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मैं पिछले एक साल से एक लड़की से प्यार करता हूं, मैं कैसे पता करूं कि वह मुझसे प्यार करती है या नहीं?

सवाल

मैं पिछले एक वर्ष से एक युवती से प्यार करता हूं, लेकिन मुझे यह नहीं पता कि वह भी मुझ से प्यार करती है या नहीं. मैं जब भी उस की गली से निकलता हूं तो वह मुझे देख कर मुसकराती है व एकटक देखती रहती है, लेकिन कहती कुछ नहीं, बस नजरें मिला कर चली जाती है. मैं कैसे पता करूं कि वह मुझसे प्यार करती है या नहीं?

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जवाब

आप की बातों से तो यही लगता है कि वह युवती भी आप के प्रति आकर्षित है. उस का आप को देख कर मुसकराना और देखना भी यही साबित करता है कि वह आप से प्यार करती है, लेकिन जब तक आप उस से अपने मन की बात न कह दें और वह भी इसे स्वीकार न कर ले यह कहना मुश्किल है कि वह आप से प्यार करती है. तब तक आप का उस के प्रति प्यार भी एकतरफा ही माना जाएगा, जो ठीक नहीं. अत: कोशिश कीजिए इजहारे प्यार की व उस की स्वीकृति हासिल करने की, तभी प्यार परवान चढ़ेगा.

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Medela Flex Breast Pump: ब्रैस्ट पंप जो रखे मां और बच्चे का खास खयाल

 मां और बच्चे का रिश्ता दुनिया में सबसे ऊपर होता है, तभी तो उसके जन्म के बाद से ही मां  उसकी खास तरह से केयर करती है. उसे थोड़ी थोड़ी  में  फीड करवाती है, क्योंकि मां के दूध से ही बच्चे का संपूर्ण विकास जो होता हैचाहे उसे कितना ही दर्द क्यों हो, वह कभी घबराती नहीं. क्योंकि मां होती ही ऐसी जो है. ऐसे में जितना गहरा रिश्ता मां और बच्चे का होता है, उतना ही लगाव मेडेला का हर न्यू मोम्स से है. क्योंकि उसने उनकी परेशानी को अपना समझ कर समाधान जो निकाला है. ताकि मोम्स भी अपने बच्चे के न्यूट्रिशन के प्रति निश्चिंत हो  सकें

ट्रस्ट है तभी पहचान है 

किसी चीज की डिमांड मार्केट में आने की बस देर होती है कि उसे बनाने वाले हजारों मैनुफक्चरिंग कंपनीज उसे बनाने के लिए मार्केट में उतर जाती  हैं. अधिकांश प्रोडक्ट्स तो सिर्फ कहने भर के ही होते हैं. उसमें तो कस्टमर्स की जरूरतों को ध्यान में रखा जाता है और ही प्रोडक्ट की क्वालिटी पर. जिससे सिर्फ एक बार यूज़ करने के बाद ही कस्टमर्स का उस प्रोडक्ट पर से विश्वास उठ जाता है

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 ऐसे में मेडेला जो ब्रैस्ट पंप बनाने वाली कंपनी है और इसका हैड क्वाटर स्विज़रलैंड में स्तिथ  है , 60 सालों से शोधकर्ताओं के साथ मिलकर इस दिशा में प्रयासरत है, ने मोम्स की जरूरतों को समझकर ब्रैस्ट पम्प निकाले हुए हैं और समय के साथसाथ जो बदलाव भी जरूरी होते हैं उन पर भी खास ध्यान दिया जाता है. इसी कारण आज मेडेला ने मोम्स के दिलों में अपने लिए एक खास पहचान बना ली है. उनके प्रोडक्ट्स की यूनिक रेंजजिसमें स्विस मेड ब्रैस्ट पंप्स भी शामिल हैं , सिर्फ दुनिया भर के हैल्थ केयर प्रोफेशनल्स की बल्कि अब  हर मोम की चोइस बन गए हैंआज मेडेला ब्रैस्ट फीडिंग प्रोडक्ट्स में ग्लोबल प्लेयर की भूमिका निभा रहा है

मदर मिल्क को ही महत्वता 

मां के दूध में प्रोटीन, वसा , विटामिन और कार्बोहाइड्रेट्स का सही संयोजन होता है, जो बच्चे में विकास में मदद करता है. जबकि फार्मूला मिल्क से सिर्फ बच्चे की भूख शांत होती है, और यह बच्चे के शरीर की हर जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता  है. इस बात को मेडेला समझता है तभी वह बच्चे को मां का दूध पिलाने को ही प्राथमिकता देता है. और मां के दूध की हर बूंद का फायदा बच्चे को मिले और इससे मां को भी किसी तरह की कोई परेशानी हो , इसी बात को ध्यान में रखकर मेडेला ने ब्रैस्ट पंप डिज़ाइन किए हुए  हैंइससे दूध निकालते हुए मां को बिलकुल ऐसा एहसास होता है जैसे उसका बच्चा उसके स्तनों को स्पर्श कर रहा हो

फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप्स 

मेडेला का फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप हर मोम्स के लाइफस्टाइल में बिलकुल फिट बैठता हैये काफी लाइट होने के कारण इसे यूज़ करना काफी आसान हैइसके न्यू  फ्लेक्स टेक्नोलोजी पंप्स  और एक्सेसरीज दुनिया भर में मिलियंस मोम्स के लिए अपने बच्चे के लिए परफेक्ट चोइस बनकर सामने रहे हैं.  

न्यू फ्लैक्स पंप्स में ओवल शेप की शील्ड होती है, जो मोम्स के वास्तविक स्तनों के आकार में फिट हो जाती है, जो काफी कम्फर्टेबल और सक्षम है, ऐसा  4 क्लीनिकल परीक्षणों में पाया गया है . यही नहीं बल्कि ये हर तरह की ब्रैस्ट फीड करवाने वाली मोम्स की जरूरतों  को भी पूरा करता है, . इसकी मदद से बच्चों का फीडिंग रूटीन नॉर्मल होने से मोम्स भी काफी रिलैक्स फील करती हैं, और इससे उनकी बॉडी को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचता है जैसे प्रेशर मार्क्स की कोई समस्या नहीं होती है. पारंपरिक ब्रैस्ट शील्ड के मुकाबले ये 11 पर्सेंट ज्यादा स्तनों से दूध निकालने में सक्षम है. और स्तनों से दूध निकलने की प्रक्रिया भी बिलकुल नेचुरल है, जो काफी खास है

 हर मां यही चाहती है कि वो जो भी प्रोडक्ट ख़रीदे वे हर मायने में अच्छा हो. फिर चाहे बात हो गैजेट्स खरीदने की या फिर खुद के लिए या बेबी के लिए प्रोडक्ट खरीदने की, ऐसे में फ्लैक्स ब्रैस्ट पंप उनके लिए बेस्ट चौइस है. तो फिर जब हो मेडेला का साथ तो क्यों हो बच्चे के पोषण की चिंता

