Download App

इल्जाम –भाग 3:  कामिनी जी गहने चोरी का इल्जाम बच्चों पर क्यों लगा रही थी

“कोई बात नहीं पापा आप चिंता न करो. मैं समीक्षा से बात करता हूं. हो सका तो वह अपने स्कूल से एक महीने की छुट्टी ले कर मां के पास पहुंच जाएगी. ”

“बेटा देख ले हमें अभी किसी की जरूरत तो बहुत है पर बहू भी तो स्कूल टीचर है, वर्किंग है. उस के जॉब पर असर न पड़े तभी भेजना. वैसे भी बहू के साथ हम ने जो सलूक किया था उस के बाद हमारा कोई हक नहीं कि हम उसे बुलाएं.”

“डोंट वरी पापा मैं बात कर के बताता हूं.”अगले दिन ही मयंक ने फोन कर के बताया,” पापा समीक्षा ने मां की सेवा के लिए एक माह की छुट्टी ले ली है. जरूरत पड़ी तो छुट्टी आगे बढ़ा लेगी. मैं भी 1 सप्ताह के लिए आ रहा हूं.”

2 दिन बाद ही मयंक समीक्षा के साथ घर पहुंच गया. कामिनी जी बेड पर थीं. नौकर भी छुट्टी पर जा चुका था. समीक्षा ने सब से पहले नहाधो कर पूरे घर की साफसफाई की. फिर सास को अच्छी तरह नहला कर कपड़े बदले. उन के बेड का कवर, पिलो कवर आदि निकाल कर धो दिए. नए बेडशीट बिछाए. परदे आदि धोए. अगले दिन ही मयंक मां को ले कर अस्पताल पहुंचा. संभावित इलाजों के बारे में बात की. अभी मां को कीमो सेशन दिए जा रहे थे. मयंक ने डॉक्टर से हर मसले पर सलाहमशवरा कर बेहतर इलाज का इंतजाम कराया. एक सप्ताह रुक कर वह वापस चला गया और समीक्षा दिल लगा कर सास की सेवा करती रही.

कामिनी जी फिलहाल निजी काम करने में भी समर्थ नहीं थीं. कई बार कपड़े में उल्टी कर देतीं तो कभी कपड़े गंदे हो जाते. खुद पर कंट्रोल नहीं रख पातीं. पर समीक्षा हर तरह की परेशानियों में सास के साथ खड़ी रहती. उन की बैसाखी बन कर वह इस तकलीफ के समय में उन का सहारा बनी हुई थी. हमेशा उन्हें खुश रखने की कोशिश करती. शरीर की तकलीफ़ों के साथसाथ मन की तकलीफें भी घटाने के प्रयास में लगी रहती. कभी मालिश करती तो कभी चंपी.

समय इसी तरह गुजरता रहा. कामिनी जी समीक्षा को दिनरात आशीर्वाद देती रहतीं. उन को अपने किए पर बहुत शर्मिंदगी महसूस होती कि जिस बहू के परिवार पर चोरी का इल्जाम लगा दिया था आज केवल वही उन के काम आ रही थी. वह चाहती तो दूसरों की तरह आने से इनकार भी कर सकती थी पर उस ने ऐसा नहीं किया. वह घर को और सास को ऐसे संभाल रही थी जैसे कभी कुछ हुआ ही न हो.

एक दिन कामिनी जी बैठीबैठी रोने लगीं. समीक्षा ने बहुत पूछा कि आखिर रोने की वजह क्या है मगर वह केवल रोती रहीं. उन्हें बहुत देर तक फफकफफक कर रोता देख समीक्षा बेचैन हो गई. वह ससुर को बुला कर लाई.

भवानी प्रसाद पत्नी को चुप कराने लगे फिर समीक्षा से बोले,” असल में इन की भाभी इन्हें देखने आना चाहती थीं पर इन्होने भाभी से मिलने से इंकार कर दिया. अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि जो भाभी इन के दिल के इतनी करीब रही हैं उन से ही यह मिलना क्यों नहीं चाहती. रो भी रही है और मिलना भी नहीं है.”

“पिताजी आप मम्मी जी से आराम से बात कर लो, मैं बाहर चली जाती हूं. शायद वह आप से रोने का कारण शेयर कर लें,” कह कर समीक्षा कमरे से बाहर निकल गई.

भवानी प्रसाद ने जब अकेले में पत्नी से वजह पूछी तो कामिनी रोती हुई बोली,”आज मुझे बहुत पछतावा हो रहा है. मैं ने समीक्षा और उस के निर्दोष भाईबहन के साथ जो किया वह माफी योग्य भी नहीं.”

“यानि तुम ने जानबूझ कर….. “”हां मैं ने जानबूझ कर उन पर इल्जाम लगाया था. पर यह सब मेरे दिमाग की उपज नहीं थी. सच मानो मैं ने वह सब अपनी भाभी के कहने पर किया था. उन्होंने ही मुझे सलाह दी थी कि यदि तुम समीक्षा को घर से निकलवाना चाहती हो तो उस के घरवालों पर इल्जाम लगाओ. उन्हें बेइज्जत करो….” कहतेकहते वह फिर से रोने लगीं.

भवानी प्रसाद आश्चर्य से उस का चेहरा देखते रह गए.”हां भाभी ने ही मुझे कहा था कि बहू को मयंक और अपने पति के मन से उतारने के लिए उस के घरवालों पर चोरी का इल्जाम लगा दो. बहू खुद ही शर्मसार हो कर घर छोड़ देगी. मयंक भी पत्नी से झगड़ा करेगा और समीक्षा के घर वाले भी फिर दोबारा इधर का रुख नहीं करेंगे. ”

“तुम ऐसा कैसे कर सकती हो कामिनी. भाभी के कहने पर तुम ने 2 निर्दोष बच्चों के ऊपर इल्जाम लगा दिया. तुम्हारी योजना पूरी भी हो गई. दोनों बच्चे दोबारा कभी भी हमारे घर नहीं आए. तुम समीक्षा को मयंक और मेरे मन से उतारना चाहती थी, पर क्यों कामिनी? अपने बेटे की खुशियों की दुश्मन क्यों बनना चाहती थी? माना भाभी ने तुम्हें सलाह दी पर खुद भी तो सोचना चाहिए था न,” भवानी प्रसाद ने गुस्से में कहा.

कामिनी फूटफूट कर रोती हुई खुद को कोसने लगी तो उस की खराब हालत देखते हुए भवानी प्रसाद ने जल्द बात खत्म की और उसे सीने से लगा कर कहा,” जो हो गया उसे भूल जाओ कामिनी. अब तुम्हारे आगे जो है उसे देखो. तुम्हारी बहू तुम्हारी दिनरात सेवा कर रही है. बस उसे जी भर कर आशीर्वाद दे लो. तुम ने जो गलत किया उस का पछतावा खत्म हो जाएगा.”

“पछतावा तो तब खत्म होगा जब दोनों बच्चे फिर से इस घर में आएं. प्लीज आप समीक्षा को समझाओ न. वह अपने भाईबहन को फिर से हमारे घर में बुलाए. मैं एक बार उन से माफी मांग लूं.””पहले तो तुम्हें समीक्षा से माफी मांगनी चाहिए कामिनी. मैं समीक्षा को बुला कर लाता हूं.”

भवानी प्रसाद ने समीक्षा को बुलाया तो वह दौड़ी आई,” क्या हुआ पापा जी तबियत तो ठीक है न मम्मी की?” कामिनी समीक्षा के दोनों हाथ पकड़ कर सिर से लगा कर रोती हुई बोलीं,” माफ कर दे बेटा, मैं ने तेरे साथ बहुत गलत किया था. पर तू इस बुढ़िया के लिए अपनी नौकरी, अपना घर, अपने पति और बच्चों को छोड़ कर यहां बैठी हुई है, सेवा में लगी है. अरी पगली इतनी सेवा तो बेटियां भी नहीं करती और तू अपनी कुटिल, दुष्ट सास के लिए इतना कर रही है. ऐसी सास जिस ने कभी भी तुझे दिल से नहीं स्वीकारा. तेरे घर वालों पर चोरी का इल्जाम लगा दिया. उस बुढ़िया के लिए तू इतना क्यों कर रही है मेरी बच्ची? इस बुढ़िया को माफ कर दे,”

“मम्मीजी आप यह क्या कह रही हैं? आप मेरी मां जैसी हैं न. आप की तकलीफ में आप के काम आ सकूं यह तो मेरे लिए खुशी की बात है. पर आप इस तरह रोओ नहीं मम्मी जी प्लीज आप की तबियत खराब हो जाएगी. माफी की कोई बात नहीं. आप मुझे बहू के रूप में देखना नहीं चाहती थीं इसी वजह से आप का यह रिएक्शन हुआ. पर मुझे पता है आप दिल की बहुत अच्छी हैं और पछतावा करने की कोई बात नहीं. मैं मानती हूं मेरे भाईबहन के साथ आप ने बहुत गलत किया था. आप को इल्जाम लगाना था तो मुझ पर लगातीं मगर मेरे भाईबहन ने तो किसी का कुछ भी नहीं बिगाड़ा था, ” समीक्षा ने उन के हाथों को सहलाते हुए कहा.

