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नरेंद मोदी : आगे पाठ पीछे सपाट की कहानी

क्या आज आप गुजरात मौडल की बात करते हैं या सोचते भी हैं? क्या आप के आसपास कोई ऐसा है जिस ने गुजरात मौडल की प्रशंसा की हो या उसे देखा हो? क्या आप ने 56 इंच के सीने का कोई व्यक्ति देखा है? या फिर यह सब सिर्फ किस्सेकहानियों में ही पाया जाता है, हकीकत बिलकुल भी ऐसा नहीं है.

भारत जैसे देश, जो दुनिया का सब से बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है और है भी, में क्या कोई सिर्फ झूठ का तुमार खड़ा कर देश की जनता को भ्रमित कर सकता है. ऐसी कई बातें आज देश के सामने यक्ष के सवाल बन कर खड़ी हैं. आने वाला समय इन का जवाब देगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदर्भ में कुछ तथ्य और सच आप के सामने हैं, आप स्वयं अवलोकन करिए और चिंतन कर के निर्णय कीजिए कि सच क्या है और झूठ क्या. क्योंकि, आने वाला समय चुनाव के मौसम का है. ऐसे में हमें एक सजग नागरिक बन कर अपनी भूमिका का निर्वाह करना है.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आप को 2014 में लोकसभा चुनाव के पूर्व देश की जनता ने जो स्नेह, सम्मान, प्रेम दिया वह अपनेआप में अभूतपूर्व था. मगर प्रधानमंत्री बनने के बाद आप ने देश को क्या दिया? आप अच्छेअच्छे कपड़े पहनते हैं, दुनियाभर की यात्रा कर रहे हैं और लोग मोदीमोदी कर रहे हैं. इस से भला देश का क्या भला होगा? आप जहां भी जाते हैं वहां के नेताओं, राष्ट्राध्यक्ष को गले से लगा लेते हैं मगर देश की जनता, किसी गरीब आदमी को गले लगाते आप को तो आज तक किसी ने नहीं देखा. जबकि, कांग्रेस के नेता राहुल गांधी लंबे समय से देश की जनता से मिलते देखे जा रहे हैं. देशवासियों से वे बातें करते हैं, उन के आंसू पोंछने का प्रयास करते हैं. मोदी जी, आप ऐसा क्यों नहीं कर सकते, क्या यह आप की फितरत में नहीं है.

मोदी जी, आप ने कहा था, गुजरात का विकास मौडल सारे देश मे लाया जाएगा. आप ने कहा बुलेट ट्रेन आएगी, आप ने कहा 100 स्मार्ट सिटी बनाए जाएंगे, आप ने कहा लोकसभा के हर सांसद का एक आदर्श गांव आदिआदि सब कहां हैं? सब झूठ निकला. कुल मिला कर के, आगे पाठ पीछे सपाट.

नरेंद्र मोदी जी, क्या आप भी राजनीति में सपनों के सौदागर हैं. देश की जनता को झूठे ख्वाब दिखा कर उन के वोट बटोर लेना ही आप की जीत है या फिर देश की समृद्धि और आम जनता की सच्ची खुशी. आप ने कहा था, ‘नरेंद्र मोदी का सीना 56 इंच का है’ यह भी बहुत बड़ा झूठ निकला. हालांकि यह 56 इंच का जुमला प्रतीकात्मक था मगर इस के बावजूद, आप का कर्तव्य है कि देश की जनता के विश्वास को बनाए रखते. लेकिन हो तो यह रहा है कि आप के 9 वर्ष के कार्यकाल में एक के बाद एक आश्वासन दिए जा रहे हैं और सिर्फ कांग्रेस, विपक्ष, गांधी परिवार, हिंदूमुसलिम जैसे मसलों पर झूठ और झूठ खड़ा कर के देश की जनता को भ्रमित किया जा रहा है. क्या नरेंद्र मोदी होने का मतलब यह है कि सिर्फ और सिर्फ छलावा और झूठ.

शायद देश में बहुत लोगों को यह जानकारी नहीं होगी कि 56 इंच के सीने का मतलब क्या है. दरअसल, 56 इंच का सीना महान रेसलर गामा पहलवान का था जिस ने दुनिया में भारत का नाम रोशन किया था. गामा पहलवान को रुस्तम ए हिंद, रुस्तम ए जमां का खिताब मिला था. मगर मोदी के झूठ के सामने मानो आज सच भी पानी भर रहा है.

संविधान की नजर में देश की जनता के विश्वास को तोड़ने का काम किसी अपराध से कम नहीं है. और, इतिहास में इसे हमेशा याद रखा जाएगा कि ऐसा कृत्य देश के सर्वोच्च राजनीतिक पद पर बैठ कर किस ने किया.

Celina Jaitly पर भद्दी टिप्पणी करना पाकिस्तानी समीक्षक को पड़ा भारी, विदेश मंत्रालय ने की कार्रवाई की मांग

Celina Jaitly Tweet : बॉलीवुड एक्ट्रेस सेलिना जेटली अपनी खूबसूरती और एक्टिंग के लिए आज भी दुनिया भर में जानी जाती हैं. भले ही सेलिना ने लंबे समय से एक्टिंग से दूरी बना रखी है, लेकिन वह सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस से जरूर जुड़ी हुई है. आए दिन वह अपनी फोटो या वीडियो अपने फैंस के साथ साझा करती रहती है, जिसको लेकर वह सुर्खियों में बनी रहती हैं. हालांकि इस बार वह अपनी किसी फोटो या वीडियो के लिए नहीं बल्कि अपने एक ट्वीट के चलते चर्चा में बनी हुई हैं.

दरअसल, इस साल की शुरुआत में उमैर संधू (Umair Sandhu) नामक पाकिस्तानी समीक्षक ने सेलिना जेटली (Celina Jaitly) पर भद्दा कमेंट किया था, जिसका जवाब एक्ट्रेस ने उन्हें उसी समय दिया था. हालांकि अब ये मामला राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुंच गया है. एक्ट्रेस ने ट्वीट कर बताया कि दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने विदेश मंत्रालय ने इस मामले को उठाया है. साथ ही मामले की तुरंत जांच और कार्रवाई करने की भी मांग की गई है.

ट्वीट कर दी जानकारी

आपको बता दें कि बीते दिन अपने ट्विटर अकाउंट पर सेलिना (Celina Jaitly Tweet) ने एक लंबा नोट शेयर किया. साथ ही उन्होंने उस चिट्ठी की भी फोटो शेयर की, जो विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को भेजी थी.

रविवार को सेलिना ने ट्वीट कर लिखा, ‘कुछ महीने पहले खुद को हिंदी फिल्म समीक्षक कहने वाले उमैर संधू (Umair Sandhu) नामक पाकिस्तानी ने मेरे बारे में कई झूठे और भयानक दावे किए. उसने मेरे मेंटॉर फिरोज खान और उनके बेटे फरदीन खान के साथ मेरे संबंधों को लेकर मुझ पर बेतुके आरोप लगाए. इसके अलावा उसने ऑस्ट्रिया में भी मुझे और मेरे परिवार की सुरक्षा को निशाना बनाया. पाकिस्तान से किए गए उसके उत्पीड़न और फर्जी दावों पर मेरे द्वारा दिया गया रिएक्शन वायरल हो गया. पाकिस्तानी नागरिकों के साथ-साथ ट्विटर पर लाखों लोगों ने मेरा सपोर्ट किया जो उसके ट्वीट से हैरान थे.’

विदेश मंत्रालय हुआ मामले को लेकर गंभीर

इसके अलावा सेलिना (Celina Jaitly Tweet) ने अपने नोट में ये भी बताया कि, ‘उमैर ने ऑनलाइन अपनी लोकेशन बदल ली है पर वह पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है.’ एक्ट्रेस ने बताया कि ‘जब उमैर (Umair Sandhu) ने उनके खिलाफ ट्वीट किया तो तब उन्होंने इस मामले को राष्ट्रीय महिला आयोग में ले जाने का फैसला किया, जिसके बाद आयोग ने उनकी शिकायत पर तुरंत संज्ञान लेते हुए विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव को एक चिट्ठी भेजी. विदेश मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. साथ ही नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग के सामने इस मुद्दे को उठाया.’

उमैर को सबक सिखाके रहेंगी एक्ट्रेस

वहीं सेलिना ने (Celina Jaitly Tweet) आगे लिखा, ‘ये केवल उनके चरित्र पर सवाल उठाने का मामला नहीं है बल्कि उनकी ईमानदारी, मातृत्व, परिवार और उनके मेंटॉर फिरोज खान पर सीधे तौर पर हमला है.’ आगे उन्होंने लिखा, ‘वह एक आर्मी ऑफिसर की बेटी हैं और वह अपनी आखिरी सांस तक ये लड़ाई लड़ती रहेंगी भले ही उन्हें उस व्यक्ति को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान ही क्यों ने जाना पड़े.’

जानें उमैर ने सेलिना पर क्या-क्या लगाए थे आरोप?

आपको बता दें कि साल 2023 की शुरुआत में उमैर संधू (Umair Sandhu) ने एक ट्वीट किया था. उस ट्वीट में उन्होंने लिखा था कि, ‘सेलिना जेटली बॉलीवुड की एकमात्र ऐसी अभिनेत्री हैं जो पिता फिरोज खान और बेटे फरदीन खान दोनों के साथ कई बार सोई हैं.’ हालांकि सेलिना ने उमैर को उसी वक्त ट्वीट कर करारा जवाब दिया था, जिसके बाद लोगों का भी उन्हें सपोर्ट मिला था, लेकिन अब ये मामला विदेश मंत्रालय तक पहुंच गया है.

Anupamaa से तीखे सवाल करेगी बरखा, सामने आएगा अंकुश का नाजायज बेटा

Anupamaa Spoiler alert : टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ में रोजाना नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. इसी वजह से ये शो लंबे समय से टीआरपी रेटिंग में पहले नंबर पर बना हुआ है. शो के करंट ट्रैक की बात करें तो जहां एक तरफ काव्या की प्रेग्नेंसी का राज जानने के बाद बवाल खड़ा होगा, तो वहीं मेकर्स ने सीरियल में एक और नए ट्विस्ट को जोड़ दिया है. दरअसल, आज के एपिसोड में एक नए किरदार की एंट्री होगी, जिसके आने के बाद कपाड़िया मेंशन में हंगामा खड़ा हो जाएगा.

क्या होगा वनराज का अगला कदम?

आज के एपिसोड (Anupamaa Spoiler alert) में देखने को मिलेगा कि जहां एक तरफ काव्या अपनी प्रेग्नेंसी का सच अनुपमा को बताती है, तो वहीं ये बात कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़े होकर वनराज सुन लेता है. जब वनराज को ये बात पता चलती है कि काव्या की कोख में पल रहा बच्चा उसका नहीं है, तो उसके पैरों तले जमीन खिसक जाती है. सच जानने के बाद वनराज क्या करता है ये देखना काफी दिलचस्प होगा.