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करण पटेल होंगे ‘कसौटी जिंदगी की 2’ के नए ‘ऋषभ बजाज

‘आईएफटीपीसी’, ‘सिंटा’, ‘एफ डब्लूआई सी ई’ तथा ब्राडकास्टर के बीच आम सहमति बनने के बाद बौलीवुड में गतिविधियां तेज हो गयी हैं.एक जुलाई तक  लगभग दो दर्जन सीरियलों की शूटिंग शुरू हो जाएगी.अब तक खबरे गर्म थी कि ज्यादातर सीरियलों में  कलाकार बदल जाएंगे,मगर जिस तरह से आम सहमति बनी है,उसे देखते हुए ऐसा कम होगा.पर कुछ सीरियलों में नए कलाकार किरदार निभाते हुए नजर आ सकते हैं.

इनमें से एक है ‘‘कसौटी जिंदगी की 2’’.जिसमें अब ऋषभ बजाज के किरदार में एकता कपूर के पसंदीदा कलाकार करण पटेल नजर आएंगे. वैसे इस किरदार को निभाने की होड़ में गौरव चोपड़ा व शरद केलकर भी नजर आ रहे थे, पर अंतिम फैसला करण पटेल के पक्ष में ही हुआ. अब तक ऋषभ बजाज की भूमिका करण सिंह ग्रोवर निभा रहे थे.ज्ञातब्य है कि करण पटेल इससे पहले एकता कपूर निर्मित सीरियल‘‘ये है मोहब्बतें’’में छह वर्ष तक रमण भल्ला का किरदार निभा चुके हैं.

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Jaane kya hoga rama re ….. ??

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इतना ही नही जब‘‘कसौटी जिंदगी की 2’’की शुरूआत हुई थी,तब इस सीरियल में उन्होने एक छोटी सी भूमिका निभायी थी. जब 2001 से 2008 तक ‘‘कसौटी जिंदगी का’प्रसारित हुआ था,उस वक्त ऋषभ बजाज के किरदार को रोनित रौय ने निभाया था.फिर  जब 2018 में इसका दूसरा सीजन यानी कि ‘‘कसौटी जिंदगी की 2’’ शुरू हुआ तो,ऋषभ बजाज का किरदार करण सिंह ग्रोवर निभा रहे थे.पर सूत्रों के अनुसार कुछ दिसंबर 2019 में करण सिंह ग्रोवर ने यह कह कर इस सीरियल को छोड़ दिया था कि अब इस किरदार में कुछ भी करने के लिए नही रहा.मगर फरवरी माह में  उन्होने दुबारा इससे जुड़ना चाहा था,


वह शूटिंग शुरू करते उससे पहले ही कोरोना व लाॅकडाउन के चलते शूटिंग बंद हो गयी थी.सूत्रों के अनुसार पुनः शूटिंग शुरू होने की खबरों के बीच करण सिंह ग्रोवर और एकता कपूर के बीच बदले हालात में पारिश्रमिक राशि की कटौती को लेकर मतभेद हुए,तो करण सिंह ग्रोवर ने इससे न जुड़ने का ऐलान कर दिया, उसके बाद नए ऋषभ बजाज की तलाश शुरू हुई थी,जो कि करण पटेल पर जाकर ठहरी है.

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उधर एक अंग्रेजी दैनिक से बात करते हुए करण पटेल ने कहा है-‘‘सीरियल‘कसौटी जिंदगी की ’’में ऋषभ बजाज एक आयकॉनिक किरदार है.जो कि कई वर्षो से लोगों के दिलो दिमाग में छाया हुआ है.ऐसे में इस किरदार को रोनित रौय और अब करणवीर वोहरा ने जिस मुकाम पर अपने अभिनय से पहुंचाया है, उसमें अपनी तरफ से कुछ नया डालते हुए आगे ले जाने की जिम्मेदारी को स्वीकार करना गौरव की बात है.जब मैं किसी किरदार को निभाने की जिम्मेदारी स्वीकार करता हूं,तो उस किरदार को समझने की मेरी अपनी एक अलग प्रक्रिया है.मैं हमेशा दिल की सुनता हूं.वैसे भी मैं स्पॉटेनिस कलाकार हूं, पहले से किसी किरदार की तैयारी नहीं करता.’’

 

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…. “Mehnat ka phal aur muscle, dono meethe hote hai” ???

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सूत्र दावा कर रहे हैं कि  इस बार ऋषभ बजाज का लुक भी बदलेगा.और करण पटेल के आगमन के साथ ही कहानी में बहुत बड़ा बदलाव आने वाला है.मगर फिलहाल करण पटेल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं.इस सीरियल की कहानी के अनुसार अनुराग (पार्थ समथान) और प्रेरणा (एरिका फर्नांडीस) के जीवन में ऋषभ बजाज की अहम भूमिका है.

अंकिता लोखंडे के लिए सुशांत के पिता ने कहीं ये बात

सुशांत सिंह राजपूत ने 14 जून 2020 को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इसके बाद जो उनके परिवार और फैंस के हालात हुए है उसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. सुशांत के परिवार वाले अभी भी गम में डूबे हुए है. उन्हें बेटे के जाने का सदमा अभी भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

सुशांत सिंह राजपूत के जीवन में न जानें कौन सी ऐसा परेशानी आई थी जिसके लिए उन्होंने अपनी दुनिया हमेशा के लिए खत्म कर लिया.

सुशांत सिंह राजपूत अपने मां-बाप के इकलौते औलाद थें. साथ में उनकी चार बहने थी. बेटे के मौत के करीब 2 हफ्ते बाद सुशांत के पापा मीडिया के सामने आकर बातचीत किए हैं. जिस दौरान उन्होंने बहुत सारे बातों का खुलासा किया है.

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सुशांत के पिता ने अंकिता लोखंडे पर खुलकर बाते किया. सुशांत और अंकिता लगभग 6 साल तक एक साथ में थें. उनकी पहली मुलाकात पवित्र रिश्ता के सेट पर हुई थी. जहां से दोनों ने एक- दूसरे को पसंद करना शुरू कर दिया था. दोनों ने शादी करने तक का फैसला कर लिया था.

लेकिन सारे सपनों को यहीं छोड़कर सुशांत अपनी अलग दुनिया बसा ली. यहां से कहीं दूर जहां से कोई कभी वापस नहीं आ सकता है.

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सुशांत के पिता ने बताया कि अंकिता से उसकी मुलाकात मुंबई में ही नहीं पटना में भी हुई थी. उन्होंने कहा कि वह पटना भी आई थी. यह रिश्ता संयोग ही है जो होते-होते रह गया.

