मातापिता से इस नौकरी के लिए अनुमति मांगी तो उन्होंने उसे अनुमति दे दी.

कंचन ने द्रोपदी देवी इंटर कालेज में शिक्षिका पद हेतु आवेदन किया तो प्रबंधक हाकिम सिंह ने उस का चयन कर लिया. हाकिम सिंह इटावा शहर के सिविल लाइंस थानांतर्गत नगला महाजीत में रहते थे. यह उन का ही कालेज था. कंचन इस कालेज में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को विज्ञान पढ़ाने लगी. कंचन पढ़नेपढ़ाने में लगनशील थी, इसलिए कुछ महीने बाद वह बच्चों की प्रिय टीचर बन गई.

इसी स्कूल में एक रोज आनंद किशोर की निगाह खूबसूरत कंचन पर पड़ी. आनंद किशोर कालेज प्रबंधक हाकिम सिंह का बेटा था. हाकिम सिंह कालेज के प्रबंधक जरूर थे, लेकिन कालेज की देखरेख आनंद किशोर ही करता था. कंचन हुस्न और शबाब की बेमिसाल मूरत थी. उसे देख कर आनंद किशोर उस पर मोहित हो गया. वह उसे दिलोजान से चाहने लगा.

कंचन यह जानती थी कि आनंद किशोर कालेज मालिक का बेटा है, इसलिए उस ने भी उस की तरफ कदम बढ़ाने में अपनी भलाई समझी. उसे लगा कि आनंद ही उस के सपनों का राजकुमार है. जब चाहतें दोनों की पैदा हुईं तो प्यार का बीज अंकुरित हो गया.

कंचन आनंद के साथ घूमनेफिरने लगी. इस दौरान उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए. आनंद के प्यार में कंचन ऐसी दीवानी हुई कि घर भी देरसवेर पहुंचने लगी. मां उसे टोकती तो कोई न कोई बहाना बना देती. उमा देवी उस की बात पर सहज ही विश्वास कर लेती थी.

लेकिन विश्वास की भी कोई सीमा होती है. कंचन जब आए दिन देरी से घर पहुंचने लगी तो उमा देवी का माथा ठनका. उस ने पति शिवपूजन को कंचन पर नजर रखने को कहा. शिवपूजन ने कंचन की निगरानी की तो जल्द ही सच्चाई सामने आ गई. उन्हें पता चला कि कंचन कालेज प्रबंधक के बेटे आनंद किशोर के प्रेम जाल में फंस गई है और उसी के साथ गुलछर्रे उड़ाती है.

शिवपूजन ने इस सच्चाई से पत्नी को अवगत कराया तो उमा देवी ने माथा पीट लिया. पतिपत्नी ने इस मुद्दे पर विचारविमर्श किया और बदनामी से बचने के लिए कंचन का विवाह जल्दी करने का निश्चय किया. तब तक कंचन बीएससी पास कर चुकी थी, इसलिए मां ने एक दिन उस से कहा, ‘‘कंचन, अब तेरा बीएससी पूरा हो चुका है. अब स्कूल में पढ़ाना छोड़ दे. प्राइवेट नौकरी से तेरा भला होने वाला नहीं है.’’

कंचन ने कुछ कहना चाहा तो मां ने बात साफ कर दी, ‘‘क्या यह सच नहीं है कि तेरे और आनंद के बीच गलत रिश्ता है. तुम दोनों के प्यार के चर्चे पूरे स्कूल में हो रहे हैं, इसलिए अब तू उस स्कूल में पढ़ाने नहीं जाएगी.’’

उमा देवी ने जो कहा था, वह सच था. स्कूल प्रबंधक हाकिम सिंह भी उसे सावधान कर चुके थे. पर अपने बेटे आनंद के कारण वह उसे स्कूल से निकाल नहीं पा रहे थे. चूंकि सच्चाई सामने आ गई थी. इसलिए कंचन ने भी स्कूल छोड़ने का मन बना लिया. उस ने इस बात से आनंद किशोर को भी अवगत करा दिया.

चूंकि बेटी के बहकते कदमों से शिवपूजन परेशान थे, इसलिए उन्होंने कंचन के लिए घरवर की तलाश शुरू कर दी. कुछ महीने की भागदौड़ के बाद उन्हें एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था अनुपम कुमार.

अनुपम कुमार के पिता रामशरण मैनपुरी जिले के किशनी थानांतर्गत गांव खड़ेपुर के रहने वाले थे. 3 भाईबहनों में अनुपम कुमार सब से बड़ा था.

रामशरण के पास 5 बीघा जमीन थी. उसी की उपज से परिवार का भरणपोषण होता था. अनुपम गुरुग्राम (हरियाणा) में प्राइवेट नौकरी करता था. दोनों तरफ से बातचीत हो जाने के बाद 7 फरवरी, 2014 को धूमधाम से कंचन का विवाह अनुपम के साथ हो गया.

