हाल ही में सुदीप की शादी हुई. सब को लड़की बहुत पसंद आई. अच्छे होटल में दावत… सबकुछ लड़के वालों के स्तर के अनुरूप ही था. पर ज्यादातर लोग दबी जबान से कह रहे थे, डाक्टर साहब (लड़के के पिता) ने रिश्ता बराबरी में नहीं किया. लड़की के पिता की फोटोग्राफी की दुकान थी और वे गूंगेबहरे भी थे. डाक्टर साहब ने कहा कि लड़की उन्हें पसंद आई और लड़की वालों ने हमारे स्तर के अनुरूप शादी कर दी, इस से ज्यादा हमें कुछ नहीं चाहिए. लोगों को जो कहना है, कहते रहें. उन्होंने घर वालों और कुछ समय बाद प्यार से बहू को भी यह बात समझा दी. बहू बहुत खुश हुई.

अंतर पता होता है

किन्हीं भी 2 परिवारों में अंतर होता है तो वह दिखता है. लेकिन कुछ लोग उसे कहे बिना चैन से रह नहीं पाते. कुछ कहते नहीं तो दबी जबान से बातें बनाते रहते हैं. किसी न किसी तरह जताने का मौका हाथ से गंवाना नहीं चाहते. कुछ हां में हां मिला कर ही ऐसे लोगों को उकसाते हैं. बहुत कम लोग ही प्रतिरोध करते हैं. सुमन को किसी ने कहा तो वह बोली कि यह विचार करना हमारा काम नहीं. आजकल लड़कालड़की अपनी पसंद से शादी करते हैं, उन्होंने विचार किया होगा. शैलजा ने बेटे की शादी के निर्णय पर कहा कि स्तर तो सोचने की बात है. हमारे घर आ कर वह लड़की हमारे ही स्तर की हो जाएगी. बहुत मुश्किल से बेटा माना पर आज खुश है.

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सुनीता कहती है, ‘‘मुझे इसलिए भी रोहन से ज्यादा प्यार हो गया क्योंकि वह बारबार अपने स्तर के कम होने की बात कहकह कर मुझे समझाता रहा. मैं ही उस के प्यार में पड़ी रही. खैर, उस ने बहुत मेहनत की और आज अच्छा जीवन स्तर बना लिया है. अब सब कहते हैं, हमारा प्यार सच्चा है.’’

अंतर तो हर जगह है

आमतौर पर जीवन स्तर का अंतर आर्थिक या ओहदे आदि का हो तो साफ दिखता है. 2 बराबर या मामूली कमज्यादा दिखने वाले परिवारों में भी अंतर होता है पर वह न ज्यादा दिखता है न चर्चा का विषय बनता है. शिक्षा के चलते मानसिक स्तर का अंतर भी होता है पर लोग उसे पैसे या ऐसे ही किसी अन्य कारण से बराबर समझ लेते हैं. इसी तरह की कई समायोजनशीलताएं रिश्तों में सफलता का आधार बन जाती हैं.

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सिरिल कहता है, ‘‘मेरे भाई का 2 बार तलाक हो गया. तीसरी शादी उस ने बहुत अंतर वाले परिवार में की. गरीब घर की लड़की निभा रही है. उस की अपनी वरीयताएं हैं. वह काम से काम रखती है. निरर्थक शकशुबहा उस में नहीं है. दूसरी बीवी हर समय इसी ताकझांक में रहती थी कि पहली बीवी के संपर्क में तो नहीं. उस के बच्चों पर तो तनख्वाह नहीं लुटा रहा.’’

रमा व पति में शिक्षा का अंतर था पर गाड़ी अच्छी निभी. पति व्यस्त रहते, ऐसे में एक व्यक्ति घर देखने लायक भी होना चाहिए. उन के दोस्तों की गृहस्थी चिटक गई. उन दोनों की हाईफाई नौकरी थी, ऐसे में कौन त्याग की पहल करे. रमा के पति कहते हैं मुझे रमा का स्वभाव पसंद आ गया. इस में जो अपनापन देखा वह मुझे अपनी शिक्षा से बेहतर लगा.

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अंतर पाटा जा सकता है

एक वैज्ञानिक महोदय के मांबाप ने उन की जबरन शादी कर दी. बहुत समय वे पत्नी से न मिले न बोले. एक दिन पत्नी दफ्तर पहुंच गई. उन से पूछा, ‘‘देखिए, मुझे साफ बताइए, आप मुझे रखना चाहते हैं या नहीं. वरना मैं आगे की सोचूं.’’

वैज्ञानिक महोदय कहते हैं, ‘‘मैं उस की बेबाकी और स्पष्टवादिता पर दंग था. मैं उसी क्षण उस पर मरमिटा. इतना पढ़लिख कर भी मैं अपने मांबाप से इतना स्पष्ट न कह सका. फिर भी मेरा ईगो आड़े आ गया. मैं ने कहा, ‘इसी बात पर हम में निर्वाह हो सकता है कि आप भी आगे पढ़ाई करें.’ वह मान गई. बीए तक पढ़ाई कर ली. आज हम खुश हैं. हम ने स्तर का सही मतलब ठीक से समझ लिया है.’’स्तर तो कभी भी घट सकता है और बढ़ सकता है. एक समय सरोज की ससुराल गांव में थी. उस के मांबाप को इसी बात का मलाल था. पर आज कोलकाता जैसे शहर में उन के 2 मकान हैं. गांव के कई गरीबों की वह मदद करती है.