सुशांत के जीवन में अंकिता एक ऐसी लड़की थी जिससे मैंने बात किया था. तीन साल तक मन्नत मांगने के बाद सुशांत का जन्म हुआ था. उससे पहले उनकी तीन बहन थी.

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सुशांत घर में छोटे थे लेकिन सबके प्यारे भी थें. सुशांत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा की रिलीज डेट कल ही सामने आई है. इसका खुलासा उनके खास दोस्त ने किया है. दिल बेचारा को हॉट स्टार पर 24 जुलाई को लॉन्च किया जाएगा.

‘फेयर एंड लवली’ अब नहीं रहेगी ‘फेयर’, आखिर क्यों लेना पड़ा ये फैसला?

समय चाहे कितना भी बदल गया हो रंगभेद को लेकर हमेशा चर्चा बनी रहती है और इसको बढ़ावा देते हैं विज्ञापन. आज टीवी पर कई ऐसे विज्ञापन दिखाए जाते हैं  जिसमें  इंस्टेंट तरीके से आपकी लाइफ चेंज हो जाती है और इन सब विज्ञापन में हिंदुस्तान लीवर का फेमस विज्ञापन ‘फेयर एंड लवली’ सबसे ऊपर हैं. जिसमें एक लड़की चंद मिनटों में काली से गोरी बन जाती है.

ये ब्रांड गोरा बनाने वाले दावे को लेकर भी काफी चर्चा में रहा है. हिंदुस्तान लीवर का 45 साल पुराना ‘फेयर एंड लवली’ ब्रांड 1975 में लॉन्च  हुआ था. तब से कंपनी अपने प्रचार में कई मशहूर मॉडल्स, बॉलीवुड एक्टर्स को विज्ञापन में सांवले रंग से गोरा होते दिखाती रही है.  इस विज्ञापन में हमेशा यही संदेश दिया जाता रहा है कि गोरापन चाहिए तो इस क्रीम का इस्तेमाल करें.

इस तरह के आकर्षित विज्ञापन को देखकर सांवली लड़कियां भी ये मान लेती हैं कि अगर वो भी इस क्रीम का इस्तेमाल करेंगीं तो वह  गोरी हो सकती हैं. ये विज्ञापन इस तरह से सांवली लड़कियां पर हावी हो गया  कि हर सांवली लड़की इस क्रीम को खरीदने में मजबूर हो गई.

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आखिर ऐसा क्यों है कि जब  हम और आप इस तरह के  आर्टिफिशियल विज्ञापन  को दिखते हैं तो इतने  क्यों आकर्षित हो जाते है की वो हम पर इस तरह हावी हो जाता है और हम उसे खरीदने के लिए मजबूर हो जाते हैं. अगर इसके पीछे कारण जानें तो देखेंगे कि हम और  हमारा समाज ही है जो इस तरह के विज्ञापन को बढ़ावा दे रहा है. हम चाहे कितने भी पढ़े-लिखे हो जाएं पर रंग को लेकर आज भी हम गोरे रंग को प्राथमिकता देते हैं.

आज भी पुराने समय की तरह वैवाहिक विज्ञापन में गोरी लड़की पाने की चाहत सबसे पहले होती है. इससे आप इस बात का अंदाजा लगा सकते है कि हमारे समाज की मानसिकता आज भी कुंठित है और गोरेपन को लेकर लोग कितने सजग रहते है. हमारा समाज ही है जो इस रंगभेद को बढ़ावा देता आ रहा है जिसका परिणाम यह है की विज्ञापन हमारी कमियों को भाप कर उसी तरह के विज्ञापन बना रहे है जिससे हम आकर्षित हो कर प्रोडक्ट खरीदने के लिए मजबूर हो जाएं. इसका जीता-जागता सबूत हिंदुस्तान यूनीलीवर की क्रीम ‘फेयर एंड लवली’ है. जिसने सांवली  रंगत को गोरा बनाने का जिम्मा उठाया है.

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देश में गोरेपन की क्रीम के मार्केट का 50 से 70 फीसदी हिस्सा “फेयर एंड लवली” के पास ही है.  पर अब  हिंदुस्तान यूनी लीवर ने ये घोषणा करी है कि वो ‘फेयर एंड लवली’  से फेयर शब्द हटा रहा है साथ ही  फेयरनेस, वाइटनिंग और लाइटिंग जैसे शब्दों का कभी इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया है, साथ ही ये भी कहा है कि अब हर तरह की स्किन टोन वाली महिलाओं पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.

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आपको बता दे पिछले कुछ सालों से खूबसूरती और गोरेपन के मामले में कंपनी के इस प्रोडक्ट का विरोध होता रहा है. इसी के चलते ही कई महिला संगठनों ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि  किसी महिला की खूबसूरती का आंकलन उसके रंग से नहीं होना चाहिए. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए सरकार का मानना है की  कुछ विज्ञापन लोगों को भ्रम में डाल देते हैं, जिसके कारण लोग न चाहते हुए प्रोडक्ट को खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं. इसलिये सरकार ऐसे विज्ञापनों पर जुर्माना  लगाने की पेशकश कर रही जो फेयरनेस का दावा ठोकती है. सिर्फ इतना ही नहीं जुर्माने के साथ ही सजा को भी सुझाव में शामिल किया है.

अब देखना यह है कि जिस तरह से हिंदुस्तान यूनीलीवर ने अपने सबसे पुराने प्रोडक्ट के नाम को बदलने का फैसला लिया है तो क्या और भी  जानी मानी  कंपनी अपने फेयरनेस प्रोडक्ट का नाम बदलेंगी .

गमलों में टैरेस गार्डन बनाने की तकनीक

दुनिया में कई देशों को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने एक महामारी ऐलान कर दिया है. इस कोरोना वायरस का असर सेहत के साथसाथ शिक्षा जगत और अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा रहा है. भारत भी कोरोना की मार से अछूता नहीं है, लेकिन हमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रह चुके विंस्टन चर्चिल के इस कथन को याद रखना चाहिए कि चुनौतियों को भी अवसर के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए.

सवाल है कि भारत के सामने इस महामारी से उपजी चुनौतियां क्या हैं और उन को कैसे अवसर में बदला जा सकता है? इस के लिए कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग मतलब ‘2 गज दूरी बेहद जरूरी’ पर अमल करते हुए अपने घरों में रहते हुए इस अवसर को अच्छे काम में बदलना होगा, इसलिए अब हम लोग अपने घरों की छत पर टैरेस गार्डन बनाने की कोशिश करें और गमलों में ही वाटिका का विकास करें.

