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लेखिक-पद्मा अग्रवाल

गार्गी टैक्सी की खिड़की से बाहर झांक रही थी. उस के दिमाग में जीवन के पिछले वर्ष चलचित्र की भांति घूम रहे थे. उस की उंगलियां मोबाइल पर अनवरत चल रही थीं. आरव,  प्लीज, अब एक मौका दो. तुम ने मुझे प्यार, समर्पण, भरोसा, सुखसुविधा सबकुछ देने की कोशिश की, लेकिन मैं पैसे के पीछे भागती रही ऒर आज इस दुनिया में नितांत अकेली खड़ी हूं… “मैडम, कहां चलना है?” ड्राइवर की आवाज से उस की तंद्रा भंग हुई.

“मैरीन ड्राइव.”

मुंबई में गार्गी का प्रिय स्थान, मैरीन ड्राइव,  जहां समुद्र की उठती लहरें और लोगों का हुजूम देख कर उस का अकेलापन कुछ क्षणों के लिए दूर हो जाता है. आज वहां वह एक कालेज युगल को हाथ में हाथ डाले घूमते देख आरव की यादों में खो गई… गार्गी एक साधारण परिवार की महत्त्वाकांक्षी  लड़की थी.  उस ने अपने मन में सपना पाल रखा था कि वह किसी रईस लड़के से शादी करेगी. दूध सा गोरा रंग, गोल चेहरा, बड़ीबड़ी कजरारी आंखें, अनछुई सी चितवन, मीठी सी मुसकान के चलते वह किसी को भी अपनी ओर लुभा लेती थी.

आरव उस से सीनियर था. लेकिन पहली झलक में ही वह उसे देख मुसकरा पड़ी थी.  उस का कारण उस का बड़ी सी गाड़ी में कालेज आना था. 6 फुट लंबा, गोरा, आकर्षक  लड़का,  हाथ में आईफोन, आंखों पर मंहगा ब्रैंडेड गौगल्स देख गार्गी उस पर आकर्षित हो गई थी. सोशल साइट्स और व्हाट्सऐप पर चैटिंग शुरू होते ही बात कौफी तक पहुंची और जल्द ही दोनों ने एकदूसरे के हाथों को पकड़ प्यार का भी इजहार कर दिया था.

आरव ने एक दिन गार्गी को अपने मम्मीपापा से मिलवा दिया था.  उन लोगों ने मन ही मन दोनों के रिश्ते के लिए हामी दी थी. गार्गी कभी अपनी मां की तो सुनती ही नहीं थी, इसलिए उन की परमिशन वगैरह की उसे कोई फिक्र ही नहीं थी.

अब प्यार के दोनों पंछी आजाद थे. कालेज टूर, पिकनिक, डेटिंग, पिक्चर, वीकैंड में आउटिंग, वैलेन्टाइन डे  आदि पर बढ़ती मुलाकातों से दोनों के बीच की दूरियां कम होती गईं. दोनों के बीच प्यारमोहब्बत, कस्मेवादे, शादी की प्लैनिंग, शादी के बाद हनीमून कहां मनाएंगे, किस फाइवस्टार में बुकिंग करेंगे आदि बातें होती थीं.

गार्गी कुछ ज्यादा ही मौडर्न टाइप थी. नए फैशन के कपड़े, ड्रिंक, स्मोक, पब, डिस्को, ड्रग्स सबकुछ उसे पसंद  था. आरव उस के प्यार में डूबा हुआ उस का साथ देने के लिए नशा करने लगा और नशे में ही दिल का रिश्ता शरीर तक जा पहुंचा और उस दिन दोनों ने प्यार की सारी हदें पार कर दी थीं.

वैसे भी दोनों शीघ्र ही एकदूसरे के होने वाले थे ही.  आरव का प्लेसमेंट नहीं हुआ था, इसलिए वह परेशान रहता था. गार्गी उस से गोवा चलने की जिद कर रही थी. उस ने जोर से डांट कर कह दिया कि गोवा कहीं भाग जाएगा क्या?

