रोजाना की तरह पूनम उस दिन भी स्कूल जाने के लिए अपनी साइकिल से निकली तो रास्ते में पहले से उस का इंतजार कर रहे विकास ने उस के पीछे अपनी साइकिल लगा दी. पूनम ने विकास को पीछे आते देखा तो अपनी साइकिल की गति और तेज कर दी.

विकास अपनी साइकिल की रफ्तार और तेज कर के पूनम के आगे जा कर इस तरह खड़ा हो गया कि अगर वह अपनी साइकिल के ब्रेक न लगाती तो जमीन पर गिर जाती.

साइकिल संभालते हुए पूनम साइकिल से उतर कर खड़ी हुई और बोली, ‘‘देख नहीं रहे हो, मैं स्कूल जा रही हूं. आज वैसे भी देर हो गई है. अगर हमें किसी ने देख लिया तो बिना मतलब बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगेगी.’’

‘‘जिसे जो बातें बनानी हैं, बनाता रहे. मुझे किसी की परवाह नहीं है.’’ विकास ने बड़े प्यार से अपनी बात कह डाली.

पूनम स्कूल जाने के लिए मन ही मन बेचैन थी. उस ने विकास की तरफ देखा और उस से अनुरोध करते हुए बोली, ‘‘देखो, मुझे देर हो रही है. अभी मुझे स्कूल जाने दो. मैं तुम से बाद में मिल लूंगी. तुम्हें जो बात करनी हो, कर लेना.’’

विकास पूनम की बात सुन कर नरम पड़ गया. वह अपनी साइकिल को साइड में कर के पूनम के चेहरे को देखते हुए बोला, ‘‘पूनम, तुम मेरी आंखों में झांक कर देखो, इस में तुम्हें बेपनाह मोहब्बत नजर आएगी. तुम्हें पता है, तुम्हारी चाहत में मैं सब कुछ भूल गया हूं. मुझे दिनरात बस तुम ही तुम नजर आती हो.’’

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