लेखक- डा. महिपाल एस. सचदेव,

दृष्टि हमारी बहुमूल्य इंद्रिय है, अपने आसपास की दुनिया देखने की खिड़की है. कुछ ऐसे ही लोग सिर्फ सूर्य की रोशनी का महत्व समझ सकते हैं, जिन्होंने अपनी जिंदगी का कुछ पल अंधेरे में गुजारा है. हमें इलाज की बेहतर सुविधाओं के जरीए अस्थायी नेत्रहीनता दूर करने पर जोर देना चाहिए, क्योंकि नेत्रहीनता से प्रभावित प्रत्येक 5 में से 4 व्यक्तियों का इलाज संभव हो सकता है.

जागरूकता बढ़ाना आज वक्त की मांग है, खासकर बुजुर्गों के बीच, क्योंकि वे अपने शरीर के चेतावनी भरे लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं और दृष्टि की समस्या से पीड़ित लोगों में से 60 प्रतिशत लोग 50 साल से अधिक उम्र के ही होते हैं.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, विश्व में 4.50 करोड़ नेत्रहीनों में से लगभग 80 प्रतिशत लोग 50 साल से अधिक उम्र के हैं. लिहाजा, 50 या इस से अधिक की उम्र वाले प्रत्येक व्यक्ति को संपूर्ण नेत्र जांच कराने के लिए किसी आई केयर प्रोफेशनल से संपर्क करना चाहिए. नेत्र संबंधी कई रोगों में कोई पूर्ववर्ती लक्षण या संकेत नजर नहीं आते, लेकिन समग्र जांच से दृष्टिहीनता की स्थिति आने से पहले शुरुआती चरण के नेत्र रोगों का पता चल सकता है. शुरुआती जांच और इलाज से आप की दृष्टि सुरक्षित रह सकती है.

आप को यदि कोई दृष्टि संबंधी समस्या का भी अनुभव हो रहा है, तो समग्र नेत्र जांच के लिए किसी आईकेयर प्रोफेशनल से ही संपर्क करें. इसलिए हमें लोगों को शिक्षित करना होगा कि मोतियाबिंद, डायबिटीक रेटिनोपैथी, ग्लूकोमा, ड्राई आई आदि जैसी नेत्र समस्याएं हमारे देश में आंखों की खराब सेहत का एक बड़ा कारण है, लेकिन उचित देखभाल और सही समय पर किसी मेडिकल एक्सपर्ट द्वारा चिकित्सा सहायता मुहैया कराने से इन का इलाज किया जा सकता है और मरीजों को अच्छी दृष्टि व आत्मविश्वास की जिंदगी जीने का आनंद मिल सकता है.

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