कपाड़िया मेंशन में होगी अंकुश के नाजायज बेटे की एंट्री

वहीं दूसरी तरफ अंकुश (Anupamaa Spoiler alert) अपने नाजायज बेटे को कपाड़िया मेंशन लेकर आता है. जैसे ही अंकुश का बेटा कपाड़िया परिवार में कदम रखता है वैसे ही बरखा हंगामा खड़ा कर देती है. बरखा अनुपमा से सवाल करती है कि अगर ये बच्चा अनुज की नाजायज औलाद होता तो क्या तब भी तुम उसे हमारे साथ इस घर में रहने देती?

अब आगे ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा बरखा के सवालों का क्या जवबा देती है. खैर ये सब तो आने वाले एपिसोड में ही पता चलेगा कि कपाड़िया मेंशन में अंकुश के नाजायज बेटे के आने से कहानी में कब और कैसे नया मोड़ आएगा.

रिश्ते जो खून में रंग गए

सूरज के निकलते ही आसमान में छाई कोहरे की धुंध साफ होने लगी थी. चिडिय़ों की मधुर कलरव ने सुबह होने का आभास कराया तो बागेश्वरी देवी भी उठ गईं. उन की बड़ी बहू पहले ही उठ कर फ्रेश हो गई थी. लेकिन पहली मंजिल पर रहने वाला उन का छोटा बेटा, बहू और पोता अभी तक नहीं उठा था. चायनाश्ते का समय हो गया था, इस के बावजूद वे लोग पहली मंजिल से नीचे नहीं आए थे.

एक बार तो बागेश्वरी देवी को लगा कि शायद ठंड होने की वजह से वे उठ न पाए होंगे. लेकिन इतनी देर तक न कभी बेटा ओमप्रकाश सोता था और न पोता शिवा. इसलिए वह परेशान होने लगीं. वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की कोतवाली शाहपुर के मोहल्ला अशोकनगर में रहती थीं.

मकान की ऊपरी मंजिल पर काम चल रहा था. साढ़े 8 बजतेबजते मजदूर काम पर आ गए थे, लेकिन तब तक ऊपर सो रहे लोगों में से कोई नहीं उठा था. मजदूर जैसे ही सीढिय़ां चढ़ते हुए प्रथम तल पर पहुंचे, उन्हें कमरे के अंदर से दरवाजे के जोरजोर से थपथपाने और औरत के चिल्लाने की आवाज सुनाई पड़ी. एक मजदूर ने जल्दी से दरवाजे की बाहर से लगी सिटकनी खोल दी.

अंदर से घर की छोटी बहू अर्चना तेजी से बाहर निकली और सीधे सामने वाले कमरे की तरफ भागी. उसे इस तरह भाग कर कमरे में जाते देख मजदूर हैरान रह गए.

अर्चना ने जैसे ही दरवाजे पर हाथ रखा, दरवाजा खुल गया. अंदर का दिल दहला देने वाला नजारा देख कर उस के पांव चौखट पर ही जम गए और वह जोर से चीखी. उस कमरे में बैड पर ओमप्रकाश की लाश चित पड़ी थी. फर्श पर खून ही खून फैला था. उन्हीं के बगल 4 साल के मासूम बेटे शिवा की भी लाश पड़ी थी. दोनों लाशें देख कर ही अर्चना जोर से चीखी थी.

बापबेटे की लाशें देख कर मजदूरों के भी हाथपांव फूल गए. अर्चना रोतीचीखती नीचे सास बागेश्वरी देवी के पास पहुंची. बहू के मुंह से बेटे और पोते की हत्या की बात सुन उन का पूरा बदन कांपने लगा. घर में रोनापीटना मच गया. दोनों की आवाजें सुन कर पड़ोसी भी आ गए. जैसेजैसे यह खबर मोहल्ले में फैलती गई, लोग बागेश्वरी देवी के घर इकट्ïठा होने लगे.

बागेश्वरी देवी की बड़ी बहू ने फोन द्वारा इस घटना की सूचना अपने पति राजकुमार को दे दी. वह उत्तर प्रदेश पुलिस में इंसपेक्टर थे. छोटे भाई और भतीजे की हत्या की बात सुन कर वह भी सन्न रह गए. उन्होंने कोतवाली शाहपुर के प्रभारी आनंदप्रकाश शुक्ला को फोन द्वारा घटना की जानकारी दे दी.

इंसपेक्टर आनंदप्रकाश शुक्ला तुरंत एसआई रामकृपाल यादव, एएसआई विमलेंद्र कुमार, कांस्टेबल संतोष कुमार, रामविनय सिंह, शिवानंद उपाध्याय और जनार्दन पांडेय को साथ ले कर अशोकनगर स्थित राजकुमार यादव के घर पहुंच गए. मृतक ओमप्रकाश यादव के ससुर दीपचंद यादव राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पीएसओ थे. उन्हें जब घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने गोरखपुर रेंज के आईजी पी.सी. मीणा को फोन किया.

इस के बाद तो आईजी पी.सी. मीणा, डीआईजी आर.के. चतुर्वेदी, एसएसपी लव कुमार, एसपी हेमंत कुटीयार, सीओ कमल किशोर, क्राइम ब्रांच, एसटीएफ की टीम, डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम वहां पहुंच गईं. थोड़ी ही देर में अशोकनगर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया.

पुलिस ने बड़ी बारीकी से घटनास्थल की जांच की. जिस कमरे में दोनों लाशें पड़ी थीं, वहीं बैड के पास खून से सना एक हथौड़ा और एक कूदने वाली रस्सी पड़ी थी. लाशें देख कर ही लग रहा था कि हत्यारे ने हथौड़े से ओमप्रकाश की हत्या की थी, जबकि उन के बेटे का रस्सी से गला घोंटा था. पुलिस ने दोनों सामानों को कब्जे में ले लिया.

सभी को यह बात परेशान कर रही थी कि आखिर बच्चे की हत्या क्यों की गई? पुलिस की नजर जब कमरे के दरवाजे की सिटकनी पर पड़ी तो दरवाजे पर सिटकनी तोडऩे जैसा कोई निशान नहीं था. देख कर लग रहा था कि किसी ने सिटकनी के पेंच खोल कर उसे फर्श पर रख दिया था.

जबकि पूछताछ में अर्चना ने बताया था कि उस के पति अंदर से सिटकनी बंद कर के सोए थे. उस ने यह भी कहा था कि लूटपाट का विरोध करने पर लुटेरों ने हथौड़े से उस के पति की हत्या की होगी. उसी समय बच्चा जा गया होगा, तब पहचाने जाने के डर से उन्होंने बच्चे को भी मार दिया होगा. लूटपाट के दौरान खटपट की आवाज सुन कर वह आ न जाए, इसलिए बदमाशों ने उस के कमरे की सिटकनी बाहर से बंद कर दी थी.

अर्चना का बयान पुलिस को कुछ अजीब लग रहा था. बागेश्वरी देवी के बड़े बेटे इंसपेक्टर राजकुमार आ गए तो वह उस कमरे में गए, जहां दोनों लाशें पड़ी थीं. उन्होंने भी कमरे का निरीक्षण किया. उन्हें भी साफ लग रहा था कि यह लूट का मामला नहीं है. पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी करने के बाद दोनों लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. मृतक की मां बागेश्वरी देवी की तहरीर पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ दोनों हत्याओं का मुकदमा दर्ज कर लिया. तकरीबन 7 साल पहले की बात है.

यह मामला एक तो विभागीय था, दूसरे बात मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी थी, इसलिए उसी दिन शाम को आईजी पी.सी. मीणा, एसएसपी लव कुमार ने एसपी (सिटी) हेमंत कुटीयार, एसपी (क्राइम ब्रांच) मानिकचंद और सीओ (कैंट) कमल किशोर को बुला कर विचारविमर्श करने के साथ इस केस का जल्द से जल्द खुलासा करने के निर्देश दिए.

एसएसपी लव कुमार के निर्देश पर थानाप्रभारी आनंदप्रकाश शुक्ला ने सब से पहले मृतक ओमप्रकाश और उन की पत्नी अर्चना के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. ओमप्रकाश की काल डिटेल्स से तो कुछ खास नहीं मिला, लेकिन अर्चना की काल डिटेल्स चौंकाने वाली थी. रात साढ़े 12 से डेढ़ बजे के बीच उस ने एक नंबर पर कई फोन किए थे.

जांच में पता चला कि वह नंबर फिरोजाबाद जिले के स्वामीनगर के रहने वाले अजय कुमार यादव का था और उस के फोन की लोकेशन दोपहर के बाद से ले कर उस समय तक गोरखपुर की थी. यही नहीं, इस के पहले भी उस नंबर पर अर्चना की दिन में कईकई बार लंबीलंबी बातें होती रही थीं.

सारा माजरा पुलिस की समझ में आ गया. अर्चना शक के दायरे में आ गई, लेकिन पुलिस ने इस बात का अहसास किसी को नहीं होने दिया. अजय कुमार गोरखपुर में ही था, लेकिन पुलिस के पास उस का कोई फोटो नहीं था, जिस से उसे पहचाना जा सके.

अजय कुमार के फोटो के लिए पुलिस ने सोशल साइट फेसबुक खंगाली तो उस में उस का फोटो मिल गया. लेकिन फेसबुक पर पड़े उस के फोटो देख कर एक बारगी पुलिस को झटका सा लगा, क्योंकि एक फोटो में वह समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ बैठक में था तो दूसरे फोटो में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हाथ मिला रहा था.

उन्होंने यह बात एसएसपी लव कुमार को बताई तो उन्होंने कहा कि स्थितियों से साफ लगता है कि इन हत्याओं में उसी का हाथ है, इसलिए उसे तुरंत गिरफ्तार करो. देर होने पर वह हाथ से निकल सकता है.

मोबाइल की लोकेशन से पुलिस को पता चल गया था कि अजय कुमार बसअड्ïडे पर है. पुलिस को फोटो मिल ही गया था, इसलिए 22 जनवरी की सुबह पुलिस ने बसअड्डे को घेर लिया. बसअड्ïडे पर भारी मात्रा में पुलिस बल देख कर अजय ने भागने की कोशिश तो की, लेकिन वह भाग नहीं सका. पुलिस उसे पकड़ कर सीधे शाहपुर कोतवाली ले आई.

अजय कुमार के पकड़े जाने की सूचना मिलते ही एसएसपी लव कुमार और एसपी (सिटी) हेमंत कुटीयार थाने आ गए. अजय ने खुद को समाजवादी पार्टी का नेता बताते हुए बिना वजह थाने लाए जाने पर रौब तो खूब झाड़ा, लेकिन जब उस के सामने काल डिटेल्स रखी गई तो उस की सारी हेकड़ी निकल गई.