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ऐसे मकान, जिन के आसपास जमीन खाली नहीं रहती, ऐसी जगह पर केवल गमलों में ही सब्जियां उगा कर गृह वाटिका बनाई जाती है. इस के लिए अपनी सुविधा, जगह और जरूरत को देखते हुए गमलों का चुनाव करना चाहिए.

घर में अपनी कोशिश से सागभाजी को उगाना और उन का सेवन करना सुख और संतोष तो देता ही है, साथ ही कैमिकल रहित सब्जी भी आसानी से मिल जाती है.

ऐसे करें गमलों का चुनाव

अपने आसपास की जगह और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए गमलों का चुनाव किया जाता है. गमले का आकार पौधे के मुताबिक अलगअलग, किंतु समानता 20 सैंटीमीटर से 45 सैंटीमीटर होती है. गढ़वाली सब्जियों के लिए गहरे गमले ठीक होते हैं. टमाटर, बैगन, शिमला मिर्च, भिंडी, तोरई, खीरा, ककड़ी वाले पौधों में बड़े गमले उपयोग होते हैं.

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गमलों का प्रकार

आजकल बाजार में मिट्टी के गमले, प्लास्टिक के गमले, चीन के गमले, टीन के डब्बे, सीमेंट के गमले, लकड़ी की पेटियां आसानी से मिलती हैं. इस के अलावा आप प्लास्टिक के कट्टों का भी उपयोग कर सकते हैं या फिर बाजार में आजकल ग्रो बैग्स के नाम से बैग मिलते हैं, उन को भी ले कर आप उपयोग में ला सकते हैं.

कैसे करें गमले की तैयारी

गमले में भरने वाली सामग्री को एकत्र करना चाहिए. इस के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. कंपोस्ट खाद में वर्मी कंपोस्ट, नाडेप कंपोस्ट या गोबर की सड़ी हुई खाद वगैरह उपलब्ध हो तो उस को भी ले लेते  हैं. उस के बाद गमले को भरने की तैयारी की जाती है.

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ट्राइकोडर्मा, माइक्रोराइजर और बविस्टिन की मात्रा अगर आसानी से उपलब्ध हो, तो इस को हर गमले में 1-1 चम्मच के साथ मिट्टी में मिला कर मिट्टी तैयार कर के उस के बाद गमलों को भर देना चाहिए, तो ये आप की सब्जी, फलफूल वगैरह की पौध की बढ़वार में अच्छा योगदान देंगे.

कैसे करें गमले की भराई

सब से पहले मिट्टी, कंपोस्ट और बालू तीनों को बराबर मात्रा में ले कर मिश्रण बनाते हैं. गमले की तली में छेद के ऊपर टूटे हुए गमले के टुकड़े या पत्थर के टुकड़े इस तरह रखते हैं कि छेद खुला रहे, ताकि छेद से फालतू पानी बाहर निकल सके. इस के ऊपर गमले का दोतिहाई भाग बनाए हुए मिश्रण से भर लेते हैं.

इस तरह गमला पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है. अगर राइजोबियम उपलब्ध है, तो हर गमले में तकरीबन एक चम्मच राइजोबियम को मिला कर गमले को भरेंगे तो और अच्छा होगा.

गमले में पौधे की रोपाई

चुने गए पौधों को पहले नर्सरी में लगा लेते हैं या पौध खरीद कर खुरपी की मदद से भरे हुए गमले के बीच में लगा देते हैं. इस के बाद जड़ के पास थोड़ा पानी दे देना चाहिए.

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गमले में खाद का इस्तेमाल

पौधे की जरूरत और मौसम के आधार पर खाद और उर्वरक का इस्तेमाल नियमित रूप से करना चाहिए. इस के लिए हर 2 महीने में 30 : 30 : 30 के अनुपात में यूरिया, सुपर फास्फेट और पोटाश का मिश्रण तैयार कर 30 सैंटीमीटर आकार वाले गमले में 15 ग्राम से 20 ग्राम प्रति गमला खुरपी की मदद से मिलाना चाहिए.

कैसे करें सिंचाई और

निराईगुड़ाई

पौध रोपाई के तुरंत बाद हजारा या प्लास्टिक मग से तुरंत सावधानी से सिंचाई कर देते हैं. इस के बाद नियमित रूप से जरूरत के मुताबिक प्रतिदिन हलकी सिंचाई करते रहना चाहिए, साथ ही छोटी खुरपी से गमले की ऊपरी सतह पर निराईगुड़ाई नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिए. इस से गमले में खरपतवार भी नहीं होता और हवा का संचार बना रहता है, जिस से गमलों में लगाई गई सब्जी या फिर फलफूल के पौधों में बढ़वार अच्छी होती है और उस का उत्पादन भी अच्छा मिलता है.

अगर आप आजकल समय का उपयोग करते हुए अपनी छतों पर टैरेस गार्डन बनाएंगे तो भविष्य में आप को पौष्टिक सब्जियां या फल तो मिलेंगे ही, साथ ही साथ हरियाली से अपने गार्डन में आप को अच्छी औक्सीजन भी हासिल हो सकेगी.

पश्चाताप- भाग 1: गार्गी मैरीन ड्राइव पर किसकी यादों में खोई थी?

लेखिक-पद्मा अग्रवाल

गार्गी टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी. उस के दिमाग में जीवन के पिछले वर्ष चलचित्र की भांति घूम रहे थे. उस की उंगलियां मोबाइल पर अनवरत चल रही थीं. आरव,  प्लीज, अब एक मौका दो. तुम ने मुझे प्यार, समर्पण, भरोसा, सुखसुविधा सबकुछ देने की कोशिश की, लेकिन मैं पैसे के पीछे भागती रही ऒर आज इस दुनिया में नितांत अकेली खड़ी हूं… “मैडम, कहां चलना है?” ड्राइवर की आवाज से उस की तंद्रा भंग हुई.

“मैरीन ड्राइव.”

मुंबई में गार्गी का प्रिय स्थान, मैरीन ड्राइव,  जहां समुद्र की उठती लहरें और लोगों का हुजूम देख कर उस का अकेलापन कुछ क्षणों के लिए दूर हो जाता है. आज वहां वह एक कालेज युगल को हाथ में हाथ डाले घूमते देख आरव की यादों में खो गई… गार्गी एक साधारण परिवार की महत्त्वाकांक्षी  लड़की थी.  उस ने अपने मन में सपना पाल रखा था कि वह किसी रईस लड़के से शादी करेगी. दूध सा गोरा रंग, गोल चेहरा, बड़ीबड़ी कजरारी आंखें, अनछुई सी चितवन, मीठी सी मुसकान के चलते वह किसी को भी अपनी ओर लुभा लेती थी.

