कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में कारोबार को बुरी तरह प्रभावित किया है. असम के चाय कारोबार से ले कर उत्तराखंड का फूलों का कारोबार भी इस से अछूता नहीं रहा. एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के फूल उत्पादकों का कहना है कि उन्हें लॉकडाउन के कारण बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.

उत्तराखंड के कृषि मंत्री का कहना है कि फ्लोरीकल्चर सेक्टर के लोगों ने अपनी समस्याएं बताई हैं. बाजार मूल्य के अनुसार उन्हें 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उत्तराखंड में ऐसे कई पॉलीहाउस हैं, जहां फूलों को कूड़े में डंप करने पर लोग मजबूर हैं. एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार इस महीने की शुरुआत में हरिद्वार जिले के बुग्गावाला इलाके में एक पॉलीहाउस में एक दर्जन से अधिक कर्मचारी रोजाना सुबह ट्रैक्टरों पर फूल लाद कर उन्हें खुले में कचरे में फेंक रहे थे. 24 मार्च से  उन की यही दिनचर्या थी, जब से लॉकडाउन शुरू हुआ था.

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 बड़े पैमाने पर फूलों का कारोबार प्रभावित

दरअसल, उत्तराखंड के हल्द्वानी में बड़े पैमाने पर फूलों का कारोबार और खेती होती है, लेकिन इस साल शादी समारोहों समेत दूसरे कई समारोह सोशल डिस्टेन्सिंग की वजह से प्रभावित रहे, इस का बड़ा असर फूलों के कारोबार पर पड़ा है.

उत्तराखंड में कोरोना वायरस के चलते अब कई पॉलीहाउस भी बंद किए गए हैं. एक पॉली हाउस मालिक ने वित्तीय नुकसान को कम करने और अपने कर्मचारियों का भुगतान जारी रखने के लिए अपने कर्मचारियों को मशरूम की खेती में स्थानांतरित करने का फैसला किया है.

एक पॉलीहाउस सुपरवाइजर हरगोविंद बताते हैं कि हमारे की तरह के पौधे हैं, लेकिन मुझे मजदूर नहीं मिले, जिस के कारण खराब मौसम से पौधे नष्ट हो गए. अब कुल उपज का केवल 20 फीसदी ही बचा है.

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उत्तराखंड के फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन के अध्यक्ष बताते हैं कि वे 60 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में जरबेरा के फूलों को उगाते हैं और दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बाजारों में आपूर्ति करते हैं. हर साल अप्रैल और मई के महीनों में उत्पादन और कमाई बढ़ती है, क्योंकि मौसम फूल की वृद्धि के लिए आदर्श है और यह शादियों का मौसम भी है. उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई में मुझे शादीसमारोहों के अवसर पर फूलों का लगभग 50 प्रतिशत वार्षिक व्यापार होता है. चूंकि लॉकडाउन और सार्वजनिक समारोहों के कारण शादियां रद्द हो गई हैं इसलिए फूलों का कारोबार चौपट हो गया है.

उत्तराखंड में राज्य सरकार ने लॉकडाउन के दौरान विवाहसमारोहों की अनुमति देने का फैसला किया है, लेकिन दूल्हा और दुलहन प्रत्येक के पक्ष से केवल पांच व्यक्तियों की अनुमति है. राज्य सरकार के अनुमानों के मुताबिक उत्तराखंड में सालाना फूलों की खेती का कारोबार 250 करोड़ रुपये का है.

 10 हजार परिवार प्रभावित

कोरोना वायरस की वजह से उत्तराखंड में फूलों का कारोबार बुरी तरह से मुरझा गया है. लॉकडाउन के कारण फूल खेतों में पड़ेपड़े ही सड़ रहे हैं. राज्य में फूल के कारोबार से तकरीबन 10 हजार परिवार जुड़े हुए हैं. 15.65 करोड़ कट फ्लावर का उत्पादन वर्तमान में उत्तराखंड में हो रहा था. 2,073 मीट्रिक टन लूज फ्लावर की भी पैदावार राज्यभर में होती है.

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 कारोबारियों को भारी नुकसान

कई स्थानों पर राज्य के बेरोजगारों ने जोखिम उठा कर भी फूलों की आधुनिक खेती की और बैंकों से लोन ले कर ये किसान इस से जुड़े, लेकिन कोरोना संकट के कारण लोगों को भारी नुकसान झेलना पड़ा. यही वजह है कि दस हजार फूल उत्पादकों पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बताया जाता है कि यहां फूलों की खेती का सालाना टर्न ओवर 200 करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका था.

 लोन ले कर शुरू की  थी फूलों की  खेती

चंपावत जिले की तल्ली चौकी गांव के बसंत राज गहतोड़ी ने 10 लाख रुपए का लोन ले कर इस से लिलियम फूलों की खेती शुरू की. जब इन फूलों की फसल खड़ी हो तैयार हुई, तो लॉकडाउन के चलते फूलों का बाजार बंद हो चुका था. इस कारण उन के पास पूरी फसल को फेंकने के अलावा कोई जरिया नहीं बचा था. ऐसे ही नैनीताल जिले के धारी ब्लॉक के पोखराड़ क्षेत्र में फूलों की खेती कर रहे संजय बिष्ट को भी अपने फूलों की फसल को नदी किनारे फेंकना पड़ा.

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  फूलों का निर्यात हुआ प्रभावित

एक फूल कारोबारी का कहना है कि लॉकडाउन के कारण फूलों को मंडी तक भेजना संभव नहीं हो पाया, जिस की वजह से  उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा. संजय बताते हैं कि जब फूलों की सर्वाधिक बिक्री होती थी, तभी लॉकडाउन घोषित हो गया. इस से बाजारों में फूलों की मांग खत्म हो गई.  रंगबिरंगे ग्लेडियोलस के फूल हों या फिर अन्य फूल, सभी की मांग शादी समारोह समेत कई भव्य आयोजनों और मंदिरों में हुआ करती थी. कुछ फूलों का निर्यात भी होता था, लेकिन लॉकडाउन से सबकुछ थम गया.

  फूलों की खेती करने वाले कारोबारी निराश

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र के गांव में भी ग्लेडियोलस फूलों की खेती मईजून के महीने में तैयार होती है. इन्हें भी बाजार उपलब्ध न होने से लोग निराश बैठे हैं. लॉकडाउन से पहले अगर फूलों की खेती के कारोबार पर नजर डालें, तो जरबेरा फूलों का राज्य में अनुमानित टर्नओवर 60 करोड़, गेंदा के फूलों का 56 करोड़, ग्लेडियोलाई का 28 करोड़ रुपए के आसपास बताया जाता है.

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