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मानसून स्पेशल: चटपटी करारी आलू बेसन भुजिया

भारत में भुजिया बनाने का काम राजस्थान के बीकानेर से शुरू हुआ. वहां जो नमकीन तैयार होता है, उस में भुजिया सब से ज्यादा बनती है. भारत के दूसरे शहरों में भुजिया की जगह बेसन से तैयार सेव ज्यादा बनाए जाते हैं, जो भुजिया से मोटे होते हैं. शुरुआत में भुजिया केवल बेसन से तैयार होती थी. इसे चटपटा बनाने के लिए बेसन के बड़े टुकड़े तल कर डाले जाते थे, जो पूरी तरह से मसालेदार होते थे. समय के साथ भुजिया बनाने में बदलाव हुआ. अब भुजिया बनाने के लिए बेसन के साथ आलू का इस्तेमाल भी होने लगा है. इस के बाद से?भुजिया का बाजार बढ़ने लगा है. आलू और बेसन से तैयार भुजिया खाने वालों को ज्यादा पसंद आने लगी. अब यह बाजार में बिकने के लिए पैकेटों में आने लगी है.

पूरे देश के नमकीन बनाने वालों को भुजिया बनाने का फायदेमंद काम पसंद आने लगा है. इस से  चने और आलू की खेती करने वालों को भी नया रास्ता दिख गया है. वे भी अब भुजिया बनाने लगे हैं. पूरे देश में भुजिया बनाने का काम गृहउद्योग की तरह फैल गया है.

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चटपटे पकवानों की शौकीन लखनऊ की मनीषा त्रिपाठी कहती?हैं, ‘भुजिया खाने में दूसरे नमकीनों के मुकाबले काफी अच्छी होती है. सब से अच्छी बात यह है कि इसे बनाना सरल होता है. केवल मशीन से ही नहीं, हाथों से भी इसे बनाया जा सकता है. यह रोजगार का अच्छा जरीया हो सकती है.’

हमारे देश में आलू की अच्छी पैदावार होती है. आलू भुजिया की मांग बढ़ने के बाद से आलू के किसानों की फसल बरबाद नहीं होगी. उस के दाम कम नहीं होंगे और आलू किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा. इस तरह फूड प्रसंस्करण होने से किसानों का मुनाफा बढ़ रहा है. फसलों से जुड़ी चीजों का इस्तेमाल इस तरह हो तो किसानों को ज्यादा मुनाफा मिलेगा.

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आलू भुजिया और नमकीन सेव का स्वाद अलग और खास होता है. आलू भुजिया को कई तरह से बनाया जाता?है. इसे आलू और बेसन मिला कर या आलू, बेसन और मोंठ का आटा मिला कर या आलू, बेसन और चावल का आटा मिला कर बनाया जाता है. हर तरह से बनाई गई भुजिया का स्वाद अलग होता है, लेकिन बनाने का तरीका एक ही होता है. आप के पास जो भी सामग्री मौजूद हो उसी से आलू भुजिया बनाई जा सकती है. लेकिन बेसन मिली आलू भुजिया का स्वाद लाजवाब होता?है.

भुजिया बनाने की सामग्री

बेसन 200 ग्राम,

आलू 400 ग्राम,

नमक स्वादानुसार,

हलदी पाउडर एक चौथाई छोटा चम्मच,

हींग स्वादानुसार,

गरम मसाला आधा छोटा चम्मच

और तलने के लिए तेल.

बनाने की विधि

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  • आलुओं को उबाल लें. उन्हें छील कर कद्दूकस कर लें.
  • बेसन को किसी बरतन में छान कर निकाल लें. अब कद्दूकस किए हुए आलू बेसन में डाल लें.
  • नमक, हींग, हलदी पाउडर और गरम मसाला डाल कर सारी चीजों को अच्छी तरह मिला लें और चिकना आटा जैसा गूंध कर तैयार कर लें.
  • इसे 20 मिनट के लिए ढक कर रख दें ताकि ये फूल कर सेट हो जाए.
  • सेव बनाने वाली मशीन पर बारीक जाली लगा दें. हाथ पर थोड़ा सा तेल लगाएं. अब गुंधी सामग्री का एक हिस्सा (जितना मशीन में?ठीक से आ सके) लंबे आकार की लोई बना कर मशीन में डालें और मशीन का ढक्कन बंद कर दें.
  • कढ़ाई में तेल डाल कर गरम करें. मीडियम गरम तेल के ऊपर मशीन को दबा कर निकले हुए सेव डालें. जितने सेव कढ़ाई में आसानी से तले जा सकें, उतने सेव ही तेल में डालें.
  • जब सेव हलके सिक जाएं तो उन्हें पलट दें. सेवों को हलका भूरा होने तक तलें और किसी नैपकिन पेपर बिछी प्लेट में निकालें. बाकी सारी सामग्री को भी इसी तरह सेव की मशीन में भर कर गरम तेल में तल कर सेव बना लें.
  • आलू भुजिया सेव को अच्छी तरह से ठंडा होने दें और फिर किसी एयरटाइट डब्बे में भर कर रख लें. आप इसे 1 महीने से भी ज्यादा समय तक आराम से खा सकते?हैं.
  • आप अपनी पसंद से आलू भुजिया सेव को कम या ज्यादा मसाले वाले बना सकते?हैं. आप चाहें तो इन्हें कम मसाले वाले बना लें ताकि बच्चे भी आसानी से खा सकें और जब आप का मन ज्यादा मसाले वाले सेव खाने का हो तो आप इन पर थोड़ा सा चाट मसाला डाल कर खाएं.

इधरउधर-भाग 3 : तनु को अपने सपनों का राजकुमार कैसा चाहिए था?

“आप इनकार नहीं कर सकतीं कि बदलाव आया है और अच्छी रफ़्तार से आया है. जागरूकता बढ़ी है, देश की प्रतिष्ठा बढी है, हमारे पासपोर्ट की इज्ज़त होनी शुरू हो गई है. आज का भारत कल के भारत से कहीं अच्छा है और कल का भारत आज के भारत से लाख गुना अच्छा होगा.”

