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नयनतारा-भाग 3: क्या विनायक को अपने पिता की याद थी?

नौटी की बात पूरा होने से पहले नयन ने कमरे में अपने पैर रखे, ‘आप?’

लज्जा, शर्म से विनायक का चेहरा काला पड़ गया, जैसे कोई चोर चोरी के माल के साथ रंगे हाथों पकड़ लिया गया हो.

‘क्षमा चाहता हूं. यह नौटी उचितअनुचित कुछ नहीं समझती.’

‘इस में अनुचित क्या हुआ?’ नयन सहजता के साथ बोली, ‘आप का घर है. मेरा तो यहां अपना चौका तक नहीं है. भाभी ने सबकुछ अपने में समेट लिया है वरना मैं आप को चाय पिलाती.’

‘इतनी सारी पेंटिंग्स स्कैच, सब आप ने बनाए हैं?’

‘हां.’

‘बहुत अच्छे बने हैं.’

‘जैसे भी हैं, ये मेरे अपनों जैसे अंतरंग हैं. ये मुझ से बातें करते हैं और मैं इन से बतियाती हूं. इन की बातें, इन के सुखदुख और दर्दव्यथाएं इन के चित्रों में भर देती हूं.’

रात को खाना खाते समय भाभी ने पूछा, ‘मुन्ना, बोल तो कैसा लगा?’

‘क्या, कैसा लगा?’

‘नयन का कमरा, उस की बनाई तसवीरें और वह खुद?’

उसे लगा, एक अपराधबोध, जो दब चुका था, फिर कराह बन कर उभर रहा है. विनायक को कोई जवाब न देता पा कर भाभी फिर कहने लगीं, ‘वैसे, लड़की है अच्छी, रंग थोड़ा दबा जरूर है पर चेहरे से नजर हटाने को जी नहीं चाहता. बंगालिन है, मांसमछली जरूर खाती होगी. अपना वैष्णवों का घर है. और फिर, हम बनिए हैं और वह ब्राह्मण. ब्राह्मण माने गुरुजन. बिना मांबाप की बेटी. उसे देख कर मन न जाने कैसा हो जाता है. कौन जाने किस कुपात्र, सुपात्र के हाथ पड़े. पर मन करता है कि मैं अपने वे कंगन नयन के हाथों में पहना दूं जो कभी मांजी ने मुझे पहनाए थे.’

‘भाभी, एक अनजान लड़की का इतना मोह,’ भाभी की व्यथा देख कर विनायक को अजीब सा लगा.

‘मुन्ना, वैसे एक बात मैं तुझे बता दूं, अगर मैं अपनी पर आ जाऊं तो तेरे भैया की मुझ से बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो सकती. दुकान उन की है, पर यह घर मेरा है.’

‘भाभी, जो होना नहीं, उस पर इतनी मायाममता क्यों, किसलिए?’

‘होना तो नहीं है,’ भाभी आंचल से आंखें पोंछने लगीं, ‘अगर हो जाता तो सच, मैं जी जाती.’

‘मतलब यह कि तुम्हारी नजर में मेरी पसंदनापसंद कुछ नहीं?’

‘तू, तू क्या है, मेरी पसंद के सामने सिर झुका लेने के अलावा क्या कोई दूसरा उपाय है तेरे पास? तू मुझ से बाहर जाएगा तो मैं मर नहीं जाऊंगी. ’

विनायक की मुट्ठियां भिंच गईं, ‘मुझे भाभी का और भाभी को नयन का इतना मोह.’

‘भाभी को नयन इतनी अच्छी लगती है,’ विनायक बिस्तर में लेटा सोचता रहा, ‘काश, मैं पृथ्वीराज चौहान की तरह उस का हरण कर भाभी के चरणों में उसे डाल कर उन को सुखी कर सकता तो…’

उस रात विनायक देररात तक सो न सका. नीचे नयन के कमरे में बत्ती जल रही थी. विनायक शराब नहीं पीता, कोई दूसरा नशा भी नहीं करता, लेकिन नयन के कमरे में जल रही बत्ती को देख कर उसे ऐसा लगा, मानो तेज शराब की आधी से ज्यादा बोतल का नशा उस पर सवार हो गया हो. उन्मादी की तरह वह एक के बाद एक सीढि़यां लांघता हुआ बिना द्वार खटखटाए नयन के कमरे में घुस गया. वह तन्मय भाव से रंगों को स्कैच में भर रही थी. विनायक को देखते ही वह सख्त लहजे में बोली, ‘घड़ी इस वक्त रात के साढ़े 12 से ज्यादा बजा रही है. और आप बिना द्वार खटखटाए चुपके से एक चोर की तरह मेरे कमरे में घुस आए. आप को शर्र्म नहीं आई?’

विनायक की सांस फूल रही थी. होश या बेहोशी में उस के मुंह से निकला, ‘वैसे, पानी मक्खन से भी कोमल होता है, परंतु उन्माद आने पर वह मजबूत दीवार तोड़ डालता है. जो रोके रुक न पा रहा हो, मेरी दशा भी कुछ ऐसे ही पानी जैसी है. मैं आप से कुछ कहना चाहता हूं, कुछ मांगना चाहता हूं…’

‘आप होश में नहीं हैं. लगता है आप ने नशा कर रखा है. आप अभी जाइए.’

विनायक संभला नहीं और लड़खड़ा गया. फिर चीख कर बोला, ‘जब आप कहती हैं तो ठीक है, समझिए मुझ पर नशा ही सवार है. मगर किस का, यह आप समय रहने पर ही जानेंगी. बाकी आज मैं आप से अपनी बात कह कर रहूंगा, फिर चाहे जो भी हो जाए. चाहे मैं मर जाऊं, चाहे आप मर जाएं. लेकिन मैं…’

‘विनायक बाबू, इस वक्त आप जाइए. मैं आप की आश्रिता हूं. जो आश्रय देता है, वह महान होता है,’ इतना कहने के बाद उस ने पूरी शक्ति के साथ विनायक को अपने कमरे से बाहर ढकेल कर दरवाजा बंद कर लिया.

अगली सुबह नयन न जाने कहां चली गई. विनायक पूरी रात सो न पाया था. सुबह 6 बजे उस की पलक झपकी थी. तभी भाभी ने उसे झकझोर कर जगाया था, ‘मुन्ना, उठ तो. देख, नयन अपने कमरे में नहीं है. न जाने कहां चली गई. उस के कपडे़, उस की अटैची भी नहीं है. बाकी सबकुछ जैसा का तैसा पड़ा है.’

कमरे के बाहर एक नया दिन जन्म ले रहा था और भीतर, जहां विनायक लेटा था, एक अंधेरा फैलता जा रहा था. विनायक बड़बड़ाया, ‘भाभी, जाओ, अपना काम देखो. नयन को भूल जाओ. वह वापस न आने के लिए ही गई है.’

‘मेरी तो कोई बुरी इच्छा नहीं थी. मैं ने तो उस का देहईमान कभी पाना नहीं चाहा था,’ विनायक हथेलियों के बीच दोनों कनपटियां दबाए सोच रहा था, ‘आश्रयदाता कहां था? मैं तो भाभी की बात उस से कहने गया था. मगर कैसे, छिछि, सोच कर लज्जा आती है. प्रायश्चित्त, हां, मैं यही करूंगा. नौकरी, चाकरी, दुकान…कुछ नहीं करना है मुझे. अब मेरी कोई मंजिल नहीं है सामने, केवल रास्ते हैं. नयन से अधिक दीनहीन, बन कर अनजानी राहों पर भटकूंगा.’