शादी के एक महीने बाद जब अनुपम नौकरी पर चला गया तो कंचन मायके आ गई. कंचन कुछ दिन बाद आनंद से मिली तो उस ने शादी करने को ले कर शिकवाशिकायत की. कंचन ने उसे धीरज बंधाया कि जिस तरह वह उसे शादी के पहले प्यार करती थी, वैसा ही करती रहेगी.

कंचन जब भी मायके आती, आनंद के साथ खूब मौजमस्ती करती. आनंद किशोर के माध्यम से कंचन अपना भविष्य भी बनाना चाहती थी, वह मैडिकल लाइन में जाने के लिए प्रयासरत थी. दरअसल, वह एएनएम बनना चाहती थी.

इधर पिता के दबाव में आनंद किशोर ने भी ऊषा नाम की खूबसूरत युवती से शादी कर ली. लेकिन खूबसूरत पत्नी पा कर भी आनंद किशोर कंचन को नहीं भुला पाया. वह उस से संपर्क बनाए रहा. आनंद किशोर के पास ओमनी कार थी. इसी कार से वह कंचन को कभी आगरा तो कभी बटेश्वर घुमाने ले जाता था. आनंद की पत्नी ऊषा को उस के और कंचन के नाजायज रिश्तों की जानकारी नहीं थी. वह तो पति को दूध का धुला समझती थी.

सन 2017-18 में कंचन का चयन बीएससी नर्सिंग के 2 वर्षीय एएनएम प्रशिक्षण के लिए हो गया. सैफई मैडिकल कालेज में कंचन एएनएम की ट्रैनिंग करने लगी. वह वहीं के हौस्टल में रहने भी लगी. कंचन का जब कहीं बाहर घूमने का मन करता तो वह प्रेमी आनंद को फोन कर बुला लेती थी.

आनंद अपनी कार ले कर कंचन के मैडिकल कालेज पहुंच जाता, फिर दोनों दिन भर मस्ती करते. आनंद कंचन की भरपूर आर्थिक भी मदद करता था और उस की सभी डिमांड भी पूरी करता था. आनंद ने कंचन को एक महंगा मोबाइल भी खरीद कर दिया था. इसी मोबाइल से वह आनंद से बात करती थी.

कंचन आनंद किशोर से प्यार जरूर करती थी, लेकिन उस का अपने पति अनुपम कुमार से भी खूब लगाव था. वह हर रोज पति से बतियाती थी. अनुपम भी उस से मिलने उस के कालेज आताजाता रहता था. इस तरह कंचन ने एएनएम प्रथम वर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर द्वितीय वर्ष में प्रवेश ले लिया.

कंचन और उस के प्रेमी आनंद किशोर के रिश्तों में दरार तब पड़ी, जब आनंद ने शहरी क्षेत्र में 5-6 लाख की जमीन अपनी पत्नी ऊषा के नाम खरीदी. यह जमीन खरीदने की जानकारी जब कंचन को हुई तो उस ने विरोध जताया, ‘‘आनंद, ऊषा तुम्हारी घरवाली है तो मैं भी तो बाहरवाली हूं. मुझे भी 3 लाख रुपए चाहिए.’’

धीरेधीरे कंचन आनंद को ब्लैकमेल करने पर उतर आई. अब जब भी दोनों मिलते, कंचन रुपयों की डिमांड करती. असमर्थता जताने पर कंचन दोनों के रिश्तों को सार्वजनिक करने तथा ऊषा को सब कुछ बताने की धमकी देती. कंचन की ब्लैकमेलिंग और धमकी से आनंद घबरा गया. आखिर उस ने इस समस्या से निजात पाने के लिए कंचन की हत्या करने की योजना बना ली.

24 सितंबर, 2019 की दोपहर आनंद किशोर ने कंचन को घूमने के लिए राजी किया. फिर पौने 2 बजे वह अपनी कार ले कर सैफई मैडिकल कालेज पहुंच गया.

कंचन हौस्टल से यह कह कर निकली कि वह हौस्पिटल जा रही है. लेकिन वह आनंद किशोर की कार में बैठ कर घूमने निकल गई. आनंद उसे बटेश्वर ले कर गया और कई घंटे सैरसपाटा कराता रहा.

वापस लौटते समय कंचन ने उस से पैसों की डिमांड की. इस बात को ले कर दोनों में कहासुनी भी हुई. तब तक शाम के 7 बज चुके थे और अंधेरा छाने लगा था.

आनंद किशोर ने अपनी कार जसवंतनगर क्षेत्र के भितौरा नहर पर रोकी और फिर सीट पर बैठी कंचन को दबोच कर उसे चाकू से गोद डाला.