रुआंसी आवाज में हाथ जोड़ कर उस ने पुलिस अधिकारियों के सामने गिड़गिड़ाते हुए कहा, ‘‘सर, मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई. अर्चना की बातों में आ कर मुझ से यह अपराध हो गया. उसी ने मुझ पर पति और बच्चे को रास्ते से हटाने का दबाव डाला था.’’

इस के बाद अजय ने ओमप्रकाश और उन के 4 साल के मासूम बेटे की हत्या की पूरी कहानी सुना दी. अजय ने स्वीकार कर लिया कि इन हत्याओं में अर्चना का भी हाथ था. इसलिए पुलिस अर्चना को गिरफ्तार करने के लिए अजय को साथ ले कर अशोकनगर कालोनी पहुंच गई.

उस समय इंसपेक्टर राजकुमार के घर परिवार वाले तो थे ही, अर्चना के पिता दीपचंद भी मौजूद थे. पुलिस अधिकारी पूछताछ के बहाने उसे लौन में वहां ले आए, जहां अजय कुमार खड़ा था. उसे पुलिस हिरासत में देख कर अर्चना का चेहरा सफेद पड़ गया.

अजय को देख कर अर्चना समझ गई कि उस का खेल खत्म हो गया है. अब उस के सामने अपना अपराध स्वीकार करने के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं है. इस से पहले कि उस से पुलिस कुछ पूछती, उस ने खुद ही कह दिया,  ‘‘हां, मैं ने ही अजय के साथ मिल कर पति और बेटे की हत्या की है. मुझे इस का कोई मलाल भी नहीं है.’’

अर्चना के मुंह से निकले इन शब्दों को सुन कर वहां खड़े लोग दंग रह गए. बेटी की करतूत पर दीपचंद तो गश खा कर गिर पड़े और बेहोश हो गए.

पुलिस ने अर्चना को भी गिरफ्तार कर लिया था. इस के बाद एसएसपी लव कुमार ने पुलिस लाइंस में प्रैसवार्ता आयोजित कर अर्चना और अजय कुमार को पत्रकारों के सामने पेश किया तो दोनों ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए ओमप्रकाश और उन के 4 साल के बेटे की हत्या के पीछे की पूरी कहानी सुना दी. इस दोहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

उत्तर प्रदेश के जिला गाजीपुर के थाना जमनिया के खलीलचक ढडनी के रहने वाले भोलानाथ यादव का 5 लोगों का छोटा सा परिवार था. उन 5 लोगों में 2 तो वह पतिपत्नी थे, बाकी 2 बेटे राजकुमार व ओमप्रकाश और एक बेटी प्रमिला. भोलानाथ साधनसंपन्न किसान थे, इसलिए अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाई. पढ़लिख कर बड़ा बेटा राजकुमार यादव उत्तर प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर हो गया तो दूसरा बेटा ओमप्रकाश यादव नेत्र परीक्षक.

पिता की मौत के बाद राजकुमार ने पूरे परिवार को अपने साथ रख लिया था. उन की पोङ्क्षस्टग गोरखपुर हुई तो वहां किराए पर रहते हुए उन्होंने कोतवाली शाहपुर के अंतर्गत बशारतपुर की पौश कालोनी अशोकनगर में जमीन खरीद कर अपना मकान बनवा लिया. राजकुमार की शादी हो चुकी थी, ओमप्रकाश ने नेत्र परीक्षक का डिप्लोमा कर लिया तो उन की भी शादी सिंगापुर में हो गई.

शादी के बाद ओमप्रकाश पत्नी को सिंगापुर से गोरखपुर ले आए. पत्नी को गोरखपुर में अच्छा नहीं लगा तो 6 महीने बाद ही वह सिंगापुर लौट गई. उस ने ओमप्रकाश को भी वहां आने को कहा, लेकिन ओमप्रकाश घरपरिवार छोड़ कर जाना नहीं चाहते थे, इसलिए मना कर दिया.

दोनों ही अपनीअपनी जिद पर अड़े थे. इसी जिद ने उन के बीच तलाक करा दिया. इस के बाद सन 2009 में 34 साल के ओमप्रकाश की दूसरी शादी लखनऊ के रहने वाले पीएसी के कंपनी कमांडर दीपचंद यादव की बड़ी बेटी अर्चना से हो गई. उस समय अर्चना यही कोई 19 साल की थी.

उन की 2 बेटियों में अर्चना बड़ी थी. वह पढ़ीलिखी और खूबसूरत तो थी ही, स्वच्छंद स्वभाव की भी थी. अकेली घूमना, दोस्ती करना और महंगे मोबाइल फोन रखना उसे अच्छा लगता था. यह प्रवृत्ति उस की शादी के बाद भी बनी रही. खूबसूरत अर्चना को पा कर ओमप्रकाश खुश थे. करीब साल भर बाद उन के घर बेटा पैदा हुआ तो पतिपत्नी ने प्यार से उस का नाम नितिन रखा. घर में सभी उसे प्यार से शिवा कहते थे.  इस तरह ओमप्रकाश का घर खुशियों से भर गया.

ओमप्रकाश जिस मकान में परिवार के साथ रहते थे, वह उन के बड़े भाई राजकुमार यादव का था. वह भी भाई की तरह अपनी मेहनत की कमाई से एक घर बनाना चाहते थे, जिसे वह अपना कह सकें. अपने सपनों का महल खड़ा करने के लिए उन्होंने जीतोड़ मेहनत की. आखिर उन की मेहनत सफल हुई और उन्होंने थाना गुलरिहा के मोगलहा में जमीन खरीद कर सुंदर सा अपना घर बनवा लिया.

उन के बेटे नितिन उर्फ शिवा का जन्मदिन था, उसी दिन वह अपने नए मकान में जाने की तैयारी कर रहे थे. लेकिन उन का यह सपना सपना ही रह गया. क्योंकि अर्चना और ओमप्रकाश के जो 5 साल हंसीखुशी से बीते थे, पिछले साल से उन की खुशियों में अचानक ग्रहण लग गया था.

ओमप्रकाश की बशारतपुर के एक कौंप्लेक्स में औप्टिकल्स की दुकान थी. उन के दुकान पर चले जाने के बाद अर्चना घर में खाली रहती थी. बूढ़ी सास बागेश्वरी देवी और जेठानी नीचे के कमरे में रहती थीं, जबकि वह पहली मंजिल पर. खाली समय में वह टीवी देख कर समय बिताती थी या फिर मोबाइल पर सोशल साइट फेसबुक पर दोस्तों के साथ चैटिंग करती थी.

किसी दिन फेसबुक के ‘ऐडेड फ्रैंड’लिस्ट में प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हाथ मिलाते हुए था सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के साथ बैठे अजय कुमार यादव पर उस की नजर पड़ी तो वह उस से काफी प्रभावित हुई.

उस ने अजय की प्रोफाइल खोल कर देखी तो उस में उस का पता गांव स्वामीनगर, थाना शिकोहाबाद, जिला फिरोजाबाद दिया था. उस का मोबाइल नंबर भी उस में था. अर्चना ने अपने फेसबुक के मुख्य पेज पर अपनी शादी से पहले की आकर्षक फोटो लगा रखी थी.

अजय की राजनीतिक पहुंच देख कर उस ने उसे ‘फ्रेंड रिक्वैस्ट’ भेज दी तो अजय की ओर से रिक्वैस्ट स्वीकार कर ली गई. उस के बाद उन के बीच चैटिंग शुरू हो गई. जल्दी ही दोनों गहरे दोस्त बन गए.

अजय कुमार यादव फिरोजाबाद के थाना शिकोहाबाद के गांव स्वामीनगर का रहने वाला था. दो भाइयों में वही बड़ा था. उस के घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी. गांव में उस के पिता श्यामबहादुर यादव की किराने की दुकान थी. पिता के न रहने पर अजय भी दुकान पर बैठता था.

उस की शादी भी हो चुकी थी. पत्नी काफी खर्चीली थी, जबकि उस के खर्च पूरे करने का अजय के पास कोई साधन नहीं था, इसलिए जल्दी ही दोनों में तलाक हो गया था. पत्नी के चले जाने के बाद अजय अकेला हो गया था. उस के बाद वह समाजवादी पार्टी से जुड़ गया और मेहनत की बदौलत जल्दी ही युवजन सभा में जिला स्तर का पद पा लिया.

फिर तो उस का बड़े नेताओं के बीच उठनाबैठना होने लगा. ऐसे में ही उस का फोटो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव और प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ भी खिंच गया, जिसे उस ने फेसबुक पर अपलोड कर दिया. इस फोटो को काफी लोगों ने लाइक किया.

इसी दौरान अजय ने दूसरी शादी कर ली. दूसरी पत्नी से 2 बच्चे पैदा हुए. लेकिन दूसरी पत्नी से भी उस की अनबन रहने लगी और वह भी नाराज हो कर बच्चों के साथ मायके चली गई. यह 2 साल पहले की बात है. इधर पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से अजय को पार्टी से निकाल दिया गया. लेकिन उस के उस फोटो को देख कर अर्चना तो उस से प्रभावित हो ही चुकी थी.

अजय और अर्चना की दोस्ती होने के बाद जबतब उन की फोन पर भी बातचीत होने लगी थी. जल्दी ही उन की दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया. दोनों ही एकदूसरे को दिलोजान से चाहने लगे. इसी का नतीजा था कि अर्चना ने अजय को अपने मायके लखनऊ में मिलने के लिए बुला लिया.

उस ने उसे मायके में इसलिए बुलाया था, ताकि मिलने में कोई बाधा उत्पन्न न हो. वहां मां के अलावा घर में कोई और नहीं रहता था. पापा दिन में ड्यूटी पर चले जाते थे, छोटी बहन वंदना की शादी ही हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में रहती थी.

पति से बहाना कर के अर्चना बेटे को ले कर मायके आ गई. अजय उस के दिए पते पर लखनऊ पहुंच गया. अर्चना ने मां से अजय का परिचय पुराने दोस्त के रूप में कराया. इस के बाद दोनों एकांत में मिले तो खुद को रोक नहीं पाए और वासना के प्रवाह में ऐसे बहे कि मर्यादा भंग कर बैठे.

अजय अर्चना से मिल कर फिरोजाबाद लौट गया तो अगले दिन अर्चना भी लखनऊ से गोरखपुर आ गई. इस के बाद उस ने ओमप्रकाश को महत्त्व देना बंद कर दिया. वह हर घड़ी मोबाइल से ही चिपकी रहती. उस की यह आदत न पति को अच्छी लग रही थी और न ही सास को. जब भी कोई उस से कुछ पूछता, वह कोई बहाना बना देती. धीरेधीरे ओमप्रकाश को उस पर शक होने लगा.

इस बीच अजय अर्चना से मिलने उस के ससुराल भी आने लगा था. सास बागेश्वरी देवी ने इस नए चेहरे को देखा तो पूछ बैठीं कि यह कौन है? तब उस ने खुद को अर्चना का दूर का रिश्तेदार बता दिया था, वह अर्चना के सभी रिश्तेदारों को जानती थीं. इतने दिनों बाद यह नया रिश्तेदार कौन आ गया, यह बात बागेश्वरी देवी के गले नहीं उतरी तो उन्होंने ओमप्रकाश से बात की.

