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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’: कस्टडी केस जीतने से पहले इस कड़े इम्तिहान से गुजरेगा कार्तिक

छोटे पर्दे का मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में लगातार महाट्विस्ट चल रहा है. फिलहाल कहानी का एंगल कैरव की कस्टडी केस के इर्द गिर्द घूम रही है. पिछले एपिसोड में आपने देखा कि पहली सुनवाई में कैरव की कस्टडी रद्द हो चुकी है. तो वही  दूसरी सुनवाई से पहले कार्तिक की वकील दामिनी मिश्रा नायरा के खिलाफ ठोस सबूत इकठ्ठा करने में जुटी है.

हाल ही में दिखाया गया है कि दामिनी ने ही कार्तिक और नायरा को किडनैप करवाया. और इतना ही नहीं उन गुंडों ने कार्तिक और नायरा को बेहोशी का इंजेक्शन भी दे दिया.  नशे की हालत में नायरा और कार्तिक अपनी पुरानी बातों को याद करने लगे और फिर इमोशनल हो गए थे और एक दूसरे के साथ रोमांटिक पल भी गुजारे. नशे के हालत में ही दोनों ने  फिर से शादी कर ली.

आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि कार्तिक और नायरा गुंडों से बचकर भाग निकलेंगे और दोनों खुद को बचाने के लिए सिंघानिया हाउस में छिप जाएंगे. और वो दोनों एक ही कमरे में पूरी रात गुजारेंगे. अब देखना ये दिलयस्प होगा कि जब वेदिका को पता चलेगा तो वो क्या करती है.

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असल आने वाले दिनों में सुवर्णा कार्तिक से कैरव की कस्टडी केस को वापस लेने के लिए कहेगी वो कार्तिक के समझाने की कोशिश करेगी और कहेगी, उसके फैसले से न वेदिका को खुशी मिलेगी और ना ही उससे नायरा को कुछ हासिल होगा. इन सबके बीच कहीं ना कहीं वह खुद भी काफी परेशान हो रहा है. अब तो ये आने वाले एपिसोड में ही पता चलेगा कि अपनी मां की बात सुनने के बाद कार्तिक क्या फैसला लेगा.

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शादी से पहले कौंट्रासैप्टिव पिल लें या नहीं ?

किशोरावस्था में अकसर किशोर दूसरे लिंग के प्रति आकर्षित हो शारीरिक संबंध बनाने के लिए उत्सुक रहते हैं. वे प्रेमालाप में सैक्स तो कर लेते हैं, परंतु अपनी अज्ञानता के चलते प्रोेटैक्शन का इस्तेमाल नहीं करते जिस के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार की लैंगिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं.

आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 15 से 19 वर्ष की 1.6 करोड़ लड़कियां गर्भधारण कराती हैं. इस छोटी उम्र में गर्भधारण करने का सब से बड़ा कारण किशोरों का अल्पज्ञान और नामसझी है. बिना प्रोटैक्शन के किए जाने वाले सैक्स से सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन सर्वाइकल कैंसर और हाइपरटैंशन जैसी बीमारियां होने का खतरा रहता है. ये बीमारियां लड़के व लड़की दोनों को हो सकती हैं.

किशोरों में प्रैगनैंसी और असुरक्षित सैक्स से होने वाली बीमारियों को ले कर मूलचंद अस्पताल, दिल्ली की सीनियर गाईनोकोलौजिस्ट डा. मीता वर्मा से बात की. उन्होंने किशोरों के इस्तेमाल हेतु कौंट्रासैप्टिव पिल्स और उन के खतरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी:

कौंट्रासैप्टिव पिल क्या है और इसे कब व कैसे लेना चाहिए?

यह इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है. इसे पोस्ट कोर्डल और मौर्निंग आफ्टर पिल भी कहते हैं. आई पिल एक हारमोन है. इस का बैस्ट इफैक्ट तब होता है जब इसे सैक्स के 1 घंटे के आसपास लें. इसे 72 घंटों में 2 बार 24 घंटों के अंतराल में लिया जाता है. इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव की तब जरूरत होती है जब लड़की के साथ बलात्कार हुआ हो. अनचाहे गर्भ का खतरा हो या फिर कंडोम फट जाए. लोग विथड्रौल तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं. इस में यदि अंडरऐज ईजैक्यूलेशन हो गया हो तो फिर इस पिल का इस्तेमाल करते हैं. यदि पीरियड अनियमित हैं और आप सुरक्षा को ले कर चिंतित हैं तो इस स्थिति में भी इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जरूरत होती है.

यदि कोई लड़की इसे आदत बना ले तो इस के क्या विपरीत प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, इसे आदत नहीं बनाना चाहिए. इस के बहुत से साइड इफैक्ट होते हैं. यदि लड़की किशोरी हो तो सब से पहले तो उसे सैक्स ऐजुकेशन होनी चाहिए. आजकल तो यह नैट में भी उपलब्ध है. 8वीं और 9वीं कक्षा की किताबों में भी इस की जानकारी दी गई है. लड़कियों को पता होना चाहिए कि यह पिल किस प्रकार काम करती है. इस की डोज हैवी होती है. हैवी डोज लेने से मासिकचक्र प्रभावित होता है. वह अनियमित हो जाता है. इस के अलावा उलटियां व चक्कर आना, स्तनों में दर्द, पेट में दर्द और असमय रक्तस्राव हो सकता है. यदि आप सैक्सुअली ऐक्टिव हैं तो आप को कौंट्रासैप्टिव का प्रयोग केवल इमरजैंसी में ही करना चाहिए. इस के साइड इफैक्ट में सब से बड़ा खतरा ट्यूब की प्रैगनैंसी का है. इसलिए यदि इमरजैंसी शब्द कहा जा रहा है तो केवल इमरजैंसी में ही प्रयोग करें. वैसे भी यह 90% ही कारगर है 100% नहीं.

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शादी से पहले इस पिल के इस्तेमाल करने पर क्या लड़की को शादी के बाद गर्भधारण करने में किसी तरह की परेशानी हो सकती है?

अगर लड़की ने लगातार दवा का इस्तेमाल किया है तो बिलकुल होगी. कभीकभार लेने पर परेशानी नहीं आएगी. यदि इस से मासिकचक्र प्रभावित हुआ है तो परेशानी होनी लाजिम है, क्योंकि आप ने ओवुलेशन प्रौसैस यानी अंडा बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है. आई पिल का अधिक इस्तेमाल ट्यूब जोकि अंडे को कैच करती है की वेर्बिलिटी को रेस्ट्रेट कर देता है. ऐसे में जब आप शादी से पहले हर बार अपने ओवुलेशन को डिस्टर्ब करेंगी तो शादी के बाद गर्भधारण में मुश्किल हो सकती है.

बाजार में और किस तरह की कौंट्रासैप्टिव पिल्स हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सके?

भारत में केवल पिल उपलब्ध है, जो लिवोनोगेरट्रल है. इस में एक टैबलेट 750 माइक्रोग्राम की होती है. ये 2 टैबलेट 24 घंटों के अंतराल में ली जाती हैं. भारत में 1500 माइक्रोग्राम की टैबलेट अभी उपलब्ध नहीं है, क्योंकि उस की डोज अत्यधिक हैवी है. आजकल इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव में एक और दवा, अंडर ट्रायल है, जिसे यूलीप्रिस्टल कहते हैं. चूंकि यह अभी अंडर ट्रायल है, इसलिए इस का प्रयोग केवल डाक्टर की सलाह पर ही किया जाना चाहिए.