हत्या करने के बाद उस ने कंचन के शव को नहर में फेंक दिया. फिर वहीं नहर की पटरी किनारे खून से सने कपडे़ जला दिए. वहां से चल कर आनंद ने जगसौरा बंबा पर कार रोकी.

वहां उस ने कंचन के दोनों मोबाइल फोन तोड़ कर झाड़ी में फेंक दिए. साथ ही खून सना चाकू भी झाड़ी में फेंक दिया. इस के बाद वह वापस घर आ गया. किसी को कानोंकान खबर नहीं लगी कि उस ने हत्या जैसी वारदात को अंजाम दिया है.

24 सितंबर को करीब पौने 2 बजे अनुपम कुमार की कंचन से बात हुई थी. उस के बाद जब बात नहीं हुई तो वह सैफई आ गया और कंचन की गुमशुदगी दर्ज कराई. सैफई पुलिस 18 दिनों तक लापता कंचन का पता लगाने में जुटी रही. उस के बाद हत्या का खुलासा हुआ. लेकिन कंचन की लाश फिर भी बरामद नहीं हुई.

14 अक्तूबर, 2019 को थाना सैफई पुलिस ने हत्यारोपी आनंद किशोर को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट ए.के. सिंह की अदालत में पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार भेज दिया गया. सैफई पुलिस कंचन की लाश बरामद करने के प्रयास में जुटी थी.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्रमाण दो : भाग 1

लेखक: सत्यव्रत सत्यार्थी

हर आंख सशंकित और हर चेहरा भयातुर. भयानक असुरक्षा की भावना ने लोगों को अपने घरों में कैद रहने को विवश कर दिया था.

यामिनी बेचैन थी. उसे समय से अस्पताल पहुंच जाने का कर्तव्यबोध बेचैन किए जा रहा था. उसे लग रहा था कि अस्पताल पहुंचाने वाली परमिट प्राप्त एंबुलेंस कहीं उन्मादियों के बीच फंस गई थी. वह अधिक समय तक रुकी नहीं रह सकती थी. उस पर आश्रित उस के मरीज आशा भरी नजरों से उस के आने की बाट जोह रहे होंगे. यामिनी को जब पक्का भरोसा हो गया कि अस्पताल की गाड़ी अब नहीं आएगी तो वह मुख्य सड़क को छोड़ कर तंग और सुनसान गलियों से हो कर, बचतीबचाती किसी प्रकार अस्पताल पहुंची.

ड्यूटी रूम में पहुंचते ही यामिनी निढाल हो कर पास पड़ी कुरसी पर बैठ गई, थकान और रोंगटे खडे़ कर देने वाले दृश्यों के बारे में सोच कर उसे खुद ही ‘आदमी’ होने पर संदेह हो रहा था. अस्पताल में घायलों के आने का क्रम लगातार जारी था और सभी वार्ड अंगभंग घायलों की दिल दहला देने वाली कराहों से थरथरा रहे थे.

अचानक यामिनी के कानों में सीनियर सिस्टर मिसेज डेविडसन के पुकारने की आवाज सुनाई दी तो उस की तंद्रा भंग हुई.

‘‘यामिनी, बेड नं. 11 के मरीज को जा कर देख तो लो. वह दर्द से कराह तो रहा है किंतु किसी भी नर्स से न तो डे्रसिंग करवा रहा है और न इंजेक्शन लगवा रहा है,’’ डेविडसन बोलीं.

यामिनी वार्ड में जाने के लिए खड़ी ही हुई थी कि मिसेज डेविडसन की चेतावनी के लहजे से भरी आवाज सुनाई दी, ‘‘मिस यामिनी, हर पेशेंट से रिश्ता कायम कर लेने की बेतुकी आदत तुम्हारे लिए बहुत भारी पडे़गी. बहुत पछ- ताओगी एक दिन.’’

‘‘ऐसा कुछ नहीं है, मैडम.’’

‘‘फिर वह तुम्हीं से ड्रेसिंग बदलवाने की जिद क्यों कर रहा है?’’

‘‘मैडम, आप तो देख ही रही हैं कि शहर का हर आदमी अपने जीवन का युद्ध लड़ रहा है और अस्पताल में ऐसे घायल आ रहे हैं जिन्होंने अपने तमाम रिश्ते खो दिए हैं. निपट अकेला हो जाने का एहसास उन्हें इस लड़ाई में कमजोर बना रहा है. महज कुछ मीठे शब्द, थोड़ा सा अपनापन और स्नेह दे कर मैं उन्हें इस संघर्ष को जीतने में सहायता करती हूं, बस.’’

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‘‘यह तुम्हारा लेक्चर मेरे पल्ले नहीं पड़ने वाला. बस, हमें अपनी ड्यूटी से मतलब होना चाहिए. पर मेरा मन कहता है कि रिश्ता कायम कर लेने की तुम्हारी यह आदत कहीं तुम्हारे लिए मुसीबत न बन जाए.’’