ओमप्रकाश ने जब अर्चना से अजय के बारे में पूछा तो अपनी गलती मानने के बजाय वह पति से लडऩे पर आमादा हो गई. बस उसी दिन के बाद उन के रिश्ते में जो दरार पड़ी, वह धीरेधीरे बढ़ती ही गई.

पतिपत्नी के बीच इतनी दूरियां बढ़ गईं कि लगभग रोज ही घर में महाभारत होने लगा. यही नहीं, दोनों अलगअलग कमरों में सोने लगे. ओमप्रकाश नितिन को ले कर सोता था, जबकि अर्चना दूसरे कमरे में अकेली सोती थी.

एक तरह से अब अर्चना के लिए पति उस के प्रेम में रोड़ा बन रहा था. रोजरोज के झगड़े से वह ऊब चुकी थी. इसी का नतीजा था कि उस ने पति को रास्ते से हटाने के लिए अजय से बात की. अजय उस के लिए कुछ भी करने को तैयार था, इसलिए वह उस का साथ देने के लिए राजी हो गया.

पड़ोस में रवि राय के यहां सालगिरह का कार्यक्रम था, जिस में ओमप्रकाश भी सपरिवार जाना था. यही दिन अर्चना को पति को रास्ते से हटाने के लिए उचित लगा. उस ने अजय को फोन कर के 20 जनवरी को गोरखपुर बुला लिया. 3 बजे दोपहर अजय गोरखपुर पहुंच गया. उस समय मकान में काम चल रहा था, इसलिए बागेश्वरी देवी ऊपर थीं. अर्चना ने पीछे की सीढिय़ों से अजय को अपने कमरे में ला कर छिपा दिया.

देर शाम ओमप्रकाश लौटे तो पत्नी से पार्टी में चलने को कहा. उस समय सिर दर्द का बहाना बना कर अर्चना ने पार्टी में जाने से मना कर दिया. ओमप्रकाश ने भी जाने की जिद नहीं की. बेटे को तैयार किया और खुद भी तैयार हो कर चले गए. पति के जाने के बाद अर्चना ने अजय को बाहर निकाला और उसे खिलायापिलाया. ओमप्रकाश के लौटने का समय हुआ तो उसे फिर छिपा दिया.

रात करीब 11 बजे ओमप्रकाश बेटे के साथ पार्टी से लौटे और बेटे के साथ अपने कमरे में सो गए. सोते समय उन्होंने दरवाजे की सिटकनी अंदर से बंद नहीं की. मजदूरों के  जाने के बाद उन के औजारों से हथौड़ा निकाल कर अर्चना ने अपने कमरे में पहले ही रख लिया था. बच्चों की कूदने वाली रस्सी भी उस ने रख ली थी. अपनी इस योजना को वह किसी भी तरह से विफल नहीं होने देना चाहती थी.

सब के सो जाने के बाद अर्चना रात एक बजे के करीब दबे पांव अपने कमरे से निकली और पति के कमरे में गई. देखा कि बापबेटे गहरी नींद में सो रहे हैं तो वापस आई और अजय को हथौड़ा और रस्सी थमा कर एक बार फिर पति के कमरे में आ गई.

अर्चना ने उसे पति पर वार करने के लिए इशारा किया तो अजय ने हथौड़े से ओमप्रकाश के सिर पर पूरी ताकत से वार कर दिया. भरपूर वार से ओमप्रकाश भले ही चीख नहीं पाया, लेकिन शरीर ने तो हरकत की ही, जिस से नितिन जाग गया. पापा को मारते देख वह चिल्लाने लगा. अर्चना डर गई. दूसरी ओर संगमरमर के फर्श पर खून देख कर अजय भी कांप उठा.

अर्चना ने अजय से बच्चे को खत्म करने को कहा तो अजय की हिम्मत जवाब दे गई. उस ने मना किया तो भेद खुलने के डर से अर्चना कांप उठी. तब उस ने खुद ही बेटे का गला पकड़ लिया. उस समय मां की वह ममता भी नहीं जागी, जिस के बारे में कहा जाता है कि मां की ममता से बढ़ कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं है. मां मर सकती है, लेकिन अपने बच्चों को खरोंच तक नहीं आने दे सकती. लेकिन वासना में अंधी अर्चना ने बेटे को गला दबा कर मार दिया.

पुलिस और घर वालों को गुमराह करने के लिए अर्चना ने घर का सामान बिखेर दिया साथ ही सिटकनी खोल कर फर्श पर रख दी, ताकि सभी को यही लगे कि लूट की नीयत से सिटकनी तोड़ कर अंदर आए लुटेरों ने ओमप्रकाश और नितिन की हत्या कर दी है. इस के बाद दोनों ने बाथरूम में जा कर खून से सने हाथपैर धोए और कमरे में जा कर सो गए.

सुबह 4 बजे दोनों उठे तो अर्चना ने दरवाजा खोल कर बाहर झांका. कोई दिखाई नहीं दिया तो उस ने पीछे की सीढ़ी से अजय को बाहर निकाल दिया. अजय वहां से निकल कर गोरखपुरमहारागंज राष्ट्रीय राजमार्ग पर आया और टैंपो से बसअड्ïडे पर जा कर छिप गया. वह वहां इसलिए रुका था, क्योंकि अगले दिन अर्चना भी उस के साथ जाने वाली थी. वह अर्चना को ले जा पाता, उस के पहले ही पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन के आधार पर उसे पकड़ लिया.

अर्चना ने प्रेमी अजय के साथ मिल कर जो किया, उस की सजा उसे अवश्य मिलेगी. अब उन की बाकी की ङ्क्षजदगी जेल की सलाखों के पीछे बीतेगी. लेकिन अर्चना को अभी भी अपने किए का दुख नहीं है.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ममता की ममता

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि भारतीय जनता पार्टी के अलगाववादी व कट्टरपंथी एजेंडे की बाढ़ को रोका जा सकता है अगर दूसरे नेता सही तौर पर जनहित की छवि बनाए रख सकें. पंचायत चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की लाख कोशिशोंकेंद्रीय पुलिस के साए में हिंसा करवाए जाने और राज्यपाल के दखल के बावजूद अगर ममता ने 80 फीसदी से ज्यादा सीटें पा लीं तो इस से यह साबित होता है कि भाजपा का दिल्ली के इंडिया गेट के नजदीक सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने का दांव कारगर नहीं हुआ.

लोकतंत्र का असल फायदा तभी है जब हर तरह की पार्टियां शासन में हों चाहे उन का शासन सही हो या न. भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में एक बड़ी उम्मीद जगाई थी कि देश को भ्रष्टाचारमुक्त सरकार मिलेगी और देश प्रगति की राह पर दौड़ेगा. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. सरकारी बयानों में हम दुनिया के बहुत तेजी से प्रगति करते हुए देश हों पर प्रधानमंत्री कार्यालय के 5 किलोमीटर दायरे में बसी सैकड़ों झुग्गियों के लोगों के लिए क्या 1857, क्या 1947, क्या 2014, क्या 2023 सब एक सा हैं. हां, तकनीकी के कारण 2 कमीज की जगह 4 कमीज हो गईं, बिजली मिल गईमोबाइल हाथ में है.

पर जो सुविधाएं एक चीनीएक अमेरिकीएक फिलीपीनी के पास हैंवे एक आम भारतीय के पास कतई नहीं हैं. देश की उन्नति इसीलिए हर विश्व इंडैक्स में सालदरसाल नीचे सिखक रही हैसिर्फ जनसंख्या बढ़ रही है.

ममता बनर्जी ने रामनवमी यात्राओंजयश्रीराम के नारों और हिंदूमुसलिम झगड़ों का डट कर मुकाबला कर के ईडीसीबीआईएनआईए के प्रहारों के सामने झुके बिना भाजपा के समर्थकों को गांवों में 5-6 पर धकेल दिया.

देश को आज सब हाथ काम पर चाहिए. सब हाथों में फूलमालाएं और चढ़ावे की टोकरियां नहीं चाहिए. भारतीय जनता पार्टी विश्वमंचों पर चाहे कुछ भी कहती रहेगलीमहल्ले में उस का संदेश एक ही होता है- आओ एक और मंदिर बनाएंआओ अब और भंडारा करेंआओ एक और धर्म का मामला अंगीठी पर चढ़ाएं वगैरहवगैरह.

तृणमूल कांग्रेस जनता को कुछ खास दे रही हो, ऐसा नहीं हैं. वह सिर्फ एक पालन का प्रतीक है. जहां दूसरे राज्यों में सत्ताधारी नेता खुद को जागीरदारजमींदार समझने लगते हैं, ममता बनर्जी आज भी वही सादी धोती में कृश काया वाली अपनी सी दीदी बनी हुई हैं. वे भाजपा के ऊंचे, श्रेष्ठ नेताओं के नफरती दांवों के उलट जनता को यह भरोसा दिला रही हैं कि धर्म के नाम पर लगाई आग से हाथ बहुत दिनों तक नहीं सेंके जा सकते.

सीमा का कर्ज उतारा अंजू ने : इंटरनेशनल होता सावन

इंटरनैशनल होता सावन का रोमांटिक महीना 200 रुपए किलो के टमाटरों को न खरीद पाने की बेबसी और कसमसाहट में जैसेतैसे कट भी जाता, लेकिन मणिपुर की हिंसा और एक महिला को नग्न करते वायरल हुए वीडियो को देख कर तो हर किसी को लगा कि इतनी नफरत क्यों? यह आई कहां से और इस का इलाज क्या है? दिनरात अपने धर्म और संस्कृति की दुहाई देते रहने वालों की यह कहने की हिम्मत नहीं पड़ी कि यही तो हमारे संस्कार और परंपरा हैं. कभी ऐसा हस्तिनापुर में हुआ था, आज मणिपुर में हो गया तो कहां का पहाड़ टूट पड़ा.

लोग जरूरत से ज्यादा दुखी न हों, इसलिए मुहब्बत का संदेश लिए पाकिस्तान से सीमा आ गई. बस फिर क्या था, आवाम को एक काम मिल गया और सचमुच में वे टमाटर और मणिपुर भूलभाल कर अपनी नई भौजाई से हंसीमजाक करने में मसरूफ हो गए.

मीडिया वालों को बैठेबिठाए एक खुदीखुदाई स्टोरी मिल गई और हिंदूमुसलिम करते कट्टरवादियों के भी मुंह बंद हो गए. किसी ने नहीं कहा कि यह हिंदू लव जिहाद है.