 

“आप तो नेताओं जैसी बात करने लगे आकाश जी,” तनु को उस की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

 

गेटवे के किनारे तनु ने नारियल पानी पीने की इच्छा जाहिर कर दी. दोनों ने नारियल पानी पिया.  इसी दौरान आकाश ने पास में फुटबौल खेल रहे बच्चों के साथ कुछ समय गुजारा. “बड़े दिनों बाद आज फुटबौल  पर हाथ साफ़ किया है, या यों कहूं कि पैर साफ़ किया है. हमारे क्लब में तो गोल्फ, स्क्वाश, टेनिस आदि खेल कर ही लोग खुश होते रहते हैं. शायद, यही खेल उन का परिचय है. इन्हीं खेलों की ट्रौफी उन की पहचान है,” यह कहने के साथ आकाश के चेहरे पर मुसकान थी. आकाश के जूते मिटटी से सन गए थे.  पौलिश करने वाले दोतीन बच्चों ने उसे घेर लिया और पौलिश करवाने का आग्रह करने लगे. आकाश उन सब को ले कर कोने में गया मानो उन से कोई ज़रूरी मंत्रणा करनी हो.

 

सही कहा गया है कि इंसान के हालात का और मुंबई की बरसात का कोई भरोसा नहीं. एक बार फिर बादलों ने पूरे माहौल को अपनी आगोश में कर लिया और चारों ओर रात जैसा अंधेरा छा गया. अगले ही पल मोटीमोटी बूंदों ने दोनों को भिगोना शुरू कर दिया. दोनों ने भाग कर पास की एक छप्परनुमा दुकान में घुस कर गरमगरम भुट्टों पर अपना हाथ साफ़ कर दिया. आकाश ने जेब से पैसे निकाले और भुट्टे वाली बुज़ुर्ग महिला के हाथ में थमा दिए. उस की नज़र उमड़ते बादलों पर ही थी. प्रश्नवाचक दृष्टि से उस ने तनु की ओर देखा और दोनों बाहर निकल गए.  टैक्सी लेने की तमाम कोशिशें नाकामयाब होने के बाद दोनों स्टेशन की ओर पैदल ही निकल पड़े. रास्ते में आकाश ने ड्राइवर को फ़ोन कर के कामा होटल से गाड़ी ले कर स्टेशन पर आने को कह दिया .

 

घर पहुंचतेपहुंचते रात हो चुकी थी. आकाश और उस के परिवार वालों ने इज़ाज़त मांगी. उन के जाते ही जयनाथ कुछ कहने के लिए मानो तैयार ही थे, “कितने पैसे वाले लोग हैं, मगर कोई मिजाज़ नहीं, कोई घमंड नहीं.  हम जैसे मिडिल क्लास वालों की लड़की लेना चाहते हैं. दहेज़ की मांग नहीं, यहां तक कि…”

 

“तो मुझे क्या करना चाहिए, अम्बर के बजाय आकाश को पसंद कर लेना चाहिए क्योंकि आकाश करोड़पति है. उस के मातापिता घमंडी नहीं हैं. वे धरातल से जुड़े हैं. और सब से बड़ी बात कि उन्हें हम, हमारा परिवार,  हमारी सादगी पसंद हैं. मेरी पसंद मैं भाभी को सुबह ही बता चुकी हूं. आकाश से मिलने के बाद मेरी पसंद में  कोई तबदीली नहीं आई है.”

 

“ठीक है, इस बारे में हम बाकी बातें कल करेंगे,” जयनाथ ने लगभग पीछा छुडाते हुए कहा.

 

रात के करीब 2 बजे तनु ने भाभी को फ़ोन मिलाया, “भाभी, मुझे आप से मिलना है. भैया तो बाहर गए हैं. ज़ाहिर है आप भी जग रही होंगी. मुझे अम्बर के बारे में कुछ बात करनी है. मै आ जाऊं?”

 

“तनु, मैं गहरी नींद में हूं. हम सुबह मिलें?”

 

“मैं तो आप के दरवाज़े पर ही हूं. गेट खोलेंगी या खिड़की से आना पड़ेगा?”

 

अगले ही पल तनु अंदर थी. बातों का सिलसिला शुरू करते हुए भाभी ने तनु से पूछा, “तुम मुझे अपना फैसला सुना चुकी हो. अब इतनी रात मेरी नींद क्यों खराब कर रही हो?”

 

“भाभी, अम्बर को फ़ोन कर के कहना है कि मैं उस से शादी नहीं कर सकती.”

 

“क्या?”  भाभी को लगा कि वह अभी भी नींद में ही है. पलक झपकते ही तनु ने अम्बर को फ़ोन लगा दिया, “हेलो अम्बर, मैं तनु बोल रही हूं. मैं इधरउधर की बात करने के बजाय सीधा मुद्दे पर आना चाहती हूं.”

 

“ठीक है, जल्दी बता दो. मैं इधर हूं या उधर.”

 

“इधरउधर की छोड़ो और सुनो, सौरी यार, मैं तुम से शादी नहीं कर सकती.”

 

“ठीक है, मगर इतनी रात को क्यों बता रही हो, सुबह बतातीं?”

 

“सुबह तक मेरा दिमाग बदल गया तो…? तुम हो ही ऐसे कि तुम्हें मना करना बहुत मुश्किल है.”

 

“अच्छा, औल द बेस्ट. अब सो जाओ और मुझे भी सोने दो. किसी उधर वाले से शादी तय हो जाए तो जगह, तारीख वगैरह बता देना, मैं आ जाऊंगा, मुफ्त का खाना खा कर चला आऊंगा.”

 

“मुफ्ती साहब, गिफ्ट लाना पड़ेगा.  शादी में खाली लिफ़ाफ़े देने का रिवाज़ दिल्ली में होगा, मुंबई में नहीं.”

 

“ठीक है, दोचार फूल ले आऊंगा. अब मुझे सोने दो. सुबह मेरी फ्लाइट है.”

 

भाभी, सकते में थीं.”  यह सब क्या है तनु? तुम तो अम्बर पर फ़िदा हो गई थीं. क्या आकाश का पैसा तुम्हें आकर्षित कर गया, क्या उस की बड़ी गाड़ी अम्बर की मोटरसाइकिल से आगे निकल गई?”