क्या इस पिल के अलावा कोई दूसरा बेहतर विकल्प है?

यह पिल तो इमरजैंसी कौंट्रासैप्टिव है ही, इस के अलावा और कई बर्थ कंट्रोल हैं. सब से अच्छा कंडोम ही है. यह बहुत सी संक्रमण वाली बीमारियों से बचाता है और इस के प्रयोग से इन्फैक्शन भी नहीं होता. इस के अलावा दूसरे

बर्थ कंट्रोल ऐप्लिकेशन भी बाजार में उपलब्ध हैं, जिन का इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे वैजिनल टैबलेट्स. इन्हें कंडोम के साथ इस्तेमाल करना चाहिए. यदि फर्टाइल पीरियड में सैक्स किया जाए तो कंडोम और वैजिनल टैबलेट, दोनों का ही प्रयोग करें. आजकल ओवुलेशन का पता लगाने के लिए किट्स भी उपलब्ध है. उन से पता लगाएं. वैजिनल टैबलेट्स और कंडोम का एकसाथ इस्तेमाल करें. इस से डबल सुरक्षा मिलेगी.

क्या कंडोम 100% सुरक्षित है?

हां, यदि इस का इस्तेमाल ठीक तरह से किया जाए तो यह बैस्ट कौंट्रासैप्शन है. लड़कियां सैक्स के दौरान वैजिनल टैबलेट्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, जिस से सुरक्षा दोगुनी हो जाएगी.

यदि लड़की मां बनने के डर से एक की जगह 2 या 3 गोलियां खा ले तो इस के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?

नहीं, जो डोज जैसे लिखी है उसे वैसे ही लें. न तो दवा स्किप करें और न ही समय से पहले व ज्यादा लें. यदि आई पिल लेने के 3 हफ्ते बाद तक सैक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया तो ट्यूब की प्रैगनैंसी हो सकती है. यदि 3 हफ्ते बाद तक पीरियड्स न हों तो प्रैगनैंसी टैस्ट करें.

यदि लड़की यह पिल खा कर किसी प्रकार की परेशानी महसूस करती है और घर वालों को इस बारे में न बता कर चुप रहती हैं तो क्या इस के कोई दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं?

जब कोई लड़की सैक्सुअली ऐक्टिव है और किसी लड़के के साथ सैक्स कर सकती है तो वह चुपचाप जा कर डाक्टर से कंसल्ट भी कर सकती है. यदि लड़की कमा रही है और पढ़ीलिखी है तो डाक्टर की सलाह लेने में हरज क्या है? घर वालों से तो वैसे भी किसी तरह की परेशानी नहीं छिपानी चाहिए. किसी न किसी से जरूर शेयर करनी चाहिए. यदि पैसे नहीं हैं तो सरकारी अस्पतालों के डाक्टर फ्री सलाह देते हैं.

इस पिल से ट्यूब की प्रैगनैंसी होने का खतरा होता है जो जानलेवा हो सकता है. इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि सुरक्षित होने के बावजूद आई पिल से गर्भाशय के बाहर की प्रैगनैंसी हो सकती है जिस से लड़की की जान को खतरा हो सकता है.

युवाओं को सुरक्षित सैक्स संबंधी क्या सलाह देना चाहेंगी?

युवाओं को यह बताना चाहूंगी कि यदि वे 18 साल से बड़े हैं और सैक्स करते हैं तो इस में कोई बुराई नहीं है, मगर कंडोम का जरूर इस्तेमाल करना चाहिए. असुरक्षित सैक्स एचआईवी, एसटीआई व सर्वाइकल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण हो सकता है. लव, अफेयर, सैक्स और फिजिकल रिलेशनशिप अपनी जगह है और सुरक्षा अपनी जगह. शरमाएं नहीं, बल्कि सही सलाह लें.

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क्या आपको किसी खास मौके के लिए फटाफट बढ़ाने हैं बाल ?

अगर आपको किसी खास मौके के लिए बाल बढ़ाने हैं तो आपको कुछ टिप्स बताते है. जो  बाल बढ़ाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है.

रेग्युलर ट्रिमिंग करवाएं

अगर आप जल्दी बाल बढ़ाना चाहती हैं तो आपको इन्हें रेग्युलर्ली ट्रिम करवाना होगा. इससे स्प्लिट एंड्स खत्म होते हैं, जिससे बाल टूटते नहीं और हेयर ग्रोथ होती है.

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हीट से डैमेज बचाएं

स्टाइलिंग प्रौडक्ट्स जैसे स्ट्रेटनर्स और कर्लर्स आपके बाल डैमेज करते हैं। बालों की तेजी से ग्रोथ के लिए उनका हेल्दी होना जरूरी है.

सही पोषण लें

बाल बढ़ाने के लिए आपको सही डायट लेनी चाहिए, बाल बढ़ाने के लिए सबसे जरूरी फैक्टर है. आपको प्रोटीन जैसे अंडे, दही और नट्स लेने की जरूरत है.

ज्यादा शैंपू न करें

रोजाना शैंपू करने से स्कैल्प के नेचुरल औइल निकल सकते हैं, जो बालों को रिपेयर करने के लिए जरूरी होते हैं. हफ्ते में 3-4 बार ही बाल धोएं.

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बालों में औयल जरूर लगाएं

सप्ताह में कम से कम दो बार अपने बालों का जरूर मसाज करें. इससे आपके बालों को सही पोषण मिलेगा.

फेस्टिवल स्पेशल : ऐसे बनाएं कस्टर्ड कसाटा

फेस्टिवल के मौके पर आप कस्टर्ड कसाटा जरूर ट्राई करें. यह स्वादिष्ट होने के साथ साथ खाने में भी लाजवाब है.

सामग्री

1/3 कप कस्टर्ड पाउडर

1/3 कप चीनी

1/3 कप पानी

3 सफेद ब्रैड किनारे कटी हुई

3 कप दूध

2 बड़े चम्मच काजू

पिस्ता व बादाम कटे हुए

2 बड़े चम्मच टूटीफ्रूटी

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बनाने की विधि

दूध में ब्रैड भिगो अच्छी तरह मैश कर लें. कस्टर्ड पाउडर, चीनी और पानी मिला कर घोल तैयार करें. एक नौनस्टिक पैन में आंच पर अच्छी तरह घोटें. गाढ़ा बन जाए. तब इसे निकाल लें.

अब दूधब्रैड वाला मिश्रण आंच पर घोटें. थोड़ा सा गाढ़ा हो जाए तो उसे भी निकाल लें. कस्टर्ड पाउडर वाले मिश्रण को ब्रैड वाले मिश्रण में मिला कर चर्न करें ताकि एकसार हो जाए.

ठंडा करें फिर एक ऐल्यूमिनियम के बरतन जिस में आइसक्रीम जमाते हैं उस में ड्राईफू्रट और टूटीफ्रूटी डाल कर फ्रीजर में रख दें. 6-7 घंटों में कस्टर्ड कसाटा तैयार हो जाएगा.

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– व्यंजन सहयोग : नीरा कुमार

सुलझ न सकी परिवार की मर्डर मिस्ट्री: भाग 2

सुलझ न सकी परिवार की मर्डर मिस्ट्री: भाग 1

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आखिरी भाग

पुलिस दूसरे दिन भी वैज्ञानिक के परिवार की मौत की गुत्थी सुलझाने में जुटी रही. हालांकि मौके के हालात और सुसाइड नोट से साफ था कि डा. प्रकाश ने पत्नी, बेटी व बेटे की हत्या के बाद खुद आत्महत्या की थी. लेकिन फिर भी पुलिस यह सोच कर हर एंगल से जांच करती रही कि कहीं यह कोई साजिशपूर्ण तरीके से किसी बाहरी व्यक्ति की ओर से की गई वारदात तो नहीं है.

मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस को डा. प्रकाश के घर में बाथरूम में मिले 3 मोबाइल फोन से मदद मिलने की उम्मीद थी, इसलिए इन मोबाइलों की काल डिटेल्स निकलवाई गई. इस के अलावा इन मोबाइलों का डेटा रिकवर करने का प्रयास भी किया गया.

फोरैंसिक लैब की जांच में पता चला कि बाथरूम में मिले 3 मोबाइलों में एक वाटरप्रूफ था, लेकिन उस पर पैटर्न लौक था, जिस से वह खुल नहीं सका. पुलिस को दूसरे दिन डा. प्रकाश के घर से 2 मोबाइल और मिले. ये मोबाइल भी बंद थे. इन को भी साइबर एक्सपर्ट के पास भेजा गया. उन के फ्लैट से मिले लैपटौप और आईपैड को जांच के लिए सीआईडी की साइबर लैब भेजा गया.

पुलिस ने अदिति के दोस्तों से भी अलगअलग पूछताछ की. उन्होंने बताया कि अदिति ने उन से नौकरी छूटने की वजह से पापा के तनाव में होने की चर्चा की थी. अदिति के दोस्तों से पुलिस को ऐसी कोई ठोस वजह पता नहीं चली जिस से इस मामले की गुत्थी सुलझने में मदद मिलती.

सन फार्मा कंपनी में पूछताछ में पता चला कि डा. प्रकाश ने स्वेच्छा से नौकरी छोड़ी थी. कंपनी में उन का पद और सैलरी पैकेज काफी अच्छा था. कंपनी में किसी से उन का कोई विवाद भी सामने नहीं आया.

डा. सोनू सिंह के बारे में पुलिस को पता चला कि उन का बौद्ध धर्म से जुड़ाव था. उन्होंने अपनी सोसायटी में बौद्ध धर्म के अनुयाइयों की कम्युनिटी भी बनाई हुई थी. इस कम्युनिटी की वह ग्रुप लीडर थीं. सोसायटी में सोनू सिंह को बोल्ड महिला माना जाता था जबकि प्रकाश सिंह सौम्य स्वभाव के थे.

तीसरे दिन भी काफी माथापच्ची और जांचपड़ताल के बावजूद पुलिस को इस मामले में कोई तथ्य हाथ नहीं लगा. यह जरूर पता चला कि सोनू सिंह, अदिति और आदित्य की हत्या में जिस चाकू का उपयोग किया गया था, वह करीब एक साल पहले डा. प्रकाश सिंह द्वारा ही खरीदा गया था.

अदिति ने उस समय सोप डायनामिक्स स्टार्टअप शुरू किया था. वह घर में कौस्मेटिक व कुछ विशेष साबुन बनाती थी. अदिति ने साबुन व अन्य सामान के टुकड़े करने के लिए यह चाकू पिता से मंगवाया था.

डा. प्रकाश के घर मिले 4 कुत्तों को ले कर भी विवाद हो गया. ये कुत्ते अदिति का दोस्त उस की याद के रूप में सहेज कर अपने पास रखना चाहता था जबकि दूसरी तरफ अदिति की मौसी सीमा अरोड़ा इन कुत्तों को अपने साथ ले जाना चाहती थीं.

विवाद बढ़ने पर यह मामला पीपुल फौर एनिमल संस्था के जरिए सांसद मेनका गांधी तक पहुंच गया. मेनका गांधी के हस्तक्षेप से चारों कुत्तों को पुलिस की निगरानी में नैशनल डौग शेल्टर होम भेज दिया गया.

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चौथे दिन नौकरानी जूली से पूछताछ में सामने आया कि सन फार्मा की नौकरी छोड़ने के बाद डा. प्रकाश अधिकांश समय घर पर रहते और यूट्यूब पर वीडियो देखते थे. इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि डा. प्रकाश ने शायद यूट्यूब देख कर हत्याकांड की योजना बनाई होगी.

नौकरानी ने बताया कि कुछ दिन पहले फ्लैट में फरनीचर का काम हुआ था. उस दौरान कारपेंटर अपना एक हथौड़ा इसी घर में छोड़ गया था. संभवत: उसी हथौड़े से डा. प्रकाश ने परिवार के 3 सदस्यों की जान ली.

पांचवें दिन पुलिस ने दोनों पक्षों के रिश्तेदारों की मौजूदगी में डा. प्रकाश के घर की तलाशी ली. इस की वीडियोग्राफी भी कराई गई. घर की अलमारियों और लौकरों में रखे दस्तावेजों की भी जांच की गई. हालांकि पुलिस को तलाशी और जांचपड़ताल में ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिस से डा. प्रकाश की परेशानी और इस हत्याकांड के पीछे के कारणों का पता चलता.

छठे दिन पुलिस को मोबाइल फोनों की जांच रिपोर्ट मिली. इस में बताया गया कि डा. सोनू व अदिति के मोबाइल में डेटा नहीं मिला. वाट्सऐप चैट व गैलरी से फोटो, वीडियो डिलीट थे. इस से यह नया सवाल खड़ा हो गया कि क्या डा. प्रकाश ने हत्या के बाद पत्नी व बेटी के मोबाइल का डेटा डिलीट किया था. अगर उन्होंने डेटा डिलीट किया था तो उस में ऐसे क्या मैसेज व फोटो थे. रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने इन मोबाइल फोनों के डेटा रिकवर करने के लिए साइबर एक्सपर्ट की मदद ली.

बाद में की गई जांच में पुलिस को ऐसा कोई तथ्य नहीं मिला, जिन से इस मामले में रहस्य की कोई परत उजागर हो पाती. इस बीच 8 जुलाई को डा. प्रकाश के परिजनों ने पुलिस उपायुक्त (पूर्व) सुलोचना गजराज को एक पत्र दे कर इस पूरे मामले को एक साजिश का परिणाम बताया और इस की जांच सीबीआई से कराने की मांग की. परिजनों ने सुसाइड नोट की हस्तलिपि पर भी सवाल उठाए.

डा. प्रकाश की बड़ी बहन के दामाद कौशल का कहना था कि इस वारदात के पीछे जमीन का विवाद भी हो सकता है. इस का कारण है कि उन की मामीजी यानी सोनू सिंह के पिता की वाराणसी की जमीन को ले कर सोनू सिंह और उन की बहन के बीच विवाद था.

पलवल वाले स्कूल की जमीन को ले कर भी कुछ विवाद चल रहे थे. यह जमीन डा. प्रकाश ने अपनी बहन शकुंतला से पैसे उधार ले कर खरीदी बताई गई. परिजनों का यह भी कहना था कि डा. प्रकाश का 2 साल पहले मेदांता अस्पताल में बाइपास औपरेशन हुआ था. औपरेशन से उन की जिंदगी तो बच गई थी, लेकिन वे अंदर से पूरी तरह खोखले हो गए थे.

कौशल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री को इस मामले में पत्र लिख कर सुसाइड नोट की हस्तलिपि और दस्तखतों पर भी सवाल उठाए. इस के लिए उन्होंने डा. प्रकाश की ओर से कुछ दिन पहले दिए गए एक चैक की फोटोप्रति भी संलग्न की.

कौशल के अनुसार, सुसाइड नोट पर किए हस्ताक्षर पर डा. प्रकाश के जैसे हस्ताक्षर बनाने का प्रयास किया गया है जबकि वे असली हस्ताक्षर नहीं हैं.

यह बात भी सामने आई कि डा. प्रकाश अपनी ससुराल वालों की वाराणसी की जमीन एकडेढ़ करोड़ रुपए में बेचना चाहते थे. इस जमीन पर सोनू सिंह की बहन भी दावा जता रही थीं. जमीन बेचने के सिलसिले में डा. प्रकाश जल्दी ही बनारस भी जाने वाले थे.

चर्चा यह भी है कि डा. प्रकाश पर बैंकों और रिश्तेदारों का काफी कर्ज था. इस कर्ज को ले कर वह तनाव में थे. गुरुग्राम के मकान की किस्तें भी समय पर नहीं चुकाने की बात सामने आई थी.

सन फार्मा की नौकरी छोड़ने के बाद वह अलग से तनाव में थे. हालांकि कहा यही जा रहा है कि उन की हैदराबाद की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नई नौकरी की बात हो गई थी. इस के लिए वह 3 जुलाई को फ्लाइट से हैदराबाद भी जाने वाले थे, लेकिन इस से पहले ही यह मामला हो गया.

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डा. प्रकाश की मौत के बाद उन की संपत्तियों को ले कर अलगअलग दावे जताने की चर्चा भी शुरू हो गई थी. हालांकि औपचारिक रूप से तो किसी पक्ष ने दावे नहीं किए थे, लेकिन दोनों ही पक्षों के लोग अपनेअपने तरीकों से डा. प्रकाश और उन की पत्नी की संपत्तियों और कर्ज के बारे में पता लगा रहे थे.

कहा जा रहा है कि डा. प्रकाश की अधिकांश संपत्तियां उन की पत्नी सोनू सिंह के नाम से हैं. सोनू की बहन सीमा अरोड़ा ने डा. प्रकाश के कुछ स्कूल खोलने के लिए स्टाफ को कह दिया है.

बहरहाल, डा. प्रकाश सिंह का हंसताखेलता खुशहाल परिवार उजड़ गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस को इस मामले में कोई ऐसा सुराग नहीं मिला, जिस के जरिए रहस्य का परदा उठ पाता. डा. प्रकाश ने अपनी जान से ज्यादा प्यारी बेटी और बेटे के अलावा पत्नी को मौत के घाट उतारने के बाद खुद आत्महत्या क्यों कर ली, यह रहस्य सा बन कर रह गया है.

पुलिस को कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं मिला. डा. प्रकाश के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों से भी पुलिस कोई सुराग नहीं लगा सकी. ऐसे भी कोई साक्ष्य नहीं मिले कि इस वारदात में किसी बाहरी व्यक्ति का हाथ हो. इन सभी कारणों से वैज्ञानिक प्रकाश के परिवार की हत्या और आत्महत्या का मामला फिलहाल मिस्ट्री बन कर रह गया.

सौजन्य: मनोहर कहानियां

सावधान! बच्चों पर न डालें पढ़ाई का प्रेशर

अगर आप भी बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालते हैं तो हो जाइए सावधान क्योंकि बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर डालना मतलब बच्चों की जिंदगी को खतरे में डालना और उसकी जिंदगी बर्बाद करना है. एक बच्चा जब प्रेशर में आकर पढ़ाई करता है तो ना ही उसका पढ़ाई में मन लगता है और ना ही उसे वो अच्छे से कर पाता है.

आप सभी ने थ्री इडियड मूवी तो देखी ही होगी उस फिल्म का भी यही संदेश था कि मशीन बनकर या प्रेशर में आकर हम कभी भी पढ़ाई नहीं कर सकते हैं. हम सिर्फ एक मशीन ही बनकर रह जाते हैं.और फिर ऐसी पढ़ाई का कोई फायदा नहीं जो हमसे हमारी जिंदगी के खुशी के पल को छीन ले या जिंदगी को..

आपने खबरें तो बहुत सी सुनी होंगी कि बच्चें ने फेल होने के डर से आत्महत्या कर ली या फिर कम नंबर आए बच्चा डीप्रेशन  में चला जाता है. 2018 में एक रिर्पोट आई जिसके अनुसार हर 24 घंटे में करीब 26 बच्चों ने आत्महत्या की…इसका कारण था पढ़ाई का प्रेशर,सफल न हो पाने का डर….  पैरेंट्स अक्सर बच्चों को वो करने के लिए मजबूर करते हैं जो बच्चा नहीं करना चाहता जैसे कि अगर बच्चा मैथ्स नहीं पढ़ना चाहता या उसकी दिलचस्पी सिंगिंग या डासिंग में होती है तो भी उसे मजबूरी में मैथ्स लेना पड़ता है या उसे इंजिनियरिंग करने को कहा जाता है. ज्यादातर मां-बाप यही सोचते हैं कि उनका बेटा डौक्टर, ल़ौयर या इंजिनियर बने लेकिन अगर बच्चा वो नहीं करना चाहता तो बेमन से वो पढ़ाई करता है और फिर कई बच्चे फेल होने के डर से आत्महत्या कर लेते हैं तो कई इस डर से की वो अपनी जिंदगी में कुछ नहीं कर पाए.

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बच्चों को  वो करने दें जिसमें उनकी रूची हो जरा सोचिए अगर आप उनको उनकी मर्जी की पढ़ाई करने देंगे उनपर प्रेशर नहीं डालेंगे तो बच्चा अपनी लाइफ के उन चीजों में आगे जा सकता है जो वो करना चाहता. आप खुद सोचिए क्या आज संगीत में करियर नहीं है, क्या आज फोटोग्राफी में करियर नहीं है,या फिर डासिंग में करियर नहीं है? कोई अच्छा पत्रकार बन रहा है तो कोई अच्छा पेंटर….

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बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर कम होने से वो बिमार भी कम पड़ते हैं और साथ ही जब वो अपनी रुची का कार्य करते हैं तो उस कार्य में वो जरूर सफल होते हैं.आजकल प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई कि अगर पढ़ाई के प्रेशर की वजह से बच्चे को लगता है कि वो सफल नहीं हो पा रहा है ऐसे में वो कुछ गलत भी कर बैठता है.आगे निकलने की होड़ में वो नकल तक का सहारा लेता है जो कहीं से भी सही नहीं है.एग्जाम की टेंशन, लाइफ की टेंशन की वजह से नींद भी पूरी नहीं हो पाती है और बच्चा मानसिक तनाव से गुजरता है.

पढ़ाई के प्रेशर पड़ने से बच्चा दिमाग पर ज्यादा जोर देता है क्योंकि वो खुद उसे करना नहीं चाहता उसका मन नहीं होता.और ये बच्चे की सेहत के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता.और पढ़ाई के नाम पर बच्चों को मशीन बना देना बिल्कुल भी सही नहीं है.एक रिर्पोट के मुताबिक जब बच्चों से ज्यादा उम्मीदें या आशाएं होती हैं जो कि बच्चा पूरा नहीं कर सकता है फिर भी अभिभावकों के कारण वो कोशिश करता है तो ऐसे में बच्चा सबसे ज्यादा तनाव में रहता है. माना कि हर अभिभावक चाहता है कि उसके बच्चे कुछ अच्छा करें लेकिन अच्छे के चक्कर में वो अपने बच्चों को मानसिक तनाव देते हैं साथ ही जब दूसरों से तुलना करते हैं तो बच्चे का आत्मविश्वास घटता है ऐसे में जो बच्चा करना चाहता है वो भी नहीं कर पाता है.इसलिए कभी भी अपने बच्चे की किसी दूसरे बच्चे से तुलना न करें.बच्चा जो करना चाहता है उसेक लिए उसे प्रेरित करें,अगर वो पढ़ाई में कमजोर है तो उसका उत्साह बढ़ाएं कि वो कर सकता है और उसे डांटे नहीं बल्कि प्यार से समझाएं और उसका साथ दें.

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आजकल तो बच्चे खेल कूद में इतना आगे जा रहें हैं कि नेशनल गेम्स खेल कर गोल्ड मेडल जीत कर देश का मां-बाप का नाम रौशन कर रहे हैं…हो सकता है आपके भी बच्चें में कुछ ऐसी ही प्रतिभा हो.अगर आपके बच्चे को पढ़ाई करना बोरिंग लगता है तो उसके साथ खेल-खेल में पढ़ाई को मनोरंजनात्मक तरीके से पढ़ा सकते हैं जो आपके बच्चे को अच्छा लगेगा.बच्चों को कुछ समझाने के लिए उनके ही अंदाज में उनकी किसी मनपसंद चीज का उदाहर दें.इस तरह से आप उसके पढ़ाई को रोचक बना सकते हैं.

धन्नो : भाग 2

अनु को दिल्ली आए अब 10-12 वर्ष हो गए थे. अब तो वह शिक्षा मंत्रालय में, शिक्षा प्रणाली के योजना विभाग में कार्य करने लगी थी. अत: उस स्कूल के बाद छात्रों व अध्यापकों के साथ उस की नजदीकियां खत्म हो गई थीं. अकसर अनु को वहां की याद आती थी. उस स्कूल की लगभग सभी अध्यापिकाएं….सब के जीवन में कहीं न कहीं कोई न कोई कमी तो थी ही. कोई स्वास्थ्य से परेशान तो कोई अपने पति को ले कर दुखी. कोई समाज से तो कोई मकान से.

जहां सब सुख थे, वहां भी हायतौबा. मिसेज भंडारी बड़े हंसमुख स्वभाव की महिला थीं, संपन्न, सुंदर व आदरणीय. उन्हें ही अनु कार्यभार सौंप कर आई थी. वे अकसर अपनी सास के बारे में बात करती और कहती थीं, ‘‘मेरी सास के पास कोई दुख नहीं है, फिर भी वे दुख ढूंढ़ती रहती हैं, वास्तव में उन्हें सुखरोग है.’’

एक दिन अनु दिल्ली के एक फैशनेबल मौल में शौपिंग करने गई थी. वहां अचानक उसे एक जानापहचाना चेहरा नजर आया. करीने से कढ़े व रंगे बाल, साफसुथरा, मैचिंग सिल्क सलवार- सूट, हाथों में पर्स. पर्स खोल कर रुपयों की गड्डी निकाल कर काउंटर पर भुगतान करते हुए उन के हाथ और हाथों की कलाइयों पर डायमंड के कंगन.

‘‘भानुमतीजी, आप…’’अविश्वास के बीच झूलती अनु अपलक उन्हें लगभग घूर रही थी.

‘‘अरे, अनु मैडम, आप…’’

दोनों ने एकदूसरे को गले लगाया. भानुमती के कपड़ों से भीनीभीनी परफ्यूम की खुशबू आ रही थी.

अनु ने कहा, ‘‘अब मैं मैडम नहीं हूं, आप सिर्फ अनु कहिए.’’

अनु ने देखा 4-5 बैग उन्हें डिलीवर किए गए.

‘‘आइए, यहां फूडकोर्ट में बैठ कर कौफी पीते हैं,’’ अनु ने आग्रह किया.

‘‘आज नहीं,’’ वे बोलीं, ‘‘बेटी आज जा रही है, उसी के लिए कुछ गिफ्ट खरीद रही थी. आप घर आइए.’’

अनु ने उन का पता और फोन नंबर लिया. मिलने का पक्का वादा करते हुए दोनों बाहर निकल आईं. अनु ने देखा, एक ड्राइवर ने आ कर उन से शौपिंग बैग संभाल लिए और बड़ी सी गाड़ी में रख दिए. अनु की कार वहीं कुछ दूरी पर पार्क थी. दोनों ने हाथ हिला कर विदा ली.

भानुमतीजी की संपन्नता देख कर अनु को बहुत खुशी हुई. सोचने लगी कि बेचारी सारी जिंदगी मुश्किलों से जूझती रहीं, चलो, बुढ़ापा तो आराम से व्यतीत हो रहा है. अनु ने अनुमान लगाया कि बेटा होशियार तो था, जरूर ही अच्छी नौकरी कर रहा होगा. समय निकाल कर उन से मिलने जरूर जाऊंगी. भानुमतीजी के 3-4 फोन आ चुके थे. अत: एक दिन अनु ने मिलने का कार्यक्रम बना डाला. उस ने पुरानी यादों की खातिर उन के लिए उपहार भी खरीद लिया.

दिए पते पर जब अनु पहुंची तो देखा बढि़या कालोनी थी. गेट पर कैमरे वाली सिक्योरिटी. इंटरकौम पर चैक कर के, प्रवेश करने की आज्ञा के बाद अनु अंदर आई. लंबे कौरीडोर के चमकते फर्श पर चलतेचलते अनु सोचने लगी कि भानुमतीजी को कुबेर का खजाना हाथ लग गया है. वाह, क्या ठाटबाट हैं.

13 नंबर के फ्लैट के सामने दरवाजा खोले भानुमतीजी अनु की प्रतीक्षा में खड़ी थीं. खूबसूरत बढि़या परदे, फर्नीचर, डैकोरेशन.

‘‘बहुत खूबसूरत घर है, आप का.’’

कहतेकहते अचानक अनु की जबान लड़खड़ा गई. वह शब्दों को गले में ही घोट कर पी गई. सामने जो दिखाई दिया, उसे देखने के बाद उस में खड़े रहने की हिम्मत नहीं थी. वह धम्म से पास पड़े सोफे पर बैठ गई. मुंह खुला का खुला रह गया. गला सूख गया. आंखें पथरा गईं. चश्मा उतार कर वह उसे बिना मतलब पोंछने लगी. भानुमतीजी पानी लाईं और वह एक सांस में गिलास का पानी चढ़ा गई. भानुमतीजी भी बैठ गईं. चश्मा उतार कर वे फूटफूट कर रो पड़ीं.

‘‘देखिए, देखिए, अनुजी, मेरा इकलौता बेटा.’’

हक्कीबक्की सी अनु फे्रम में जड़ी 25-26 साल के खूबसूरत नौजवान युवक की फोटो को घूर रही थी, उस के निर्जीव गले में सिल्क के धागों की माला पड़ी थी, सामने चांदी की तश्तरी में चांदी का दीप जल रहा था.

‘‘कब और कैसे?’’

सवाल पूछना अनु को बड़ा अजीब सा लग रहा था.

‘‘5 साल पहले एअर फ्रांस का एक प्लेन हाइजैक हुआ था.’’

‘‘हां, मुझे याद है. अखबार में पढ़ा था कि पायलट की सोच व चतुराई के चलते सभी यात्री सुरक्षित बच गए थे.’’

‘‘जी हां, ग्राउंड के कंट्रोल टावर को उस ने बड़ी चालाकी से खबर दे दी थी, प्लेन लैंड करते ही तमाम उग्रवादी पकड़ लिए गए थे परंतु पायलट के सिर पर बंदूक ताने उग्रवादी ने उसे नहीं छोड़ा.’’

‘‘तो, क्या वह आप का बेटा था?’’

‘‘हां, मेरा पायलट बेटा दुष्यंत.’’

‘‘ओह,’’ अनु ने कराह कर कहा.

भानुमतीजी अनु को आश्वस्त करने लगीं और भरे गले से बोलीं, ‘‘दुष्यंत को पायलट बनने की धुन सवार थी. होनहार पायलट था अत: विदेशी कंपनी में नौकरी लग गई थी. मेरे टब्बर का पायलट, मेरी सारी जिंदगी की जमापूंजी.’’

‘‘उस ने तो बहुत सी जिंदगियां बचा दी थीं,’’ अनु ने उन के दुख को कम करने की गरज से कहा.

‘‘जी, उस प्लेन में 225 यात्री थे. ज्यादातर विदेशी, उन्होंने उस के बलिदान को सिरआंखों पर लिया. मेरी और दुष्यंत की पूजा करते हैं. हमें गौड तुल्य मानते हैं. भूले नहीं उस की बहादुरी और बलिदान को. इतना धन मेरे नाम कर रखा है कि मेरे लिए उस का हिसाब भी रखना मुश्किल है.’’

अनु को सब समझ में आ गया.

‘‘अनुजी, शायद आप को पता न होगा, उस स्कूल की युवा टीचर्स, युवा ब्रिगेड ने मेरा नाम क्या रख रखा था?’’

अस्वस्थ व अन्यमनस्क होती हुई अनु ने आधाअधूरा उत्तर दिया, ‘‘हूं… नहीं.’’

‘‘वे लोग मेरी पीठ पीछे मुझे भानुमती की जगह धनमती कहते थे, धनधन की माला जपने वाली धन्नो.’’

अनु को उस चपरासी की शरारती हंसी का राज आज पता चला.

‘‘कैसी विडंबना है, अनुजी. मेरे घर धन आया तो पर किस द्वार से. लक्ष्मी आई तो पर किस पर सवार हो कर…उन का इतना विद्रूप आगमन, इतना घिनौना गृहप्रवेश कहीं देखा है आप ने?’’

यह है दुनिया का दूसरा बड़ा पार्क, जो पहाड़ पर स्थित है

इस पार्क में सब से ऊपर हरक्यूलिस की विशाल प्रतिमा लगी है. इस के अलावा यहां पर खास तरह के हाइड्रो न्यूमेटिक उपकरण लगे हैं, जिन से यहां लगे फव्वारों में पानी प्रवाहित होता है. पिछली एक शताब्दी से टेक्नोलौजी में काफी परिवर्तन आया है. इधर कुछ दशकों से तो टेक्नोलौजी में ऐसी क्रांति सी आई है कि ज्यादातर चीजें डिजिटल होती जा रही हैं.

अब टेक्नोलौजी ने भले ही हर क्षेत्र में तरक्की कर ली है, लेकिन बीसवीं सदी के शुरुआती दौर तक ऐसा कुछ नहीं था. पुराने जमाने के बादशाहों और राजामहाराजाओं के महलों में फव्वारे भी होते थे, जिन के अवशेष अभी हैं. उस समय भव्य भवन कुछ इस तरह बनाए जाते थे कि उन में पंखे, कूलर अथवा एसी की जरूरत नहीं होती थी.

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आप मुगल काल में बने किलों में जा कर पुराने जमाने की टेक्निक को देख समझ सकते हैं. लाल किला इस की साक्षात मिसाल है. बर्ग पार्क की बात करें तो दूसरे विश्वयुद्ध के समय बमबारी के दौरान इस पार्क को काफी नुकसान हुआ था. 1968 से 1974 के बीच इसे दोबारा आर्ट म्युजियम बनाया गया.

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हैडलाइनें जो दिखाई नहीं दीं: ‘नींबू-मिर्च’ ने मचाई देश की राजनीति में खलबली !

आज एक विशेष बैठक में निर्णय लिया गया कि सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सीमा पर दो किलोमीटर तक नींबू और मिर्च की खेती की जाएगी. वैदिक ज्ञान से युक्त विशेषज्ञों से 5000 करोड़ का टेंडर बिना अनुबंध किया गया है. अब भारत पर किसी की टेढ़ी नजर नहीं लगेगी.

सुरक्षामंत्री ने खुद डाले नींबू के बीज –

भारत की सभी सीमाओं के आस-पास एक मजबूत सुरक्षा घेरा बनाने हेतु आज से भारत सरकार ने सभी सीमाओ पर नींबू की खेती करने की घोषणा की. इस ऐतिहासिक निर्णय का शुभारंभ खुद सुरक्षामंत्री जी ने नींबू के बीज डालकर किया. सरकार ने नींबू मिर्ची की खेती को आगे बढ़ाने के लिये विशेष फंड का इस बजट में प्रावधान किया.

घरों के बाहर नींबू-मिर्च लटकाना अनिवार्य घोषित –

सरकारी आदेश के अनुसार अपने व्यवसाय और परिवार को दूसरों की बुरी नजर से बचाने के लिये घरों के बाहर नींबू मिर्च लटकाना अनिवार्य घोषित किया गया है. जनता की सुरक्षा हेतु अब नींबू मिर्ची लगाना अनिवार्य है, वरना, जुर्माना लग सकता है. कोर्ट ने भी नींबू मिर्ची लगाने पर हरी झंडी दिखा दी है.

वाहनों पर भी नींबू-मिर्च टांगना अनिवार्य –

यातायात के नियमो में सुरक्षा को लेकर और कड़े नियम बनाए गए हैं. अब से लोगों को अपने वाहनों पर नींबू-मिर्च टांगना अनिवार्य है. नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. हालांकि, इसकी घोषणा बाद में की जाएगी. साथ ही कोर्ट में ही जुर्माने का भुगतान करना होगा.

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मंत्रियों ने कुर्सियों से बांधे नींबू-मिर्च –

सरकार के इस फ़ैसले से प्रभावित होकर कुछ मंत्रीगण आज नींबू और मिर्च से बनी मालाएं लेकर अपने-अपने दफ़्तर पहुंचे और मालाएं अपनी-अपनी कुर्सी से बांध दीं. अब कुर्सी चले जाने के डर से रात में चिंताग्रस्त हो उन्हें जागना नहीं पड़ेगा.

नींबू-मिर्च की खेती पर अनुदान की घोषणा –

सरकार ने नींबू-मिर्च की खेती करने पर अनुदान की घोषणा की. ऊर्जा विभाग ने किसानों को दी जाने वाली बिजली पर प्रति यूनिट 10 पैसे छूट की घोषणा की.

सरकार के फैसले की खबर का असर –

  1. नींबू मिर्ची के भावों में भारी उछाल.
  2. किसानों के चेहरे खिले.
  3. सेंसेक्स ने लगाई छलांग.
  4. नींबू मिर्ची की कालाबाजारी शुरू.

मुफ्त नींबू-मिर्च के लिए जुटी भीड़, लाठीचार्ज में दो घायल

सरकार ने घोषणा की कि वह राशन की दुकानों पर नींबू-मिर्च सबको मुफ्त में देगी. इस खबर से राशन की दुकानों पर भारी भीड़ जुट गई. भीड़ को नियंत्रित करने के पुलिस ने लाठी चलाई. इसमें दो की हालत गंभीर बनी हुई है. सरकार ने मामले में जांच कमेटी का गठन किया. दूसरी तरफ, बैंक कर्मचारियों के काम में बढ़ोतरी हो गई है क्योंकि नींबू-मिर्च की खेती के लिए लोन लेने वालों की भीड़ बढ़ गई है.

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पीओके को अपने आधिपत्य में लाने का नया फार्मूला –

पूरे POK में राफेल के द्वारा नींबू-मिर्च फैलाए जाएंगे. इससे पाक खुद-ब-खुद POK भारत को सौंप देगा.

नींबू-मिर्च व हवन सामग्री के साथ बाबाओं को सीमा पर किया गया तैनात –

सरकार द्वारा जल्द ही समस्त बाबाओं को नींबू-मिर्च और हवन सामग्री लेकर देश सुरक्षा की दृष्टि से सीमा पर तैनात रहने के अनिवार्य आदेश दिये जा रहे हैं.

पाकिस्तान की नज़र हमारे कश्मीर पर है. केसर-वेसर की खेती छोड़कर कश्मीर में नींबू के बाग लगवाए जाने चाहिए और मिर्ची की खेती शुरू करवानी चाहिए, फिर देखिए दुश्मन देश आंख उठाकर भी देखने की हिम्मत नहीं करेगा.

राफेल के गले मे नीम्बू मिर्ची की माला
बुरी नज़र वाले तेरा मुंह काला
हिन्दुस्तानी टोटका है दमदार
क्या कर लेगा अब पकिस्तान
क्या कर लेगा चाइना वाला

 ‘गी टीवी’, ‘कल तक’, ‘बिडिंया टीवी’ और ‘सिपब्लिक चैनल’ चैनल के बीच मची होड़…

आज ‘गी टीवी’ एक खोजी पत्रकार ने खोज निकाला कि जिन जिन लड़ाइयों में भारत को हार का सामना करना पड़ा है, उसमें वायुसेना के विमान बिना सुरक्षा के निकल गये थें. वहीं अन्य युद्धों में जहां सुरक्षा नियमों का पूर्ण पालन हुआ यानी युद्धक विमानों को नींबू मिर्ची की शक्ति से लैस कर उतारा गया वहां दुश्मन को आसानी से धूल चटा दिया गया.

वहीं ‘कल तक’ के विशेष संवाददाता ने खबर दी है कि अब घरेलू विमानों को भी इस विशेष सुरक्षा से लैस होने की सलाह दी गई है.

‘बिडिंया टीवी’ के खजत शर्मा ने इस खबर की पुष्टि की है कि अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, फ्रांस सहित कई यूरोपीय देशों ने सुरक्षा के विभिन्न टोटकों को भारत से आयात करने में रुचि दिखाई है. यहां तक की राफेल निर्माताओं ने अगली खेप की सप्लाई से पहले इन विभिन्न प्रतीकों को बाय डिफाल्ट शामिल करने की बात की है.

‘सिपब्लिक चैनल’ में तो एक गर्मा गर्म बहस में एक नये मंत्रालय की आवश्यकता पर बल दिया गया जो प्राचीन संस्कृति के नाम पर भूले बिसरे विस्मृत परंपरागत टोटकों को फिर से प्रयोग में लाने के लिए प्रयास करेगा. बहस में इस बात पर भी बल दिया गया कि टोटकों पर सिर्फ रक्षा मंत्रालय का ही हक न रहे इस पर विशेष ध्यान दिया जाए.

पाकिस्तान ने बुलाई आपात बैठक…

सारे चैनलों पर ये दिन भर दिखाया जाता रहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के इस नये रक्षा प्रणाली से हतप्रभ हो एक आपातकालीन बैठक बुलाई है जिसमें सिंध पंजाब और लाहौर के पुराने टोटकों को पुनर्जीवित करने के बारें में विचार किया जाएगा. वहीं चीन के अखबारों में इस बाबत हंसी उड़ाई गई कि टोटकों के उपयोग में भारत अभी उनसे बहुत पीछे है. ज्ञातव्य है कि देश में चीनी सामानों की तरह चीनी टोटकों की भी भारी बिक्री होती है.

ट्विटर-फेसबुक पर दूसरे टोटकों की चर्चा…

इस बीच टिव्टर, फेसबुक और वाट्सएप में भी टोटकों का बाजार गर्म रहा. लोग नींबू मिर्ची से अधिक प्रभावी टोटकों की चर्चा करते दिखें. विपक्ष ने इस बात पर सरकार की टांग खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है कि उन्होंने नींबू जैसे छोटे टोटके का प्रयोग किया है, कम से कम संतरे का सहारा लिया जा सकता था.
फिलहाल नींबू मिर्ची की शक्ति पर शोध कार्य शुरू कर दिया गया है.

बुआ जी ने भी अपनाया टोटका…
दीपू को बुखार है? तो जरूर किसी की बुरी नजर लगी होगी. अरे, डौक्टर फोक्टर क्या करेगा. एक काम करो, दीपू के सिर के ऊपर से पैर तक सात बार नींबू वार लो और फिर उसके बाद इस नींबू के चार टुकड़े करके किसी सुनसान जगह पर या किसी चौराहें पर फेंक आओ और हां, नींबू के टुकड़े फेकने के बाद पीछे मुड़कर न देखना. देखना तुम्हारा दीपू एकदम भलाचंगा हो जाएगा.

एडिट बाय- निशा राय

अपनी अपनी खुशियां : भाग 2

उस ने उसे मजबूर तो नहीं किया था? संजय को बुलाने से पहले वह उस से पूछ तो लेती, सलाह तो कर लेनी चाहिए थी. और अब नौकर की तरह थैला थमा कर उसे बाजार की ओर ठेल दिया है. यह ठीक है कि शिखा को उस ने घर में पूरा हक देने का वादा जरूर किया था, मगर उसे एकदूसरे की बेइज्जती करने का तो अधिकार नहीं है.

इस की कुछ न कुछ सजा जरूर संजय और शिखा को मिलनी चाहिए. वे दोनों फूड पौयजन से बीमार हो जाएं तो कैसा रहे? रूपेश के दिमाग में एकदम विचार उभरा. हां, यह ठीक रहेगा. उस के कदम एक डिपार्टमैंटल स्टोर की ओर बढ़े.

‘‘आप के यहां कोई ऐसी डब्बाबंद सब्जी है जिस से फूड पौयजन होने का खतरा हो?’’ उस ने सेल्समैन से सीधा सवाल किया.

‘‘क्या मजाक करते हैं, साहब? हमारे यहां तो बिलकुल ताजा स्टौक है,’’ सेल्समैन ने दांत निकालते हुए कहा.

‘‘एकआध डब्बा भी नहीं?’’

‘‘क्या आप स्वास्थ्य विभाग से आए हैं?’’ सेल्समैन ने सतर्क हो कर पूछा.

‘‘नहीं, डरो नहीं. हां, यह बताओ कि कोई ऐसा डब्बा…’’

‘‘जी नहीं. हम इमरजैंसी से पहले और इमरजैंसी के बाद भी अच्छा ही माल बेचते रहे हैं,’’ सेल्समैन ने कहा.

‘‘अच्छा, कोई ऐसी दुकान का पता बता दो जहां ऐसी डब्बाबंद सब्जी मिल जाए.’’ अपनी बेइज्जती के बाद की भावना से पागल हो रहे रूपेश ने 500 रुपए का नोट सेल्समैन की तरफ सरकाया.

‘‘क्रांति बाबू, जरा पुलिस को फोन करना. यह पागल आदमी किसी की हत्या करना चाहता है,’’ सेल्समैन ने टैलीफोन के करीब बैठे एक नौजवान से कहा.

पुलिस का नाम सुन कर रूपेश उड़नछू हो गया. 500 रुपए का नोट काउंटर से उठाने की भी उसे सुध न रही, संजय व शिखा को बीमार कर देने का विचार भी उस के दिमाग से उड़ गया. अब तो वह उन दोनों की सेहत ठीक रहने की ख्वाहिश कर रहा था. उस के डरे हुए मस्तिष्क में यह विचार उभरा कि संजय व शिखा को कुछ हो गया तो सेल्समैन की गवाही पर वह पकड़ लिया जाएगा.

रात को खाने के बाद कौफी का दौर चला. वे चारों बैठक में बैठे थे. संजय अपने चुटकुलों से सब को हंसाता रहा.

‘‘क्या बात है, डार्लिंग, तुम कुछ नहीं बोल रहे हो?’’ अर्चना ने रूपेश के करीब सरकते हुए कहा.

‘‘मैं तो कहता हूं, रूपेशजी, यदि सब लोग आप की तरह समझदार हो जाएं तो प्रेम के कारण होने वाली सारी समस्याएं समाप्त हो सकती हैं,’’ संजय ने कहा.

‘‘और प्रेम में निराश हो कर आत्महत्याएं भी कोई न करे,’’ अर्चना बोली.

‘‘मानव जाति को कितना अच्छा सुझाव दिया है रूपेशजी ने,’’ शिख ने कहा.

‘‘मगर पहले तो तुम अडि़यल घोड़े की तरह दुलत्तियां झाड़ रही थीं, मरनेमारने की धमकियां दे रही थीं,’’ रूपेश ने शिखा की तरफ देख कर कहा.

‘‘तब मैं तुम्हारे दिल की गहराई नाप नहीं पाई थी.’’

‘‘अच्छा भई, तुम दिल की गहराइयां नापो. हम तो नींद की गहराइयों में उतरने चले,’’ संजय उठ खड़ा हुआ, ‘‘शिखा डार्लिंग, सोने का कमरा किधर है?’’

‘‘वह बाएं कोने वाला इन का है और दाएं वाला हमारा.’’

‘‘अच्छा भई, गुडनाइट,’’ स्लीपिंग गाउन सरकाता हुआ संजय दाईं ओर के सोने के कमरे की ओर बढ़ गया.

संजय के चले जाने के बाद कुछ देर तक अर्चना अंगरेजी पत्रिका के पन्ने पलटती रही. फिर वह भी अंगड़ाई ले कर उठ खड़ी हुई.

‘‘सोना नहीं है, रूपेश डार्लिंग?’’

‘‘तुम चलो, मैं थोड़ी देर और बैठूंगा.’’ रूपेश ने अनमने स्वर में कहा.

‘‘ओके, गुडनाइट.’’

‘‘गुडनाइट,’’ रूपेश कुछ नहीं बोला लेकिन शिखा ने स्वेटर पर सलाई चलाते हुए कहा.

फिर बैठक में खामोशी छा गई. घड़ी की टिकटिक और शिखा की सलाइयों की टकराहट इस खामोशी को तोड़ देती. रूपेश अनमना सा कुरसी पर बैठा रहा.

‘‘अब सो जाइए, 1 बजने को है, मुझे तो नींद आ रही है,’’ शिखा ऊन के गोलों में सलाइयां खोंसती हुई बोली.

शिखा ने स्वेटर और ऊन के गोलों को कारनेस पर टिका कर एक अंगड़ाई ली, रूपेश की तरफ देखा और और फिर पलट पड़ी दाएं कोने वाले सोने के कमरे की ओर.

‘‘रुक जाओ, शिखा,’’ रूपेश तड़प कर शिखा और कमरे के दरवाजे के बीच बांहें फैला कर खड़ा हो गया, ‘‘बेशर्मी की भी हद होती है.’’

‘‘बेशर्मी, कैसी बेशर्मी? रूपेश डार्लिंग, तुम ने मुझे जो हक दिया है मैं उसी का इस्तेमाल कर रही हूं. हट जाओ, मेरी वर्षों से मुरझाई हुई खुशियों के बीच दीवार न बनो. मुझे खुशियों का रास्ता दिखा कर राह में कांटे न बिछाओ.’’

‘‘अपने पति के सामने ऐसा कदम उठाते हुए तुझे डर नहीं लगता? शर्म नहीं आती?’’

‘‘डर, शर्म आप से? क्यों? यह तो बराबरी का सौदा है. रात काफी हो चुकी है, सो जाइए. आप का कमरा उधर है,’’ शिखा ने बाएं कोने में कमरे की ओर इशारा किया, ‘‘छोडि़ए, मेरा रास्ता.’’

‘‘बेशर्म, मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम इतनी गिर सकती हो. तुम्हारी इस हरकत से एक पति के दिल पर क्या गुजर सकती है, यह तुम ने कभी सोचा है?’’ रूपेश की आंखें क्रोध से जल उठीं.

‘‘मर्द जब दूसरी पत्नी ब्याह कर लाता है तब क्या अपनी पहली पत्नी के दिल में उठने वाली चीखों की शहनाइयों के शोर को सुनता है? रातरातभर कोठों पर ऐश की शमाएं जलाने वाले पति कभी अपनी पत्नी के दिल के अंधेरों में झांक कर देखते हैं? हर जवान लड़की पर लार टपकाने वाला पति कभी यह भी सोचता है कि उस की पत्नी के गालों पर आंसू के निशान क्यों बने रहते हैं? आप ने जब अर्चना को लाने की तजवीज पेश की थी, तब मैं भी रोईचिल्लाई थी. अब मैं संजय के पास जा रही हूं तो आप क्यों चीख उठे?’’

‘‘मैं उस का सिर तोड़ दूंगा,’’ रूपेश कमरे की तरफ बढ़ा.

‘‘अरे, रुको तो,’’ शिखा ने उस की बांह पकड़ ली.

‘‘मैं कुछ सुनना नहीं चाहता. उसे इसी वक्त चलता कर दो.’’

‘‘और अर्चना?’’

‘‘वह भी जाएगी. मेरा फैसला गलत था. मैं अंधे जज्बात की धारा में बह गया था,’’ रूपेश ने हथियार डाल दिए.

‘‘अंधे जज्बात नहीं, वासना ने तुम्हें अंधा कर दिया था. रूपेश भैया,’’ संजय  पूरे कपड़े पहन अतिथिकक्ष के दरवाजे पर खड़ा था.

रूपेश कभी सोने के कमरे की तरफ और कभी अतिथिकक्ष के दरवाजे पर खड़े संजय की ओर देख रहा था.

‘‘जी हां, आप का खयाल ठीक है. मैं सोने के कमरे में स्लीपिंग सूट पहन कर गया जरूर था. किंतु दूसरे दरवाजे से बाहर निकल गया था,’’ संजय ने कहा, ‘‘आप को फिर कोई शो करना हो तो याद कीजिएगा. यह रहा मेरा कार्ड.’’

‘नितिन…निर्देशक तथा स्टेज आर्टिस्ट,’ रूपेश कार्ड की पहली पंक्ति पर अटक गया.

‘‘आगे हमारे ड्रामा क्लब का पता भी लिखा है. नोट कर लीजिए,’’ नितिन मुसकरा दिया.

रूपेश मुंह फाड़ कभी कार्ड को तो कभी उस युवक को देख रहा था, जो संजय से नितिन बन गया था.

‘‘यह नितिन है, हमारे शहर के माने हुए कलाकार और भैया के जिगरी दोस्त. जब मैं ने भैया को आप की अर्चना को साथ रखने की जिद के बारे में लिखा तब उन्होंने नितिन की सहायता से यह सारा नाटक रचवाया,’’ शिखा ने सारी बात समझाते हुए कहा.

‘‘ओह,’’ रूपेश ने एक लंबी सांस ली और धम से सोफे पर बैठ गया.

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