आरव उस से सीनियर था. लेकिन पहली झलक में ही वह उसे देख मुसकरा पड़ी थी.  उस का कारण उस का बड़ी सी गाड़ी में कालेज आना था. 6 फुट लंबा, गोरा, आकर्षक  लड़का,  हाथ में आईफोन, आंखों पर मंहगा ब्रैंडेड गौगल्स देख गार्गी उस पर आकर्षित हो गई थी. सोशल साइट्स और व्हाट्सऐप पर चैटिंग शुरू होते ही बात कौफी तक पहुंची और जल्द ही दोनों ने एकदूसरे के हाथों को पकड़ प्यार का भी इजहार कर दिया था.

आरव ने एक दिन गार्गी को अपने मम्मीपापा से मिलवा दिया था.  उन लोगों ने मन ही मन दोनों के रिश्ते के लिए हामी दी थी. गार्गी कभी अपनी मां की तो सुनती ही नहीं थी, इसलिए उन की परमिशन वगैरह की उसे कोई फिक्र ही नहीं थी.

अब प्यार के दोनों पंछी आजाद थे. कालेज टूर, पिकनिक, डेटिंग, पिक्चर, वीकैंड में आउटिंग, वैलेन्टाइन डे  आदि पर बढ़ती मुलाकातों से दोनों के बीच की दूरियां कम होती गईं. दोनों के बीच प्यारमोहब्बत, कस्मेवादे, शादी की प्लैनिंग, शादी के बाद हनीमून कहां मनाएंगे, किस फाइवस्टार में बुकिंग करेंगे आदि बातें होती थीं.

गार्गी कुछ ज्यादा ही मौडर्न टाइप थी. नए फैशन के कपड़े, ड्रिंक, स्मोक, पब, डिस्को, ड्रग्स सबकुछ उसे पसंद  था. आरव उस के प्यार में डूबा हुआ उस का साथ देने के लिए नशा करने लगा और नशे में ही दिल का रिश्ता शरीर तक जा पहुंचा और उस दिन दोनों ने प्यार की सारी हदें पार कर दी थीं.

वैसे भी दोनों शीघ्र ही एकदूसरे के होने वाले थे ही.  आरव का प्लेसमेंट नहीं हुआ था, इसलिए वह परेशान रहता था. गार्गी उस से गोवा चलने की जिद कर रही थी. उस ने जोर से डांट कर कह दिया कि गोवा कहीं भाग जाएगा क्या?

गार्गी नाराज हो कर वहां से चली गई और बातचीत बंद कर दी. आरव अपनी चिंताओं में खोया हुआ था. दोनों ने छोटी सी बात को अपना अहं का प्रश्न बना लिया था. उस ने तो मोबाइल से उस का नंबर भी डिलीट कर दिया था.

कुछ ही दिन बीते थे. उस के जीवन में पुरू आ गया. वह आरव  से ज्यादा पैसे वाला था. और गार्गी बचपन से बड़े सपने देखने वाली लड़की थी. अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मार्ग में आए अवरोधों को दूर करने के लिए साम, दाम, दंड, और भेद सबकुछ आजमा लेती थी. एक दिन वह पुरू के साथ शहर के एक कैफे में बैठी थी कि उस की निगाह  एक टेबल पर बैठे आरव और उस के दोस्तों पर पड़ी. तो, उस ने जानबूझ कर उन्हें अनदेखा कर दिया .

पुरू उस का बौस था. वह कंपनी में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर था. आकर्षक, सजीला, सांवला, सलोना पुरू की सीनियर मैनेजर की पोस्ट और उस का बड़ा पैकेज देख कर उस ने उस के साथ चट मंगनी पट ब्याह रचा लिया. उस ने अपनी सगाई की फोटो फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर शेयर की थी. वह हीरे की अंगूठी पा कर बहुत खुश थी.

आरव को उस की फोटोज देख कर सदमा सा लगा था. उस ने कमेंटबौक्स में लिखा भी था- …वे प्यारमोहब्बत की बातें,  कसमेवादे, जो सपने हम दोनों ने साथ बैठ कर देखे थे, सब झूठे हो चुके…

शौकीन पुरू की जीवनशैली दिखावे वाली थी. उस का लक्जीरियस फोरबेडरूम फुल्लीफर्निश्ड फ्लैट, बड़ी गाड़ी और ऐशोआराम का सारा सामान देख गार्गी अपने चयन पर खिलखिला उठी. पार्टीज में जाना, जाम पर जाम छलकाना रोज का शगल था. गार्गी के लिए तो सोने के दिन और चांदी की रातें थीं.  उस ने यही सब तो चाहा था.

कुछ दिन खूब मस्ती में कटे- सिंगापुर, मौरीशस, हौंगकौंग, कभी गोवा के बीच पर तो कभी रोमांटिक खजुराहो, तो कभी ऊटी की ठंडी वादियां तो कभी कोबलम का बीच. गार्गी बहुत खुश थी. बस, एक बात उस की समझ में न आती कि पुरु अपने फोन पर लंबी बातें करता और हमेशा उस से हट कर, अपना लैपटौप भी लौक रखता…

गार्गी को यह महसूस हुआ कि पुरु ने उस के साथ शादी किसी खास मकसद से की  थी. वह, दरअसल, स्मग्लिंग के धंधे में उस का इस्तेमाल करता था. लेकिन वह तो इंद्रधनुषी सपनों में डूबी हुई थी. हसीन ख्वाबों में खोई हुई गार्गी ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी.

पुरु से मिलने लोग आते, कुछ खुसुरफुसुर बातें करते और रात के अंधेरे में ही चले जाते. पिछले कुछ दिनों से वह परेशान रहने लगा था. वह कहने लगा कि मेरी सैलरी अभी नहीं आई है, कंपनी घाटे में चल रही है आदिआदि.

एक दिन पुरु भागते हुए आया और गार्गी से बोला, “मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में इटली  जाना है. कुछ दिनों के बाद तुम्हें बुला लूंगा.” और वह जल्दीजल्दी अपना बैग पैक कर चला गया.

गार्गी बहुत खुश थी. वह कुछ दिनों बाद खुद भी इटली जाने की सोचने लगी. तभी कोरोना बम फट पड़ा और लौकडाउन होते ही सबकुछ ठहर सा गया. उसी के साथ उस के सपने धराशाई होते दिखाई पड़ने लगे. कुछ महीनों तक तो  पुरु से बात होती रही, फिर उस से संपर्क भी टूट गया.

औनलाइन पढ़ाई मुश्किल में छात्र अभिभावकों का’रोना

कोरोना संक्रमण और लौकडाउन की वजहों से इन दिनों देश व समाज में काफी कुछ बदलबदला सा है. महीनों से घर में रह रहे बच्चे अब जहां उकता चुके हैं, वहीं पेरैंट्स उन्हें संभालने की जद्दोजेहद में हैरान और परेशान हो रहे हैं.