“इसी बात का तो पछतावा है मुझे मेरी बच्ची. मैं ने तेरे साथ बहुत गलत किया. देख ले इसी बात की सजा मिल रही है मुझे. बिस्तर पर आ गिरी हूं. “”मम्मी जी ऐसा कुछ नहीं है. आप ठीक हो जाओगी.”

“बेटा अब मुझे इस पछतावे से मुक्ति तभी मिलेगी जब तेरे भाईबहन से हाथ जोड़ कर माफी मांग लूंगी.””मम्मी जी आप परेशान न हों. मैं उन से बात करती हूं. मेरी बहन तो अभी अहमदाबाद में है. वहीँ शादी हुई है उस की इसलिए शायद वह नहीं आ सकेगी. पर भाई को बुलाने की पूरी कोशिश करती हूं,” कह कर समीक्षा ने फ़ोन उठा लिया.

उस ने फोन पर भाई को घर बुलाया तो उस ने साफ इंकार कर दिया,” दीदी आप तो जानती हो उस इल्जाम को मैं कितनी मुश्किल से अपने जेहन से दूर कर पाया हूँ.  22 -23 साल की उम्र में चोरी का इल्जाम लग जाए और वह भी अपनी बहन के ससुराल में तो बस एक यही इच्छा होती है कि कहीं जा कर डूब मरो.”

“नहीं दिवेश ऐसा नहीं सोचते. माफ कर दे उन्हें. उन की तबियत सही नहीं बिट्टो, ” समीक्षा ने भाई को समझाने की कोशिश की.तब तक कामिनी जी ने समीक्षा के हाथ से फोन ले लिया और दिवेश के आगे खुद ही गिड़गिड़ाने लगीं,” बेटा प्लीज मान जा. इस बुढ़िया को माफ कर दे. मैं इस दुनिया से ही जाने वाली हूं बेटा, बस अंतिम इच्छा पूरी कर दे. मुझे माफ कर दे. एक बार मेरे पास आ, मैं तेरे पैर छू कर माफी मांगना चाहती हूं,” कहतेकहते कामिनी जी फुटफुट कर रो पड़ीं.

रूपेश का दिल पसीज गया,” अरे नहीं आंटी जी आप जैसा कहोगी वैसा ही करूंगा. प्लीज डोंट वरी मैं आ रहा हूं.”

दिवेश की बात सुन कर रोतेरोते भी कामिनी जी के चेहरे पर सुकून के भाव खिल उठे. उन्होंने आंसू पोंछे और समीक्षा से बोली,” समीक्षा बेटा, दिवेश आ रहा है. अंदर वाला कमरा साफ़ कर दे वहीँ ठहराऊंगी उसे और अपने हाथ से खाना बना कर खिलाऊंगी. उस ने मेरी बात मान ली.”

समीक्षा कामिनी जी की ओर देख कर मुस्कुरा उठी और सहारा दे कर उन्हें बेड पर लिटा दिया. आज कामिनी जी के मन का एक भारी बोझ उतर गया था

इल्जाम –भाग 2:  कामिनी जी गहने चोरी का इल्जाम बच्चों पर क्यों लगा रही थी

कामिनी अलग कमरे में बंद रही आती तो भवानी प्रसाद संकोच में बहू से ज्यादा बातें नहीं करते. मयंक पहले की तरह ऑफिस चला जाता और देवर यानी विक्रांत और ननद दीक्षा का अधिकांश समय कॉलेज में बीतता. समीक्षा समझ नहीं पाती कि वह घर के हालातों को नार्मल कैसे बनाए. उसे पता था कि सास उसे पसंद नहीं करती. फिर भी वह अपनी तरफ से सासससुर का पूरा ख़याल रखती और उन का दिल जीतने का पूरा प्रयास करती.

धीरेधीरे भवानी प्रसाद समीक्षा के बातव्यवहार से काफी प्रभावित रहने लगे. कामिनी जी की नाराजगी भी कम होने लगी थी. मगर उन का मुंह इस बात पर अब भी फूला हुआ था कि बेटे की शादी भी हो गई और घर में कोई रौनक भी नहीं हुई. सब कुछ सूनासूना सा रह गया.

इस का समाधान भी भवानी प्रसाद ने निकाल लिया, “कामिनी क्यों न हम अपने बेटे का रिसेप्शन धूमधाम से करें. उस में सारे रिश्तेदार भी आ जाएंगे और घर में रौनक भी हो जाएगी.”

कामिनी जी ने यह बात स्वीकार कर ली.सही मौका देख कर रिसेप्शन का आयोजन किया गया. कामिनी ने इस में अपनी सारी अधूरी तमन्नाऐं पूरी कीं. खानपान और सजावट का शानदार प्रबंध किया गया. नए कपड़े, गहने और रिश्तेदारों की जमघट के बीच वह पुराने दर्द भूल गईं. कई दिनों तक मेहमानों का आनाजाना लगा रहा. हंसीठहाकों की मजलिस के बीच घर में एक नए माहौल की शुरुआत हुई.

भवानी प्रसाद को लगने लगा कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा. उन की तरह कामिनी भी समीक्षा को दिल से स्वीकार कर लेगी. समीक्षा के घर वालों से मेलजोल बढ़ाने और कामिनी के फूले मुंह को छिपाने के लिए भवानी प्रसाद ने समीक्षा के भाईबहन को 7-8 दिनों के लिए घर में ही रोक लिया.

समीक्षा का भाई अनुज काफी मजाकिया स्वभाव का था तो वहीं बहन दिशा डांस गाने में बहुत होशियार थी. मयंक की बहन दीक्षा और भाई विक्रांत भी अनुज और दिशा के साथ खूब मस्तीधमाल करते. 3 -4 दिन इसी तरह धमालमस्ती में बीत गए. समीक्षा और मयंक भी नए माहौल का मजा ले रहे थे. कामिनी भी नार्मल रहने लगी थी. सब कुछ अच्छा चल रहा था कि इसी बीच गहनों की चोरी वाली घटना ने सब को सकते में डाल दिया. हंसीखुशी और मस्ती का माहौल कुछ ही देर में तनावपूर्ण हो गया था.

अनुज और दिशा उसी शाम अपने घर चले गए थे और समीक्षा बिल्कुल खामोश सी हो गई थी. कामिनी का बड़बड़ाना चालू रहा जब कि मयंक समीक्षा को नार्मल करने के प्रयास में लगा रहता. भवानी प्रसाद अपने कमरे में उदास से बैठे रहते. उन्होंने सोचा था घर में हंसीखुशी आएगी पर हो गया था उलटा. वक्त के साथ जख्म भरते गए. कामिनी और समीक्षा सामान्य व्यवहार करने लगी थीं मगर एकदूसरे के प्रति उदासीनता लंबे समय तक कायम रही.

करीब 6-7 माह का समय इसी तरह गुजर गया. एक दिन मयंक घर लौटा तो चेहरे पर एक अलग ही तरह के सुकून और खुशी के भाव थे.

आते ही उस ने समीक्षा से कहा, मैं ने बताया था न कि मुंबई में एक जगह खाली है और उस के लिए मैं ने महीनों पहले ट्रांसफर की अर्जी दी थी. वह आज अप्रूव हो गई. इस महीने की 25 तारीख को मुझे वहां की ब्रांच ऑफिस को ज्वाइन करना है.”

सुन कर समीक्षा का चेहरा भी खिल उठा. मयंक ने अपनी मां को यह बात बताई तो उन्होंने सवालिया नजरों से बेटे की तरफ देखा और फिर उदास हो कर पलकें झुका लीं. भवानी प्रसाद ने भी उदास हो कर अपने बेटे की तरफ देखा. दोनों समझ रहे थे कि मयंक के इस फैसले की वजह क्या है. पर वे कहते भी तो क्या.