विनायक कई बार नयन के कालेज गया. किसी ने कहा कि वह पहाड़ों पर चली गई है तो किसी ने बताया कि वह एक अनजाने गांव में अज्ञातवास कर रही है. वह सबकुछ छोड़छाड़ कर स्वयं को दंड देने के लिए अनजानी राहों पर निकल पड़ा. नयन की कहानियां, कविताएं, लेख प्रकाशित होते रहते थे, उन के जरिए उस ने उस का पता जानने की कोशिश की. हर बार एक पोस्टबौक्स नंबर उसे दे दिया जाता. वह वहां यानी पोस्टऔफिस पहुंचता पर पता चलता कि वह उस जगह को छोड़ कर कहीं और चली गई है. इसी तरह कई माह बीत गए.

और अब, चारों तरफ बर्फ ही बर्फ है. बिजली नहीं, पानी नहीं, खाना नहीं. जनशून्य धरती. दूनागिरि का एकाकी प्रवास और वह, तिलतिल कर पूरी तरह चुकचुका एक निस्सहाय जीव, धीरेधीरे मनमस्तिष्क पर सैकड़ों केंचुओं की तरह रेंगरेंग कर बढ़ रही अवचेतना.

सहसा कोई खट्टी सी, मीठी सी चीज विनायक को अपने गले के नीचे उतरती महसूस हुई.

‘‘कौन, बिमलजी?’’ आप लौट जाएं?’’ विनायक कराहा.

‘‘ज्यादा बात नहीं, अच्छे बच्चे की तरह, जो दिया जा रहा है, उसे लेते जाओ.’’

‘‘तो क्या आप बिमलजी की पत्नी हैं?’’

कोई जवाब न मिला. विनायक को लगा कि वह खट्टामीठा तरल पदार्थ ऐसे ही हजारों सालों से इन्हीं हाथों से पीता चला आ रहा है. 2 हाथ धीरे से रेंग कर उस के तलुए सहलाने लगे. तब ऐसा लगा, मानो प्राण आंखों तक लौट आए हैं.

उस ने धीरे से आंखें खोली, ‘‘नयन, आप?’’

‘‘आप नहीं, तुम कहो. मैं भी तुम्हें तुम ही कहूंगी.’’

‘‘यहां कैसे पहुंची?’’

‘‘रानीखेत के पोस्टऔफिस में अपनी डाक लेने गई थी,’’ नयन ने जवाब दिया, ‘‘वहां मुझे एक अधेड़ दंपती मिले. वहां तुम्हारा जिक्र होने से जाना कि तुम उन्हीं के मकान में रह रहे थे. बिमलजी की पत्नी कह रही थीं, ‘उस गाजियाबाद के आदमी को मरने के लिए अकेला छोड़ कर हम ने अच्छा नहीं किया,’ बस, मैं सब समझ गई कि वह तुम हो. उन से पता पूछ कर यहां चली आई.’’

‘‘लेकिन मैं, मेरा दोष, क्या तुम ने मुझे…?’’

‘‘गाजियाबाद में मेरी एक सहेली है, वह मुझे तुम्हारे, तुम्हारे घर के बारे में समाचार भेजती रहती है. उसी ने बताया कि तुम अपनी भाभी के हुक्म से उस रात मेरे कमरे में भाभी की बात कहने चले आए थे.’’

मेज पर रखे गुलदस्ते में 20 दिन पुराने गुलाब के फूल रखे थे. विनायक ने उस में से एक मुरझाया फूल निकाला, ‘‘जरा घूमो, तुम्हारे जूड़े में मैं यह गुलाब तो लगा दूं.’’

‘‘खबरदार, जो मेरे बालों में फूलवूल लगाया,’’ नयन ने आंखें तरेरीं, ‘‘मुझे तुम्हारा सामान बांधना है. पिघल रही बर्फ पर ड्राइवर जीप कैसे लाया और कैसे नीचे ले जाएगा, यह वह ही जानता होगा. जूड़े में लगा फूल देख कर वह क्या सोचेगा.’’

‘‘लेकिन यह फूल, इस का मैं क्या करूं?’’

‘‘संभाल कर रखे रहो. मैं ने गाजियाबाद फोन कर दिया है. अब तक भैया, भाभी और नौटी खुनौली पहुंच चुके होंगे. वहां चल कर भाभी के सामने यह फूल मेरे जूड़े में लगाना. अगर लगा सके तो मैं तुम्हारी गुलाम, वरना तुम्हें सारी जिंदगी मेरी…’’

‘‘देख लेना, भाभी के सामने मैं यह फूल लगा ही दूंगा. लेकिन तुम मेरी गुलाम बन कर नहीं, मेरी आंखों का तारा, मेरी नयनतारा बन कर रहोगी.’’

नीचे जीपचालक हौर्न बजा रहा था.

 

 

नयनतारा-भाग 2: क्या विनायक को अपने पिता की याद थी?

नयन…हां, नयन को ही खोज कर लाया था, विनायक. 20 साल की लंबी, सांवली, छरहरी बंगाली लड़की…सदर मुकाम खुलना…वहीं से अपने चाचा राखाल के साथ शरणार्थी बन कर वह 1981 में बंगलादेश की सीमा पार कर पहले कलकत्ता, फिर वहां से दिल्ली और अंत में दिल्ली से गाजियाबाद आई थी. राखाल, भैया की कपड़े की दुकान में काम करता था. दिनभर ग्राहक निबटाने के बाद वह रात 9 बजे पूरा हिसाबकिताब निबटा कर गुलजारी लाला के ठेके से शराब पीता हुआ अपने घर लौटता था. पैसे के लिए मुंह न फाड़ने वाला राखाल दारू वाले ऐब के अलावा बाकी सब मामलों में सीधासादा, काम से काम रखने वाला एक मुनासिब किस्म का आदमी था. प्रथम श्रेणी में एमए करने के बाद विनायक भी सुबह 9 से 12 बजे तक दुकान में बैठता था. दुकान में ही भोजन कर के लाइब्रेरी चला जाता, जहां से पढ़ कर शाम को 5-6 बजे तक घर वापस आता. कुछ देर वह नौटी को पढ़ाता या उस के साथ खेलता. भाभी के साथ रात 9 साढ़े 9 बजे खाना खाता. फिर 2-3 घंटे पढ़ता और सो जाता. वह अखिल भारतीय या इसी किस्म की दूसरी सेवाओं में जाना चाहता था. उस की भाभी भी यही चाहती थीं, लेकिन भैया, विनायक की बात सुन कर धमकी देने लगते थे, ‘भई, हम से अकेले यह सब नहीं होता. यदि विनायक नौकरी पर गया तो मैं दुकान बंद कर घर बैठ जाऊंगा.’

एक दिन भैया किसी पेशी में कोर्ट गए हुए थे. वह अकेला राखाल के साथ दुकान देख रहा था कि एक लड़का उस के सामने तह की हुई एक चिट्ठी फेंक कर भाग गया.

पत्र 2 लाइनों का था, ‘जुबली रेस्तरां में फौरन मिलिए. किसी के जीवनमरण का प्रश्न है. हरे रंग की साड़ी और उसी रंग के ब्लाउज में आप मुझे पहचान जाएंगे.’

विनायक शर्मीला लड़का था. लड़कियों का सामना पड़ने पर तो उस की जान ही निकल जाती थी. सोचा, जाऊं या न जाऊं? लेकिन जीवनमरण का प्रश्न. उंह, ऐसा तो झूठ भी लिखा जा सकता है. पता नहीं कौन हो,

कैसे चालचलन की हो. बात भैया के कानों तक पहुंच सकती है और उन के मुंह से भाभी के कानों तक भी. इस के बाद दुनियाभर के सवालों का सिलसिला.

रेस्तरां के केबिन में अपने सामने विनायक को बैठाते हुए उस ने कहा, ‘मेरा नाम नयन है. मैं आप को जानती हूं. मेरे बारे में आप, बस, इतना जान लें कि मैं आप की दुकान के कर्मचारी राखाल की भतीजी हूं.’

‘ओह,’ विनायक की घबराहट में थोड़ी कमी आई.