घर में 24 घंटे बच्चों के रहने से जहां उन्हें पर्सनल स्पेस नहीं मिल पा रहा, वहीं उन की औनलाइन क्लासेज के चलते अभिभावकों की जेबों पर खर्च की दोहरी मार लग रही है.

अतिरिक्त भार

स्कूल की भारी फीस ज्यों की त्यों भरने के बाद अब उन के ऊपर इलैक्ट्रौनिक उपकरणों के खर्च का अतिरिक्त भार भी आ पड़ा है.

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2 बेटियों की मां सुचित्रा बताती हैं कि सीए कर रही बड़ी बेटी को पिछले साल ही उन्होंने लैपटौप दिलाया था. पर इस बार छोटी बेटी की औनलाइन पढ़ाई के खर्चों ने उन की आर्थिक कमर तोड़ कर रख दी है.

पहले मोबाइल में डाटा डलवा लेने पर उन का काम चल जाता था, लेकिन अब बेटी की औनलाइन स्टडी के लिए घर में वाईफाई लगवाना जरूरी हो गया है और वाईफाई के चलने में कोई दिक्कत न हो इस के लिए उन्हें आननफानन में इनवर्टर भी लगवाना पड़ गया, जिस से उन के पूरे महीने का बजट एक बार में ही गड़बड़ा गया.

10वीं की छात्रा अनुष्ठा ने कुछ दिनों तक अपनी मां के मोबाइल पर औनलाइन क्लास अटैंड की, लेकिन फिर उसे सिरदर्द व आंखों में पानी की शिकायत के चलते जब डक्टर को दिखाया गया तो उन्होंने उसे मोबाइल की छोटी स्क्रीन पर ज्यादा देर तक न देखने की सलाह दी. पर पढ़ाई तो रुक नहीं सकती थी इसलिए तुरंत ही पेरैंट्स को इस के लिए ₹16,000 का एक नया टैबलेट लेना पड़ा.

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वैशाली अपार्टमैंट में पार्लर चलाने वाली किरण ने घर में और कोई अतिरिक्त जगह न होने से अपने पार्लर का सामान स्टोररूम में शिफ्ट कर उसे अपने बेटे की औनलाइन स्टडी के लिए खाली कर दिया. हालांकि लौकडाउन के चलते पार्लर में आसपास के ही कुछ कस्टमर आ रहे थे. लेकिन इस से उन की महीने की ₹10-12 हजार की परमानैंट कमाई मारी जा चुकी है.

स्वाभाविक तौर पर बच्चों की औनलाइन पढ़ाई ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से पेरैंट्स के खर्चों को बढ़ा दिया है.

आइए, जानें कि वे कौनकौन से खर्चे हैं जो इन दिनों अतिरिक्त खर्च के तौर पर अभिभावकों की जेब खाली कर दे रहे हैं :

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1.वाईफाई या डेटा : औनलाइन पढ़ाई के चलते बच्चों के फोन में डेटा डलवाना या घर में वाईफाई लगवाना एक जरूरी खर्च में तबदील हो गया है. वैसे एक से अधिक बच्चे होने की दशा में हर बच्चे के मोबाइल में डेटा डलवाने की बजाए वाईफाई लगवाना अधिक सुविधाजनक होता है ताकि जरूरत पड़ने पर घर के सभी सदस्य कंप्यूटर या मोबाइल पर एकसाथ उस का उपयोग कर सकें.

2.कंप्यूटर या टैबलेट खरीदना : बच्चों की हैल्थ को ध्यान में रखते हुए उन के लिए कंप्यूटर या टैबलेट खरीदना भी अब एक आवश्यक खर्च बन चुका है. कंप्यूटर की बड़ी स्क्रीन छोटे बच्चों के लिए मोबाइल की तुलना में ज्यादा सुविधाजनक होती है.

टैबलेट की स्क्रीन भी आमतौर पर 8-10 इंच की रहती है जिसे देखने में बच्चों की आंखों पर अधिक जोर नहीं पड़ता है.

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3.इनवर्टर लगवाना : अचानक बिजली कट जाने से बच्चों की पढ़ाई में कोई परेशानी न आए इस के लिए इनवर्टर लगवाना भी औनलाइन स्टडी का एक जरूरी खर्च बन चुका है. इस से बिजली की कटौती के चलते इनवर्टर का खर्च भी अभिभावकों को मजबूरी में उठाना पड़ रहा है.

4.एकांत जगह की दरकार : घर में अन्य सदस्यों की बातचीत और दूसरे कामों से हो रही शोरशराबे को दूर करने के लिए उन्हें एकांत जगह की जरूरत होती है, जिसे पूरा करने में अभिभावकों को बहुत मुश्किलें आ रही हैं.

5.हैडफोन : बच्चों के लिए हैडफोन खरीदना भी आज की पढ़ाई का एक आवश्यक खर्च बन चुका है ताकि बच्चे शोरगुल से दूर एकाग्रचित्त हो कर अपनी पढ़ाई कर सकें.

6.रिपेयरिंग और मैंटनैंस : इस के अलावा इन खर्चों में जो एक सब से आकस्मिक और महंगा खर्च है वह है, उपरोक्त सभी की रिपेयरिंग कौस्ट का, जोकि समय विशेष के चलते इलेक्ट्रौनिक शौप्स की दुकानों पर मनमाने भाव से वसूले जा रहे हैं.

औटो चालक रमेश ने अपने बड़े बेटे की औनलाइन पढ़ाई के लिए बड़ी मुश्किल से उसे एक नया स्मार्ट फोन दिलाया था. महीने भर में ही छोटी बहन के साथ छीनाझपटी में गिरने से मोबाइल की स्क्रीन बंद हो गई. रिपेयरिंग का खर्च दुकान वाले ने ₹5,000 बताया, जो रमेश की कूबत से बाहर की बात थी. लिहाजा, काफी दिनों तक बेटे की पढ़ाई का नुकसान हुआ और फिर बाद में जैसेतैसे कर्ज ले कर पैसों का जुगाड़ कर उस ने बेटे का मोबाइल ठीक करवाया.

औनलाइन स्टडी के चलते रोज के ऐसे तमाम खर्च मातापिता की परेशानियों का कारण बन रहे हैं.

उपरोक्त खर्चों का मोटामोटा हिसाब भी पेरैंट्स की नींदें उड़ाने के लिए काफी हैं. इन खर्चों ने अभिभावकों की जेबें फिलहाल खाली करने के साथसाथ आगे के लिए भी उन्हें चिंता में डाल रखा है.

इस तरह औनलाइन पढ़ाई, स्कूल की रैग्युलर स्टडी से कहीं ज्यादा महंगी साबित हो रही है.

पश्चाताप- भाग 4 : गार्गी मैरीन ड्राइव पर किसकी यादों में खोई थी?