‘‘ऐसा कुछ नहीं होने वाला मैडम, पेशेंट ठीक हो जाए बस, वह अपने घर और मैं अपनी राह. बात समाप्त.’’

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‘‘हां, आमतौर पर अस्पतालों में तो यही होता है. किंतु यह बात तुम्हारे साथ नहीं है.’’

‘‘क्यों? मरीजों के प्रति मेरा व्यवहार क्या औरों से अलग है?’’

‘‘हां,’’ सिस्टर डेविडसन बोलीं, ‘‘यहां आने वाला हर पुरुष पेशेंट तुम्हें अपनी बहन कैसे बना लेता है, और वह भी बस, एक ही दिन में.’’

‘‘बिलकुल वैसे ही जैसे मैं उन्हें तत्काल अपना भाई बना लेती हूं,’’ यामिनी ने मुसकराते हुए उत्तर दिया और ड्यूटी रूम से निकल कर बेड नं. 11 की ओर बढ़ गई.

बेड नं. 11 के निकट पहुंचते ही यामिनी ने कहा, ‘‘जीशान साहब, आप ने मुझे बहुत परेशान किया. सिस्टर से आप ने इंजेक्शन क्यों नहीं लगवाया? क्या उस के हाथ में कांटे हैं जो आप को चुभ जाएंगे?’’

‘‘ऐसा नहीं है सिस्टर. यहां के हर कर्मचारी को मैं सलाम करता हूं, मगर मैं ने आप से पहले ही बोल दिया था…’’

उस की बात बीच में ही काटते हुए यामिनी बोली, ‘‘क्या बोल दिया था? यही न कि तुम मेरे ही हाथ से दवा खाओगे. तुम्हारी बच्चों जैसी यह जिद बिलकुल ठीक नहीं है. मुझे और भी काम रहते हैं भाई. तुम ने समय पर इंजेक्शन नहीं लगवाया, समय पर दवा नहीं ली तो तुम्हें काफी नुकसान पहुंच सकता है. ’’

‘‘नफानुकसान की बात मैं नहीं जानता सिस्टर,’’  जीशान बोला, ‘‘पहले आप यह बताइए कि कल से आप दिखाई क्यों नहीं दीं?’’

‘‘अरे भाई, कुछ जरूरी काम पड़ गया था, जिस में बिजी हो गई थी. पर फिर ऐसा नहीं होना चाहिए. मैं न भी आऊं तो आप दूसरी नर्सों से दवा ले लिया करो, इंजेक्शन लगवा लिया करो.’’

‘‘हां, मगर आप की बात ही और है…’’

यामिनी ने उस को चुप रहने का संकेत करते हुए आराम करने को कहा और वापस जाने के लिए मुड़ी तो अपने पीछे मिसेज डेविडसन को देख कर चौंक पड़ी. वह न जाने कब से उन की बातोें को सुन रही थीं. उन की आंखों में एक अजीब सा आक्रोश झलक रहा था.

‘‘यामिनी, ड्यूटी रूम में चलो. मुझे तुम से एक बहुत जरूरी काम है.’’

यामिनी मिसेज डेविडसन का बहुत सम्मान करती थी. बिलकुल अपनी मां के समान उन्हें मानती थी. उन के ‘बहुत जरूरी काम’ का अर्थ वह समझ रही थी किंतु आज वह उन की डांट खाने के मूड में नहीं थी. वह जानती थी कि मिसेज डेविडसन अपने अनुभवों का हवाला दे कर उसे समाज, रिश्ते, दुनियादारी पर लंबीचौड़ी नसीहतों का कुनैन पिलाएंगी.

ऐसा नहीं था कि यामिनी, डेविडसन के मन में करवटें ले रही शंकाओं को समझती नहीं थी, किंतु उस से अधिक वह अपने मन को और विचारों को समझती थी. उस के मन में तथा विचारों के किसी भी कोने में ऐसा कुछ भी नहीं था, जैसा डेविडसन समझती थीं.

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एक ममतामयी मां के रूप में यामिनी को डेविडसन अपनी बेटी ही समझती थीं. निपट अकेली यामिनी को किसी रिश्ते का कोई सहारा नहीं था, अत: एक लड़की का सब से बड़ा अवलंब, सब से भरोसेमंद रिश्ता, मां का रिश्ता वह यामिनी को देना चाहती थीं, और दे भी रही थीं.

ड्यूटी रूम में यामिनी अकेली थी. डाक्टर राउंड पर आ कर जा चुके थे. उन्हीं के पीछेपीछे डेविडसन भी अस्पताल परिसर में बने नर्सेज होस्टल में लंच कर लेने जा चुकी थीं.

