'जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई', वैसे तो इस कहावत का मतलब है कि जिसने ज़िंदगी में खुद दर्द-तकलीफ ना झेली हो, वो दूसरे का दर्द नहीं समझ सकता, मगर बिवाइयों का दर्द भी वही समझ सकता है जिसके खुद के पैरों ने इस तकलीफ  को सहा हो. जी हां, बिवाइयों का दर्द बड़ा जालिम होता है. बिवाइयां दर्द ही नहीं देतीं, बल्कि पैरों का पूरा सौंदर्य ही समाप्त कर देती हैं. आपका चेहरा कितना ही सुन्दर हो, आपका शरीर कितना ही आकर्षक हो, लेकिन आपके पैरों की एड़ियां अगर फटी हुई हैं तो आपके सारे सौन्दर्य का सत्यानाश कर देती हैं. आपके चेहरे हो तारीफ की नज़र से देखने वाला आपकी फटी बिवाइयां देखते ही मुँह बिचका लेता है. बड़ा दर्दनाक होती हैं ये बिवाइयां और लीजिये अब तो इनके फटने का मौसम भी आ गया है. बरसात ख़त्म होते ही बिवाइयां शुरू हो जाएंगी और अगर अभी से आपने इनके प्रति सावधानी नहीं बरती तो ये मनमाने तरीके से बढ़ती ही जाएंगी और आपको बहुत सारा दर्द देंगी.
बिवाई या एड़ी का फटना एक आम समस्या है. इसमें पैरों के तलवों की त्वचा विशेष कर एड़ी की त्वचा सूख कर तड़क जाती है और वहां दरारें बन जाती हैं. इन दरारों में धूल और गन्दगी जमा होने पर ये बड़ी भद्दी दिखती हैं. इनमें दर्द भी होने लगता है तथा कभी-कभी खून भी रिसने लगता है.

बता दें कि पैर के तलवों की त्वचा में केवल पसीने वाली ग्रंथियां होती है. तेल की ग्रंथियां नहीं होती हैं. अगर किसी कारण से पैरों की पसीने वाली ग्रंथियां सुचारू रूप से काम नहीं करती हैं तो नमी कम हो जाने पर एड़ी की त्वचा सूखी होकर चटकने लगती है. एड़ी का फटना नुकसानदेह नहीं होता, लेकिन दरारें गहरी होने पर दर्द के कारण आपके चलने फिरने में बड़ी दिक्कत शुरू हो जाती है, साथ ही मोज़े वगैरा पहनने पर उनके फटने का डर रहता है. अगर बिवाइयों में खून भी बहने लगा तो स्थिति और कष्टकारी हो जाती है. यदि इसका उपचार न किया जाए तो एड़ी में पड़ी दरारों में संक्रमण हो सकता है. डायबिटीज इस समस्या को अधिक बिगाड़ सकती है. एड़ियों का फटना पैरों की केयर सही तरीके से नही होना दर्शाता है. एड़ियों का फटना आम है, लेकिन इसकी परेशानियां अलग-अलग हो सकती है. कुछ लोगों में यह सामान्य रूप से होती हैं तो कुछ लोगों में दर्द भरे घाव का रूप ले लेती है. लेकिन दोनों ही स्थ‍िति में पैरों और एड़ियों की खूबसूरती जरूर चुरा लेती है.

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