‘मेरे चाचाजी आजकल खूब शराब पीने लगे हैं. मेरी दिवंगत चाची को चाचाजी बहुत प्यार करते थे. वे कहते हैं, ‘नयन, तेरी चाची मुझे रोज रात में दिखाई देती है. जब नहीं पीता तो नहीं दिखाई देती.’ अब बताइए, मैं उन्हें कैसे रोकूं? आप और आप के भैया हमारे अन्नदाता हैं. हम आप के आश्रित हैं. एक आश्रिता की याचना समझ कर आप इस मामले में कुछ कीजिए.’

‘आप वैसे करती क्या हैं?’ समस्या का समाधान विनायक की समझ में न आ रहा था. सो, फिलहाल इस से नजात पाने के लिए उस ने वार्त्ता का रुख मोड़ा.

‘एमए कर रही हूं, अंगरेजी साहित्य में.’

‘बीए में कौन सी डिवीजन थी?’

‘प्रथम.’

विनायक को लगा कि इस समय भी नौटी बगीचे में गिलहरियों के पीछे भाग रही होगी. ‘आप क्या मेरा एक काम कर सकती हैं?’

‘हां, यदि मेरी सामर्थ्य में हुआ तो.’

‘आप मेरी नौटी को पढ़ा दिया कीजिए.’

‘नौटी, यानी?’

‘मेरी भतीजी, छठी क्लास में फेल हो गई है.’

‘पढ़ा दूंगी, 2 घंटे रोज ठीक रहेगा?’

‘बिलकुल ठीक रहेगा. क्या लेंगी?’

‘मैं ने कहा न, मैं आप लोगों की आश्रिता हूं. जैसा आप उचित समझें.’

‘8 सौ रुपए महीना ठीक रहेगा?’

‘कल से पढ़ाना शुरू कर दूंगी. लेकिन मेरा काम?’

‘यह काम मेरा नहीं, भाभी के करने का है. आप उन्हीं से कहिएगा. आप उन्हें नहीं जानतीं, वे सबकुछ कर सकती हैं. वे जितने अधिकार से मेरी बात भैया तक पहुंचाती हैं, उतने ही अधिकार से आप की बात भी पहुंचाएंगी.’

इस के बाद उचितअनुचित बहुतकुछ हो गया. पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती रहती है और प्रकृति इस घूमती धरती के वासियों को किस्मकिस्म के अनजाने खेल खिला कर हंसाती, रुलाती रहती है.

उम्मीद से जल्दी ही राखाल बाबू का निधन हो गया. भाभी नयन को अपने घर ले आईं. दारुण दुखों की बेला में वह पूस की धूप की तरह नयन के जख्मों को ठोंकती हुई बोलीं, ‘अच्छाखासा लड़का देख कर तुम्हारे हाथ पीले कर दूंगी. बस, अपनी जिम्मेदारी खत्म. तब तक यहीं रहो, मेरी छोटी बहन की तरह.’ नौटी थोड़ाबहुत पढ़ने लगी थी. नयन यदाकदा विनायक को दिखाई पड़ जाती. हालांकि दोनों एक ही घर में रह रहे थे.

एक दिन नौटी ने विनायक से कहा, ‘चाचू, अपनी तसवीर बनवाओगे?’

‘तसवीर? तू बनाएगी?’

‘मैं नहीं, नयन दीदी बनाएंगी. उन्होंने मेरी और मां की तसवीरें बनाई हैं. तुम भी बनवा लो. सच, बहुत सुंदर बनाती हैं.’

अगले दिन नौटी, विनायक को जबरदस्ती नयन के कमरे में ले गई. उस समय वह कहीं बाहर गई हुई थी. किसी लड़की के कमरे में उस की अनुपस्थिति में घुसना अच्छी बात नहीं होती, लेकिन वह गया. नौटी की जिद के आगे, हार कर गया. कमरे में चारों तरफ विभिन्न आकार की लगी पेंटिंग्स को दिखलाते हुए नौटी ने सगर्व कहा, ‘देखा चाचू, मैं कहती थी न कि हमारी नयन दीदी…’

नयनतारा-भाग 1: क्या विनायक को अपने पिता की याद थी?

बगुले के पंखों की तरह झक सफेद बर्फ, रुई के छोटेछोटे फाहों के रूप में गिर रही थी. यह सिलसिला परसों शुरू हुआ था और लगा था, कभी रुकेगा नहीं. लेकिन पूरे 44 घंटे बाद बर्फबारी थमी. पता नहीं रात के कितने बजे थे. आकाश में पूरा चांद मुसकरा रहा था.

विनायक बिस्तर पर उठ कर बैठ गया. उस ने अपने एक हाथ से दूसरा हाथ छुआ. लेकिन पता न चल सका कि बुखार उतरा या नहीं. जब बर्फ गिरनी शुरू हुई थी तो उसे होश था. उस ने 2 गोलियां खाई थीं. लेकिन उन से कुछ हुआ नहीं था. उस ने अनुमान लगाया कि वह पूरे 2 दिनों तक अवचेतनावस्था में अपने बिस्तर में पड़ा रहा था. भूखप्यास तथा 2 दिनों तक बिस्तर में निष्क्रिय पड़े रहने से उपजी थकान ने शरीर के हर हिस्से में दर्द भर दिया था.

विनायक ने खिड़की के शीशे के पीछे मुसकरा रहे चांद के साथ आंख लड़ाने का खेल शुरू किया. 1 मिनट, 2 मिनट, फिर उस ने थक कर अपनी आंखें नीचे झुका लीं. उस ने अपनेआप से कहा, ‘इश्क करने में भला कोई चांद से जीता है, जो मैं जीतूंगा. जीतता तो यहां इतना लाचार, इस कदर तनहा क्यों पड़ा होता.’

दूनागिरि के उस उपेक्षित से बिमलजी के मकान की दूसरी मंजिल का खुलाखुला सहमासहमा सा कमरा. विनायक ने अपने अंतर में दस्तक दी, ‘दोस्त, तुम अपनी जिंदगी की किताब के तमाम पन्ने मथुरा, हरिद्वार, ऋषिकेश, नैनीताल और न जाने कहांकहां के होटलों, गैस्टहाउसों में छितरा कर अब आखिरी पन्ना फाड़ कर फेंक देने के लिए यहां आ गए हो.’

खिड़की के उस पार चमक रहा चांद फिर धुंध में सिमट गया. बाहर रेशारेशा बन कर गिर रही बर्फ फिर दिखलाई पड़ने लगी. दोस्त का पैगाम… ‘लो भई विनायक, मौत आ गई,’ आ गया, ‘एक परी आएगी, तुम से तुम्हारी जिंदगी छीन कर ले जाएगी. फिर इस धरती पर तुम्हारी पहचान खत्म, नयन की याद खत्म,’ उस ने घुटनों में अपना सिर रख कर अपने सिर्फ एक ऐसे गुनाह से रिहाई पाने की कोशिश की, जो कि उस ने किया ही नहीं था.

पतझड़, पेड़ों की पातविहीन नंगी डालें, नीचे गिरे हुए अरबोंखरबों पत्ते, फिर वसंत आएगा, फिर नई कोंपलें, नए फल, नए फूल उगेंगे. मौत से जिंदगी छीन लाने का वही पुराना खेल. अब के बिछुड़े कब मिलें, कहां मिलें, मिलें भी कि न मिलें, कुछ पता नहीं. लेकिन नयन से माफी वसूलने की बात…और कमरे के भीतर भूख, प्यास, बुखार से छटपटा रहा विनायक.

‘प्रायश्चित्त…स्वीकारोक्ति से तुम अपनी की गलती से नजात पा सकते हो?’ बहुत पहले एक वृद्धा के मुख से उस ने ये शब्द सुने थे. प्रायश्चित्त वह कर रहा है, लेकिन स्वीकारोक्ति? ‘कहां पाऊं नयन को जो स्वीकारोक्ति करूं?’