गार्गी नाराज हो कर वहां से चली गई और बातचीत बंद कर दी. आरव अपनी चिंताओं में खोया हुआ था. दोनों ने छोटी सी बात को अपना अहं का प्रश्न बना लिया था. उस ने तो मोबाइल से उस का नंबर भी डिलीट कर दिया था.

कुछ ही दिन बीते थे. उस के जीवन में पुरू आ गया. वह आरव  से ज्यादा पैसे वाला था. और गार्गी बचपन से बड़े सपने देखने वाली लड़की थी. अपने ख्वाबों को पूरा करने के लिए मार्ग में आए अवरोधों को दूर करने के लिए साम, दाम, दंड, और भेद सबकुछ आजमा लेती थी. एक दिन वह पुरू के साथ शहर के एक कैफे में बैठी थी कि उस की निगाह  एक टेबल पर बैठे आरव और उस के दोस्तों पर पड़ी. तो, उस ने जानबूझ कर उन्हें अनदेखा कर दिया .

पुरू उस का बौस था. वह कंपनी में सीनियर मैनेजर की पोस्ट पर था. आकर्षक, सजीला, सांवला, सलोना पुरू की सीनियर मैनेजर की पोस्ट और उस का बड़ा पैकेज देख कर उस ने उस के साथ चट मंगनी पट ब्याह रचा लिया. उस ने अपनी सगाई की फोटो फेसबुक और दूसरी सोशल साइट्स पर शेयर की थी. वह हीरे की अंगूठी पा कर बहुत खुश थी.

आरव को उस की फोटोज देख कर सदमा सा लगा था. उस ने कमेंटबौक्स में लिखा भी था- …वे प्यारमोहब्बत की बातें,  कसमेवादे, जो सपने हम दोनों ने साथ बैठ कर देखे थे, सब झूठे हो चुके…

शौकीन पुरू की जीवनशैली दिखावे वाली थी. उस का लक्जीरियस फोरबेडरूम फुल्लीफर्निश्ड फ्लैट, बड़ी गाड़ी और ऐशोआराम का सारा सामान देख गार्गी अपने चयन पर खिलखिला उठी. पार्टीज में जाना, जाम पर जाम छलकाना रोज का शगल था. गार्गी के लिए तो सोने के दिन और चांदी की रातें थीं.  उस ने यही सब तो चाहा था.

कुछ दिन खूब मस्ती में कटे- सिंगापुर, मौरीशस, हौंगकौंग, कभी गोवा के बीच पर तो कभी रोमांटिक खजुराहो, तो कभी ऊटी की ठंडी वादियां तो कभी कोबलम का बीच. गार्गी बहुत खुश थी. बस, एक बात उस की समझ में न आती कि पुरु अपने फोन पर लंबी बातें करता और हमेशा उस से हट कर, अपना लैपटौप भी लौक रखता…

गार्गी को यह महसूस हुआ कि पुरु ने उस के साथ शादी किसी खास मकसद से की  थी. वह, दरअसल, स्मग्लिंग के धंधे में उस का इस्तेमाल करता था. लेकिन वह तो इंद्रधनुषी सपनों में डूबी हुई थी. हसीन ख्वाबों में खोई हुई गार्गी ने अपनी नौकरी भी छोड़ दी थी.

पुरु से मिलने लोग आते, कुछ खुसुरफुसुर बातें करते और रात के अंधेरे में ही चले जाते. पिछले कुछ दिनों से वह परेशान रहने लगा था. वह कहने लगा कि मेरी सैलरी अभी नहीं आई है, कंपनी घाटे में चल रही है आदिआदि.

एक दिन पुरु भागते हुए आया और गार्गी से बोला, “मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में इटली  जाना है. कुछ दिनों के बाद तुम्हें बुला लूंगा.” और वह जल्दीजल्दी अपना बैग पैक कर चला गया.

गार्गी बहुत खुश थी. वह कुछ दिनों बाद खुद भी इटली जाने की सोचने लगी. तभी कोरोना बम फट पड़ा और लौकडाउन होते ही सबकुछ ठहर सा गया. उसी के साथ उस के सपने धराशाई होते दिखाई पड़ने लगे. कुछ महीनों तक तो  पुरु से बात होती रही, फिर उस से संपर्क भी टूट गया.

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