स्तर का फंडा क्यों

शुरू से ही समाज में शादीब्याह, दोस्ती, संबंध समान लोगों में करने की बात कही गई है. इस से निर्वाह अच्छा होता है. यह बात काफी हद तक सही भी है. आजकल शादियां शक्ति प्रदर्शन होती जा रही हैं. ऐसे में सामने वाला भी वैसा न हो तो वह बरात का ही स्वागत नहीं कर पाएगा. इन्हीं बातों के फेर में बहुत सी बातें जो ज्यादा जरूरी होती हैं, छूट जाती हैं. श्रीमती शीला कहती हैं, ‘‘यह स्तर दिखावे में काम आता है कि लोग कह सकें हमें इतना अच्छा, हमारे जैसा या हम से सवाया परिवार मिला.’’

बराबरी सिर्फ पैसे की

कुमारी ने अपने से कम पढ़ेलिखे व पैसे वाले व्यक्ति से शादी का निर्णय लिया तो घर में प्रलय आ गई. उसे तरहतरह से समझाया गया. उस ने कहा, बराबरी डिगरी, ओहदों या पैसे से ही नहीं होती. लड़का गरीबी के कारण अच्छे अवसर न पा सका फिर भी यहां तक पहुंचा. मैं इस से चारगुना सुविधा पा कर भी वहां तक न पहुंच सकी. इस में खूब कर गुजरने की क्षमता है.

खैर, उस का निर्णय माना गया और आज वह परिवार इस शादी पर गर्व करता है. बड़े धनीमानी स्तरीय व्यक्ति भी शुरू से ही वैसे नहीं होते. बहुत मेहनत तथा संघर्ष से मुकाम पाते हैं जो विरासत में ये सब पाते हैं वे भी मेहनत न करें तो उस स्तर तथा मुकाम पर बने नहीं रह सकते.

बहुत बड़ा अंतर

दीप्ति की शादी बहुत अमीर घर में हो रही थी पर पति 20 वर्ष बड़ा था. उस ने मना कर दिया. उसे सब ने समझाया कि पूरे घर का स्तर बढ़ जाएगा, उबर जाएगा पर वह नहीं मानी. उसे हमउम्र पति चाहिए. बाकी कमियां वे पूरी कर लेंगे. बात खत्म हो गई. दोचार लोग अड़े रहे तो उस ने साफ कहा, ‘पूरे खानदान का स्तर उठाने का उस ने ठेका नहीं ले रखा है.’

आज वह सामान्य परिवार के युवक के साथ बहुत खुश है. आजकल एक जैसी पढ़ाई, स्तर, रंगरूप के बावजूद तलाक बढ़ते जा रहे हैं. हम लोग यह भूलते जा रहे हैं कि बाहरी स्तर के अलावा आंतरिक प्रकृति, गुण, स्वभाव, कर्म आदि का भी बहुत बड़ा योगदान होता है. एकदम भीतर से किसी को जानना संभव नहीं पर आज ज्यादातर लोग इस का प्रयास ही नहीं करते. साधन संपन्नता, अपटूडेसी से ही बराबरी का स्तर मान लिया जाता है. बहुत शादियों में इसीलिए धोखा भी होता है.

बेहतर यही है कि व्यक्तित्व का अनुकूलन, स्वीकार्यता सकारात्मकता शादी का आधार बने. ऐसा होगा तो शादी में स्थायित्व और आनंद बना रहेगा. बाहरी स्तर बनाना या मेंटेन करना भीतरी व्यक्तित्व की अपेक्षा ज्यादा आसान होता है, यदि कहीं जरूरत हो तो.

परंपरागत मान्यता

अकसर कहा जाता रहा है कि अपने से छोटे घर की लड़की लो और अपने से बड़े घर में दो. इस में भी स्तर का अंतर तो रहता ही है. इस संबंध में कई मैरिज ब्यूरो से बात हुई. इस बारे में योगेंद्र शुक्ल कहते हैं, ‘‘शादियों के लिए इन केंद्रों में आने वाले ज्यादातर लोग अपने से ऊंचे स्तर के रिश्ते की बात करते हैं. पहले की तरह गुणी, सुशील, खानदानी रिश्ते की जगह पढ़ाई, पैकेज और पैसा लेता जा रहा है.’’

मनोचिकित्सक नीलेश तिवारी कहते हैं कि बहुत ज्यादा स्टैंडर्ड कौन्शसनैस समाज में आती जा रही है, इस का मुख्य कारण भौतिकता है. जीवन से मूल्य लुप्त होते जा रहे हैं. इसी कारण समान स्तर तक की शादियां मनमरजी से होने के बावजूद नहीं निभ रही हैं. लोग सोचते हैं स्तरीय व्यक्ति से अपेक्षाएं पूरी होंगी पर वे भूल जाते हैं कि उस व्यक्ति की भी अपेक्षाएं हैं. स्तर के कारण अहम, दंभ भी हावी रहते हैं. आप को पता होना चाहिए कि आप क्या हैं और आप को क्या चाहिए. स्पष्टता, ईमानदारी और खूब सोचसमझ कर किया गया रिश्ता कमज्यादा स्तर दोनों में खूब निभता है, चलता है, अनुकरणीय दांपत्य वाला रहता है.

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