रजाई की परतों में छिपी यातना से बेहोश हो रही विनायक की काया. कल, परसों, नहीं, 5 साल पहले…

अपने पिता की विनायक को कुछ याद नहीं थी. सभी कहते थे कि वह अपने पिता की हूबहू नकल है. उसे मां की याद है. मामूली बुखार से हार कर वे चल बसी थीं. घर में बड़े भाई सुधाकर, भाभी अहिल्या तथा उन की 11 साल की बेटी कालिंदी, यही उस के अपने शेष थे. कालिंदी पूरी आफत थी. सारा दिन लौन में तितलियां पकड़ने से ले कर बंगले के बाहर लगे आम, कटहल, नीबू तथा जामुन के पेड़ों की खोहों से गिलहरी, चिडि़या के बच्चे पकड़ने का काम वह पूरे उत्साह के साथ किया करती थी. इसी से विनायक ने उस का नाम नौटी यानी शरारती रख दिया था.

 

दूनागिरि का वह मकान…दूसरी मंजिल का कमरा. बर्फ व अंधड़ से बिजली के खंभे टूट गए थे. पानी सप्लाई की लाइनें फट चुकी थीं. बिजली नहीं, पानी नहीं. उसे निपट अकेला छोड़ कर उस के मकानमालिक बिमलजी सपरिवार नीचे लालकुंआ चले गए थे.

उस ने नीचे उतर कर उन का घर टटोला. मिट्टी के सकोरे में डबलरोटी के टुकड़े, एक बोतल में थोड़ा सा कड़वा तेल, 2 दौनों में बांध कर सहेजा हुआ पावडेढ़पाव गुड़, एक छींके पर टंगे हुए गिनती के 15 आलू और इतने ही प्याज. छींके में ही 10 ग्राम चाय का पैकेट रखा था. बिमलजी की पत्नी 45 वर्ष की अधेड़, निखरे रंग की सुंदर, सुघढ़ महिला थीं. उन्होंने एक बार दबे मन से विनायक के लिए कुछ करने की बात कही थी लेकिन बिमलजी ने यह कह कर, ‘मरने वाले के साथ खुद नहीं मरा जाता,’ उन्हें चुप करा दिया था.

चिमटे से बर्फ खोद कर उस ने स्टोव पर अपने लिए बगैर दूध वाली गुड़ की चाय बनाई. बर्फ से सख्त डबलरोटी के एक टुकड़े को चाय में डुबोडुबो कर खाया. पर लगा, कुछ भी भीतर जाने को तैयार नहीं है. उस ने पूरी मनोशक्ति लगा कर भीतर के पदार्थ को बाहर आने से रोका. विनायक को लगा कि चायरोटी के बावजूद उस की 2 दिनों की भूखी काया की प्रतिरोधक शक्ति में कोई वृद्घि नहीं हुई है. बिस्तर में घुसते ही अर्धचेतनावस्था ने उसे फिर घेर लिया.

भैया, भाभी और नौटी, जो कि छठी क्लास में फिर फेल हो गई थी, फेल होने का उसे कोई मलाल नहीं था. विनायक ने नौटी को पढ़ाने की कोशिश की, मगर नतीजा…वह खुद भी लड़की के साथ तितलियों, गिलहरियों के पीछे भागने लगा. अहिल्या कभी खीझ कर तो कभी मुसकरा कर अपना माथा पीटने लगती, ‘कमाल की लड़की जन्मी है मेरी कोख से…आज चाचा को गिलहरी के पीछे दौड़ा रही है, कल बाप को दौड़ाएगी और फिर ससुराल जा कर मेरा नाम रोशन करेगी.’

इन चटपटे स्नैक्स से मिलेगा टेस्ट भी और हेल्थ भी

कभी कभी खाने को मन करता है कुछ ऐसे स्नैक्स जो स्वाद में अलग हों. तो पेश हैं कुछ ऐसे ही चटपटे स्नैक्स जिन्हें खा कर आप तारीफ किए बगैर नहीं रह सकेंगे.

1. चना टिक्की

सामग्री : 1 कप काले चने रातभर पानी में भिगो कर, उबले हुए, 1/2 कप धनियापत्ती बारीक कटी, 1 हरीमिर्च बारीक कटी, 1 प्याज बारीक कटा, 1 छोटा चम्मच अदरक बारीक कटी, 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला, तलने के लिए पर्याप्त तेल, नमक स्वादानुसार.

विधि : एक कटोरे में तेल के अलावा सारी सामग्री मिला कर टिक्कियां तैयार करें. अब एक पैन में तेल गरम कर के टिक्कियों को सुनहरा होने तक कम तेल में फ्राई करें. हरी चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

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2. चुकंदर के कबाब

सामग्री : 3-4 चुकंदर उबाल कर कद्दूकस किए, 1 आलू उबाल कर मसला हुआ, 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला, 1 कप धनियापत्ती बारीक कटी, 1/2 कप मैदा, तलने के लिए पर्याप्त तेल, नमक स्वादानुसार.

विधि : एक कटोरे में तेल छोड़ कर बाकी सारी सामग्री मिला कर के मिश्रण से छोटेछोटे कबाब तैयार करें. अब एक पैन में तेल गरम कर के कबाब को मैदे में लपेट कर कम तेल में फ्राई करें. पुदीना चटनी के साथ गरमगरम परोसें.

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3. दाल समोसा

सामग्री : 2 कप मैदा, 4 बड़े चम्मच तेल, 2 कप बिना छिलके वाली मूंग दाल 3 घंटे पानी में भीगी, 1 छोटा चम्मच जीरा, 1/2 छोटा चम्मच गरममसाला, 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर, 1/2 छोटा चम्मच हलदी, 1 प्याज बारीक कटा, 1/2 कप धनियापत्ती बारीक कटी, 1 हरीमिर्च बारीक कटी, 1 टमाटर बारीक कटा, नमक स्वादानुसार.

विधि : एक पैन में थोड़ा सा तेल गरम कर के जीरा भूनें. फिर इस में प्याज व टमाटर भून कर मूंग दाल, हरीमिर्च व सारे मसाले डाल कर तब तक भूनें जब तक मिश्रण तेल न छोड़ दे. मैदे में थोड़ा सा तेल, पानी व नमक मिला कर गूंधें और सख्त मिश्रण तैयार करें. तैयार मिश्रण की चपातियां बेलें व आधाआधा काट लें. तैयार मिश्रण को ठंडा कर के चपातियों में भरें व समोसे तैयार करें. समोसों को सुनहरा होने तक डीप फ्राई करें और हरी चटनी के साथ परोसें.

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4. कौर्न फ्रिटर्स

सामग्री : 1 कप मैदा, 1/2 छोटा चम्मच बेकिंग पाउडर, 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च कुटी, 1 अंडा फेंटा हुआ, 1 कप कौर्न, 1/2 छोटा चम्मच अदरक, 1/2 छोटा चम्मच लहसुन बारीक कटा, नमक स्वादानुसार, तलने के लिए पर्याप्त तेल.

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विधि : सब से पहले कौर्न को उबाल लें. अब एक बरतन में उबले कौर्न, मैदा, अंडा, सभी मसाले एकसाथ मिला कर थोड़े से पानी के साथ एक गाढ़ा मिश्रण तैयार कर लीजिए. गैस पर पैन रख कर तेल डालें और अच्छी तरह गरम होने दें. फिर आंच थोड़ी धीमी कर के चम्मच की सहायता से कौर्न मिश्रण पकौड़ों की तरह डालें और सुनहरा होने तक तल लें. चटनी के साथ गरमागरम खाएं.

जानिए चावल खाने के 8 फायदे

हमारे रोज के खान पान का चावल अहम हिस्सा है. चावल के बिना खाने की कल्पना मुश्किल है. ये एक हल्का आहार है पर इसे खाने के बाद काफी देर तक फिर भूख नहीं लगती. अक्सर जिन लोगों को डाइटिंग करनी होती है, चावल से दूरी बना लेते हैं.