मयंक और समीक्षा मुंबई शिफ्ट हो गए. इस के एकदो साल बाद ही मयंक के भाई विक्रांत को पुणे यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया. वह एमबीए पढ़ने वहां चला गया और जल्द ही वहीँ उसे जॉब भी मिल गई. 2 -4 साल में छोटी बहन की शादी हो गई. अब घर में केवल भवानी प्रसाद और कामिनी ही रह गए थे.

वक्त इसी तरह गुजरता गया. मयंक और समीक्षा को मुंबई आए करीब 10 साल बीत चुके थे. उन को एक प्यारा सा बेटा भी हुआ जो अब 6 साल का हो चुका था.

एक दिन मयंक के पास भवानी प्रसाद का फोन आया. वह काफी दुखी स्वर में बोल रहे थे,” बेटा तेरी मां की तबियत सही नहीं है. उसे कैंसर…,” कहतेकहते भवानी प्रसाद रो पड़े.

“यह क्या कह रहे हैं पापा, सही से बताइए क्या हुआ मां को? पापा प्लीज रोइए मत.””बेटा उसे आंतों का कैंसर हो गया है. कुछ दिनों से न ढंग से खापी रही है और न कोई काम कर पाती है. तुरंत उल्टी हो जाती है. खून भी निकलता है. इतनी कमजोर हो गई है कि क्या बताऊं. डॉक्टर ने सर्जरी और कीमोथेरपी के लिए कहा है पर बेटा मैं अकेला सब कुछ कैसे संभालूं?”

“चिंता मत करो पापा. मैं कुछ करता हूं. पहले आप यह बताओ कि विक्रांत ने क्या कहा? क्या वह आ सकता है ?””नहीं बेटा वह कह रहा है कि उस के ऑफिस में अभी 4 महीने की ट्रेनिंग है. मैं ने कहा कि बहू को भेज दे तो कह रहा है कि वह भी तो वर्किंग है. ऑफिस छोड़ कर कैसे आएगी. हम ने दीक्षा से भी कहा था पर उस के दोनों बच्चे अभी बहुत छोटे हैं. कह रही थी कि बच्चे मां को परेशान करेंगे.”

इल्जाम –भाग 1:  कामिनी जी गहने चोरी का इल्जाम बच्चों पर क्यों लगा रही थी

कामिनी जी के गहने नहीं मिल रहे थे. पूरे घर में हड़कंप मच गया. कम से कम 4 लाख के गहने अचानक चोरी कैसे हो सकते हैं.”कामिनी ध्यान से देखो. तुम ने ही कहीं रख दिए होंगे, ” उन के पति भवानी प्रसाद ने समझाया.

“मैं अभी इतनी भी बूढ़ी नहीं हुई हूं कि गहने कहां रखे यह याद न आए. जल्दीजल्दी में अपनी इसी अलमारी के ऊपर गहने रख कर दमयंती को विदा करने नीचे चली गई थी. मुश्किल से 5 मिनट लगे होंगे और इतनी ही देर में गहने गायब हो गए जैसे कोई ताक में बैठा हुआ हो,” भड़कते हुए कामिनी ने कहा.

“मम्मी जी कोई और पराया तो अब इस घर में बचा नहीं सिवा मेरे भाईबहन के. सीधा कहिए न कि आप उन पर गहने चोरी करने का इल्जाम लगा रही हैं,” कमरे के अंदर से आती समीक्षा ने सीधी बात की.

“बहू मैं किसी पर इल्जाम नहीं लगा रही मगर सच क्या है यह सामने आ ही गया. मैं ने नहीं कहा कि तेरे भाईबहन ने गहने चुराए हैं पर तू अपने मुंह से कह रही है. यदि ऐसा है तो फिर ठीक है. एक बार इन का सामान भी चेक कर लिया जाए तो गलत क्या है?”

“मम्मी यह कैसी बातें कर रही हो आप. समीक्षा के भाईबहन ऐसा कर ही नहीं सकते,” मयंक ने विरोध किया.

“ठीक है फिर मैं ने ही चुरा लिए होंगे अपने गहने या फिर इन पर इल्जाम लगाने के लिए जानबूझ कर छिपा दिए होंगे,” कामिनी जी ने गुस्से में कहा.

“मम्मी प्लीज इस तरह मत बोलो. चलो मैं आप के गहने ढूंढता हूं. हो सकता है अलमारी के पीछे गिर गए हों या हड़बड़ी में गलती से कहीं और रख दिए हों. मम्मी कई दफा इंसान दूसरे काम करतेकरते कोई चीज कहीं रख कर भूल भी जाता है. चलिए पहले आप का कमरा देख लेता हूं.”

पत्नी या सालेसाली को बुरा न लगे यह सोच कर मयंक ने पहले अपनी मां के कमरे में गहनों को अच्छी तरह ढूंढा. एकएक कोना देख लिया पर गहने कहीं नहीं मिले. फिर उस ने पूरे घर में गहनों को तलाश किया. कहीं भी गहने न मिलने पर कामिनी ने समीक्षा के भाईबहन के बैग खोलने का आदेश दे दिया. थक कर मयंक ने उन का बैग खोला और पूरी तरह से तलाशी ली मगर गहने वहां भी नहीं मिले.

कामिनी जी ने फिर भी आरोप वापस नहीं लिया उलटा तीखी बात यह कह दी कि उन्होंने गहने कहीं छिपा दिए होंगे. इधर समीक्षा के साथसाथ उस के भाईबहन अनुज और दिशा को भी इस तरह तलाशी ली जाने की घटना बहुत अखरी. दोनों नाराज होते हुए उसी दिन की ट्रेन ले कर अपने शहर को निकल गए.

जाते समय अनुज ने साफ़ शब्दों में अपनी बहन से कहा था ,” दीदी हम जानते हैं इस सब के पीछे जीजू या आप का कोई हाथ नहीं. हम चाहते हैं आप अपने ससुराल में खुशहाल जीवन जियें पर हम दोनों भाईबहन अब इस घर में कभी भी कदम नहीं रखेंगे.”

भाई की बात सुन कर समीक्षा की आंखों से आंसू बह निकले थे. मयंक ने उसे गले से लगा लिया था. समीक्षा का गुस्सा सातवें आसमान पर था. मयंक भी खुद को दोषी मान कर बुझाबुझा सा समीक्षा के आगेपीछे घूम रहा था. कामिनी जी अभी भी चिढ़ी हुई अपने कमरे में बैठी थी और मयंक समीक्षा को शांत करने के प्रयास में लगा था.

समीक्षा की शादी सहजता से नहीं हुई थी. उसे मयंक को जीवनसाथी बनाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे. दोनों को कॉलेज टाइम में ही एकदूसरे से प्यार हो गया था. पहली नजर के प्यार को दोनों ही उम्र भर के बंधन में बांधना चाहते थे. मगर दोनों के ही घरवाले इस के लिए तैयार नहीं थे. काफी मान मनौवल और इमोशनल ड्रामे के बाद किसी तरह समीक्षा के घरवालों ने तो अपनी सहमति दे दी मगर मयंक के घर वालों की सहमति अभी भी बाकी थी. मयंक की मां कामिनी देवी किसी भी हाल में गैर जाति की बहू को अपने घर में लाने को तैयार नहीं थी. उन का कहना था कि कल को मयंक के छोटे भाईबहन भी फिर इसी तरह का कदम उठाएंगे. इसलिए वह मयंक को लव मैरिज की इजाजत नहीं दे सकतीं.

मयंक के पिता इस मामले में थोड़े उदार विचारों के थे. उन के लिए बेटे की खुशी ज्यादा मायने रखती थी. उन का आदेश पा कर मयंक ने समीक्षा के साथ कोर्ट मैरिज का फैसला लिया. जब कामिनी जी को यह बात पता चली तो उन का मुंह फूल गया. उन्हें इस बात पर गुस्सा आ रहा था कि पति ने उन की इच्छा के विपरीत बेटे को लव मैरिज के लिए हां क्यों बोल दिया. कामिनी जी को इस बात पर भी काफी रोष था कि वह बेटे की शादी का हिस्सा भी नहीं बन पाई. एक मां के लिए बेटे की शादी का मौका बहुत खास होता है.

कुछ दिन इसी तरह बीत गए. समीक्षा घर में बहू बन कर आ गई थी मगर न तो घर में शादी की रौनक हुई और न ही रिश्तेदारों को न्योता मिला. नई बहू का गृहप्रवेश भी हो गया और घर में हंसीखुशी का माहौल भी नहीं बन सका.