यामिनी को होस्टल में कमरा नहीं मिल पाया था. वह अस्पताल से दूर किराए के एक छोटे से मकान में एक ट्रेनी नर्स के साथ रह रही थी. इसलिए दोपहर का खाना वह टिफिन में लाती थी, किंतु आज सुबह ही उसे जिस अफरातफरी से हो कर गुजरना पड़ा था, उस से उसे टिफिन लाने की सुध ही नहीं थी. आज यामिनी को अपने परिवार की बहुत याद आ रही थी, जिन से अब वह जीवन में कभी भी मिल नहीं सकती थी. आंखें बंद कीं तो उस का अतीत चलचित्र की तरह सामने आ गया.

रोबोट्स कह रहे हैं… थैंक यू कोरोना

लगभग तीन साल पहले जब चेन्नई में पहला रोबोट थीम रेस्त्रां खुला था, जहां भोजन परोसने में रोबोट मदद करता है, तो उसकी चेन्नई के बुद्धिजीवियों ने खासी आलोचना की थी। हालांकि यह आलोचना धरना प्रदर्शन जैसी तो नहीं थी लेकिन कई गोष्ठियों और सेमिनारों में चेन्नई के बुद्धिजीवियों ने इस रेस्त्रां का नाम लेकर आने वाले दिनों में इंसानों के लिए मशीनो से संकट के उदाहरण गिनाये थे।

कोरोना के डर के चलते इस रेस्त्रां में खाने गये हैं

बुद्धिजीवियों के मुताबिक मुनाफे के लिए यह इंसानी मजदूरों की, की गई आमनवीय उपेक्षा थी। लेकिन कोरोना के संकट ने एक झटके में ही न सिर्फ हिंदुस्तान में बल्कि पूरी दुनिया में रोबो सर्विस वाले रेस्टोरेंटों को रातोंरात मान्यता तो दिला ही दी है, उन्हें ज्यादा उपयोगी और पसंदीदा रेस्त्रांेज में भी बदल दिया है। यही नहीं आज की तारीख में इन रेस्त्रोंज को सामयिक उद्यमशीलता का पर्याय भी माना जाने लगा है।

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शायद यही वजह है कि पिछले एक हफ्ते में दक्षिण भारत में आधा दर्जन नये रोबो सर्विस वाले रेस्त्रोंज का ऐलान हुआ है। चेन्नई के पहले रोबोट थीम वाले रेस्त्रां के मालिक वैंकेटेश राजेंद्रन और उनके पार्टनर कार्तिक कन्नन न सिर्फ अचानक ग्राहकों से मिले इस प्रेम से खुश हैं बल्कि उनके रेस्त्रोंज का कारोबार भी कोरोना के बाद से काफी बढ़ गया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अखबारों और सोशल मीडिया में उन्हें पिछले कुछ दिनों में काफी पब्लिसिटी मिली हैं। सबसे ज्यादा सोशल मीडिया में उन नये ग्राहकों की ओर से ये पब्लिसिटी की गई है, जो पहली बार कोरोना के डर के चलते इस रेस्त्रां में खाने गये हैं और भोजन परोसने वाले रोबोट्स के साथ अपनी सेल्फी लेकर उसे सोशल मीडिया में डाली है।

जहां वेटर्स के रूप में रोबोट काम कर रहे हैं

अगर वैश्विक परिदृश्य में देखें तो यही काम और बड़े पैमाने पर हुआ है। हालांकि यह कहना गलत होगा कि कोरोना वायरस के खौफ के पहले यूरोप और अमरीका में रोबोट वेटर्स वाले रेस्टोरेंटों की कमी थी या वे नहीं चल रहे थे। लेकिन यह कहना भी सही है कि कोरोना के खौफ के बाद से ऐसे रेस्टोरेंट कहीं ज्यादा ग्राहक आकर्षित कर रहे हैं, जहां वेटर्स के रूप में रोबोट काम कर रहे हैं। क्योंकि लोगों के दिलो दिमाग में यह बात बैठी हुई है कि इंसान चाहे कितनी ही सजगता क्यों न बरते, मगर वह कोरोना वायरस से रोबोट के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी से संक्रमित होता है। हालांकि जो वैज्ञानिक तथ्य आये हैं, उनके मुताबिक लोहे और स्टील की सतह में भी कोरोना वायरस तीन से नौ घंटे तक जिंदा रह सकता है। यह सतह की अलग-अलग बनावट और गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