क्या आपको पता है कि चावल में विभिन्न प्रकार के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं. इसमें नियासिन, विटामिन डी, कैल्श‍ियम, फाइबर, आयरन, थायमीन और राइबोफ्लेविन पर्याप्त मात्रा में होता है. ये तत्व हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद हैं.

benefits of eating rice daily

आम तौर पर जब लोगों के पेट में दिक्कत होती है तो उन्हें खिचड़ी खाने के लिए कहा जाता हैं. क्योंकि ये बहुत जल्दी हजम होती है. हर खाद्य पदार्थ की ही तरह चावल भी काफी स्‍वास्‍थ्‍य वर्धक होता है बस जरूरत है कि इसे एक हिसाब में खाया जाए. अस्थमा और मधुमेह के मरीजों को चावल से परहेज करनी चाहिए.

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  1. अल्‍जाइमर को ठीक करने में है मददगार

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अल्जाइमर की बीमारी में चावल काफी फायदेमंद है. इसे खाने से आपके दिमाग में न्यूरोट्रांसमीटर का विकास तेज हो जाएगा, जो अल्‍जाइमर रोगियों की बीमारी के खिलाफ लड़ने में सहायक होता है.

2. खाएं ब्राउन राइस

सफेद चावल की तुलना में भूरा चावल, जिसे हम ब्राउन राइस भी कहते हैं, काफी भायदेमंद होता है. इसमें मौजूद तत्व शरीर के लिए काफी लाभकारी होते हैं.

3. शरीर को मिलती है उर्जा

एक कटोरी चावल खाने से शरीर को जितनी उर्जा मिलती है को किसी अन्य खाद्य पदार्थ की तुलना में ज्यादा होती है. इससे शरीर को प्रचूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट्स मिलता है. दिमाग को अच्छी तरह से काम करता है. इसके साथ ही इससे आपके शरीर में मेटाबौलिंज्म एक्टिव रहते हैं और आपको काफी उर्जा मिलती है.

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4. रखे ब्लड प्रेशर को नियंत्रित

अगर आपको ब्लड प्रेशर की परेशानी रहती है तो आपको रोज चावल खाना चाहिए. इसमें सोडियम की मात्रा नहीं होती, इससे दिल की बीमारी का खतरा काफी कम होता है.

5. नो कोलेस्ट्रौल लेवल

चावल में कोलेस्ट्रौल की मात्रा ना के बराबर होती है. अगर आप मोटा नहीं होना चाहते, आपको चावल खाना चाहिए.

6. शरीर रखे ठंडा

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चावल खाने से पेट ठंडा रहता है. इससे पेट की कई परेशानियां अपने आप खत्म हो जाती है. शरीर के तापमात को नियंत्रित रखता है चावल.

7. कैंसर का खतरा होता है कम

ब्राउन राइस खाने से शरीर को अघुलनशील फाइबर पाए जाते हैं, जो शरीर में कैंसर का खतरा काफी कम करता है.

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8. त्‍वचा में आता है निखार

कई जानकार बताते हैं कि त्वचा में निखार लाने के लिए चावल का प्रयोग नियमित तौर पर करना चाहिए. चावल का पानी जिसे आम भाषा में माड़ कहते हैं, पीने से त्वचा की समस्याएं दूर होती हैं. इसमें एंटीऔक्‍सीडेंट होता है जो कि झुर्रियों को दूर रखता है.

Hyundai Verna: क्यों है आपके लिए बेस्ट कार

हम सभी की लाइफ में कभी न कभी ऐसा मोड़ आता है, जब हमें किसी चीज से समझौता करना पड़ता है. लेकिन जब बात कार खरीदने की हो तो अब आपको कंप्रमाइज करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. क्योंकि Hyundai Verna एक ऐसी कार है जिसमें आपको एक पैकेज के रूप में क्लास-लीडिंग फीचर्स और बेहतरीन परफॉर्मेंस से लेकर सबकुछ मिल जाएगा.

दरअसल, इस स्पोर्टी और पॉवरफुल सेडान में वह सब कुछ है जिसकी आपको जरूरत है तो अब आपको समझौता करने की बिल्कुल भी जरूरत ही नहीं है. हुंडई की नई वरना कार यानी #BetterThanTheRest

Crime Story: 10 रूपए का कत्ल

रोजाना की तरह पूनम उस दिन भी स्कूल जाने के लिए अपनी साइकिल से निकली तो रास्ते में पहले से उस का इंतजार कर रहे विकास ने उस के पीछे अपनी साइकिल लगा दी. पूनम ने विकास को पीछे आते देखा तो अपनी साइकिल की गति और तेज कर दी.

विकास अपनी साइकिल की रफ्तार और तेज कर के पूनम के आगे जा कर इस तरह खड़ा हो गया कि अगर वह अपनी साइकिल के ब्रेक न लगाती तो जमीन पर गिर जाती.

साइकिल संभालते हुए पूनम साइकिल से उतर कर खड़ी हुई और बोली, ‘‘देख नहीं रहे हो, मैं स्कूल जा रही हूं. आज वैसे भी देर हो गई है. अगर हमें किसी ने देख लिया तो बिना मतलब बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगेगी.’’

‘‘जिसे जो बातें बनानी हैं, बनाता रहे. मुझे किसी की परवाह नहीं है.’’ विकास ने बड़े प्यार से अपनी बात कह डाली.

पूनम स्कूल जाने के लिए मन ही मन बेचैन थी. उस ने विकास की तरफ देखा और उस से अनुरोध करते हुए बोली, ‘‘देखो, मुझे देर हो रही है. अभी मुझे स्कूल जाने दो. मैं तुम से बाद में मिल लूंगी. तुम्हें जो बात करनी हो, कर लेना.’’

विकास पूनम की बात सुन कर नरम पड़ गया. वह अपनी साइकिल को साइड में कर के पूनम के चेहरे को देखते हुए बोला, ‘‘पूनम, तुम मेरी आंखों में झांक कर देखो, इस में तुम्हें बेपनाह मोहब्बत नजर आएगी. तुम्हें पता है, तुम्हारी चाहत में मैं सब कुछ भूल गया हूं. मुझे दिनरात बस तुम ही तुम नजर आती हो.’’

‘‘वह सब तो ठीक है विकास, पर तुम्हें यह तो पता है कि हम एक ही जगह के हैं और हमारे तुम्हारे घर के बीच बहुत ज्यादा फासला नहीं है. अगर हम दोनों इस तरह प्यारमोहब्बत की पेंग बढ़ाएंगे तो मोहल्ले वालों से हमारा प्रेम कब तक छिपा रहेगा.

‘‘तुम मेरे पिता को तो जानते हो, बातबात में गुस्सा हो जाते हैं. अगर उन्हें हम दोनों के प्रेम की भनक लगी तो मैं बदनाम हो जाऊंगी. फिर मेरे पिता मेरी क्या गत बनाएंगे, यह तो ऊपर वाला ही जाने.’’ वह बोली.

‘‘पूनम, मैं सपने में भी तुम्हें बदनाम करने की नहीं सोच सकता. तुम तो मेरी मोहब्बत हो और मोहब्बत के लिए लोग न जाने क्याक्या कर जाते हैं. तुम सिर्फ जरा सी बदनामी से डरती हो. पता है, मैं तुम से मिलने और बातें करने के लिए क्याक्या तिकड़म भिड़ाता हूं.

‘‘तब कहीं जा कर तुम से तनहाई में मुलाकात होती है. देखो पूनम, मैं तुम्हें बदनाम नहीं होने ही दूंगा. और हां, मैं ने निर्णय ले लिया है कि शादी करूंगा तो सिर्फ तुम से. मेरी दुलहन तुम्हारे अलावा कोई दूसरी नहीं होगी, फिर बदनामी कैसी.’’

