कोरोना ने जीवन के हर पहलू को तो बदल ही दिया है तो खाना खाने की सामन्य शैली कैसे न प्रभावित होती. डाइनिंग के नए स्टाइल व सुरक्षा नीतियों से लैस रैस्टोरैंट्स लौकडाउन के बाद कुछ इस तरह के दिखेंगे.

कोविड-19 के चलते यातायात, स्कूल, कालेज, औफिस, जिम, होटल, रैस्टोरैंट, सिनेमाघर आदि बंद हुए तो सामाजिक जीवन पर विराम लग गया व लोगों को क्वारंटाइन में रखने के लिए लौकडाउन लागू कर दिया गया. पहले 3 लौकडाउनों में केवल अत्यधिक जरूरी सामग्री ही उपलब्ध थी तो वहीं लौकडाउन-4 में कुछ चीजों में छूट दी गई. वहीं रैस्टोरैंट बंद ही रखे गए. ज्ञातव्य है कि रैस्टोरैंट ऐसी जगह है जहां लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की संभावना अधिक है. रैस्टोरैंट में घुसने से ले कर टेबल पर बैठना, मेनू या बिल को छूना, खाना खाते समय हाथों का उपयोग व मुंह पर मास्क न लगा पाना कोरोना को निमंत्रण देने जैसा है.

लौकडाउन के चलते रैस्टोरैंट्स में ताला लग गया जिस का अर्थ है

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4.2 लाख करोड़ रुपए और 70 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को आर्थिक क्षति हुई. इस के चलते ज्यादा से ज्यादा रैस्टोरैंट्स की कोशिश यही रही कि वे होम डिलीवरी द्वारा अपना बिजनैस जारी रख पाएं लेकिन हर किसी के लिए यह भी संभव नहीं हुआ.

पश्चिम और दक्षिण भारत में मैकडोनल्ड्स रैस्टोरैंट की मालिक कंपनी वैस्टलाइफ डैवलपमैंट का कहना है कि उन्होंने कौंटेक्टलैस डिलीवरी का औप्शन जारी किया है जिस के द्वारा कस्टमर और डिलीवरी बौय दोनों को ही कोरोना वायरस के खतरे से बचाया जा सकता है. वैस्टलाइफ डैवलपमैंट के अनुसार, खाना बनाने वाले, उसे पैक करने वाले व उसे ले जाने वाले व्यक्ति द्वारा खाने को नंगेहाथों से नहीं छुआ जाएगा व हाइजीन के लिए हर मुमकिन कोशिश की जाएगी.

भारत में डौमिनोज पिज्जा चलाने वाली कंपनी जुबिलैंट्स फूड वर्क्स लिमिटेड यानी जेएफएल ने भी जीरो-कौंटैक्ट डिलीवरी सर्विस जारी की है. इस के अंतर्गत कस्टमर बिना किसी तरह से डिलीवरी बौय के संपर्क में आए अपना फूड पैकेज ले सकते हैं. ये सुरक्षा के कदम कंपनी द्वारा एक्स्ट्रा मेजरमैंट के लिए उठाए गए हैं.

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रैस्टोरैंट्स उठाएंगे ये कदम

सोशल डिस्टैंसिंग को मद्देनजर रखते हुए रैस्टोरैंट्स कस्टमर्स की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कदम उठा सकते हैं. लौकडाउन खत्म होने पर यदि रैस्टोरैंट खुलते हैं तो उन में सोशल डिस्टैंसिंग का अर्थ होगा डाइनिंग में

40-50 फीसदी की गिरावट, यानी यदि 100 लोगों के बैठने की जगह है तो एक समय में वहां केवल 40-50 लोग ही बैठ सकेंगे. इस से रैस्टोरैंट्स की कमाई पर यकीनन असर पड़ेगा.

रैस्टोरैंट्स में खाना खाने का तरीका पूरी तरह प्रभावित होगा. आप को रैस्टोरैंट के गेट पर टैंपरेचर जांच करानी होगी, हाथों को सैनिटाइज कर के ही अंदर प्रवेश करना होगा, खाना खाने के अलावा हर समय मुंह पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा. आप किसी भी व्यक्ति के आसपास नहीं बैठ सकेंगे, किसी चीज को छूने पर उसे जल्द से जल्द सैनिटाइज करना अनिवार्य होगा.

