इस सवाल का जवाब इतिहासकार व सामाजिक वैज्ञानिक कभी भी नहीं खोज पाएंगे कि मानव सभ्यता को धर्म ने बनाया या धर्म ने समाज के सभ्य होते ही उसे काबू कर लिया. यह जरूर है कि सदियों से धर्म ने मानव के हर काम को नियंत्रित किया है, उसे मरनेमारने को भी तैयार किया. भारत में 40-50 वर्षों से धर्म के नाम पर राजनीति का दौर, 1947 के विभाजन पर हुई हिंसा से सबक सीखने के बाद भी, बखूबी चल रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उन की भारतीय जनता पार्टी सत्ता पाने व सत्ता में बने रहने के लिए धर्म को खुल्लमखुल्ला इस्तेमाल कर रही है.

नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लगा था कि राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट से मैनेज्ड फैसला घोषित करवा लेने के बाद अब वे ममता बनर्जी जैसी छोटी चींटी को मसल कर रख देंगे और नीलेसफेद बंगाल को भगवा रंग में लपेट देंगे. उन्हें यह एहसास नहीं था कि धर्म को हथियार बनाए बिना भी ममता बनर्जी जैसी जुझारू नेता ने पश्चिम बंगाल को बता दिया था कि उन्हें अपने लिए नहीं, जनता के लिए राज करना है. केंद्र सरकार के गृहमंत्री व भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह ने एक के बाद एक कितने ही ऊंची जातियों के तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को भाजपा में शामिल होने को मजबूर कर दिया था और इस पर उन्हें इतना गरूर हो गया था कि बंगाल फतह का मोरचा खोल डाला मानो ममता बनर्जी भारतीय महिला नहीं,

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बल्कि मक्का, मदीना या रोम से सीधे आ टपकी हों. ममता के लिए ‘दीदी... ओ... दीदी...’ कह कर अपमानित करने वाली भाषा का इस्तेमाल किया गया. मोदी और शाह को पक्का भरोसा था कि वे ममता को अपमानित कर बंगाली मतदाताओं को बेवकूफ बनाने में कामयाब हो जाएंगे और भाजपा की झोली में 200 सीटें आ जाएंगी. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 128 विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त मिली थी. नरेंद्र मोदी भूल गए कि उन के राज की पोल खुल चुकी थी. कोविड संकट से वे व उन की सरकार जिस तरह से निबट रहे हैं वह बेहद नाराजगीभरा है, ठीक उन के आदर्श राम की तरह. राम ने जिस तरह दुर्वासा के श्राप के डर से लक्ष्मण को सरयू में समाधि लेने को कह दिया था, वैसे ही नरेंद्र मोदी ने कोविड के श्राप पर देश की जनता को मरने के लिए छोड़ दिया है. नरेंद्र मोदी 2020 के कोविड आतंक के मद्देनजर बजाय अस्पताल बनाने, वैंटिलेटर बनाने, औक्सीजन का इंतजाम करने के किसानों, दिल्ली सरकार से भिड़ने और नए संसद भवन के निर्माण में जुटे रहे जिस की सब को जरूरत नहीं.

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