सीमा हैदर के सीमा सचिन होते ही माहौल रातोंरात बदल गया. सीमा ने भी किसी को निराश नहीं किया. ‘मेरा गांव मेरा देश’ फिल्म के गाने ‘हाय शरमाऊं… किसकिस को बताऊं मैं अपनी प्रेम कहानियां…’ सरीखा कोई गाना गाने के बजाय उस ने अपनी लव स्टोरी उधेड़ कर रख दी. उस की कहानी और जज्बातों को अगर गद्य से पद्य में तबदील करें, तो अलगअलग फिल्म का यह गाना उभर कर आता है, ‘दिल में आग लगाए सावन का महीना, नहीं जीना नहीं जीना तेरे बिन नहीं जीना…’

सावन के गीत विरह और मिलन दोनों हिंदी साहित्यकारों के प्रिय विषय रहे हैं. लेकिन अब वह दौर गया, जब पत्नियां सावन में मायके जाती थीं और उन के मायके पहुंचते ही और कई बार तो पहुंचने के पहले ही पति की चिट्ठी पहुंच जाती थी कि प्रिय, तुम्हारी याद सताती है, जल्द आ जाओ. अब मुझ से रहा नहीं जा रहा वगैरह.

कामकाजी और नौकरीपेशा पत्नियों के पति तो विरहाग्नि नाम के इस सुख से परिचित ही नहीं. सचिन धन्य है, भाग्यशाली है, जो सीमा से उस का विरह बरदाश्त नहीं हुआ और वह धर्म, जाति और सरहदों सहित तमाम सीमाएं तोड़ कर आ गई.

यह और बात है कि सावन परंपरा का पालन करते हुए वह मायके नहीं गई, बल्कि सीधे वाया नेपाल अपनी नई ससुराल भारत आई.

समझने वाले उसे जासूस समझते रहे, इस से उस अर्धपरिपक्व प्रेमिका की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा और न ही उस के अकुशल नाबालिग प्रेमी पर, जो मुग्ध भाव से अपनी प्रेयसी को निहारता रहता है.

किसी के प्रेम को अगर समझना और महसूसना है, तो उन्हें सीमा व सचिन के प्यार की गहराई में उतरने की कोशिश करनी चाहिए. वे दोनों कोई पैसे वाले, खास पढ़ेलिखे या बुद्धिजीवी नहीं हैं, इसलिए वे चालाक भी नहीं हैं. प्रेम की अभिव्यक्ति उन्होंने बेहद सहज ढंग से की है. उस में कोई लागलपेट नहीं है और जिस में ये चीजें होती हैं, वह प्यार नहीं धूर्तता होती है.

इस सोच से परे एक और सोच समानांतर चल रही है कि इस विचित्र दुनिया में बेमकसद कुछ नहीं होता है. जो कुछ भी घटता और होता है, उस के पीछे प्रकृति की कोई मंशा होती है. यह मंशा लोगों का मनोरंजन नहीं थी, बल्कि उन्हें यह मैसेज देना है कि प्यार जायज या नाजायज नहीं होता. वह वाकई रूढ़ियों को तोड़ सकता है, पूरा माहौल बदल सकता है. अब यह आप के ऊपर निर्भर है कि आप उस में क्या देखते हैं.

सचिन के घर वाले और महल्ले के लोगों ने विदेशी बहू को हाथोंहाथ लिया, उसे आशीर्वाद और तोहफे दे कर साबित कर दिया कि औरतें केवल युद्ध से नहीं, बल्कि प्रेम से भी जीती जा सकती हैं और हम भारतीयों में तमाम पूर्वाग्रह छोड़ते एक पाकिस्तानी विवाहिता को बतौर बहू स्वीकारने की हिम्मत और उदारता है. लेकिन हमारी बहूबेटियां ऐसा करती तो हम उन्हें काट डालते, त्याग देते या जीतेजी उन का श्राद्ध कर देते.

इस दोहरेपन का सार यह है कि भगत सिंह पैदा तो हो, लेकिन हमारे यहां नहीं, बल्कि पड़ोसी के यहां हो.

सीमा की मुंहदिखाई की रस्म तो न्यूज चैनल वालों ने पूरी कर ही दी थी, जो दिनरात उसे दिखाते रहे. गोदभराई जैसी किसी रस्म की नौबत सीमा ने आने ही नहीं दी, क्योंकि वह 4-4 बच्चे साथ ले कर आई थी. जिन के बारे में सोशल मीडिया के वीरों ने कहा कि बजरंगी भाईजान में सलमान खान जिस मुन्नी को पाकिस्तान छोड़ आया था, वह 4-4 मुन्ने ले कर वापस आ गई है.

सावन के महीने में फागुन जैसे हंसीमजाक हो रहे हैं. लोग राष्ट्रीय और अपनी रोजमर्राई तकलीफें, तनाव और दुखदर्द भूल कर सीमा व सचिन के प्रसंग पर चर्चा कर हलके हो रहे हैं, यह क्या कम है. टीवी का त्याग कर चुके लोगों ने भी इस लव स्टोरी को देखने के लिए अपना उपवास तोड़ा और कुछ देर के लिए ही सही, जिंदगी की जटिलताओं और घुटन को भूले तो क्यों न इस के लिए सीमा का आभार व्यक्त किया जाए, जिस ने सावन को सार्थक कर दिखाया.

सीमा का सौंदर्य देख सचिन से जलने वालों की भी कमी नहीं, जो सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स से नाउम्मीद हो चुके थे कि इस में फर्जी प्रोफाइल्स और नाम होते हैं. जिसे रिजवाना समझ रिक्वैस्ट भेजो और महीनों रातरात भर जाग कर गुफ्तगू करते रहो, आहें भरते रहो, वह आखिरी रील में रिजवान निकलता है. ऐसे मायूस हो चले युवकों के लिए सीमा और सचिन की प्रेम कहानी आशा का संदेश ले कर आई है.

अब फुरसतिए नौजवान नए जोश के साथ देशीविदेशी विवाहिताओं की प्रोफाइल्स पर जीजान से जुट गए हैं कि शायद उन की किस्मत में भी कोई सीमा या बारबरा ब्रह्माजी ने लिख छोड़ी हो.

इत्तिफाक से पोलैंड की बारबरा पोलाक भी पवित्र सावन के महीने में ही अपने प्रेमी शादाब आलम से मिलने झारखंड के गांव बरतुआ जा पहुंची.

सीमा की तरह विरह में जलती यह युवती भी कोयला या राख नहीं होना चाहती थी. सीमा की तरह ही वह भी खाली हाथ नहीं आई, बल्कि अपने आशिक के लिए बेटी को साथ ले कर आई, जिस से उसे ज्यादा मेहनत न करनी पड़े.

शादाब ने भी दरियादिली दिखाते हुए उस की बेटी को अपना लिया और अपना नाम भी दे दिया. सावन का विरह यूरोप में भी रंग दिखा रहा है.

इन दोनों मामलों ने जता दिया है कि जबजब भारतीय अपनी परंपराओं को भूलने लगेंगे तो उन्हें याद दिलाने विदेशी आएंगे.

बारबरा और शादाब भी शादी के बंधन में बंधने की ख्वाहिश जता रहे हैं. यही हाल अंजू का है, जो हाल ही में पाकिस्तान में अपने प्रेमी नसरुल्लाह के घर जा धमकी है.

मध्य प्रदश की रहने वाली अंजू भी 2 बच्चों की मां है, लेकिन बच्चों को साथ नहीं ले गई. हो सकता है कि नसरुल्लाह पहले से ही बच्चों के मामले में संपन्न हो.

हालफिलहाल तो मीडिया और खुफिया एजेंसियां इन दोनों की जन्म कुंडलियां खंगाल रहे हैं. शुरुआत में तो यही सामने आया है कि इन दोनों की दोस्ती भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर हुई, फिर प्यार हो गया और सावन में ही शादी के रूप में व्यक्त हुआ. अंजू अंजू न रही फातिमा बन गई.

अंजू मूलतः हिंदू है, जिस के पूर्वजों ने कभी ईसाई धर्म अपना लिया था. उस का पति अरविंद भी जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि हिंदू ही रहा होगा, लेकिन वह भी पूर्वजों सहित ईसाई हो गया था. यहां तक कोई पेंच या लोचा स्टोरी में नहीं है, पर जल्द ही फसाद खड़ा हो भी सकता है. और हुआ तो इस बात पर होगा कि ईसाई मिशनरियां इफरात से धर्मांतरण कराती हैं.

अंजू ने नसरुल्लाह से निकाह कर इसलाम अपना लिया, ठीक वैसे ही जैसे सीमा ने सनातन आत्मसात कर लिया है यानी एक हिंदू लड़की जो ईसाई है, अब मुसलमान हो जाएगी. ऐसे में हम कैसे गुबार देखते रह सकते हैं. अब दिक्कत यह है कि अगर उस की घर वापसी करना हो तो वह कैसे होगी. उसे पहले मुसलमान से ईसाई और फिर ईसाई से हिंदू बनाया जाएगा या सीधे हिंदू धर्म में वापस ले लिया जाएगा. सांप्रदायिक सद्भावना की मिसाल अंजू को ले कर घरवापिसी विशेषज्ञों के सामने पहली दफा ऐसा धर्म संकट खड़ा होगा, इसलिए उम्मीद इस बात पर है कि वे इस ट्रिपल धर्म के चक्रव्यूह में उलझें ही नहीं.

इस फसाद में सावन किसी को नहीं दिखेगा कि अपने ननिहाल में पलीबढ़ी अंजू भी सीमा और बारबरा की तरह पति से नाखुश थी और मिलन का मौसमी लुत्फ उठाने पाकिस्तान नए बलमा के पास जा पहुंची.

दोष तो इन तीनों मामलों में पतियों का ज्यादा समझ आता है, जो अपनीअपनी बीवियों को प्यार और सुरक्षा नहीं दे पाए. वहीं इन तीनों को भी लगा होगा कि गलीमहल्ले, पड़ोस, कालोनी, शहर और देशप्रदेश में तो हर कोई प्यार करता है, क्यों न हम विदेशों में ट्राई मार कर देखें. इस से शौहरत भी मिलती है. इस लिहाज से इन का कोई दोष नहीं. असल दोष तो रोमांटिक सावन का है, जिस की रूमानी फीलिंग्स गुजरे कल की बातें होती जा रही हैं. हमें तो इन का शुक्रगुजार होना चाहिए, जो इन्होंने जताया और याद दिलाया कि प्यार करना और ऐसा प्यार करना, जो इन्होंने कर दिखाया उतना आसान काम भी नहीं जितना कि समझा जाता है.

अंजू को यह नागवार गुजरा कि सारी शोहरत सीमा बटोरे जा रही है, तो वह भी पाकिस्तानी भाभी बन कर जा पहुंची और सीमा का कर्ज उतार दिया.