 

“भाभी, अम्बर पर फ़िदा होना स्वाभाविक है. ऐसे लड़के के साथ घूमनाफिरना मजे करना अच्छा लगेगा.  मगर शादी ऐसा बंधन है जिस में एक गंभीर, संजीदा इंसान चाहिए न कि कालेज से निकला हुआ एक हीरोनुमा लड़का. हम घर से बाहर निकले, आकाश ने पूरी शिद्दत के साथ ट्रैफिक के सारे नियमों का पालन किया. मेरे लाख कहने के बावजूद उस ने गाड़ी नो एंट्री में नहीं घुमाई.  अपने देश के बारे में उस के विचार सकारात्मक थे. उसे देश से कोई शिकायत न थी. रेस्तरां में वेटर से इज्ज़त से बात की, न कि उसे वेटर कह कर आवाज़ दी. मुफ्त का खाने के बजाय उस ने पैसे देने में अपनी खुद्दारी समझी.  बड़ी गाड़ी छोड़ कर लोकल ट्रेन में जाने में उसे कोई परहेज नहीं.  नारियल पानी पी कर उस ने नारियल एक ओर उछाला नहीं, बल्कि डस्टबिन की तलाश की. पौलिश करने वाले बच्चों को कोने में ले गया और उन्हें स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया. सब को कौपीपेंसिल खरीदने के लिए पैसे दिए. भुट्टे वाली माई को उस ने जब मुट्ठीभर के पैसे दिए तो उस का सारा ध्यान इस पर था कि मैं कहीं देख न लूं. इतने पैसे उस भुट्टे वाली ने एकसाथ कभी नहीं देखे होंगे… इतने  संवेदनशील व्यक्तित्व के मालिक के सामने मै एक प्यारे से हीरो को चुन कर जीवनसाथी बनाऊं, इतनी बेवकूफ मैं लगती ज़रूर हूं मगर हूं नहीं..”

 

भाभी, सिर पर हाथ रख कर बैठ गईं.

 

“क्या सिरदर्द हो रहा है?”

 

“ नहीं, बस, चक्कर से आ रहे हैं.”

 

“रुको, अभी सिरदर्द भी हो जाएगा,” तनु ने कहा तो भाभी बोल पड़ीं, “अब क्या बाकी है?”

 

तनु ने फ़ोन उठाया और एक नंबर मिलाया, “हेलो आकाश,  मैं ने फैसला कर लिया है, मुझे आप पसंद हैं. मैं आप से शादी करने को तैयार हूं. मुझे पूरा यकीन है कि मैं भी आप को पसंद हूं.”

 

“तुम ने फैसला ले कर मुझे बताने का समय जो चुना वह वाकई काबिलेतारीफ़ है,” दूसरी ओर से आवाज़ आई.

 

“है न, मगर भाभी इस बात को मानती ही नहीं. देखो, मुझे धक्के मार कर अपने कमरे से बाहर निकालने को उतारू हैं…”

इधरउधर-भाग 2 : तनु को अपने सपनों का राजकुमार कैसा चाहिए था?

“इस का क्या जवाब दूं, सभी जानते हैं, हम हिंदुस्तानी कानून तोड़ने में विश्वास करते हैं. नियम न मानना हमारे लिए गर्व की बात है. वहां के तो जानवर भी कायदेकानून की हद से बाहर नहीं जाते.”

“फिर क्या होगा अपने देश का?”

“जहां तक देश का सवाल है, सबकुछ चल ही रहा है और चलता रहेगा. युवा विदेशों की तरफ भाग रहे हैं और सरकार उन्हें रोकने का कोई ठोस कार्यक्रम नहीं बना रही. अब मुंबई को ही देख लीजिए, नेता सरकार बनाने के लिए अपनी सोच और अपना दल बदलते रहते हैं और लोग अपना दिल.” एक पल के लिए रुक कर अम्बर ने एक नज़र घुमाई और फिर बोला, “ फिलहाल तो यह सोचिए कि हमारा क्या होगा, आसमान पर बादल छा रहे हैं और मेरे 10 तक की गिनती गिनने तक बरसात हमें अपनी आगोश में ले लेगी.”

 

‘घर तो जाना ज़रूरी है. मेरी दूसरी शिफ्ट भी है,’  तनु मन ही मन बुदबुदाई और फिर ऊंची आवाज़ में बोली, “चलते हैं. और अगर भीग भी गए तो मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे बरसात में भीगना पसंद है.”

 

“मुझे भी,” अम्बर ने मोटरसाइकिल स्टार्ट करते हुए कहा, “ मगर, यों भीगने से पहले थोड़ा इंतजार करना अच्छा नहीं रहेगा? चलिए, पास में ही ताज के रेस्तरां में एक कप कौफ़ी हो जाए, यह मेरा रोज़ का सिलसिला है.”

 

तनु ने मुसकरा कर हामी भर दी. अगले चंद ही मिनटों में वे दोनों ताज के रेस्तरां में थे. अम्बर ने ऊंची आवाज़ में वेटर को आवाज़ दी और जल्दी से 2 कप कौफ़ी लाने का और्डर दिया. कौफ़ी ख़त्म कर के अम्बर ने एक बड़ा नोट बतौर टिप वेटर को दिया और दोनों बाहर आ गए. बारिश रुकने के बजाय और भी उग्र हो चुकी थी.

 

पूरे रास्ते तेज बरसात में भीगते हुए तनु को बहुत आनंद आ रहा था. घर पहुंचतेपहुंचते दोनों तरबतर हो चुके थे. अम्बर के मातापिता मानो उन का इंतजार ही कर रहे थे. उन के आते ही औपचारिक बातचीत कर के सभी वहां से चल पड़े.

 

“कैसा लगा लड़का?”  भाभी ने उतावलेपन से पूछा तो तनु ने स्पष्ट कर दिया, “भाभी, दूसरे लड़के को मना ही कर दो, कह दो मेरी तबीयत ठीक नहीं है. मुझे अम्बर पसंद है.”

 

“तनु, अब अगर वे आ ही रहे हैं, तो आने दो.  कुछ समय गुजार कर उन्हें रुखसत कर देना. कम से कम हमारी बात रह जाएगी.”

 

“लेकिन भाभी, जब मुझे अम्बर पसंद है तो इस स्वयंबर की क्या ज़रूरत है?

 

ठीक 4 बजे एक लंबीचौड़ी गाडी आ कर रुकी. गाडी में से एक संभ्रांत उम्रदराज़ जोड़ा और एक नवयुवक उतरा. पूरे परिवार ने बड़े ही सम्मान से उन का स्वागत किया.

 

तनु ने एक नज़र लड़के पर डाली और उस के मुंह से अनायास ही निकल गया, “आप सूटबूट में तो ऐसे आए हैं, मानो किसी इंटरव्यू में आए हों?” जयनाथ ने इशारे से तनु को हद में रहने को कहा.

 

जवाब में सब ने एक ठहाका लगाया और युवक ने बिना झिझके कहा, “आप सही कह रही हैं, एक तरह से मैं एक इंटरव्यू से दूसरे इंटरव्यू में आया हूं. दरअसल, हम यहां का कामा होटल खरीदने का इरादा बना रहे हैं. अभी उन के निदेशकों से मीटिंग थी. वह किसी इंटरव्यू से कम नहीं थी. और यह भी किसी इंटरव्यू से कम नहीं.”