पूनम कुछ देर शांत मन से विकास की बातें सुनती रही. फिर लंबी सांस ले कर बोली, ‘‘अच्छा, अब बस करो, मैं स्कूल जा रही हूं. मुझे काफी देर हो चुकी है.’’

पूनम ने इतना कह कर अपनी साइकिल आगे बढ़ाई ही थी कि विकास मुसकराता हुआ बोला, ‘‘हां जाओ, लेकिन मिलने के लिए थोड़ा समय निकाल लिया करो.’’

पूनम बिना कुछ बोले अपने स्कूल की ओर बढ़ गई. पूनम के स्कूल जाने वाले रास्ते के उस मोड़ के पास विकास अकसर उस का रास्ता रोक कर कभी प्रेम से तो कभी थोड़ा गुस्से में अपने प्रेम का इजहार करने लगता था.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर, थाना स्वार की चौकी मसवासी के अंतर्गत एक मोहल्ला है भूबरा. वीर सिंह अपने परिवार के साथ इसी मोहल्ले में रहता था. परिवार में उस की पत्नी के अलावा 3 बेटे और 2 बेटियां थीं.

वीर सिंह और उस की पत्नी प्रेमवती दोनों दिव्यांग थे. वीर सिंह हाईस्कूल पास था. वह मोहल्ले के छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था. बड़ा बेटा गिरीश नौकरी करता था. बापबेटे मिल कर परिवार का बोझ उठाते थे.

वीर सिंह की बेटी पूनम खूबसूरत भी थी और चंचल भी. वीर सिंह और प्रेमवती उसे बहुत चाहते थे. पूनम एक स्थानीय स्कूल में दसवीं में पढ़ती थी.

15 वर्षीय पूनम उम्र के उस पायदान पर खड़ी थी, जहां शरीर में काफी बदलाव आ जाते हैं और दिल में उमंग की लहरें हिचकोले लेने लगती हैं. पूनम पहले से ही सुंदर थी, लेकिन जब कुदरत ने उस के बदन को खूबसूरती के सांचे में ढाल कर आकर्षक आकार दिया तो उस की सुंदरता कयामत ढाने लगी, जिस का पूनम को भी अहसास हो गया था.

अपनी सुंदरता पूनम को लुभाती तो थी, लेकिन लोगों की चुभती नजरों से बचने के लिए उसे तरहतरह के जतन करने पड़ते थे. वह लोगों की गिद्ध दृष्टि को अच्छी तरह पहचानती थी. लेकिन विकास उन सब से अलग था. उस की आंखों में पूनम को अपने लिए अलग तरह की चाहत दिखती थी. विकास स्मार्ट भी था और खूबसूरत भी.

विकास मौर्य भी भूबरा मोहल्ले में ही रहता था. पूनम के घर से उस के घर की दूरी महज ढाई सौ मीटर थी. विकास के पिता नरपाल मौर्य खेतीकिसानी का काम करते थे. घर में पिता के अलावा उस की मां जगदेवी, एक बड़ा भाई और 3 बहनें थीं.

वीर सिंह और नरपाल मौर्य के परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना था. इसी आनेजाने में जब विकास की नजर जवान होती पूनम पर पड़ी तो वह बरबस उस की ओर आकर्षित होगया और उसे मन ही मन चाहने लगा.

लेकिन पूनम के घर वालों की वजह से उसे अकेले में पूनम से बात करने का मौका नहीं मिल पाता था. विकास हमेशा इस फिराक में रहता था कि मौका मिले तो पूनम से बात करे.

संयोग से एक साल पहले विकास को मौका मिल गया. पूनम के घर वाले किसी शादी समारोह में गए हुए थे. पूनम घर पर अकेली थी. यह पता चलते ही विकास बहाने से वीर सिंह के घर पहुंच गया और दरवाजे पर दस्तक दी. पूनम उस समय पढ़ रही थी. दस्तक सुन कर उस ने दरवाजा खोला तो सामने विकास खड़ा था. विकास को देख वह बोली, ‘‘सब लोग शादी में गए हैं. घर में कोई नहीं है.’’

विकास ने पूनम की बात खत्म होते ही कहा, ‘‘देखो पूनम, आज मैं सिर्फ तुम से ही मिलने आया हूं. चाचा से मिलना होता तो कभी भी मिल लेता.’’

‘‘ठीक है, अंदर आ जाओ और बताओ मुझ से क्यों मिलना है.’’ पूनम के कहने पर विकास अंदर आ गया.

विकास के अंदर आते ही पूनम फिर से बोली, ‘‘हां विकास, बोलो, क्या कहना चाहते हो?’’

विकास एकटक पूनम की ओर देखते हुए बोला, ‘‘दरअसल, मैं बहुत दिनों से तुम से एकांत में मिलना चाह रहा था. मैं तुम्हें दिल से चाहने लगा हूं. मुझे तुम से प्यार हो गया है. दिल नहीं माना तो तुम से मिलने चला आया.’’

विकास आगे कुछ और बोलता, इस से पहले ही पूनम के होंठों पर हंसी आ गई. वह मुसकराते हुए बोली, ‘‘आतेजाते तुम मुझे जिस तरह से देखते थे, उस से ही मुझे आभास हो गया था कि जरूर तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई चाहत है.’’

‘‘इस का मतलब तुम भी मुझे पसंद करती हो. तुम्हारी इन बातों से विश्वास हो गया कि हम दोनों के दिल में एकदूसरे के प्रति प्यार है.’’ विकास कुछ और बोल पाता, तभी पूनम बोल पड़ी, ‘‘मम्मीपापा के आने का समय हो गया है. इसलिए तुम अभी यहां से चले जाओ. मुझे मौका मिला तो मैं फिर बात कर लूंगी.’’

पूनम के इतना कहने के बाद भी विकास वहीं खड़ा रहा और पूनम की खूबसूरती के कसीदे पढ़ता रहा. पूनम से रहा नहीं गया तो वह जबरदस्ती विकास का हाथ पकड़ कर उसे मेनगेट तक ले आई और उसे बाहर कर के मेनगेट बंद कर लिया. लेकिन जातेजाते विकास पूनम को यह याद कराना नहीं भूला कि उस ने बाहर मिलने का वादा किया है.

पूनम अपने वादे को नहीं भूली और अगले दिन स्कूल जाते समय रास्ते में विकास दिखा तो उस ने इशारे से बता दिया कि स्कूल से वापस लौटते समय उस से मिलेगी.

विकास समय से पहले ही पूनम के वापस लौटने वाले रास्ते पर उस का इंतजार करने लगा. पूनम स्कूल से लौटी तो विकास से उस की मुलाकात हुई. उस ने विकास के प्यार को स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे प्यार को स्वीकार कर रही हूं और चाहती हूं कि हम बदनाम न हों. इसलिए तुम्हें भी सावधान रहना होगा ताकि किसी को हमारे प्यार की भनक न लगे.’’

विकास पूनम के हाथों को अपने हाथों में लेता हुआ बोला, ‘‘तुम भी कैसी बातें करती हो? क्या कभी कोई प्रेमी चाहेगा कि उस की प्रेमिका की समाज में रुसवाई हो? तुम मुझ पर भरोसा रखो.’’

समय बीतता रहा. दोनों लोगों की नजरों से बच कर चोरीछिपे मिलते रहे. दोनों का प्यार इतना बढ़ गया कि वे एकदूसरे के लिए कुछ भी कर सकते थे. यहां तक कि एकदूजे के लिए जान भी दे सकते थे. पर एकदूसरे से अलग होना उन्हें किसी भी हाल में मंजूर नहीं था.

बीते 9 दिसंबर को पूनम का सब से छोटा 7 वर्षीय भाई अंश दोपहर 2 बजे के करीब घर के बाहर खेल रहा था, लेकिन अचानक वह लापता हो गया. बडे़ भाई गिरीश ने अपने भाईबहनों के साथ उसे काफी खोजा लेकिन उस का कोई पता नहीं चला.

