आमतौर पर उत्तर भारत में गरमी के मौसम में लू व ऊंचे तापमान से बगीचों में काफी नुकसान होता है. फल उत्पादक यदि गरमी में अपने बाग का रखरखाव वैज्ञानिक ढंग से करें, तो पौधों को ऊंचे तापामन से बचा कर वे माली नुकसान से बच सकतेहैं. फलों के पेड़ों को ज्यादा तापक्रम के कारण सनबर्न व सन स्काल्ड नाम के नुकसान होतेहैं. पौधों की बढ़वार के समय तापक्रम अधिक होने पर धूप के सीधे संपर्क में आने वाली पत्तियों, तनों व फलों को नुकसान होता है. जब वायुमंडल में आर्द्रता कम हो व हवाएं तेज चलें, तब ज्यादा तापमान के प्रभाव से पौधों को बहुत ज्यादा नुकसान होताहै. इस समय पौधों सेज्यादा भाप निकलतीहै, जिस से पौधों की पत्तियां व टहनियां सूख जातीहैं.

बाग की दक्षिणपश्चिम दिशा में सूर्य की किरणें अन्य दिशाओं की तुलना में दिन में ज्यादा समय तक सीधी पड़ती हैं, जिस के कारण पौधों में सन स्काल्ड होता है. सूर्यास्त के  बाद तापक्रम अचानक गिर जाताहै, जिस से पौधों को नुकसान पहुंचताहै. नीबू प्रजाति के पेड़ों को यह नुकसान ज्यादा होता है.

ये भी पढ़ें- पैगांबरी किस्म है शुगर फ्री

ऊंचे तापमान से पेड़ों का बचाव : गरमी के मौसम में जब तापक्रम 40 डिगरी सेंटीग्रेड सेऊपर पहुंचने लगताहै, उस समय पौधों को गरमी से बचाने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए:

छाया करना: छोटे पौधों (नए रोपित) को कांस, मूंज, कड़वी आदि की टटियां बना कर ढक देना चाहिए. गमलों में लगे पौधों को बड़े पौधों की छाया में रख कर गरमी से बचाया जा सकता है.

पौधों को ढकना : यदि मुमकिन हो तो पौधों के तनों कोऊपर से नीचे तक अखबार लपेट कर ढक देना चाहिए, ताकि पौधों की ऊंचे तापमान से रक्षा की जा सके.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...