 

तनु को कोई उत्तर नहीं सूझा. मगर, इधरउधर की औपचारिक बातें करने के वह मुख्य मुद्दे पर आ गई और उस ने कह दिया, “अगर आप लोग इज़ाज़त दें तो मैं और आकाश थोड़ा समय घर से बाहर…”

 

“हां ज़रूर,” लगभग सब ने एकसाथ कहा.

 

आकाश ने ड्राइवर से चाबी ली और तनु के लिए गाडी का दरवाज़ा खोल कर बैठने का आग्रह किया. तनु की फरमाइश पर गाड़ी ने गेटवे औफ़ इंडिया का रुख किया.  “यहां से एक शौर्टकट है, आप चाहें, तो ले सकते हैं, 15-20 मिनट बच जाएंगे.” “तनु जी, आप भूल रही हैं कि इधर नो एंट्री है,”  आकाश ने कहा. फिर, मानो उसे कुछ याद आया, बोला, “अगर आप बुरा न मानें, तो मैं रास्ते में सिर्फ 10 मिनटों के लिए होटल कामा में रुक जाऊं. वहां के निर्दशकों का मैसेज आया है, वे मुझ से मिलना चाहते हैं.”

 

तनु ने अनमने मन से हां कर दी. आकाश ने तनु को कौफी शौप में बिठाया. वेटर को आवाज़ दे कर कौफी और चिप्स का और्डर दिया और खुद माफी मांग कर बोर्डरूम की तरफ चला गया. ठीक 10 मिनट के बाद जब आकाश आया तो उस के चेहरे पर खुशी और विजय के भाव थे. “मेरा पहला इंटरव्यू कामयाब हुआ. यहां की डील फाइनल हो गई है. तनु जी,  आप हमारे लिए बहुत लकी साबित हुईं,” यह कह कर अम्बर ने वेटर से बिल लाने को कहा. मैनेजर ने बिल बनाने से इनकार कर दिया, बोला, “यह हमारी तरफ से.”

 

“नहीं मैनेजर साहब, अभी हम इस होटल के मालिक बने नहीं हैं. और बन भी जाएं, तो भी मैं नहीं चाहूंगा कि हमें या किसी और को कुछ भी मुफ्त में दिया जाए. मेरा मानना है की मुफ्त में सिर्फ खैरात बांटी जाती है और खैरात इंसान की अगली नस्ल तक को बरबाद करने के लिए काफी होती है.”

 

होटल के बाहर निकल कर आकाश ने तनु की ओर नज़र डाली और कहा, “बहुत दिनों से लोकल  में सफ़र करने की इच्छा थी, आज छुट्टी का दिन है, भीड़भाड़ भी कम होगी. क्यों न हम यहां से लोकल ट्रेन में चलें, फिर वहां से टैक्सी…” तनु ने अविश्वास से आकाश की ओर देखा और दोनों स्टेशन की तरफ चल पड़े.

 

“आप तो अकसर विदेश जाते रहते होंगे,  क्या फर्क लगता है हमारे देश में और विदेशों में?

 

“सच कहूं तो लंदन स्कूल औफ़ इकोनौमिक्स से डिग्री लेने के बाद मैं विदेश बहुत कम बार गया हूं. आजकल के जमाने में इंटरनैट पर सबकुछ मिल जाता है और जहां तक घूमने की बात है, यूरोप की छोटीमोटी भुतहा इमारतें, जिन्हें वे कैशल के नमूने कहते हैं और प्रवेश के लिए बीसों यूरो ले लेते हैं, उन के मुकाबले बीकानेर या जैसलमेर के महल और किले मुझे ज्यादा भव्य लगते हैं. स्विट्ज़रलैंड से कहीं अच्छा हमारा कश्मीर है, सिक्किम है, अरुणाचल है.  बस, ज़रूरत है सफाई की, सुविधाओं की और ईमानदारी की.”

 

“जो हमारे यहां नहीं है, है न?” तनु ने प्रश्न किया.

मुंबई छोड़ दिल्ली रवाना हुईं ‘दिल बेचारा’ की एक्ट्रेस, सुशांत सुसाइड केस में हुई थी पूछताछ

मुकेश छाबड़ा के निर्देशन में फिल्म दिल बेचारा में स्वर्गीय सुशांत सिंह राजपूत के साथ अभिनय कर मूलतः दिल्ली निवासी अभिनेत्री संजना साघी बहुत खुश थी और वह खुद दूसरी फिल्मों से जुड़ने के लिए भी बेताब थी. मगर अचानक अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत द्वारा आत्महत्या कर लेने के बाद घटनाक्रम इतनी तेजी से बदले कि संजना सांघी का बॉलीवुड और मुंबई से मोहभंग हो गया, ऐसा उनके ताजातरीन इंस्टाग्राम पोस्ट से एहसास होता है ,जिसे उन्होंने मुंबई से दिल्ली रवाना होते हुए लिखा है.

वास्तव में सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या की वजहों को तलाश करते हुए मुंबई पुलिस व अपराध शाखा की पुलिस उन सभी लोगों से पूछताछ कर रही है, जोकि सुशांत सिंह राजपूत के साथ जुड़े रहे हैं या उनके नजदीक रहे हैं. इसी वजह से मुंबई पुलिस ने संजना सांघी से भी पूछताछ की. क्योंकि संजना सांघी ने सुशांत सिंह राजपूत के साथ फिल्म दिल बेचारा की शूटिंग की है. सूत्रों के अनुसार संजना सांघी से पुलिस की यह पूछताछ तकरीबन 9 घंटे चली. जब संजना सांघी पूछताछ पूरी होने के बाद बांद्रा पुलिस स्टेशन से बाहर निकली, तो वह काफी परेशान लग रही थी. उसके बाद उन्होंने दिल्ली वापस लौटने का मन बना लिया और दिल्ली रवाना होते हुए मुंबई एयरपोर्ट पर संजना सांघी ने लंबा चौड़ा इंस्टाग्राम पोस्ट लिख डाला. जिसे पढ़ने के बाद यह बात सामने आती है कि अब संजना सांघी वापस दिल्ली से मुंबई नहीं आना चाहेंगी.

 

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Whoever said time helps heal all wounds, was lying. Some feel like they’re being ripped open, again and again, and bleeding – Of moments that now will forever remain memories, Of laughs together that were but will never again be, Of questions that will remain unanswered, Of disbelief, that only keeps growing But these wounds also contain a film, a gift that everyone is yet to see, Wounds that contain dreams, plans, and desires for our country’s children, their education and their future that will be fulfilled, Wounds that contain a passion for an endless creative zest for every artist there is, Wounds that contain the hope for a world that promises to uphold honesty, integrity, kindness and embraces individuality – rid of all toxicity, I vow that I will do everything to make sure each of these dreams are fulfilled, like you always wanted me to. Except, you’d promised we’d do it all together. . . . #SushantSinghRajput #ThinkingOfYou

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संजना सांघी ने मास्क लगाए हुए अपनी फोटो के ऊपर ही इंस्टाग्राम पर लिखा है-, ‘खुदा हाफिज मुंबई.

