पौराणिकवादी विचारधारा का पोषक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू लड़कियों को आजाद नहीं छोड़ना चाहता. वह उन्हें अपनी पसंद का जीवन जीने या जीवनसाथी चुनने का अधिकार नहीं देना चाहता. मनुवादी व्यवस्था का समर्थक संघ पितृसत्ता को प्रभावशाली बनाना चाहता है ताकि ब्राह्मणों की दुकान चलती रहे. लव जिहाद का नाम ले कर बनाए गए धर्मांतरण कानून के जरिए हिंदू स्त्री को दहलीज के भीतर धकेले रखने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन यह ‘सरकारी हिंदुत्व’ लव जिहाद की आड़ में और भी बहुतकुछ करना चाहता है.

लव जिहाद जैसे शब्द गढ़ कर कट्टरपंथ और रूढि़यों से चिपके रहने वाले संघ और भाजपा, युवाओं से प्यार करने की स्वतंत्रता छीन कर जीवन जीने के उन के निजी अधिकार को खत्म कर देना चाहते हैं. हालांकि, उन के ‘प्रथमग्रासे मक्षिकापात:’ यानी उन के पहले ही कौर में ही मक्खी पड़ गई है. लव जिहाद कानून के तहत दर्ज पहले ही केस में उत्तर प्रदेश सरकार के मुंह पर कानून का जबरदस्त तमाचा पड़ा है.

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मुरादाबाद पुलिस द्वारा गिरफ्तार जोड़े को जिस में मुसलिम युवक को हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिहा कर दिया गया है और हिंदू युवती, जिस ने उस से विवाह करने के लिए इसलाम कबूल कर लिया था, शेल्टर होम से निकल कर अपने मायके जाने के बजाय अपनी मुसलिम ससुराल पहुंच गई है. यह है प्यार को सर्वोपरि सम झने वाले प्रेमियों का उत्तर प्रदेश की कट्टरपंथी सरकार को करारा जवाब.

उल्लेखनीय है कि संघ और भाजपा द्वारा कथित लव जिहाद का होहल्ला मचा कर युवादिलों को धर्म की सलाखों में कैद रखने की साजिश को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कानूनी जामा पहना दिया है. मानो लाखों धर्म परिवर्तन केवल लव जिहाद के कारण हुए हैं और हिंदुओं की संख्या घट गई है.

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