लेखिक-पद्मा अग्रवाल

पैसे की अंधीदौड़ में उस ने पुरू से प्यार किया, शादी की. उस ने वह सबकुछ देने की कोशिश की थी  जो उस ने चाहा था. पुरू ने उसे कभी किसी चीज के लिए मना नहीं किया था. क्या पता वह सचमुच किसी मुसीबत में हो.

एक शाम वह मौल में शौपिंग कर रही थी. तभी वहां पुरू पर उस की निगाह पड़ी थी. उस के साथ एक लड़की भी थी. दोनों  की निगाहें मिल गईं थीं, लेकिन पुरू तेजी से भीड़ का फायदा उठा कर उस से बच कर निकल गया था.

अब तो वह ईर्ष्या से जलभुन  गई और विशेष के साथ लिवइन में  रहने लगी थी. उस का लक्जीरियस अपार्टमेंट, बड़ी गाड़ी, मंहगे ड्रिंक, हाई सोसायटी के लोगों की पार्टियों में उस की बांहों में बांहें डाल कर डांस करना…वह तो मानो फिर से सपनों की दुनिया में खो गई थी.

उस का दिन तो औफिस में किसी तरह बीतता, लेकिन शामें तो विशेष की मजबूत बांहों के साए में  हंसतेखिलखिलाते बीत रही थीं. उस ने पुरू की यादों की परछाईं को अपने से परे धकेल कर अपने लिवइन का एनाउंसमेंट मां के सामने कर दिया था.

उन्होंने उसे समझाने की बहुत कोशिश की थी कि स्त्री का यौवन सदा नहीं रहता है और पुरुष का भ्रमर मन यदि बहक कर दूसरे पुष्प पर अटक जाएगा तो ‍फिर से तुम एक बार लुटीपिटी सी अकेली रह जाओगी. परंतु उस के मन की धनलिप्सा और उस की लोलुपता ने सहीगलत कुछ भी सोचने ही नहीं दिया था और  वह इस अंधीदौड़ में चलती हुई एक के बाद दूसरा साथी बदलती रही.

लगभग 4 महीने बीत चुके थे. वह उस के साथ पत्नी जैसा व्यवहार करने लगी थी. कहां रह गए थे. बाहर खाना खा कर आना था, तो फोन कर सकते थे आदिआदि. परंतु उस की बांहों में खो कर वह आनंदित हो उठती थी.

लेकिन, कुछ दिनों से वह विशेष की निगाहों में अपने प्रति उपेक्षा महसूस कर रही थी. वह उस का इंतजार करती रह जाती और वह अपनी मनपसंद डियो की खुशबू फैलाता हुआ यह कह कर निकल जाता कि औफिस की जरूरी मीटिंग है.

अब वह उपेक्षित सी महसूस करने लगी थी.  उस का बर्थडे था, इसलिए बाहर डिनर की बात थी. उस ने छोटी सी पार्टी की भी बात कही थी, लेकिन उस का कहीं अतापता नहीं था.  उस ने जब फोन किया तो बैकग्राउंड से म्यूजिक की आवाज सुन कर उस का माथा ठनका था. लेकिन जब वह झिड़क कर बोला, ‘’परेशान मत करो, मैं जरूरी मीटिंग में हूं.“ तो उस दिन वह सिसक पड़ी थी. लेकिन मन को तसल्ली दे कर सो गई कि सच में ही वह मीटिंग में ही होगा.

अब वह बदलाबदला सा लगने लगा था. अकसर खाना बाहर खा कर आता. ड्रिंक भी कर के आता. कुछ कहने पर अपने नए प्रोजेक्ट में बिजी होने की बात कह कर घर से निकल जाता.

वह अकेले रहती तो अपने लैपटौप से सिर मारती रहती. तभी उस की निगाह एक मेल पर पड़ी थी. आज विशेष की बर्थडे पार्टी थी. उस में वह उसे क्यों नहीं ले कर गया. वह उसे सरप्राइज देने के लिए तैयार हो कर वहां पहुंच गई थी. उस ने कांच के दरवाजों से देखा कि विशेष किसी लड़की की बांहों को पकड़ कर डांस कर रहा था.

वह क्रोधित हो उठी थी. उस को अपने हक पर किसी का अनाधिकृत प्रवेश महसूस हुआ था. वह तेजी से अंदर पहुंच गई थी. अपने को संयत करते हुए बोली, ‘’हैप्पी बर्थडे, विशेष.‘’  वह जानबूझ कर उस के गले लग गई थी.

विशेष चौंक उठा था. जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो. उस को अपने से परे करते हुए बोला, ‘’तुम, यहां कैसे?’’

उन दोनों की डांस की मदहोशी में खलल पड़ गया था. विशेष की डांसपार्टनर निया ने उसे घूर कर देखा और बोली, ‘’हू आर यू?’’

‘’आई एम गार्गी, विशेष की लिवइन पार्टनर.‘’

निया नाराज हो कर चीख पड़ी, ‘’यू रास्कल. यू चीटेड मी. यू टोल्ड मी दैट यू आर सिंगल.‘’

“यस डियर, आई एम सिंगल. शी इज माई लिवइन पार्टनर ओनली.‘’

उस के कानों में मानो किसी ने गरम पिघला सीसा उड़ेल दिया हो. भरी महफिल में वह बुरी तरह अपमानित की गई थी. विशेष उसे ऐसी अपरिचित और खा जाने वाली निगाहों से देख रहा था मानो वह उसे पहचानता भी न हो. उस के कानों में बारबार गूंज रहा था – ‘यस आई एम सिंगल. शी इज माई लिवइन पार्टनर ओनली.’ उस ने समझ लिया था कि अब विशेष से कुछ भी कहनासुनना व्यर्थ है.

वह एक बार फिर अपनी धनलिप्सा की अंधीदौड़ के कारण छली गई है, ठगी गई है. यह एहसास उस के दिल को घायल कर रहा था. उस की सारी खुशियां, जीवन का उल्लास,  पलपल संजोए हुए सारे सपने सबकुछ खोखले और झूठे दिखाई पड़ रहे थे मानो सारी दुनिया उसे मुंह चिढ़ा रही थी.

वह मन ही मन पछता रही थी कि काश, वह आरव के प्यार को न ठुकराती! अब उस की आंखों से पश्चात्ताप की अश्रुधारा निर्झर रूप से प्रवाहित हो रही थी.

 

पश्चाताप- भाग 3 : गार्गी मैरीन ड्राइव पर किसकी यादों में खोई थी?

लेखिक-पद्मा अग्रवाल

उस ने एक बड़े रेस्ट्रां के सामने गाड़ी रोक दी थी. वहां एक वाचमैन ने तुरंत आ कर उस के हाथ से गाड़ी की चाबी ली और गाड़ी पार्क करने के लिए ले गया था. वहां पर विशेष एक कोने की टेबल पर सीधे पहुंच गया. शायद पहले से बुक कर रखा था.