नसरुल्लाह के घर और पड़ोस वाले भी उसे बहू स्वीकारते उस की बलैयां ले रहे हैं. दरियादिली की होड़ में वे भारतीयों से उन्नीस नहीं. यही सच्ची इनसानियत है कि धर्म, सरहदें, रंग और नस्ल भेद भुला कर मुहब्बतों की नई इबारतें गढ़ी जाएं. कट्टर होती दुनिया के लिए एकता, मानवता और भाईचारे का संदेश देने अब बुद्ध या महावीर पैदा नहीं होते, बल्कि सीमा और अंजू आ रही हैं, तो नियमकायदे, कानून भूल कर उन का स्वागत करने में हर्ज क्या है. बुद्ध और महावीर अपनी सोती हुई पत्नियों और बच्चों को छोड़ कर भाईचारे का संदेश देने निकले थे. इन तीनों ने पतियों व बच्चों का त्याग किया. जाहिर खुद के लिए नहीं, बल्कि कट्टर होती दुनिया को प्रेम और मानवता का संदेश देने के लिए और लोग हैं कि इस त्याग में भी षड्यंत्र तलाशे जा रहे हैं.

सिर्फ मोटापा नहीं, इन कारणों से भी निकलता है पेट

आमतौर पर पेट बढ़ने को लोग मोटा होना या वजन बढ़ना समझते हैं, हालांकि ऐसा हमेशा नहीं होता. पेट निकलने की समस्या को लोग अकसर अनदेखा कर देते हैं. पेट सिर्फ चरबी की वजह से ही नहीं बढ़ता है बल्कि इस के पीछे सूजन भी हो सकती है. लोग पेट के बढ़ने को वजन बढ़ने से ही जोड़ कर देखते हैं. अगर आप का वजन सामान्य है, या फिर आप अंडरवेट यानी सामान्य वजन से कम वजन वाले हैं और फिर भी पेट बढ़ रहा है तो इस के पीछे कई वजहें हो सकती हैं.

मौजूदा भागदौड़ भरी जिंदगी में बिजी जीवनशैली के चलते आजकल पेट की समस्या बड़ी ही कौमन हो गई है. जी हां, आज के समय में काफी लोग पेट निकलने की समस्या से परेशान हैं. बढ़ी हुई तोंद इंसान के न केवल लुक्स को खराब करती है बल्कि इस की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें भी हो सकती हैं.

पेट के बढ़ने के पीछे पेट में इन्फैक्शन यानी स्टमक फ्लू नाम की बीमारी हो सकती है. यह बीमारी शरीर के पाचनतंत्र में इन्फैक्शन फैलने और फिर सूजन होने के चलते होती है. इस की वजह से वैसे तो पेट से जुड़ी कईं दिक्कतें हो सकती हैं लेकिन उन में से एक है पेट का बाहर निकलना. दरअसल, यह पेट की सूजन हो सकती है जिसे आप एक्स्ट्रा चरबी या फिर पेट के बाहर निकलने का नाम दे रहे हैं.

पेट के बाहर निकलने या बढ़ने यानी स्टमक फ्लू की बीमारी के लक्षण काफी कौमन हैं और इसी वजह से हम उन्हें नज़रअंदाज़ भी कर देते हैं. भूख में कमी, पेटदर्द, जी मिचलाना , उलटी आना, त्वचा में हलकी जलन, मांसपेशियों में तकलीफ, वजन में कमी इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं लेकिन हम इन संकेतों को यों ही इग्नोर कर देते हैं.

स्टमक की इस बीमारी का सब से ज्यादा खतरा गरमी के मौसम में होता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि यह मौसम इस बीमारी के जीवाणुओं को पनपने के लिए सही माहौल देता है. यही वजह है कि इस मौसम में कटी सब्जी, फल, बासी खाना जल्दी खराब हो जाता है. मक्खी, मच्छरों के ज़रिए ये जीवाणु एक खाद्य पदार्थ से दूसरे तक जाते हैं और जब हम इन खाद्य पदार्थों को खाते हैं तो ये जीवाणु हमारे अंदर चले जाते हैं. सो, ऐसे खाने को खाने से या फिर दूषित पानी को पीने से इस बीमारी के फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

जिस्म में खाने या पीने की किसी चीज के जरिए जब ये जीवाणु आ जाते हैं तो 4 से 48 घंटे के भीतर शरीर में इन्फैक्शन फैल जाता है और इंसान बीमार हो जाता है. पेट की सूजन से इस बीमारी को बड़ी ही आसानी के साथ पकड़ा जा सकता है लेकिन इसे यों ही टाल दिया जाता है या फिर इसे एक्स्ट्रा चरबी समझ कर नजरअंदाज कर दिया जाता है.

वहीँ, पेट निकलने की समस्या की वजह एक्सट्रा फैट भी हो सकता है लेकिन अगर आप का वजन ज्यादा नहीं है, फिर भी आप का पेट बढ़ रहा है तो समझिए कि आप इस बीमारी का शिकार ही हैं. इस के अलावा अगर ऊपर दिए गए लक्षणों में से कुछ लक्षण आप को महसूस हो रहे हैं तो भी आप को डाक्टर से सलाह लेने की जरूरत है.

पेट की चरबी का बढ़ना

सभी को अच्छा दिखना अच्छा लगता है लेकिन पेट की चरबी हमारी खूबसूरती को काम कर देती है. यह समस्या ज़्यादातर लेडीज में देखी जाती है. हालांकि, पेट की चरबी की समस्या आजकल आम हो गई है और हर उम्र के लोगों में यह पाई जाती है. भारत में 76 फीसदी आबादी मोटापे की चपेट में है.

पेट की चरबी की खास वजहें हैं:

1 टेंशन

टेंशन यानी तनाव लेने से शरीर में कोर्टिसोल नामक एक हार्मोन रिलीज होता है जिस के चलते हमारे पेट के आसपास चरबी बढ़ने लगती है. रोजमर्रा की जिंदगी में लोगों को कई तरह के तनाव होते हैं जिन से यह समस्या आम हो गई है. डाक्टरों का कहना है कि अगर आप अच्छा खाते हैं और एक्सरसाइज भी करते हैं तब भी तनाव की वजह से आप का वजन कम नहीं होगा जिस के कारण हृदयरोग, कैंसर जैसी दूसरी समस्याएं होती हैं.

2 धूम्रपान एवं शराब

वैज्ञानिकों ने शोध में कहा है कि धूम्रपान से आप की पूरी बौडी का का वजन आप के पेट में आ कर जमा हो जाता है, जिस के चलते पेट की चरबी की समस्या होती है. जो भी धूम्रपान और शराब के आदी हैं उन में यह समस्या ज्यादा देखी गई है.

3 खराब खानपान

आज का बदलता खानपान पेट की चराबी को बढ़ावा देता है. आजकल लोगों के खाने में पौष्टिक आहार कम, फास्ट फूड और तेल में ताली चीजें ज्यादा होती हैं जिस के चलते पेट की चरबी होना आम है. रोज ऐसी चीज़े खाना लोगों को पसंद तो हैं पर वे यह भूल जाते हैं कि उन का खाना ही उन के शरीर को बिगाड़ रहा है.

4 नींद पूरी न होना

डाक्टरों का यह मानना है कि आजकल रोजमर्रा की जिंदगी में लोग अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते, जिस की वजह से दिन पर दिन मोटापे की समस्या लोगों में बढ़ती जा रही है. हमारा शरीर एक मशीन की तरह है जिसे आराम की जरूरत भी पड़ती है. हर इंसान को कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेनी जरूरी है. इस से इंसान का दिमाग तनावमुक्त रहता है और जिस्म फ्रेश महसूस करता है. अगर वजन काम करना है तो नींद पूरी करनी भी जरूरी है.

बहुत से लोग पेट की चरबी को कम करने के लिए जिम जाते हैं, कुछ लोग दवाइयां खाते हैं जिस पर वे हजारों रूपए खर्च कर देते हैं पर एक शोध में यह पाया गया है कि 30 मिनट रोजाना तेज चलने से आप अपनी पेट की चरबी कम कर सकते हैं. हफ्ते में मात्र 5 दिनों की तेज वाक आप के पेट की चरबी को काम करने में आप की काफी मदद कर सकती है.

एक्सपर्ट्स का मानना है कि वाक हमारे रोज के कामों में शामिल होनी चाहिए. वाक से शरीर फैट रिलीज़ करता है, जिस के नतीजे में शरीर में जमी हुई चरबी कम होती है. यही नहीं, रोज की वाक हृदयरोग की समस्या को दूर रखने में भी मदद करती है, हमारा ब्लडप्रेशर अच्छा रखती है और शुगर होने की सम्भावना को कम करती है. रोज की वाक के साथ हमें अपना खानपान भी सही करना चाहिए, पौष्टिक आहार लेना चाहिए और तलीभुनी चीजों से दूर रहना चाहिए क्योंकि हमारा खाना ही हमारी सेहत तय करता है. सो, आप भी अलर्ट हो जाएं अपनी सेहत के लिए और पेट के निकलने से बचें ताकि चेहरे से ही नहीं बल्कि पूरे जिस्म से खूबसूरत दिखें.

मेरे पति की अब सैक्स में रुचि नहीं रही है, वे मेरे करीब आना पसंद नहीं करते, मैं उन की रुचि फिर से सैक्स के प्रति कैसे बढ़ाऊं?

सवाल

मैं 26 साल की विवाहित युवती हूं. पति की उम्र 27 साल है. हमारी 3 महीने की बेटी है. समस्या यह है कि जब से मैं ने कंसीव किया था, पति की सैक्स में बिलकुल भी रुचि नहीं रही. तब मैं यह सोच कर चुप रही कि शायद मैं प्रैग्नैंट हूं इसलिए वे सैक्स संबंध बनाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं. लेकिन अब डिलीवरी होने के बाद भी वे मेरे करीब आना पसंद नहीं करते हैं. आप ही बताएं कि मैं उन की रुचि फिर से सैक्स के प्रति कैसे बढ़ाऊं ओर कैसे डैवलप करूं?

जवाब
अकसर ऐसा होता है कि प्रैग्नैंसी के दौरान महिलाएं ऐक्स्ट्रा प्रीकौशन बरतने लगती हैं. वे पति को खुद के पास आने, और  छूने के लिए भी मना करने लगती हैं. उन्हें लगता है कि इस से उन के होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है. नतीजतन पति खुद को काफी अकेला फील करने के कारण पत्नी से दूरी बना लेते हैं. वे सोचने लगते हैं कि अब आप उन से प्यार नहीं करतीं और यही दूरी धीरेधीरे बढ़ने लगती है.

ऐसे में  आप यदि अपने पति की रुचि फिर से जाग्रत करना चाहती हैं तो अपने बच्चे के साथसाथ पति पर भी पूरा ध्यान दें. उन की जरूरतों को नजरअंदाज न करें. खुद को पहले की तरह आकर्षक रखें और जब भी रोमांस के पल मिलें, खुद से पहल करें ताकि वे आप के करीब आने पर मजबूर हो जाएं. अगर फिर भी वे आप में रुचि न दिखाएं तो उन से इस विषय में खुल कर बात करें ताकि कोई मिसअंडरस्टैंडिंग न रहे.