जोमैटो के को-फाउंडर और चीफ औपरेटिंग औफिसर गौरव गुप्ता ने अपने ब्लौग पोस्ट में लिखा कि जोमैटो ऐप रैस्टोरैंट्स को ‘कौंटेक्टलैस’ डाइनिंग का औप्शन दे रहा है जिस से कस्टमर्स को अपना और्डर देने के लिए अपनी सीट से उठ कर नहीं जाना होगा और न ही किसी स्टाफ के कौंटेक्ट में आना होगा. वे अपनी सीट पर बैठेबैठे ही जोमैटो के जरिये खाना और्डर कर सकते हैं. इस से मेनू कार्ड, डिजिटल कियोस्क व बिल कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेंगी और पेमैंट औनलाइन ही आसानी से की जा सकेगी.

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यूनाइटेड स्टेट्स औफ अमेरिका की बात करें तो मैकडोनल्ड्स ने अपनी फ्रैंचाइजी को 59 पन्नों की एक लिस्ट जारी की है जिस में रैस्टोरैंट को खोलने और डाइनिंग को ले कर कुछ नियम बताए गए हैं जिन में से मुख्य इस प्रकार हैं.

1.  सोशल डिस्टैंसिंग प्रोमोट करने के लिए कुछ टेबल्स पर ‘क्लोज्ड’ साइन लगाना होगा.

2 .बाथरूम की हर घंटे सफाई करनी होगी.

3.  हर और्डर के बाद डिजिटल कियोस्क को साफ करना होगा.

4.  सभी हाई टच सरफेसेस को संक्रमित होने से बचाने के लिए हर आधे घंटे में साफ करना होगा.

5.  फ्लोर पर साइनबोर्ड लगाने होंगे जिस से कस्टमर्स आतेजाते हुए एकदूसरे से न टकराएं.

6.  कर्मचारियों को रैस्टोरैंट में घुसने से पहले अपना टैंपरेचर चेक कराना होगा, ग्लव्स और मास्क पहने रहना होगा और हर घंटे अपने हाथ धोने होंगे.

7.  डाइन इन और्डर्स के लिए फूड बैग्स को सैनिटाइज्ड ट्रे पर रखा जाएगा और कस्टमर तक सोशल डिस्टैंस मेंटेन करते हुए पहुंचाया जाएगा.

इसी तरह के कदम भारत के रैस्टोरैंट्स को भी उठाने होंगे अन्यथा उन के खुलने पर पाबंदी लगा दी जाएगी या उस से भी बुरा कि वे खुलें तो कोरोना फैलाने का जरिया भी बन सकते हैं.

रैस्टोरैंट्स हो सकते हैं बंद

नैशनल रैस्टोरैंट एसोशिएशन औफ इंडिया के अनुसार 10 में से 4 रैस्टोरैंट्स हमेशा के लिए बंद हो सकते हैं. डाइनिंग में 40-50 फीसदी की गिरावट करना घाटे का सौदा साबित हो सकता है.

लौकडाउन खत्म होने पर रैस्टोरैंट्स को अपने कस्टमर्स की सुरक्षा को

देखते हुए विभिन्न तकनीकों को अपनाना होगा जोकि हर रैस्टोरैंट के बस की बात नहीं है. इस में आने वाले

खर्च की रकम बड़ी होगी. इंडिपैंडैंट आउटलेट्स के लिए यह खासा मुश्किल समय है जब उन्हें अपने कर्मचारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी है और कस्टमर्स की भी. छोटे रैस्टोरैंट्स एग्रीगेटर्स से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं परंतु वे रैस्टोरैंट्स की इस कमजोर स्थिति में मुनाफे का बड़ा मार्जिन मांग सकते हैं जो इस समय देना रैस्टोरैंट्स के लिए मुमकिन नहीं है.

प्रौपर सैनिटाइजेशन, बिलिंग, मेनू, किचन डिस्प्ले जिस से लोग अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकें, टेबल्स और फ्लोर की बारबार सफाई इत्यादि का खर्च हर रैस्टोरैंट नहीं उठा सकता. इस के ऊपर रैस्टोरैंट्स के स्टाफ का अपने घर से रैस्टोरैंट तक पहुंचना भी चिंता का विषय है. प्रौपर उपकरणों की कमी को पूरा करने में भी छोटे रैस्टोरैंट असमर्थ हैं.

कोरोना वायरस के चलते कई रैस्टोरैंट्स अपने स्टाफ की तनख्वाह में कटौती कर रहे हैं, अपने आउटलैट्स पूरी तरह बंद कर रहे हैं व स्टाफ को नौकरी से निकाल रहे हैं. कारण स्पष्ट है कि बिजनैस पर पड़ी भारी मार के चलते रैस्टोरैंट्स की कमाई पूरी तरह बंद है. हालत यह है कि लौकडाउन पूरी तरह खुलने पर आप का पसंदीदा रैस्टोरैंट शायद नहीं खुलेगा.

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