उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के डीएम आशुतोष निरंजन ने ट्विटर पर अपने दीवाली संदेश में लिखा ‘यह दीवाली प्रदूषण मुक्त मनाने के साथ साथ लोगों से पटाखों की जगह दीपक से उजाला करके एक स्वस्थ वातावरण से दीपावली मनाने की अपील करता हं’.  डीएम बस्ती की यह अपील सोशल मीडिया पर विरोधी मत वाले लोगों के निशाने पर आ गई. सोशल मीडिया पर लोगों ने डीएम बस्ती को ‘ट्रोल’ किया जाने लगा. सोशल मीडिया पर उनको तमाम तरह की सलाह दी जाने लगी. किसी ने उनको दीवाली पर ज्ञान देने की जगह बस्ती जिले की समस्याओं पर ध्यान देने के लिये कहा. तो किसी ने ऐसे संदेश ईद पर देने के लिये कहा. डीएम साहब का मामला था होने के बाद भी उनको जबरदस्त ‘ट्रोल’ किया गया.

यह बात केवल डीएम बस्ती की नहीं है सोशल मीडिया पर ‘ईको फ्रेंडली’ दीवाली मनाने का संदेश देते सभी मैसेजों के साथ ऐसे ही ‘ट्रोल’  किया गया. सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल’  करने वालों ने ईद, बकरीद, क्रिसमस और नये साल पर ऐसे संदेश देने की चुनौती देते कहा गया कि ‘सारे प्रदूषण रोकने का ठेका हिन्दू त्योहारों में ही क्यों लिया जाता है?’ वैसे उत्तर प्रदेश की सरकार ने इस दीवाली मिटटी के दिये जलाने की अपील की. सरकार ने प्रदूषण और पटाखों को लेकर कोई बड़ी मुहिम नहीं चलाई. सोशल मीडिया से अलग इस बार स्कूल और दूसरे आयोजनों में प्रदूषण रहित दीवाली मनाने की मुहिम फीकी दिखी.

प्रदूषण रहित दीवाली को सोशल मीडिया पर लोगों ने धर्म से जोड़ दिया. उत्तर प्रदेश में धर्म एक बड़ा मुददा बन गया है. धार्मिक मसले सोशल मीडिया पर इस कदर हावी है कि दीवाली का प्रदूषण इसके लिये कोई मायने नहीं रखता. सोशल मीडिया पर धर्म का कट्टरपन अभी पूरी तरह से हावी है. ऐसे में दीवाली पर प्रदूषण रोकने के लिये पटाखे ना छुड़ाने की अपील पूरी तरह से फीकी नजर आई. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में दीपोत्सव मनाया और 5 लाख 51 हजार दीप जलाकर विश्व रिकार्ड बनाया. इस अवसर पर 14 मठ मंदिरों को करीब डेढ़ लाख दीपों से रोशन किया. इस अवसर पर सरयू तट पर आतिशबाजी करने की तैयारी की.

असल में उत्तर प्रदेश में धर्म का प्रभाव छाया हुआ है. यहां पर तर्क को कोई मतलब नहीं रह जाता है. धार्मिक आयोजन सरकारी आयोजन की तरह हो गये है. उत्तर प्रदेश में धार्मिक मुददो पर वोटिंग होती है. धर्म के खिलाफ किसी भी तर्क को ऐसे दबाव जाता है जिससे वह बात दोबारा उभर कर सामने ना आ सके. ऐसे में धर्म के खिलाफ तर्क रखने वालों को बुरी तरह से ट्रोल किया जाता है. उनको गालियां दी जाती है. ऐसे लोग यह भूल जाते हैं कि आज उनको सुविधाभोगी जीवन विज्ञान की वजह से मिला है. धर्म और पूजा पाठ से अगर अगर बिजली, सड़क, आवास मिल सकते तो लोग फैक्ट्री और उद्योग धंधे क्यों लगाते ?

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