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अपनी सैक्स लाइफ बनाएं पहले जैसी खुशहाल

विवेक कई दिनों से अपनी पत्नी आशु के साथ अंतरंग संबंध बनाना चाह रहा था, पर आशु कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती. रोज की नानुकर से तंग आ कर एक दिन आखिर विवेक ने झल्लाते हुए आशु से कहा कि आशु, तुम्हें क्या हो गया है? मैं जब भी तुम्हें प्यार करना चाहूं, तुम कोई न कोई बहाना बना कर टाल देती हो. कम से कम खुल कर तो बताओ कि आखिर बात क्या है?

यह सुन कर आशु रोते हुए बोली कि ये सब करने का उस का मन नहीं करता और वैसे भी बच्चे तो हो ही गए हैं. अब इस सब की क्या जरूरत है?

यह सुन कर विवेक हैरान रह गया कि उस की बीवी की रुचि अंतरंग संबंध में बिलकुल खत्म हो गई है. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो गया जबकि उस की पत्नी पहले इस सब में बहुत रुचि लेती थी?

यह परेशानी सिर्फ विवेक की ही नहीं है, बल्कि ऐसे बहुत से पति हैं, जो मिडिल ऐज में आने पर या बच्चों के हो जाने पर इस तरह की समस्याओं से जूझते हैं.

कम क्यों हो जाती है दिलचस्पी

सैक्सोलौजिस्ट डा. बीर सिंह का कहना है कि कई बार पतिपत्नी के बीच प्यार में कोई कमी नहीं होती है, फिर भी उन के बीच सैक्स को ले कर समस्या खड़ी हो जाती है. विवाह के शुरू के बरसों में पतिपत्नी के बीच सैक्स संबंधों में जो गरमाहट होती है, वह धीरेधीरे कम हो जाती है. घरेलू जिम्मेदारियां बढ़ने के कारण सैक्स को ले कर उदासीनता आ जाती है. इस की वजह से आपस में दूरी बढ़ने लगती है. इस समस्या से बाहर आने के लिए पतिपत्नी को एकदूसरे से अपने सैक्स अनुभव शेयर करने चाहिए. अपनी सैक्स अपेक्षाओं पर खुल कर बात करनी चाहिए. इस के अलावा उन कारणों को भी ढूंढ़ें जिन की वजह से साथी सैक्स में रुचि नहीं लेता, फिर उन्हें दूर करने की कोशिश करें. ये कारण हर कपल के अलगअलग होंगे. आप को बस उन्हें दूर करना है, तब आप की सैक्स लाइफ फिर से पहले जैसी खुशहाल हो जाएगी.

यह भी एक कारण

उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी क्यों नहीं लेती है? अमेरिका में चिकित्सकों और शोधकर्ताओं की पूरी टीम इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में जुट गई. इस में एक अहम जानकारी सामने आई, जो निश्चित तौर पर एक स्त्री की सैक्स संबंधी दिलचस्पी की पड़ताल करती है. दरअसल, यह सवाल स्त्री की उम्र और सैक्स के रिश्ते से जुड़ा है. कई लोग मानते हैं कि स्त्री की उम्र उस की सैक्स संबंधी दिलचस्पी पर काफी असर डालती है. यह माना जाता है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ एक स्त्री कामक्रीड़ा में पहले जैसी दिलचस्पी नहीं लेती.

हालांकि शोध से यह बात साफ हो गई कि मध्य आयुवर्ग की महिलाओं में संभोग के प्रति दिलचस्पी होना अथवा न होना सिर्फ बढ़ती उम्र पर निर्भर नहीं करता. यह इस बात पर निर्भर करता है कि उन के लाइफपार्टनर का स्वास्थ्य कैसा है? और सैक्स संबंधी गतिविधियों में वे कितनी रुचि लेते हैं.

भावनात्मक कारण

आम धारणा के विपरीत शोध में यह पाया गया कि मध्य आयु में भी महिलाएं न सिर्फ सैक्सुअली सक्रिय होती हैं, बल्कि कई मामलों में उन की दिलचस्पी बढ़ती हुई नजर आई. शोध के दौरान जब यह जानने की कोशिश की गई कि जो महिलाएं सैक्स में सक्रिय नहीं हैं उस के पीछे क्या वजह है तो पता चला कि कई भावनात्मक कारणों से उन की सैक्स और अपने पार्टनर में दिलचस्पी खत्म हो चुकी होती है. पार्टनर में दिलचस्पी घटना या किसी प्रकार की अक्षमता का सीधा असर महिलाओं की यौन सक्रियता पर पड़ता है. ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन की सैक्स में दिलचस्पी खत्म होने की और भी वजहें हैं. मगर उन की संख्या कम है.

उम्र से नहीं है कोई संबंध

इस शोध में मध्य आयुवर्ग की सैक्स संबंधी हर दिलचस्पी को शामिल किया गया था, जिस में हस्तमैथुन भी शामिल था. शोध के दौरान महिलाओं का एक बड़ा वर्ग सैक्सुअल ऐक्टिविटीज में उम्र बढ़ने के साथ ज्यादा सक्रिय होता पाया गया. शोध से यह स्पष्ट सामने आया कि किसी भी स्त्री की सैक्स संबंधी सक्रियता का उस की उम्र से कोई सीधा संबंध नहीं है. इस आधार पर मनोवैज्ञानिकों और सैक्स सलाहकारों ने कुछ कारण और सुझाव भी रखे:

– ध्यान दें कि आप का पार्टनर किसी दवा के साइड इफैक्ट की वजह से भी सैक्स में दिलचस्पी खो सकता है. यदि ऐसा है तो डाक्टर से सलाह लें.

– कई महिलाएं मानसिक दबाव के चलते भी सैक्स में रुचि नहीं लेतीं.

– बच्चों में ज्यादा व्यस्त हो जाने और सामाजिक मान्यताओं के चलते महिलाओं को लगता है कि सैक्स में बहुत दिलचस्पी लेना उचित नहीं है.

– कई बार बच्चों के हो जाने के बाद महिलाएं अपने शरीर को ले कर असहज हो जाती हैं और हीनभावना का शिकार हो जाती हैं. इस के चलते भी वे सैक्स से जी चुराने लगती हैं.

– बढ़ती उम्र में घरपरिवार और कामकाज की बढ़ती जिम्मेदारियों के कारण वे थकने लगती हैं और सैक्स के लिए उन में पर्याप्त ऐनर्जी नहीं बचती.

– कई महिलाएं अपने पति के साथ एकांत चाहती हैं और ऐसा न होने पर सैक्स के प्रति उन की रुचि घटने लगती है.

– अगर पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और रिश्ता आपस में सही नहीं है तो इस से भी सैक्स लाइफ पर विपरीत असर पड़ता है.

गाइनोकोलौजिस्ट, डाक्टर अंजली वैश के अनुसार कुछ बीमारियां भी होती हैं, जिन की वजह से सैक्स में रुचि कम हो जाती है. ड्रग्स, शराब, धूम्रपान का सेवन करने से भी सैक्स में रुचि कम हो जाती है, डाइबिटीज की बीमारी भी महिलाओं में सैक्स ड्राइव को घटाती है, गर्भावस्था के दौरान और उस के बाद हारमोन चेंज के कारण सैक्स में महिला कम रुचि लेती है, अगर डिप्रैशन की समस्या हो तो हर समय अवसाद में डूबी रहती हैं. वे ऊटपटांग बातें सोचने में ही अपनी सारी ऐनर्जी लगा देती हैं. सैक्स के बारे में सोचने का टाइम ही नहीं मिलता है.

कई महिलाएं बहुत मोटी हो जाती हैं. मोटापे के कारण सैक्स करने में उन्हें काफी दिक्कत होती है. अत: वे सैक्स से बचने लगती हैं.

दवा भी कम जिम्मेदार नहीं

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, कई ऐसी दवाएं हैं जिन से सैक्स लाइफ पर असर पड़ता है. सैक्स के लिए जरूरी हारमोंस शरीर की जरूरत व संदेशों को मस्तिष्क तक पहुंचाने वाले तत्त्व डोपामाइन व सैरोटोनिन और सैक्स अंगों के बीच तालमेल बहुत जरूरी होता है. डोपामाइन सैक्स क्रिया को बढ़ाता है और सैरोटोनिन उसे कम करता है. जब दवाएं इन हारमोंस के स्तर में बदलाव लाती हैं तो कामेच्छा में कमी आती है. पेनकिलर, अस्थमा, अल्सर की दवा, हाई ब्लडप्रैशर और हारमोन संबंधी दवा से कामेच्छा में कमी हो सकती है.

मगर यह जरूरी नहीं कि आप की सैक्स लाइफ में अरुचि सिर्फ दवा की वजह से ही हो. इसलिए अगर आप को अपनी सैक्स लाइफ में बदलाव महसूस हो रहा है, तो दवा बंद करने से पहले चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

सैक्स में रुचि कैसे पैदा करें

सैक्स में जरूरी है मसाज: जब आप पार्टनर के नाजुक अंगों पर हाथों से हौलेहौले तेल लगा कर मसाज करेंगे तो यह उस के लिए बिलकुल नया अनुभव होगा. तेल आप के और पार्टनर के बीच जो घर्षण पैदा करता है उस से प्यार में बढ़ोतरी होती है और सैक्स की इच्छा जाग उठती है. मसाज एक ऐसी थेरैपी है, जिस से न सिर्फ शरीर को आराम मिलता है, बल्कि अपनी बोरिंग सैक्स लाइफ को भी फिर से पहले जैसी बना सकती हैं.

ऐक्सपैरिमैंट कर सकते हैं: अगर आप का पार्टनर सैक्सुअल ऐक्सपैरिमैंट नहीं करता है या ऐक्सपैरिमैंट करने से बचता है तो फेंटैसी की दुनिया में आप का स्वागत है. अगर आप सैक्स के बारे में अच्छी फेंटैसी कर सकती हैं तो अपने बैडरूम से बाहर निकले बिना आप अपने पार्टनर के साथ जंगल में मंगल कर सकती हैं. आप अपने पार्टनर के साथ जो चाहती हैं उसे फेंटैसी के जरीए महसूस करिए. आप की अपने पार्टनर से सारी शिकायतें दूर हो जाएंगी, क्योंकि आप का पार्टनर आप को खयालों में जो मिल गया है.

बारबार हनीमून मनाएं: सैक्स संबंधों में बोरियत न हो, इस के लिए पतिपत्नी को चाहिए कि हर साल वे हनीमून पर जाएं और इसे वे आपस में घूमने जाना न कह कर हनीमून पर जाना कहें. इस से उन के बीच ऐक्साइटमैंट बना रहता है. जब हनीमून पर जाएं तो एकदूसरे को वहां पहली बार बिताए लमहे याद दिलाएं. इस तरह घूमने और हनीमून के बारे में बात करने पर सैक्स संबंधों की याददाश्त ताजा हो जाएगी.