4 महीने बाद आपके दर्शन हुए. मैं चली दिल्ली वापस. आपकी सड़कें कुछ अलग सी लगीं.सुनसान थीं, शायद मेरे दिल में जो दुख है, मेरे नजरिए को बदल रहे हैं. या शायद आप भी थोड़े दुख में हैं. मिलते हैं जल्दी. या शायद नहीं.’

 

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. . You gave me a forever, within a limited number of days, and for that. I’m forever grateful. – our beloved novel, The Fault In Our Stars A forever of learnings, and of memories. I refreshed my web pages a 100 times hoping I’m reading some sort of horrible joke. I’m not equipped to process any of this. I don’t think I ever will be. I’m definitely not equipped to articulate my feelings, this is me failing, but trying. Sushant and I were to save all our anecdotes, moments and stories from the time we spent shooting together up until the release of our film, so we had kept them in our stomachs all this while. After 2 years of seemingly all the possible difficulties one single film can face, with all sorts of crap constantly being written, and being relentlessly pursued – we were supposed to FINALLY watch the film, our labour of love, together – my first, and what you told me you believed was your best film yet. Amidst your journey, and in the middle of 16 hour long shoot days, you somehow found a way and had a desire to yell out to me from the opposite side of set screaming “Rockstar, itni achi acting thodi na karte hain paagal!” ; To guide me over things big & small through our film’s process, To tell me to conserve my energy on set; To discuss even the smallest nuance you thought could change the narrative of a scene and would whole heartedly accept my disagreement; To discuss ways in which we could together forge a brighter educational future for the children of India. You were a force Manny, and you always will be. We’re going to spend an eternity to try and make sense of what you’ve left us behind with, and I personally never will be able to. I simply wish you never left us behind in the first place. Just know, you have a country full of millions, looking up at you, smiling at you, thankful for you. As you smile back at us, from up above. The fact that you get to spend the rest of your time by your mother’s side, I know you gives the only happiness you wanted in the world. #RIPSushantSinghRajput

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इतना ही नहीं संजना सांघी ने एक निजी नोट भी शेयर किया है जिसमें लिखा है-” ‘आज कल, एक अलग नजरिये से सब कुछ देखने की कोशिश कर रही हूं, सोचा आप सबके साथ भी थोड़ी बात कर लूं. इस समय, दर्द काफी है और बढ़ाते नहीं है न? ये सब अकेले करना, मुश्किल काफी है. अपने आपको, इस जिद से रिहा कर देते हैं न? इस मुश्किल, को थोड़ा आसान कर देते है न.’

 

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वास्तव में जब मी टू मूवमेंट चल रहा था उस वक्त मीटू को लेकर सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी के बीच झगड़े होने की खबरें गर्म हुई थी. सूत्र बताते हैं कि पुलिस ने संजना से इस संबंध में भी पूछताछ की. संजना का दावा है कि उनका सुशांत सिंह राजपूत से कोई झगड़ा नहीं हुआ था. जब इस तरह की चर्चाएं हो रही  थी, तब उन्होंने सोशल मीडिया पर आकर सफाई दी थी कि ऐसा कुछ नहीं है. सजना ने यह भी कहा है कि उन दिनों सुशांत डिप्रेशन में थे और संजना को लगा था कि शायद कोई उनको फसाने की कोशिश कर रहा है. पर संजना ने कहा है कि बाद में सुशांत डिप्रेशन से ठीक हो गए थे.

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संजना सांघी के अचानक मुंबई से दिल्ली जाने के निर्णय से तमाम लोग आश्चर्यचकित है. इसकी वजह भी है. क्योंकि संजना की पहली फिल्म दिल बेचारा 24 जुलाई को सीधे ओओटी प्लेटफार्म अमेजॉन पर रिलीज होनी है. ऐसे में संजना को मुंबई में रहकर अपनी इस फिल्म का प्रचार करना चाहिए था मगर उन्होंने सब कुछ अलविदा कह दिया है. देखना है कि आगे वह किस तरह से काम करती है.

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कोरोनावायरस की वजह से पिछले 3 माह से भी अधिक समय से फिल्म और टीवी इंडस्ट्री  मे सारे कामकाज ठप पड़े हुए थे. सभी कलाकार अपने घर में आराम फरमा रहे थे. लेकिन इससे तमाम कलाकारों के सामने आर्थिक समस्याएं भी पैदा होने लगी. तो वहीं कई सीरियल निर्माता भी इस बात को लेकर परेशान थे कि उन्हें नुकसान हो रहा है.

यदि उनके सीरियल प्रसारित नहीं हुए तो वह नुकसान शाह नहीं पाएंगे, इस वजह से इन निर्माताओं ने मई माह के दूसरे सप्ताह से कोशिश शुरू की किसी तरह सीरियल की शूटिंग शुरू हो सके. इसके साथ साथ ब्रॉडकास्टर यानी कि सैटेलाइट चैनलों का भी सीरियल के निर्माताओं पर शूटिंग शुरू करने के लिए दबाव बन रहा था, जबकि कलाकार और तमाम तकनीशियन फिलहाल शूटिंग करने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे. पूरे मुंबई में सर्वाधिक कोरोना महामारी का प्रकोप फैला हुआ है. मगर ब्रॉडकास्टर के जवाब में आकर सीरियल के निर्माताओं ने महाराष्ट्र सरकार से मिलकर कोरोनावायरस से बचाव के उपायों के साथ 25 जून से शूटिंग शुरू कर दी.


