लेखक- जगदीश प्रसाद शर्मा ‘देशप्रेमी’
सौजन्य- मनोहर कहानियां
सितंबर की पहली तारीख थी. रितु ने अपने प्रेमी अजय को फोन कर अपनी मां की तरफ से माफी मांगते
हुए मिलने के लिए विनती की. जबकि अजय उस से मिलने में आनाकानी कर रहा था. उस ने अपने स्टूडियो में काम अधिक होने का बहाना बनाया. रितु के बारबार माफी मांगने पर अजय उस से मिलने को तैयार हो गया. लेकिन उस ने शर्त रखी कि उस के लिए बीयर का इंतजाम करना होगा.
‘‘अजय, मैं लड़की हूं. तुम्हारे लिए बीयर कहां से लाऊंगी. बताओ, मैं शराब की दुकान पर जाऊंगी तो अच्छा लगेगा?’’ रितु बोली.
इस पर अजय ने साफ लहजे में कह दिया कि वह चाहे जैसे भी लाए. उस का मूड बहुत ही खराब है. बगैर बीयर के ठीक होने वाला नहीं है. रितु ने इस बारे में और उस से ज्यादा जिरह नहीं की और फोन डिसकनेक्ट करने से पहले मिलने की जगह और समय बता दिया. रितु एलएलबी की छात्रा थी. उस का मोहल्ले में ही रहने वाले युवक अजय सैनी उर्फ बंटी के साथ काफी समय से प्रेम संबंध चल रहा था. यह बात रितु की मां सुशीला को पसंद नहीं थी. उन के प्रेम संबंध के खिलाफ जा कर सुशीला ने रितु की एक साल पहले ही शादी करवा दी थी. लेकिन शादी के 2 महीने बाद ही रितु पति से तलाक की बात कह कर मां सुशीला के पास ही आई थी, उन के तलाक का मामला कोर्ट में लंबित था. इस की वजह यह थी कि रितु पर अजय के प्यार का भूत सवार था. जबकि अजय के लिए रितु मौजमजे के अलावा कुछ और नहीं थी. अजय रितु से मिलने उस के घर पर भी जाता रहता था.