सैक्स में नयापन लाएं: कहीं ऐसा तो नहीं कि आप के सैक्स करने का एक ही तरीका हो और उस तरीके से आप की पत्नी बोर हो गई हो? अत: उस से इस विषय पर बात करें और सैक्स करने के परंपरागत तरीके छोड़ कर नएनए तरीके अपनाएं. इस से सैक्स संबंधों में एक नयापन आ जाएगा.

अपने साथी को समय दें: शादी के कुछ सालों बाद कुछ जोड़ों को लगता है कि सहवास में उन की रुचि कम होती जा रही है. सहवास उन्हें एक डेली रूटीन जैसा उबाऊ कार्य लगता है. इसलिए सहवास को डेली रूटीन की तरह न लें, बल्कि उसे पूरी तरह ऐंजौय करें. रोज करने के बजाय हफ्ते में भले ही 1 बार करें लेकिन उसे खुल कर जीएं और अपने पार्टनर को एहसास दिलाएं कि ऐसा करना और उस के साथ होना आप के लिए कितना खास है.

सैक्स ऐसा जिसे दोनों ऐंजौय करें: सिर्फ आप अपने मन की बात ही पार्टनर पर न थोपते रहें, बल्कि सैक्स में उस की इच्छा भी जानें और उस का सम्मान करें. जिन तरीकों में आप दोनों कंफर्टेबल हों और ऐंजौय कर सकें, उन्हें अपनाएं.

नियमित करें सैक्स: यह सच है कि तनाव और थकान का पतिपत्नी के यौन जीवन पर बुरा असर पड़ता है. मगर वहीं यह भी सच है कि सैक्स ही आप के जीवन में पैदा होने वाले दबावों और परेशानियों से जूझने का टौनिक बनता है. इसलिए कोशिश करें कि सप्ताह में कम से कम 3 बार संबंध जरूर बनाएं. इस से सैक्स लाइफ में मधुरता बनी रहेगी.

एकदूसरे के प्रति प्यार को बढ़ावा दें : अधिकतर जोड़ों के शादी के बाद कुछ सालों तक संबंध अच्छे रहते हैं, लेकिन जैसेजैसे समय बीतता जाता है वैसे काम व अन्य कारणों से उन के बीच दूरी बढ़ती जाती है, जिस से उन्हें आपस में प्यार करने का मौका नहीं मिलता. इस से उन के बीच सैक्स संबंधों में खटास आने लगती है. वैवाहिक जीवन में उत्पन्न हुई इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए आवश्यक है कि पतिपत्नी आपस में बातचीत करने के लिए कुछ समय निकालें. एकदूसरे से अच्छी बातें करें और एकदूसरे की बातों को सुनें, शिकायतों को दूर करने की कोशिश करें. एकदूसरे का सम्मान करें, इस से सैक्स लाइफ भी काफी बेहतर होगी.

पहल करें: अकसर महिलाएं सैक्स के लिए पहल करने में हिचकिचाती हैं, इसलिए आप द्वारा पहल करने में कोई बुराई नहीं है, बल्कि आप का पहल करना महिला को सुखद एहसास में डुबो देता है. यदि बच्चे छोटे हैं तो सैक्स लाइफ में मुश्किलें तो आती ही हैं और महिलाएं इतनी खुली व रिलैक्स भी नहीं रह पातीं. ऐसे में बच्चों के सोने का इंतजार करने से अच्छा है कि जब मौका मिले प्यार में खो जाएं.

फिटनैस का भी खयाल रखें: अच्छी सैक्स लाइफ के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रहना भी जरूरी है. इस के लिए बैलेंस्ड डाइट लें. थोड़ीबहुत ऐक्सरसाइज करें. भरपूर नींद लें. सिगरेट, शराब का सेवन न करें.

कल्पना करें: अगर आप को सैक्स करते समय किसी और पुरुष की या फिर किसी बौलीवुड ऐक्टर आदि की कल्पना उत्तेजित करती है और सैक्स का आनंद बढ़ाती है तो ऐसा करें. इस के लिए मन में किसी तरह का अपराधबोध न आने दें. ऐसा करना गलत नहीं है क्योंकि सब का सैक्स करने और उस के बारे में सोचने का तरीका अलग होता है.

फ्रैश मूड में आनंद उठाएं: अगर पतिपत्नी दोनों वर्किंग हैं, व्यस्त हैं, रात को देर से आते हैं, तो उन की सैक्स लाइफ न के बराबर होती है और महिला ऐसे में इसे बोझ की तरह लेती है. इसलिए अगर वह थकी हुई है तो जबरदस्ती न करें. सुबह उठ कर फ्रैश मूड में सैक्स का आनंद उठाएं.

गंदी बातें अच्छी हैं: सैक्स के लिए मूड बनाने के लिए कुछ भी किया जा सकता है. आप को लगता है कि कहीं आप की डर्टी टौक्स और डार्क फेंटैसी सुन कर पार्टनर का मूड न बिगड़ जाए, इसलिए आप चाहते हुए भी उन से यह सब शेयर नहीं करते हैं तो जान लें कि ऐसा नहीं है. सच तो यह है कि हर लड़की अपने पार्टनर से ऐसी बातें सुनने के लिए बेकरार रहती है. इसलिए बेझिझक उन से ऐसी बातें करें. जैसे ही आप की बातें शुरू होंगी उन की बेचैनी भी बढ़ती जाएगी.

सैक्स लाइफ का अंत नहीं है बच्चे का आना

अगर आप का मानना है कि बच्चे के आने के बाद सैक्स लाइफ खत्म हो जाती है तो जरा रुकिए. दुनिया भर में हो रही स्टडी के मुताबिक मां बनने के कुछ समय बाद कामेच्छा स्वाभाविक रूप से लौट आती है. आमतौर पर बच्चे के जन्म के 6 हफ्ते बाद डाक्टर महिलाओं को सैक्स संबंध बनाने की इजाजत दे देते हैं. लेकिन इतने समय में भी सब महिलाएं सहज नहीं हो पातीं. कई महिलाओं की सैक्स संबंध इच्छा को लौटने में साल भर तक का समय लग जाता है. शुरू में अंतरंग पलों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है. लेकिन धीरेधीरे गाड़ी ट्रैक पर लौटने लगती है, इसलिए बच्चे का होना सैक्स पर पूर्णविराम नहीं है, बल्कि एक नई शुरुआत है.

रिसर्च बताती है कि बच्चों के जन्म के बाद क्लाइमैक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. इस का कारण है नर्व एंडिंग का ज्यादा सैंसिटिव होना.

बनाएं पत्नी का मूड ऐसे

– महिलाओं की पीठ काफी सेंसिटिव होती है. थोड़ा सा अंधेरा कीजिए, म्यूजिक प्ले कीजिए और पत्नी की पीठ पर हौलेहौले हाथ फिराते हुए मसाज कीजिए. फिर आगे का जादू खुद ही चल जाएगा.

– पार्टनर के कानों से खेलिए और हौले से कुछ कहिए. एकदम से यह न कहें कि आप का करने का मन है.

– गले में गुदगुदी कीजिए. देखिएगा कुछ ही देर में पत्नी आंहें भर रही होगी.

– फुट मसाज दीजिए. पत्नी के पैरों को सहलाते हुए बताएं कि आप उन से कितना प्यार करते हैं. बस वह एकदम से आप को बांहों में भर लेगी और उस के लिए पत्नी का तुरंत मूड बन जाएगा.

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तेलंगाना : टमाटर की सुरक्षा में लगी पुलिस फोर्स

क्या आप ने कभी सोचा है कि टमाटर को भी सुरक्षा देनी पड़ेगी? अगर नहीं तो अब सोचिए क्योंकि बढ़ती महंगाई को देखते हुए अब टमाटर भी सिक्योरिटी में रहता है क्योंकि टमाटर के दाम में कोई कमी आती नहीं दिख रही. कीमत क्या बढ़ी टमाटर मानो सोना हो गया है. बाजारा में हाहाकार मचा है. सड़क पर ऐक्सीडैंट के बाद पुलिस टमाटर को सुरक्षा दे रही है.

मामला क्या है?

दरअसल, मामला तेलंगाना का है, जहां सड़क पर टमाटर से भरा ट्रक पलट गया और लोग टमाटर को लूटने न आएं या कहीं टमाटर चोरी न हो जाए इस के लिए सुरक्षा दी गई।

महंगाई और मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने टमाटर को प्रोटैक्ट किया और सुरक्षा में लगाई गई पुलिस फोर्स क्योंकि आजकल टमाटर की कीमत बढ़ने से टमाटर सोनेचांदी सा प्रतीत हो रहा है.

टमाटर का अपहरण

इस से पहले भी तमिलनाडु में एक दंपति को हादसे का नाटक कर ढाई टन टमाटर से लदे ट्रक का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

दरअसल, तेलंगाना में जब टमाटर से भरा हुआ ट्रक सड़क पर पलटा, तो कहीं टमाटर चोरी न हो इस के डर से ही ट्रक मालिक ने पुलिस से संपर्क किया और पुलिस से सुरक्षा की अपील की. मालिक की गुहार पर पुलिसकर्मी घटनास्थल पर भेजे गए और उन्हीं की निगरानी में टमाटर इकट्ठे किए गए.

टमाटर से भरा ट्रक पलटा

बता दें कि टमाटर से भरा हुआ यह ट्रक तेलंगाना के कोमाराम भीम में पलटा. यह घटना ऐसे समय में हुई जब देशभर में टमाटर की कीमतें आसमान छू रही हैं और नौबत यहां तक आ गई है कि जगहजगह टमाटर की चोरी हो रही है. ड्राइवर ने बताया कि कार को रास्ता देने की कोशिश में ट्रक ने अपना संतुलन खो दिया था.

टमाटर की कीमतें आमतौर पर जुलाईअगस्त और अक्तूबरनवंबर की अवधि के दौरान बढ़ती हैं। इन महीनों में टमाटर का उत्पादन कम होता है। मौनसून के कारण भी टमाटर की कीमतों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है.

देखा जाए तो आजकल टमाटर को ले कर घरों में घमासान, तो कहीं चोरीडकैतियां जैसी घटनाएं सामने आने लगी हैं. इतना ही नहीं, अब तो लोग टमाटर पर रील्स भी बनाने लगे हैं. एक रील में तो लड़की बर्गर खाने जाती है और उस के बीच में से टमाटर निकाल कर घर ले जाती है. कोई टमाटर को तिजोरी में रखने का रील बना रहा. ऐसे कई रील्स और मीम्स हैं जो आजकल बन रहे हैं.

टमाटर के दाम बढ़े हैं तो भाव भी बढ़ेंगे. हालांकि आजकल दाम में थोड़ी कमी आई है लेकिन फिर भी मिडिल क्लास परिवारों के लिए टमाटर अभी भी महंगे ही हैं.

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