एक दिन पहले ही किसी अनजान युवक ने अंश को 10 रुपए दिए थे. यह बात अंश ने घर आ कर बताई थी. लेकिन घर के लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था, इस के अगले दिन यह घटना घट गई.

जब किसी तरह से अंश का पता नहीं चला तो 10 दिसंबर, 2019 को गिरीश ने स्वार थाने जा कर इंसपेक्टर सतेंद्र कुमार सिंह को पूरी बात बताई. सतेंद्र सिंह ने गिरीश की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 363 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

पुलिस ने गिरीश और उस के पिता के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगवा दिए, ताकि अपहर्त्ता फिरौती के लिए फोन करें तो ट्रेस किया जा सके.

11 दिसंबर, 2019 को अपहर्त्ता ने वीर सिंह के नंबर पर काल कर के अंश को रिहा करने के एवज में 15 लाख रुपए की फिरौती मांगी. सर्विलांस टीम और अंश के घर वालों द्वारा सूचना देने पर मसवासी चौकी इंचार्ज कुलदीप सिंह चौधरी अंश के घर गए और उस के घर वालों से पूछताछ की.

जिस नंबर से काल की गई थी, वह फरजी आईडी पर खरीदा गया था. जिस मोबाइल में वह सिम डाला गया था, उस मोबाइल में उस से पहले जो सिम डाले गए थे, उन की जांचपड़ताल करने के बाद पुलिस अपहर्त्ता तक पहुंच गई. वह कोई और नहीं, अंश की बड़ी बहन पूनम का प्रेमी विकास मौर्य था.

12 दिसंबर को इंसपेक्टर सतेंद्र सिंह और चौकी इंचार्ज कुलदीप सिंह चौधरी ने मानपुर तिराहे से विकास मौर्य को उस के साथी अनुराग शर्मा के साथ गिरफ्तार कर लिया. दोनों से कड़ाई से पूछताछ की गई तो दोनों ने अपने 3 अन्य साथियों विकास सैनी, रवि सैनी और रोहित के नाम बताए. इन सब ने साथ मिल कर अंश का अपहरण कर हत्या कर देने की बात कबूल कर ली. साथ ही हत्या के पीछे की कहानी भी बयान कर दी.

विकास मौर्य और पूनम का प्यार दिनोंदिन परवान चढ़ रहा था, वह भी सब की नजरों से बच कर. लेकिन एक दिन पूनम के छोटे भाई अंश ने दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में एक साथ देख लिया. पूनम ने जैसेतैसे अंश को समझा दिया और उसे अपने साथ घर ले गई, लेकिन विकास इस बात से डर गया कि कहीं वह घर वालों को उन दोनों के बारे में न बता दे.

इसी वजह से उस ने अंश का अपहरण कर उसे मार देने का फैसला किया. इस बारे में उस ने पूनम को भनक तक नहीं लगने दी. उस ने अपने दोस्तों सीतारामपुर गांव निवासी अनुराग शर्मा, विकास सैनी, रवि सैनी और भूबरा मोहल्ला निवासी रोहित से बात की. दोस्ती की खातिर ये सब विकास का साथ देने को तैयार हो गए.

8 दिसंबर, 2019 को अंश घर के बाहर बच्चों के साथ खेल रहा था. तभी विकास के साथ अनुराग वहां आ गया. विकास ने अनुराग को अंश की तरफ इशारा कर के उस की पहचान कराई. अनुराग अंश के पास पहुंचा और उस से प्यार से बात की, साथ ही उसे 10 रुपए दिए.

मासूम अंश ने उस से 10 रुपए ले लिए. अनुराग उस से दोस्ती कर के चला गया. अंश ने घर जा कर इस अनजान दोस्त से मिले पैसों के बारे में बताया तो किसी ने इस बात को गंभीरता से नहीं लिया.

अगले दिन 9 दिसंबर को योजनानुसार दोपहर 2 बजे विकास अनुराग के साथ बाइक से अंश के घर के पास पहुंचा. रोज की तरह उस समय अंश बच्चों के साथ खेल रहा था. विकास ने उस से कहा कि उस के बड़े भैया गिरीश उसे बुला रहे हैं. वह आगे खड़े हैं. मासूम अंश उन के साथ बाइक पर बैठ गया.

आगे कुछ दूरी पर विकास सैनी, रवि और रोहित खड़े थे. अंश को उन के साथ देख कर वे भी उन के साथ हो लिए. अंश को वे बेलवाड़ा गांव के जंगल में ले गए. वहां रुमाल से बनाया फंदा अंश के गले में डाल कर कस दिया, जिस से अंश की दम घुटने से मौत हो गई.

इस के बाद अंश की लाश को एक प्लास्टिक की बोरी में डाल कर रेत में दबा दिया. इस के बाद 11 दिसंबर को विकास ने केस की दिशा मोड़ने के लिए फरजी सिम से अंश के पिता को काल कर के 15 लाख रुपए की फिरौती मांगी. इस से केस की दिशा तो नहीं बदली, लेकिन उस के पकड़े जाने का रास्ता जरूर खुल गया. विकास की यह गलती उसे और उस के साथियों को भारी पड़ी.

12 दिसंबर को ही विकास मौर्य और अनुराग शर्मा की निशानदेही पर इंसपेक्टर सतेंद्र सिंह और चौकी इंचार्ज कुलदीप सिंह चौधरी ने एसडीएम राकेश कुमार गुप्ता की मौजूदगी में रेत में दबी अंश की लाश बरामद कर ली.

इस के बाद मुकदमे में दर्ज धारा 363 को भादंवि की धारा 364, 302, 201, 34 तरमीम कर दिया गया. पुलिस ने 14 दिसंबर, 2019 को मुंशीगंज तिराहे से विकास सैनी और रवि सैनी को भी गिरफ्तार कर लिया.

आवश्यक कानूनी लिखापढ़ी के बाद चारों अभियुक्तों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से सब को जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक रोहित फरार था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में पूनम परिवर्तित नाम है.

आखिर क्यों फिर टली रणबीर कपूर और संजय दत्त की ‘शमशेरा’ की शूटिंग?

कोरोना वायरस के चलते 17 मार्च से फिल्मों की शूटिंग बंद है . परिणाम स्वरूप कुछ फिल्में ऐसी हैं , जिनकी 2 से 10 दिन की शूटिंग बाकी है. अगर यह शूटिंग हो जाए, तो फिल्म के प्रदर्शन के बारे में कोई निर्णय लिया जा सकता है. इसी तरह की डकैतों पर आधारित पीरियड फिल्म “शमशेरा” की सिर्फ 7 दिन की शूटिंग होनी बाकी है, जिसमें से 3 दिन की शूटिंग संजय दत्त को करनी है.

सूत्रों के अनुसार जुलाई के अंतिम सप्ताह में रणबीर कपूर ने यश राज फिल्म्स और फिल्म के निर्देशक करण मल्होत्रा से बातचीत करते इसकी शूटिंग पूरी  करने की गुजारिश की. उसके बाद मुंबई के स्टूडियो में इस फिल्म की शूटिंग के लिए सेट लगाया गया और इसी सप्ताह से से एक हफ्ते की शूटिंग शुरू होने वाली थी. लेकिन अब खबर आ रही है कि इस शूटिंग को स्थगित कर दिया गया है.

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वास्तव में 3 दिन  पहले अचानक संजय दत्त को सांस लेने में तकलीफ हुई और उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया. संजय दत्त का कोरोनावायरस जांच हुई और उनकी कोरोनावायरस रिपोर्ट नेगेटिव आई है. इतना ही नहीं अब अस्पताल से संजय दत्त को छुट्टी भी मिल गई है. मगर डॉक्टरों ने उन्हें कम से कम 15 दिन आराम करने की सलाह दी है.