 

‘‘क्रिमिनल जस्टिसः बिहाईंड क्लोज्ड डोर्स’’से दूसरी बार डिजिटल में नजर आएंगी दीप्ति नवल

1978 में ष्याम बेनेगल की फिल्म‘जुनून’से बौलीवुड में कदम रखने वाली अदाकारा दीप्ति नवल ने बाद में ‘एक बार फिर’,‘चष्मेबद्दूर’,साथ साथ’, ‘बवंडर’, ‘कथा’, ‘इंकार’,‘लिशेन अमाया’, ‘तेवर’, ‘लायन’सहित सौ अध्कि फिल्मों में अभिनय किया.एक वक्त में फारूख शेख के संग उनकी सफल जोड़ी थी.

अब वह दूसरी बार डिजिटल मीडिया पर कदम रखने जा रही हैंकुछ समय पहले वह वेब
सीरीज‘मेड इन हैवन’में नजर आयी थीं.अब वह बहुत जल्द ओटीटी प्लेटफार्म ‘हाट स्टार डिजनी’पर स्ट्रीम होने वाली वेब सीरीज ‘‘क्रिमिनल जस्टिसः बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स’के दूसरे सीजन में मुख्य
भूमिका निभाते हुए नजर आएंगी.

ये भी पढ़ें- राहुल वैद्य की वापसी पर दिशा परमार ने कहा ‘हीरो वापस आ गया’ तो फैंस ने कहा भगोड़ा

ज्ञातब्य है कि ‘हाॅट स्टार डिजनी’ पर कुछ समय पहले स्ट्रीम हो चुके हॉटस्टार स्पेशल्स प्रेजेंट्स ‘क्रिमिनल जस्टिसः बिहाईंड क्लोज्ड डोर्स’की सफलता से प्रेरित होकर अब 24 दिसंबर से इसका दूसरा
सीजन लाया जा रहा है, जिसमें पहले सीजन की ही तरह वकील माधव मिश्रा का मुख किरदार अभिनेता पंकज त्रिपाठी निभा रहे हैं.

जबकि आठ एपीसोड की इस सीरीज में पहली बार बौलीवुड की वरिष्ठ अभिनेत्री दीप्ति नवल
मुख्य भूमिका में नजर आएंगी. दीप्ति नवल स्क्रीन पर अपनी शानदार अभिनय क्षमता एवं आकर्षक
व्यक्तित्व के लिए मशहूर हैं.वरिष्ठ अभिनेत्री दीप्ति नवल ने अपने पूरे करियर में अपने बेहतरीन अभिनय और कला से दर्शकों का मन मोहती रही हैं.

ये भी पढ़ें- एकता कपूर ने शेयर किया अपने खास दोस्त के साथ तस्वीर, क्या सच में शादी करने जा रही हैं?

कोर्टरूम ड्रामा वेब-सीरीज क्रिमिनल जस्टिसः बिहाईंड क्लोज्ड डोर्स में अपनी भूमिका के बारे में उन्होंने
बताया-‘‘मुझे इस सीरीज में काम करने में बहुत मजा आया.मैंने क्रिमिनल जस्टिस का पहला भाग देखा और यह मुझे बहुत पसंद आया. इसे बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया था.यह बहुत रोचक व दिलचस्प है.मैं इसमें काम करना चाहती थी,इसलिए जब उन्होंने मुझे यह किरदार दिया,तो मैं फौरन मान गई.

जब मुझे यह देखने में इतना मजा आया था, तो फिर सीजन 2 में इसमें काम करने में भी मजा आने वाला
था.’’

अपने सहकलाकारों के साथ काम करने के बारे में उन्होंने बताया, ‘‘मैं युवा कलाकारों के साथ काम करने के लिए उत्साहित थी.नए व उत्साह से भरे कलाकारों के साथ इस थ्रिलर में काम करके मुझे अच्छा लगा.मुझे पंकज त्रिपाठी, शिल्पा शुक्ला, वह बच्ची,जिसने मेरी पोती का किरदार निभाया, मिश्ती सिन्हा के साथ काम करने में मजा आया.

ये भी पढ़ें- बिग बॉस 14 के घर से बाहर जाते ही विकास गुप्ता ने शेयर किया इमोशनल

इसके दोनों निर्देशक रोहन सिप्पी और अर्जुन मुखर्जी दोनों ही बहुत प्रतिभाशाली हैं.इनके साथ काम करके अच्छा लगा. मुझे यकीन है कि एक शानदार व सबसे अलग कहानी सुनाने के उद्देश्य के साथ सीजन दो और ज्यादा दिलचस्प व रोचक होगा.

रोहन सिप्पी एवं अर्जुन मुखर्जी निर्देशित तथा अपूर्वा असरानी लिखित इस वेब सीरीज में कीर्ति कुल्हरी, अनुप्रिया गोयन्का, शिल्पा शुक्ला, जिशु सेनगुप्ता, मीता वशिष्ठ, आशीष विद्यार्थी आदि बेहतरीन
कलाकार हैं.

राहुल वैद्य की वापसी पर दिशा परमार ने कहा ‘हीरो वापस आ गया’ तो फैंस ने कहा भगोड़ा

बिग बॉस 14 के दमदार प्रतियोगी राहुल वैद्या ने शो अपने शो छोड़ने के फैसले से सभी को चौका दिया था. राहुल वैद्या ने अपने फैसले से सलमान खान को भी चौका दिया था. हालांकि उन्होंने दोबारा घर में वापसी कर लगी है. इसके बाद राहुल के इस फैसले से सभी फैंस खुशी जता रहे हैं.

राहुल वैद्या की एंट्री से खुश होकर उनका गर्लफ्रेंड दिशा परमार ने लिखा है कि हीरो वापस आ गया. दिशा परमार का यह ट्विट कई लोगों को अच्छा लग रहा है तो कई लोग दिशा परमार के इस ट्विट से नाखुश हैं. वहीं कुछ लोगों ने ट्विट करते हुए कहा है कि भगोड़ा कभी हीरो नहीं हो सकता है.

ये भी पढ़ें- एकता कपूर ने शेयर किया अपने खास दोस्त के साथ तस्वीर, क्या सच में शादी

एक यूजर ने लिखा है ऐसा राजा जो रणभूमि छोड़कर भाग गया ऐसा होता है हीरो. राहुल को हीरो नहीं लूजर कहरा जा सकता है.

फैंस जैसे राहुल वैद्या पर अपना गुस्सा उतार रहे हैं उसे देखकर साफ हो रहा है कि राहुल वैद्य को पहले जैसी लोकप्रियता नहीं मिलने वाली है.

ये भी पढ़ें- बिग बॉस 14 के घर से बाहर जाते ही विकास गुप्ता ने शेयर किया इमोशनल

ऐसे में अब ये देखना होगा कि कब तक राहुल वैद्या बिग बॉस के घर में टिके रहते हैं. दिशआ परमार ने नाकारात्मक ट्विट पर अभी तक कोई रिप्लाई नहीं किया है. उन्होंने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें राहुल वैद्य फैंस को धन्यवाद करते नजर आ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- एकता कपूर ने शेयर किया अपने खास दोस्त के साथ तस्वीर, क्या सच में शादी

ऐसे में साफ है कि दिशा परमार किसी तरह की लड़ाई नहीं करना चाहती हैं. उनके शेयर किए गए वीडियो को देखने के बाद ऐसा लग रहा है.

सर्दी में गन्ने की खेती

 लेखक-राकेश सिंह सेंगर, आलोक कुमार सिंह

विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपनेआप में सुरक्षित व लाभ देने वाली है.गन्ना फसल उत्पादन कीप्रमुख समस्याएंअनुशंसित जातियों का उपयोग न करना व पुरानी जातियों पर निर्भर रहना. रोगरोधी उपयुक्त किस्मों की उन्नत बीजों की अनुपलब्धता. बीजोत्पादन कार्यक्रम का अभाव. बीज उपचार न करने से बीजजनित व रोगों कीड़ों का प्रकोप अधिक और एकीकृत पौध संरक्षण उपायों को न अपनाना. कतार से कतार कम दूरी व अंतरर्वतीय फसलें न लेने से प्रति हेक्टेयर है. उपज व आय में कमी.