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बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री में हर समय अनिश्चितता का वातावरण बना रहता है. कलाकार और टेक्नीशियन के सामने भी हाथ से सीरियल के निकल जाने का खतरा सदैव बना रहता है. ऐसे में कुछ कलाकारों ने ना चाहते हुए भी शूटिंग करनी शुरू कर दी है और यह सभी कलाकार अपनी तरफ से भी कोरोना के सुरक्षा उपायों का उपयोग कर रहे हैं. पर यह भी सच है कि कुछ सीरियल के निर्माताओं ने धन कमाने की बजाय सेहत को महत्व दिया जिसके चलते उनके सीरियल नो का प्रसारण बंद हो गया. लेकिन जो सीरियल प्रसारित हो रहे हैं,

उनमें से लगभग सभी की कहानी में कुछ बदलाव किए गए हैं जिससे सुरक्षा उपायों के साथ शूटिंग करना संभव हो सके. तो वही कुछ कलाकारों ने स्वेच्छा से अपने करियर में रिस्क लेते हुए अपने स्वास्थ्य को महत्व देते हुए कुछ समय के लिए खुद को अपने से दूर कर लिया है. ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं जी टीवी पर प्रसारित हो रहे सीरियल कुमकुम भाग्य में आलिया का किरदार निभा रही अदाकारा शिखा सिंह. शिखा सिंह ने सीरियल कुमकुम भाग्य को छोड़ दिया है.

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परवरिश, संकट मोचन महाबली हनुमान, कुछ खट्टी कुछ मीठी व नमकीन सहित तमाम सीरियलों में अपने अभिनय का जलवा दिखा  चुकी शिखा सिंह लॉकडाउन के दौरान ही  एक बेटी की मां बनी है, जबकि उनके पति करण शाह पिता बने हैं.इसलिए वह कुछ समय अपनी बेटी को देना चाहती हैं. तो वही वह नहीं चाहती कि जरा सी असावधानी के चलते वह या उनकी बेटी या उनका परिवार को रोना की चपेट में आए, इस वजह से शिखा सिंह ने सीरियल के निर्माता से साफ-साफ कह दिया कि वक्त कुछ महीने तक चैटिंग नहीं कर पाएंगी.

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शिखा सिंह के इस ऐलान के बाद निर्माता ने नई अभिनेत्री की तलाश शुरू की, और हमें सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब सीरियल कुमकुम भाग्य में शिखा सिंह की जगह आलिया के किरदार में बर्खास्तगी सेन गुप्ता नजर आएंगी. सूत्रों का दावा है कि इस सिलसिले में बरखा सेनगुप्ता ने हामी भर दी है. मगर अभी तक बरखा सेनगुप्ता इस बात को स्वीकार नहीं कर रही है उनका दावा है कि अभी बातचीत चल रही है.

सोनम कपूर की बहन को मिली जान से मारने की धमकी, तो इंस्टाग्राम पर यूं भड़कीं

बॉलीवुड एक्टर सोनम कपूर पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. पहले नेपोटिज्म के लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने निशाने पर लिया था. वहीं सोनम कपूर की छोटी बहन रिया कपूर भी अब सुर्कियों में आ गई हैं.

दरअसल, रिया कपूर को सोशल मीडिया पर एक यूजर्स ने जान से मारने की धमकी दी है. इसके बाद सोनम कपूर ने इस सक्स की शिकायत इंस्टाग्राम से की तो उसने किसी भी तरह की मदद करने से मना कर दिया है.

 

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“A father’s tears and fears are unseen, his love is unexpressed, but his care and protection remain as a pillar of strength throughout our lives.” – Ama H. Vanniarachchy I’m blessed to be born to a father who has taught me the value of integrity, morals, progressive ideas and the importance of work ethic, I’m lucky enough to marry into a family where my father in law leads by example with his optimism, spirituality and doing everything he does with an unbeatable conscience. Both of them have given me unconditional love and support. And they’ve both started with nothing and reached stars and have done everything to give their children whatever they need so they don’t have to face the same trials they faced. But our most important inheritance is the values that they have passed down. Happy Father’s Day to the super heroes in my life.. I am because of you.

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इस बात से नाराज सोनम कपूर ने सोशल मीडिया पर हैरान करने वाला जवाब लिखा है. जिसे पढ़कर शायद आप भी हैरान हो जाएंगे.

 

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Unending Love I seem to have loved you in numberless forms, numberless times… In life after life, in age after age, forever. My spellbound heart has made and remade the necklace of songs, That you take as a gift, wear round your neck in your many forms, In life after life, in age after age, forever. Whenever I hear old chronicles of love, it’s age old pain, It’s ancient tale of being apart or together. As I stare on and on into the past, in the end you emerge, Clad in the light of a pole-star, piercing the darkness of time. You become an image of what is remembered forever. You and I have floated here on the stream that brings from the fount. At the heart of time, love of one for another. We have played along side millions of lovers, Shared in the same shy sweetness of meeting, the distressful tears of farewell, Old love but in shapes that renew and renew forever. Today it is heaped at your feet, it has found its end in you The love of all man’s days both past and forever: Universal joy, universal sorrow, universal life. The memories of all loves merging with this one love of ours – And the songs of every poet past and forever.” TAGORE ? @ishaannair7 ? @bosejayati

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अदाकारा सोनम कपूर ने इंस्टाग्राम द्वारा भेजे गए मैसेज को शेयर करते हुए लिखा है कि इंस्टाग्राम यूजर द्वारा किया गया कमेंट कम्यूनिटी गाइड लाइन से बाहर नहीं है. अगर आपको इसमें कुछ गलत लगता है तो आप दोबारा रिपोर्ट कर सकती हैं. हम बता दें इंस्टाग्राम एक ग्लोबल कम्यूनिटी है. अगर आप चाहे तोइस शख्स को ऑनफॉलो या फिर ब्लॉक कर सकती हैं.

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इंस्टाग्राम के इस जवाब से नराज सोनम कपूर ने स्क्रिनशॉट शेयर करते हुए कहा कि मैं इस तरह के लोगों को ब्लॉक तो कर दूंगी लेकिन आप इस तरह के लोगों पर करवाई नहीं कर इस तरह की सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं. इस बात से मुझे हैरानी है कि इंस्टाग्राम को लगता है कि जान से मारने की धमकी देना किसी तरह का उलंधन है. मैं ठिक कह रही हूं ना इंस्टाग्राम.

सोनम कपूर के शेयर किए हुए इस स्क्रीनशॉट पर कई तरह के यूजर्स के कमेंट आ रहे हैं. अदाकारा के यह स्क्रीनसॉट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं.

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सोनम कपूर सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव रहती हैं. सोनम आएं दिन नई –नई चीजों को लेकर सुर्खियों में बनी रहती हैं. अब देखना है कि सोनम आगे क्या करती हैं.

मानसून में पेट की बीमारियों से कैसे बचें

मानसूनआते ही चारों तरफ खुशियों का माहौल दिखता है. मनुष्यों से ले कर जानवरों, पक्षियों, पेड़पौधे, खेतखलिहान, सब में खुशियों की लहर दौड़ जाती है और हरेभरे हो जाते हैं. ऐसे में जहां ये दृश्य सब को आनंद देते हैं वहीं इस मौसम के चलते पेट की कुछ बीमारियां भी पनपती हैं. इस दौरान हर व्यक्ति को अपना खास ध्यान रखने की जरूरत होती है.