ऐसे में निर्देशक ने कुछ दिनों के लिए शमशेरा की शूटिंग डालने का निर्णय लिया है. वह नहीं चाहते कि डॉक्टरों की राय का सम्मान ना करते हुए संजय दत्त शूटिंग के लिए पर पहुंचे. लेकिन इस संबंध में फिलहाल फिल्म शमशेरा के निर्माता और निर्देशक ने चुप्पी साध रखी है.

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बता दें कि इस फिल्म का निर्माण यशराज फिल्मस कर रहा है और निर्देशक करण मल्होत्रा है . इस फिल्म में रणबीर कपूर पहली बार दोहरी भूमिका निभा रहे हैं. इस फिल्म में शमशेरा की केंद्रीय भूमिका निभाने के साथ साथ रणबीर कपूर इसमें शमशेरा के पिता की भूमिका भी निभा रहे हैं. इसलिए रणबीर कपूर को इस फिल्म से काफी उम्मीदें भी हैं.

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हेल्दी स्किन के लिए टोनर है जरूरी

कौन नहीं चाहता कि उसका चेहरा हमेशा चमकता दमकता और जवां दिखाई दे. लड़का हो या लड़की, ऑफिस गोइंग हो या हाउस वाइफ, हर इंसान की ख्वाहिश होती है कि उसका चेहरा दागरहित और ग्लो करता नज़र आये. इस चाहत में लोग तरह-तरह की महंगी क्रीम भी खरीदते हैं. ब्यूटी पार्लर में घंटों का समय खपाते हैं और हज़ारों रूपए फूंक आते हैं. उनका मकसद हमेशा यही होता है कि चेहरे पर झुर्रियां ना दिखें और बढ़ती उम्र के बावजूद त्वचा जवान दिखती रहे. खूबसूरत त्वचा पाने के लिए सिर्फ फेशियल, मसाज, फेस वाश या डे क्रीम ही काफी नहीं होती है, बल्कि चेहरे पर चमक और लालिमा तब झलकती है जब गहराई से उसकी सफाई नियमित हो. गहराई से सफाई के लिए हम डीप क्लींजिंग मिल्क का इस्तेमाल करते हैं. चेहरे पर स्कर्ब करते हैं. गरम पानी की भांप लेते हैं. इससे त्वचा अच्छी तरह साफ़ तो हो जाती है मगर त्वचा पर उपस्थित रोम छिद्र काफी खुल जाते हैं. यदि ये रोमछिद्र खुले ही रहे तो पसीना, धूल और गन्दगी के कारण मुंहासे और दाने आपके चेहरे पर अपना घर बना लेंगे और आपको बड़ी मुसीबत में डाल देंगे. इन मुसीबत से छुटकारा दिलाता है टोनर.

टोनर का इस्तेमाल त्वचा को साफ करने और बड़े रोमछिद्रों (पोर्स) को सिकोड़ने के लिए किया जाता है. टोनर के इस्तेमाल से पोर्स को इसलिए छोटा किया जाता है, क्योंकि इनके बड़े होने पर चेहरा खुरदरा और दागदार नजर आता है. टोनर चेहरे को सुदंर और स्वच्छ बनाने में बड़ा कारगर है.

स्किन टोनिंग से पोर्स भी छोटे हो जाते हैं और स्किन का पीएच स्केल भी बना रहता है. बाजार में इन दिनों नए-नए स्‍किन केयर प्रोडक्‍ट्स की भरमार है. ये सभी प्रोडक्‍ट्स स्‍किन को निखारने का दावा करते हैं, लेकिन इनमें से कितने काम के हैं और कितने बेअसर, यह कहना बेहद मुश्‍किल है.

अगर बात करें स्‍किन टोनर की तो वह भी आराम से आपको बाजार में मिल जाएगा. मगर मार्केट में मिलने वाले स्‍किन टोनर हमारी त्‍वचा को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं. ज्‍यादातर स्‍किन टोनर में अल्‍कोहल मिलाया जाता है, जो स्‍किन की रंगत को भी छीन लेता है.

यदि आप चाहें तो खुद ही एक अच्छा स्‍किन टोनर घर पर बना सकती हैं, जिसमे कोई रासायनिक तत्व भी नहीं होगा और वो बिलकुल फ्रेश भी होगा. साथ ही इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होगा और इसको अप्लाई करने के बाद आपको बहुत फ्रेश महसूस होगा. हमारी रसोई में ऐसी बहुतेरी चीज़ें हैं जो आपको एक अच्छे टोनर के रिजल्ट दे सकती हैं.

सेब का सिरका :

एक चम्मच सेब का सिरका और एक कप पानी को मिक्स कर लें. चेहरे की मसाज या स्क्रब के बाद साफ़ ठन्डे पानी से चेहरा धोने के बाद आप सेब के सिरके में कॉटन पैड को भिगो कर अपने चेहरे पर अप्लाई करें. इसको ऐसे ही छोड़ दें. इससे आपके चेहरे के रोमछिद्र वापस अपने आकार में सिकुड़ जाएंगे और स्किन टाइट होकर चमकदार दिखाई देगी.

पुदीने की पत्तियां :

6 कप पानी उबालें. अब इसमें कुछ पुदीने की पत्तियों को डालें. इस मिक्स्चर को कुछ समय फ्रिज में ठंडा होने के लिए रख दें. जब भी आप चेहरा धोएं तो साफ़ तौलिये से पोछने के बाद पुदीने के पानी में कॉटन पैड भिगो कर अपने चेहरे को साफ करें. ये ना सिर्फ ताज़गी का अहसास देगा बल्कि दाग-धब्बे भी दूर कर देगा.

नींबू का रस और पेपरमिंट टी :

एक चम्मच नींबू का रस और पेपरमिंट टी बैग लें और इसमें 1 कप गर्म पानी मिला लें. टी बैग को पानी में बैठ जाने दें और कुछ मिनट के लिए इस पानी को ऐसे ही छोड़ दें. अब पानी में से टी बैग निकाल लें और पानी को ठंडा होने दें. कॉटन पैड को इसमें भिगोएं और अपने चेहरे को साफ करें.

एलोवेरा जेल :

एलोवेरा की एक पत्ती को काटे और उसमें से जेल निकाल लें. एक कप पानी में 2 चम्मच जेल को अच्छे से मिला लें. इस सॉल्यूशन को अपने चेहरे पर कॉटन पैड से लगाएं.ये सॉल्यूशन आपके सनबर्न और रैशेज़ को भी ठीक करता है.

खीरा :

ये बहुत अच्छा टोनर माना जाता है. आधा ताजा खीरा लें और इसके छोटे छोटे टुकड़े कर लें. अब एक बर्तन में एक कप पानी डालें और कटा हुआ खीरा डालें. पानी में खीरे को ब्लेंड कर लें. इसे ठंडा होने दें और फिर छनी से पानी को छान लें. कॉटन पैड की मदद से इसे अपने चेहरे पर लगाएं.

बर्फ का पानी :

ठंडा बर्फ का पानी एक अच्छे टोनर का काम करता है. इससे रोमछिद्र तुरंत सिकुड़ कर अपने आकार में वापस आ जाते हैं. बर्फ के पानी में कॉटन पैड को डालें और इसे अपने चेहरे पर लगाएं. आप चाहें तो सीधे बर्फ को भी अपने चेहरे पर रगड़ सकती हैं.

ग्रीन टी :

ग्रीन टी बैग को उबालें और इसे ठंडा होने दें. इस चाय को हर बार मुंह धोने के बाद टोनर के रूप में लगाएं.

बता दें कि ऑयली त्वचा के लिए टोनर बेहद आवश्यक हैं और ये आपकी त्वचा को फ्रेश और ग्रीस फ्री रखते हैं. इसके अलावा ये मुंहासों को होने से भी रोकते हैं.

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