पोषक तत्त्वों का संतुलित और एकीकृत प्रबंधन न किया जाना. साथ ही, उचित जल निकासी व सिंचाई प्रबंधन का अभाव. उचित जड़ प्रबंधन का अभाव. गन्ना फसल के लिए उपयोगी कृषि यंत्रों का अभाव, जिस के कारण श्रम लागत अधिक होना वगैरह.गन्ना फसल ही क्यों चुनें?गन्ना एक प्रमुख बहुवर्षीय फसल है. अच्छे प्रबंधन से साल दर साल 1,50,000 रुपए प्रति हेक्टेयर से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता?है. प्रचलित फसल चक्रों जैसे मक्कागेहूं या धानगेहूं, सोयाबीनगेहूं की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त होता है यह निम्नतम जोखिम भरी फसल है, जिस पर रोग व कीट ग्रस्त व विपरीत परिस्थितियों का अपेक्षाकृत कम असर होता है. गन्ना के साथ अंतरर्वतीय फसल लगा कर 3-4 माह में ही प्रारंभिक लागत हासिल की जा सकती है.

ये भी पढ़ें-  नकदी फसल है गन्ना

गन्ने की किसी भी अन्य फसल से प्रतिस्पर्धा नहीं है. सालभर उपलब्ध साधनों व मजदूरों का सदुपयोग होता है. उपयुक्त भूमि, मौसम औरखेत की तैयारीउपयुक्त भूमि : गन्ने की खेती मध्यम से भारी काली मिट्टी में की जा सकती है. दोमट भूमि, जिस में सिंचाई की उचित व्यवस्था व जल निकास का अच्छा इंतजाम हो और पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो, गन्ने के लिए सर्वोत्तम होती है. उपयुक्त मौसम होने पर गन्ने की बोआई वर्ष में 2 बार की जा सकती है.शरदकालीन बोआई : इस में अक्तूबरनवंबर माह में फसल की बोआई करते हैं और फसल 10-14 माह में तैयार होती है. बसंतकालीन बोआई : इस में फरवरी से मार्च माह तक फसल की बोआई करते हैं. इस में फसल 10 से 12 माह में तैयार होती है. नोट : शरदकालीन गन्ना, बसंत में बोए गए गन्ने से 25-30 फीसदी व ग्रीष्मकालीन गन्ने से 30-40 फीसदी अधिक पैदावार देता है.खेत की तैयारीग्रीष्मकाल में 15 अप्रैल से 15 मई के पहले खेत की एक गहरी जुताई करें.

इस के बाद 2 से 3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई कर के व रोटावेटर व पाटा चला कर खेत को भुरभुरा, समतल व खरपतवाररहित कर लें. रिजर की मदद से 3 फुट से 4.5 फुट की दूरी में 20-25 सैंटीमीटर गहरी कूंड़े बनाएं. सही किस्म के बीज का चयन व तैयारी :  गन्ने के सारे रोगों की जड़ अस्वस्थ बीज का उपयोग ही हैं. गन्ने की फसल उगाने के लिए पूरा तना न बो कर इस के 2 या 3 आंख के टुकड़े काट कर उपयोग में लाएं. गन्ने के ऊपरी भाग का अंकुरण 100 फीसदी, बीच  में 40 फीसदी और निचले भाग में केवल  19 फीसदी ही होता है. 2 आंख वाला टुकड़ा सर्वोत्तम रहता है.गन्ना बीज का चुनाव करतेसमय सावधानियां * उन्नत जाति के स्वस्थ, निरोग, शुद्ध बीज का ही चयन करें.* गन्ना बीज की उम्र लगभग 8 माह  या कम हो, तो अंकुरण अच्छा होता है.

ये भी पढें- नींबू प्रजाति के फलों की खेती

बीज ऐसे खेत से लें, जिस में रोग व कीट  का प्रकोप न हो और जिस में खादपानी समुचित मात्रा में दिया जाता रहा हो.* जहां तक हो, नरम, गरम हवा उपचारित (54 सैंटीग्रेड व 85 फीसदी आर्द्रता पर 4 घंटे) या टिश्यू कल्चर से उत्पादित बीज का ही चयन करें.* हर 4-5 साल बाद बीज बदल दें, क्योंकि समय के साथ रोग व कीट ग्रस्तता में वृद्धि होती जाती है.* बीज काटने के बाद कम से कम समय में बोनी कर दें.गन्ने की उन्नत जातियांको. 05011 (कर्ण-9), को. से. 11453, को. षा. 12232, को. षा. 08276, यू. पी. 05125, को. 0238 (कर्ण-4), को. 0118 (कर्ण-2), को. से. 98231, को. शा. 08279, को. शा. 07250, को. शा. 8432, को. शा. 96269 (शाहजहां), को. शा. 96275 (स्वीटी). ये प्रजातियां उत्तर प्रदेश के लिए सिफारिश की गई हैं.

गन्ना बोआई का समयअक्तूबरनवंबर ही क्यों चुनें* फसल में अग्रवेधक कीट का प्रकोप नहीं होता.* फसल वृद्धि के लिए अधिक समय मिलने के साथ ही अंतरर्वतीय फसलों की भरपूर संभावना.* अंकुरण अच्छा होने से बीज कम लगता है व कल्ले अधिक फूटते हैं.* अच्छी बढ़वार के कारण खरपतवार कम होते हैं.* सिंचाई जल की कमी की दशा में देर से बोई गई फसल की तुलना में नुकसान कम होता है.* फसल के जल्दी पकाव पर आने से कारखाने जल्दी पिराई शुरू कर सकते हैं.* जड़ फसल भी काफी अच्छी होती है.* बीज की मात्रा-75-80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर. 2 आंख वाले टुकड़े लगेंगे.बीजोपचारबीजजनित रोग व कीट नियंत्रण के लिए कार्बंडाजिम 2 ग्राम लिटर पानी व क्लोरोपायरीफास 5 मिलीलिटर प्रति लिटर की दर से घोल बना कर आवश्यक बीज का 15 से 20 मिनट तक उपचार करें.खाद और उर्वरकफसल पकने की अवधि लंबी होने कारण खाद व उर्वरक की आवश्यकता भी अधिक होती है, इसलिए खेती की अंतिम जुताई से पहले 20 टन सड़ी गोबर या कंपोस्ट खाद खेत में समान रूप से मिलानी चाहिए.

ये भी पढें- ज्यादा कमाई के लिए किसान करें सब्जियों की प्रोसेसिंग

इस के अलावा 180 किलोग्राम नाइट्रोजन (323 किलोग्राम यूरिया), 80 किलोग्राम फास्फोरस (123 किलोग्राम डीएपी) व 60 किलोग्राम पोटाश (100 किलोग्राम म्यूरेट औफ पोटाश) प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा बोआई के समय प्रयोग करें और नाइट्रोजन की मात्रा को इस तरह प्रयोग करें :शरदकालीन गन्नाशरदकालीन गन्ने में नाइट्रोजन की कुल मात्रा को 4 समान भागों में बांट कर बोनी के क्रमश: 30, 90, 120 व 150 दिनों में प्रयोग करें.बसंतकालीन गन्नाबसंतकालीन गन्ने में नाइट्रोजन की कुल मात्रा को 3 समान भागों में बांट कर बोनी क्रमश: 30, 90 व 120 दिन में प्रयोग करें.नाइट्रोजन उर्वरक के साथ नीमखली के चूर्ण में मिला कर प्रयोग करने में नाइट्रोजन उर्वरक की उपयोगिता बढ़ती है. साथ ही, दीमक से भी सुरक्षा मिलती है. 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट व 50 किलोग्राम फेरस सल्फेट 3 साल के अंतराल में जिंक व आयरन सूक्षम तत्त्व की पूर्ति के लिए आधार खाद के रूप में बोआई के समय उपयोग करें.कुछ खास सुझावमृदा परीक्षण के आधार पर ही आवश्यक तत्त्वों की आपूर्ति करें. स्फुर तत्त्व की पूर्ति सगिल सु.फा.फे. उर्वरक के द्वारा करने पर 12 फीसदी गंधक तत्त्व (60 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) अपनेआप उपलब्ध हो जाता है.