वर्षा के मौसम में पेट की बीमारियां तकरीबन 30 प्रतिशत बढ़ जाती हैं. मुंबई के शुश्रुत हौस्पिटल के गैस्ट्रोएंट्रोलौजिस्ट डा. समित जैन बताते हैं कि मौनसून का मजा तभी है जब आप अपने खानपान पर ध्यान दें और स्वस्थ रहें.

कुछ बीमारियां हैं जो मौनसून के कारण होती हैं, जिन की जानकारी सभी को होनी आवश्यक है.

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1 एक्यूट गैस्ट्रोएंटाइटिस

 लक्षण

–    पेट में दर्द.

–    पतले दस्त या जुलाब का होना.

–    फूड पौयजनिंग होना.

–    बारबार उलटियां हो.

–    बुखार आना और कमजोरी महसूस करना.

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इलाज

मरीज को ओआरएस का घोल, नारियल पानी व नीबू पानी या फिर इलैक्ट्रौल पाउडर का घोल देना सही रहता है. यदि एक दिन में मरीज ठीक न हो तो तुरंत डाक्टर की सलाह लें.

2 हैपेटाइटिस ‘ए’

हैपेटाइटिस ‘ए’ वायरस दूषित पानी पीने से आता है. यह वाटरबौर्न वायरल इन्फैक्शन डिसीज है.

 लक्षण

–    इसे पीलिया भी कहा जाता है.

–    उलटियां होना.

–    कमजोरी और बुखार होना.

–    जोड़ों में दर्द होना.

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इलाज

मरीज के खून की जांच कराई जाती है. इस के लिए डाक्टर की सलाह तुरंत लें, ताकि समय पर मरीज को जरूरी दवाएं मिल सकें.

3 टाइफायड

टाइफायड वैक्टेरियल इन्फैक्शन है, जो दूषित पानी से मौनसून में अधिक होता है.

लक्षण

–    तेज बुखार आना.

–    पतले दस्त होना.

–    उलटियां होना.

–    सिरदर्द होना.

–    कमजोरी जाना.

 इलाज

ऐसा होते ही तुरंत डाक्टर को दिखाएं क्योंकि इस में इलाज खून और स्टूल की जांच के बाद ही शुरू होता है.

डाक्टर समित बताते हैं कि इन सभी पेट की बीमारियों में साफ पानी पीना बहुत जरूरी है. इन बीमारियों से आप तभी बच सकते हैं जब मौनसून के दौरान इन बातों का ध्यान रखें :

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–    मौनसून में रोडसाइड बनने वाला खाना न खाएं.

–    बाहर रखे किसी भी ठंडे भोजन को खाने से बचें.

–    कटे फल या कच्चा सलाद न खाएं, उसे अच्छी तरह से धो कर ही खाएं.

–    गन्ने का रस या किसी भी प्रकार का खुले में रखा जूस न पिएं.

–    पीने का पानी उबाल कर या प्यूरीफाई कर के पिएं.

–    हर बार मैडिकेटेड साबुन से हाथ धो कर कुछ खाएं.

–    जुकाम में रूमाल का प्रयोग करें.

–    बाहर का जंकफूड और पानी पीने से बचें.

–    अधिक ट्रैवल करते हैं, तो हैंड सैनिटाइजर का प्रयोग करें.

–    घर में हाथ पोंछने के लिए तौलिया रखते हैं, तो उसे भी हर दिन बदलने की कोशिश करें.

मानसून स्पेशल डोडा बरफी: दलिया और दूध का कमाल

डोडा बरफी पंजाब की सब से खास मिठाई है. अब यह पंजाब के बाहर भी मिठाई की दुकानों में बिकने लगी है. यह खोए और पनीर की बनी मिठाई से अलग है. यह खोए और पनीर की मिठाई से ज्यादा दिनों तक चल सकती है. इसीलिए लोग इसे पसंद कर रहे हैं.

पंजाब में दूध और गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है. गेहूं से बनने वाले दलिए से डोडा बरफी तैयार करने से किसानों को भी मदद मिलने लगी है. अब दलिए की ज्यादा खपत होने लगी है. दूध और दलिया दोनों ही पौष्टिक होते?हैं.

इस में मेवे मिला कर बरफी को और भी अच्छा बना लिया जाता है. डोडा बरफी अपने नाम की ही तरह बहुत अलग है. ऐसे में इस का स्वाद हर किसी को पसंद आता?है. करीब 500 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाली डोडा बरफी तेजी से मिठाई कारोबार में अपना असर छोड़ रही है.

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डोडा बरफी में खोए की मिठाई जितनी कैलोरी नहीं होती है. इसी वजह से इसे हर कोई खा सकता है. दूध और लस्सी वाले पंजाब की अब नई पहचान डोडा बरफी बनती जा रही है.

आइए जानते हैं कैसे बनाते हैं इसे…

सामग्री :

4 कप दूध, डेढ़ कप ताजी क्रीम,

3 चम्मच दलिया, 2 कप चीनी, 1 बड़ा चम्मच घी,

1 कप काजू (बारीक कुटे हुए), 1 कप बादाम (बारीक कटे हुए), 2 बड़े चम्मच कोको पाउडर,

2 बड़े चम्मच पिस्ता (लंबे कटे हुए).

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बरफी बनाने की विधि :

  • सब से पहले एक पैन में घी डाल कर गरम करें. फिर इस में दलिया डाल कर मध्यम आंच पर हलका भूरा होने तक भूनें. इसे निकाल कर अलग रख लें.
  • अब एक भारी तले की कड़ाही में दूध डाल कर मध्यम आंच पर उबालें. जब दूध उबल जाए तब उस में क्रीम डालें और दूध गाढ़ा होने तक उबालें. इस में करीब 40 मिनट लगेंगे. अगर दूध कड़ाही में लगे, तो चम्मच से छुड़ाते रहें.
  • अब दूध में दलिया और चीनी डाल कर मिलाएं और 20 मिनट तक पकाएं. चम्मच से चलाते रहें ताकि दूध कड़ाही के किनारों पर न चिपके.
  • अब उस में कोको पाउडर, काजू और बादाम डालें और तब तक पकाएं जब तक कि यह मिश्रण बड़ी लोई जैसा नहीं हो जाता. इस में करीब 15 मिनट लगेंगे.
  • अब एक थाली में घी लगा लें और तैयार मिश्रण को उस में फैला लें. इस के बरफी के आकार के पीस काट लें और पिस्ता डाल कर हलके हाथ से चम्मच से दबा दें. डोडा बरफी तैयार है.
  • ठंडा होने के बाद इसे पेश करें. इस मिठाई को बनाने के बाद 15 दिनों तक फ्रिज में रखा जा सकता है.

कोरोना के कारण उत्तराखंड में फूलों का 250 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ चौपट

कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है. असम के चाय कारोबार से ले कर उत्तराखंड का फूलों का कारोबार भी इस से अछूता नहीं रहा. एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के फूल उत्पादकों का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.

उत्तराखंड के कृषि मंत्री का कहना है कि फ्लोरीकल्चर सेक्टर के लोगों ने अपनी समस्याएं बताई हैं. बाजार मूल्य के अनुसार उन्हें 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उत्तराखंड में ऐसे कई पॉलीहाउस हैं, जहां फूलों को कूड़े में डंप करने पर लोग मजबूर हैं. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार जिले के बुग्गावाला इलाके में एक पॉलीहाउस में एक दर्जन से अधिक कर्मचारी रोजाना सुबह ट्रैक्टरों पर फूल लाद कर उन्हें खुले में कचरे में फेंक रहे थे. 24 मार्च से  उन की यही दिनचर्या थी, जब से लॉकडाउन शुरू हुआ था.

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 बड़े पैमाने पर फूलों का कारोबार प्रभावित

दरअसल, उत्तराखंड के हल्द्वानी में बड़े पैमाने पर फूलों का कारोबार और खेती होती है, लेकिन इस साल शादी समारोहों समेत दूसरे कई समारोह सोशल डिस्टेन्सिंग की वजह से प्रभावित रहे, इस का बड़ा असर फूलों के कारोबार पर पड़ा है.

उत्तराखंड में कोरोना वायरस के चलते अब कई पॉलीहाउस भी बंद किए गए हैं. एक पॉली हाउस मालिक ने वित्तीय नुकसान को कम करने और अपने कर्मचारियों का भुगतान जारी रखने के लिए अपने कर्मचारियों को मशरूम की खेती में स्थानांतरित करने का फैसला किया है.

एक पॉलीहाउस सुपरवाइजर हरगोविंद बताते हैं कि हमारे की तरह के पौधे हैं, लेकिन मुझे मजदूर नहीं मिले, जिस के कारण खराब मौसम से पौधे नष्ट हो गए. अब कुल उपज का केवल 20 फीसदी ही बचा है.

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उत्तराखंड के फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष बताते हैं कि वे 60 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में जरबेरा के फूलों को उगाते हैं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बाजारों में आपूर्ति करते हैं. हर साल अप्रैल और मई के महीनों में उत्पादन और कमाई बढ़ती है, क्योंकि मौसम फूल की वृद्धि के लिए आदर्श है और यह शादियों का मौसम भी है. उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई में मुझे शादीसमारोहों के अवसर पर फूलों का लगभग 50 प्रतिशत वार्षिक व्यापार होता है. चूंकि लॉकडाउन और सार्वजनिक समारोहों के कारण शादियां रद्द हो गई हैं इसलिए फूलों का कारोबार चौपट हो गया है.

उत्तराखंड में राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान विवाहसमारोहों की अनुमति देने का फैसला किया है, लेकिन दूल्हा और दुलहन प्रत्येक के पक्ष से केवल पांच व्यक्तियों की अनुमति है. राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक उत्तराखंड में सालाना फूलों की खेती का कारोबार 250 करोड़ रुपये का है.

 10 हजार परिवार प्रभावित

कोरोना वायरस की वजह से उत्तराखंड में फूलों का कारोबार बुरी तरह से मुरझा गया है. लॉकडाउन के कारण फूल खेतों में पड़ेपड़े ही सड़ रहे हैं. राज्य में फूल के कारोबार से तकरीबन 10 हजार परिवार जुड़े हुए हैं. 15.65 करोड़ कट फ्लावर का उत्पादन वर्तमान में उत्तराखंड में हो रहा था. 2,073 मीट्रिक टन लूज फ्लावर की भी पैदावार राज्यभर में होती है.

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 कारोबारियों को भारी नुकसान

कई स्थानों पर राज्य के बेरोजगारों ने जोखिम उठा कर भी फूलों की आधुनिक खेती की और बैंकों से लोन ले कर ये किसान इस से जुड़े, लेकिन कोरोना संकट के कारण लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. यही वजह है कि दस हजार फूल उत्पादकों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बताया जाता है कि यहां फूलों की खेती का सालाना टर्न ओवर 200 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका था.

 लोन ले कर शुरू की  थी फूलों की  खेती

चंपावत जिले की तल्ली चौकी गांव के बसंत राज गहतोड़ी ने 10 लाख रुपए का लोन ले कर इस से लिलियम फूलों की खेती शुरू की. जब इन फूलों की फसल खड़ी हो तैयार हुई, तो लॉकडाउन के चलते फूलों का बाजार बंद हो चुका था. इस कारण उन के पास पूरी फसल को फेंकने के अलावा कोई जरिया नहीं बचा था. ऐसे ही नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के पोखराड़ क्षेत्र में फूलों की खेती कर रहे संजय बिष्ट को भी अपने फूलों की फसल को नदी किनारे फेंकना पड़ा.

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  फूलों का निर्यात हुआ प्रभावित

एक फूल कारोबारी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फूलों को मंडी तक भेजना संभव नहीं हो पाया, जिस की वजह से  उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. संजय बताते हैं कि जब फूलों की सर्वाधिक बिक्री होती थी, तभी लॉकडाउन घोषित हो गया. इस से बाजारों में फूलों की मांग खत्म हो गई.  रंगबिरंगे ग्लेडियोलस के फूल हों या फिर अन्य फूल, सभी की मांग शादी समारोह समेत कई भव्य आयोजनों और मंदिरों में हुआ करती थी. कुछ फूलों का निर्यात भी होता था, लेकिन लॉकडाउन से सबकुछ थम गया.

  फूलों की खेती करने वाले कारोबारी निराश

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र के गांव में भी ग्लेडियोलस फूलों की खेती मईजून के महीने में तैयार होती है. इन्हें भी बाजार उपलब्ध न होने से लोग निराश बैठे हैं. लॉकडाउन से पहले अगर फूलों की खेती के कारोबार पर नजर डालें, तो जरबेरा फूलों का राज्य में अनुमानित टर्नओवर 60 करोड़, गेंदा के फूलों का 56 करोड़, ग्लेडियोलाई का 28 करोड़ रुपए के आसपास बताया जाता है.

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