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वैसे हिंदुस्तान के पहले रोबोट थीम वाले रेस्त्रां के मालिक और उसके सहप्रबंधक ऐसा नहीं मानते कि महज कोरोना के चलते उन्हें रिकोगनेशन मिल रहा है। राजेंद्रन के मुताबिक, ‘धीरे-धीरे अब लोग रोबोट वेटर्स वाले रेस्टोरेंट के साथ सहज हो रहे हैं। यही वजह है कि पहले के मुकाबले आज कहीं ज्यादा लोग उनके रेस्त्रां आ रहे हैं।’ उनके पार्टनर कार्तिक कन्नन के मुताबिक, ‘लोग अपने परिवार के साथ बाहर जाने पर कुछ नया और रोमांचक की तलाश करते हैं। इसी वजह से सिर्फ चेन्नई में ही नहीं बल्कि कोयंबरटूर और बंग्लुरु में भी हमारे रोबो थीम वाले रेस्त्रां काफी पहले से ग्राहकों द्वारा पसंद किये जा रहे हैं।’

दुनिया की शायद ही कोई एयरलाइंस इस समय ऐसी बची हो

हो सकता है यह रोबो रेस्त्रों के मालिकों की महज कारोबारी सजगता के बयान हों। लेकिन इन बयानों के इतर यह बात तो माननी ही पड़ेगी कि कोरोना वायरस ने सिर्फ लोगों के सामाजिक संबंधों को ही प्रभावित नहीं किया बल्कि इसने अपने पहले तक चली आ रही अर्थव्यवस्था के ढांचे को आमूलचूल ढंग से बदल दिया है।

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अगर हम नेताओं की न भी मानें तो भी अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस वायरस ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की सिर्फ चूल्हे ही नहीं हिलाया बल्कि उसे इतने भयानक तरीके से झकझोर दिया है कि इसके अस्थि पंजर हिल गये हैं। अकेली टूरिज्म इंडस्ट्री को ही अब तक 20 अरब डाॅलर से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। दुनिया की शायद ही कोई एयरलाइंस इस समय ऐसी बची हो, जो भारी आर्थिक संकट की तरफ न बढ़ रही हो।

सामाजिक और भावनात्मक स्वीकार्यता भी इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा हो चुकी है

कोरोना वायरस हिंदुस्तान के लिए एक और नोटबंदी का सबब बनने जा रहा है। इसका इशारों में उल्लेख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 मार्च 2020 की शाम को राष्ट्र के नाम किये गये अपने संबोधन में किया है। हालांकि वह तकनीकी शब्दावलियों के जरिये लोगों में यह भ्रमपूर्ण भरोसा बनाने की कोशिश कर रहे थे कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की देखरेख में एक कोविड-19 इकोनोमिक टाॅस्क फोर्स बनायी गई है, जो ऐसे तमाम संकटों से निपटने में मदद करेगी, जो महज कोरोना वायरस के चलते प्रकट हुए हैं। लेकिन हम सब जानते हैं कि ये सिर्फ ढांढस दिलाने की बात है, हकीकत यही है कि कोरोना वायरस ने एक तरफ जहां अपने खौफ से अर्थव्यवस्था को झकझोर दिया है, वहीं इसी झटके में उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट मशीनों को भी इंसानों के बीच स्थापित कर दिया है।

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यह इसलिए भी आने वाले दिनों में मजबूत चलन बनकर उभरेगा क्योंकि इंसानी कर्मचारियों के मुकाबले रोबोट बहुत सस्ता पड़ता है और अब तो इसकी सामाजिक और भावनात्मक स्वीकार्यता भी इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा हो चुकी है तो निश्चित रूप से एआई के कारोबारी और अगर माना जाए कि आने वाले दिनों में इन रोबोट में इंसानों की तरह जान भी होगी तो काफी पहले ही यह कल्पना की जा सकती है कि रोबोट भी अपने को अच्छे ढंग से स्थापित करने के लिए कोरोना वायरस को धन्यवाद कर रहे होंगे।

गर्मी के मौसम को ऐसे बनाएं खुशहाल, मौसम में न करें ये काम  

थोड़ी सी सावधानी बरते  गर्मी के मौसम को खुशहाल बनाये !  

कहा जाता है कि गर्मी आई, समस्या  लाई. लेकिन इस गर्मी अगर आप थोड़ी सी सावधानी बरते तो ये गर्मी आपके लिए समस्याओ का पहाड़ खड़ा करने के बजाये, खुशियों की बरसात करेंगी.  आप की थोड़ी सी लापरवाही आपके लिए भरी पड़ सकती है.गर्मी का मौसम  कुछ कामो के लिए बुरा तों कुछ कामो के लिए खास होता है. इस मौसम में क्या करे,क्या ना करे, कैसे रखे अपने-आप कों कूल-कूल, क्या खाए एवं कैसे रखे अपना ख्याल इन सब पर  प्रस्तुत है, यह आलेख। ताकि आपके लिए यह गर्मी यादगार बन जाये.