जैव उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा को  150 किलोग्राम वर्मी कंपोस्ट या गोबर खाद के साथ मिश्रित कर 1-2 दिन नम कर बोआई से पहले कूंड़ों में या पहली मिट्टी चढ़ाने के पहले उपयोग करें. जैव उर्वरकों के उपयोग से  20 फीसदी नाइट्रोजन व 25 फीसदी स्फुर तत्त्व की आपूर्ति होने के कारण रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में उस के मुताबिक कटौती करें. जैविक खादों की अनुशंसित मात्रा उपयोग करने पर नाइट्रोजन की 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रासायनिक तत्त्व के रूप में कटौती करें.जल प्रबंधनसिंचाई व जल निकास गरमी के दिनों में भारी मिट्टी वाले खेतों में 8-10 दिन के अंतर पर व ठंड के दिनों में 15 दिनों के अंतर से करें. हलकी मिट्टी वाले खेतों में 5-7 दिनों के अंतर से गरमी के दिनों में व 10 दिन के अंतर से ठंड के दिनों में सिंचाई करनी चाहिए. सिंचाई की मात्रा कम करने के लिए गरेड़ों में गन्ने की सूखी पत्तियों की पलवार की  10-15 सैंटीमीटर तह बिछाएं. गरमी में पानी की मात्रा कम होने पर एक गरेड़ छोड़ कर सिंचाई दे कर फसल बचाएं.     कम पानी उपलब्ध होने पर ड्रिप (टपक विधि) से सिंचाई करने से भी 60 फीसदी पानी की बचत होती है. गरमी में सिंचाई करने से भी 60 फीसदी पानी की बचत होती है. गरमी के मौसम मैं जब फसल 5-6 महीने तक की होती है, स्प्रिंकलर (फव्वारा) विधि से सिंचाई कर के 40 फीसदी पानी की बचत की जा सकती है. वर्षा के मौसम में खेत में उचित जल निकास का प्रबंध रखें. खेत में पानी के जमाव होने से गन्ने की बढ़वार व रस की गुणवत्ता प्रभावित होती है.खाली स्थानों की पूर्तिकभीकभी पंक्तियों में कई जगहों पर बीज अंकुरित नहीं हो पाता है, इस बात को ध्यान में रखते हुए खेत में गन्ने की बोआई के साथसाथ अलग से सिंचाई स्रोत के नजदीक एक नर्सरी तैयार कर लें. इस में बहुत ही कम अंतराल पर एक आंख के टुकड़ों की बोआई करें.

ये भी पढ़ें- फसल को पाले से ऐसे बचाएं  

खेत में बोआई के एक माह बाद खाली स्थानों पर नर्सरी में तैयार पौधों को सावधानीपूर्वक निकाल कर रोपाई कर दें.खरपतवार प्रबंधन अंधी गुड़ाई : गन्ने का अंकुरण देर से होने के कारण कभीकभी खरपतवारों का अंकुरण गन्ने से पहले हो जाता है, जिस के नियंत्रण के लिए एक गुड़ाई करना जरूरी होता है, जिसे अंधी गुड़ाई कहते हैं.निराईगुड़ाई : आमतौर पर हर सिंचाई के बाद एक गुड़ाई जरूरी होगी. इस बात का खास ध्यान रखें कि ब्यांत अवस्था (90-100 दिन) तक निराईगुड़ाई का काम पूरा हो जाए.मिट्टी चढ़ाना : वर्षा शुरू होने तक फसल पर मिट्टी चढ़ाने का काम पूरा कर लें (120 व 150 दिन).रासायनिक नियंत्रणबोआई के बाद अंकुरण से पहले खरपतवारों के नियंत्रण के लिए एट्राजीन  2.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से  600 लिटर पानी में घोल बना कर बोआई के एक सप्ताह के अंदर खेत में समान रूप से छिड़क दें.खड़ी फसल में चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए 2-4-डी सोडियम साल्ट 2.8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से  600 लिटर पानी का घोल बना कर बोआई के 45 दिन बाद छिड़काव करें. खड़ी फसल में चौड़ीसंकरी मिश्रित खरपतवार के लिए 2-4-डी सोडियम साल्ट 2.8 किलोग्राम, मेटीब्यूजन  1 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 600 लिटर पानी का घोल बना कर बोआई के 45 दिन बाद छिड़काव करें. इन के उपयोग में खेत में नमी जरूरी है.अंतरर्वती खेतीगन्ने की फसल की बढ़वार शुरू के 2-3 माह तक धीमी गति से होती है.

गन्ने की 2 कतारों के बीच का स्थान काफी समय तक खाली रह जाता है. इस बात को ध्यान में रखते हुए यदि कम अवधि के फसलों के अंतरर्वती खेती के रूप में उगाया जाए, तो निश्चित रूप से गन्ने के फसल के साथसाथ प्रति इकाई अतिरिक्त आमदनी प्राप्त हो सकती है. इस के लिए निम्न फसलें अंतरर्वती खेती के रूप में उगाई जा सकती?हैं :शरदकालीन खेती : गन्ना+आलू  (1:2), गन्ना+प्याज (1:2), गन्ना+मटर  (1:1), गन्ना+धनिया (1:2), गन्ना+चना  (1:2), गन्ना+गेहूं (1:2). बसंतकालीन खेती : गन्ना+मूंग  (1:1), गन्ना+उड़द (1:1), गन्ना+धनिया (1:3), गन्ना+मेथी (1:3).गन्ने को गिरने से बचाने के उपाय* गन्ना की कतारों की दिशा पूर्वपश्चिम रखें.* गन्ने की उथली बोनी न करें.* गन्ने की कतारों की दोनों तरफ 15 से 30 सैंटीमीटर मिट्टी 2 बार जब पौधा 1.5 से 2 मीटर का हो. 120 दिन बाद हो और इस से अधिक बढ़वार होने पर चढ़ाएं (150 दिन बाद).* गन्ने की बंधाई करें. इस में तनों को एकसाथ मिला कर पत्तियों के सहारे बांध दें. यह काम 2 बार तक करें.* पहली बंधाई अगस्त में और दूसरी बंधाई इस के एक माह बाद जब पौधा 2 से 2.5 मीटर का हो जाए.* बंधाई का काम इस प्रकार करें कि हरी पत्तियों का समूह एक जगह एकत्र न हो, वरना प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होगी.गन्ने की कटाईफसल की कटाई उस समय करें, जब गन्ने में सुक्रोज की मात्रा सब से अधिक हो, क्योंकि यह अवस्था थोड़े समय के लिए होती है और जैसे ही तापमान बढ़ता है, सुक्रोज का ग्लूकोज में बदलाव शुरू हो जाता है और ऐसे गन्ने से शक्कर व गुड़ की मात्रा कम मिलती है. कटाई पूर्व पकाव सर्वे करें. इस के लिए रिफ्लैक्टो मीटर का उपयोग करें. यदि माप 18 या इस के ऊपर है, तो गन्ना पकने होने का संकेत है.

गन्ने की कटाई गन्ने की सतह से करें.गन्ना उत्पादन में उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर के तकरीबन 1,000 से 1,500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक गन्ना हासिल किया जा सकता है.जड़ फसल से भरपूर पैदावारजड़ फसल पर भी बीजू फसल की तरह ही ध्यान दें और बताए गए कम लागत वाले उपाय उपनाएं, तो जड़ से भरपूर पैदावार ले सकते हैं. समय पर गन्ने की कटाई : मुख्य फसल को समय पर (नवंबर महीने में) काटने से पेड़ी की अधिक उपज ली जा सकती है. जड़ फसल 2 बार से अधिक न लें. गन्ने की कटाई सतह जाति के लगा कर सिचाई करें. मुख्य फसल के लिए अनुशंसा के अनुसार उर्वरक दें.सूखी पत्ती बिछाएं : कटाई के बाद सूखी पत्तियों को खेत में जलाने के बजाय कूंड़ों के मध्य बिछाने से उर्वराशक्ति में वृद्धि होती है. उक्त सूखी पत्तियां बिछाने के बाद 1.5 फीसदी क्लोरोपायरीफास दवा छिड़कें.पौध संरक्षण अपनाएंकटे हुए ठूंठ पर कार्बंडाजिम 550 ग्राम मात्रा 250 लिटर पानी में घोल कर झारे की सहायता से ठेंठों के कटे हुए भाग पर छिड़कें.जड़ के लिए उपयुक्त जातियाजड़ की अधिक पैदावार लेने के लिए उन्नत जातियां जैसे को. 7318, को. 86032, को. जे. एन. 86-141, को. जे. एन.  86-600, को. जे. एन. 86-572, को. 94008 और को. 99004 का चुनाव करें.अधिक उपज प्राप्त करनेके लिए प्रमुख बिंदुगन्ना फसल के लिए 8 माह की उम्र का गन्ना बीज बोएं.

