दुनिया में कई देशों को अपनी चपेट में ले चुके कोरोना वायरस को विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ ने एक महामारी ऐलान कर दिया है. इस कोरोना वायरस का असर सेहत के साथसाथ शिक्षा जगत और अर्थव्यवस्था पर भी देखा जा रहा है. भारत भी कोरोना की मार से अछूता नहीं है, लेकिन हमें ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रह चुके विंस्टन चर्चिल के इस कथन को याद रखना चाहिए कि चुनौतियों को भी अवसर के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए.
सवाल है कि भारत के सामने इस महामारी से उपजी चुनौतियां क्या हैं और उन को कैसे अवसर में बदला जा सकता है? इस के लिए कोरोना को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टैंसिंग मतलब ‘2 गज दूरी बेहद जरूरी’ पर अमल करते हुए अपने घरों में रहते हुए इस अवसर को अच्छे काम में बदलना होगा, इसलिए अब हम लोग अपने घरों की छत पर टैरेस गार्डन बनाने की कोशिश करें और गमलों में ही वाटिका का विकास करें.
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ऐसे मकान, जिन के आसपास जमीन खाली नहीं रहती, ऐसी जगह पर केवल गमलों में ही सब्जियां उगा कर गृह वाटिका बनाई जाती है. इस के लिए अपनी सुविधा, जगह और जरूरत को देखते हुए गमलों का चुनाव करना चाहिए.
घर में अपनी कोशिश से सागभाजी को उगाना और उन का सेवन करना सुख और संतोष तो देता ही है, साथ ही कैमिकल रहित सब्जी भी आसानी से मिल जाती है.
ऐसे करें गमलों का चुनाव
अपने आसपास की जगह और संसाधनों को ध्यान में रखते हुए गमलों का चुनाव किया जाता है. गमले का आकार पौधे के मुताबिक अलगअलग, किंतु समानता 20 सैंटीमीटर से 45 सैंटीमीटर होती है. गढ़वाली सब्जियों के लिए गहरे गमले ठीक होते हैं. टमाटर, बैगन, शिमला मिर्च, भिंडी, तोरई, खीरा, ककड़ी वाले पौधों में बड़े गमले उपयोग होते हैं.
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गमलों का प्रकार
आजकल बाजार में मिट्टी के गमले, प्लास्टिक के गमले, चीन के गमले, टीन के डब्बे, सीमेंट के गमले, लकड़ी की पेटियां आसानी से मिलती हैं. इस के अलावा आप प्लास्टिक के कट्टों का भी उपयोग कर सकते हैं या फिर बाजार में आजकल ग्रो बैग्स के नाम से बैग मिलते हैं, उन को भी ले कर आप उपयोग में ला सकते हैं.
कैसे करें गमले की तैयारी
गमले में भरने वाली सामग्री को एकत्र करना चाहिए. इस के लिए उपजाऊ दोमट मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है. कंपोस्ट खाद में वर्मी कंपोस्ट, नाडेप कंपोस्ट या गोबर की सड़ी हुई खाद वगैरह उपलब्ध हो तो उस को भी ले लेते हैं. उस के बाद गमले को भरने की तैयारी की जाती है.
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ट्राइकोडर्मा, माइक्रोराइजर और बविस्टिन की मात्रा अगर आसानी से उपलब्ध हो, तो इस को हर गमले में 1-1 चम्मच के साथ मिट्टी में मिला कर मिट्टी तैयार कर के उस के बाद गमलों को भर देना चाहिए, तो ये आप की सब्जी, फलफूल वगैरह की पौध की बढ़वार में अच्छा योगदान देंगे.
कैसे करें गमले की भराई
सब से पहले मिट्टी, कंपोस्ट और बालू तीनों को बराबर मात्रा में ले कर मिश्रण बनाते हैं. गमले की तली में छेद के ऊपर टूटे हुए गमले के टुकड़े या पत्थर के टुकड़े इस तरह रखते हैं कि छेद खुला रहे, ताकि छेद से फालतू पानी बाहर निकल सके. इस के ऊपर गमले का दोतिहाई भाग बनाए हुए मिश्रण से भर लेते हैं.
इस तरह गमला पौध रोपाई के लिए तैयार हो जाता है. अगर राइजोबियम उपलब्ध है, तो हर गमले में तकरीबन एक चम्मच राइजोबियम को मिला कर गमले को भरेंगे तो और अच्छा होगा.
गमले में पौधे की रोपाई
चुने गए पौधों को पहले नर्सरी में लगा लेते हैं या पौध खरीद कर खुरपी की मदद से भरे हुए गमले के बीच में लगा देते हैं. इस के बाद जड़ के पास थोड़ा पानी दे देना चाहिए.
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गमले में खाद का इस्तेमाल
पौधे की जरूरत और मौसम के आधार पर खाद और उर्वरक का इस्तेमाल नियमित रूप से करना चाहिए. इस के लिए हर 2 महीने में 30 : 30 : 30 के अनुपात में यूरिया, सुपर फास्फेट और पोटाश का मिश्रण तैयार कर 30 सैंटीमीटर आकार वाले गमले में 15 ग्राम से 20 ग्राम प्रति गमला खुरपी की मदद से मिलाना चाहिए.
कैसे करें सिंचाई और
निराईगुड़ाई
पौध रोपाई के तुरंत बाद हजारा या प्लास्टिक मग से तुरंत सावधानी से सिंचाई कर देते हैं. इस के बाद नियमित रूप से जरूरत के मुताबिक प्रतिदिन हलकी सिंचाई करते रहना चाहिए, साथ ही छोटी खुरपी से गमले की ऊपरी सतह पर निराईगुड़ाई नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिए. इस से गमले में खरपतवार भी नहीं होता और हवा का संचार बना रहता है, जिस से गमलों में लगाई गई सब्जी या फिर फलफूल के पौधों में बढ़वार अच्छी होती है और उस का उत्पादन भी अच्छा मिलता है.
अगर आप आजकल समय का उपयोग करते हुए अपनी छतों पर टैरेस गार्डन बनाएंगे तो भविष्य में आप को पौष्टिक सब्जियां या फल तो मिलेंगे ही, साथ ही साथ हरियाली से अपने गार्डन में आप को अच्छी औक्सीजन भी हासिल हो सकेगी.