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.इन बातो का ध्यान रखें घर से बाहर निकलते समय, सीधे अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचें.सर पर कैप या कोई कपड़ा अवश्य रखें सीधी धूप से आपके बाल रूखे भूरे हो सकते है. आखों पर काला चश्मा अवश्य लगायें ताकि सीधी धूप आंखों को न लगे तथा पसीना आंखों में जाने से आंखों को नुकसान पहुंचाता है. घर से कभी खाली पेट बाहर न जायें.खाली पेट लू जल्दी लगती है या बाहर का खाया पिया तो इंफेक्शन जल्दी हो सकता है. गर्मी के दिनों में ज्यादा से ज्यादा लिक्विड़़ पियें जैसे नींबू की मीठी ,नमकीन शिकंजी, फलों का रस या फिर अधिक पानी वाले फल जैसे खरबूजा,तरबूज,खीरा ,ककड़ी इत्यादि. मौसमी फलों का सेवन करें। उपर बताई गई तमाम बातों पर ध्यान देकर हम तमाम मौसमी बिमारियों(वायरल इंन्फक्शन) से बच सकते हैं.यही हील एण्ड हेल्थ का मकसद है.आपको तमाम स्वास्थ्य संबंधि किसी भी परेशानी में पडऩे से पहले बचाने की.

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  • इनसे करे परहेज कैफिन युक्त चीजें और सॉफ्ट ड्रिंक्सकासेवनकमसेकमकरें.इनमेंप्रिजरवेटिव्स, रंगवशुगर कीभरपूर मात्राहोतीहै.येअम्लीयप्रकृति और डाइयूरेटिक होते हैं, जो शरीर से पानी मलमूत्र के रूप में निकालते हैं. सॉफ्ट ड्रिंक्समेंफॉस्फोरिकएसिडकीमात्राअधिकहोतीहै, जिसकाप्रभावपाचनतंत्रपर पड़ताहै.इससेशरीर मेंसेमिनरल्सकीमात्राभीकमहोजातीहै.एकसाथखानेकी बजाए बार-बार और थोड़े से अंतराल में कुछ खाते रहना चाहिए.तले हुए खाद्य पदार्थ जैसे बड़ा, पकौड़े, चिप्स, नमकीन, तेल व घी युक्त भोजन से बचें, क्योंकि इनमें थर्मल इफेक्ट होता है, जो गर्मी उत्पन्न करता है. बहुत ठंडे पेय पदार्थ पीने से बचें.एकदम गर्मी में ठंडा पीने से कुछ देर तो अच्छा लगता है, पर शरीर को ठंडक नहीं मिलती.इससे त्वचा की ब्लड वेसल्स पिचक जाती हैं जिससे शरीर से ताप कम निकल पाता है.बाजार में फलों के रस न पिएँ, क्योंकि प्रिजरवेटिव, कृत्रिम रंग और एसेंस डालकर बनाया जाता है जो नुकसानदायक होते हैं.

 .गर्मियों में क्या खाए :- लाइट डाइट, पौष्टिक और बिना फैट की चीजें खाने पर जोर दें.ज्यादा गर्म, तेज मसाले और अत्यधिक नमक युक्त खाने का सेवन कम करें.शरीर में नमक ऑर्गेनिक के रूप में सम्मिलितहोताहै, जोफल, सब्जियोंसेप्राप्त होताहै.नमककाइनऑर्गेनिकफार्मपचकर शरीर से बाहर निकलता है.इस मौसम में पानी अच्छी मात्रा में पिएँ. पानी शरीर को ठंडा बनाए रखने में मददगार होता है.पानी पीने से शरीर की गर्मी सही रूप से बाहर निकलती है. यह शरीर को हाइड्रेट भी करता है. रोजाना कम-से-कम 8-10 गिलास पानी पिएँ. चाहे आप शारीरिक गतिविधियाँ करें या न करें. हाँ, पर हर जगह का पानी पीने से बचें.इस मौसम में नींबू पानी, नारियल का पानी और छाछ का सेवन अच्छी मात्रा में करना चाहिए.ये न केवल शरीर को ठंडक पहुँचाते हैं, बल्कि जो पानी शरीर से पसीने के रूप में निकल जाता है उसकी आपूर्ति भी करते हैं. कटे हुए फल विशेषकर तरबूज, खरबूजा, सड़े हुए पुराने फल या इनके जूस का कतई सेवन न करें. ताजा फल ही खरीदें। कटे हुए फलों को उसी समय उपयोग में लाएँ. यहाँ तक कि फ्रिज में भी ज्यादा समय तक कटे हुए फलों को न रखें.गर्मियों में पुदीना बहुत लाभदायक है, पौष्टिक होने के साथ-साथ पुदीने में शरीर को ठंडा करने के गुण भी होते हैं. इसे छाछ, दही, रोटी में मिलाकर खाएँ.इस मौसम में ताजा फल और सब्जियाँ खूब खाएँ, कोशिश करें कि सलाद, फ्रूट चाट और जूस जरूर अपने खानपान में शामिल हों.