शरदकालीन गन्ना (अक्तूबरनवंबर) की ही बोआई करें. गन्ना की बोआई कतार से कतार 120-150 सैंमी के दूरी पर गीली कूंड़ पद्धति से करें. बीजोपचार (फफूंदनाशक-कार्बंडाजिम 2 ग्राम प्रति लिटर और कीटनाशक क्लोरोपायरीफास 5 मिलीलिटर प्रति हेक्टेयर 15-20 मिनट तक डुबा कर) बोआई करें. जड़ प्रबंधन के तहत ठूंठ जमीन की सतह से काटना, गरेड़ तोड़ना, फफूंदनाशक व कीटनाशक से ठूंठ का उपचार, गेप फिलिंग, संतुलित उर्वरक (एनपीके-300:85:60) का उपयोग करें. गन्ने की फसल के कतारों के मध्य कम समय में तैयार होन वाली फसलों चना, मटर, धनिया, आलू, प्याज आदि फसलें लें. खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजीन 1.0 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर सक्रिय तत्त्व की दर से बोआई के 3 से 5 दिन के अंदर और 2-4-डी 750 ग्राम हेक्टेयर सक्रिय तत्त्व 35 दिन के अंदर छिड़काव करें.गन्ना क्षेत्र विस्तार के लिए गन्ना उत्पादक किसानों के समूहों को शुगर केन हारवेस्टर, पावर बडचिपर व अन्य उन्नत कृषि यंत्रों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 40 फीसदी अनुदान उपलब्ध कराया जाना चाहिए.

निर्णय -भाग 3 : ताऊजी के व्यवहार में पूर्वा को कैसे महसूस हुआ बदलाव

अब जब ताऊजी उस की शादी की कोशिश करने लगे हैं और ताईजी भी उस से उस के मनपसंद लड़के के बारे में पूछ रही हैं तो उस के लिए प्यार की मीठीमीठी घंटियां बजने लगीं. शशांक जैसा जीवनसाथी ही तो उसे अपने लिए चाहिए पर उस ने तो इन दिनों उस से इस संबंध में कोई बात ही नहीं की. उस का मन तरंगित हो उठा…

मगर क्षण भर में ही उसे अपने सपने टूटते से लगे, क्योंकि शशांक एसटी कोटे से था. पापा और ताऊजी दोनों को ही अपने ब्राह्मणत्व का बड़ा गुमान था. इस विषय को ले कर वे पक्के रूढि़वादी थे. कई दिनों तक वह अनिर्णय की स्थिति में रही.

अब वह करे तो क्या करे? मांपापा की आंखों में तैरती खुशियों की चमक, ममतामयी ताईजी का पलपल प्यार से गले लगा कर कहना कि मेरी लाडो को दुनियाजहां की सारी खुशियां मिलें. परंतु ताऊजी उसे संदिग्ध लगते थे. वे फोन पर फुसफुसाते हुए न जाने किस गुणाभाग में लगे रहते थे.

पूर्वा को दूरदूर तक कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था. वह ताऊजी की फुसफुसाहटों पर अपने कान लगाए रहती. उसे पूरा विश्वास था कि ताऊजी उस की शादी फिक्स करवाने के एवज में अवश्य कोई लंबा हाथ मार रहे होंगे. वह चुपके से उन के कागज टटोलती, उन का फोन चैक करती कि कोई एसएमएस उसे पढ़ने को मिल जाए, परंतु वह अपने शक को सच में परिवर्तित करने में सफल नहीं हो पा रही थी.

पूर्वा को ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे किसी दलदल में धंसती जा रही है जहां से निकलना कठिन है. वह इसी उलझन में थी. तभी उसे ऐसा अनुभव हुआ कि शशांक ने उस की हथेलियों को पकड़ लिया है और उसे दलदल से बाहर निकाल लिया है. वह उस के साथ भागती जा रही है.

वह चौंक कर अपने चारों ओर देखने लगी, क्योंकि वह अब भी अपनी हथेलियों में उस के हाथों के स्पर्श को महसूस कर रही थी. उस ने शरमाते हुए अपनी हथेलियों को स्वयं ही चूम लिया जैसे वे अपनी नहीं वरन शशांक की हों. उस का दिल जोरजोर से धड़क रहा था. शशांक जैसे उस के रोमरोम में समाया हो. अब वह उस के बिना एक पल भी नहीं रह सकती थी.

उस के मन की ऊहापोह एवं अनिर्णय की स्थिति समाप्त हो चुकी थी. वह ताऊजी के लिए अपने भावी जीवन की बलि नहीं चढ़ा सकती. उस ने तुरंत शशांक को फोन मिला कर पूछा, ‘‘मुझ से शादी करोगे?’’

शशांक खुशी से उछल पड़ा, ‘‘डियर, इस दिन का तो मैं कब से इंतजार कर रहा था. बताओ मैं कब आऊं?’’

उस का दिल बल्लियों उछल रहा था.

ताऊजी के रुद्र रूप को सोच आज पूर्वा मुसकरा उठी थी. अंतत: वह ताऊजी के जाल से आजाद होने जा रही थी. अब उस के मन में न ताऊजी का डर था और न ही मम्मीपापा का.

वह ममतामयी ताईजी की शुक्रगुजार थी. उन्होंने सदा उस का साथ दिया.

पूर्वा के सिर से बड़ा बोझ उतर चुका था. वह तय कर चुकी थी कि वह अपने निर्णय पर अडिग रहेगी. इस घुटन भरी जिंदगी से आजाद हो कर खुली हवा में सांस लेगी. वह मंदमंद म

Crime Story: 18 दिन की दुल्हन का जाल

लेखक- जगदीश प्रसाद शर्मा ‘देशप्रेमी’  

सौजन्य- सत्यकथा

अहसान मूलरूप से उत्तर प्रदेश के जिला शामली के कैराना का रहने वाला था. वह कामधंधे के सिलसिले में काफी साल पहले हरिद्वार के कस्बा झबरेड़ा के मोहल्ला नूरबस्ती आ कर रहने लगा था.

6 नवंबर, 2020 को सुबह के करीब 6 बज रहे थे. अहसान अपने बीवीबच्चों के साथ गहरी नींद सोया था. तभी अचानक घर के बाहर मोहल्ले वालों के शोरशराबे की आवाजों से उस की आंखें खुल गईं. इन्हीं आवाजों में उसे अपने साले शाहनवाज की बीवी मुसकान के रोनेचिल्लाने की आवाज सुनाई दी.

अहसान को मुसकान के रोने की आवाज कुछ अजीब लगी, क्योंकि शाहनवाज व मुसकान उस के बगल वाले कमरे में ही रहते थे तथा 18 दिन पहले ही उन का निकाह हुआ था.

ये भी पढ़ें- Crime Story: हम बेवफा न थे

वह जल्दी में कमरे से बाहर निकला तो उस ने मोहल्ले वालों के ‘लाश… लाश’ चिल्लाने की मिलीजुली आवाज सुनी. अहसान तुरंत मौके पर पहुंचा. उस ने देखा कि उस के घर के पास बिजलीघर के बराबर वाले खाली प्लौट में एक लाश पड़ी थी. लाश पौलिथीन से ढकी हुई थी. वहां आसपास खडे़ दरजनों लोग लाश के बारे में तरहतरह की चर्चाएं कर रहे थे.

तभी भीड़ से निकल कर मुसकान अहसान के पास आई और बोली कि कुछ अज्ञात हत्यारों ने शाहनवाज को मार डाला है.  ‘‘शाहनवाज तो रात को घर में ही था?’’ अहसान ने कहा. ‘‘नहीं जीजाजी, वह रात को खाना खा कर 10 बजे चले गए थे.’’ मुसकान बोली.‘वह बाहर किसलिए गया था?’’ अहसान ने पूछा.

‘‘कह कर गए थे कि किसी से मिल कर थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे, मगर पूरी रात वापस नहीं आए और मैं सुबह तक जाग कर उन का इंतजार करती रही.’’ मुसकान ने बताया.‘‘तुम ने यह बात रात को ही मुझे क्यों नहीं बताई, मैं उसे कहीं ढूंढता.’’ अहसान बोला

ये भी पढें- Crime Story : तलाश लापता बेटे की

‘‘मैं ने यह बात इसलिए नहीं बताई थी कि आप दिन भर के थके हुए थे और सो रहे थे. मुझे उम्मीद थी कि थोड़ी देर में वापस लौट आएंगे.’’ मुसकान बोली.इसी दौरान भीड़ में से किसी ने शाहनवाज की लाश मिलने की सूचना झबरेड़ा के थानाप्रभारी रविंद्र कुमार को दे दी. हत्या की सूचना पा कर थानाप्रभारी रविंद्र कुमार अपने साथ एसआई चिंतामणि सकलानी, महेंद्र पुंडीर व हैडकांस्टेबल राजेंद्र को ले कर घटनास्थल की ओर निकल पड़े.

घटनास्थल थाने से मात्र 4 किलोमीटर दूर था, अत: वे 15 मिनट में मौके पर पहुंच गए. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से शाहनवाज के बारे में पूछताछ की. उन्होंने मृतक के बहनोई अहसान से भी पूछताछ की.