एकबारगी फिर गार्गी का दिल धड़क उठा था. विशेष की आंखों में अपने प्रति प्यार वह स्पष्ट रूप से देख रही थी. उस का प्यारभरा आमंत्रण उस के मन में प्यार की कोंपलें खिला रहा था. परंतु मन ही मन  अपने कड़वे अतीत को ले कर डरी हुई थी. जब उसे उस के बारे में सबकुछ मालूम होगा तब भी क्या वह इसी तरह से उस के प्रति समर्पण भाव रखेगा? एक क्षण को उस का सर्वांग सिहर उठा था.

विशेष से अब तक गार्गी को प्यार हो गया था. उस के प्रति उस की दीवानगी बढ़ती जा रही थी. उस दिन उस ने मौल से उस को शौपिंग भी करवाई थी. लेकिन, बारबार पुरू उस की स्मृतियों के द्वार पर आ कर खड़ा हो जाता था.

सिलसिला चल निकला था. दोनों ही मिलने का बहाना ढूंढते थे. मैरीन ड्राइव, कभी जूहू बीच के किनारे बैठ कर समुद्र की आतीजाती लहरों को निहारते हुए प्यार की बातें करना बहुत पसंद था उन्हें. शाम गहरा गई थी. समुद्रतट पर दोनों देर तक टहलते रहे थे. आज उस ने रेड कलर का स्लीवलेस टॉप और जींस पहनी हुई थी. वह जानती थी कि यह ड्रेस उस के ऊपर बहुत फबती है और वह पहले ही वौशरूम में अपने मेकअप को टचअप कर के आई थी.

अचानक ही विशेष ने उस की हथेलियों को थाम लिया था. इतने दिनों बाद किसी पुरुष के स्पर्श को पा कर वह रोमांचित हो उठी थी. वह कांप उठी थी. उसे फिर से पुरू याद आ गया था. वह भी तो ऐसे ही मजबूती से उस की हथेलियों को पकड़ लेता था. क्षणभर को वह भावुक हो उठी थी.  और उस ने एक हलके झटके से उस की हथेलियों को परे झटक दिया था.

‘सौरी’ कह कर विशेष उस से थोड़ा दूर हो कर चलने लगा था.

गार्गी न जाने क्यों विशेष के साथ नौर्मल नहीं हो पा रही थी, हालांकि उस से प्यार करने लगी थी. उस के साथ लंच पर जाना, शौपिंग पर जाना और अब शाम के अंधेरे में उस की हथेलियों पर उस का स्पर्श उस के अन्तर्मन में पुरू के प्रति अपराधबोध सा भर रहा था. पुरु के मेसेज तो आए थे, हालांकि, उस ने नाराजगी में उत्तर नहीं दिया था. गार्गी सोचती, आखिर वह पुरु के साथ बेवफाई करने पर क्यों आमादा है?  पुरु की नौकरी छूटी है तो दूसरी मिल जाती. वह बेचारा तो स्वयं ही मुसीबतों का मारा था.

परंतु, विशेष का आकर्षण  भी उस पर हावी था. उस की मनोदशा दोराहे पर थी. इधर जाऊं कि उधर, उस का लालची मन निर्णय नहीं ले पा रहा था.  एक शाम वे किसी गार्डन की झाड़ी में छिप कर बैठे थे. विशेष बिलकुल उस के करीब था, यहां तक कि उस की धौंकनी सी तेज सांसों  को भी वह महसूस कर रही थी. वह स्वयं भी तो कब से उस की बांहों में खो जाने का इंतजार कर रही थी.

विशेष ने भी उस के मन की भावनाओं को समझ लिया था और फिर जाने कब वह उस की बांहों में सिमटती चली गई थी. कुछ देर तक दोनों यों ही निशब्द एकदूसरे के आलिंगन  में थे. फिर धीरे से वह उस से अलग हो गई थी. विशेष के चेहरे पर उदासी की छाया मूर्त हो उठी थी.

अब विशेष का गार्गी के घर पर आना बढ़ गया था. कभी घर के खाने के स्वाद के लिए तो कभी घर का कोई सामान ले कर आ जाता तो कभी मम्मी से मिलने के बहाने आ जाता.

परंतु, गार्गी की तेज निगाहों से छिपा नहीं था कि विशेष मात्र उस से ही मिलने के लिए बहाना खोजता रहता है.

मम्मी ने बेटी गार्गी को कई बार समझाने की कोशिश की थी कि तू गलत रास्ते पर चल पड़ी है. यह पुरू के साथ अन्याय होगा.

परंतु वह तो विशेष के प्यार में डूबी हुई थी.  वह तो हर पल उस के सान्निध्य की कामना में खोई रहती. पुरुष की तीव्र नजरें स्त्री की भावनाओं को अतिशीघ्र पहचान लेती हैं और फिर उस के समर्पण  को कमजोरी समझ पुरुष उस का मनचाहा दोहन करता है. एक शाम वह गार्गी को अपने फ्लैट में ले गया था.

विशेष का फ्लैट देख उस की आंखें चौंधिया उठी थीं. पहले तो वह हिचकिचा रही थी, मन ही मन कसमसा रही थी, परंतु उस का प्यासा तन किसी मजबूत बांहों में खोने को बेचैन भी हो रहा था. जब उस ने प्यार से उस की दोनों कलाइयों को पकड़ा तो फिर से गार्गी को पुरू की कठोर पकड़ य़ाद आ गई थी. गार्गी यह सोचने को मजबूर हो उठी थी कि विशेष कितना सभ्य और शालीन है कि उसे ऐसे पकड़ता है कि मानो वह कोई कांच की गुड़िया हो.

परंतु, पुरू की अदृश्य परछाईं उन दोनों के बीच आ कर खड़ी हो गई और गार्गी ने आहिस्ता से पीछे हट कर उस की मजबूत कलाइयों को अपने से दूर कर दिया था. वह स्वयं भी नहीं समझ पा रही थी कि वह चाहती क्या है?  एक ओर तो वह विशेष के सपनों में खोई रहती है और जब वह मिलता है तो वह उसे अपने से दूर कर देती है, जबकि  वह उस की बांहों में पूरी तरह से डूब जाना चाहती थी.

गार्गी सोचती, क्यों विशेष के स्पर्श से पुरु के साथ बिताए मधुर पल उसे याद आने लगते हैं. उस की स्मृतियों में तो आरव भी बारबार अपनी दस्तक देने से बाज नहीं आता. क्या ऐसा है कि औरत अपना पहला प्यार कभी नहीं भूल पाती. शायद यही वजह होगी कि आरव आज भी उस के ख्वाबों में आ कर उस से अकसर पूछता है कि, ‘गार्गी, तुम खुश हो?’

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