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.गर्मी में आजमाए घरेलू नुश्खे फलों में ज्यादातर मौसमी फल ही खाने की कोशिश करें,जैसे तरबूज,खरबूजा, खीरा, ककड़ी, टमाटर मौसमी फल नैचुरल वाटर(मिनिरल वाटर)से भरपूर होते हैं,जिनकी आपके शरीर को बहुत जरूरत होती है धूप में अधिक समय तक रहने से हमारे शरीर का अधिकतर पानी पसीना बनकर उड़ जाता है और तेज धूप से त्वचा लाल होकर खुजली,चकत्ते,दाने इत्यादि भी हो सकते है इसीलिए अदिक पानी का सेवन करे और हो सके तो पानी मे गुलोकोस डाल कर पिये कम से कम दिन मे एक बार अवश्य ही नीबू का पानी पिए.ये नुश्खे आपके शरीर में पानी की कमी को दूर करते है लू से बचने का एक तरीका और भी है, घर से बाहर निकलने से पहले या बाहर से आने के बाद कच्चे आम का पन्ना  पी सकते हैं.कच्चे आम का पन्ना (शर्बत मीठा या नमकीन)भी ले सकते हैं.

मेरी मां रात को बगैर कपड़ों के सोती हैं, 2 बार मां ने मुझे संबंध बनाने दिया, पर अब वे मना करती हैं मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 28 साल का हूं. मेरे पिता नहीं हैं. घर में सिर्फ 35 साला मां हैं. रात को वे बगैर कपड़ों के सोती हैं और मैं भी उन्हीं के साथ सोता हूं और रातभर हमबिस्तरी के लिए तड़पता रहता हूं. 2 बार मां ने मुझे संबंध बनाने दिया, पर अब वे मना करती हैं. मैं क्या करूं, क्योंकि मुझ से रहा नहीं जाता है?

जवाब

मां आप से सिर्फ 7 साल बड़ी हैं. जाहिर है कि वे सौतेली हैं. भले ही वे सौतेली हों, पर आप को इस रिश्ते की मर्यादा बनाए रखनी चाहिए. आप जल्दी से जल्दी अपने स्तर की लड़की खोज कर शादी कर लें. मां का मजाक न बनाएं.

मेरी शादी को 3 साल हो चुके हैं, पति रोजाना संबंध बनाने के लिए मारपीट

आप के पति कोई गुनाह नहीं कर रहे हैं, बस उन का तरीका गलत है. यही काम वे प्यार से भी कर सकते हैं. आप को भी अगर कोई तकलीफ होती है, तो उस बारे में पति को तसल्ली से बता सकती हैं. जब आप इतनी गहराई से जुड़ी हैं, तो बात करने में झिझकना नहीं चाहिए. वैसे, पति का हक है आप के साथ संबंध बनाना, लिहाजा मना न करें.

अगर आप भी इस समस्या पर अपने सुझाव देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जाकर कमेंट करें और अपनी राय हमारे पाठकों तक पहुंचाएं.

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मैं जब भी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं….

सवाल
मेरी समस्या मेरे और पति के शारीरिक संबंधों को ले कर है. मैं जब भी पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती हूं तो जल्दी थक जाती हूं. शारीरिक संबंधों का पूरी तरह आनंद नहीं ले पाती क्योंकि इस दौरान मुझे दर्द होता है.

जवाब
कई बार जब महिला शारीरिक संबंध बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होती तब उस के साथ ऐसी ही समस्या पेश आती है जैसी आप के साथ आ रही है. इस के अलावा वैजाइनल ड्राइनैस भी सैक्स संबंधों के दौरान दर्द का कारण बनता है, इस के लिए आप चाहें तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क कर सकती हैं.

सैक्स संबंध को सुखद बनाने के लिए फोरप्ले (चुंबन, सहलाना आदि) जैसी क्रियाएं अवश्य करें. जिस तरह संबंधों को प्रगाढ़ बनाने के लिए सैक्स जरूरी होता है, ठीक उसी तरह फोरप्ले भी जरूरी होता है.

फोरप्ले सैक्स से पहले की कुछ ऐसी क्रियाएं हैं जिन से सैक्स का न केवल खुल कर आनंद लिया जा सकता है बल्कि सैक्स के मजे को दोगुना भी किया जा सकता है. फोरप्ले न केवल सैक्स संबंधों का जरूरी हिस्सा होता है बल्कि इस से आप के साथी की भी सैक्स में रुचि बढ़ती है. यदि आप फोरप्ले करते हैं तो आप अधिक समय तक सैक्स का आनंद उठा पाएंगे. फोरप्ले मूड को तरोताजा करता है, शरीर को रोमांच से भर देता है. फोरप्ले पतिपत्नी को सैक्स के लिए तैयार करता है.

 

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