अहसान ने बताया कि शाहनवाज सहारनपुर के थाना कोतवाली देहात के अंतर्गत मोहल्ला शेखपुरा का रहने वाला था. वह एक ईंट भट्ठे पर नौकरी करता था. पिछली रात 10 बजे खाना खाने के बाद घर से बीवी को यह कह कर निकला था कि वह थोड़ी देर में वापस लौट आएगा. लेकिन रात भर नहीं आया और सुबह यहां उस की लाश मिली.

ये भी पढें- Crime Story: श्रद्धा, शातिर या मजबूर

अभी रविंद्र कुमार इस हत्या का बाबत अहसान से पूछताछ कर ही रहे थे कि सूचना पा कर सीओ (मंगलौर) अभय प्रताप सिंह व एसपी (देहात) एस.के. सिंह भी मौके पर आ गए.दोनों अधिकारियों ने भी शाहनवाज की लाश का निरीक्षण किया. सीओ अभय प्रताप सिंह को मृतक शाहनवाज के गले पर कुछ ऐसे निशान दिखाई दिए, जिस से लग रहा था कि हत्यारों ने शायद शाहनवाज का कुछ देर तक गला दबाया था. इन अधिकारियों ने अहसान से पूछा कि शाहनवाज से किसी की दुश्मनी या लेनदेन संबंधी कोई विवाद तो नहीं था?

अहसान ने साफ मना करते हुए बताया कि साहब ऐसा कुछ भी नहीं था. शाहनवाज काफी मिलनसार व मेहनत करने वाला युवक था. बस उस में एक कमी थी कि वह कभीकभार शराब जरूर पी लेता था.

मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए जे.एन. सिन्हा स्मारक संयुक्त चिकित्सालय रुड़की भेज दी. इस के बाद अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली.

इस के बाद एसपी (देहात) एस.के. सिंह ने शाम को शाहनवाज हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए थाना झबरेडा में एक मीटिंग बुलाई, जिस में सीओ (मंगलौर) अभय प्रताप सिंह व थानाप्रभारी रविंद्र कुमार शामिल हुए. इस बैठक में शाहनवाज के हत्यारों के बारे में मंथन किया गया.

ये भी पढ़ें- Crime Story: आलिया की मजबूरी

सीओ अभय प्रताप सिंह ने थाना झबरेडा के 2 सिपाहियों नूर हसन व नरेश को सादे कपड़ों में शाहनवाज के घर जा कर उस के व उस की बीवी मुसकान के बारे में सुरागरसी करने के निर्देश दिए. थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने भी शाहनवाज व मुसकान के मोबाइल फोन नंबरों की पिछले एक महीने की काल डिटेल्स निकलवा ली थी.

अगले दिन 7 नवंबर, 2020 की सुबह को पुलिस को मुसकान के बारे में काफी जानकारियां प्राप्त हो गईं.पुलिस को पता चला कि मुसकान के पिता शहीद का कई साल पहले इंतकाल हो गया था. मुसकान उन की 9 बेटियों में 8वें नंबर की थी. अहसान की बीवी सायरा शहीद की दूर की रिश्तेदार थी, इसलिए सायरा ने अपने भाई शाहनवाज के लिए शहीद से मुसकान का हाथ मांग लिया था.

गत 18 अक्तूबर, 2020 को कांधला में एक सादे समारोह में शाहनवाज व मुसकान का निकाह हो गया था. निकाह के बाद मुसकान का पारिवारिक जीवन ज्यादा सुखद नहीं रहा. इस का कारण यह था कि शाहनवाज शराबी किस्म का युवक था. शाहनवाज शराब पीने के बाद अकसर मुसकान से मारपीट पर उतारू हो जाता था.

इस के अलावा पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि मुसकान अकसर खाड़ी देश में नौकरी करने वाले एक युवक से बात करती थी.

ये जानकारियां मिलने के बाद पुलिस को मुसकान पर शक हो गया. सीओ अभय प्रताप सिंह व थाना प्रभारी रविंद्र कुमार को लगा कि शाहनवाज की हत्या का राज मुसकान ही खोल सकती है. उसे शाहनवाज के हत्यारों के बारे में जरूर कोई न कोई जानकारी रही होगी.

मुसकान ने पुलिस को अभी तक यही बताया था कि शाहनवाज घटना वाले दिन रात को 10 बजे खाना खाने के बाद घर से निकल गया था. जाते वक्त वह थोड़ी देर में लौटने की बात कह कर गया था. लेकिन यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

सीओ अभय प्रताप सिंह ने मुसकान के बारे में मिली जानकारी से एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णाराज एस. को अवगत कराया. एसएसपी ने एसपी (देहात) एस.के. सिंह व सीओ अभय प्रताप सिंह को निर्देश दिए कि मुसकान को थाने बुला कर उस से गहन

पूछताछ करें.इस के बाद थानाप्रभारी रविंद्र सिंह ने महिला कांस्टेबल पूजा को मुसकान के घर भेज कर पूछताछ के लिए थाने बुलवा लिया.

एसपी (देहात) एस.के. सिंह व सीओ अभय प्रताप की मौजूदगी में मुसकान से शाहनवाज की हत्या की बाबत पूछताछ शुरू की गई. पूछताछ के दौरान मुसकान आधे घंटे तक पुलिस को बरगलाती रही. जब एसपी एस.के. सिंह ने मुसकान से सख्त लहजे में कहा कि जब रात से तुम्हारा शौहर लापता था, तो तुम ने पास में ही रहने वाले उस के बहनोई और बहन सायरा को क्यों नहीं बताया? हो सकता है वे लोग रात को ही शाहनवाज को ढूंढ लाते और उस की जान बच जाती.

एस.के. सिंह के इस सवाल पर मुसकान खामोश हो गई. इस के बाद सीओ अभय प्रताप सिंह ने सख्त लहजे में मुसकान से कहा कि तेरी चुप्पी बता रही है कि शाहनवाज की हत्या का सच कुछ और है जिसे तू अच्छी तरह से जानती है, मगर पुलिस से छिपा रही है. या तो तू शाहनवाज की हत्या का सच सीधी तरह बता दे, नहीं तो हमें दूसरे तरीके भी आते हैं.

अभय प्रताप सिंह के इस कथन का मुसकान पर गहरा असर हुआ और वह रोने लगी   मुसकान ने पुलिस के सामने अपने शौहर शाहनवाज की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि जब उस का निकाह हुआ था तो वह बड़ी खुश थी और उस ने अपने भविष्य के सतरंगी सपने संजोए थे.

लेकिन जब वह ससुराल झबरेडा आई, तो उस के सपने बिखर गए. यहां आ कर उस ने पाया कि उस का शौहर शाहनवाज एक नंबर का शराबी है. इस के अलावा वह उस के साथ अकसर मारपीट भी करता था.

घटना वाले दिन यानी 5 नवंबर, 2020 को शाहनवाज नशे में धुत हो कर घर आया था. उस के नशे में होने के कारण वह क्रोध से भर गई. शाहनवाज ने घर में आते ही उस के साथ पहले मारपीट की. इस के बाद वह सो गया.

मुसकान ने बताया कि उस वक्त रात के साढ़े 10 बजे थे. उस के ननदोई का परिवार बराबर वाले कमरे में गहरी नींद में सो रहा था. वह अपने शौहर शाहनवाज से पहले से ही परेशान थी.

उस वक्त वह गुस्से से भर गई और गुस्से में आ कर उस ने नशे में बेसुध सो रहे शाहनवाज का गला घोंट दिया. कुछ देर में जब उस की मौत हो गई तो उस ने उस की लाश घसीट कर घर से थोड़ी दूर एक खाली प्लौट में डाल दी. लाश को उस ने एक ठेली पर रखी प्लास्टिक की पौलीथिन से ढक दिया था, जिस से कोई उसे देख न सके. इस के बाद घर आ कर वह सो गई थी.

थानाप्रभारी रविंद्र कुमार ने मुसकान के बयान दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद एसपी (देहात) एस.के. सिंह ने कोतवाली रुड़की में एक प्रैसवार्ता कर के मीडिया के सामने शाहनवाज हत्याकांड का परदाफाश किया.

निकाह के महज 18 दिनों में ही शौहर की हत्या करने वाली बीवी का यह समाचार कई दिनों तक अखबारों व टीवी चैनलों की सुर्खियां बना रहा. 2 दिनों बाद पुलिस को शाहनवाज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शाहनवाज की मौत का कारण उस का गला घोंटा जाना बताया गया. पुलिस ने मुसकान को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें