मुद्दत तक सत्ता में बने रहने की लत और फिर मुद्दत तक ही सत्ता से दूर रहने की गत एनसीपी मुखिया शरद पवार को कुछ इस तरह सता रही है कि वे राजीखुशी जेल जाने को तैयार हो गए. प्रवर्तन निदेशालय ने मराठा क्षत्रप और महाराष्ट्र के भीष्म पितामह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की तो वे बोले, ‘‘जेल जाना उन के लिए खुशी की बात होगी क्योंकि वे कभी जेल नहीं गए हैं.’’ यह सब ऐसे वक्त में किया गया जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका था.

भाजपा के लिए महाराष्ट्र में इकलौती चुनौती शरद पवार ही बचे हैं. लिहाजा, उन की चौतरफा घेराबंदी में उस ने आलस नहीं किया. पहले तो एनसीपी के कई नेताओं को अपने पाले में लाया गया, फिर ईडी को हरी  झंडी दे दी गई. लेकिन पके हुए शरद पवार इस धौंस में नहीं आए, तो पुनर्विचार किया गया कि अगर उन्हें जेल भेजा गया तो कितना नफानुकसान होगा. 80 साल के ये बुजुर्ग पूरे दमखम से राज्य के चुनावी दौरों पर हैं और  झुकने के बजाय टूटने को तैयार हैं, जिस से भाजपा का दांव उलटा पड़ता नजर आ रहा है.

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मीडिया सीक्रेट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राजनीतिक पर्यटक के रूप मे हफ्तेभर अमेरिका में भरपूर लुत्फ उठाया और खुद को डोनाल्ड ट्रंप से फादर औफ इंडिया कहलवा कर ही वापसी के लिए उड़ान भरी. ‘शोले’ फिल्म के जय और वीरू की तरह साथ रहे मोदी और ट्रंप का शो फ्लौप ही रहा क्योंकि ये दोनों ही जिद्दी और कट्टरवादी नेता अब चमक खोने लगे हैं.

मुद्दे की बात फेयरवैल के वक्त हुई जब डोनाल्ड ट्रंप ने नरेंद्र मोदी से यह जानना चाहा कि वे इतने अच्छे रिपोर्टर लाते कहां से हैं और काश, उन के पास भी ऐसे रिपोर्टर होते. भक्त और गोदी मीडिया का मजाक अभिजात्य तरीके से उड़ाते ट्रंप ने अपनी व्यथा व्यक्त कर ही दी कि अमेरिकन मीडिया में भक्तिभाव की कमी है जो आएदिन वह उन की छिलाई करता रहता है. अच्छा तो यह रहा कि मोदी ने भारत से रिपोर्टर भेजने की पेशकश नहीं की. हां, यह टिप शायद दी हो कि भक्ति भी बिकाऊ होती है, आप को खरीदना नहीं आता.

आत्महत्या या संन्यास

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह फिर से दुखी हैं और इतने हैं कि अब आत्महत्या करने और संन्यास लेने तक की बात करने लगे हैं. उन के ताजे दुख की पुरानी वजह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बाढ़ और सूखे को ले कर कथित बेरुखी, खासतौर से उन के लोकसभा क्षेत्र बेगूसराय को ले कर है. हर कोई जानता है कि गिरिराज और नीतीश में दांतकाटी दुश्मनी है जिस की वजहों पर कई विश्लेषक शोध कर रहे हैं.

साल 2013 में नीतीश जब नरेंद्र मोदी को ले कर लगातार जहर उगल रहे थे तब मोदीभक्त गिरिराज ने कहा था कि नीतीश एक देहाती औरत की तरह व्यवहार कर रहे हैं और जलन के चलते नरेंद्र मोदी पर हमले कर रहे हैं.

यह जलन यानी फंगल इन्फैक्शन अब अमित छाप मलहम से दूर हो चुका है लेकिन गिरिराज को रहरह कर नीतीश को ले कर दौरा सा पड़ता रहता है. लिहाजा, उन की नई धौंस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. सब को मालूम है कि वे कुछ नहीं करेंगे.

बेवफा बसपा विधायक

कभी विरोधियों को  झटके देने वाली बसपा प्रमुख मायावती खुद इन दिनों  झटके पे  झटके खा रही हैं. उन्हें ताजा तगड़ा  झटका राजस्थान से लगा है जहां उन के 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. अब कांग्रेस के 106 विधायक हो जाने से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत निश्ंिचत हो गए हैं जिन की सरकार पर गिरने का दैनिक खतरा मंडराता रहता था. एक जमाने में बसपा के विधायकों, सांसदों की वफा की मिसाल दी जाती थी, लेकिन अब उन की बेवफाई चर्चा में रहती है.

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बसपा विधायकों ने सम झदारी का परिचय ही दिया है क्योंकि बिना राजकीय सुखसुविधाओं के 5 साल गुजारना उन के लिए भी विधवा जीवन जीने जैसी बात थी, जिस में न घूमनेफिरने की इजाजत होती और न ही सजनेसंवरने की. हालांकि, सियासी हल्कों में चर्चा है कि यह सब बहनजी की मरजी से ही हुआ है जिन्होंने अशोक का शोक दूर करने जैसी कीमत वसूली है. सच जो भी हो, यह डील भाजपा को छोड़ सभी को सुकून देने वाली है.

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